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Adultery MERI ATAMKATHA (Jo Likh Rhi Huun, Wo Sach hai)

Etrnlvr

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https://xforum.live/threads/meri-atamkatha-jo-likh-rhi-huun-wo-sach-hai.11055/

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UPDATE -1

दोस्तों दिल कह रहा है कि, आज सब सच लिखूं / अपना नाम , अपना पता , हर वो बात सच अपने बारे में जो सब जानना चाहते है ।
मगर नहीं , सच तो यह है कि अपना नाम और पहचान सच नहीं लिख सकती /
आप लोग जानते ही हो कि बाद में ये सब मेरे लिए कितना खतरनाक होगा / अपना एक काल्पनिक नाम 'अनीता ' लिख लेती हूँ और अनीता के नाम से ही मैंने अपनी यहां ID बनाई है / मगर इतना सच लिख देती हूँ कि मैं शर्मा हूँ। तो मेरा सरनेम जो हक़ीक़त में शर्मा है और अब पूरा नाम हुआ अनीता शर्मा /
बाकि सब सच ही लिखूंगी / मेरी उम्र 25 साल है , मैं दिल्ली कि रहने वाली हूँ / क्या अब ये भी तना पड़ेगा कि दिल्ली में कहाँ रहती हूँ मैं?
हम्मममम ओके ,,,,,,, दिल्ली में मैं वेस्ट उत्तम नगर में रहती हूँ / जो दिल्ली वाले है वो जानते होंगे , वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन से मेरा घर २ से ३ मिनट कि दुरी पर ही है / पापा मम्मी भाई भाभी एक छोटी बहिन और मैं , यही है मेरा परिवार /
डैड अक्सर दिल्ली से बहार रहते है और माँ भी अक्सर हरयाणा के पुश्तैनी गावं में जाकर रहती है , अभी मेरे दादा जी जीवित है , और उनकी देख भाल के लिए माँ को जाना पड़ता है , सॉरी में यहां अपने गावं का नाम नहीं बता सकती हूँ / इससे मेरी पहचान पक्की होने का खतरा है / गावं से हम ४ लडकियां दिल्ली में है जिसमे से सिर्फ मैं ही वेस्ट उत्तम नगर रहती हूँ /
भाई कि उम्र २७ साल है , झाँसी में JDA में नौकरी करता है , भाभी उनके साथ ही रहती है मगर हर २ महीने में वो घर आते रहते है / छोटी बहन उत्तम नगर के पास द्वारका के एक स्कूल में १2 क्लास में पद रही है / उसका नाम राधिका है / काल्पनिक नाम / उम्र 18 साल hai

अब आती हूँ अपनी बात पर कि किस तरह मैंने जाना उस दर्द का अहसास, अंदर तक चटकने का अहसास और एक के बाद एक कुछ दोस्तों, दुश्मनो या अजनबियों के नीचे पिसने और पिघलने का अहसास / उनमे दो लोग ऐसे भी थे जिनसे कोई रिश्ता नहीं कि नाम दे सकू और इतने दूर भी नहीं कि अजनबी कह सकू /
बस इतना सच है मेरी इस आत्मकथा में कि बस नाम के अलावा हर शब्द सच्चा है /
Nice story
 

Etrnlvr

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UPDATE -4

प्लीज दोस्तों इसे आप कहानी न बोले , ये मेरी सच्ची आत्मकथा है , हर बात का प्रमाण में आगे दूंगी /


मेरी बात का अगर आप लोगो को किसी भी तरह बुरी लगे तोह में माफ़ी मांगती हूँ,

......................................................


अगले दिन सुबह में काफी उत्साहित थी कि आज मेरी जिंदगी का पहला इंटरव्यू है ,

ब्लू शार्ट कुर्ती ,उसके नीचे पलाज़ो पहना , और बालो को कर्ली लुक दिया , हल्का मेकअप और आँखों में लम्बा लाइनर थोड़े शेप के साथ , आपको बता दू कि मुझे आई शेड लगाना बहुत पसंद है /

हाई हील ब्लैक सैंडल और शीशे में लुक देखा अपना तो खुद पर नाज़ आया ,मन से निकला हम्म्म नाइस /

अपने btech 2nd सेमिस्टर के डाक्यूमेंट्स फाइल में रखकर में त्यार थी /

कुछ सवाल के जवाब और अच्छी तरह मन में दोहरा रही थी जो पिछली रात Youtube में देखे थे जॉब इंटरव्यू को लेकर /

बरहाल 9am में घर से निकल गई / वेस्ट उत्तम नगर से मेट्रो पकड़ी और सुबाष पार्क मेट्रो स्टेशन जा पहुंची /

गूगल मैप में उनके ऑफिस का एड्रेस देखा तोह ५ मिनट वाकिंग डिस्टेंट पर हे था , पैदल उस तरफ चलते हुए में साफ अपने दिल कि धड़कन महसूस कर रही थी , और सच कहु तो कुछ खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि क्यों इतना सोच रही हूँ , अगर जॉब न भी मिली तो मुझे क्या ? माँ डैड इतनी पॉकेट मनी तो दे ही देते है कि मुझे कोई कमी नहीं होती /

इतना सोचते सोचते मुझे सामने ऑफिस कि बिल्डिंग नज़र आ गई / अब दिल फिर धड़कने लगा / रिसेप्शन पर मैंने अपने बारे में बताया तोह वहां बैठे एक लड़के ने इंटर कॉम से अंदर सुचना दी फिर हम्म्म हम्म्म जी ओके सर बोलकर रिसीवर नीचे वापस रख मुझसे बोला / मैडम आप सीधे अंदर गैलरी में जाकर राइट मुड़ जाना वहां सर आपका इंतज़ार कर रहे होंगे / आप जाकर मिल ले /

जी थैंक्यू वैरी मच बोलकर में गैलरी कि तरफ मुद गई , अंदर जाने पर सीधे हाथ पर मुड़ते ही मैंने पाया एक हॉल में कुछ gym इक्विपमेंट रखे थे उन्ही में एक शख्स उलझा सा खड़ा था , सिंपल लुक , कद लम्बा तक़रीबन 5 .11 , शरीर तगड़ा मगर मोटा नहीं, देखने में बिलकुल सिंपल लुक, सब मिला देखने में तंदरुस्त और समानय चेहरे वाले इंसान प्रतीत हुए / शायद वो इंसान इन मशीनों में कुछ ख़ास देख रहा था, उसके हाथ में कुछ पेपर्स थे , उन पेपर्स को वो देखता फिर मशीनों के ऊपर छपे कुछ अक्षरों को ध्यान से पड़ता ।
उन्होंने मेरी ओर देखकर खा चलिए वहां ऑफिस केबिन है वहां बात करते है /

अजीब है ये इंसान मुझे इंटरव्यू को बुला कर खुद हॉल में खड़ा मचिनो से माथा मार रहा है ।।।। सोचती हुए में ऑफिस की तरफ चल दी , ऑफिस केबिन का दरवाजा शीशे का था जिसपर गोल्डन कलर की ब्लाइंड मिरर चढ़ा था , उस दरवाजे पर निगाह पड़ते हे मैंने साफ़ देखा पीछे आ रहे इंसान की आँखें मेरी हिप्स पर गड़ी थी । मेरे पीछे पीछे आता हुआ वो मेरी हिप्स को घूर रहा था,
उसकी निगाह को भांपते हे अचानक एक सिरहन सी अंदर दौड़ गई , यु लगा जैसे कोई हलके से मेरे हिप्स के बिच की लाइन से ऊपर की और उठती हुई दो गोलाइयों को छू रहा हो। वहां. ठीक हिप्स की बिच वाली लाइन के आस पास का हिस्से में जैसे खून का प्रेशर अचानक तेज हो गया हो , और में साफ़ वहां हलकी सिरहन महसूस कर रही थी,
अजीब बात थी । बिना उनके छूए मुझे अजीब सा छूने जैसा एकसास हो रहा था, जैसे कोई बहुत हलके से नंग त्वचा पर अपने नाख़ून की टिप से नाज़ुकता से धीरे धीरे सहला रहा हो, इतना धीरे की त्वचा पर बिना दबाब दिए , हमारी त्वचा को छुए जाने जैसा अहसास हो /
पता नहीं कभी आपको भी ऐसा महसूस हुआ है की नहीं मगर मुझे उस दिन हुआ ।
न जाने न चाहते हुए भी मेरी चाल जो अब तक इंटरव्यू फॉर्म में तनी हुई थी वो थोड़ी आखिरी कुछ कदमो में लचीली हो गई और हलकी बलखाई / शायद उन्होंने मेरी चाल में आये बदलाव को जरूर महसूस किया होगा तभी उन्होंने शीशे की तरफ मेरे चेहरे को देखा / उनकी निगाह मेरी निगाह से टकराई और में हड़बड़ा गई, और हड़बड़ाते हुए मैंने मुँह फेरा की निगाह से निगाह का मिलना टूटे /

उनकी निगाह से से अलग होते होते मैंने साफ़ देखा की वो भी हड़बड़ा गए थे / और निगाह फेर रहे थे /
मुझे खुद पर एक दम खीज आई ।
ओह शिट।।। ओह अनीता ये क्या बेवकूफी कर बैठी , केबिन में उनको पहले जाना चाहिए तो में क्यों आगे चल रही हूँ, क्या कर रही हूँ , मन ही मन सोचते हुए में बड़बड़ा दी ,''' क्या है ::''

और एक दम से में दरवाजे से हट गई / वो नीचे मुंह किये केबिन के अंदर मेरी बगल से होते हुए दाखिल हो गए /

पीछे पीछे मैंने भी कदम बड़ा दिए /
बैठिये मिस अनीता ,, उनके कहने पर में उनकी ऑफिस टेबल के शामे रखी ४ चेयर्स में से एक पे ठीक उनके सामने बैठ गई /
Nice story
 

Etrnlvr

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UPDATE -5

मैंने अपने डाक्यूमेंट्स की फाइल उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा

सर आई ऍम अनीता शर्मा ,ये मेरे डाक्यूमेंट्स है .


हेलो अनीता , आई ऍम समर गुप्ता , कहते हुए उनहोंने मेरी फाइल ले ली,

कुछ सवालों के साथ मेरा इंटरव्यू ख़तम हुआ ,
बात ही बात मे ये जान गई कि समर गुप्ता जिम कि मशीनो मे मार्किट डील करता है
मेरा काम स्पेयर पार्ट और मशीनो कि एंट्री डाटा त्यार करना था l
मुझे काम पसंद आया और अगले दिन से मुझे जॉब ज्वाइन करने कि डेट मिल गई /
समय गुजरता गया लगभग 2माह बीत गए /सब कुछ ठीक ही चल रहा था, सोमवार, बुधवार और शुक्रवार यर 3 दिन सुबह 10 से 12 के दिन और समय के चक्र मे जिंदगी के 2 माह कब गुज़र गए पता ही ना चला l इन दिनों ऐसी कोई बात नहीं हुई जिसपर आज मे कह सकूँ कि मैं समर गुप्ता कि तरफ जरा भी आकर्षित हुई थी l
अक्सर काम करते और डाटा एंट्री करते हुई डाक्यूमेंट्स मे मुझे थोड़ा बहुत इंग्लिश कि ग्रामर या स्पेलिंग मे कभी कभी मिस्टेक मिल जाती थी जो यक़ीनन समर गुप्ता ने लिखी या त्यार कि थी l
एक रोज बस युं ही बातो बातो मैंने समर को बोल दिया कि सर आप डाक्यूमेंट्स फेयर मत करा करो ,आप रफ़ वर्क ही मुझे दिया करो, मै उसको फेयर करके फिर एंट्री कर लिया करूंगी l
समर ने मुझे यूँ देखा जैसे मै एक एलियन हूँ
और गम्भीरता से पुछा.... क्यों ?

मै पहले थोड़ा झिझकी फिर मैंने बोल ही दिया
सर वो डाक्यूमेंट्स मे इंग्लिश स्पेलकिंग एरर आ जाते है कभी कभी l मै उसको ठीक कर दिया करूंगी
...
वो एक कहावत है ना कि किसी पागल को पागल मत बोलो वरना वो आपकी ले लेगा l
बस मेरा बोलना था कि समर के हावभाव एक एक बदल गए l
थोड़े सख्त शब्दो के साथ समर ने मुझे नवाज़ा “ऐसा है मिस अनिता मुझे मालूम है अपनी इंगकीश ज्ञान के बारे मे, वर्क लोड मे अगर कोई एक आदः शब्द मे एरर आ जाता हो तो कुछ नहीं होता,
तुमसे अच्छी ही होंगी मेरी इंग्लिश l कुछ ऐसा ही कहा था समर ने मुझे, उसके सख्त रवैया मुझे बिलकुल पसंद नहीं आया l
खुद को कोसती मैं “जी सर “ बोलकर केबिन से बहार आ गई
बेवकूफ आदमी इंग्लिश खुद को नहीं आती और मुझे दाँत रहा है
रात मे सोते वक़्त भी उस बात को मन से नहीं निकाल सकी, अजीब सा गुस्सा आता रहा, सच कहती हूँ दोस्तों खुद को बहुत छोटा महसूस कर रही थी l
मैंने सोच लिया था अगर एक बार और उसने मुझे डांटा या सख्त रवैया मे बात कि तो इस नौकरी को लात मार दूंगी,
यहीं से गलती हो गई मुझसे
अब मै उसकी हर बात पर ध्यान देती थी कि उसका रवैया या शब्द कैसे है, और 5-6 दिन मे उसपर ध्यान देने से मै उसको जानने लगी l किसी को जान लेना और पहचान होने मे बहुत अंतर होता है. जिसको जितना जानो वो उतना ही करीब लगता है, कुछ ही दिनों मे उनकी आदतो के बारे मे भी खुद ब खुद जानने लगी.
साधारण सा jeevan है उनका, साधारण खान पान, साधारण पहनावा, सब कुछ बिलकुल सिंपल सा.
एक दिन वो एम्पलॉईस का सेमिनार ले रहे थे और बीच बीच मे सबको अपनी बातो से हसा भी रहे थे, उनकी साधारण सी मुस्कुराहट को देखते ही मुझे अब वो बिलकुल ऐसे लगे जैसे हाँ मै तो जानती हूँ उन्हें, एक अपनापन रखा जुड़ाव ना जाने क्यों अब मै उनके प्रति महसूस कर रही थी l
मेरी उम्र 21 और उनकी 40 के करीब होंगी l
फिर भी ना जाने क्यों अब मै उनकी तरफ खिंच रही थी l
ये प्यार था ऐसा भी नहीं था. मगर कुछ तोह था जो मुझे उनकी तरफ और ज्यादा दिन ब दिन खींच रहा था l
क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ? मुझे बताना /
अगला अपडेट मेरे उनसे खुलने और सेक्स रिलेशन मे शुरुआत पर होगा, पूरी कोशिश करूंगी, 4 पेजेस का अपडेट करू l

उम्मीद है आप लोगो को मेरी आत्मकथा पसंद आ रही होंगी
क्या मे डर्टी वर्ड्स इस्तेमाल करू? सेक्स रिलेशन अपडेट मे ......
अपनी आत्मकथा को बहुत फील से लिखना चाहती हूँ दोस्तों मगर इससे मेरी कहानी बहुत ज्यादा लम्बी खिंच जाएगी. इसीलिए शब्दों को कम इस्तमाल करते हुई अगले अपडेट थोड़ा जल्दी सेक्स रिलेशन कि तरफ ले जाउंगी. क्या ये ठीक होगा?
Yes 🥰
 

Etrnlvr

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आप दिल खोलकर लिखिए बहुत अच्छा लिख रही है , खुलकर लिखेंगी तो जो भी आपकी आप बित्ति है वो निखर कर सामने आएगी, आपकी कहानी कितनी भी लंबी खिंचे कोई प्रॉब्लम नही बस आप लिखिये और हमे पढ़ने का मौका दे
Nice 👍
 

Etrnlvr

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आप दिल खोलकर लिखिए बहुत अच्छा लिख रही है , खुलकर लिखेंगी तो जो भी आपकी आप बित्ति है वो निखर कर सामने आएगी, आपकी कहानी कितनी भी लंबी खिंचे कोई प्रॉब्लम नही बस आप लिखिये और हमे पढ़ने का मौका दे
Nice 👍
 

Etrnlvr

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UPDATE -6

एक रोज मैं १२ बजे ऑफिस से निकली और बहार सड़क पर खड़ी थी , थोड़ा जाम था सड़क पर , मुझे बस सुभाष नगर मेट्रो स्टेशन तक हे जाना था वहां से १०-१५ मिनट का हे रास्ता था वेस्ट उत्तम नगर का मेट्रो से ,

अचानक मैंने एक आवाज़ सुनी

गई नहीं आप अभी ? मैंने पीछे देखा तो समर खड़े थे /

जी बस जाम है उस पर जाकर मेट्रो की तरफ जाउंगी , मैंने उत्तर दिया /


किस तरफ जाओगी आप ? समर ने पुछा तो मैंने बता दिया सीधे घर जाउंगी सर , वेस्ट उत्तम नगर

----

मैं नज़फगढ़ जा रहा हूँ चलो आप को वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के निचे ड्राप कर दूंगा /

समर की बड़ी हे बेबाकी से कह दिया , मुझे अजीब तो लगा पर मना नहीं कर सकी/ बस इतना बोल पाई " प्लीज सर आपको बेकार तकलीफ होगी "


अरे तकलीफ कैसी ।

मैं तो जा रहा हूँ उस तरफ / चलो छोड़ दूंगा और रास्ता भी कट जायेगा मेरे और ये कहते हुए समर मुस्कुरा दिया

वही जनि पहचानी मुस्कराहट / मैं थोड़ी देर देखती रही उनकी तरफ /

हाँ बोलो क्या हुआ, समर की इस आवाज़ ने मुझे उस देखने से बहार निकाला/

जी जी सर जी बिलकुल ।।ये बोल मैं झेंप गई और मुस्कुरा भी दी


गुड गर्ल ।।यही कहा था समर ने मुझे आज भी याद है और समर कार की तरफ मुड गए मुझे पीछे आने का इशारा किया , मैं भी उनके पीछे चल दी /

सच बताऊं आपको दोस्तों उस वक़्त सच में कुछ धकधक थी मेरे दिल में , और हलकी सी ख़ुशी भी , कुछ मिला जुला अहसास था /

तितली सी दिल और पेट में उड़ रही थी , मेरी चल अपने आप फिर लचीली हो गई गई , मैं साफ़ महसूस कर रही रही कि न चाहते हुए भी मेरे हिप्स हलके हलके बलखाने लगे थे /

मैं साफ़ अपने हिप्स की गोलाइयों को लचीलेपन के साथ ऊपर निचे बलखाते मह्सूस कर रही थी , मेरी चाल में जैसे मेरे खिलाफ बगावत कर दी थी और मेरी थाइज़ का अंदर का पार्ट चलते वक़्त बलखाने के साथ हर कदम में मिलने लगा था ,

मैंने फिर संभाला खुद को मगर उसी वक़्त दांये हिप्स के हलके घुमावदार बलखाने के कारण एक अजीब सा अहसास जो मेरे अंदर पैदा हुआ वो मुझे खुद एक रोमांच दे गया और जानते हो आप लोग अगला कदम मैंने खुद न चाहते हुए भी बहुत हे बांये हिप्स को घुमावदार उठाव के साथ लिया ,

मैं खुद पर मुस्कुराई और फिर उसी लचीलेपन के साथ पीछे पीछे चल दी, करीब ५० मीटर चलने के बाद एक ओपन पार्किंग नज़र आई, जहां कुछ कार पार्क की गई थी /


कार का दरवाज़ा खोलते हुए समर ने कहा आइये /

और मैं उस कार में समां गई /

मैंने धीरे से समर की तरफ देखा वो बड़े ही आराम से कार को बैक करके मुख्य सड़क पर ला रहे थे , उनका अंदाज़ में साफ़ प्रतीत हो रहा था कि वो जता रहे है जैसे वो मुझपर धयान नहीं दे रहे , मगर उनकी चोर नज़र धीरे से कुछ बार मेरे सिनेकी ३४ B साइज की उभरी गोलाइयों के दीदार कर चुके थे , मुझे उनकी नज़र में चोरपन अच्छा लग रहा था ,

धीरे से मैंने खुद को सीट में इस तरह धंस के पोज़ किया जैसे मैं ठीक सामने देख रही हूँ मगर समर की तरफ से मेरे सिने की उभार समर को साफ़ उभरे दिख सके /

और ५ सेकण्ड्स बाद हे फिर समर की चोरनिगाह मेरे उभार पर पड़ी और मेरे निपल के अंदर हलचल सी मैंने महसूस की , खून का दौरा तेज होते और निपल को बगावत करते हुए थोड़ा सख्त होते महसूस किया /

जैसे मेरे निप्पल मुझसे बोल रहे हो अनीता यू अरे अ बिच/ जो एक ४० साल के इंसान की मौजूदगी के कारण उतेज्जित हो रही हो , डूब के मर जाओ /

मगर जो हो रहा था वो सच था , कोई प्यार व्यार की भावना मेरे मन में नहीं थी मगर एक उतेजना जरूर मेरे दिल और दिमाग पे धुंध की तरह छा चुकी थी जिसके कारण मेरे सोचने और समझने की शक्ति पर एक स्याह पर्दा पद गया , जो जल्दी हीएक अनोखे अनुभव में बदलने वाला था /


दोस्तों इससे पहले भी मेरे कुछ सेक्स रिलेशनशिप हो चुके है , जिनके बारे में अभी नहीं बता पाऊँगी , धीरे धीरे आगे सब बता दूंगी /


((बस आप लोग इतना जान लो ।

फरीदाबाद के YMCA इंजीनियरिंग में एडमिशन के बाद कुछ दिन एक PG में रुकी थी अपने कुछ दोस्तों के साथ, Gurgaon में, मगर अफ़सोस अगले हफ्ते हे मेरे दोस्तों ने PG छोड़ दिया उनको कॉलेज के पास हे अचानक एक अच्छा PG उपलब्ध हो गया था /

मैं ३ मनथस का पेमेंट दे चुकी थी जो वापस नहीं हो सकता था इसीलिए मुझे रुकना पड़ा, वहां के PG ओनर (नाम नहीं लिखूंगी अभी ) जो हरयाणा का जाट था के साथ सेक्स काउंटर हुआ जो मेरी मर्जी के अगेंस्ट था , मेरे न चाहने पर भी उसने जो किया अभी नहीं बता सकती / सोचलर हे गुस्सा आ जाता है / मगर बाद में लिख दूंगी,

कोशिश करूंगी वो किस्सा फील के साथ लिख सकू, पुलिस FIR भी हुई थी NGO ने भी मदद की मगर मुझे केस वापस लेना पड़ा एक माफ़ी नामा लिखकर / पेरेंट्स को भी पता चला और दोस्तों को भी /


इन सबसे निकलने में अमित नाम के फ्रेंड ने मेरी बहुत मदद की थी उससे भी सेक्स रिलेशन बना,

फिर साहिल नाम का एक बॉयफ्रेंड और बना /

समर के जिंदगी मे आने से बहुत कुछ मैंने जिंदगी जीने के सच के बारे मे सीखा और समर के जाने के बाद एक सरकारी जॉब के अप्लाई भी किया जो ईश्वर के द्वारा गिफ्ट मे मुझे मिल गई /

2 साल बाद उस जॉब को छोड़ अब अपने Mtech पर ध्यान दे रही हूँ, और ना जाने क्यों अपनी जिंदगी के कुछ हिस्से को आपके सामने रख रही हूँ l

समर के बाद एक लड़का Shabad Khan से भी मुलाक़ात हुई, जो meet4u dating app मे मुझे मिला, उससे बात हुई तो वो भी उत्तम नगर का ही निकला,, Gym instructor है वो और 4 बार उसके फ्लैट मे जाना हुआ और एक मुस्लिम के नीचे अपने शरीर के पिसने का अहसास भी लिया.))

अब ये समर का किस्सा था । तो ये नहीं कह सकते की इस वक़्त मैं वर्जिन थी, हाँ कई बार सेक्स का सुख और दुःख भोग चहकने के बाद न जाने क्यों मेरे आकर्षण किसी matured इंसान की तरफ खींचने लगा है, और ऐसी कमी को समर और उसकी वो निगाह पूरी कर रही थी शायद इसीलिए मैं ज्यादा उत्तजित हो रही हूँ इस वक़्त कार में उसके साथ बैठे हुए /

इस वक्त मैंने जीन और टॉप पहना हुआ था ग्रीन टॉप, याद ह मुझे अच्छी तरह, जो पूरी तरह मरे कमर की कर्व्स और सिने के उभारो को नुमाया होने में मदद रहा रहा था ,

यही कारण भी होगा जो समर बार बार न चाहते हुए भी अपनी मर्यादा के आगे निकल अपनी हे एम्प्लोयी के शरीर के ख़ास हिस्सों को चोर की तरह अपने वज़ूद से गिरकर घूर रहा है /

अब कार तिलक नगर मेट्रो स्टेशन को पीछे छोड़ती हुए जनकपुरी की तरफ बाद रही थी ,

मैं किसी एम्प्लोयी को अपनी कार में लिफ्ट नहीं देता , समर के इन शब्दों ने मेरा ध्यान उसकी बातो की तरफ किया ।।। मगर आज न जाने क्यों तुमको लिफ्ट दी है ,कहकर वो खुद हीअपनी बात पर हंस पड़ा ,

मैं मन ही मन बोल पड़ी " आखिर आदमी आदमी ही होता है , उसकी जात उसकी दोनों टांगो के बीच लटक रही होती है जो तुम्हारी भी है मिस्टर समर , अब देखना ये है की तुम्हारी जात का ढोल कितना बड़ा है /

ये सोच कर मैं खुद हे जोर से हंस पड़ी । ।। वो मेरी तरफ देखने लगा और इस देखने में हसने के कारण मेरी हिलती छातियों को भी फिर एक बार घर लिया ।।।


जी जी सर मैंने खुद की हंसी रोकते हुए बोलै, जी सर मैं जानती हूँ आप अच्छे इंसान है

हम्म्म समर ने आवाज़ दी , नहीं अनीता तुम उन सबसे अलग हो,

कुछ तो ख़ास तुम्हारे में जो में आज तुम्हारे साथ हूँ ,


में कुछ न बोल पाई बस चुपचाप उसकी ओर देखती रही ।।।। जी सर थैंक्स ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यही बोल निकले थे मेरी जुबान से /

उत्तम नगर पूर्व मेट्रो वाले चौराहे पर जाम ज्यादा ही था, तो समर नर मुझे कॉफ़ी के लिऐ पुछा, मैंने हाँ मे सिर हिला दिया l

समर ने हल्का बैक टर्न करके गाड़ी विकासपुरी , जो कि उत्तम नगर के करीब ही है, कि तरफ मोड़ ली l

थोड़ी हि देर मे हम एक डोसा कार्नर के सामने थे,

बरहाल समर के साथ मे डोसा सेंटर के अंदर चली गई, साफ लग रहा था कि उस जगह का वेटर समर को अच्छी तरह जानता है, वो काफ़ी मिलनसार और हसमुख था सो हमारी खातिर कुछ स्पेशल ढंग से कि गई, बार बार उस वेटर का आना समर से हर बात पूछना, मेरा स्पेशल सा ख्याल रखना,

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क़ि बाकि कस्टमर से ज्यादा मै वहाँ स्पेशल हूँ l I totally impressed..
Nice story
 

Etrnlvr

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UPDATE -7

जो भी था उस रोज़ मुझे अच्छा लगा , और थोड़ी देर बाद जब समर ने वेटर को टिप दी जो टिप के रूप में ज्यादा ही थी उसको देखकर में समझ गई कि क्यों वो इतना ज्यादा ख्याल हमारी टेबल का रख रहा है /
जाते जाते समर ने मेरा हाथ धीरे से पकड़ा और मुझे उठने में मदद की, जो जरुरी नहीं था मगर में इतना तो जान ही गई थी की समर की तरफ से ये पहले कदम है मेरी तरफ , न चाहते हुए भी में हल्का सा मुस्कुरा गई , और खड़ीहोकर समर के पीछे चल पड़ी उसकी कार की तरफ /

समर ने मेरे अंदर बैठते हे कार वेस्ट उत्तम नगर की ओर दौड़ा दी /

अनीता क्या करती हो आप जॉब के बाद ये सवाल समर ने किया
जी सर Btech आपको बताया है पहले ।मेरे ये कहने पर समर मुस्कुरा दिया ,
अरे नहीं नहीं ।।में पूछ रहा हूँ पड़े के अलावा क्या करती हो आप ,,मतलब आपकी होब्बी क्या है

ओह्ह्ह ।।। जी सर।।में बास्केटबाल खेल लेती हूँ ओर डांस भी पसंद है मुझे ,,मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया /
कब खेलती हो आप।।

संडे मॉर्निंग कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स चली जाती हूँ, वहीँ बस थोड़ा बहुत बास्केट बॉल हो जाता है /


ओके ओके नाइस ।। में भी सोच रहा था थोड़ा सुबह सुबह जॉगिंग फिर शुरू कर दू , क्या ख्याल है आपका ?
इस सवाल का मै भला क्या जवाब देती ,बस इतना बोल पाई ।।जी हाँ सर ये तो बहुत अच्छा है ,वैसे आप फिट लगते है /
अब मुझे दिमाग में हिट हुआ की मै ज्यादा बोल रही हूँ,

थैंक्यू अनीता ,,, फिर भी सुबह की जॉगिंग की बात अलग है /

जी सर यू आर राइट ।,,,मेरे इतना कहने पर समर बोल पड़े ।।तोह अगर आपको बुरा न लगे तोह आपके स्पोर्ट काम्प्लेक्स कल सुबह चले ,,आपपका साथ भी हो जायगा ,,अरे आपके बहाने मेरी जॉगिंग फिर शुरू हो जायगी / एक दिन में जॉगिंग की आदत पद जायगी तोह हम अलग जायेंगे ,फिर न आपको परेशान करेंगे।। कहकर वो हस दिए,

मुझे बड़ा अजीब लगा ये सब मगर बात इस अंदाज़ से रखी थी मेरे सामने कि मै मना न कर सकीय /

जी सर बिलकुल , कल संडे है तोह आप आ जाइये सुबह ६ बजे कीर्ति नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स ।।।

मेरी इस बात पर वो मुस्कुरा दिया , ऐसा करते अनीता मै आपको सुबह यहां से पिक कर लेता हूँ, ये शब्द जैसे ही मेरे कानो से टकराये मै चौंक पड़ी, कियुँकि कार अब वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन के ठीक निचे बने डोमिनोस पिज़्ज़ा पॉइंट के सामने थी ,

जी जी मैंने हकला कर कहा
तोह वो मुस्कुरा कर बोले अरे अनीता यहां से ।इस मेट्रो के निचे मिल जाना सुबह ५।३० बजे , ओके साथ चलते है, ओके


जी सर , मेरे ये कहने से मैंने साफ़ देखा जो उसके चेहरे पर अजीब से ख़ुशी भरे भाव एक दम आये थे वो कोई पागल भी समझ सकता था कि समर का फेका हुआ तीर सही निशाने पर लगा है ।।
Nice story Domino's Pizza 🍕
 
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