- 910
- 1,312
- 123
भी सामने वाले की नख-शिख तस्वीर उतारने में सक्षम था। लिहाजा उस काम में मुझे कोई असुविधा नहीं हो रही थी। उस वक्त ग्यारह बजने को थे जब महेश बाली ने वेटर को बिल लाने का इशारा किया। वो इशारा वेटर के साथ-साथ मैंने भी कैच किया। गिलास में बची ब्रांडी को एक ही सांस में अपने हलक में उतारने के बाद मैं उठकर काउंटर पर पहुंचा। जहां मैंने अपना बिल चुकता किया और उन दोनों के उठने से बहुत पहले वहां से बाहर निकल आया। पार्किंग में पहुंचकर मैं अपनी बलेनो में सवार हुआ और सिगरेट के कश लगाता हुआ उनके वहां पहुंचने का इंतजार करने लगा। सोनाली की नेक्सन कार मेरे सामने वाली कतार में पार्क थी, लिहाजा इस बात का कोई डर नहीं था कि वो दोनों वहां से चलते बनते और मुझे खबर ही नहीं लगती। पांच मिनट बाद सोनाली की कमर में हाथ डाले महेश बाली पार्किंग में नमूनदार हुआ। वो नजारा देखकर मेरे तन-बदन में आग सी लग गई! बावजूद इसके कि सोनाली भगत से मेरी कोई यारी नहीं थी। बहरहाल दोनों कार में सवार होकर वहां से चलते बने, तो मैंने अपनी कार उनके पीछे लगा दी। आशियाना से निकलकर उनकी कार दाएं-बाएं होती हुई वसंतकुंज पहुंची और शामियाना अपार्टमेंट के नाम से