मैंने पहले भी कहा था मै कहानी मे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ के विरुद्ध हूँ
क्योकि कहानी की मूल भावना पाठक से अधिक लेखक के दिलो दिमाग मे रहती है
इसलिए आपसे अनुरोध है कि कहानी की मौलिकता बनाये रख कर अपडेट देते रहे
नही तो एक अशुलिपिक और आपमें कोई अंतर नही रहेगा और मन और मस्तिस्क के बीच तारतम्य नही रहेगा और इस कहानी का हश्र भी मंच की अन्य कहानियों की तरहा हो जायेगा
क्योकि कहानी की मूल भावना पाठक से अधिक लेखक के दिलो दिमाग मे रहती है
इसलिए आपसे अनुरोध है कि कहानी की मौलिकता बनाये रख कर अपडेट देते रहे
नही तो एक अशुलिपिक और आपमें कोई अंतर नही रहेगा और मन और मस्तिस्क के बीच तारतम्य नही रहेगा और इस कहानी का हश्र भी मंच की अन्य कहानियों की तरहा हो जायेगा