मूवी वगैरह तभी तक अच्छा लगता है जब तक आपकी शादी न हुई हो।
एक वक्त था जब मै फिल्मों का दिवाना हुआ करता था , 60 से लेकर 90 के दशक तक जो भी मूवी आई , उनमे अधिकतर देख चुका हूं। लेकिन बाद मे शादी ...फिर जिम्मेदारी...फिर मानसिक तनाव...फिर संघर्ष , संघर्ष और संघर्ष।
पुरानी मूवी और उससे संबंधित बातें और उस दौर के एक्टर के पर्सनल लाइफ के बारे मे कोई सवाल है तो जरूर आप मुझसे पुछ सकते है।
वैसे मै 60 - 70 के दशक की हिन्दी फिल्मों का प्रशंसक हूं।
जब तक आपकी शादी न हुई हो तब तक आप रोजाना फिल्में देख सकते है , बुक्स रोजाना पढ़ सकते है , कहीं भी ट्रैवल कर सकते है , रोज अलग-अलग लड़की से फ्लर्ट कर सकते है , दिन रात शांति से सो सकते है , दोस्तों के साथ हर वक्त अच्छा टाइम स्पैन्ड कर सकते है , परिवार और जिम्मेदारी का चिंतन नही कर सकते है , कोई जवाबदेही नही हो सकती है , ज्यादा पैसे कमाने की जरूरत नही पड़ सकती है .......
बहुत कुछ है अगर आप वैवाहिक जीवन मे नही प्रवेश करते है। फिर तो फिल्म देखना क्या , आप खुद फिल्म बना सकते है।