• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest MERE CHARO BACHE MERI JAN (Mom & son)

AAPLOG KO YE STORY KAISI LAGI ??

  • Mast hai continue kro

    Votes: 22 91.7%
  • Bekar hai next story try

    Votes: 2 8.3%

  • Total voters
    24

Yug Purush

सादा जीवन, तुच्छ विचार
Staff member
Moderator
25,524
24,594
274
Sir tell me how to add gif and sticker

4th or 5th post.
Also nude pics not allowed as av /dp
 
Last edited:

the_bull_000

READ MY STORY ONCE
46
102
19

4th or 5th post.
Also nude pics not allowed as av /dp
Thanks bhai oh I got it sorry
 

the_bull_000

READ MY STORY ONCE
46
102
19

4th or 5th post.
Also nude pics not allowed as av /dp
Bhai ye story ko mai kaise add kr skta hu prefix and edit mai pics and gif please guide
 

RED Ashoka

Member
195
409
64
Nice story
...... Kahani ka flow really acha hai
.... And kyoki ab Abhishek aur uski maa ka sex hi chuka hai to I hope ki ab uski maa apne bete se hi chude aur bahar kisi se nahi
 

RED Ashoka

Member
195
409
64
Bhai ye story ko mai kaise add kr skta hu prefix and edit mai pics and gif please guide
Aap chahe to khud gif ya image's download kr apni gallery me direct update post krte time add kr skte hai
 
339
305
64
congratulation for starting a new story
 

RED Ashoka

Member
195
409
64
Jis tarah ki kahani hai I think Abhishek and mom ke bich thoda seductive type add hona chahiye Jaise ghar me aur office me chupke chupke se ....like ghar pe kitchen me romance wagera
Aapne mom son ka first sex already seductive rakha...jo ki kafi achha laga
 

Enjoywuth

Well-Known Member
4,391
5,139
158
Next ---

मैंने उसका सर पकड़ कर अपने दूदू के तरफ खींच दिया और आँखों से इशारा कर दिया मेरी दूदू चूसने को। मेरा बेटु बिलकुल एक छोटे बाबू के तरह मेरे दूदू को चूसने लगा। मैं अभी उसके लंड से खेल रही थी। क्यूंकि वो अब भी जवान था, उसका लंड फिर से काफी जल्दी खड़ा हो गया।

मुझे बस अब मेरे बेटु का प्यार चाहिए था। मेरे बस ऊपर के हिस्से खुले हुए थे। मैं अब ज़रा सा हट कर खड़ी हुयी और अपने साड़ी को उतारने लगी। मैंने अपना पेटीकोट उतरा और अपनी पैंटी भी उतार दी। और बिलकुल नंगी अपने बेटे के सामने खड़ी हो गयी।

जब मैंने अपना चेहरा उठा कर अभिषेक को देखा, वो अचंभित होकर मुझे देख रहा था, बिलकुल उसी तरह जैसे उसके पापा ने मुझे पहली बार नंगी देखा था। मुझे लग रहा था मेरे आलोक वापस आ गए हैं। अभिषेक को देख मैं शर्मा गयी लेकिन अब मुझे बस अपने बेटु का लंड मेरे अंदर चाहिए था।

मैं अपने टेबल पर चढ़ कर लेट गयी, अपने टांगो को फैलाते हुए अभिषेक को इशारा किया। वो खड़ा हुआ और टेबल पर चढ़ कर मेरे ऊपर आ गया। उसने अपने लंड को मेरी चुत पर लगाकर सेट करने की कोशिश की, तो मैंने उसके लंड को पकड़ कर अपने चुत में सेट कर के आँखे बंद कर ली, उसने धीरे धीरे अंदर डालने को ज़ोर लगाया।

पार्क में चुम्बन करने के वक़्त से ही मेरी चुत गीली हो गयी थी। और मेरे पति और दोनों कर्मचारियों से चुदते हुए मेरा चुत ज़रा ढीला हो गया था। तो बेटु को ज़्यादा मुश्किल नहीं हुयी।

पर सृष्टि भी क्या खूबसूरत चीज़ है। किसी भी नर को मादा के चुत तक पहुँचा दो, बस। उसके बाद वो खुद ही कर लेता है हर कुछ। जैसे ही चुत में अभिषेक का लंड घुसा, मेरे मुंह से ज़ोर से “आह” निकल गयी और मेरे आँखों में आंसू थे, ख़ुशी के आंसू।

अब अभिषेक मुझे चोदने लगा। एक मर्द के तरह चोदने लगा। धक्के की तेज़ी बढ़ाने लगा। चोदते हुए वो कभी कभी मेरे दूदू को मसल देता और जब थकता तो झुक कर मेरे होंठो को चुम लेता।

मैं बस सिसक सिसक कर आहें भर रही थी।

अब वो काफी तेज़ चोदने लगा तो मैं समझ गयी वो झड़ने वाला है। मैंने आँखों से ही कह दिया की मैं पहली बार उसका अपने अंदर ही लेना चाहती हूँ। दो मिनट बाद वो झड़ गया और उसका सारा वीर्य मेरे अंदर गिर गया।

हम दोनों थक गए थे और पसीने से लथपथ थे। वो मेरे पास आकर लेट गया, मुझे पीछे से लिपट कर सो गया।

मेरी नींद उड़ गयी थी। मेरी ज़िन्दगी एक नयी मोड़ ले चुकी थी। मेरे आँखों में आंसू, थोड़े दर्द के, थोड़े ख़ुशी के, थोड़े प्यार के। अभिषेक का हाँथ मेरे पेट पर था। उसके लंड को अपने पीछे महसूस कर पा रही थी। उसके साँस की गरम हवा सीधे मेरे गले पर लग रही थी। मैं उसके हांथो को जकड़ कर सो गयी।

करीबन साढ़े नौ बजे फ़ोन बजने पर हमारी नींद खुली। मैंने उठाया तो नौकरानी के फ़ोन से आरती का कॉल था। उसने पूछा की हम कहाँ हैं, तो मैंने बहाना करते हुए कहा की ऑफिस में काम में देरी हो गयी है, बस आते हैं।

हम दोनों उठे, कपड़े पहने और एक टैक्सी में निकल पड़े। हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे। पर उसका हाँथ मेरे हाँथ में था। आलोक जी के जाने के बाद पहली बार महसूस हो रहा था, कोई मेरा साथी है मेरे साथ।
उम्र चाहे कितनी भी हो उस वक़्त अभिषेक की, पर एक मर्द और एक औरत का मिलन किसी भी उम्र में हो सकता है। और पिछले कुछ दिनों से मैंने उसे भांप लिया था, वो भले ही अभी सिर्फ 19 साल का था, पर उसमे समझदारी काफी अधिक थी, काफी परिपक्व था, समय की नज़ाकत, रिश्तों की एहमियत समझता था।

अगर वो मेरी एहमियत नहीं समझता तो मेरे दर्द को नहीं समझता, भले ही गुस्से में था सुबह तक, पर खुद से बात करने की पहल नहीं करता और मुझे नहीं समझता। और अपने बेटे से, अपने संतान से तो प्यार करती ही थी, लेकिन अब उसे एक मर्द के रूप में प्यार कर बैठी थी। उसके तौर तरीके बिलकुल आलोक जी जैसे थे। मुझे अपने जीवन में जिस दूसरे मर्द से प्यार हुआ, वो पहले का ही बेटा था।

मुझे बिलकुल भी इसमें कुछ भी गलत होने का एहसास नहीं लग रहा था। कर्मचारियों से चुदवाना एक पल को पाप लगता था, पर अपने बेटे के लंड को अपने चुत में लेने में मुझे कोई शर्म नहीं आयी। शाम तक हम दोनों का ऐसा कोई इरादा नहीं था, ना ही हम दोनों की ऐसी कोई गलत नज़र थी एक दूसरे पे। प्यार आपको किस बात पे, किस पल हो जाए, पता ही नहीं चलता। इसीलिए एक कहावत है की प्यार किया नहीं जाता, हो जाता है।

मैं अपने बेटे के प्यार में थी। अब वो मेरे प्यार में था या नहीं, ये आने वाले भागों में जानेंगे।आने वाले भागों में और भी रोमांच है, मसाला है, थोड़ी बहुत मस्ती है, शरारत है। ये शुरुआत थी और बिलकुल ही अभूतपूर्व अनुभव था हम दोनों के लिए इसीलिए उन पलों में हमारा कोई नियंत्रण था नहीं। बस, बिना कुछ कहे होता चला गया।

कहानी अभी काफी बाकी है।
Lagta hai kahani ka ek part miss ho gaya..park se sidha doodu tak pahunch gaye...kuch chut toh nahi gaya bhai
 
Top