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Adultery MERI ATAMKATHA (Jo Likh Rhi Huun, Wo Sach hai)

malikarman

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UPDATE-12

समर ने धीरे से एक हाथ मेरे हाथो पर रखा और मेरे हाथ की उंगलिओं को हलके से दबा दिया /
मैंने भी आँखें बंद की और सोचना बंद किया , जो हो रहा है वो कितने गलत है या सही , अब ये बात मायने नहीं रखती बल्कि मन को भा गया था ये सब और दिल ने दिमाग को शांत रहने का इशारा भी कर दिया था , और दिमाग ने शान्ति के साथ दिल को शरीर के साथ मिलकर अपनी मर्जी करने का अधिकार दे दिया /

9 ब्ज़े समर ने वापस मुझे वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे डोमिनोस पिज़्ज़ा के सामने छोड़ दिया, इस बिच हम बीएस घूमते रहे बाइक पर , में उनसे लिपटी बस समय की धाराओं में बहती रही , और वो मुझे लिए यहां वहां घूमते रहे ,
और कुछ नहीं हुआ था उस रोज , कुछ नहीं....

मगर अगले दिन ऑफिस में समर का व्यवहार अब पहले की तरह नहीं था , अब मुझपर वो ख़ास मेहरबान था , अपने केबिन में बुलाकर मुझसे किसी न किसी बहाने से बात करना , मुझे जोक पर हसाना , मुझे प्यार से घूरना , और बहुत कुछ जो शायद में इस वक़्त ब्यान नहीं कर पाऊँगी ,
बरहाल में अपने समय से १२ बजे ऑफिस से निकल गई और इस बिच समर ने मुझसे शाम को मिलने का वादा ले लिया था ,
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उस शाम समर का कॉल आया , और मुझे वापस वेस्ट उत्तम नगर मेट्रो के नीचे मिलने जाना था , जैसे कि मैंने उनसे वादा किया था , मैंने जीन और ग्रीन टॉप पहना था बस यूं ही में घर से निकल गई , मेट्रो के नीचे पहुंची तो समर को उसी बाइक पर खड़े पाया , मन मेँ मेरे अचानक ख्याल आया कि सब देखेंगे कि में किसी ४० आगे के शख्स के साथ चली गई , मर अगले ही पल मैंने उस ख्याल को दिल से हटा दिया " कोई नहीं सोचेगा , जो देखेगा तो यही सोचेगा कि कि अंकल है मेरे" खुद को मन ही मन यही तस्सल्ली देते हुए मै समर कि तरफ तेजी से बढ़ चली , मेरे गुलाबी होठो पर खिलती मुस्कराहट ने समर का स्वागत किया / और समर कि बाइक पर बेथ उड़ चली ,
थोड़ी दूर तक संभल कर बैठी रही कियुँकि जान पहचान वाले देख सकते थे , मगर थोड़ी दूर बाद , मैंने दोनों हाथ समर कि कमर पर लपेट लिए और समर कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रहा था , हलकी शाम करीब ७ बजे थे उस वक़्त , समर मुझे विकासपुरी मै स्थित सोनिया पीवीआर सिनेमा के कंपाउंड मै ले आया था ,


Picture of PVR Vikaspuri

में पहले भी कई बार यहां आ चुकी थी , और ये जगह मुझे पसंद है ,
समर ने मुझसे पुछा कुछ खाना चाहोगी तोह मैंने मुस्कुरा कर " सिर्फ कुल्फी " बोल दिया ,
नहीं नहीं कुल्फी से सिर्फ काम नहीं चलेगा , कुल्फी ने अगर तुम्हे ठंडा कर दिया तो मेरा क्या होगा ,,कहके वो खुद ही अपने आप हंस दिए ,
उनकी इस बात पर में भी जोसे हंस दी , फिर कुल्फी ले ली गई और वहीँ घूमते घूमते हमने थोड़ा समय बिताया , कभी पथ्थर कि बेंच पर बैठे तो कभी ठहलते हुए पीवीआर के अंदर चले गए , बस एक घंटा कब गुज़र गया पता ही न चला ,

धीरे धीरे हम टहलते हुए पीवीआर कि साइड से गई सड़क पर आ गए जिसको बैंक रोड खा जाता है , वहीँ पर पार्क है जो काफी बड़ा है / समर पार्क के गेट से अंदर कि तरफ मुद गया और में उनके पीछे पीछे पार्क के अंदर आ पहुंची , पार्क मै यू तो काफी लाइट्स थी मगर पार्क के बड़े होने के कारण लाइट कि वयवस्था पूरी नहीं है ये वहां फैला अँधेरा बता रहा था , थोड़ी देर टहलते हुए हम हलके अँधेरे मै पहुँच गए और समर ने मेरा हाथ पकड़ लिया ,

मेरी आँखों मै देखता हुआ समर कुछ बोलना शुरू कर ही रहा था कि मैंने पुछा "क्या चाह रहे हो?"

तो बता दू ? समर कि आँखों मै मुस्कान थी मगर उसके हाथ साफ़ महसूस हो रहे थे कि हलकी कम्पन है .
हम्म मैंने हाँ मै सिर हिला दिया ..

समर के दोनों हथेलीयो मेरे चेहरे पर हलके से कस गई ,
मेरी सांस को मैंने साफतौर पर तेज होते महसूस किया जैसे मेरी साँसों ने मेरे सीने से बगावत कर दी,

में जानती थी अब क्या हो सकता है / और समर के गर्म ( सच मै) होठो को मैंने अपने कोमल होठो पर महसूस किया ,

मेरे होठो जैसे दबे जा रहे थे उनके होठो के भार से और अचानक जैसे वैक्यूम प्रेशर से बड़े सलीके से मेरे होठो को उनके दो होठो ने खींचा
तो मेरे होठ हलके O के शेप मे उनके होठो के बीच खींचते हुए पेवस्त हो गए , होठ के अंदर जैसे मांस दब गया हो ,
हलकी सी खींच से वहां हल्का दर्द पैदा हुआ और अगले ही पल , बिना किसी अल्टीमेट के समर के होठ हलके से और खुले और उसके दांतो ने मेरे दोनों होठो पर एक साथ हमला कर दिया , दांतो कि चुभन और होठो का दबाव कि मेरे होठो को अपने आप न चाहते हुए भी O के शेप मे पिसते हुए घिसते हुई चुभन का अहसास से गुजरना पड़ा ,

तभी समर कि इस हरकत से में चौंक गई ,
उसकी जुबान सख्त होती हुई मेरे खुले शेप्ड होठो के बिच टर्की और किसी सांप कि तरह मेरे होठो के बीच गुस्ती चली गई ,
मेरे मुंह से सिसकारी निकला छह रही थी मगर जुबान ने अपना काम शुरू कर दिया था ,
उनकी जुबान मरे दांतो के ऊपर सख्ती से लहराई और दांतो को चाटती हुई दानन्तो के बितर प्रवेश कर गई ,

गीली जुबान का अहसास , मेरी आँखें खुद बंद होने लगी , और जुबान ने मेरी जुबान को ढका दिया फिर मेरी जुबान के नीचे घुस मेरी जुबान के नीचे जहां जुबान का निचला हिस्सा कि दिवार होती है उसे पुरे जोर से पीछे कि तरफ धकेलने लगी ,

इस हरकत से मुझे लगा मेरी जुबान के नीचे जो झिल्ली सी है वो आज क्रैक हो जायगी ,

मैंने मुंह घूमना चाहा तो समर के हथेलियों ने मेरे चेहरे को कास लिया कि मई अपना चेहरा घुमा नहीं सकती थी ,
तभी जुबान बलखाई और मेरी जुबान के साइड से फिसलते हुए ऊपर आ गई अब साफ़ लगा कि समर ने अपने मुंह पूरा खुला और अगले ही पल मेरे होठो के आस पास का मांस का हिस्सा भी अपने मुंह के भीतर भर लिया ,

मेरे मुंह से गु गुं गु गु कि हि बस आवाज़ निकल प् रही थी,

अब बiरी थी मेरे होठो के मर्दन की, जो समर ने शुरू किया अब उसकी जुबान मेरे मुँह मे मेरी जुबान के ऊपर से हलक तक जाने की कोशिश कर रही थी

और उसके दांत मेरे होठो को दबाते चुभते हुए घिसते हुए जैसे खा जाना छह रहे हो ,

उसके होठो गीलापन लिए मेरे होठो और उसके आस पास के हिस्से को भभोड़ रहे थी,

अब उसकी जुबान ने बलखाना शुरू किया , अंदर बहार ऊपर नीचे फिसलती हुई जैसे मेरे मुख के अंदर की मालिश कर रही थी,

जुबान से राल लगातार बहकर मेरे मु से मेरे हलक तक साफ़ जाती महसूस हो रही थी,

उनके होठो से की JANE WALI हलचल और unke hotho ka मेरे होठो को लगातार चूसने से राल मेरे ठोड़ी से बहती हुई गर्दन पर फिसलती हुई नीचे बहने लगी ,

ये कम था कि समर कि एक हथेली को मैंने अपने लेफ्ट बूब्स पर महसूस किया ,नीचे से ऊपर कि ओर होती हुई उनकी हथेली ने मेरे बूब का जैसे नाप लिया हो

ओर अह्हह्ह्ह्ह एक दबाव , हलके से ऊपर कि तरफ खिंचाव के साथ, करंट सा दौड़ गया मेरे शरीर मे,
फुरफुरहट सी तेज गुड़गुड़ाहट के साथ निप्पल मे उत्पन हुई ओर पेटसे होती हुई बिलकुल योनि के ऊपर तक जा पहुंची,

मै न चाहते हुए भी सिसकार उठी ओर झटके से पीछे हुई / ओह्ह्ह में छूट गई थी

वो मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख रहे थे ओर में शर्म मे गाड़ी नीचे देख रही थी

MY Real Boobs

Pics sab delete ho gayi...dobara pics send kijiye
 
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