badhiyaतेरे आंशुओ से ये पत्थर नम न होगा
हाँ, तेरे जाने का अब गम न होगा।
मोहब्बत में इम्तेहान और भी कई हैं
हाँ, पर सब्र सा इम्तेहान न होगा ।
हर बात पर तुम जो मुझसे खफा रहती हो
हाँ, अब ये नाज़ो नखड़ा मुझसे सहन न होगा।
और मुझे रकीब की कसीदे क्या सुनती हो
हाँ, तुमने हमारा इश्क़ ए जूनून देखा न होगा।