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Incest My Life @Jindgi Ek Safar Begana ( Action , Romance , Thriller , Adult) (Completed)

This story is...........


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Update 144



मेरे चेहरे को, मेरे सीने को, और फिर सुबक्ते हुए बोली – मुझे मुआफ़ कर देना मेरे सरताज…मुझे लगा कि कहीं आप…

मैने उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी और कहा – अब और एक लफ़्ज नही जान.. मे तो बस तुम्हें आराम देने की वजह से बोल रहा था…

फिर मैने शरारत से उसके उरोजो को मसल्ते हुए कहा – लेकिन लगता है मेरी जान को अब अपना जलवा दिखाना ही पड़ेगा…

इतना बोलकर मे उसके उपर किसी भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा…

वो भी अपने ज़ख़्मों की परवाह ना करते हुए मेरा भरपूर साथ देने लगी…

एक बार जमकर चुदाई का दौर चला, जिसमें शाकीना अनगिनत बार बरसी..

जब वो पूरी तरह संतुष्ट नज़र आने लगी, तब मैने उसे कहा – अब तुम आराम करो, मुझे अभी कुछ काम निपटाने हैं, उन्हें पूरा करके आता हूँ…

मैने फिर से उसके पूरे बदन पर मलम लगाई, और खुद फ्रेश होकर तैयार हुआ और निकल लिया अपने ऑफीस की ओर… जहाँ मैने पूरी डीटेल्ड रिपोर्ट एनएसए को सौंपी,

खालिद का काम तमाम करना मेरा एक बहुत बड़ा अचीव्मेंट था, एक तरह से फिलहाल के लिए पाकिस्तान की कमर ही तोड़ दी थी….

एनएसए ने मेरी जी भरके तारीफ की, फिर हम पीयेम से मिलने गये, उन्होने भी मेरा भव्य स्वागत किया…

होटेल लौटते-2 शाम हो गयी, तब तक शाकीना ने भरपूर नींद ले ली थी, और अब वो एकदम से फ्रेश लग रही थी.

फिर हमने चाइ के साथ थोड़ा बहुत खाने को मँगवाया,

शाकीना को रेडी होने को कहा, तो उसने पुछा कि अब कहाँ जाना है हमें ?

मैने कहा- अपने घर.

वो – घर में कॉन-कॉन हैं…?

मैने उसके गाल पर किस करके कहा – जो भी होंगे, वो सब तुम्हें देखकर बहुत खुश होंगे…

उसके बाद उसने कोई सवाल नही किया, क्योंकि अब उसने किसी भी तरह के सर्प्राइज़ को फेस करने के लिए अपने आपको तैयार कर लिया था.

जब वो रेडी होकर आई तो मे उसे देखता ही रहा गया.

पिंक कलर के कश्मीरी सूट में वो “कश्मीर की कली” की शर्मिला टैगोर से कम नही बल्कि 21 ही लग रही थी. उसका रूप एकदम से खिल उठा था…

मैने एक बंद गले की वाइट टीशर्ट और ब्लॅक डेनिम जीन्स पह्न ली और उपर से डार्क ब्लू ब्लेज़र.

रेडी होकर हमने एर पोर्ट के लिए टॅक्सी ली, रात 8 बजे अपने शहर की फ्लाइट पकड़ी और ठीक 10:00 पीयेम को मैने अपने घर की बेल दबाई.... !!

एसीपी ट्रिशा शर्मा अपने दोनो बेटों के साथ डिन्नर लेकर चुकी ही थी और स्टडी रूम में बच्चों को पढ़ा रही थी,

उनकी नौकरानी शांता बाई किचेन में बर्तन साफ कर रही थी कि तभी उनके घर की डोर बेल बजने लगी.

ट्रिशा ने स्टडी रूम से ही आवाज़ देकर अपनी नौकरानी को कहा – शांता बाई देखना कॉन है गेट पर…

शांता बाई ने बर्तन छोड़ कर गेट खोला, सामने एक हॅंडसम आदमी और उसके साथ एक निहायत ही खूबसूरत लड़की को खड़े पाया,

कुछ देर तक वो टक टॅकी लगाए उन दोनो को देखती रही, फिर जैसे ही उसे होश आया तो एकदम से बोली- जी कहिए ! किससे मिलना है आपको..?

मे – एसीपी साहिबा हैं घर पर..?

वो- हां हैं..! क्या काम है उनसे…?

मे – ज़रा एक मिनट बुलाएँगी उनको..?

वो उँची आवाज़ में वहीं खड़े-2 बोली – मॅम साब, कोई साब आपसे मिलने को आया है…!

ट्रिशा अंदर से ही बोली – ठीक है उनको बिठाओ, मे अभी आती हूँ,

और वो अपना स्लीपिंग गाउन ठीक करके बाहर आई… और जैसे ही उसकी नज़र मेरे उपर पड़ी… दौड़ती हुई आकर मेरे सीने से लिपट गयी.

ओह्ह्ह.. माइ लव अरुण ! आप आ गये..!

उसे तो ये भी होश नही रहा कि मेरे साथ कोई खड़ा है, और उसकी नौकरानी भी वहीं खड़ी है.
 
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Update 145

शांता बाई तो बाबली सी अपनी मालकिन को देखती रह गयी, फिर उसके दिमाग़ में कुछ क्लिक हुआ और अपने सर पर हाथ मार कर बोली-

उरी बाबा ! ये तो हमारा साब है, मे कैसे पहचाने को भूल गयी..?

शांता की आवाज़ सुनकर ट्रिशा को होश आया, वो झेन्पती हुई मेरे से अलग हुई, और तब उसकी नज़र मेरे बाजू में खड़ी शाकीना पर पड़ी..

मैने कहा ट्रिशा ये… अभी मे बोलने ही वाला था कि उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया… और बोली –

आपको बताने की ज़रूरत नही है, मे जानती हूँ ये मेरी प्यारी छोटी बेहन शाकीना है.. है ना !!

फिर मैने शाकीना को कहा – शाकीना यह मेरी पत्नी ट्रिशा हैं, यहाँ की अडीशनल कमिशनर ऑफ पोलीस.

मेरी बात सुनकर उसको धक्का सा लगा, वो कुछ देर सकते की हालत में खड़ी रह गयी…

तभी ट्रिशा ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगा लिया, और बोली – ज़्यादा चोन्कने की ज़रूरत नही है मेरी बेहन,

मे तुम्हारे बारे में सब जानती हूँ, जिस दिन तुमने हाथ लेकर अरुण से अपनी बात मनवाई थी, इन्होने उसी दिन मुझसे पुच्छ लिया था…

फिर वो उसे लिए हुए अपने बेडरूम की तरफ चल दी.

शाकीना किसी कठपुतली की तरह उसके साथ-2 चली गयी, हमारी बातें सुन कर मेरे दोनो बेटे भी बाहर आ गये और एक लंबीईइ सी पापाआ निकालते हुए मेरे से लिपट गये, दोनो ही मेरे कंधे तक पहुँच गये थे.

मेरे गले से लग कर दोनो की रुलाई फुट पड़ी, मैने जैसे-तैसे उन दोनो को शांत किया. फिर मैने दोनो से पुछा –

अच्छा ये बताओ, तुम दोनो की स्टडी कैसी चल रही है..?

कौशल – एकदम फर्स्ट क्लास पापा, मम्मी हमारा पूरा काम चेक करती है, नेक्स्ट वीक से हमारे एग्ज़ॅम हैं, तो लगे पड़े हैं.

मे शूलभ से – और बड़े लाल आपके क्या हाल हैं ?, क्रिकेट-विक्रेट चल रहा है तुम लोगों का या बंद कर दिया.

शूलभ – कहाँ पापा, मम्मी ने पढ़ाई के चक्कर में सब बंद करा रखा है.

मे – ये सही भी है मेरे बच्चो, मुझे फक्र है अपने बेटों पर कि अपनी मम्मी की हर बात मानते हैं, शाबाश मेरे बच्चो…!!

कुछ देर ऐसे वो दोनो मेरे साथ लिपटे बातें करते रहे, फिर मैने उनको स्टडी कंटिन्यू करने को बोलकर उनके रूम में भेज दिया.

जब वो दोनो शाकीना से मिले तो वो कितनी ही देर तक मुँह फाडे मेरे दोनो बेटों को देखती रही.

उसे ये कतई अंदाज़ा नही था, कि मेरे इतने बड़े दो बेटे भी होंगे…

वो दोनो उसे देखते ही बोले – मम्मी ये इतनी सुंदर सी आंटी कॉन आई हैं पापा के साथ…?

ट्रिशा ने मुस्कराते हुए उन दोनो के बालों को सहलकर कहा – बेटा ये तुम्हारी छोटी मम्मी है…

उसके मुँह से छोटी मम्मी सुनकर शाकीना की आँखें दबदबा गयी, लेकिन बच्चों के सवाल जारी रहे…

सुलभ – छोटी मम्मी मतलब…?

ट्रिशा – अरे बेटा, मम्मी की छोटी बेहन मतलब तुम्हारी छोटी मोम..

कौशल – लेकिन मम्मी, आपकी छोटी बेहन तो निशा मौसी है ना.. फिर ये भी तो मौसी ही हुई ना…

ट्रिशा ने फिर प्यार से दोनो को डाँटते हुए कहा – तुम लोग ज़्यादा दिमाग़ मत चलाओ समझे… जब मे कह रही हूँ कि ये तुम्हारी छोटी मोम हैं, तो आज से तुम इन्हें वोही कहोगे…

उन दोनो ने असमजस की ही हालत में अपनी माँ की बात मानते हुए हां में अपनी गर्दन हिला दी…

मे मौन अपनी प्यारी पत्नी की समझदारी और अपनेपन को बस देखे जा रहा था…

यहाँ कदम रखते ही शाकीना एकदम गुम-सूम सी हो गयी थी, शायद उसे गिल्टी फील होने लगी थी कि वो क्यों यहाँ इस परिवार की खुशियों में आग लगाने आ गयी है.. ?

अब जाकर उसकी समझ में आया, कि क्यों मे उससे निकाह ना करने के लिए बोलता रहा था…

ट्रिशा ने शांता बाई को हम दोनो के लिए खाना तैयार करने को बोला, आधे घंटे बाद हम तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे,

शाकीना को गुम-सूम बैठे देख, ट्रिशा बोल पड़ी – अरुण ! लगता है, मेरी छोटी बेहन अपने नये परिवार से मिलकर खुश नही हुई…!

शाकीना से रहा नही गया, वो खाना छोड़कर ट्रिशा के गले से लिपट गयी और फफक-2 कर रो पड़ी.. फिर सुबक्ते हुए बोली –

बाजी ! आप कितनी अच्छी हो ! मे यहाँ क्यों आप लोगों की खुशियों में आग लगाने आ गयी..?

ट्रिशा बड़ी मासूम सी सूरत बना कर बोली – अरे अरुण ! आप अभी तक बैठे ही हो..?

जल्दी से फाइयर ब्रिगरेड को फोन करो भाई, यहाँ हमारी खुशियों में आग लग रही है और आप अभी तक चुप-चाप बैठे हो..?
 
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Update 146




ट्रिशा की बात सुन कर मे ठहाका लगा कर हँस पड़ा, शाकीना भी अपना रोना बंद करके खिल-खिलाकर हँसने लगी.

ट्रिशा अपने दोनो हाथों को उसके सर के उपर से घुमाकर उसकी बालाएँ लेती हुई बोली-

किसी की नज़र ना लगे मेरी प्यारी गुड़िया को, देखो हँसती हुई कितनी सुंदर लग रही है मेरी बेहन.

एक बात कान खोलकर सुनलो शाकीना, आज कहा सो कहा…आइन्दा ये बात कभी भी अपने मन में मत लाना कि तुम्हारी वजह से हमें कभी कोई प्राब्लम आएगी.

मे तुम्हें वचन देती हूँ, हमेशा तुम्हें अपनी छोटी बेहन की तरह ही प्यार करती रहूंगी,

अरुण पर हम दोनो का बराबर का हक़ होगा समझी तुम !

आइन्दा फिर कभी इस तरह की बात मुँह से निकली ना ! तो मुँह तोड़ दूँगी तुम्हारा, ये एक पोलीस वाली का हाथ है..समझी..!!

शाकीना ट्रिशा का ऐसा प्यार देख कर भाव बिभोर हो गयी और अपने आप को नही रोक पाई,

उसके गले लग कर सुबकने लगी, मुझे मुआफ़ कर दो दीदी.. आपको समझने में भूल हो गयी मुझसे..

आइन्दा ऐसी कोई बात मेरे मुँह से आप कभी नही सुनेंगी..

मे मूक वाचक की तरह उन दोनो का प्यार देखता रह गया, और स्वतः ही मेरी आँखें भी गीली हो गयी…

खाना ख़तम करके वो दोनो ट्रिशा के बेडरूम में चली गयी और मे दूसरे रूम में सोने चला गया,
शांता बाई काम ख़तम करके अपने क्वॉर्टर में चली गयी जो बंगले के बाहरी साइड में था, बच्चे पहले ही सो चुके थे.

कुच्छ देर के बाद ट्रिशा मेरे पास आई और मेरे बगल में लेट कर बालों में उंगलियों से सहलाती हुई बात-चीत करने लगी,

मैने शाकीना पर बीती घटना जब उसको बताई, तो वेदना से उसकी आँखें नम हो गयी, और उसके लिए उसके मन में प्यार की भावना और बढ़ गयी.

मे बीती रात सो नही पाया था, पूरा दिन भाग दौड़ में लगा रहा, सो जल्दी से एक राउंड अपनी प्यारी बीबी के साथ सेक्स किया और नींद के आगोश में चला गया.

वो बेचारी 5 साल से अपने पति का संपूर्ण प्यार पाने की लालसा लिए हुए मेरे पास आई थी,

लेकिन मेरी मजबूरी देख कर कुछ नही बोली, मेरे होठों पर प्यार भरा चुंबन लेकर मेरे शरीर से लिपट कर सो गयी…!

ट्रिशा ने शाकीना को अपनी छोटी बेहन के रूप में सच्चे दिल से अपना लिया, और खुशी-खुशी अपना आधा हक़ उसे दे दिया…

रहीम चाचा के द्वारा, शाकीना की अम्मी को तसल्ली करा दी थी कि उसकी बेटी, यहाँ अमन चैन से जिंदगी जी रही है, उसे उसकी चिंता करने की ज़रूरत नही है…

हमने अपने पदों का लाभ लेते हुए, शाकीना का नाम चेंज करके साक्षी कर दिया और उसे भारत की नागरिकता दिला दी, एक परिचित के रूप में…

अब हम तीनों अपने दोनो बेटों के साथ सुखी जीवन जी रहे थे…,

मैने अपनी राजनीतिक सोर्स से राज्य की आंतरिक सुरक्षा एजेन्सी में ही एक बड़े पद पर ट्रान्स्फर ले लिया…

शाकीना यानी साक्षी ने दोनो बेटों को इतना प्यार दिया कि वो अपनी सग़ी माँ से बढ़कर उसे अपनी माँ मानने लगे….!

किसी ने सच ही कहा है, कि प्यार दोगे तो बदले में प्यार ही मिलेगा..

एसीपी ट्रिशा के निश्चल प्यार की एबज में साक्षी ने भी अपने प्यार की बरसात करदी इस परिवार पर…!

और हां ! इस कथानक का हीरो अरुण दो दो बिवीओ का प्यार पाकर बड़े गर्व से कह उठता है….”मेरा जीवन कुछ काम तो आया…”

नोट :

मित्रो ! आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी अपने फाइनल रिमार्क्स अवश्य दें…,

और हां, कहीं भी कोई सवाल इस कहानी को लेकर आप लोगों के मन में हो, कि ऐसा कैसे हुआ, ये नही होना चाहिए वग़ैरह…वग़ैरह तो बस कहानी समझ कर अवाय्ड कर देना प्लीज़..

आप सबके साथ के लिए धन्यवाद… ज़य हिंद…ज़य जननी .... जय भारत…

Author :- Ansh Pandit
 

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thanks for sharing wonderfull story dear brother:dost:Baki baat kahani puri padhkar bolunga
 
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