• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

TheDevilKing

New Member
33
25
18
Update 1
आह आह आह उफ्फ और जोर से थोड़ा और जोर लगाओ, थोड़ा और अच्छे से चोदो मुझे आह,

इन सिसकियों से वो कमरा भर गया था, फच फच्च पच्च पच्च की आवजें उन सिसकियों के साथ उस चुदाई का समां सा बांध रही थी, और जैसे जैसे घडी की सुईं भध रही थी ये सिसकियाँ और बढ़ रही थीं, और साथ में बढ़ रही थीं धक्को की आवाज़ें

Passionate-Sex-1.gif
आह आह बस थोड़ी देर और रुक जाओ प्लीज मेरा बस होने वाला है, कहते हुए वो अपनी टांगें उस शक़्स की कमर से कास लेती है और उसे अपने सीने से लगाते हुए जोर की सिसकारी लेते हुए वो झाड़ जाती है,

आह मैं गई,

और शक़्स अपना सारा पानी उसकी चूत में ही गिरा देता है और साथ में लेटकर जोरो से सांसें लेने लगता है

अहो आज सालों बाद अपने मेरे बाद झाड़ा वार्ना मझ ऊँगली करके ही शांत करना पड़ता है खुद को

फिर तो तुम खुश हो न आज?

हाँ बहुत और उसके होठो को प्यार से चुम लेती है

"अब इसे क्या बताऊं ये कमाल तो आज रोशन भाभी को देखकर हुआ, काश एक बार रोशन भाभी मुझे अपनी चूत मारने का मोका देदे मस्त पेलुँगा" ऐसा मन में सोचता हुआ वो अपने लंड पर हाथ फेरने लगता है...

"लगता है एक और राउंड करने के मूड में हो..." कहते हुए माधवी भिड़े के लंड को पकड़कर हिलाने लगती है...

tumblr_n2v0pnuXfi1t82viro1_400.gif
भिड़े: माधवी तुम्हे तो क्या बस चुदाई ही सूझती है ? अभी तो चोदा तुम्हे फिर भी...

माधवी: अहो इतने सालों बाद अपने मेरे बाद झाड़ा और इतने देर टिके भी, ऐसा मोका फिर कब मिले इसलिए एक राउंड और ?

भिड़े: नहीं माधवी सो जाओ सुबह जल्दी उठकर मुझे पानी भी भरना है , जब देखो बस चुदने की पड़ी रहती है...

माधवी: हाँ तो जब खुजली होती है तो मिटाया करो ना, कहीं पता चले और ही कोई मेरी प्यास भुजा रहा हो फिर भरते रहना पानी, वैसे भी बस ऊपर चढ़कर अपना छोटू सा लंड अंदर दाल देते हो और भी पोज़ होते है और उसमे भी शांत नहीं कर पाते...

भिड़े: अब सो जाएं?

कहकर भिड़े दूसरी और मुँह करके सो गया

"आज जब ये झाड़े तो लगा जैसे एक और बार चोड़ेंगे मुझे, पर एक में ही ठन्डे पड़ गए, खेर कम से कम आज मेरे बाद झाड़े इतना शुक्र है , ना जाने कब मेरी चूत की प्यास अच्छे से शांत होगी " मन ही मन माधवी अपनी चूत सहलाती हुई सो गई

ये नज़ारा था गोकुलधाम के भिड़े हाउस का जहाँ रोज का यही ड्रामा रहता है, पर शुक्र है भिड़े ने आज माधवी को शांत तो किआ, पर नज़ारा तो अब शुरू हुआ है दखते है आगे और क्या क्या गुल खिलते है इस कहने में ...

****

"अय्यर अय्यर सुनो, उठो " बबिता अपनी चूत सहलाते हुए बोली
"क्या बात है बबिता" अय्यर आँखें मलते हुए बोला
"अय्यर परसो तुम महीने भर के लिए चेन्नई जा रहे हो तो क्या आज और कल मुझे अच्छे से चोद सकते हो?" बबिता अपनी चूत सहलाते हुए सवालियां नज़रो से अय्यर को दखते हुए बोली
"बबिता ये कोई टाइम है चुदाई का? और मेरे को अभी बहुत नींद आ रहा है " कहते हुए अय्यर करवट लेकर सो गया
"पर अय्यर मेरा बहुत मन कर रहा है " बबिता अपनी चूत में एक ऊँगली डालते हुए आहें भरते हुए बोली
"बबिता अभी सो जाओ मुझे कल ऑफिस में जरूरी काम से जल्दी जाना है " कहते हुए अय्यर सो गया

और बबिता अपनी ऊँगली से अपनी चूत की गर्मी को शांत करने के लिए अपनी ऊँगली अंदर बहार करने लगी और हलकी हलकी सिसकारी भरने लगी बबिता अपनी चूत में ऊँगली की गति को बढ़ा रही थीं और अपने टॉप को ऊपर करके अपनी चूचियों को मसलने लगी एक हाथ से


img_8816.gif

इस समय बबिता ने ब्रा नहीं पहनी थीं, बबिता ने अपनी कमर हलकी सी ऊपर उठाई और अपनी एक और ऊँगली को चूत में घुसा दिए और अपने निप्पल को हल्का सा पकड़ कर खींचने लगी "आह स्स्स्स उह" सिसकारी भरते हुए बबिता एक और ऊँगली चूत में डालती है और तेज़ी से ऊँगली अंदर बहार करते हुए अपने चुचे को जोर से दबा देती है


9774F8D.gif

कुछ समय यूँ ही अपनी ऊँगली से अपनी चूत चोदने के बाद बबिता अपने बिस्तर से उठी और रसोई की और चल दी, रसोई में जाकर बबिता ने फ्रीज में से एक बड़ा सा खीरा निकाला और उसपर तेल लगाकर हॉल में सोफे पर आकर खीरे को अपनी चूत पर सेट करके उसे धीरे धीरे अपनी चूत में घुसा लिआ

images
"आह फ़क यस " जोर से सिसकारी भरते हुए बबिता धीरे धीरे पुरे खीरे को अपनी चूत में डालकर अंदर बहार करने लगी जिसकी गति वो वो साथ साथ बढ़ा रही थीं और उतनी ही कामुकता से सिसक भी रही थीं, अपनी सिसक के साथ बबिता जो इस समय पूरी नंगी सोफे पर लेटी अपनी चूत में खीरे को डालकर खुद को चोद रही थीं या यूँ कहें अपनी चूत की गर्मी को शांत कर रही थीं, उसने बिस्तर से उठते ही अपना टॉप भी उतर दिआ जिससे वो अपनी चूचियों के साथ और अच्छे से खेल सके
tumblr_nvef4d3zIQ1tw2frpo5_r1_400.gif
बबिता तेज़ी से अपनी चूत में खीरा अंदर बहार कर रही थीं और कभी अपनी चुकी तो कभी अपने निप्पल्स को मसलते हुए सिसकारियां भर रही थीं, इन्ही सिसकारियों में "आह यस " कहते हुए बबिता झाड़ गई और खीरे को चूत से निकलकर उसपर लगे पानी को लंड समझकर चाटने लगी

girl-licking-tip-of-penis-gif.gif

"उफ्फ ना जाने कब एक अच्छे से लंड से मेरी चूत की आग शांत होगी" खीरे को चाटते हुए बबिता मन ही मन बोली और कुछ देर बाद उठकर अपने कपडे पहन कर बैडरूम में सोने चली गई

** अगली सुबह **

नवी मुंबई रेलवे स्टेशन :

*हम यह क्यों आएं इसका पता आपको बहुत ही जल्द चल जाएगा, पहले ये दखते हैं यह कोई हमारी पहचान का है या नहीं*

रोशन: ओय रोशन, तुझे पक्का पता हैं ना उसकी ट्रैन इसी प्लेटफार्म पर आएगी?
सोढ़ी: है सोनिये, पापाजी ने जो बताया उस हिसाब से ट्रैन इसी प्लेटफार्म पर ही आएगी और वैसे भी मेरी अभी उससे बात हुई है ट्रैन स्टेशन के पास ही है

* इतने में ट्रैन की सिटी बजती है *

सोढ़ी: ले सोनिये आ गई ट्रैन बस ध्यान से देखिओ कहीं यहीं पर हम ढूंढ़ते रह जाए उसे
रोशन: देख रोशन वो आ गई

"नमस्ते चाची जी" कहते हुए एक लड़की ने रोशन के पैर छू लिए

सोढ़ी: ओये पुत्तर तू इन्नी वडी हो गई

"नमस्ते चाचाजी, और क्या आप पंजाब नहीं आओगे तो क्या मैं बड़ी नहीं होउंगी " उस लड़की ने कहते हुए सोढ़ी के पैर छुए और फिर बोली "गोगी नहीं आया चाचा जी ?"

रोशन: नहीं पुत्तर वो कॉलेज मैं जरूरी क्लास थीं उसकी इसलिए आ नहीं पाया,
रोशन: रोशन सारी बात यही करेगा या घर भी चलेगा? अवनीत सफर करके आए है थक गई होगी बेचारी

*रोशन के बड़े भाई की लड़की जो पंजाब से मुंबई अपनी आगे की पढ़ाई के लिए आई है और जैसा आप समझ ही चुके होंगे की रोशन परिवार के साथ ही रहेगी*

रोशन की बात सुनकर जैसे ही सब चलने लगते है, तभी उनकी नज़र पड़ती है एक और जाने पहचाने चेहरे पर,

रोशन: रीटा, तू यहां क्या कर रही है ?
रीटा: अरे रोशन भाभी सोढ़ी भाई आप यहां
सोढ़ी: ओय सोनिये कोई रिपोर्ट कवर करने आई होगी
रीटा: अरे नहीं नहीं सोढ़ी भाई, मेरी शिफ्ट तो रात की थीं वो काम करके सीधा यहां आई हूँ, वो दरसल मेरा भाई आ रहा है आज मुंबई, उसका मुंबई के कॉलेज मैं ही एडमिशन हुआ है इसलिए
रोशन: अरे वाह क्या बात है, ये हमारी भतीजी है अवनीत, इसका भी मुंबई के कॉलेज मैं एडमिशन हुआ इसलिए पंजाब से यह आई
रीटा: अरे वाह, मुबारक हो , मैं रीटा रिपोर्टर
अवनीत: शुक्रिया रीटा दीदी
सोढ़ी: ओय रोशन रीटा और उसके भाई को लेकर ही चलते है साथ
रोशन: हाँ रोशन
रीटा: अरे नहीं नहीं सोढ़ी भाई तकलीफ मत लीजिए
रोशन: अरे रीटा इसमें तकलीफ कैसी हम भी तो सोसाइटी ही जाएंगे

"मैं कबसे आपको ढूंढ रहा हूँ और आप यह गप्पे लड़ा रही हो, अपने भाई को ही लेने आई थीं ना " एक लड़के ने कहा जिसके कहते ही रीटा रोशन सोढ़ी और अवनीत सब उस और दखने लगते हैं

रीटा उसे देखते ही, उसे अपने गले से लगा लेती है, और उसकी गोल गोल चूचियां उस लड़के के सीने से दबने लगती है जिसका एहसास उस लड़के ने भी किआ

"रोशन भाभी, सोढ़ी भाई अवनीत ये है मेरा भाई जय , और जय ये रोशन भाभी सोढ़ी भाई और अवनीत है" ये कहते हुए रीटा ने जय का हाथ पकड़ लिआ और आगे बोली "जय, अवनीत भी अभी अभी यह आई है उसका एडमिशन भी तेरे ही कॉलेज में हुआ है, और मुझ पता नहीं था रोशन भाभी और सोढ़ी भाई यह आ रहे है, और मैने बताया था ना गोकुलधाम सोसाइटी हम वहीँ रहते है सब "

Parth-Samthaan-1.jpg
*जय यानि मैं या आप जो भी आप माने जिससे आपकी काम वासना को और संतुष्टि मिले, एक बांका नौजवान जो दिखने में बेहद आकर्षक है, गोरा रंग और जिस्म भी उतना ही मजबूत जिसे देखकर कोई भी लड़की उस पर फ़िदा हो जाए
know-what-avneet-kaur-has-to-say-about-the-hateful-comments-from-the-netizens-2.jpg
अवनीत एक सूंदर लड़की जिसकी आँखें जितनी नशीली है होंठ उतने ही कामुक, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे इसी खूबसूरत बला जो अभी बस जवान हुई है और के हम उम्र लड़को नौजवानो और बुजुर्गो के लंड खड़े कर देती है पर भाव किसी को नहीं देती *

रीटा अपने भाई को देखकर बेहद खुश थीं, क्यूंकि अब उसे फ्लैट पर अकेला नहीं रहना पड़ेगा, वहीँ एक और वो भी सूंदर है और जिस तरह वो अपने भाई जय के गले मिले वो समझ गई की ये जय अब बच्चा नहीं रहा, जिसका पता उसे जय के गले मिलने पर चला क्यूंकि जय का लंड उसकी चूत के पास चुभा जो एहसास से तो काफी मोटा और लम्बा लगा

वहीँ जय की नज़रें अवनीत और रोशन पर थीं, जिसका पता अवनीत को चल गया और सोढ़ी की नज़र रीटा की मदमस्त गांड पर जिसे देखकर सोढ़ी ने अपने लंड को अवनीत और रोशन से छुपकर अपनी पेंट में सेट करके किआ
 
  • Like
Reactions: Dobahua mafia

TheDevilKing

New Member
33
25
18
Update 2

जैसे ही सब सोसाइटी कंपाउंड में पहुंचे सोढ़ी ने पूरी गोकुलधाम को इक्कठा करा और जय और अवनीत से पूरी सोसाइटी की पहचान करवाई और पूरी गोकुलधाम सोसाइटी ने हमारा स्वागत किआ जिसे देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और साथ ही साथ इतनी सुन्दर औरतों को देखकर बस मन ही मन ये बोलै किस किस को प्यार करूँ

तभी एक नज़र जो जय और अवनीत को देखने की बजाए कही और ही घूम रही थी वो थी जेठालाल की नज़रे जो बबिता के भरे जिस्म को घर रही थी और जिसकी नज़र का पीछे करा तो पाया सिर्फ जेठालाल ही नहीं बल्कि सोढ़ी तारक और भिड़े भी बबिता के जिस्म को कामुक नज़रों से घूर रहे थे

खेर सभी के साथ जान पहचान करीऔर आते ही टप्पू सेना में एंट्री और नए दोस्त भी लेकिन अवनीत जो अभी भी मुझे उतना नहीं देख रही थी और एक मैं जो वहीँ देख रहा था, पर नज़रे और घुमाई तो देखा एक थी जो मुझे यानि जय को देख रही थी,

"चल जय भाई किसी ने तो देखा यहां" जय ने मन ही मन खुश होते हुए कहा

सोनू जो जय को देखकर उसपर फ़िदा हो गए मानो उसे उसके सपनो का राजकुमार मिल गया जिन नज़रों से जय वाकिफ था की कब कोनसी लड़की कितना भाव दे रही हैं आखिर जय शहर का ही लड़का हैं दिल्ली से आया हैं इतना जानकर तो वो अब बन ही चूका था पर जिस लड़की को मैं यानि जय भाव दे रहा था वहां से लाइन मिल ही नहीं रही थी

पर जो लाइन दे रही हैं उसी फिलहाल क्यों ही जाने दिया जाये ये सोचते हुए जैसे सभी गोकुलधाम वासी वहां से जाने लगे और मैं भी अंदर चल दिए रीटा दीदी के पीछे उनकी मटकती मदमस्त गांड देखता हुआ

"कुछ भी कहो दीदी आज भी उतनी ही मस्त हैं, ना जाने कौन चोदता होगा, क्या मैं कोशिश करूं? वैसे मेरे लुंड के उभार को दीदी ने महसूस तो किआ ही होगा, " सोचते हुए जय रीटा की मस्त गांड का पीछा करने लगा और एक गहरी सांस लेता हुआ घर में दाखिल हुआ

"ये हैं तेरा कमरा" कहते हुए रीटा दीदी ने कमरे का दरवाजा खोला
"ओह्ह तो हम अलग अलग कमरे में सोएंगे?" मैंने थोड़ा मज़ाक के मूड में कहा
"ओह्ह शरीफजादे, तेरी सारी हरकते जानती हूँ" रीटा दीदी ने कमर पर मुक्का मरते हुए कहा
"पर बचपन में एक कमरा उसमे लड़ाई" मैंने मस्ती के साथ कहा
"और अब हम बड़े हो गए"रीटा दीदी ने जवाब देते हुए कहा
"हाँ ये तो सही कहा अपने" रीटा दीदी की चूचियों को देखते हुए कहा
"अच्छा जी, ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा तू कुछ " रीटा दीदी ने आँखें दिखते हुए कहा
"ध्यान तो कोई और ही दे रहा हैं" मैं अपना सामान रखता हुआ बोलै
"तू रुक मैं बताती हूँ तुझे" रीटा दीदी मेरी भागी

जैसे ही वो मेरी तरफ भागी मैं भी उनसे बचने के लिए भागने ही वाला था की उनका पैर मेरे बैग से टकराया और वो मेरे ऊपर आकर गिरी और मैं पलंग पर, रीटा दीदी की चूचियां मेरे सीने में दफ़न हो रही थी, मेरे हाथ उनकी कमर पर थे और उनका चेहरा मेरे चेहरे की बिलकुल करीब जिससे मैं उनकी और वो मेरी सांसें महसूस कर पा रहे थे

एक दूसरे की आँखों में खोये हुए उनकी साँसों को महसूस करते हुए मेरा लंड रीटा दीदी की चुत पर चुभने लगा, उस समय हम बस एक लड़का और लड़की थे सब भूल कर, मोके का फायदा उठाते हुए, मैं अपने होठो को रीटा दीदी के कोमल होठो के पास ले जा रहा था थोड़ा सुरूर उन्हें भी था शायद जो वो भी गरम साँसों से मदहोश होकर मेरे और करीब आई और हमारे होठ एक दूसरे के होठों से टकराने ही वाले थे की उससे पहले उनका हाथ मेरे गाल पर टकराया

"तू ना सच में पागल हैं" कहते हुए रीटा दीदी मेरे ऊपर से उठने लगी "मैं नाश्ता बना रही हूँ फ्रेश होकर आजा साथ में नाश्ता करते हैं" कहते हुए वो कमरे से बहार चली गई

मैं अब तक बिस्तर लेटा सोच रहा था शायद थोड़ा जल्दी करता तो उनके होठ चूम लेता, सोचता हुआ गहरी सांस लेता हुआ मैं बाथरूम में घुस गया

*** सोसाइटी ऑफिस ***

भिड़े अपने ऑफिस के कुछ डाक्यूमेंट्स ढूंढ रहा था जो उसे लेकर कही जाना था पर के फाइल्स में भी ढूंढ़ने के बाद वो नहीं मिल रहा था,

"कहा रख दिया वो पेपर" कहते हुए भिड़े के माथे पर शिकन आने लगी थी की उसके कानो में आवाज़ पड़ी

"भिड़े भाई क्या मैं अंदर आ सकती हूँ" रोशन सोसाइटी ऑफिस के गेट पर खड़े हुए बोली
"अरे रोशन भाभी, आइए आइए आपको परमिशन की जरूरत थोड़ी हैं" कहते हुए भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो गया
"वो भिड़े भाई रोशन ये मेंटेनन्स का चेक देकर गया मैंने आपको यहां आते हुए देखा और मुझे नीचे कुछ काम से आना था तो सोचा यहीं आपको दे देती हूँ"कहते हुए रोशन भिड़े को चेक दे देती हैं
"अरे इतनी तकलीफ क्यों रोशन भाभी मुझे कह देती मैं खुद लेने आ जाता"भिड़े चेक लेते हुए बोलै
"आप पहले ही इतने काम करते हूँ बावा आपको तकलीफ क्यों दूँ और, वैसे आप कुछ ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूं?"रोशन आगे भड़ते हुए बोली
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी बस एक जरूरी पेपर हैं म्युनिसिपेलिटी का बस वही देख रहा था मिल नहीं रहा और मुझे थोड़ा जल्दी भी जाना हैं" भिड़े फाइल्स में देखते हुए बोलै
"आप कुछ फाइल्स मुझे दे दिजिया, मैं भी देख लेती हूँ"कहते हुए रोशन टेबल के सामने आ गई
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी" भिड़े इतना ही बोलता हैं की रोशन एक फाइल उठा लेती हैं
"रोशन भाभी ये वाली फाइल मैंने देख ली आप ये दूसरी फाइल देखिए" कहते हुए भिड़े एक फाइल आगे सरका देता हैं

"भिड़े भाई क्या ये वाला हैं वो?" रोशन उस फाइल में रखा एक पेपर देख कर बोलित हैं जिसे देखने भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो रोशन के पास पास आकर खड़ा होकर देखता हैं और भिड़े की नज़र रोशन की चूचियों पर जाती हैं, और भिड़े वहीँ खो जाता हैं "भिड़े भाई" कहते हुए रोशन जैसे फाइल थोड़ा आगे करती हैं, रोशन की आवाज़ सुनकर भिड़े थोड़ा हड़बड़ा जाता हैं वो हड़बड़ी में फाइल पर उसका हाथ लगता हैं जिससे सरे कागज़ नीचे गिर जाते हैं

"सॉरी सॉरी भिड़े भाई मैंने आपका काम भड़ा दिआ" कहते हुए रोशन उन कागज़ों को उठने नीचे झुकती हैं और भिड़े भी फिर जल्दी से उन कागज़ों को उठने झुकता हैं दोनों बिलकुल करीब ही थे जैसे ही भिड़े कुछ बोलने के लिए मुँह ऊपर उठता हैं रोशन उसके इतना पास थी की रोशन ने जैसे एक दम से ऊपर देखा भिड़े की तरफ उसके और भिड़े के होठ मिल गए और रोशन की आँखें चौड़ी हो गई

रोशन जल्दी से भिड़े से अलग होती और भिड़े से थोड़ा दूर होकर खड़ी होकर अपने कपडे सही करती हैं

"सॉरी सॉरी रोशन भाभी, मेरा ऐसा कोई मकसद नहीं था" भिड़े हड़बड़ाते हुए बोलता हैं
"कोई बात नहीं भिड़े भाई, मुझे पता हैं, मैं ही कितना करीब आ गई इन सबमे की मैंने भी ध्यान नहीं दिआ" रोशन भिड़े को शान होते हुए बोली
"ऍम सॉरी रोशन भाभी" भिड़े फिर से परेशान होता हुआ बोलै
"आप सॉरी मत बोली भिड़े भाई आपकी कोई गलती नहीं हैं" रोशन भिड़े के थोड़ा पास एते हुए बोली

इतने में उसकी नज़र उस कागज़ पर पड़ती हैं और वो कागज़ उठती हैं "ये लीजिए भिड़े भाई यही हैं ना?" कहते हुए रोशन थोड़ा दूर होकर भिड़े को वो कागज़ दे देती हैं"

"हाँ यही हैं, यही तो कबसे ढूंढ रहा हूँ मैं " कहते हुए भिड़े के चेहरे पर हलकी मुस्कन आती हैं और फिर से रोशन को उस अनचाहे चुम्बन के लिए सॉरी बोलता हैं जिसका जवाब रोशन शांत होते हुए देती हैं " कोई बात नहीं भिड़े भाई मैं समझती हूँ, आप शांत रहिये परेशान मत होईये, आपको देर नहीं हो रही?" रोशन कहते हुए कागज़ की तरफ इशारा करा

"हाँ " भिड़े ने जल्दी से सारी फाइल्स को बंद करते हुए कहा "वैसे आप कहाँ जा रही हैं रोशन भाभी?" भिड़े सारी फाइल्स रखते हुए बोलै

"अब्दुल भाई की दुकान से कुछ सामान लेना था बस वहीँ तक अच्छा मैं चलती हूँ भिड़े भाई" कहते हुए रोशन बहार जाने लगी
"थैंक यू रोशन भाभी, और सॉरी उस किस के लिए" भिड़े ने कहा

किस सुनकर रोशन को थोड़ी शर्म आ गई "क्या भिड़े भाई आप भी ना" कहते हुए रोशन आगे भाड़ रही थी जिसे भिड़े ने ग्रीन सिग्नल समझ कर आगे आ कहा "वैसे रोशन भाभी माननी पड़ेगी एक बात सोढ़ी वाकई में बहुत लक्की हैं" और भिड़े ऑफिस का गेट बंद करने लगा वो जनता था इस समय कंपाउंड में उन्हें ना कोई सुनेगा ना देखेगा

"क्या भिड़े भाई आप भी ना, जल्दी जाया लेट हो जाएगा वार्ना बावा" रोशन शरमाते हुए बात को ख़तम करने के लिए बोली

जिसे भिड़े समझ गया और मन ही मन खुश होता हुआ अपने सकाराम पर बैठकर निकल गया और पुरे रस्ते बस उन लम्हों को याद कर रहा था जिसमे रोशन के नाज़ुक होंठ उसके होठो ने चूमे थे, वो इस बात से बेफिक्र था की अगर ये बात सोढ़ी को पता चली तो उसका क्या ही होगा
 
  • Like
Reactions: Ek number

Ek number

Well-Known Member
8,180
17,572
173
Update 2

जैसे ही सब सोसाइटी कंपाउंड में पहुंचे सोढ़ी ने पूरी गोकुलधाम को इक्कठा करा और जय और अवनीत से पूरी सोसाइटी की पहचान करवाई और पूरी गोकुलधाम सोसाइटी ने हमारा स्वागत किआ जिसे देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई और साथ ही साथ इतनी सुन्दर औरतों को देखकर बस मन ही मन ये बोलै किस किस को प्यार करूँ

तभी एक नज़र जो जय और अवनीत को देखने की बजाए कही और ही घूम रही थी वो थी जेठालाल की नज़रे जो बबिता के भरे जिस्म को घर रही थी और जिसकी नज़र का पीछे करा तो पाया सिर्फ जेठालाल ही नहीं बल्कि सोढ़ी तारक और भिड़े भी बबिता के जिस्म को कामुक नज़रों से घूर रहे थे

खेर सभी के साथ जान पहचान करीऔर आते ही टप्पू सेना में एंट्री और नए दोस्त भी लेकिन अवनीत जो अभी भी मुझे उतना नहीं देख रही थी और एक मैं जो वहीँ देख रहा था, पर नज़रे और घुमाई तो देखा एक थी जो मुझे यानि जय को देख रही थी,

"चल जय भाई किसी ने तो देखा यहां" जय ने मन ही मन खुश होते हुए कहा

सोनू जो जय को देखकर उसपर फ़िदा हो गए मानो उसे उसके सपनो का राजकुमार मिल गया जिन नज़रों से जय वाकिफ था की कब कोनसी लड़की कितना भाव दे रही हैं आखिर जय शहर का ही लड़का हैं दिल्ली से आया हैं इतना जानकर तो वो अब बन ही चूका था पर जिस लड़की को मैं यानि जय भाव दे रहा था वहां से लाइन मिल ही नहीं रही थी

पर जो लाइन दे रही हैं उसी फिलहाल क्यों ही जाने दिया जाये ये सोचते हुए जैसे सभी गोकुलधाम वासी वहां से जाने लगे और मैं भी अंदर चल दिए रीटा दीदी के पीछे उनकी मटकती मदमस्त गांड देखता हुआ

"कुछ भी कहो दीदी आज भी उतनी ही मस्त हैं, ना जाने कौन चोदता होगा, क्या मैं कोशिश करूं? वैसे मेरे लुंड के उभार को दीदी ने महसूस तो किआ ही होगा, " सोचते हुए जय रीटा की मस्त गांड का पीछा करने लगा और एक गहरी सांस लेता हुआ घर में दाखिल हुआ

"ये हैं तेरा कमरा" कहते हुए रीटा दीदी ने कमरे का दरवाजा खोला
"ओह्ह तो हम अलग अलग कमरे में सोएंगे?" मैंने थोड़ा मज़ाक के मूड में कहा
"ओह्ह शरीफजादे, तेरी सारी हरकते जानती हूँ" रीटा दीदी ने कमर पर मुक्का मरते हुए कहा
"पर बचपन में एक कमरा उसमे लड़ाई" मैंने मस्ती के साथ कहा
"और अब हम बड़े हो गए"रीटा दीदी ने जवाब देते हुए कहा
"हाँ ये तो सही कहा अपने" रीटा दीदी की चूचियों को देखते हुए कहा
"अच्छा जी, ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा तू कुछ " रीटा दीदी ने आँखें दिखते हुए कहा
"ध्यान तो कोई और ही दे रहा हैं" मैं अपना सामान रखता हुआ बोलै
"तू रुक मैं बताती हूँ तुझे" रीटा दीदी मेरी भागी

जैसे ही वो मेरी तरफ भागी मैं भी उनसे बचने के लिए भागने ही वाला था की उनका पैर मेरे बैग से टकराया और वो मेरे ऊपर आकर गिरी और मैं पलंग पर, रीटा दीदी की चूचियां मेरे सीने में दफ़न हो रही थी, मेरे हाथ उनकी कमर पर थे और उनका चेहरा मेरे चेहरे की बिलकुल करीब जिससे मैं उनकी और वो मेरी सांसें महसूस कर पा रहे थे

एक दूसरे की आँखों में खोये हुए उनकी साँसों को महसूस करते हुए मेरा लंड रीटा दीदी की चुत पर चुभने लगा, उस समय हम बस एक लड़का और लड़की थे सब भूल कर, मोके का फायदा उठाते हुए, मैं अपने होठो को रीटा दीदी के कोमल होठो के पास ले जा रहा था थोड़ा सुरूर उन्हें भी था शायद जो वो भी गरम साँसों से मदहोश होकर मेरे और करीब आई और हमारे होठ एक दूसरे के होठों से टकराने ही वाले थे की उससे पहले उनका हाथ मेरे गाल पर टकराया

"तू ना सच में पागल हैं" कहते हुए रीटा दीदी मेरे ऊपर से उठने लगी "मैं नाश्ता बना रही हूँ फ्रेश होकर आजा साथ में नाश्ता करते हैं" कहते हुए वो कमरे से बहार चली गई

मैं अब तक बिस्तर लेटा सोच रहा था शायद थोड़ा जल्दी करता तो उनके होठ चूम लेता, सोचता हुआ गहरी सांस लेता हुआ मैं बाथरूम में घुस गया

*** सोसाइटी ऑफिस ***

भिड़े अपने ऑफिस के कुछ डाक्यूमेंट्स ढूंढ रहा था जो उसे लेकर कही जाना था पर के फाइल्स में भी ढूंढ़ने के बाद वो नहीं मिल रहा था,

"कहा रख दिया वो पेपर" कहते हुए भिड़े के माथे पर शिकन आने लगी थी की उसके कानो में आवाज़ पड़ी

"भिड़े भाई क्या मैं अंदर आ सकती हूँ" रोशन सोसाइटी ऑफिस के गेट पर खड़े हुए बोली
"अरे रोशन भाभी, आइए आइए आपको परमिशन की जरूरत थोड़ी हैं" कहते हुए भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो गया
"वो भिड़े भाई रोशन ये मेंटेनन्स का चेक देकर गया मैंने आपको यहां आते हुए देखा और मुझे नीचे कुछ काम से आना था तो सोचा यहीं आपको दे देती हूँ"कहते हुए रोशन भिड़े को चेक दे देती हैं
"अरे इतनी तकलीफ क्यों रोशन भाभी मुझे कह देती मैं खुद लेने आ जाता"भिड़े चेक लेते हुए बोलै
"आप पहले ही इतने काम करते हूँ बावा आपको तकलीफ क्यों दूँ और, वैसे आप कुछ ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूं?"रोशन आगे भड़ते हुए बोली
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी बस एक जरूरी पेपर हैं म्युनिसिपेलिटी का बस वही देख रहा था मिल नहीं रहा और मुझे थोड़ा जल्दी भी जाना हैं" भिड़े फाइल्स में देखते हुए बोलै
"आप कुछ फाइल्स मुझे दे दिजिया, मैं भी देख लेती हूँ"कहते हुए रोशन टेबल के सामने आ गई
"अरे नहीं नहीं रोशन भाभी" भिड़े इतना ही बोलता हैं की रोशन एक फाइल उठा लेती हैं
"रोशन भाभी ये वाली फाइल मैंने देख ली आप ये दूसरी फाइल देखिए" कहते हुए भिड़े एक फाइल आगे सरका देता हैं

"भिड़े भाई क्या ये वाला हैं वो?" रोशन उस फाइल में रखा एक पेपर देख कर बोलित हैं जिसे देखने भिड़े अपनी चेयर से खड़ा हो रोशन के पास पास आकर खड़ा होकर देखता हैं और भिड़े की नज़र रोशन की चूचियों पर जाती हैं, और भिड़े वहीँ खो जाता हैं "भिड़े भाई" कहते हुए रोशन जैसे फाइल थोड़ा आगे करती हैं, रोशन की आवाज़ सुनकर भिड़े थोड़ा हड़बड़ा जाता हैं वो हड़बड़ी में फाइल पर उसका हाथ लगता हैं जिससे सरे कागज़ नीचे गिर जाते हैं

"सॉरी सॉरी भिड़े भाई मैंने आपका काम भड़ा दिआ" कहते हुए रोशन उन कागज़ों को उठने नीचे झुकती हैं और भिड़े भी फिर जल्दी से उन कागज़ों को उठने झुकता हैं दोनों बिलकुल करीब ही थे जैसे ही भिड़े कुछ बोलने के लिए मुँह ऊपर उठता हैं रोशन उसके इतना पास थी की रोशन ने जैसे एक दम से ऊपर देखा भिड़े की तरफ उसके और भिड़े के होठ मिल गए और रोशन की आँखें चौड़ी हो गई

रोशन जल्दी से भिड़े से अलग होती और भिड़े से थोड़ा दूर होकर खड़ी होकर अपने कपडे सही करती हैं

"सॉरी सॉरी रोशन भाभी, मेरा ऐसा कोई मकसद नहीं था" भिड़े हड़बड़ाते हुए बोलता हैं
"कोई बात नहीं भिड़े भाई, मुझे पता हैं, मैं ही कितना करीब आ गई इन सबमे की मैंने भी ध्यान नहीं दिआ" रोशन भिड़े को शान होते हुए बोली
"ऍम सॉरी रोशन भाभी" भिड़े फिर से परेशान होता हुआ बोलै
"आप सॉरी मत बोली भिड़े भाई आपकी कोई गलती नहीं हैं" रोशन भिड़े के थोड़ा पास एते हुए बोली


इतने में उसकी नज़र उस कागज़ पर पड़ती हैं और वो कागज़ उठती हैं "ये लीजिए भिड़े भाई यही हैं ना?" कहते हुए रोशन थोड़ा दूर होकर भिड़े को वो कागज़ दे देती हैं"

"हाँ यही हैं, यही तो कबसे ढूंढ रहा हूँ मैं " कहते हुए भिड़े के चेहरे पर हलकी मुस्कन आती हैं और फिर से रोशन को उस अनचाहे चुम्बन के लिए सॉरी बोलता हैं जिसका जवाब रोशन शांत होते हुए देती हैं " कोई बात नहीं भिड़े भाई मैं समझती हूँ, आप शांत रहिये परेशान मत होईये, आपको देर नहीं हो रही?" रोशन कहते हुए कागज़ की तरफ इशारा करा

"हाँ " भिड़े ने जल्दी से सारी फाइल्स को बंद करते हुए कहा "वैसे आप कहाँ जा रही हैं रोशन भाभी?" भिड़े सारी फाइल्स रखते हुए बोलै

"अब्दुल भाई की दुकान से कुछ सामान लेना था बस वहीँ तक अच्छा मैं चलती हूँ भिड़े भाई" कहते हुए रोशन बहार जाने लगी
"थैंक यू रोशन भाभी, और सॉरी उस किस के लिए" भिड़े ने कहा

किस सुनकर रोशन को थोड़ी शर्म आ गई "क्या भिड़े भाई आप भी ना" कहते हुए रोशन आगे भाड़ रही थी जिसे भिड़े ने ग्रीन सिग्नल समझ कर आगे आ कहा "वैसे रोशन भाभी माननी पड़ेगी एक बात सोढ़ी वाकई में बहुत लक्की हैं" और भिड़े ऑफिस का गेट बंद करने लगा वो जनता था इस समय कंपाउंड में उन्हें ना कोई सुनेगा ना देखेगा

"क्या भिड़े भाई आप भी ना, जल्दी जाया लेट हो जाएगा वार्ना बावा" रोशन शरमाते हुए बात को ख़तम करने के लिए बोली

जिसे भिड़े समझ गया और मन ही मन खुश होता हुआ अपने सकाराम पर बैठकर निकल गया और पुरे रस्ते बस उन लम्हों को याद कर रहा था जिसमे रोशन के नाज़ुक होंठ उसके होठो ने चूमे थे, वो इस बात से बेफिक्र था की अगर ये बात सोढ़ी को पता चली तो उसका क्या ही होगा
Nice update
 
Top