Update 2
जैसे ही सब सोसाइटी कंपाउंड में पहुंचे सोढ़ी ने पूरी गोकुलधाम को इक्कठा करा और जय और अवनीत से पूरी सोसाइटी की पहचान करवाई और पूरी गोकुलधाम सोसाइटी ने हमारा स्वागत किआ जिसे देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और साथ ही साथ इतनी सुन्दर औरतों को देखकर बस मन ही मन ये बोलै किस किस को प्यार करूँ
तभी एक नज़र जो जय और अवनीत को देखने की बजाए कही और ही घूम रही थी वो थी जेठालाल की नज़रे जो बबिता के भरे जिस्म को घर रही थी और जिसकी नज़र का पीछे करा तो पाया सिर्फ जेठालाल ही नहीं बल्कि सोढ़ी तारक और भिड़े भी बबिता के जिस्म को कामुक नज़रों से घूर रहे थे
खेर सभी के साथ जान पहचान करीऔर आते ही टप्पू सेना में एंट्री और नए दोस्त भी लेकिन अवनीत जो अभी भी मुझे उतना नहीं देख रही थी और एक मैं जो वहीँ देख रहा था, पर नज़रे और घुमाई तो देखा एक थी जो मुझे यानि जय को देख रही थी,
"चल जय भाई किसी ने तो देखा यहां" जय ने मन ही मन खुश होते हुए कहा
सोनू जो जय को देखकर उसपर फ़िदा हो गए मानो उसे उसके सपनो का राजकुमार मिल गया जिन नज़रों से जय वाकिफ था की कब कोनसी लड़की कितना भाव दे रही हैं आखिर जय शहर का ही लड़का हैं दिल्ली से आया हैं इतना जानकर तो वो अब बन ही चूका था पर जिस लड़की को मैं यानि जय भाव दे रहा था वहां से लाइन मिल ही नहीं रही थी
पर जो लाइन दे रही हैं उसी फिलहाल क्यों ही जाने दिया जाये ये सोचते हुए जैसे सभी गोकुलधाम वासी वहां से जाने लगे और मैं भी अंदर चल दिए रीटा दीदी के पीछे उनकी मटकती मदमस्त गांड देखता हुआ
"कुछ भी कहो दीदी आज भी उतनी ही मस्त हैं, ना जाने कौन चोदता होगा, क्या मैं कोशिश करूं? वैसे मेरे लुंड के उभार को दीदी ने महसूस तो किआ ही होगा, " सोचते हुए जय रीटा की मस्त गांड का पीछा करने लगा और एक गहरी सांस लेता हुआ घर में दाखिल हुआ
"ये हैं तेरा कमरा" कहते हुए रीटा दीदी ने कमरे का दरवाजा खोला
"ओह्ह तो हम अलग अलग कमरे में सोएंगे?" मैंने थोड़ा मज़ाक के मूड में कहा
"ओह्ह शरीफजादे, तेरी सारी हरकते जानती हूँ" रीटा दीदी ने कमर पर मुक्का मरते हुए कहा
"पर बचपन में एक कमरा उसमे लड़ाई" मैंने मस्ती के साथ कहा
"और अब हम बड़े हो गए"रीटा दीदी ने जवाब देते हुए कहा
"हाँ ये तो सही कहा अपने" रीटा दीदी की चूचियों को देखते हुए कहा
"अच्छा जी, ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा तू कुछ " रीटा दीदी ने आँखें दिखते हुए कहा
"ध्यान तो कोई और ही दे रहा हैं" मैं अपना सामान रखता हुआ बोलै
"तू रुक मैं बताती हूँ तुझे" रीटा दीदी मेरी भागी
जैसे ही वो मेरी तरफ भागी मैं भी उनसे बचने के लिए भागने ही वाला था की उनका पैर मेरे बैग से टकराया और वो मेरे ऊपर आकर गिरी और मैं पलंग पर, रीटा दीदी की चूचियां मेरे सीने में दफ़न हो रही थी, मेरे हाथ उनकी कमर पर थे और उनका चेहरा मेरे चेहरे की बिलकुल करीब जिससे मैं उनकी और वो मेरी सांसें महसूस कर पा रहे थे
एक दूसरे की आँखों में खोये हुए उनकी साँसों को महसूस करते हुए मेरा लंड रीटा दीदी की चुत पर चुभने लगा, उस समय हम बस एक लड़का और लड़की थे सब भूल कर, मोके का फायदा उठाते हुए, मैं अपने होठो को रीटा दीदी के कोमल होठो के पास ले जा रहा था थोड़ा सुरूर उन्हें भी था शायद जो वो भी गरम साँसों से मदहोश होकर मेरे और करीब आई और हमारे होठ एक दूसरे के होठों से टकराने ही वाले थे की उससे पहले उनका हाथ मेरे गाल पर टकराया
"तू ना सच में पागल हैं" कहते हुए रीटा दीदी मेरे ऊपर से उठने लगी "मैं नाश्ता बना रही हूँ फ्रेश होकर आजा साथ में नाश्ता करते हैं" कहते हुए वो कमरे से बहार चली गई
मैं अब तक बिस्तर लेटा सोच रहा था शायद थोड़ा जल्दी करता तो उनके होठ चूम लेता, सोचता हुआ गहरी सांस लेता हुआ मैं बाथरूम में घुस गया
*** सोसाइटी ऑफिस ***
भिड़े अपने ऑफिस के कुछ डाक्यूमेंट्स ढूंढ रहा था जो उसे लेकर कही जाना था पर के फाइल्स में भी ढूंढ़ने के बाद वो नहीं मिल रहा था,
"कहा रख दिया वो पेपर" कहते हुए भिड़े के माथे पर शिकन आने लगी थी की उसके कानो में आवाज़ पड़ी
"भिड़े भाई क्या मैं अंदर आ सकती हूँ" रोशन सोसाइटी ऑफिस के गेट पर खड़े हुए बोली
"अरे रोशन भाभी, आइए आइए आपको परमिशन की जरूरत थोड़ी हैं" कहते हुए भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो गया
"वो भिड़े भाई रोशन ये मेंटेनन्स का चेक देकर गया मैंने आपको यहां आते हुए देखा और मुझे नीचे कुछ काम से आना था तो सोचा यहीं आपको दे देती हूँ"कहते हुए रोशन भिड़े को चेक दे देती हैं
"अरे इतनी तकलीफ क्यों रोशन भाभी मुझे कह देती मैं खुद लेने आ जाता"भिड़े चेक लेते हुए बोलै
"आप पहले ही इतने काम करते हूँ बावा आपको तकलीफ क्यों दूँ और, वैसे आप कुछ ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूं?"रोशन आगे भड़ते हुए बोली
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी बस एक जरूरी पेपर हैं म्युनिसिपेलिटी का बस वही देख रहा था मिल नहीं रहा और मुझे थोड़ा जल्दी भी जाना हैं" भिड़े फाइल्स में देखते हुए बोलै
"आप कुछ फाइल्स मुझे दे दिजिया, मैं भी देख लेती हूँ"कहते हुए रोशन टेबल के सामने आ गई
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी" भिड़े इतना ही बोलता हैं की रोशन एक फाइल उठा लेती हैं
"रोशन भाभी ये वाली फाइल मैंने देख ली आप ये दूसरी फाइल देखिए" कहते हुए भिड़े एक फाइल आगे सरका देता हैं
"भिड़े भाई क्या ये वाला हैं वो?" रोशन उस फाइल में रखा एक पेपर देख कर बोलित हैं जिसे देखने भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो रोशन के पास पास आकर खड़ा होकर देखता हैं और भिड़े की नज़र रोशन की चूचियों पर जाती हैं, और भिड़े वहीँ खो जाता हैं "भिड़े भाई" कहते हुए रोशन जैसे फाइल थोड़ा आगे करती हैं, रोशन की आवाज़ सुनकर भिड़े थोड़ा हड़बड़ा जाता हैं वो हड़बड़ी में फाइल पर उसका हाथ लगता हैं जिससे सरे कागज़ नीचे गिर जाते हैं
"सॉरी सॉरी भिड़े भाई मैंने आपका काम भड़ा दिआ" कहते हुए रोशन उन कागज़ों को उठने नीचे झुकती हैं और भिड़े भी फिर जल्दी से उन कागज़ों को उठने झुकता हैं दोनों बिलकुल करीब ही थे जैसे ही भिड़े कुछ बोलने के लिए मुँह ऊपर उठता हैं रोशन उसके इतना पास थी की रोशन ने जैसे एक दम से ऊपर देखा भिड़े की तरफ उसके और भिड़े के होठ मिल गए और रोशन की आँखें चौड़ी हो गई
रोशन जल्दी से भिड़े से अलग होती और भिड़े से थोड़ा दूर होकर खड़ी होकर अपने कपडे सही करती हैं
"सॉरी सॉरी रोशन भाभी, मेरा ऐसा कोई मकसद नहीं था" भिड़े हड़बड़ाते हुए बोलता हैं
"कोई बात नहीं भिड़े भाई, मुझे पता हैं, मैं ही कितना करीब आ गई इन सबमे की मैंने भी ध्यान नहीं दिआ" रोशन भिड़े को शान होते हुए बोली
"ऍम सॉरी रोशन भाभी" भिड़े फिर से परेशान होता हुआ बोलै
"आप सॉरी मत बोली भिड़े भाई आपकी कोई गलती नहीं हैं" रोशन भिड़े के थोड़ा पास एते हुए बोली
इतने में उसकी नज़र उस कागज़ पर पड़ती हैं और वो कागज़ उठती हैं "ये लीजिए भिड़े भाई यही हैं ना?" कहते हुए रोशन थोड़ा दूर होकर भिड़े को वो कागज़ दे देती हैं"
"हाँ यही हैं, यही तो कबसे ढूंढ रहा हूँ मैं " कहते हुए भिड़े के चेहरे पर हलकी मुस्कन आती हैं और फिर से रोशन को उस अनचाहे चुम्बन के लिए सॉरी बोलता हैं जिसका जवाब रोशन शांत होते हुए देती हैं " कोई बात नहीं भिड़े भाई मैं समझती हूँ, आप शांत रहिये परेशान मत होईये, आपको देर नहीं हो रही?" रोशन कहते हुए कागज़ की तरफ इशारा करा
"हाँ " भिड़े ने जल्दी से सारी फाइल्स को बंद करते हुए कहा "वैसे आप कहाँ जा रही हैं रोशन भाभी?" भिड़े सारी फाइल्स रखते हुए बोलै
"अब्दुल भाई की दुकान से कुछ सामान लेना था बस वहीँ तक अच्छा मैं चलती हूँ भिड़े भाई" कहते हुए रोशन बहार जाने लगी
"थैंक यू रोशन भाभी, और सॉरी उस किस के लिए" भिड़े ने कहा
किस सुनकर रोशन को थोड़ी शर्म आ गई "क्या भिड़े भाई आप भी ना" कहते हुए रोशन आगे भाड़ रही थी जिसे भिड़े ने ग्रीन सिग्नल समझ कर आगे आ कहा "वैसे रोशन भाभी माननी पड़ेगी एक बात सोढ़ी वाकई में बहुत लक्की हैं" और भिड़े ऑफिस का गेट बंद करने लगा वो जनता था इस समय कंपाउंड में उन्हें ना कोई सुनेगा ना देखेगा
"क्या भिड़े भाई आप भी ना, जल्दी जाया लेट हो जाएगा वार्ना बावा" रोशन शरमाते हुए बात को ख़तम करने के लिए बोली
जिसे भिड़े समझ गया और मन ही मन खुश होता हुआ अपने सकाराम पर बैठकर निकल गया और पुरे रस्ते बस उन लम्हों को याद कर रहा था जिसमे रोशन के नाज़ुक होंठ उसके होठो ने चूमे थे, वो इस बात से बेफिक्र था की अगर ये बात सोढ़ी को पता चली तो उसका क्या ही होगा