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मौका तो मिलेगा! आखिर कटोरे की यही तो नियति होती है।” जवाब में उसने कुछ क्षण मुझे घूरकर देखा फिर बोली, “फास इशारे करने में जैसे पीएचडी किए बैठे हो, इतनी मेहनत अगर धंधे में करते तो अब तक किसी बुलंदी पर पहुंच चुके होते।” “मुझे ऊंचाई से डर लगता है, अलबत्ता गहराई मुझे बहुत-बहुत पसंद है।” “किसी दिन गहाराई में पड़े-पड़े ही जान से हाथ धो बैठोगे।” “परवाह नहीं, जन्नत में दाखिले के बाद मौत का क्या खौफ!” उसने एक लंबी आह भरी फिर बोली, “आज का अखबार पढ़ा! तुम्हारे क्लाइंट की तो लग गई।” “ठीक कहती है, जब से उसकी गिरफ्तारी की खबर पढ़ी है, मेरा दम निकला जा रहा है, ये सोचकर कि अगर वो जेल चला गया तो मेरी बाकी की फीस कौन भरेगा?” “जवाब नहीं तुम्हारा!” इससे पहले कि मैं और कुछ कहता, मेरा मोबाइल बज उठा। स्क्रीन पर कोई अननोन लैंडलाइन नंबर शो हो रहा था। मैंने कॉल अटैंड की तो पता चला डीसीपी ऑफिस से फोन था। अलबत्ता लाइन पर एसीपी पांडे था, जो मुझे