UPDATE -6
एक रोज मैं १२ बजे ऑफिस से निकली और बहार सड़क पर खड़ी थी , थोड़ा जाम था सड़क पर , मुझे बस सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन तक हे जाना था वहां से १०-१५ मिनट का हे रास्ता था वेस्ट उत्तम नगर का मेट्रो से ,
अचानक मैंने एक आवाज़ सुनी
गई नहीं आप अभी ? मैंने पीछे देखा तो समर खड़े थे /
जी बस जाम है उस पर जाकर मेट्रो की तरफ जाउंगी , मैंने उत्तर दिया /
किस तरफ जाओगी आप ? समर ने पुछा तो मैंने बता दिया सीधे घर जाउंगी सर , वेस्ट उत्तम नगर
----
मैं नज़फगढ़ जा रहा हूँ चलो आप को वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के निचे ड्राप कर दूंगा /
समर की बड़ी हे बेबाकी से कह दिया , मुझे अजीब तो लगा पर मना नहीं कर सकी/ बस इतना बोल पाई " प्लीज सर आपको बेकार तकलीफ होगी "
अरे तकलीफ कैसी ।
मैं तो जा रहा हूँ उस तरफ / चलो छोड़ दूंगा और रास्ता भी कट जायेगा मेरे और ये कहते हुए समर मुस्कुरा दिया
वही जनि पहचानी मुस्कराहट / मैं थोड़ी देर देखती रही उनकी तरफ /
हाँ बोलो क्या हुआ, समर की इस आवाज़ ने मुझे उस देखने से बहार निकाला/
जी जी सर जी बिलकुल ।।ये बोल मैं झेंप गई और मुस्कुरा भी दी
गुड गर्ल ।।यही कहा था समर ने मुझे आज भी याद है और समर कार की तरफ मुड गए मुझे पीछे आने का इशारा किया , मैं भी उनके पीछे चल दी /
सच बताऊं आपको दोस्तों उस वक़्त सच में कुछ धकधक थी मेरे दिल में , और हलकी सी ख़ुशी भी , कुछ मिला जुला अहसास था /
तितली सी दिल और पेट में उड़ रही थी , मेरी चल अपने आप फिर लचीली हो गई गई , मैं साफ़ महसूस कर रही रही कि न चाहते हुए भी मेरे हिप्स हलके हलके बलखाने लगे थे /
मैं साफ़ अपने हिप्स की गोलाइयों को लचीलेपन के साथ ऊपर निचे बलखाते मह्सूस कर रही थी , मेरी चाल में जैसे मेरे खिलाफ बगावत कर दी थी और मेरी थाइज़ का अंदर का पार्ट चलते वक़्त बलखाने के साथ हर कदम में मिलने लगा था ,
मैंने फिर संभाला खुद को मगर उसी वक़्त दांये हिप्स के हलके घुमावदार बलखाने के कारण एक अजीब सा अहसास जो मेरे अंदर पैदा हुआ वो मुझे खुद एक रोमांच दे गया और जानते हो आप लोग अगला कदम मैंने खुद न चाहते हुए भी बहुत हे बांये हिप्स को घुमावदार उठाव के साथ लिया ,
मैं खुद पर मुस्कुराई और फिर उसी लचीलेपन के साथ पीछे पीछे चल दी, करीब ५० मीटर चलने के बाद एक ओपन पार्किंग नज़र आई, जहां कुछ कार पार्क की गई थी /
कार का दरवाज़ा खोलते हुए समर ने कहा आइये /
और मैं उस कार में समां गई /
मैंने धीरे से समर की तरफ देखा वो बड़े ही आराम से कार को बैक करके मुख्य सड़क पर ला रहे थे , उनका अंदाज़ में साफ़ प्रतीत हो रहा था कि वो जता रहे है जैसे वो मुझपर धयान नहीं दे रहे , मगर उनकी चोर नज़र धीरे से कुछ बार मेरे सिनेकी ३४ B साइज की उभरी गोलाइयों के दीदार कर चुके थे , मुझे उनकी नज़र में चोरपन अच्छा लग रहा था ,
धीरे से मैंने खुद को सीट में इस तरह धंस के पोज़ किया जैसे मैं ठीक सामने देख रही हूँ मगर समर की तरफ से मेरे सिने की उभार समर को साफ़ उभरे दिख सके /
और ५ सेकण्ड्स बाद हे फिर समर की चोरनिगाह मेरे उभार पर पड़ी और मेरे निपल के अंदर हलचल सी मैंने महसूस की , खून का दौरा तेज होते और निपल को बगावत करते हुए थोड़ा सख्त होते महसूस किया /
जैसे मेरे निप्पल मुझसे बोल रहे हो अनीता यू अरे अ बिच/ जो एक ४० साल के इंसान की मौजूदगी के कारण उतेज्जित हो रही हो , डूब के मर जाओ /
मगर जो हो रहा था वो सच था , कोई प्यार व्यार की भावना मेरे मन में नहीं थी मगर एक उतेजना जरूर मेरे दिल और दिमाग पे धुंध की तरह छा चुकी थी जिसके कारण मेरे सोचने और समझने की शक्ति पर एक स्याह पर्दा पद गया , जो जल्दी हीएक अनोखे अनुभव में बदलने वाला था /
दोस्तों इससे पहले भी मेरे कुछ सेक्स रिलेशनशिप हो चुके है , जिनके बारे में अभी नहीं बता पाऊँगी , धीरे धीरे आगे सब बता दूंगी /
((बस आप लोग इतना जान लो ।
फरीदाबाद के YMCA इंजीनियरिंग में एडमिशन के बाद कुछ दिन एक PG में रुकी थी अपने कुछ दोस्तों के साथ, Gurgaon में, मगर अफ़सोस अगले हफ्ते हे मेरे दोस्तों ने PG छोड़ दिया उनको कॉलेज के पास हे अचानक एक अच्छा PG उपलब्ध हो गया था /
मैं ३ मनथस का पेमेंट दे चुकी थी जो वापस नहीं हो सकता था इसीलिए मुझे रुकना पड़ा, वहां के PG ओनर (नाम नहीं लिखूंगी अभी ) जो हरयाणा का जाट था के साथ सेक्स काउंटर हुआ जो मेरी मर्जी के अगेंस्ट था , मेरे न चाहने पर भी उसने जो किया अभी नहीं बता सकती / सोचलर हे गुस्सा आ जाता है / मगर बाद में लिख दूंगी,
कोशिश करूंगी वो किस्सा फील के साथ लिख सकू, पुलिस FIR भी हुई थी NGO ने भी मदद की मगर मुझे केस वापस लेना पड़ा एक माफ़ी नामा लिखकर / पेरेंट्स को भी पता चला और दोस्तों को भी /
इन सबसे निकलने में अमित नाम के फ्रेंड ने मेरी बहुत मदद की थी उससे भी सेक्स रिलेशन बना,
फिर साहिल नाम का एक बॉयफ्रेंड और बना /
समर के जिंदगी मे आने से बहुत कुछ मैंने जिंदगी जीने के सच के बारे मे सीखा और समर के जाने के बाद एक सरकारी जॉब के अप्लाई भी किया जो ईश्वर के द्वारा गिफ्ट मे मुझे मिल गई /
2 साल बाद उस जॉब को छोड़ अब अपने Mtech पर ध्यान दे रही हूँ, और ना जाने क्यों अपनी जिंदगी के कुछ हिस्से को आपके सामने रख रही हूँ l
समर के बाद एक लड़का Shabad Khan से भी मुलाक़ात हुई, जो meet4u dating app मे मुझे मिला, उससे बात हुई तो वो भी उत्तम नगर का ही निकला,, Gym instructor है वो और 4 बार उसके फ्लैट मे जाना हुआ और एक मुस्लिम के नीचे अपने शरीर के पिसने का अहसास भी लिया.))
अब ये समर का किस्सा था । तो ये नहीं कह सकते की इस वक़्त मैं वर्जिन थी, हाँ कई बार सेक्स का सुख और दुःख भोग चहकने के बाद न जाने क्यों मेरे आकर्षण किसी matured इंसान की तरफ खींचने लगा है, और ऐसी कमी को समर और उसकी वो निगाह पूरी कर रही थी शायद इसीलिए मैं ज्यादा उत्तजित हो रही हूँ इस वक़्त कार में उसके साथ बैठे हुए /
इस वक्त मैंने जीन और टॉप पहना हुआ था ग्रीन टॉप, याद ह मुझे अच्छी तरह, जो पूरी तरह मरे कमर की कर्व्स और सिने के उभारो को नुमाया होने में मदद रहा रहा था ,
यही कारण भी होगा जो समर बार बार न चाहते हुए भी अपनी मर्यादा के आगे निकल अपनी हे एम्प्लोयी के शरीर के ख़ास हिस्सों को चोर की तरह अपने वज़ूद से गिरकर घूर रहा है /
अब कार तिलक नगर मेट्रो स्टेशन को पीछे छोड़ती हुए जनकपुरी की तरफ बाद रही थी ,
मैं किसी एम्प्लोयी को अपनी कार में लिफ्ट नहीं देता , समर के इन शब्दों ने मेरा ध्यान उसकी बातो की तरफ किया ।।। मगर आज न जाने क्यों तुमको लिफ्ट दी है ,कहकर वो खुद हीअपनी बात पर हंस पड़ा ,
मैं मन ही मन बोल पड़ी " आखिर आदमी आदमी ही होता है , उसकी जात उसकी दोनों टांगो के बीच लटक रही होती है जो तुम्हारी भी है मिस्टर समर , अब देखना ये है की तुम्हारी जात का ढोल कितना बड़ा है /
ये सोच कर मैं खुद हे जोर से हंस पड़ी । ।। वो मेरी तरफ देखने लगा और इस देखने में हसने के कारण मेरी हिलती छातियों को भी फिर एक बार घर लिया ।।।
जी जी सर मैंने खुद की हंसी रोकते हुए बोलै, जी सर मैं जानती हूँ आप अच्छे इंसान है
हम्म्म समर ने आवाज़ दी , नहीं अनीता तुम उन सबसे अलग हो,
कुछ तो ख़ास तुम्हारे में जो में आज तुम्हारे साथ हूँ ,
में कुछ न बोल पाई बस चुपचाप उसकी ओर देखती रही ।।।। जी सर थैंक्स ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यही बोल निकले थे मेरी जुबान से /
उत्तम नगर पूर्व मेट्रो वाले चौराहे पर जाम ज्यादा ही था, तो समर नर मुझे कॉफ़ी के लिऐ पुछा, मैंने हाँ मे सिर हिला दिया l
समर ने हल्का बैक टर्न करके गाड़ी विकासपुरी , जो कि उत्तम नगर के करीब ही है, कि तरफ मोड़ ली l
थोड़ी हि देर मे हम एक डोसा कार्नर के सामने थे,
बरहाल समर के साथ मे डोसा सेंटर के अंदर चली गई, साफ लग रहा था कि उस जगह का वेटर समर को अच्छी तरह जानता है, वो काफ़ी मिलनसार और हसमुख था सो हमारी खातिर कुछ स्पेशल ढंग से कि गई, बार बार उस वेटर का आना समर से हर बात पूछना, मेरा स्पेशल सा ख्याल रखना,
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क़ि बाकि कस्टमर से ज्यादा मै वहाँ स्पेशल हूँ l I totally impressed..