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Adultery MERI ATAMKATHA (Jo Likh Rhi Huun, Wo Sach hai)

amita

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UPDATE -7

जो भी था उस रोज़ मुझे अच्छा लगा , और थोड़ी देर बाद जब समर ने वेटर को टिप दी जो टिप के रूप में ज्यादा ही थी उसको देखकर में समझ गई कि क्यों वो इतना ज्यादा ख्याल हमारी टेबल का रख रहा है /
जाते जाते समर ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और मुझे उठने में मदद की, जो जरुरी नहीं था मगर में इतना तो जान ही गई थी की समर की तरफ से ये पहले कदम है मेरी तरफ , न चाहते हुए भी में हल्का सा मुस्कुरा गई , और खड़ीहोकर समर के पीछे चल पड़ी उसकी कार की तरफ /

समर ने मेरे अंदर बैठते हे कार वेस्ट उत्तम नगर की ओर दौड़ा दी /

अनीता क्या करती हो आप जॉब के बाद ये सवाल समर ने किया
जी सर Btech आपको बताया है पहले ।मेरे ये कहने पर समर मुस्कुरा दिया ,
अरे नहीं नहीं ।।में पूछ रहा हूँ पड़े के अलावा क्या करती हो आप ,,मतलब आपकी होब्बी क्या है

ओह्ह्ह ।।। जी सर।।में बास्केटबाल खेल लेती हूँ ओर डांस भी पसंद है मुझे ,,मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया /
कब खेलती हो आप।।

संडे मॉर्निंग कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स चली जाती हूँ, वहीँ बस थोड़ा बहुत बास्केट बॉल हो जाता है /


ओके ओके नाइस ।। में भी सोच रहा था थोड़ा सुबह सुबह जॉगिंग फिर शुरू कर दू , क्या ख्याल है आपका ?
इस सवाल का मै भला क्या जवाब देती ,बस इतना बोल पाई ।।जी हाँ सर ये तो बहुत अच्छा है ,वैसे आप फिट लगते है /
अब मुझे दिमाग में हिट हुआ की मै ज्यादा बोल रही हूँ,

थैंक्यू अनीता ,,, फिर भी सुबह की जॉगिंग की बात अलग है /

जी सर यू आर राइट ।,,,मेरे इतना कहने पर समर बोल पड़े ।।तोह अगर आपको बुरा न लगे तोह आपके स्पोर्ट काम्प्लेक्स कल सुबह चले ,,आपपका साथ भी हो जायगा ,,अरे आपके बहाने मेरी जॉगिंग फिर शुरू हो जायगी / एक दिन में जॉगिंग की आदत पद जायगी तोह हम अलग जायेंगे ,फिर न आपको परेशान करेंगे।। कहकर वो हस दिए,

मुझे बड़ा अजीब लगा ये सब मगर बात इस अंदाज़ से रखी थी मेरे सामने कि मै मना न कर सकीय /

जी सर बिलकुल , कल संडे है तोह आप आ जाइये सुबह ६ बजे कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स ।।।

मेरी इस बात पर वो मुस्कुरा दिया , ऐसा करते अनीता मै आपको सुबह यहां से पिक कर लेता हूँ, ये शब्द जैसे ही मेरे कानो से टकराये मै चौंक पड़ी, कियुँकि कार अब वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के ठीक निचे बने डोमिनोस पिज़्ज़ा पॉइंट के सामने थी ,

जी जी मैंने हकला कर कहा
तोह वो मुस्कुरा कर बोले अरे अनीता यहां से ।इस मेट्रो के निचे मिल जाना सुबह ५।३० बजे , ओके साथ चलते है, ओके


जी सर , मेरे ये कहने से मैंने साफ़ देखा जो उसके चेहरे पर अजीब से ख़ुशी भरे भाव एक दम आये थे वो कोई पागल भी समझ सकता था कि समर का फेका हुआ तीर सही निशाने पर लगा है ।।
Nice one, good build up
 

amita

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UPDATE -9

देर रात तक मेरे अंतर्मन में एक सवाल मंडराता रहा कि समर का यूं पास आना ठीक है ? उनकी उम्र ४० के करीब और मेरी सिर्फ २१ ।
मैंने करवटे बदलते हुए TV का remote उठाया और टीवी चालू किया तोह चैनल बदलते समय मेरे सामने 'चीनी कम' मूवी का कुछ हिस्सा चल रहा था जिसमे अमिताभ बच्चन कुछ दूर दौड़ कर अपने स्टैमिना का परीक्षा देते है की वो सेक्स स्टैमिना के लायक है की नहीं ,
में मुस्कुरा गई उस सीन को देख कर और मुझे लगा समर दौड़ कर परीक्षा दे रहा है,

में सेक्स रिलेशन में नई नहीं थी , हम्म मुझे ठीक ठाक अनुभव था सेक्स का, मैंने कुछ न सोचा अब बस आँखें बंद की और सोने की कोशिश करने लगी /

सुबह ५ बजकर ३० मिनट पर मेरे मोबाइल में समर का कॉल आ रहा था , में भी त्यार थी , मैंने टैंक टॉप और स्पोर्ट्स लेग्गिंग पहन ली थी /

कॉल उठते हुए मैंने कहा , बस सर २ मिनट में आई ।।

हम्म्म मेट्रो गेट नंबर एक पर हूँ मेँ (समर ने जव्वाब दिया )

जी सर ,,यही निकला था मेरे मुख से ,,




ye picture bs imagine ke liye hai , ye meri pic nhi hai ...

मैंने देखा समर एक बाइक पर था , ओह्ह्ह मेरे मुख से खुद ब खुद निकल पड़ा ।।
बाइक हम्म्म में समझती थी , अच्छी तरह से बाइक का मतलब कितना गहरा और ग्राम होता है ,
मेरी मुस्कुराहट अपने आप समर को देख कर मेरे गुलाबी होठो पर छा गई,
गुड मॉर्निंग सर

मेरे अभिवादन पर समर भी मुस्कुराया और हाई अनीता गुड मॉर्निंग भई क्या बात हैं, लुक ही चेंज हैं आपका तो , बढ़िया हैं /

मुझे घूरते हुए समर ने बाइक पर बैठने का इशारा किया , समर बाइक पर पहले से ही विराजमान था /

मैंने देर नहीं की और बाइक पर उसके पीछे बैठ गई , मैंने अपने आपको इस तरह एडजस्ट किया की मेरे बूब्स समर को टच न हो । दोनों हाथो को मोड़ कर अपने सीनेके सामने रख लिए थे इस तरह समर को मेरी कोहनी तोह छू रही थी मगर बूब्स नहीं ,
मगर मेरी थाइस का अंदर का भाग समर के कूल्हों के दोनों बाहरी तरफ टकरा रहा था , समर ने बाइक स्टार्ट की और बैलेंस बनाने के चक्कर मेँ मेरी थाइस ने समर के कूल्हों को अपने ग्रिप मेँ ले लिया , मेरी थाइस ने समर की कमर का निचला हिस्सा जकड़ा हुआ था
Badhiya
 

amita

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UPDATE-10

मैंने पीछे बैठे बैठे ही समर की तरफ देखा , साइड से दिखता हुआ उसका चेहरा साफ़ बता रहा था कि मेरी जांघो का अहसास से उसके शरीर और दिमाग में खून का दौरा तेज हो रहा है ,
उसकी आँखों में अजीब सी ख़ुशी और एक उतेजना कि लहर साफ़ देखि जा सकती थी ,
तभी मैंने महसूस किया कि समर ने अपने कूल्हों को थोड़ा सा मेरी तरफ सरकाया है , मेरी जांघो के बीच उसके कूल्हों का दबाव एकदम बड़ा था जिसके कारण मेरी जांघो ने समर के कूल्हों को और जकड लिया था , समर के पीछे होने से बचने को अगर मैं अपनी टाँगे थोड़ी भी ढीली करती तो यक़ीनन समर आज ही मेरे उस हिस्से को छू जाता जिसपर मुझे बहुत नाज़ है , बरहाल जकड़न बढ़ने से मुझे और ज्यादा उसके कूल्हों कि गर्मी का साफ़ अहसास हो रहा था , सुबह कि हलकी ठन्डे मौसम में कुछ तो था जो गरम था , मेरे लबों पर अपनेआप एक शरारती सी मुस्कान उमड़ आई ।

समर ने हलके से पीछे देखा और मेरी आखों में सीधे देखते हुए मुस्कुराया , मैंने निगाह नीची कि और शर्म से मुस्कुरा बैठी ,
ये दोनों कि मुस्कराहट शायद इकरार थी एक ऐसी परिस्थिति कि जिसको हम दोनों अपने दिल और शरीर में साफ़ महसूस कर रहे थे ।
मर्यादा का बोध मेरे दिमाग से शायद कहीं दूर उड़ कर किसी अनजान जगह जाकर छिप गया था , और रह गया था बस एक कामुक सा अहसास , एक बेशर्मी और अपने वजूद से नीचे गिरने का अपराधबोध , ये अपराध बोध अभी नहीं बल्कि समर के जाने के बाद होना था ।

मैंने ध्यान दिया तो समर ने बाइक को विकासपुरी के अंदर मोड़ लिया था , मैं थोड़ी चौंकी मगर कुछ बोली नहीं , समर ने पीछे देखा और धीरे से बोला ,' अनीता स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स थोड़ी देर में चलते है जरा हवा खा लेते है ' बोलो हाँ

न जाने कोई मंत्र था या आर्डर,,ये 'बोलो हाँ ' शब्द सुनकर खुद ही मेरे मुँह से जी हाँ निकल गया ,

वो मुस्कुराया और बाइक को एकदम हलकी स्पीड के ब्रस्ट से तेज कि , मेरा शरीर एकदम से समर के पीठ से टकराया , कोहनी और कंधे समर से टकराने पर समर ने फिर पीछे मुड़ कर देखा , उसको शायद मेरे जिस्म के किसी और ख़ास हिस्से के टकराने कि उम्मीद थी , मगर टकराय,,, कोहनी और कंधे ।
उसकी मुस्कराहट और गहरी हो गई , जैसे कोई बाज़ किसी निरह प्राणी के शिकार को बेताब हो , और ज/नता हो कि शिकार अब ज्यादा दूर नहीं ,मैं भी मुस्कुरा दी ये सोच कर

दरअसल मेरे कुछ रिलेशन्स के बाद मेरा झुकाव matured लोगो कि तरफ हो गया था ,
२० से २५ साल तक के लड़को कि बातो में मुझे नासमझी और लड़कपन दिखाई देने लगा था , उनका बिना मतलब कि बातें करना , बड़ी बड़ी बातें बोलना जैसे वो सुपरमैन के दादा हो इत्यादि बातें उनको न जाने क्यों मानसिक स्तर पर मेरी निगाहो में छोटा साबित कर रही थी ,

न जाने क्यों मेरे अंदर संजीदगी और ठहराव के एहसास कि चाहत होने लगी थी इन दिनों , शायद ये भी एक कारण हो सकता है कि मैं समर कि तरफ अब हाँ आकर्षित हो गई थी , मैं समर को प्यार नहीं करती हूँ , मगर उसका साथ मुझे अच्छा लग रहा था , दिल ने एक धीरे से आवाज़ दी , ' चलो एक जायका और सही ' ///
अपनी इस बात पर मैं फिर मुस्कुरा गई और पता नहीं कब मैंने अपना सर समर के कन्धों पर रख दिया ,
Shaandar
 

amita

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UPDATE-11

मैंने साफ़ महसूस किया कि समर के पीठ से लेकर गर्दन तक एक झुरझुरी सी दौड़ गई है , उसका शरीर एक दम अकड़ गया था मेरे अपना सर उसके खंधे पर रखते ही ।
शायद उनको उम्मीद नहीं थी मेरी इस हरकत कि ।
अगले ही पल समर ने खुद को संभाल लिया ,
अनीता थोड़ा आगे हो जाओ गिर जाओगी ,,, बहुत हिम्मत करके भोलेपन से समर ने मुझसे कहा , तो मुझे उसके ऊपर एक नए अहसास के साथ अपनापन या थोड़ा लाड या शायद प्यार आया और मैंने कहा

""""" अरे बोलो तो चिपक जाऊं '''''''''''''''''''

ये शब्द बिलकुल सच्चे है , मुझे बेहद अच्छे ढंग से साफ़ साफ़ याद है कि यही वो शब्द थे जो न जाने कैसे बेशर्मी या कामुकता में मैंने समर से बोल दिया ,
वो पठ्ठा भी कम न था , बोल पड़ा ,

चिपक जा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

और न जाने क्यों मैंने अपनी कोहनी और हाथो के बधन खोले ,,,,, और अपने दोनों हाथ उसकी कमर के दोनों ओर से हार कि तरह डाल कर हलके से समर को लपेट लिया , मेरा चेहरा अभी भी समर के कंधो पर था ,

दोस्तों अब मेरे बूब्स समर के पीठ को छू रहे थे , या यूं कहो मैं साफ़ अपने निप्पल में उसकी पीठ का दबाव महसूस कर रही थी ,
बेशर्मी देखो मेरी दोस्तों , कि मेरे निप्पल्स कि स्किन के ठीक नीचे मगर नसों के ऊपर मैंने खून का दौरा चीटियों कि तरह सरसराते महसूस किया , अजीब सी चुभन ओर सरसराहट , हलकी गुदगुदी जो निप्पल कि स्किन में अंदर से उभर रही थी , मेरे निप्पल्स का कड़ा होना ओर समर कि पीठ कि रगड़ से मेरे मुँह से हलके से निकला ।

अहह ,,,,,
आँखें मेरी खुद अपने आप हलके से बंद हो गई ओर समर कि शरीर में आई सरसराहट को मैंने साफ़ महसूस किया ।।

न जाने ये सब क्यों हुआ शुरू , मैं खुल इतना कैसे गई थी,
दरअसल हम किसी से नहीं खुलते बल्कि कोई अपने अपनेपन से हमारे अंदर एक ऐसी विश्वास भर देता है कि हम उन लोगो से खुल ही जाते है ,

उनपर ध्यान देना , उनको जानना ओर उनके प्रति एक विश्वास ही शायद पहला कारण था कि मैं आज बेशर्म कि तरह उनसे लिपटी थी ,
या यूं कहो अपनी ही भावनाओं में बह रही थी ,


आज एक ख्याल आता है ये सब लिखते हुए ।।उस वक़्त समर ने क्या सोचा होगा मेरे बारे में ? उनके ख्याल अच्छे होंगे उस वक़्त या वो एक शिकारी थी तरह सोच रहे होंगे कि ,,,,,,,



अब इसका जबाव आप दे सकते हो दोस्तों,

अगला अपडेट समर के साथ मेरे सेक्स रिलेशनशिप कि दास्तान के साथ होगा ,
उम्मीद है पूरी फीलिंग के साथ लिख पाऊँगी
Fantastic update
 

SKYESH

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waiting....

PM main reply karo


aaj raat koshish krungi ki update likhu ... thodi der akele computer mil jaye,
mobile se nhi likh sakti , pehle bhi btaya hai ki mere mobile me spy hai cause of my parents caught my nonveg chats with someone,
computer mere liye jada thhik hai, en sabke liye.
 
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UPDATE-23

थोड़ी देर में समर भी पूरी तरह बिना कपड़ो के थे , मैंने उठ कर हलके से देखना चाहा कि उनके लण्ड की लम्बाई और मोटाई कितनी है

मगर नदेख पाई कियुँकि समर अपने घुटनो के बल बेड के निचे बैठ चूका था
उसकी निगाह मेरी टांगो के बीच में थी , में समझ रही थी कि उसे क्या दिख रहा होगा
तभी समर ने मेरे दोनों पेरो को पकड़ा और हल्का सा खोल दिया ,
मैंने आँखें बंद करली
अब जो होना था वो मै जानती थी
उसके होठ मेरे घुटनो से छुए और हलकी सी चुम्भन कि आवाज़ कमरे में गुंजी
अहह में सिहर उठी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने हलके से फिर सिर उठया तो समर कि आँखों में वहशीपन साफ़ दिखा ,
उसके होठ सख्त हुए और मेरे जांघो पर कस गए
एआईए में हलके से चीख उठी ।
समर के दांत मेरे जांघो के मांस में गड़े जा रहे थे

तभी उसकी जुबान ने दर्द पर मलहम लगाया और गीली जुबान ने मेरी जांघो को गिला करना शुरू क्र दिया
जहां जहाँ जुबान फिसल रही थी वहां थूक से गीली हुई त्वचा गीली होने पर सिरहन और ठण्ड का आभास दे रही थी
और जुबान गरम छाप छोड़ते हुए ऊपर कि तरफ बड़ी आ रही थी

में बोल पड़ी " समर अहह हाँ हाँ समर प्लीज यस हाँ समर"
जाने क्या बड़बड़ा रही थी में उस वक़्त ।।।

समर कि जुबान को मेरी चूत तक जाना था
मेरी सोच के अनुसार मगर समर शायद अब खेलने में मूड में नहीं था ,

उसकी जुबान ठीक चूत के पास आते ही हट गई और अचानक उसके गीले होठ का आभास मेरे पेट पर मेरी नाभि के ठीक ऊपर हुआ
एक हल्का चुम्भन , अह्ह्ह

मैंने अपने पैर रगड़ दिए बेड पर , उत्तेजना ने मेरा हाल बुरा कर दिया
उफ्फ्फ माँ
माँ अहह समर अहह यस

तीसरा चुम्भन सीधा मेरे होठो पर

समर के होठ खुले और मेरे होठ खूंचते हुए खुद गुस्ते चले गए उसके होठो के अंदर

ुसफ्फफ्फ उफ़ बेदर्द समर ।। चूस लिया उसने मेरे यौवन को
अह्ह्ह हम्म
समर लव यू अहह

समर के दोनों हाथ मेरे बगल में घुसे , पता ही न चला कि कब समर ने मेरे ऊपर अपनी पोजीशन हासिल कर ली थी
समर के दोनों पेरो ने मेरे पेरो के बीच आकर बल के साथ उन्हें अलग किया
में जान ही न सकीं ।

और अब दोनों हाथ मेरे बगल से होते हुए मेरे कंधो को जकड़ चुके थे
उसके पेट कि गर्मी उफ्फ्फ उसका सीना मेरे साइन पर ,,
उसका वजन उफ्फफ्फ्फ़ माँ

सब सोच ही रही थी कि एक गरम अहसास गोल सा ,
सख्त सा मेरी चूत के मुहाने पर आकर टिक गया ।समर ने जरा सा अपना बदन और कमर हिलाई कि
उसके लण्ड का गरम अहसास ठीक मेरे चूत के मुहाने पर महसूस हुआ

चूत ने पहचान लिया था उस अहसास को, पहली बार थोड़ी न हो रहा ये सब मेरे साथ

मैंने हिलना चाहा , मगर नहीं हिल सकी ,
फांसी सी थी में उसके हाथो और उसके टैंगो के जकड़ में

मेरी टाँगे खुल चुकी थी ,
न जाने कब समर ने उनको अपने पेरो से खोल भी दिया था, और मैंने पता नहीं कब अपनी टांगो को मोड़ भी लिया
था
पता ही नहीं चला कि कब मेरे घुटने अगल बगल ऊपर की ओर मुड़ चुके थे
पता ही नहीं चल पाया की कब मेरे पंजे मेरी जंगो के पास आ चुके थे
,
मै खुली पड़ी थी समर के निचे
और समर ने अपने पेट से मेरे चूत के ऊपर झांटो के पास दबाव बना चूका था , उस दबाव के कारण में अपनी कमर नहीं हिला पा रही थी

समर कि छाती मेरे बूब्स को पीस रही थी
जैसे मैंने कोई अपराध किया हो और अब उसकी सजा मुझे उसकी छाती मेरे बूब्स से ले रही थी,

उसके हाथो कि जकड़ मेरे बगल के निचे से होती हुई पीछे से मेरे कंधो पर थी ।
मैं एक इंच ऊपर नहीं जा सकती थी

हम्म मेरी सांस तेज हो रही थी

समर का लण्ड कितना बड़ा होगा ? मुझे नहीं पता था
मगर चूत पर गरम अहसास बता रहा था कि जो भी होगा अच्छा ही होगा।
समर ने मेरी आँखों में देखा , मैंने आँखें बंद क़र ली

समर ने हल्के से ऊपर कि तफर दब्बाव बढ़ाया
तो लण्ड कि हलकी ठोकर मेरी चूत पर हुए , चूत का छेड़ उसकी आस पास कि हलकी दिवार खुल सी गई
और लण्ड के दबाव से चूत का मुँह हल्के से खुल गया ।
लण्ड वहां एक दम कस गया कि अब जरा सा भी समर अपनी कमर आगे बढ़ाता तो लण्ड के स्वागत में मेरी चूत को न चाहते या चाहते हुए कुछ भी हो खुलना तो पड़ता ।

और वही हुआ
समर ने हल्का झटका दिया, लण्ड कि हलकी मगर थोड़ी तेज ठोकर मेरी चूत के मुँह पर पड़ी
अह्ह्ह मेरे मुँह से निकला

ठोकर कि तेजी और समर कि कमर का दबाव में शायद तालमेल गड़बड़ा गया था
कि लण्ड मेरी चूत पर ठोकर मरता हुआ ऊपर कि तरफ मूड गया ,

आइए चीख निकल गई मेरे मुँह से , लण्ड कि ठोकर मेरे चूत के दाने पर पड़ी थी

दर्द कि हलकी लहर और मस्ती कि तरंग एक साथ उभरी
सीसी
अह्ह्ह
माँ
उफ़

मैंने आँख खोल दी और समर कि तरफ शिकायत से देखा ,
तो सच पूछो अजीब सा लगा उस वक़त मुझे खूब याद है समर कि आँखों में चिड़चडा पन दिखाई दे रहा था ,

क्यों? ये नहीं समझ आया , एक ठोकर इधर उधर होने से क्या होता है ।
मैं बच के अब निकल तो नहीं सकती थी न अब।?

फसी इस तरह थी कि हिल भी ठीक से नहीं प् रही थी मैं,,

जवाब ने समर ने अपनी कमर पीछे कि और बददिमाग इंसान ने पता नहीं क्या सोचकर कमर को पूरी ताक़त से झटका दिया ,
बस यूं ही , ये भी उसे नहीं पता होगा कि लण्ड सही लगेगा या सही जायगा भी या नहीं

यहां मुझे पहली बार उसकी आदत ठीक नहीं लगी, कुछ ठीक नहीं था उसके दिमाग के साथ
और हुआ क्या?
,,,,
उसका लण्ड ठीक मेरे चूत और गांड के छेड़ के बीच वाले हिस्से पर टकराया ,भरपूर ठोकर थी वो

एआईई मैं चीख भी न पाई थी पूरी तरह ,
उस ठोकर कि चोट पर जो ठोकर मेरी गांड और चूत के निचे वाली हड्डी कि जोड़ पर हमला हुआ था
उसके दर्द से कि वो लण्ड निगोड़ा फिर ऊपर कि फिसला और ,,

मर गई थी एक दम उस हमले से

पागल इंसान कुत्ता ,,समर आज यही कहूँगी उस वक़्त को याद करके

लण्ड सीधे मेरी चूत कि दीवारों को अलग करता हुआ ,
चूत के मुँह को बिखेरता हुआ ,
चीरता हुआ लिखना चाहिए अब यहां

हाँ चीरता हुआ एक ही झटके में पूरा पेवस्त हो गया ।

आह माँ aeeee आई अह्ह्ह्ह मैं चीख उठी अपने हाथो से जोर लगा कर हटाया समर को मगर ,,,,,

मेरी टाँगे मेरी एड़ियों के बल पर मेरी गांड को ऊपर कि ओर खिसखाना चाहा पुरे जोर से मगर ,,,

मैं उस वक़्त कुछ न कर सकी ,,

Bhinch गई थी मेरी आँखें ,, मेरे होठ साइड से तीखे होकर निचे कि ओर झुक गए थे दर्द से ,,

मेरे दांत मेरे सख्ती से भींचे होठो से बहार दिख रहे थे ,
जबड़े कस चुके थे अतः दर्द से ,
पेट कि मांसपेशियां कस चुकी थी गांड के निचे जाँघे कपकपा रही थी दर्द में ,,,

हमला ही ऐसा था ,,
कई बार चुद चुकी थी अब तक अपने कुछ बॉयफ्रैंड्स से मगर ये हमला पागलपन था ,

एक दम लण्ड का एक ही बार में ठोकर वो भी गलत के साथ चीरते हुआ पूरा मेरे अंदर जाना

ओर वो पल पूरा भी न हुआ था कि समर के लण्ड के ऊपर का उसका हिस्सा जहां मर्द कि हड्डी होती वो हिस्सा मेरी चूत के ऊपर वाली उभरी हड्डी से इस तरह टकराया जैसे समर ने झटका नहीं दिया था बल्कि वो झटके से कूदा था मेरे ऊपर ,

एईई बस चीख उठी मैं ।अह्ह्ह आइए ा ा ा ा ा ा यह अहा माँ माँ बचा अह्ह्ह मा माँ ,

समर कि पसलियों को नीचे से ऊपर कि तरफ धक्का देने कि पूरी कोशिश भी बेमानी थी अब ।

एक शब्द लिखूं यहां अपनी हालत पर उस वक़्त कि
हाँ मुझे अब शर्म नहीं ये बोलने में कि हाँ फाड़ दी थी मेरी उस झटके ने।




प्लीज वेट फॉर नई अपडेट ,, ये समर ओर मेरा सेक्स पूरा कर दूंगी अगले अपडेट में
 
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