UPDATE-23
थोड़ी देर में समर भी पूरी तरह बिना कपड़ो के थे , मैंने उठ कर हलके से देखना चाहा कि उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई कितनी है
मगर नदेख पाई कियुँकि समर अपने घुटनो के बल बेड के निचे बैठ चूका था
उसकी निगाह मेरी टांगो के बीच में थी , में समझ रही थी कि उसे क्या दिख रहा होगा
तभी समर ने मेरे दोनों पेरो को पकड़ा और हल्का सा खोल दिया ,
मैंने आँखें बंद करली
अब जो होना था वो मै जानती थी
उसके होठ मेरे घुटनो से छुए और हलकी सी चुम्भन कि आवाज़ कमरे में गुंजी
अहह में सिहर उठी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने हलके से फिर सिर उठया तो समर कि आँखों में वहशीपन साफ़ दिखा ,
उसके होठ सख्त हुए और मेरे जांघो पर कस गए
एआईए में हलके से चीख उठी ।
समर के दांत मेरे जांघो के मांस में गड़े जा रहे थे
तभी उसकी जुबान ने दर्द पर मलहम लगाया और गीली जुबान ने मेरी जांघो को गिला करना शुरू क्र दिया
जहां जहाँ जुबान फिसल रही थी वहां थूक से गीली हुई त्वचा गीली होने पर सिरहन और ठण्ड का आभास दे रही थी
और जुबान गरम छाप छोड़ते हुए ऊपर कि तरफ बड़ी आ रही थी
में बोल पड़ी " समर अहह हाँ हाँ समर प्लीज यस हाँ समर"
जाने क्या बड़बड़ा रही थी में उस वक़्त ।।।
समर कि जुबान को मेरी चूत तक जाना था
मेरी सोच के अनुसार मगर समर शायद अब खेलने में मूड में नहीं था ,
उसकी जुबान ठीक चूत के पास आते ही हट गई और अचानक उसके गीले होठ का आभास मेरे पेट पर मेरी नाभि के ठीक ऊपर हुआ
एक हल्का चुम्भन , अह्ह्ह
मैंने अपने पैर रगड़ दिए बेड पर , उत्तेजना ने मेरा हाल बुरा कर दिया
उफ्फ्फ माँ
माँ अहह समर अहह यस
तीसरा चुम्भन सीधा मेरे होठो पर
समर के होठ खुले और मेरे होठ खूंचते हुए खुद गुस्ते चले गए उसके होठो के अंदर
ुसफ्फफ्फ उफ़ बेदर्द समर ।। चूस लिया उसने मेरे यौवन को
अह्ह्ह हम्म
समर लव यू अहह
समर के दोनों हाथ मेरे बगल में घुसे , पता ही न चला कि कब समर ने मेरे ऊपर अपनी पोजीशन हासिल कर ली थी
समर के दोनों पेरो ने मेरे पेरो के बीच आकर बल के साथ उन्हें अलग किया
में जान ही न सकीं ।
और अब दोनों हाथ मेरे बगल से होते हुए मेरे कंधो को जकड़ चुके थे
उसके पेट कि गर्मी उफ्फ्फ उसका सीना मेरे साइन पर ,,
उसका वजन उफ्फफ्फ्फ़ माँ
सब सोच ही रही थी कि एक गरम अहसास गोल सा ,
सख्त सा मेरी चूत के मुहाने पर आकर टिक गया ।समर ने जरा सा अपना बदन और कमर हिलाई कि
उसके लण्ड का गरम अहसास ठीक मेरे चूत के मुहाने पर महसूस हुआ
चूत ने पहचान लिया था उस अहसास को, पहली बार थोड़ी न हो रहा ये सब मेरे साथ
मैंने हिलना चाहा , मगर नहीं हिल सकी ,
फांसी सी थी में उसके हाथो और उसके टैंगो के जकड़ में
मेरी टाँगे खुल चुकी थी ,
न जाने कब समर ने उनको अपने पेरो से खोल भी दिया था, और मैंने पता नहीं कब अपनी टांगो को मोड़ भी लिया
था
पता ही नहीं चला कि कब मेरे घुटने अगल बगल ऊपर की ओर मुड़ चुके थे
पता ही नहीं चल पाया की कब मेरे पंजे मेरी जंगो के पास आ चुके थे
,
मै खुली पड़ी थी समर के निचे
और समर ने अपने पेट से मेरे चूत के ऊपर झांटो के पास दबाव बना चूका था , उस दबाव के कारण में अपनी कमर नहीं हिला पा रही थी
समर कि छाती मेरे बूब्स को पीस रही थी
जैसे मैंने कोई अपराध किया हो और अब उसकी सजा मुझे उसकी छाती मेरे बूब्स से ले रही थी,
उसके हाथो कि जकड़ मेरे बगल के निचे से होती हुई पीछे से मेरे कंधो पर थी ।
मैं एक इंच ऊपर नहीं जा सकती थी
हम्म मेरी सांस तेज हो रही थी
समर का लण्ड कितना बड़ा होगा ? मुझे नहीं पता था
मगर चूत पर गरम अहसास बता रहा था कि जो भी होगा अच्छा ही होगा।
समर ने मेरी आँखों में देखा , मैंने आँखें बंद क़र ली
समर ने हल्के से ऊपर कि तफर दब्बाव बढ़ाया
तो लण्ड कि हलकी ठोकर मेरी चूत पर हुए , चूत का छेड़ उसकी आस पास कि हलकी दिवार खुल सी गई
और लण्ड के दबाव से चूत का मुँह हल्के से खुल गया ।
लण्ड वहां एक दम कस गया कि अब जरा सा भी समर अपनी कमर आगे बढ़ाता तो लण्ड के स्वागत में मेरी चूत को न चाहते या चाहते हुए कुछ भी हो खुलना तो पड़ता ।
और वही हुआ
समर ने हल्का झटका दिया, लण्ड कि हलकी मगर थोड़ी तेज ठोकर मेरी चूत के मुँह पर पड़ी
अह्ह्ह मेरे मुँह से निकला
ठोकर कि तेजी और समर कि कमर का दबाव में शायद तालमेल गड़बड़ा गया था
कि लण्ड मेरी चूत पर ठोकर मरता हुआ ऊपर कि तरफ मूड गया ,
आइए चीख निकल गई मेरे मुँह से , लण्ड कि ठोकर मेरे चूत के दाने पर पड़ी थी
दर्द कि हलकी लहर और मस्ती कि तरंग एक साथ उभरी
सीसी
अह्ह्ह
माँ
उफ़
मैंने आँख खोल दी और समर कि तरफ शिकायत से देखा ,
तो सच पूछो अजीब सा लगा उस वक़त मुझे खूब याद है समर कि आँखों में चिड़चडा पन दिखाई दे रहा था ,
क्यों? ये नहीं समझ आया , एक ठोकर इधर उधर होने से क्या होता है ।
मैं बच के अब निकल तो नहीं सकती थी न अब।?
फसी इस तरह थी कि हिल भी ठीक से नहीं प् रही थी मैं,,
जवाब ने समर ने अपनी कमर पीछे कि और बददिमाग इंसान ने पता नहीं क्या सोचकर कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया ,
बस यूं ही , ये भी उसे नहीं पता होगा कि लण्ड सही लगेगा या सही जायगा भी या नहीं
यहां मुझे पहली बार उसकी आदत ठीक नहीं लगी, कुछ ठीक नहीं था उसके दिमाग के साथ
और हुआ क्या?
,,,,
उसका लण्ड ठीक मेरे चूत और गांड के छेड़ के बीच वाले हिस्से पर टकराया ,भरपूर ठोकर थी वो
एआईई मैं चीख भी न पाई थी पूरी तरह ,
उस ठोकर कि चोट पर जो ठोकर मेरी गांड और चूत के निचे वाली हड्डी कि जोड़ पर हमला हुआ था
उसके दर्द से कि वो लण्ड निगोड़ा फिर ऊपर कि फिसला और ,,
मर गई थी एक दम उस हमले से
पागल इंसान कुत्ता ,,समर आज यही कहूँगी उस वक़्त को याद करके
लण्ड सीधे मेरी चूत कि दीवारों को अलग करता हुआ ,
चूत के मुँह को बिखेरता हुआ ,
चीरता हुआ लिखना चाहिए अब यहां
हाँ चीरता हुआ एक ही झटके में पूरा पेवस्त हो गया ।
आह माँ aeeee आई अह्ह्ह्ह मैं चीख उठी अपने हाथो से जोर लगा कर हटाया समर को मगर ,,,,,
मेरी टाँगे मेरी एड़ियों के बल पर मेरी गांड को ऊपर कि ओर खिसखाना चाहा पुरे जोर से मगर ,,,
मैं उस वक़्त कुछ न कर सकी ,,
Bhinch गई थी मेरी आँखें ,, मेरे होठ साइड से तीखे होकर निचे कि ओर झुक गए थे दर्द से ,,
मेरे दांत मेरे सख्ती से भींचे होठो से बहार दिख रहे थे ,
जबड़े कस चुके थे अतः दर्द से ,
पेट कि मांसपेशियां कस चुकी थी गांड के निचे जाँघे कपकपा रही थी दर्द में ,,,
हमला ही ऐसा था ,,
कई बार चुद चुकी थी अब तक अपने कुछ बॉयफ्रैंड्स से मगर ये हमला पागलपन था ,
एक दम लण्ड का एक ही बार में ठोकर वो भी गलत के साथ चीरते हुआ पूरा मेरे अंदर जाना
ओर वो पल पूरा भी न हुआ था कि समर के लण्ड के ऊपर का उसका हिस्सा जहां मर्द कि हड्डी होती वो हिस्सा मेरी चूत के ऊपर वाली उभरी हड्डी से इस तरह टकराया जैसे समर ने झटका नहीं दिया था बल्कि वो झटके से कूदा था मेरे ऊपर ,
एईई बस चीख उठी मैं ।अह्ह्ह आइए ा ा ा ा ा ा यह अहा माँ माँ बचा अह्ह्ह मा माँ ,
समर कि पसलियों को नीचे से ऊपर कि तरफ धक्का देने कि पूरी कोशिश भी बेमानी थी अब ।
एक शब्द लिखूं यहां अपनी हालत पर उस वक़्त कि
हाँ मुझे अब शर्म नहीं ये बोलने में कि हाँ फाड़ दी थी मेरी उस झटके ने।
प्लीज वेट फॉर नई अपडेट ,, ये समर ओर मेरा सेक्स पूरा कर दूंगी अगले अपडेट में