• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest Nazar

Aap ko story kesi lag rahi hai.......


  • Total voters
    35

Lucky@khan

☆ it's me ☆
1,407
3,136
159
482123

8097fb8acdac4c6dc0b79cf67200b7398b6761c4

maxresdefault

Uski Nazar Ke Jhaase Main Mat Fasna.....

Uske Ulte Pair Dekhanewaalo Ki Ulti Ginti Shuru Ho Jaati Hai........

Uski Choti AapKi Umar Chhoti Kar Degi.........


To guys pesh hai aap ke liye


New story Nazar..........

Thriller,Horror,Drama,Incenst, Love,Sex.



Note : Es Story mai Family induction nahi de raha hu kiyu ke ye Story thoda hat ke hai Jese jese Charecters aayenge Wese wese aap logo ko pata chal jaayega Agr story acchi lage to like 👍 daba ke dena or comments karna naa bhule or koi yaha faltu ki bakchodyi naa Pele

yah ek fantasy Kalpana hai jo kewal manoranjan haitu hai Ham alokiki,andhvishwash ya jaaduyi parathao mai aashtha ko samrthan yaa badhawa nahi dete.



WITTER........
✍️........... LUCKY@KHAN
 
Last edited:

Lucky@khan

☆ it's me ☆
1,407
3,136
159

Updat e 26



☆ Ch : Totka utra yaa nahi ☆




अब तक..............



आमोदिता : "कहाँ चली गयी, यहीं पर तो फेकी थी मैंने, अरे कहाँ गयी यहीं पर होना चाहिए उसे, यहीं कहीं होगी।"

अभी : "अगर यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है तो मुझे बताओ वो किस साईड है, मुझे राह दिखाओ ब्रह्मांड की तरंगे अपना करिश्मा दिखाओ।"

आमोदिता : "ये इतने सारे जुगनू कहाँ से आ गये नदी के पास, आज से पहले तो इतने जुगनू कभी नहीं देखे।".............





अब आगे .............




अमोदिता ने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नज़र उसके हाथ में पहनी वॉच पर पड़ती है और वो देखती है कि चार बजने में पांच मिनट ही कम थे।

अमोदिता : "छोड़ो मुझे क्या करना है इन जुगनुओ से, आए हो कहीं से भी मैं तो वो करती हूँ जो मैं यहाँ पर करने आई हूँ, चार बजने वाले है यदि चार बजे से पहले मैनें ये टोटका नहीं तोड़ा तो गड़बड़ हो जाएगी और यदि इस बार कोई गड़बड़ हुई तो माँ मुझे छोड़ेगी नहीं।"

इतना कहकर अमोदिता वापस से हल्दी की गाँठ में से बाल
निकालने लग जाती है और कुछ ही देर में वो हल्दी की गाँठ से
पूरी तरह बाल अलग करने में कामयाब भी हो जाती है।
अमोदिता ने काला कपड़ा, हल्दी का गाँठ और कायर का बाल
तीनो अलग-अलग कर लिया था। अमोदिता फिर अपनी नज़र
अपने आस-पास घुमाती है। जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है
कि कोई उसे देख नहीं रहा वह धीरे-धीरे नदी के किनारे पर बैठने
लग जाती है। हाथ में अमोदिता कपड़ा हल्दी की गाँठ और कायर का बाल एक कड़कर अपना हाथ नदी के ऊपर रखते हुए कहती है

आमोदिता :

"ओम ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय हुम पिताम्बरे तंत्र बधं नाशय
नाशय।"


अमोदिता बार-बार इसी मंत्र का जाप किये जा रही थी। जैसे-जैसे वह मंत्र का जाप कर रही थी वो जुगनू उसके हाथ के पास आकर मंडराने लग गये थे, ये सब देखकर अमोदिता काफी हैरान हो गयी थी पर मंत्र का जाप शुरू करने के कारण कुछ कर नहीं

पा रही थी। अमोदिता सात बार मंत्र का जाप करती है और वह तीनो चीजे नदी के अंदर प्रवाहित कर देती है। वो जैसे ही उन चीजो को नदी के अंदर डालती है वो जुगनू अचानक से गायब हो जाते है।

अमोदिता हेरानी के साथ कहती है........

आमोदिता : "अरे वो जुगनू कहाँ पर चले गये अभी तो यहीं पर थे, बड़े अजीब जुगनू है जब मन करता

है तब दिखते है जब मन करता है गायब हो जाते है।"

इतना कहकर अमोदिता पीछे मुड़ती है। जब वो पीछे मुड़ती है तो और ज्यादा दंग हो जाती है। उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है, उसके पीछे काला कुत्ता खड़ा हुआ था, ये वही कुत्ता था जो उसे उसके घर के पास वाले चौराहे पर मिला था वह कुत्ता अमोदिता को घूरे जा रहा था।

आमोदिता : "अरे ये कुत्ता यहाँ पर भी आ गया, ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया अभी मजा चखाती हूँ इस कुत्ते की औलाद को।"

इतना कहकर अमोदिता नदी के पास ही पड़ा पत्थर उठाती है और उस कुत्ते की तरफ फेंककर मार देती है। इस बार उसका निशाना एक दम सही बैठता है और सीधा जाकर उस कुत्ते को लग जाता है। पत्थर पड़ने पर पहले वो कुत्ता चीखता है और फिर वहाँ से दुम दबाकर भाग जाता है।

अमोदिता खुश होते हुए कहती है : "ये हुई ना बात, आज तो मेरे दोनो निशाने एक दम सही जगह पर लगे है, उम्मीद है कल तक कायर पर से टोटके का असर भी खत्म हो जाएगा।"

इतना कहकर अमोदिता अपने कदम वापस अपने घर की ओर बढ़ाने लग जाती है।

सुबह हो गयी थी और सुबह के आठ बज रहे थे। युग और अभिमन्यु अभी तक गहरी नींद में सो रहे थे। तभी कोई दरवाजे पर दस्तक देता है और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लग जाता है। दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर युग और अभिमन्यु दोनो की नींद खुल जाती है।

अभी उबासी लेते हुए कहता है : "यार ये सुबह सुबह कौन आ गया अब....?"

युग : "पता नहीं यार कौन आया होगा, तू रूक मैं देखकर आता

अभी : "हाँ देखकर आ।"

इतना कहकर युग अपनी जगह पर से उठता है और

दरवाजे के पास जाने लग जाता है। जब वो दरवाजा खोलता है तो देखता है कि दरवाजे पर काव्या खड़ी थी.......


HD-wallpaper-kajal-agarwal-kajal-agarwal-tollywood

उसने वाइट कलर की टीशर्ट और ब्लैक कलर की जीन्स पहने हुयी थी

जो युग को घूरे जा रही थी भले ही उसके चेहरे पर कोई गुस्से के भाव नहीं दिख रहे थे मगर वो अंदर ही अंदर गुस्से मै उबल रही थी और उबलते हुये अपनी कड़ी अवाज मै कहती है..........

काव्या : युग अपना सामान फटा- फट पैक करो और यहाँ से चलो

युग : चलो कहा चलो....?

काव्या : हवेली अपने घर आज से तुम वही रहोगे

युग : मै कही नहीं जाने वाला मै यही रहूँगा

काव्या : देख युग मै प्यार से बोल रही हु तू घर चल नहीं तो

युग : नहीं तो क्या......?

काव्या : नहीं तो तुझे घसीट के ले जाउंगी

काव्या की बात सुन कर युग को हसीं आने लग जाती है और वो हस्ते हुये कहता है...........

युग : हा... हाहाहा... हाहाहा...लगता है आप सुबह-सुबह कोई मूवी देख कर आ रही हो आप जाओ मै नहीं आऊंगा

काव्या चिल्लाते हुये युग से कहती है........

काव्या : युग.......

युग :......?

काव्या : तू अपने आप को क्या समझता है युग जरा सा बड़ा क्या हो गया की अपने आप को हम सबसे बड़ा समझने लगा, तू भूल मत मै तेरी बड़ी बहन हु और मै तुझे जो कहूँगी वो तू करेगा समझा ना अब चल घर

काव्या ये बोलते हुये युग का हाथ पकड़ कर कोठी के बाहर खींचने लगती है मगर युग उसका हाथ झटटकते हुये अपना अपना हाथ छुड़ाता है और कहता है.......

युग : छोडो मेरा हाथ मै नहीं जाऊँगा उस घर मै उस औरत के पास

काव्या एक जोरदार थप्पड़ युग के गाल पर मारती है...

चटाककककककक.........

काव्या युग को घर ले जाने के लिए आयी तो थी मगर कल जो हुआ उसका गुस्सा भी निकालना था इस लिए उसने युग को मारा

झटके मै काव्या को कोठी के बाहर धकेल देता है जिससे काव्या पीछे की तरफ 4,5 कदम लड़खड़ाते हुये पीछे चली जाती है वो अपने आप को संभाल लेती है नहीं तो वो पीछे के बाल गिर जाती


जैसे ही काव्या अपने आप को संभालती है वैसे ही वो युग के पास आकर उसे अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर रख कर धक्का देती है जिससे युग 5,6 कदम पीछे की और होते हुये कोठी के हाल मै आ जाता है और काव्या दरवाजे से अंदर आते हुये बोलती है.......


काव्या : तेरी इतनी हिम्मत तू मुझे धक्का देता है कमीना रुक अभी तेरी अच्छी खातिदारी करती हु


युग : देखो दीदी चली जाओ यहाँ से नहीं तो......


काव्या युग के पास आ जाती है और वो युग के सामने बिलकुल पास मै थी और उससे आँखे मिलते हुये गुस्से मै बोलती है........


काव्या : नहीं तो क्या करेगा मारेगा मुझे बोल मरेगा कमीना


चटाककक.......


एक और झापड़ युग के गालो पर पडती है और कोठी के हॉल मै थप्पड़ की गूंज गुजने लग गयी थी, देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे वो युग को अपने साथ घर ले जाने के लिए नहीं आयी थी बल्कि कल जो भी युग नै उसके साथ किया था उसका बदला लेने आयी हो और ले भी रही थी


चटाकककक........


अभी एक थप्पड़ की गूंज गुजना बंद भी नहीं हुआ था की एक और थप्पड़ की गूंज गुजने लग जाती है और इस बार काव्या अपने लेफ्ट गाल पर हाथ रख लेती है ये थप्पड़ काव्या नै युग को नहीं मारा था बल्कि युग नै काव्या को थप्पड़ दे मारा और गुस्से मै बोलता है.....

युग : माधचोद चली जा यहाँ से नहीं तो चोद दूंगा

युग के मुँह से ऐसी बात सुनकर काव्या दंग हो जाती है उस लगा था वो युग को कुछ थप्पड़ लगायेगी और कुछ सुनाएगी तो युग कुछ नहीं बोलेगा मगर ये तो उससे कुछ ज्यादा ही उल्टा हो गया

काव्या गुस्से मै बोलती है.......

काव्या : युग..... तू मुझे गाली दे रहा है कुत्ता कही का रुक अभी बताती हु तू ऐसे नहीं सुधरेगा

ये बोल कर काव्या युग के पास जाती है और अपना राइट हैंड उठा कर युग के गाल पर एक जोर का थप्पड़ दे मरती है

मगर उसका थप्पड़ युग के गाल पर पड़ने से पहले ही युग उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे एक झटके मै अपनी तरफ घुमा कर अपने सीने से सटा लेता और उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है और कहता है.....

युग : तो आप नहीं मानोगी ना मै गाली क्या मै तो आपकी माँ भी चोदुँगा और अब आप को भी

इतना कहते हुये युग काव्या के दोनो हाथों को छोड़ देता है और जल्दी से उसके उभरे हुये चूची पकड़ लेता है और दबाने लग जाता है

अपने भाई को ऐसा करते हुये देख कर काव्या शॉक हो जाती हैं .......


e31afe27373ce433d486698dea5dfbe7
desktop-wallpaper-kajal-agarwal-hot-face-expression


जिससे काव्या के मुँह से दर्द की सिसकारिया निकलने लगती है


काव्या : अह्ह्ह्ह....... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....... युग कमिने छोड़ मुझे मै तेरी दीदी हु ये तू क्या कर रहा है आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... छोड़ मेरी बूब्स को कमीना..........


युग : बूब्स नहीं चूची बोलते है और एक बार चुद जाने के बाद तुम मेरी दीदी नहीं रहोगी.......


ये बोल कर युग काव्या का नरम- नरम चूचियाँ डबाने और मसलने लग जाता है


काव्या अपने दोनो हाथों से अपनी चूची पर से युग का हाथ हटाने की कोशिश करने लग जाती है मगर हटा नहीं पाती है युग उसे मजबूती के साथ पकड़े हुये था और उसकी चूची मसले जा रहा था


काव्या : आह्ह...... मुहहह......छोड़ दे कुत्ता छोड़ दर्द हो रहा है प्लीज.. अह्ह्ह्हह........ उमह्ह्ह्ह ...... छोड़ दे कमीने


ये कहते हुये काव्या युग के पैर पर अपने पैर से एक लात मारती है जिससे युग का बैलेंस बिगड़ जाता है जिसके चलते काव्या उसके बाहो के गिरफ्त से आजाद हो जाती है और 7,8 कदम दूर जा कर गुस्से मै कहती है.....


काव्या : सच मै तू कुत्ता है कुत्ता


युग : रुक मै तुझे अभी कुत्तापाना दिखता हु माधरचोद


ये बोल कर युग काव्या की तरफ तेज़ी के साथ भागते हुये जाता है जिसे देख कर काव्या वही पास के एक कमरे मै घुस जाती है और जल्दी से दरवाजा बंद करने लग जाती है


काव्या नै अभी रूम का दरवाजा बंद ही किया था और जैसे ही कुंडी लगाने वाली होती है तभी युग जोर से दरवाजा खोल देता है और अंदर आते हुये काव्या का बाल पकड़ता है और उसे दिवाल के सहारे भिड़ाते हुये उसकी टीशर्ट ऊपर कर देता है जैसे ही काव्या का टीशर्ट ऊपर होता है वैसे ही उसकी ब्लैक ब्रा दिखने लग जाती है और वो ब्लैक ब्रा मै से आधी नंगी गोरी -गोरी चूची दिखने लग जाती है जो ऊपर निचे हो रही थी युग आधी गोरी चूची ऊपर निचे होते हुये देख कर पगला गया था अब उसके लोवर मै झटके आने लग गये थे

युग जोर जोर से काव्या की चूची को ब्रा के ऊपर से दबाये जा रहा था और साथ ही साथ उसे किश भी किये जा रहा था

देखते देखते युग काव्या की ब्रा निचे कर के उसकी चूची अपने उठो से चूसने लग जाता हैं जिससे काव्या के शरीर मै एक अजब सी सनसनी रेंगनी लग जाती हैं जिसके चलते उसकी आँखे बंद होने लग जाती हैं और उसके मुँह से सिसकारिया निकलने लग जाती hai.......

काव्या : Uhmmmm...... Ohhhhhh..........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress

युग काव्या की चूची के निपल अपने उठो से पकड़ता हैं और खींच कर छोड़ देता हैं.........


6005302f799546bd2953dbad16448c2c

काव्या : अह्ह्ह....... उफ्फफ्फ्फ़.... छोड़ दे युग उम्म्म.........

अभी काव्या नै इतना ही कहा था की युग उसकी जीन्स पैंट मै अपना राईट हैंड डाल देता हैं और काव्या की चूत मै अपनी एक ऊँगली घुसा देता हैं जिससे काव्या की आँखे ऊपर की तरफ होने लगती हैं...........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress-1

काव्या : आअह्ह्ह.......... युगगगगग......... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ..........

युग नै अभी अपनी एक आधी ऊँगली ही काव्या की चूत मै घुसाया था जिससे काव्या की सिसकारिया निकलने लगी थी और वही सिसकारिया सुन कर युग अपनी पूरी ऊँगली काव्या की चूत मै पूरा का पूरा घुसा देता हैं

काव्या : अह्ह्ह...... ओह्ह्ह्हह्ह....... ओह.. ओह... ओह.. उफ्फफ्फ्फ़.....

काव्या : आअह्ह्हह्ह्ह्ह युग छोड़ दे कमीने मै तेरी दीदी हु कुत्ते छोड़ मुझे........ उम्म्म्म

इतना कह कर काव्या नै अपनी पूरी ताकत लगा कर युग को धक्का देते हुये अपने से दूर फेक दिया जिससे युग लड़खड़ा कर पीछे के बल जमीन मै जा गिरा इतने मै काव्या वहा से भाग कर हाल मै आ गयी और किसी से टकरा गयी

अभी : आयीईई

अभी : अरे काव्या दीदी आप को दिखाई नहीं देता है क्या और आप उस रूम से इतना तेज़ी मै कियु दौड़ कर आ रही है

काव्या रूम मै से निकलने से पहले अपना टीशर्ट ठीक कर लिया था और वो अभी से टकरा गयी थी काव्या अभी के सवालों का कुछ जवाब देती उससे पहले ही युग रूम मै से निकलते हुये कहता है........

युग : अरे वो मैंने काव्या दीदी से बताया की मुझे लगता है यक्षिणी आज़ाद हो गयी है बस यही सुन कर डर के मारे भागने लगी

काव्या युग को घूर के देख रही थी तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है तीनो दरवाजे की तरफ देखते है

अभी : अब कौन आ गया यॉर सुबह सुबह

युग : अरे मैंने तो दरवाजा नहीं बंद किया था फिर.............?

अभी : अरे यार दरवाजा मैंने बंद किया था ऊपर से आते हुये ही

इतना बोल कर अभी दरवाजा खोल देता है और सामने देखता है उसके सामने कछुआ खड़ा हुआ था।

कछुआ बहुत ही शांत खड़ा हुआ था आज तक अभिमन्यु ने उसे इतना शांत इससे पहले कभी नहीं देखा था।

अभिमन्यु खुश होते हुए कहता है.......

अभी : "अरे कछुआ तू आ गया और बता तेरी दादी की तबियत कैसी है अब, वो युग बता रहा था

कि अचानक से खराब हो गयी, यार मै ना मिलने ही आने का सोच रहा था पर..."

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि तभी वो चुप हो जाता है उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है।

कछुए के पीछे से बिन्दु निकलती है जो कि बड़ी-बड़ी आँखे करके अभिमन्यु को घूरते जा रही थी।


HD-wallpaper-keerthi-suresh-actress-keerthisuresh-keerthy-keerthy-suresh-keerthysuresh-malayalam-tam

अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है......

अभी : "बिन्दु तुम, और यहाँ पर!"

बिन्दु कछुए के आगे आते हुए कहती है.......

बिंदु : "हाँ मैं और यहाँ पर तुम इतना हैरान क्यों हो रहे हो अभिमन्यु मुझे यहाँ पर देखकर, और ये बताओ कायर कहाँ पर है कल से जब से कॉल कर रही हूँ एक बार बात तक नहीं करायी तुम लोगो ने मेरी उससे,

वो ठीक तो है ना, तुम लोग मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे?"

अभिमन्यु हकलाते हुए कहती है.......

अभी : "वो........वो बिन्दु... वो बिन्दु

कायर ना... कायर ना...."

बिंदु : "ये कायर कायर क्या लगा कर रखा है, मैने पूछा कायर कहाँ पर है मुझे ये बताओ।"

अभी : "वो अंदर ही है बिन्दू"

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि बिन्दु अभिमन्यु को साइड हटाते हुए ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर घूस जाती है।

अभिमन्यु कछुए के कान में कहता है........

अभी : "अबे कछुए तू इस बिन्दु को यहाँ पर लेकर

क्यों आ गया, तुझे पता है ना कायर की हालत कैसी है यदि उसने कायर के मुँह से अमोदिता का नाम सुन लिया तो कायर की लव स्टोरी का यहीं पर दी एंड हो जाएगा और अगर बेटा ऐसा वैसा कुछ हुवा ना तो समझ लेना अब से वो तेरी माँ चोदेगा "


कछुआ धीरे से कहता है - "यार मैं तो ये बिन्दु की दुकान पर चाय पीने गया था, इसने पूछा कि कायर कहाँ पर है तो मैंने कहा वो तो वहीं पर होगा ग्रेव्यार्ड कोठी में उससे फोन पर बात कर लो, तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा बस यह पूछा कि तुम कहाँ जा रहे

हो तो मैंने बता दिया की ग्रेव्यार्ड कोठी, तो वो भी मेरे पीछे साथ आ गयी, मैंने मना करने की बहुत कोशिश की पर तू तो जानता ही है बिन्दु सुनती कहाँ है किसी की, और वो कायर मेरी माँ कियु चोदेगा मैंने क्या किया है

अभिमन्यु चिढ़ते हुए कहता है.......

अभी :"तेरी चाय के कारण अब पता नहीं यहा क्या-क्या हंगामा होगा और कायर का बिंदु से कोई झगड़ा वड़गा हो गया ना तू आज के बाद तो वो बिंदु को चुद तो नहीं पायेगा इसलिए अब तेरी माँ को ही चोदना पड़ेगा "

कछुवा : अबे माधरचोद साले कुछ भी बोलता है

अभी : हीहीही......

जब बिन्दू कोठी के अंदर घुसती है तो उसे वहीं पर युग और काव्या दिखाई देते है।

बिंदु : अरे काव्या दीदी आप यहां पर किया बात है काव्या दीदी आज कल आप अपनी फ्रेंड्स के साथ मेरी दूकान पर कॉफ़ी पिने नहीं आती है क्या अब मै कॉफ़ी अच्छी नहीं बनती क्या

काव्या : अरे ऐसी बात नहीं है बिंदु वो मै थोड़ा बिजी थी ना इसलिए नहीं आ पाती हु

बिंदु : ओह ऐसी बात है दीदी तो आज आप अपने फ्रेंड्स के साथ आओगी ना

काव्या : नहीं बिंदु आज नहीं कल जरूर आउंगी

बिंदु : अच्छा ठीक है दीदी

काव्या : वैसे बिंदु तुम यहाँ क्या कर रही हो

बिंदु : अरे दीदी वो कायर यही कोठी मै युग के साथ रहता है ना बस उसी से मिलने के लिए आगयी बस

काव्या युग को घूरते हुये कहती है.........


images-7

काव्या : यहाँ रुकना ठीक नहीं है बिंदु यहाँ पर एक कुत्ता रहता है बहोत कमीना कुत्ता है

बिंदु को कुछ समझ मै नहीं आता है.....

बिंदु : कुत्ता कहा है कुत्ता काव्या दीदी

काव्या : यही कोठी के आस-पास अच्छा मै अब चलती हु तुम जरा उस कुत्ते से संभल कर रहना

इतना बोल कर काव्या कोठी के बाहर चली जाती है

बिंदु युग से पूछती है.........

बिंदु : "युग कायर कहाँ पर है....?"

पहले तो युग भी बिन्दु को वहाँ पर अचानक से देखकर घबरा जाता है पर बड़ी ही हिम्मत करके कहता है........

युग : "वो तो मेरे कमरे में है..."

इससे आगे युग कुछ कहता उससे पहले ही बिन्दु अपना अगला सवाल युग पर दाग देती है......

बिंदु "और तुम्हारा कमरा कहाँ पर है...?"

युग कहता कुछ नहीं बस अपने हाथ से सीढ़ियों की ओर इशारा कर देता है।

बिन्दु युग के कमरे की ओर जाने लग जाती है। युग, कछुआ और अभिमन्यु भी उसके पीछे-पीछे जाने लग जाते है। जैसे-जैसे

बिन्दु युग के कमरे की ओर अपने कदम बढ़ा रही थी युग, अभिमन्यु और कछुए तीनो की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यदि कायर ठीक नहीं हुआ होगा तो वो बिन्दु को क्या जवाब देंगे, क्या बताऐंगे की कायर क्यों अमोदिता का नाम बड़बड़ाए जा रहा है।

जब बिन्दु युग के कमरे में पहुँचती है तो देखती है कि कायर अभी भी बेड पर सोया हुआ था।

बिन्दु हैरानी के साथ कहती है......

बिंदु "ये कायर अभी तक सो क्यों रहा है, इसकी तबियत तो ठीक है ना....?"

युग अभिमन्यु और कछुआ बिन्दु के सवाल का कुछ जवाब नहीं देते बल्कि एक-दूसरे के चेहरे देखने लग जाते है। बिन्दु कायर के पास जाकर बेड पर बैठ जाती है। तभी उसकी नज़र जमीन पर पड़ी मछली पर पड़ती है और वो कहती है.......

बिंदु : "ये तुमने भुंजी मछली को नीचे क्यों फेक कर रखा है, तुम्हे खाने का अपमान करते हुए शर्म नहीं आती क्या।"

युग : "वो बिन्दू ये मछली ना खराब हो गयी थी, तो कल रात ना मैं इसे डस्टिबिन में डालने जाने वाला था पर तभी लाईट चले गयी तो यहीं पर गिर गयी थी।"

बिन्दु मछली को छुते हुए कहती है.......

बिंदु : "पर ये मछली तो मुझे ताजी लग रही है, ऐसा लग रहा है जैसे आज ही पकड़ी गयी हो ये खराब कैसे हो सकती है।"

बिन्दु की बात सुनकर युग और अभिमन्यु भौंचके रह जाते है। वो मन ही मन सोचने लग जाते है......

अभी, युग : ( मन मै )"ये कैसे हो सकता है कल रात तो मछली सड़ने की बदबू आ रही थी, ये ताजी कैसे हो सकती है।"

युग और अभिमन्यु इस बात का पता लगा पाते उससे पहले ही कायर नींद में से उठने लग जाता है।

कछुआ अपने हाथ से कायर की ओर इशारा करते हुए कहता है........

कछुवा : "वो देखो लगता है कायर उठ रहा है।"

बिन्दु कायर के माथे पर हाथ फेरने लग जाती है। तभी धीरे से कायर अपनी आँखे खोल देता है और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोलने लग जाता है।

अभिमन्यु और युग मन ही मन यह दुआ कर रहे थे कि कायर अमोदिता का नाम ना ले वरना भांडा फूट जाएगा। कायर बिन्दु की तरफ देखते हुए कहता है......

कायर : "अगर ये ख्वाब है तो मुझे ख्वाबों ही रहने दो,

मुझ गरीब को तुम्हारी बाहो में ही रहने दो।

मैं जिन्दगी नहीं बिता सकता तुम्हारे बिना,

तुम मुझे हमारी हसीन यादो में ही रहने दो।।"


कछुआ कायर के मजे लेते हुए कहता है......

कछुवा : "बेटा ये तुम्हारा कोई मुशायरा नहीं चल रहा है, जरा आँखे अच्छे से खोलो बिन्दू देवी साक्षात यहाँ पर पधारी है, सिर्फ तुम्हारे लिए समझे।"

जैसे ही कछुआ यह बात बोलता है कायर को अपनी आँखो पर यकिन नहीं होता है। वो दो से तीन बार अपनी आँखे मलता है। जब बिन्दु उसे वहीं पर बैठी मिलती है तो वह फुर्ती के साथ उठकर बैठ जाता है और खुश होते हुए कहता है.......

कायर : "बिन्दु तुम यहाँ पर और क्या ये कछुआ सच कह रहा है, तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आयी हो...?"

बिन्दु नाटक करते हुए बहाना बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम क्या पागल हो गये हो कायर, ये कछुआ तो कुछ भी बक-बक करते रहता है भला मैं तुमसे मिलने क्यों आऊँगी मैं तो यहाँ पर ये युग से मिलने आयी थी, इसे ये नाशता देने के लिए।"

इतना कहकर बिन्दु कछुए की तरफ इशारा करती है कछुआ अपने हाथ में पॉलिथीन पकड़ा हुआ था जिसमे बिन्दु ने नाशता पैक किया था।

कायर उदास होते हुए कहता है........

कायर : "अच्छा मुझे तो लगा..."

बिन्दु बीच में ही कायर को टोकते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम्हे क्या लगा, तुम्हे तो बहुत कुछ लगता है और ये बताओ कल युग और अभिमन्यु ने तुम्हे बताया होगा ना कि मेरा कॉल आया है तुमने

रिर्टन क्यों नहीं किया, तुम्हे पता भी है कितना सारा सामान लाना था हमे मार्केट से।"

कायर अपना सिर खुजाते हुए कहता है......

कायर : "कल तुमने मुझे कॉल किया था पर कब और ये युग और अभिमन्यु ने मुझे बताया क्यों नहीं....?"

युग कायर को टोकते हुए कहता है.......

युग : "अबे कितना झूठ बोलता है, बताया तो था भूल गया कल तुझे लूज मॉशन हो गया था बार-बार तू वॉशरूम के अंदर बाहर हो रहा था तब बताया था।"

कायर हैरानी के साथ कहता है.......

कायर : "लूज मोशन हुआ था और मुझे।"

अभिमन्यु युग का साथ देते हुए कहता है......

अभी : "हाँ तुझे लूज मोशन हुआ था ना तुझे गोली भी खिलायी थी चल अब हाँ बोल।" कायर अभिमन्यु और युग की बातो में फँस जाता है और

उसके मुँह से हाँ निकल जाता है।

बिन्दु उन लोगो को बीच में ही टोकते हुए कहती है....

बिंदु : "जो भी हुआ हो मुझे क्या करना है मुझे युग से मिलना था तो मिल लिया, अब मैं जा रही हूँ और हाँ कायर तुम जल्दी दुकान पर आ जाना"

कायर खुश होते हुए कहता है.......

बिंदु : "क्यों बिन्दु, तुम्हे कुछ काम है क्या मुझसे.....?"

बिन्दु मुँह बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "मुझे तुमसे क्या काम होगा भला, तुम्हारे बच्चो को तुमसे काम है।"

कायर : "क्या कहा मेरे बच्चे!"

बिंदु : "हाँ तुम्हारे वही छोटे छोटे बच्चे जिनके लिए तुम प्रेम पत्र लिखते हो, कल से तुम्हारी राह देख रहे है लाईन में लगे है कि कब तुम आओगे और उनकी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिखोगे।"

कायर : "अच्छा ठीक है, मैं आता हूँ।"

बिन्दु वहाँ से जाने लग जाती है, तभी कायर उसे रोकते हुए कहता है........

कायर : "अरे दो मिनट।"

बिन्दु पीछे पलटते हुए कहती है.....

बिंदु : "क्या है....?"

बिन्दु को रूकता हुआ देखकर कायर खुश हो जाता है, वह मन ही मन सोचने लग जाता हैं.......

बिंदु : "ये बिन्दु को क्या हो गया है, ये तो मेरी बात मानने लग गयी पहले कभी रूकने का बोला करता

था तो नहीं रूकती थी और आज देखो झट से रूक गयी, जैसे मेरे ही रोकने का इंतजार कर रही थी। "

बिन्दु कायर पर चिढ़ते हुए कहती है.......

बिंदु : "अब चुप क्यों हो कायर, बोलो क्यों रोका है मुझे....?"

कायर : "वो बिन्दु अब तुम यहाँ तक आ ही गयी हो तो थोड़ी देर और रूक जाओ ना, मैं बस अभी दो मिनट में फ्रेर्श होकर आता हूँ फिर हम दोनो साथ में ही चलेंगे, तुम जब तक पैदल-पैदल पहुँचोगी उससे बेहतर है तुम मेरे साथ ही चलना।"

बिन्दु सोचने लग जाती है कि वो क्या करे, कायर के फ्रेश होने का इंतजार करे या नहीं क्योंकि घर पर उसकी माँ ने उसे जल्दी आने बोला था।

बिन्दु को कुछ सोचता हुआ देखकर कायर फटाक से बिस्तर पर से उठते हुए कहता है.........

कायर : "अगर तुम्हे देर हो रही है तो मैं फ्रेश

होने भी नहीं जाता हूँ ऐसे ही तुम्हारे साथ चल देता हूँ चलो।"

कायर की बात सुनकर कछुआ, युग और अभिमन्यु हँसने 🤣🤣🤣🤣 लग जाते है। बिन्दु भी मन ही मन हँसने लग गयी थी।

बिन्दु कायर को मना करते हुए कहती है........

बिंदु : "अरे नहीं नहीं, तुम हो जाओ फ्रेश मैं इंतजार कर लेती हूँ... वैसे भी मैं पहली बार आयी हूँ इस ग्रेव्यार्ड कोठी में।"

बिन्दु कमरे के चारो तरफ अपनी नज़र फिराते हुए कहती है.......

बिंदु : "जितनी तारीफ सुनी थी उससे कई ज्यादा खूबसूरत कोठी है यह; युग क्या तुम मुझे वो कमरा दिखा सकते हो जहाँ पर यक्षिणी कैद है मुझे वो कमरा देखना था....?"

युग बिन्दु की बात का कुछ जवाब देता उससे पहले ही

कछुआ बिचकते हुए कहता है.......

कछुवा : "बिन्दु तुने क्या इस ग्रेव्यार्ड कोठी को कोई म्युजीयम समझकर रखा है जो तुझे यक्षिणी का

कमरा देखना है, वो यक्षिणी का कमरा है कोई महारानी का नहीं, जानती है ना यक्षिणी कौन थी, क्या भौकाल मचाया हुआ था उसने।"

बिन्दु प्रतिशोध की आग में कहती है.......

बिंदु : "हाँ जानती हूँ उसे कैसे भूल सकती हूँ मैं, उसी ने तो मेरे सिर पर से पिता का साया छीना था, मेरे पापा की जान ली थी उसने।"

युग धीरे से कहता है.........

युग : "मेरे भी।"

अभिमन्यु उन दोनो के बीच में बोल पड़ता है.......

अभी : "पर बिन्दु तू यक्षिणी का कमरा देखकर क्या करेगी वो कमरा तो बंद है.....?"

बिंदु : "अरे तो मैं बाहर से ही देख लूँगी, जरा मैं भी तो देखू उस यक्षिणी को किस और कैसी शक्तियों से बंद किया था उन तीनों धर्म गुरूओं ने।"

अभिमन्यु अपने हाथ से बायी तरफ इशारा करते हुए कहता है......

अभी : "ये जो कमरा है ना इसके बगल में ही रूम नम्बर 666 है वहीं पर यक्षिणी कैद है, जा कछुआ बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ।"

कछुआ झट से मना करते हुए कहता है......

कछुवा : "ना बाबा ना, मैं तो नहीं जा रहा तुम्ही लेकर जाओ, मैं तो उस कमरे के पास भी ना भटकू, वो तो ये युग के कारण आना पड़ता है, पता नहीं इसने

यक्षिणी के कमरे का बगल वाला कमरा ही रहने के लिए क्यों चुना, इतनी बड़ी कोठी में तुझे और कोई सा कमरा पसंद नहीं आया था क्या युग।"

युग कछुए के सवाल का जवाब देते हुए कहता है......

युग : "यार वो बात यह है कि बचपन में मैं इसी कमरे में रहा करता था, बहुत सी यादे जुड़ी हुई है इससे और बात को मत घुमा चुपचाप बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ । "

कछुवा : "ना बाबा ना, मैंने मना किया ना।"

बिन्दु कछुए को आँखे दिखाते हुए कहती है......

बिंदु : "अगर तुझे नहीं चलना तो मत चल, मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है मै अपने काम अकेले ही कर सकती हूँ, वैसे भी बगल में ही तो जाना

है तुम लोग नास्ता करो मैं यक्षिणी का रूम देखकर आती हूँ।"

इतना कहकर बिन्दु वहाँ से चले जाती है।

इस तरफ अमोदिता और रजनी किचन के अंदर थी ।

अमोदिता रोटियाँ बेल रही थी और उन्हे सेक रही थी। वहीं पर रजनी भी खड़ी हुई थी जो धड़ा-धड़ प्याज काटे जा रही थी।

इतनी स्पीड से वो प्याज काट रही थी कि यदि उससे जरा सी भी

चुक हुई तो सीधे उसकी उंगलियाँ कट जाएगी।

अमोदिता रोटी बेलते हुए कहती है.......

आमोदिता : "मां अब तो कायर पर

से वशीकरण टोटके का असर खत्म हो गया होगा ना।"

रजनी अमोदिता पर चिढ़ते हुए कहती है.....

रजनी : "नालायक लड़की तुझे कितनी बार बोला है एक बार हम भगवान पर शंका कर सकते है पर काले जादू पर नहीं, काले जादू के काले टोटके कभी
खाली नहीं जाते है समझी, बस उन्हे सही से करना आना चाहिये"

रजनी अमोदिता को घूरते हुए कहती है......

रजनी : "ये बता जैसा-जैसा मैंने तुझे बोला था सब वैसा ही किया था ना, कुछ गड़बड़ तो नहीं की थी"

अमोदिता : "नही माँ कुछ गड़बड़ नहीं
की थी जैसा आपने कहा था सब वैसा ही किया था, तुम्हारी कसम।"

रजनी : "मेरी कसम-वसम मत खा नालायक मुझे इतनी जल्दी नहीं
मरना, तेरी युग के साथ शादी करवा कर ही मरूँगी समझी।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता शर्मा जाती है, तभी उसके मन में उस कुत्ते का ख्याल आता है और वो रात का हादशा याद करते हुए कहती है........

आमोदिता : "माँ आपको पता है रात में ना चौराहे पर मुझे एक काला कुत्ता दिखा था और वही कुत्ता नदी के किनारे पर भी दिखा था जब मैं टोटका तोड़ रही थी, वो कुत्ता मुझे घूरे जा रहा था।"

रजनी : "बताओ क्या दिन आ गये है तेरे, युग को तुझे घूराना चाहिए
तो कुत्ते तुझे घूर रहे है और ये भी कोई बताने वाली बात है, मैं
क्या करूँगी उस कुत्ते के बारे में जानकर, मुझे क्यों बता रही है।"

अमोदिता छोटा सा मुँह बनाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "माँ मै तो बस
तुम्हे बता रही थी।"

रजनी रोटी की तरफ इशारा करते हुए कहती है......

राजनी : "ये फालूत की बाते मत बताया कर मुझे समझी और जरा रोटी को देख जल रही है वो।"

अमोदिता चीमटे से रोटी को पलटते हुए कहती है.....:

आमोदिता : "हा माँ देख रही हूँ मैं।"

कुछ देर बाद अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "वो माँ बाल वाला टोटका तो फेल हो गया अब आज रात कौनसा टोटका करना है हमें युग जी को वश में करने के लिए...?"

रजनी : "आज रात हम कोई टोटका नहीं कर सकते।"

अमोदिता अपनी भवे ऊपर करते हुए कहती है......

आमोदिता : "क्यों माँ.....?"

रजनी : "क्योंकि आज रात पूर्णिमा है।"

अमोदिता फटाक से कहती है........

आमोदिता : "पूर्णिमा हुआ तो क्या हुआ माँ ये तो और भी अच्छी बात है ना, मैंने सुना है पूर्णिमा और अमावस्या की रात सबसे ज्यादा टोटके किये जाते है और वो सबसे ज्यादा असरदार साबित होते है क्योंकि पूर्णिमा और
अमावस्या की रात दैत्य शक्तियाँ की ताकत बढ़ जाती है और साथ में उनके उपासको की भी शक्तिया बढ़ती हैं

रजनी : "शक्तियाँ उन उपासको की बढ़ती है जिनके पास पहले से
शक्तियाँ होती है तेरे पास कहाँ शक्तियाँ है नालायक लड़की, इतना
आसान नहीं होता है काली शक्तियाँ पाना समझी, वो तो अभी
तक मुझे भी नहीं मिली बस कुछ टोटको में सफल हुई हूँ इसलिए
आज रात हम दोनो ही मिलकर साधना करेंगे।"

आमोदिता : "और साधना करने से क्या होगा माँ...?"

रजनी : "अगर कोई सच्चे मन से साधना करता है तो हो सकता है
उसको काली शक्तियाँ मिल जाए और शक्तियाँ ना भी मिले तो
एक फायदा जरूर होता है और वो यह कि उसके बाद जो वो
टोटके करता है फिर कभी खाली नहीं जाते, उनका असर जरूर
होता है समझी।"

आमोदिता : "हाँ माँ समझ गयी।"

रजनी : "तो फिर आज रात बारह बजे तैयार रहना, हम बारह बजे से ही साधनाएँ करना शुरू कर देंगे।"

आमोदिता : "हाँ माँ मैं तैयार रहूँगी।"

इस तरफ ग्रेव्यार्ड कोठी में कायर फ्रेश होकर आ गया था

और बिन्दु जो समोसे लेकर आयी थी वो खा रहा था। कछुआ, युग और अभिमन्यु भी समोसे ही खा रहे थे कि तभी उन्हे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई देती है..........

औरत : "आअअअ.....अअ"

कछुआ घबराते हुए कहता हैं........

कछुवा : "यार तुमने आवाज सुनी, मुझे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई दी।"

युग झट से कहता है.......

युग : "हाँ यार सुनी, मुझे भी सुनाई दी।"

कायर हिचकिचाते हुए कहता है.......

कायर : "ये... ये तो बिन्दु की आवाज थी पर वो चीखी क्यों.............?"





☆ CH : Khulasa ☆





अब आगे...........



युग : तू कहा जा रहा हैं......?

कछुआ : "ऐसी जगह जहाँ पर झूठे लोग ना हो और अपने दोस्तो से कुछ ना छुपाए।"

अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"

युग : "कौन सा पेन यार....?"

अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।".........




8k+ Words Complete..........



Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye Like 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎

thanx Siraj Patel aap ki help se mai ab pics,gifs upload kar paa rahu.....
 
Last edited:

YAKSHINI

Naam to suna hi hoga
41
47
18

Updat e 26



☆ Ch : Totka utra yaa nahi ☆




अब तक..............



आमोदिता : "कहाँ चली गयी, यहीं पर तो फेकी थी मैंने, अरे कहाँ गयी यहीं पर होना चाहिए उसे, यहीं कहीं होगी।"

अभी : "अगर यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है तो मुझे बताओ वो किस साईड है, मुझे राह दिखाओ ब्रह्मांड की तरंगे अपना करिश्मा दिखाओ।"

आमोदिता : "ये इतने सारे जुगनू कहाँ से आ गये नदी के पास, आज से पहले तो इतने जुगनू कभी नहीं देखे।".............





अब आगे .............




अमोदिता ने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नज़र उसके हाथ में पहनी वॉच पर पड़ती है और वो देखती है कि चार बजने में पांच मिनट ही कम थे।

अमोदिता : "छोड़ो मुझे क्या करना है इन जुगनुओ से, आए हो कहीं से भी मैं तो वो करती हूँ जो मैं यहाँ पर करने आई हूँ, चार बजने वाले है यदि चार बजे से पहले मैनें ये टोटका नहीं तोड़ा तो गड़बड़ हो जाएगी और यदि इस बार कोई गड़बड़ हुई तो माँ मुझे छोड़ेगी नहीं।"

इतना कहकर अमोदिता वापस से हल्दी की गाँठ में से बाल
निकालने लग जाती है और कुछ ही देर में वो हल्दी की गाँठ से
पूरी तरह बाल अलग करने में कामयाब भी हो जाती है।
अमोदिता ने काला कपड़ा, हल्दी का गाँठ और कायर का बाल
तीनो अलग-अलग कर लिया था। अमोदिता फिर अपनी नज़र
अपने आस-पास घुमाती है। जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है
कि कोई उसे देख नहीं रहा वह धीरे-धीरे नदी के किनारे पर बैठने
लग जाती है। हाथ में अमोदिता कपड़ा हल्दी की गाँठ और कायर का बाल एक कड़कर अपना हाथ नदी के ऊपर रखते हुए कहती है

आमोदिता :

"ओम ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय हुम पिताम्बरे तंत्र बधं नाशय
नाशय।"


अमोदिता बार-बार इसी मंत्र का जाप किये जा रही थी। जैसे-जैसे वह मंत्र का जाप कर रही थी वो जुगनू उसके हाथ के पास आकर मंडराने लग गये थे, ये सब देखकर अमोदिता काफी हैरान हो गयी थी पर मंत्र का जाप शुरू करने के कारण कुछ कर नहीं

पा रही थी। अमोदिता सात बार मंत्र का जाप करती है और वह तीनो चीजे नदी के अंदर प्रवाहित कर देती है। वो जैसे ही उन चीजो को नदी के अंदर डालती है वो जुगनू अचानक से गायब हो जाते है।

अमोदिता हेरानी के साथ कहती है........

आमोदिता : "अरे वो जुगनू कहाँ पर चले गये अभी तो यहीं पर थे, बड़े अजीब जुगनू है जब मन करता

है तब दिखते है जब मन करता है गायब हो जाते है।"

इतना कहकर अमोदिता पीछे मुड़ती है। जब वो पीछे मुड़ती है तो और ज्यादा दंग हो जाती है। उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है, उसके पीछे काला कुत्ता खड़ा हुआ था, ये वही कुत्ता था जो उसे उसके घर के पास वाले चौराहे पर मिला था वह कुत्ता अमोदिता को घूरे जा रहा था।

आमोदिता : "अरे ये कुत्ता यहाँ पर भी आ गया, ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया अभी मजा चखाती हूँ इस कुत्ते की औलाद को।"

इतना कहकर अमोदिता नदी के पास ही पड़ा पत्थर उठाती है और उस कुत्ते की तरफ फेंककर मार देती है। इस बार उसका निशाना एक दम सही बैठता है और सीधा जाकर उस कुत्ते को लग जाता है। पत्थर पड़ने पर पहले वो कुत्ता चीखता है और फिर वहाँ से दुम दबाकर भाग जाता है।

अमोदिता खुश होते हुए कहती है : "ये हुई ना बात, आज तो मेरे दोनो निशाने एक दम सही जगह पर लगे है, उम्मीद है कल तक कायर पर से टोटके का असर भी खत्म हो जाएगा।"

इतना कहकर अमोदिता अपने कदम वापस अपने घर की ओर बढ़ाने लग जाती है।

सुबह हो गयी थी और सुबह के आठ बज रहे थे। युग और अभिमन्यु अभी तक गहरी नींद में सो रहे थे। तभी कोई दरवाजे पर दस्तक देता है और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लग जाता है। दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर युग और अभिमन्यु दोनो की नींद खुल जाती है।

अभी उबासी लेते हुए कहता है : "यार ये सुबह सुबह कौन आ गया अब....?"

युग : "पता नहीं यार कौन आया होगा, तू रूक मैं देखकर आता

अभी : "हाँ देखकर आ।"

इतना कहकर युग अपनी जगह पर से उठता है और

दरवाजे के पास जाने लग जाता है। जब वो दरवाजा खोलता है तो देखता है कि दरवाजे पर काव्या खड़ी थी.......


HD-wallpaper-kajal-agarwal-kajal-agarwal-tollywood

उसने वाइट कलर की टीशर्ट और ब्लैक कलर की जीन्स पहने हुयी थी

जो युग को घूरे जा रही थी भले ही उसके चेहरे पर कोई गुस्से के भाव नहीं दिख रहे थे मगर वो अंदर ही अंदर गुस्से मै उबल रही थी और उबलते हुये अपनी कड़ी अवाज मै कहती है..........

काव्या : युग अपना सामान फटा- फट पैक करो और यहाँ से चलो

युग : चलो कहा चलो....?

काव्या : हवेली अपने घर आज से तुम वही रहोगे

युग : मै कही नहीं जाने वाला मै यही रहूँगा

काव्या : देख युग मै प्यार से बोल रही हु तू घर चल नहीं तो

युग : नहीं तो क्या......?

काव्या : नहीं तो तुझे घसीट के ले जाउंगी

काव्या की बात सुन कर युग को हसीं आने लग जाती है और वो हस्ते हुये कहता है...........

युग : हा... हाहाहा... हाहाहा...लगता है आप सुबह-सुबह कोई मूवी देख कर आ रही हो आप जाओ मै नहीं आऊंगा

काव्या चिल्लाते हुये युग से कहती है........

काव्या : युग.......

युग :......?

काव्या : तू अपने आप को क्या समझता है युग जरा सा बड़ा क्या हो गया की अपने आप को हम सबसे बड़ा समझने लगा, तू भूल मत मै तेरी बड़ी बहन हु और मै तुझे जो कहूँगी वो तू करेगा समझा ना अब चल घर

काव्या ये बोलते हुये युग का हाथ पकड़ कर कोठी के बाहर खींचने लगती है मगर युग उसका हाथ झटटकते हुये अपना अपना हाथ छुड़ाता है और कहता है.......

युग : छोडो मेरा हाथ मै नहीं जाऊँगा उस घर मै उस औरत के पास

काव्या एक जोरदार थप्पड़ युग के गाल पर मारती है...

चटाककककककक.........

काव्या युग को घर ले जाने के लिए आयी तो थी मगर कल जो हुआ उसका गुस्सा भी निकालना था इस लिए उसने युग को मारा

झटके मै काव्या को कोठी के बाहर धकेल देता है जिससे काव्या पीछे की तरफ 4,5 कदम लड़खड़ाते हुये पीछे चली जाती है वो अपने आप को संभाल लेती है नहीं तो वो पीछे के बाल गिर जाती


जैसे ही काव्या अपने आप को संभालती है वैसे ही वो युग के पास आकर उसे अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर रख कर धक्का देती है जिससे युग 5,6 कदम पीछे की और होते हुये कोठी के हाल मै आ जाता है और काव्या दरवाजे से अंदर आते हुये बोलती है.......


काव्या : तेरी इतनी हिम्मत तू मुझे धक्का देता है कमीना रुक अभी तेरी अच्छी खातिदारी करती हु


युग : देखो दीदी चली जाओ यहाँ से नहीं तो......


काव्या युग के पास आ जाती है और वो युग के सामने बिलकुल पास मै थी और उससे आँखे मिलते हुये गुस्से मै बोलती है........


काव्या : नहीं तो क्या करेगा मारेगा मुझे बोल मरेगा कमीना


चटाककक.......


एक और झापड़ युग के गालो पर पडती है और कोठी के हॉल मै थप्पड़ की गूंज गुजने लग गयी थी, देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे वो युग को अपने साथ घर ले जाने के लिए नहीं आयी थी बल्कि कल जो भी युग नै उसके साथ किया था उसका बदला लेने आयी हो और ले भी रही थी


चटाकककक........


अभी एक थप्पड़ की गूंज गुजना बंद भी नहीं हुआ था की एक और थप्पड़ की गूंज गुजने लग जाती है और इस बार काव्या अपने लेफ्ट गाल पर हाथ रख लेती है ये थप्पड़ काव्या नै युग को नहीं मारा था बल्कि युग नै काव्या को थप्पड़ दे मारा और गुस्से मै बोलता है.....

युग : माधचोद चली जा यहाँ से नहीं तो चोद दूंगा

युग के मुँह से ऐसी बात सुनकर काव्या दंग हो जाती है उस लगा था वो युग को कुछ थप्पड़ लगायेगी और कुछ सुनाएगी तो युग कुछ नहीं बोलेगा मगर ये तो उससे कुछ ज्यादा ही उल्टा हो गया

काव्या गुस्से मै बोलती है.......

काव्या : युग..... तू मुझे गाली दे रहा है कुत्ता कही का रुक अभी बताती हु तू ऐसे नहीं सुधरेगा

ये बोल कर काव्या युग के पास जाती है और अपना राइट हैंड उठा कर युग के गाल पर एक जोर का थप्पड़ दे मरती है

मगर उसका थप्पड़ युग के गाल पर पड़ने से पहले ही युग उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे एक झटके मै अपनी तरफ घुमा कर अपने सीने से सटा लेता और उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है और कहता है.....

युग : तो आप नहीं मानोगी ना मै गाली क्या मै तो आपकी माँ भी चोदुँगा और अब आप को भी

इतना कहते हुये युग काव्या के दोनो हाथों को छोड़ देता है और जल्दी से उसके उभरे हुये चूची पकड़ लेता है और दबाने लग जाता है

अपने भाई को ऐसा करते हुये देख कर काव्या शॉक हो जाती हैं .......


e31afe27373ce433d486698dea5dfbe7
desktop-wallpaper-kajal-agarwal-hot-face-expression


जिससे काव्या के मुँह से दर्द की सिसकारिया निकलने लगती है


काव्या : अह्ह्ह्ह....... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....... युग कमिने छोड़ मुझे मै तेरी दीदी हु ये तू क्या कर रहा है आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... छोड़ मेरी बूब्स को कमीना..........


युग : बूब्स नहीं चूची बोलते है और एक बार चुद जाने के बाद तुम मेरी दीदी नहीं रहोगी.......


ये बोल कर युग काव्या का नरम- नरम चूचियाँ डबाने और मसलने लग जाता है


काव्या अपने दोनो हाथों से अपनी चूची पर से युग का हाथ हटाने की कोशिश करने लग जाती है मगर हटा नहीं पाती है युग उसे मजबूती के साथ पकड़े हुये था और उसकी चूची मसले जा रहा था


काव्या : आह्ह...... मुहहह......छोड़ दे कुत्ता छोड़ दर्द हो रहा है प्लीज.. अह्ह्ह्हह........ उमह्ह्ह्ह ...... छोड़ दे कमीने


ये कहते हुये काव्या युग के पैर पर अपने पैर से एक लात मारती है जिससे युग का बैलेंस बिगड़ जाता है जिसके चलते काव्या उसके बाहो के गिरफ्त से आजाद हो जाती है और 7,8 कदम दूर जा कर गुस्से मै कहती है.....


काव्या : सच मै तू कुत्ता है कुत्ता


युग : रुक मै तुझे अभी कुत्तापाना दिखता हु माधरचोद


ये बोल कर युग काव्या की तरफ तेज़ी के साथ भागते हुये जाता है जिसे देख कर काव्या वही पास के एक कमरे मै घुस जाती है और जल्दी से दरवाजा बंद करने लग जाती है


काव्या नै अभी रूम का दरवाजा बंद ही किया था और जैसे ही कुंडी लगाने वाली होती है तभी युग जोर से दरवाजा खोल देता है और अंदर आते हुये काव्या का बाल पकड़ता है और उसे दिवाल के सहारे भिड़ाते हुये उसकी टीशर्ट ऊपर कर देता है जैसे ही काव्या का टीशर्ट ऊपर होता है वैसे ही उसकी ब्लैक ब्रा दिखने लग जाती है और वो ब्लैक ब्रा मै से आधी नंगी गोरी -गोरी चूची दिखने लग जाती है जो ऊपर निचे हो रही थी युग आधी गोरी चूची ऊपर निचे होते हुये देख कर पगला गया था अब उसके लोवर मै झटके आने लग गये थे

युग जोर जोर से काव्या की चूची को ब्रा के ऊपर से दबाये जा रहा था और साथ ही साथ उसे किश भी किये जा रहा था

देखते देखते युग काव्या की ब्रा निचे कर के उसकी चूची अपने उठो से चूसने लग जाता हैं जिससे काव्या के शरीर मै एक अजब सी सनसनी रेंगनी लग जाती हैं जिसके चलते उसकी आँखे बंद होने लग जाती हैं और उसके मुँह से सिसकारिया निकलने लग जाती hai.......

काव्या : Uhmmmm...... Ohhhhhh..........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress

युग काव्या की चूची के निपल अपने उठो से पकड़ता हैं और खींच कर छोड़ देता हैं.........


6005302f799546bd2953dbad16448c2c

काव्या : अह्ह्ह....... उफ्फफ्फ्फ़.... छोड़ दे युग उम्म्म.........

अभी काव्या नै इतना ही कहा था की युग उसकी जीन्स पैंट मै अपना राईट हैंड डाल देता हैं और काव्या की चूत मै अपनी एक ऊँगली घुसा देता हैं जिससे काव्या की आँखे ऊपर की तरफ होने लगती हैं...........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress-1

काव्या : आअह्ह्ह.......... युगगगगग......... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ..........

युग नै अभी अपनी एक आधी ऊँगली ही काव्या की चूत मै घुसाया था जिससे काव्या की सिसकारिया निकलने लगी थी और वही सिसकारिया सुन कर युग अपनी पूरी ऊँगली काव्या की चूत मै पूरा का पूरा घुसा देता हैं

काव्या : अह्ह्ह...... ओह्ह्ह्हह्ह....... ओह.. ओह... ओह.. उफ्फफ्फ्फ़.....

काव्या : आअह्ह्हह्ह्ह्ह युग छोड़ दे कमीने मै तेरी दीदी हु कुत्ते छोड़ मुझे........ उम्म्म्म

इतना कह कर काव्या नै अपनी पूरी ताकत लगा कर युग को धक्का देते हुये अपने से दूर फेक दिया जिससे युग लड़खड़ा कर पीछे के बल जमीन मै जा गिरा इतने मै काव्या वहा से भाग कर हाल मै आ गयी और किसी से टकरा गयी

अभी : आयीईई

अभी : अरे काव्या दीदी आप को दिखाई नहीं देता है क्या और आप उस रूम से इतना तेज़ी मै कियु दौड़ कर आ रही है

काव्या रूम मै से निकलने से पहले अपना टीशर्ट ठीक कर लिया था और वो अभी से टकरा गयी थी काव्या अभी के सवालों का कुछ जवाब देती उससे पहले ही युग रूम मै से निकलते हुये कहता है........

युग : अरे वो मैंने काव्या दीदी से बताया की मुझे लगता है यक्षिणी आज़ाद हो गयी है बस यही सुन कर डर के मारे भागने लगी

काव्या युग को घूर के देख रही थी तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है तीनो दरवाजे की तरफ देखते है

अभी : अब कौन आ गया यॉर सुबह सुबह

युग : अरे मैंने तो दरवाजा नहीं बंद किया था फिर.............?

अभी : अरे यार दरवाजा मैंने बंद किया था ऊपर से आते हुये ही

इतना बोल कर अभी दरवाजा खोल देता है और सामने देखता है उसके सामने कछुआ खड़ा हुआ था।

कछुआ बहुत ही शांत खड़ा हुआ था आज तक अभिमन्यु ने उसे इतना शांत इससे पहले कभी नहीं देखा था।

अभिमन्यु खुश होते हुए कहता है.......

अभी : "अरे कछुआ तू आ गया और बता तेरी दादी की तबियत कैसी है अब, वो युग बता रहा था

कि अचानक से खराब हो गयी, यार मै ना मिलने ही आने का सोच रहा था पर..."

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि तभी वो चुप हो जाता है उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है।

कछुए के पीछे से बिन्दु निकलती है जो कि बड़ी-बड़ी आँखे करके अभिमन्यु को घूरते जा रही थी।


HD-wallpaper-keerthi-suresh-actress-keerthisuresh-keerthy-keerthy-suresh-keerthysuresh-malayalam-tam

अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है......

अभी : "बिन्दु तुम, और यहाँ पर!"

बिन्दु कछुए के आगे आते हुए कहती है.......

बिंदु : "हाँ मैं और यहाँ पर तुम इतना हैरान क्यों हो रहे हो अभिमन्यु मुझे यहाँ पर देखकर, और ये बताओ कायर कहाँ पर है कल से जब से कॉल कर रही हूँ एक बार बात तक नहीं करायी तुम लोगो ने मेरी उससे,

वो ठीक तो है ना, तुम लोग मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे?"

अभिमन्यु हकलाते हुए कहती है.......

अभी : "वो........वो बिन्दु... वो बिन्दु

कायर ना... कायर ना...."

बिंदु : "ये कायर कायर क्या लगा कर रखा है, मैने पूछा कायर कहाँ पर है मुझे ये बताओ।"

अभी : "वो अंदर ही है बिन्दू"

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि बिन्दु अभिमन्यु को साइड हटाते हुए ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर घूस जाती है।

अभिमन्यु कछुए के कान में कहता है........

अभी : "अबे कछुए तू इस बिन्दु को यहाँ पर लेकर

क्यों आ गया, तुझे पता है ना कायर की हालत कैसी है यदि उसने कायर के मुँह से अमोदिता का नाम सुन लिया तो कायर की लव स्टोरी का यहीं पर दी एंड हो जाएगा और अगर बेटा ऐसा वैसा कुछ हुवा ना तो समझ लेना अब से वो तेरी माँ चोदेगा "


कछुआ धीरे से कहता है - "यार मैं तो ये बिन्दु की दुकान पर चाय पीने गया था, इसने पूछा कि कायर कहाँ पर है तो मैंने कहा वो तो वहीं पर होगा ग्रेव्यार्ड कोठी में उससे फोन पर बात कर लो, तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा बस यह पूछा कि तुम कहाँ जा रहे

हो तो मैंने बता दिया की ग्रेव्यार्ड कोठी, तो वो भी मेरे पीछे साथ आ गयी, मैंने मना करने की बहुत कोशिश की पर तू तो जानता ही है बिन्दु सुनती कहाँ है किसी की, और वो कायर मेरी माँ कियु चोदेगा मैंने क्या किया है

अभिमन्यु चिढ़ते हुए कहता है.......

अभी :"तेरी चाय के कारण अब पता नहीं यहा क्या-क्या हंगामा होगा और कायर का बिंदु से कोई झगड़ा वड़गा हो गया ना तू आज के बाद तो वो बिंदु को चुद तो नहीं पायेगा इसलिए अब तेरी माँ को ही चोदना पड़ेगा "

कछुवा : अबे माधरचोद साले कुछ भी बोलता है

अभी : हीहीही......

जब बिन्दू कोठी के अंदर घुसती है तो उसे वहीं पर युग और काव्या दिखाई देते है।

बिंदु : अरे काव्या दीदी आप यहां पर किया बात है काव्या दीदी आज कल आप अपनी फ्रेंड्स के साथ मेरी दूकान पर कॉफ़ी पिने नहीं आती है क्या अब मै कॉफ़ी अच्छी नहीं बनती क्या

काव्या : अरे ऐसी बात नहीं है बिंदु वो मै थोड़ा बिजी थी ना इसलिए नहीं आ पाती हु

बिंदु : ओह ऐसी बात है दीदी तो आज आप अपने फ्रेंड्स के साथ आओगी ना

काव्या : नहीं बिंदु आज नहीं कल जरूर आउंगी

बिंदु : अच्छा ठीक है दीदी

काव्या : वैसे बिंदु तुम यहाँ क्या कर रही हो

बिंदु : अरे दीदी वो कायर यही कोठी मै युग के साथ रहता है ना बस उसी से मिलने के लिए आगयी बस

काव्या युग को घूरते हुये कहती है.........


images-7

काव्या : यहाँ रुकना ठीक नहीं है बिंदु यहाँ पर एक कुत्ता रहता है बहोत कमीना कुत्ता है

बिंदु को कुछ समझ मै नहीं आता है.....

बिंदु : कुत्ता कहा है कुत्ता काव्या दीदी

काव्या : यही कोठी के आस-पास अच्छा मै अब चलती हु तुम जरा उस कुत्ते से संभल कर रहना

इतना बोल कर काव्या कोठी के बाहर चली जाती है

बिंदु युग से पूछती है.........

बिंदु : "युग कायर कहाँ पर है....?"

पहले तो युग भी बिन्दु को वहाँ पर अचानक से देखकर घबरा जाता है पर बड़ी ही हिम्मत करके कहता है........

युग : "वो तो मेरे कमरे में है..."

इससे आगे युग कुछ कहता उससे पहले ही बिन्दु अपना अगला सवाल युग पर दाग देती है......

बिंदु "और तुम्हारा कमरा कहाँ पर है...?"

युग कहता कुछ नहीं बस अपने हाथ से सीढ़ियों की ओर इशारा कर देता है।

बिन्दु युग के कमरे की ओर जाने लग जाती है। युग, कछुआ और अभिमन्यु भी उसके पीछे-पीछे जाने लग जाते है। जैसे-जैसे

बिन्दु युग के कमरे की ओर अपने कदम बढ़ा रही थी युग, अभिमन्यु और कछुए तीनो की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यदि कायर ठीक नहीं हुआ होगा तो वो बिन्दु को क्या जवाब देंगे, क्या बताऐंगे की कायर क्यों अमोदिता का नाम बड़बड़ाए जा रहा है।

जब बिन्दु युग के कमरे में पहुँचती है तो देखती है कि कायर अभी भी बेड पर सोया हुआ था।

बिन्दु हैरानी के साथ कहती है......

बिंदु "ये कायर अभी तक सो क्यों रहा है, इसकी तबियत तो ठीक है ना....?"

युग अभिमन्यु और कछुआ बिन्दु के सवाल का कुछ जवाब नहीं देते बल्कि एक-दूसरे के चेहरे देखने लग जाते है। बिन्दु कायर के पास जाकर बेड पर बैठ जाती है। तभी उसकी नज़र जमीन पर पड़ी मछली पर पड़ती है और वो कहती है.......

बिंदु : "ये तुमने भुंजी मछली को नीचे क्यों फेक कर रखा है, तुम्हे खाने का अपमान करते हुए शर्म नहीं आती क्या।"

युग : "वो बिन्दू ये मछली ना खराब हो गयी थी, तो कल रात ना मैं इसे डस्टिबिन में डालने जाने वाला था पर तभी लाईट चले गयी तो यहीं पर गिर गयी थी।"

बिन्दु मछली को छुते हुए कहती है.......

बिंदु : "पर ये मछली तो मुझे ताजी लग रही है, ऐसा लग रहा है जैसे आज ही पकड़ी गयी हो ये खराब कैसे हो सकती है।"

बिन्दु की बात सुनकर युग और अभिमन्यु भौंचके रह जाते है। वो मन ही मन सोचने लग जाते है......

अभी, युग : ( मन मै )"ये कैसे हो सकता है कल रात तो मछली सड़ने की बदबू आ रही थी, ये ताजी कैसे हो सकती है।"

युग और अभिमन्यु इस बात का पता लगा पाते उससे पहले ही कायर नींद में से उठने लग जाता है।

कछुआ अपने हाथ से कायर की ओर इशारा करते हुए कहता है........

कछुवा : "वो देखो लगता है कायर उठ रहा है।"

बिन्दु कायर के माथे पर हाथ फेरने लग जाती है। तभी धीरे से कायर अपनी आँखे खोल देता है और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोलने लग जाता है।

अभिमन्यु और युग मन ही मन यह दुआ कर रहे थे कि कायर अमोदिता का नाम ना ले वरना भांडा फूट जाएगा। कायर बिन्दु की तरफ देखते हुए कहता है......

कायर : "अगर ये ख्वाब है तो मुझे ख्वाबों ही रहने दो,

मुझ गरीब को तुम्हारी बाहो में ही रहने दो।

मैं जिन्दगी नहीं बिता सकता तुम्हारे बिना,

तुम मुझे हमारी हसीन यादो में ही रहने दो।।"


कछुआ कायर के मजे लेते हुए कहता है......

कछुवा : "बेटा ये तुम्हारा कोई मुशायरा नहीं चल रहा है, जरा आँखे अच्छे से खोलो बिन्दू देवी साक्षात यहाँ पर पधारी है, सिर्फ तुम्हारे लिए समझे।"

जैसे ही कछुआ यह बात बोलता है कायर को अपनी आँखो पर यकिन नहीं होता है। वो दो से तीन बार अपनी आँखे मलता है। जब बिन्दु उसे वहीं पर बैठी मिलती है तो वह फुर्ती के साथ उठकर बैठ जाता है और खुश होते हुए कहता है.......

कायर : "बिन्दु तुम यहाँ पर और क्या ये कछुआ सच कह रहा है, तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आयी हो...?"

बिन्दु नाटक करते हुए बहाना बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम क्या पागल हो गये हो कायर, ये कछुआ तो कुछ भी बक-बक करते रहता है भला मैं तुमसे मिलने क्यों आऊँगी मैं तो यहाँ पर ये युग से मिलने आयी थी, इसे ये नाशता देने के लिए।"

इतना कहकर बिन्दु कछुए की तरफ इशारा करती है कछुआ अपने हाथ में पॉलिथीन पकड़ा हुआ था जिसमे बिन्दु ने नाशता पैक किया था।

कायर उदास होते हुए कहता है........

कायर : "अच्छा मुझे तो लगा..."

बिन्दु बीच में ही कायर को टोकते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम्हे क्या लगा, तुम्हे तो बहुत कुछ लगता है और ये बताओ कल युग और अभिमन्यु ने तुम्हे बताया होगा ना कि मेरा कॉल आया है तुमने

रिर्टन क्यों नहीं किया, तुम्हे पता भी है कितना सारा सामान लाना था हमे मार्केट से।"

कायर अपना सिर खुजाते हुए कहता है......

कायर : "कल तुमने मुझे कॉल किया था पर कब और ये युग और अभिमन्यु ने मुझे बताया क्यों नहीं....?"

युग कायर को टोकते हुए कहता है.......

युग : "अबे कितना झूठ बोलता है, बताया तो था भूल गया कल तुझे लूज मॉशन हो गया था बार-बार तू वॉशरूम के अंदर बाहर हो रहा था तब बताया था।"

कायर हैरानी के साथ कहता है.......

कायर : "लूज मोशन हुआ था और मुझे।"

अभिमन्यु युग का साथ देते हुए कहता है......

अभी : "हाँ तुझे लूज मोशन हुआ था ना तुझे गोली भी खिलायी थी चल अब हाँ बोल।" कायर अभिमन्यु और युग की बातो में फँस जाता है और

उसके मुँह से हाँ निकल जाता है।

बिन्दु उन लोगो को बीच में ही टोकते हुए कहती है....

बिंदु : "जो भी हुआ हो मुझे क्या करना है मुझे युग से मिलना था तो मिल लिया, अब मैं जा रही हूँ और हाँ कायर तुम जल्दी दुकान पर आ जाना"

कायर खुश होते हुए कहता है.......

बिंदु : "क्यों बिन्दु, तुम्हे कुछ काम है क्या मुझसे.....?"

बिन्दु मुँह बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "मुझे तुमसे क्या काम होगा भला, तुम्हारे बच्चो को तुमसे काम है।"

कायर : "क्या कहा मेरे बच्चे!"

बिंदु : "हाँ तुम्हारे वही छोटे छोटे बच्चे जिनके लिए तुम प्रेम पत्र लिखते हो, कल से तुम्हारी राह देख रहे है लाईन में लगे है कि कब तुम आओगे और उनकी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिखोगे।"

कायर : "अच्छा ठीक है, मैं आता हूँ।"

बिन्दु वहाँ से जाने लग जाती है, तभी कायर उसे रोकते हुए कहता है........

कायर : "अरे दो मिनट।"

बिन्दु पीछे पलटते हुए कहती है.....

बिंदु : "क्या है....?"

बिन्दु को रूकता हुआ देखकर कायर खुश हो जाता है, वह मन ही मन सोचने लग जाता हैं.......

बिंदु : "ये बिन्दु को क्या हो गया है, ये तो मेरी बात मानने लग गयी पहले कभी रूकने का बोला करता

था तो नहीं रूकती थी और आज देखो झट से रूक गयी, जैसे मेरे ही रोकने का इंतजार कर रही थी। "

बिन्दु कायर पर चिढ़ते हुए कहती है.......

बिंदु : "अब चुप क्यों हो कायर, बोलो क्यों रोका है मुझे....?"

कायर : "वो बिन्दु अब तुम यहाँ तक आ ही गयी हो तो थोड़ी देर और रूक जाओ ना, मैं बस अभी दो मिनट में फ्रेर्श होकर आता हूँ फिर हम दोनो साथ में ही चलेंगे, तुम जब तक पैदल-पैदल पहुँचोगी उससे बेहतर है तुम मेरे साथ ही चलना।"

बिन्दु सोचने लग जाती है कि वो क्या करे, कायर के फ्रेश होने का इंतजार करे या नहीं क्योंकि घर पर उसकी माँ ने उसे जल्दी आने बोला था।

बिन्दु को कुछ सोचता हुआ देखकर कायर फटाक से बिस्तर पर से उठते हुए कहता है.........

कायर : "अगर तुम्हे देर हो रही है तो मैं फ्रेश

होने भी नहीं जाता हूँ ऐसे ही तुम्हारे साथ चल देता हूँ चलो।"

कायर की बात सुनकर कछुआ, युग और अभिमन्यु हँसने 🤣🤣🤣🤣 लग जाते है। बिन्दु भी मन ही मन हँसने लग गयी थी।

बिन्दु कायर को मना करते हुए कहती है........

बिंदु : "अरे नहीं नहीं, तुम हो जाओ फ्रेश मैं इंतजार कर लेती हूँ... वैसे भी मैं पहली बार आयी हूँ इस ग्रेव्यार्ड कोठी में।"

बिन्दु कमरे के चारो तरफ अपनी नज़र फिराते हुए कहती है.......

बिंदु : "जितनी तारीफ सुनी थी उससे कई ज्यादा खूबसूरत कोठी है यह; युग क्या तुम मुझे वो कमरा दिखा सकते हो जहाँ पर यक्षिणी कैद है मुझे वो कमरा देखना था....?"

युग बिन्दु की बात का कुछ जवाब देता उससे पहले ही

कछुआ बिचकते हुए कहता है.......

कछुवा : "बिन्दु तुने क्या इस ग्रेव्यार्ड कोठी को कोई म्युजीयम समझकर रखा है जो तुझे यक्षिणी का

कमरा देखना है, वो यक्षिणी का कमरा है कोई महारानी का नहीं, जानती है ना यक्षिणी कौन थी, क्या भौकाल मचाया हुआ था उसने।"

बिन्दु प्रतिशोध की आग में कहती है.......

बिंदु : "हाँ जानती हूँ उसे कैसे भूल सकती हूँ मैं, उसी ने तो मेरे सिर पर से पिता का साया छीना था, मेरे पापा की जान ली थी उसने।"

युग धीरे से कहता है.........

युग : "मेरे भी।"

अभिमन्यु उन दोनो के बीच में बोल पड़ता है.......

अभी : "पर बिन्दु तू यक्षिणी का कमरा देखकर क्या करेगी वो कमरा तो बंद है.....?"

बिंदु : "अरे तो मैं बाहर से ही देख लूँगी, जरा मैं भी तो देखू उस यक्षिणी को किस और कैसी शक्तियों से बंद किया था उन तीनों धर्म गुरूओं ने।"

अभिमन्यु अपने हाथ से बायी तरफ इशारा करते हुए कहता है......

अभी : "ये जो कमरा है ना इसके बगल में ही रूम नम्बर 666 है वहीं पर यक्षिणी कैद है, जा कछुआ बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ।"

कछुआ झट से मना करते हुए कहता है......

कछुवा : "ना बाबा ना, मैं तो नहीं जा रहा तुम्ही लेकर जाओ, मैं तो उस कमरे के पास भी ना भटकू, वो तो ये युग के कारण आना पड़ता है, पता नहीं इसने

यक्षिणी के कमरे का बगल वाला कमरा ही रहने के लिए क्यों चुना, इतनी बड़ी कोठी में तुझे और कोई सा कमरा पसंद नहीं आया था क्या युग।"

युग कछुए के सवाल का जवाब देते हुए कहता है......

युग : "यार वो बात यह है कि बचपन में मैं इसी कमरे में रहा करता था, बहुत सी यादे जुड़ी हुई है इससे और बात को मत घुमा चुपचाप बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ । "

कछुवा : "ना बाबा ना, मैंने मना किया ना।"

बिन्दु कछुए को आँखे दिखाते हुए कहती है......

बिंदु : "अगर तुझे नहीं चलना तो मत चल, मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है मै अपने काम अकेले ही कर सकती हूँ, वैसे भी बगल में ही तो जाना

है तुम लोग नास्ता करो मैं यक्षिणी का रूम देखकर आती हूँ।"

इतना कहकर बिन्दु वहाँ से चले जाती है।

इस तरफ अमोदिता और रजनी किचन के अंदर थी ।

अमोदिता रोटियाँ बेल रही थी और उन्हे सेक रही थी। वहीं पर रजनी भी खड़ी हुई थी जो धड़ा-धड़ प्याज काटे जा रही थी।

इतनी स्पीड से वो प्याज काट रही थी कि यदि उससे जरा सी भी

चुक हुई तो सीधे उसकी उंगलियाँ कट जाएगी।

अमोदिता रोटी बेलते हुए कहती है.......

आमोदिता : "मां अब तो कायर पर

से वशीकरण टोटके का असर खत्म हो गया होगा ना।"

रजनी अमोदिता पर चिढ़ते हुए कहती है.....

रजनी : "नालायक लड़की तुझे कितनी बार बोला है एक बार हम भगवान पर शंका कर सकते है पर काले जादू पर नहीं, काले जादू के काले टोटके कभी
खाली नहीं जाते है समझी, बस उन्हे सही से करना आना चाहिये"

रजनी अमोदिता को घूरते हुए कहती है......

रजनी : "ये बता जैसा-जैसा मैंने तुझे बोला था सब वैसा ही किया था ना, कुछ गड़बड़ तो नहीं की थी"

अमोदिता : "नही माँ कुछ गड़बड़ नहीं
की थी जैसा आपने कहा था सब वैसा ही किया था, तुम्हारी कसम।"

रजनी : "मेरी कसम-वसम मत खा नालायक मुझे इतनी जल्दी नहीं
मरना, तेरी युग के साथ शादी करवा कर ही मरूँगी समझी।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता शर्मा जाती है, तभी उसके मन में उस कुत्ते का ख्याल आता है और वो रात का हादशा याद करते हुए कहती है........

आमोदिता : "माँ आपको पता है रात में ना चौराहे पर मुझे एक काला कुत्ता दिखा था और वही कुत्ता नदी के किनारे पर भी दिखा था जब मैं टोटका तोड़ रही थी, वो कुत्ता मुझे घूरे जा रहा था।"

रजनी : "बताओ क्या दिन आ गये है तेरे, युग को तुझे घूराना चाहिए
तो कुत्ते तुझे घूर रहे है और ये भी कोई बताने वाली बात है, मैं
क्या करूँगी उस कुत्ते के बारे में जानकर, मुझे क्यों बता रही है।"

अमोदिता छोटा सा मुँह बनाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "माँ मै तो बस
तुम्हे बता रही थी।"

रजनी रोटी की तरफ इशारा करते हुए कहती है......

राजनी : "ये फालूत की बाते मत बताया कर मुझे समझी और जरा रोटी को देख जल रही है वो।"

अमोदिता चीमटे से रोटी को पलटते हुए कहती है.....:

आमोदिता : "हा माँ देख रही हूँ मैं।"

कुछ देर बाद अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "वो माँ बाल वाला टोटका तो फेल हो गया अब आज रात कौनसा टोटका करना है हमें युग जी को वश में करने के लिए...?"

रजनी : "आज रात हम कोई टोटका नहीं कर सकते।"

अमोदिता अपनी भवे ऊपर करते हुए कहती है......

आमोदिता : "क्यों माँ.....?"

रजनी : "क्योंकि आज रात पूर्णिमा है।"

अमोदिता फटाक से कहती है........

आमोदिता : "पूर्णिमा हुआ तो क्या हुआ माँ ये तो और भी अच्छी बात है ना, मैंने सुना है पूर्णिमा और अमावस्या की रात सबसे ज्यादा टोटके किये जाते है और वो सबसे ज्यादा असरदार साबित होते है क्योंकि पूर्णिमा और
अमावस्या की रात दैत्य शक्तियाँ की ताकत बढ़ जाती है और साथ में उनके उपासको की भी शक्तिया बढ़ती हैं

रजनी : "शक्तियाँ उन उपासको की बढ़ती है जिनके पास पहले से
शक्तियाँ होती है तेरे पास कहाँ शक्तियाँ है नालायक लड़की, इतना
आसान नहीं होता है काली शक्तियाँ पाना समझी, वो तो अभी
तक मुझे भी नहीं मिली बस कुछ टोटको में सफल हुई हूँ इसलिए
आज रात हम दोनो ही मिलकर साधना करेंगे।"

आमोदिता : "और साधना करने से क्या होगा माँ...?"

रजनी : "अगर कोई सच्चे मन से साधना करता है तो हो सकता है
उसको काली शक्तियाँ मिल जाए और शक्तियाँ ना भी मिले तो
एक फायदा जरूर होता है और वो यह कि उसके बाद जो वो
टोटके करता है फिर कभी खाली नहीं जाते, उनका असर जरूर
होता है समझी।"

आमोदिता : "हाँ माँ समझ गयी।"

रजनी : "तो फिर आज रात बारह बजे तैयार रहना, हम बारह बजे से ही साधनाएँ करना शुरू कर देंगे।"

आमोदिता : "हाँ माँ मैं तैयार रहूँगी।"

इस तरफ ग्रेव्यार्ड कोठी में कायर फ्रेश होकर आ गया था

और बिन्दु जो समोसे लेकर आयी थी वो खा रहा था। कछुआ, युग और अभिमन्यु भी समोसे ही खा रहे थे कि तभी उन्हे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई देती है..........

औरत : "आअअअ.....अअ"

कछुआ घबराते हुए कहता हैं........

कछुवा : "यार तुमने आवाज सुनी, मुझे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई दी।"

युग झट से कहता है.......

युग : "हाँ यार सुनी, मुझे भी सुनाई दी।"

कायर हिचकिचाते हुए कहता है.......

कायर : "ये... ये तो बिन्दु की आवाज थी पर वो चीखी क्यों.............?"





☆ CH : Khulasa ☆





अब आगे...........



युग : तू कहा जा रहा हैं......?

कछुआ : "ऐसी जगह जहाँ पर झूठे लोग ना हो और अपने दोस्तो से कुछ ना छुपाए।"

अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"

युग : "कौन सा पेन यार....?"

अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।".........




8k+ Words Complete..........



Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye Like 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎

thanx Siraj Patel aap ki help se mai ab pics,gifs upload kar paa rahu.....
Wow.......

Ye Amodita or Rajni kya kya kar rahi hai

Aaj to yug nai kavya ke tote uda diye.... Ufff

Bindu or kayar or uske friends kamal ke hai :lol1:

Horror ke saath saath Fun ka bhi maza hai 👍
 
  • Like
Reactions: Lucky@khan

montumass

Active Member
964
2,057
123
K

Updat e 26



☆ Ch : Totka utra yaa nahi ☆




अब तक..............



आमोदिता : "कहाँ चली गयी, यहीं पर तो फेकी थी मैंने, अरे कहाँ गयी यहीं पर होना चाहिए उसे, यहीं कहीं होगी।"

अभी : "अगर यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है तो मुझे बताओ वो किस साईड है, मुझे राह दिखाओ ब्रह्मांड की तरंगे अपना करिश्मा दिखाओ।"

आमोदिता : "ये इतने सारे जुगनू कहाँ से आ गये नदी के पास, आज से पहले तो इतने जुगनू कभी नहीं देखे।".............





अब आगे .............




अमोदिता ने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नज़र उसके हाथ में पहनी वॉच पर पड़ती है और वो देखती है कि चार बजने में पांच मिनट ही कम थे।

अमोदिता : "छोड़ो मुझे क्या करना है इन जुगनुओ से, आए हो कहीं से भी मैं तो वो करती हूँ जो मैं यहाँ पर करने आई हूँ, चार बजने वाले है यदि चार बजे से पहले मैनें ये टोटका नहीं तोड़ा तो गड़बड़ हो जाएगी और यदि इस बार कोई गड़बड़ हुई तो माँ मुझे छोड़ेगी नहीं।"

इतना कहकर अमोदिता वापस से हल्दी की गाँठ में से बाल
निकालने लग जाती है और कुछ ही देर में वो हल्दी की गाँठ से
पूरी तरह बाल अलग करने में कामयाब भी हो जाती है।
अमोदिता ने काला कपड़ा, हल्दी का गाँठ और कायर का बाल
तीनो अलग-अलग कर लिया था। अमोदिता फिर अपनी नज़र
अपने आस-पास घुमाती है। जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है
कि कोई उसे देख नहीं रहा वह धीरे-धीरे नदी के किनारे पर बैठने
लग जाती है। हाथ में अमोदिता कपड़ा हल्दी की गाँठ और कायर का बाल एक कड़कर अपना हाथ नदी के ऊपर रखते हुए कहती है

आमोदिता :

"ओम ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय हुम पिताम्बरे तंत्र बधं नाशय
नाशय।"


अमोदिता बार-बार इसी मंत्र का जाप किये जा रही थी। जैसे-जैसे वह मंत्र का जाप कर रही थी वो जुगनू उसके हाथ के पास आकर मंडराने लग गये थे, ये सब देखकर अमोदिता काफी हैरान हो गयी थी पर मंत्र का जाप शुरू करने के कारण कुछ कर नहीं

पा रही थी। अमोदिता सात बार मंत्र का जाप करती है और वह तीनो चीजे नदी के अंदर प्रवाहित कर देती है। वो जैसे ही उन चीजो को नदी के अंदर डालती है वो जुगनू अचानक से गायब हो जाते है।

अमोदिता हेरानी के साथ कहती है........

आमोदिता : "अरे वो जुगनू कहाँ पर चले गये अभी तो यहीं पर थे, बड़े अजीब जुगनू है जब मन करता

है तब दिखते है जब मन करता है गायब हो जाते है।"

इतना कहकर अमोदिता पीछे मुड़ती है। जब वो पीछे मुड़ती है तो और ज्यादा दंग हो जाती है। उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है, उसके पीछे काला कुत्ता खड़ा हुआ था, ये वही कुत्ता था जो उसे उसके घर के पास वाले चौराहे पर मिला था वह कुत्ता अमोदिता को घूरे जा रहा था।

आमोदिता : "अरे ये कुत्ता यहाँ पर भी आ गया, ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया अभी मजा चखाती हूँ इस कुत्ते की औलाद को।"

इतना कहकर अमोदिता नदी के पास ही पड़ा पत्थर उठाती है और उस कुत्ते की तरफ फेंककर मार देती है। इस बार उसका निशाना एक दम सही बैठता है और सीधा जाकर उस कुत्ते को लग जाता है। पत्थर पड़ने पर पहले वो कुत्ता चीखता है और फिर वहाँ से दुम दबाकर भाग जाता है।

अमोदिता खुश होते हुए कहती है : "ये हुई ना बात, आज तो मेरे दोनो निशाने एक दम सही जगह पर लगे है, उम्मीद है कल तक कायर पर से टोटके का असर भी खत्म हो जाएगा।"

इतना कहकर अमोदिता अपने कदम वापस अपने घर की ओर बढ़ाने लग जाती है।

सुबह हो गयी थी और सुबह के आठ बज रहे थे। युग और अभिमन्यु अभी तक गहरी नींद में सो रहे थे। तभी कोई दरवाजे पर दस्तक देता है और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लग जाता है। दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर युग और अभिमन्यु दोनो की नींद खुल जाती है।

अभी उबासी लेते हुए कहता है : "यार ये सुबह सुबह कौन आ गया अब....?"

युग : "पता नहीं यार कौन आया होगा, तू रूक मैं देखकर आता

अभी : "हाँ देखकर आ।"

इतना कहकर युग अपनी जगह पर से उठता है और

दरवाजे के पास जाने लग जाता है। जब वो दरवाजा खोलता है तो देखता है कि दरवाजे पर काव्या खड़ी थी.......


HD-wallpaper-kajal-agarwal-kajal-agarwal-tollywood

उसने वाइट कलर की टीशर्ट और ब्लैक कलर की जीन्स पहने हुयी थी

जो युग को घूरे जा रही थी भले ही उसके चेहरे पर कोई गुस्से के भाव नहीं दिख रहे थे मगर वो अंदर ही अंदर गुस्से मै उबल रही थी और उबलते हुये अपनी कड़ी अवाज मै कहती है..........

काव्या : युग अपना सामान फटा- फट पैक करो और यहाँ से चलो

युग : चलो कहा चलो....?

काव्या : हवेली अपने घर आज से तुम वही रहोगे

युग : मै कही नहीं जाने वाला मै यही रहूँगा

काव्या : देख युग मै प्यार से बोल रही हु तू घर चल नहीं तो

युग : नहीं तो क्या......?

काव्या : नहीं तो तुझे घसीट के ले जाउंगी

काव्या की बात सुन कर युग को हसीं आने लग जाती है और वो हस्ते हुये कहता है...........

युग : हा... हाहाहा... हाहाहा...लगता है आप सुबह-सुबह कोई मूवी देख कर आ रही हो आप जाओ मै नहीं आऊंगा

काव्या चिल्लाते हुये युग से कहती है........

काव्या : युग.......

युग :......?

काव्या : तू अपने आप को क्या समझता है युग जरा सा बड़ा क्या हो गया की अपने आप को हम सबसे बड़ा समझने लगा, तू भूल मत मै तेरी बड़ी बहन हु और मै तुझे जो कहूँगी वो तू करेगा समझा ना अब चल घर

काव्या ये बोलते हुये युग का हाथ पकड़ कर कोठी के बाहर खींचने लगती है मगर युग उसका हाथ झटटकते हुये अपना अपना हाथ छुड़ाता है और कहता है.......

युग : छोडो मेरा हाथ मै नहीं जाऊँगा उस घर मै उस औरत के पास

काव्या एक जोरदार थप्पड़ युग के गाल पर मारती है...

चटाककककककक.........

काव्या युग को घर ले जाने के लिए आयी तो थी मगर कल जो हुआ उसका गुस्सा भी निकालना था इस लिए उसने युग को मारा

झटके मै काव्या को कोठी के बाहर धकेल देता है जिससे काव्या पीछे की तरफ 4,5 कदम लड़खड़ाते हुये पीछे चली जाती है वो अपने आप को संभाल लेती है नहीं तो वो पीछे के बाल गिर जाती


जैसे ही काव्या अपने आप को संभालती है वैसे ही वो युग के पास आकर उसे अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर रख कर धक्का देती है जिससे युग 5,6 कदम पीछे की और होते हुये कोठी के हाल मै आ जाता है और काव्या दरवाजे से अंदर आते हुये बोलती है.......


काव्या : तेरी इतनी हिम्मत तू मुझे धक्का देता है कमीना रुक अभी तेरी अच्छी खातिदारी करती हु


युग : देखो दीदी चली जाओ यहाँ से नहीं तो......


काव्या युग के पास आ जाती है और वो युग के सामने बिलकुल पास मै थी और उससे आँखे मिलते हुये गुस्से मै बोलती है........


काव्या : नहीं तो क्या करेगा मारेगा मुझे बोल मरेगा कमीना


चटाककक.......


एक और झापड़ युग के गालो पर पडती है और कोठी के हॉल मै थप्पड़ की गूंज गुजने लग गयी थी, देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे वो युग को अपने साथ घर ले जाने के लिए नहीं आयी थी बल्कि कल जो भी युग नै उसके साथ किया था उसका बदला लेने आयी हो और ले भी रही थी


चटाकककक........


अभी एक थप्पड़ की गूंज गुजना बंद भी नहीं हुआ था की एक और थप्पड़ की गूंज गुजने लग जाती है और इस बार काव्या अपने लेफ्ट गाल पर हाथ रख लेती है ये थप्पड़ काव्या नै युग को नहीं मारा था बल्कि युग नै काव्या को थप्पड़ दे मारा और गुस्से मै बोलता है.....

युग : माधचोद चली जा यहाँ से नहीं तो चोद दूंगा

युग के मुँह से ऐसी बात सुनकर काव्या दंग हो जाती है उस लगा था वो युग को कुछ थप्पड़ लगायेगी और कुछ सुनाएगी तो युग कुछ नहीं बोलेगा मगर ये तो उससे कुछ ज्यादा ही उल्टा हो गया

काव्या गुस्से मै बोलती है.......

काव्या : युग..... तू मुझे गाली दे रहा है कुत्ता कही का रुक अभी बताती हु तू ऐसे नहीं सुधरेगा

ये बोल कर काव्या युग के पास जाती है और अपना राइट हैंड उठा कर युग के गाल पर एक जोर का थप्पड़ दे मरती है

मगर उसका थप्पड़ युग के गाल पर पड़ने से पहले ही युग उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे एक झटके मै अपनी तरफ घुमा कर अपने सीने से सटा लेता और उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है और कहता है.....

युग : तो आप नहीं मानोगी ना मै गाली क्या मै तो आपकी माँ भी चोदुँगा और अब आप को भी

इतना कहते हुये युग काव्या के दोनो हाथों को छोड़ देता है और जल्दी से उसके उभरे हुये चूची पकड़ लेता है और दबाने लग जाता है

अपने भाई को ऐसा करते हुये देख कर काव्या शॉक हो जाती हैं .......


e31afe27373ce433d486698dea5dfbe7
desktop-wallpaper-kajal-agarwal-hot-face-expression


जिससे काव्या के मुँह से दर्द की सिसकारिया निकलने लगती है


काव्या : अह्ह्ह्ह....... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....... युग कमिने छोड़ मुझे मै तेरी दीदी हु ये तू क्या कर रहा है आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... छोड़ मेरी बूब्स को कमीना..........


युग : बूब्स नहीं चूची बोलते है और एक बार चुद जाने के बाद तुम मेरी दीदी नहीं रहोगी.......


ये बोल कर युग काव्या का नरम- नरम चूचियाँ डबाने और मसलने लग जाता है


काव्या अपने दोनो हाथों से अपनी चूची पर से युग का हाथ हटाने की कोशिश करने लग जाती है मगर हटा नहीं पाती है युग उसे मजबूती के साथ पकड़े हुये था और उसकी चूची मसले जा रहा था


काव्या : आह्ह...... मुहहह......छोड़ दे कुत्ता छोड़ दर्द हो रहा है प्लीज.. अह्ह्ह्हह........ उमह्ह्ह्ह ...... छोड़ दे कमीने


ये कहते हुये काव्या युग के पैर पर अपने पैर से एक लात मारती है जिससे युग का बैलेंस बिगड़ जाता है जिसके चलते काव्या उसके बाहो के गिरफ्त से आजाद हो जाती है और 7,8 कदम दूर जा कर गुस्से मै कहती है.....


काव्या : सच मै तू कुत्ता है कुत्ता


युग : रुक मै तुझे अभी कुत्तापाना दिखता हु माधरचोद


ये बोल कर युग काव्या की तरफ तेज़ी के साथ भागते हुये जाता है जिसे देख कर काव्या वही पास के एक कमरे मै घुस जाती है और जल्दी से दरवाजा बंद करने लग जाती है


काव्या नै अभी रूम का दरवाजा बंद ही किया था और जैसे ही कुंडी लगाने वाली होती है तभी युग जोर से दरवाजा खोल देता है और अंदर आते हुये काव्या का बाल पकड़ता है और उसे दिवाल के सहारे भिड़ाते हुये उसकी टीशर्ट ऊपर कर देता है जैसे ही काव्या का टीशर्ट ऊपर होता है वैसे ही उसकी ब्लैक ब्रा दिखने लग जाती है और वो ब्लैक ब्रा मै से आधी नंगी गोरी -गोरी चूची दिखने लग जाती है जो ऊपर निचे हो रही थी युग आधी गोरी चूची ऊपर निचे होते हुये देख कर पगला गया था अब उसके लोवर मै झटके आने लग गये थे

युग जोर जोर से काव्या की चूची को ब्रा के ऊपर से दबाये जा रहा था और साथ ही साथ उसे किश भी किये जा रहा था

देखते देखते युग काव्या की ब्रा निचे कर के उसकी चूची अपने उठो से चूसने लग जाता हैं जिससे काव्या के शरीर मै एक अजब सी सनसनी रेंगनी लग जाती हैं जिसके चलते उसकी आँखे बंद होने लग जाती हैं और उसके मुँह से सिसकारिया निकलने लग जाती hai.......

काव्या : Uhmmmm...... Ohhhhhh..........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress

युग काव्या की चूची के निपल अपने उठो से पकड़ता हैं और खींच कर छोड़ देता हैं.........


6005302f799546bd2953dbad16448c2c

काव्या : अह्ह्ह....... उफ्फफ्फ्फ़.... छोड़ दे युग उम्म्म.........

अभी काव्या नै इतना ही कहा था की युग उसकी जीन्स पैंट मै अपना राईट हैंड डाल देता हैं और काव्या की चूत मै अपनी एक ऊँगली घुसा देता हैं जिससे काव्या की आँखे ऊपर की तरफ होने लगती हैं...........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress-1

काव्या : आअह्ह्ह.......... युगगगगग......... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ..........

युग नै अभी अपनी एक आधी ऊँगली ही काव्या की चूत मै घुसाया था जिससे काव्या की सिसकारिया निकलने लगी थी और वही सिसकारिया सुन कर युग अपनी पूरी ऊँगली काव्या की चूत मै पूरा का पूरा घुसा देता हैं

काव्या : अह्ह्ह...... ओह्ह्ह्हह्ह....... ओह.. ओह... ओह.. उफ्फफ्फ्फ़.....

काव्या : आअह्ह्हह्ह्ह्ह युग छोड़ दे कमीने मै तेरी दीदी हु कुत्ते छोड़ मुझे........ उम्म्म्म

इतना कह कर काव्या नै अपनी पूरी ताकत लगा कर युग को धक्का देते हुये अपने से दूर फेक दिया जिससे युग लड़खड़ा कर पीछे के बल जमीन मै जा गिरा इतने मै काव्या वहा से भाग कर हाल मै आ गयी और किसी से टकरा गयी

अभी : आयीईई

अभी : अरे काव्या दीदी आप को दिखाई नहीं देता है क्या और आप उस रूम से इतना तेज़ी मै कियु दौड़ कर आ रही है

काव्या रूम मै से निकलने से पहले अपना टीशर्ट ठीक कर लिया था और वो अभी से टकरा गयी थी काव्या अभी के सवालों का कुछ जवाब देती उससे पहले ही युग रूम मै से निकलते हुये कहता है........

युग : अरे वो मैंने काव्या दीदी से बताया की मुझे लगता है यक्षिणी आज़ाद हो गयी है बस यही सुन कर डर के मारे भागने लगी

काव्या युग को घूर के देख रही थी तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है तीनो दरवाजे की तरफ देखते है

अभी : अब कौन आ गया यॉर सुबह सुबह

युग : अरे मैंने तो दरवाजा नहीं बंद किया था फिर.............?

अभी : अरे यार दरवाजा मैंने बंद किया था ऊपर से आते हुये ही

इतना बोल कर अभी दरवाजा खोल देता है और सामने देखता है उसके सामने कछुआ खड़ा हुआ था।

कछुआ बहुत ही शांत खड़ा हुआ था आज तक अभिमन्यु ने उसे इतना शांत इससे पहले कभी नहीं देखा था।

अभिमन्यु खुश होते हुए कहता है.......

अभी : "अरे कछुआ तू आ गया और बता तेरी दादी की तबियत कैसी है अब, वो युग बता रहा था

कि अचानक से खराब हो गयी, यार मै ना मिलने ही आने का सोच रहा था पर..."

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि तभी वो चुप हो जाता है उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है।

कछुए के पीछे से बिन्दु निकलती है जो कि बड़ी-बड़ी आँखे करके अभिमन्यु को घूरते जा रही थी।


HD-wallpaper-keerthi-suresh-actress-keerthisuresh-keerthy-keerthy-suresh-keerthysuresh-malayalam-tam

अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है......

अभी : "बिन्दु तुम, और यहाँ पर!"

बिन्दु कछुए के आगे आते हुए कहती है.......

बिंदु : "हाँ मैं और यहाँ पर तुम इतना हैरान क्यों हो रहे हो अभिमन्यु मुझे यहाँ पर देखकर, और ये बताओ कायर कहाँ पर है कल से जब से कॉल कर रही हूँ एक बार बात तक नहीं करायी तुम लोगो ने मेरी उससे,

वो ठीक तो है ना, तुम लोग मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे?"

अभिमन्यु हकलाते हुए कहती है.......

अभी : "वो........वो बिन्दु... वो बिन्दु

कायर ना... कायर ना...."

बिंदु : "ये कायर कायर क्या लगा कर रखा है, मैने पूछा कायर कहाँ पर है मुझे ये बताओ।"

अभी : "वो अंदर ही है बिन्दू"

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि बिन्दु अभिमन्यु को साइड हटाते हुए ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर घूस जाती है।

अभिमन्यु कछुए के कान में कहता है........

अभी : "अबे कछुए तू इस बिन्दु को यहाँ पर लेकर

क्यों आ गया, तुझे पता है ना कायर की हालत कैसी है यदि उसने कायर के मुँह से अमोदिता का नाम सुन लिया तो कायर की लव स्टोरी का यहीं पर दी एंड हो जाएगा और अगर बेटा ऐसा वैसा कुछ हुवा ना तो समझ लेना अब से वो तेरी माँ चोदेगा "


कछुआ धीरे से कहता है - "यार मैं तो ये बिन्दु की दुकान पर चाय पीने गया था, इसने पूछा कि कायर कहाँ पर है तो मैंने कहा वो तो वहीं पर होगा ग्रेव्यार्ड कोठी में उससे फोन पर बात कर लो, तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा बस यह पूछा कि तुम कहाँ जा रहे

हो तो मैंने बता दिया की ग्रेव्यार्ड कोठी, तो वो भी मेरे पीछे साथ आ गयी, मैंने मना करने की बहुत कोशिश की पर तू तो जानता ही है बिन्दु सुनती कहाँ है किसी की, और वो कायर मेरी माँ कियु चोदेगा मैंने क्या किया है

अभिमन्यु चिढ़ते हुए कहता है.......

अभी :"तेरी चाय के कारण अब पता नहीं यहा क्या-क्या हंगामा होगा और कायर का बिंदु से कोई झगड़ा वड़गा हो गया ना तू आज के बाद तो वो बिंदु को चुद तो नहीं पायेगा इसलिए अब तेरी माँ को ही चोदना पड़ेगा "

कछुवा : अबे माधरचोद साले कुछ भी बोलता है

अभी : हीहीही......

जब बिन्दू कोठी के अंदर घुसती है तो उसे वहीं पर युग और काव्या दिखाई देते है।

बिंदु : अरे काव्या दीदी आप यहां पर किया बात है काव्या दीदी आज कल आप अपनी फ्रेंड्स के साथ मेरी दूकान पर कॉफ़ी पिने नहीं आती है क्या अब मै कॉफ़ी अच्छी नहीं बनती क्या

काव्या : अरे ऐसी बात नहीं है बिंदु वो मै थोड़ा बिजी थी ना इसलिए नहीं आ पाती हु

बिंदु : ओह ऐसी बात है दीदी तो आज आप अपने फ्रेंड्स के साथ आओगी ना

काव्या : नहीं बिंदु आज नहीं कल जरूर आउंगी

बिंदु : अच्छा ठीक है दीदी

काव्या : वैसे बिंदु तुम यहाँ क्या कर रही हो

बिंदु : अरे दीदी वो कायर यही कोठी मै युग के साथ रहता है ना बस उसी से मिलने के लिए आगयी बस

काव्या युग को घूरते हुये कहती है.........


images-7

काव्या : यहाँ रुकना ठीक नहीं है बिंदु यहाँ पर एक कुत्ता रहता है बहोत कमीना कुत्ता है

बिंदु को कुछ समझ मै नहीं आता है.....

बिंदु : कुत्ता कहा है कुत्ता काव्या दीदी

काव्या : यही कोठी के आस-पास अच्छा मै अब चलती हु तुम जरा उस कुत्ते से संभल कर रहना

इतना बोल कर काव्या कोठी के बाहर चली जाती है

बिंदु युग से पूछती है.........

बिंदु : "युग कायर कहाँ पर है....?"

पहले तो युग भी बिन्दु को वहाँ पर अचानक से देखकर घबरा जाता है पर बड़ी ही हिम्मत करके कहता है........

युग : "वो तो मेरे कमरे में है..."

इससे आगे युग कुछ कहता उससे पहले ही बिन्दु अपना अगला सवाल युग पर दाग देती है......

बिंदु "और तुम्हारा कमरा कहाँ पर है...?"

युग कहता कुछ नहीं बस अपने हाथ से सीढ़ियों की ओर इशारा कर देता है।

बिन्दु युग के कमरे की ओर जाने लग जाती है। युग, कछुआ और अभिमन्यु भी उसके पीछे-पीछे जाने लग जाते है। जैसे-जैसे

बिन्दु युग के कमरे की ओर अपने कदम बढ़ा रही थी युग, अभिमन्यु और कछुए तीनो की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यदि कायर ठीक नहीं हुआ होगा तो वो बिन्दु को क्या जवाब देंगे, क्या बताऐंगे की कायर क्यों अमोदिता का नाम बड़बड़ाए जा रहा है।

जब बिन्दु युग के कमरे में पहुँचती है तो देखती है कि कायर अभी भी बेड पर सोया हुआ था।

बिन्दु हैरानी के साथ कहती है......

बिंदु "ये कायर अभी तक सो क्यों रहा है, इसकी तबियत तो ठीक है ना....?"

युग अभिमन्यु और कछुआ बिन्दु के सवाल का कुछ जवाब नहीं देते बल्कि एक-दूसरे के चेहरे देखने लग जाते है। बिन्दु कायर के पास जाकर बेड पर बैठ जाती है। तभी उसकी नज़र जमीन पर पड़ी मछली पर पड़ती है और वो कहती है.......

बिंदु : "ये तुमने भुंजी मछली को नीचे क्यों फेक कर रखा है, तुम्हे खाने का अपमान करते हुए शर्म नहीं आती क्या।"

युग : "वो बिन्दू ये मछली ना खराब हो गयी थी, तो कल रात ना मैं इसे डस्टिबिन में डालने जाने वाला था पर तभी लाईट चले गयी तो यहीं पर गिर गयी थी।"

बिन्दु मछली को छुते हुए कहती है.......

बिंदु : "पर ये मछली तो मुझे ताजी लग रही है, ऐसा लग रहा है जैसे आज ही पकड़ी गयी हो ये खराब कैसे हो सकती है।"

बिन्दु की बात सुनकर युग और अभिमन्यु भौंचके रह जाते है। वो मन ही मन सोचने लग जाते है......

अभी, युग : ( मन मै )"ये कैसे हो सकता है कल रात तो मछली सड़ने की बदबू आ रही थी, ये ताजी कैसे हो सकती है।"

युग और अभिमन्यु इस बात का पता लगा पाते उससे पहले ही कायर नींद में से उठने लग जाता है।

कछुआ अपने हाथ से कायर की ओर इशारा करते हुए कहता है........

कछुवा : "वो देखो लगता है कायर उठ रहा है।"

बिन्दु कायर के माथे पर हाथ फेरने लग जाती है। तभी धीरे से कायर अपनी आँखे खोल देता है और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोलने लग जाता है।

अभिमन्यु और युग मन ही मन यह दुआ कर रहे थे कि कायर अमोदिता का नाम ना ले वरना भांडा फूट जाएगा। कायर बिन्दु की तरफ देखते हुए कहता है......

कायर : "अगर ये ख्वाब है तो मुझे ख्वाबों ही रहने दो,

मुझ गरीब को तुम्हारी बाहो में ही रहने दो।

मैं जिन्दगी नहीं बिता सकता तुम्हारे बिना,

तुम मुझे हमारी हसीन यादो में ही रहने दो।।"


कछुआ कायर के मजे लेते हुए कहता है......

कछुवा : "बेटा ये तुम्हारा कोई मुशायरा नहीं चल रहा है, जरा आँखे अच्छे से खोलो बिन्दू देवी साक्षात यहाँ पर पधारी है, सिर्फ तुम्हारे लिए समझे।"

जैसे ही कछुआ यह बात बोलता है कायर को अपनी आँखो पर यकिन नहीं होता है। वो दो से तीन बार अपनी आँखे मलता है। जब बिन्दु उसे वहीं पर बैठी मिलती है तो वह फुर्ती के साथ उठकर बैठ जाता है और खुश होते हुए कहता है.......

कायर : "बिन्दु तुम यहाँ पर और क्या ये कछुआ सच कह रहा है, तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आयी हो...?"

बिन्दु नाटक करते हुए बहाना बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम क्या पागल हो गये हो कायर, ये कछुआ तो कुछ भी बक-बक करते रहता है भला मैं तुमसे मिलने क्यों आऊँगी मैं तो यहाँ पर ये युग से मिलने आयी थी, इसे ये नाशता देने के लिए।"

इतना कहकर बिन्दु कछुए की तरफ इशारा करती है कछुआ अपने हाथ में पॉलिथीन पकड़ा हुआ था जिसमे बिन्दु ने नाशता पैक किया था।

कायर उदास होते हुए कहता है........

कायर : "अच्छा मुझे तो लगा..."

बिन्दु बीच में ही कायर को टोकते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम्हे क्या लगा, तुम्हे तो बहुत कुछ लगता है और ये बताओ कल युग और अभिमन्यु ने तुम्हे बताया होगा ना कि मेरा कॉल आया है तुमने

रिर्टन क्यों नहीं किया, तुम्हे पता भी है कितना सारा सामान लाना था हमे मार्केट से।"

कायर अपना सिर खुजाते हुए कहता है......

कायर : "कल तुमने मुझे कॉल किया था पर कब और ये युग और अभिमन्यु ने मुझे बताया क्यों नहीं....?"

युग कायर को टोकते हुए कहता है.......

युग : "अबे कितना झूठ बोलता है, बताया तो था भूल गया कल तुझे लूज मॉशन हो गया था बार-बार तू वॉशरूम के अंदर बाहर हो रहा था तब बताया था।"

कायर हैरानी के साथ कहता है.......

कायर : "लूज मोशन हुआ था और मुझे।"

अभिमन्यु युग का साथ देते हुए कहता है......

अभी : "हाँ तुझे लूज मोशन हुआ था ना तुझे गोली भी खिलायी थी चल अब हाँ बोल।" कायर अभिमन्यु और युग की बातो में फँस जाता है और

उसके मुँह से हाँ निकल जाता है।

बिन्दु उन लोगो को बीच में ही टोकते हुए कहती है....

बिंदु : "जो भी हुआ हो मुझे क्या करना है मुझे युग से मिलना था तो मिल लिया, अब मैं जा रही हूँ और हाँ कायर तुम जल्दी दुकान पर आ जाना"

कायर खुश होते हुए कहता है.......

बिंदु : "क्यों बिन्दु, तुम्हे कुछ काम है क्या मुझसे.....?"

बिन्दु मुँह बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "मुझे तुमसे क्या काम होगा भला, तुम्हारे बच्चो को तुमसे काम है।"

कायर : "क्या कहा मेरे बच्चे!"

बिंदु : "हाँ तुम्हारे वही छोटे छोटे बच्चे जिनके लिए तुम प्रेम पत्र लिखते हो, कल से तुम्हारी राह देख रहे है लाईन में लगे है कि कब तुम आओगे और उनकी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिखोगे।"

कायर : "अच्छा ठीक है, मैं आता हूँ।"

बिन्दु वहाँ से जाने लग जाती है, तभी कायर उसे रोकते हुए कहता है........

कायर : "अरे दो मिनट।"

बिन्दु पीछे पलटते हुए कहती है.....

बिंदु : "क्या है....?"

बिन्दु को रूकता हुआ देखकर कायर खुश हो जाता है, वह मन ही मन सोचने लग जाता हैं.......

बिंदु : "ये बिन्दु को क्या हो गया है, ये तो मेरी बात मानने लग गयी पहले कभी रूकने का बोला करता

था तो नहीं रूकती थी और आज देखो झट से रूक गयी, जैसे मेरे ही रोकने का इंतजार कर रही थी। "

बिन्दु कायर पर चिढ़ते हुए कहती है.......

बिंदु : "अब चुप क्यों हो कायर, बोलो क्यों रोका है मुझे....?"

कायर : "वो बिन्दु अब तुम यहाँ तक आ ही गयी हो तो थोड़ी देर और रूक जाओ ना, मैं बस अभी दो मिनट में फ्रेर्श होकर आता हूँ फिर हम दोनो साथ में ही चलेंगे, तुम जब तक पैदल-पैदल पहुँचोगी उससे बेहतर है तुम मेरे साथ ही चलना।"

बिन्दु सोचने लग जाती है कि वो क्या करे, कायर के फ्रेश होने का इंतजार करे या नहीं क्योंकि घर पर उसकी माँ ने उसे जल्दी आने बोला था।

बिन्दु को कुछ सोचता हुआ देखकर कायर फटाक से बिस्तर पर से उठते हुए कहता है.........

कायर : "अगर तुम्हे देर हो रही है तो मैं फ्रेश

होने भी नहीं जाता हूँ ऐसे ही तुम्हारे साथ चल देता हूँ चलो।"

कायर की बात सुनकर कछुआ, युग और अभिमन्यु हँसने 🤣🤣🤣🤣 लग जाते है। बिन्दु भी मन ही मन हँसने लग गयी थी।

बिन्दु कायर को मना करते हुए कहती है........

बिंदु : "अरे नहीं नहीं, तुम हो जाओ फ्रेश मैं इंतजार कर लेती हूँ... वैसे भी मैं पहली बार आयी हूँ इस ग्रेव्यार्ड कोठी में।"

बिन्दु कमरे के चारो तरफ अपनी नज़र फिराते हुए कहती है.......

बिंदु : "जितनी तारीफ सुनी थी उससे कई ज्यादा खूबसूरत कोठी है यह; युग क्या तुम मुझे वो कमरा दिखा सकते हो जहाँ पर यक्षिणी कैद है मुझे वो कमरा देखना था....?"

युग बिन्दु की बात का कुछ जवाब देता उससे पहले ही

कछुआ बिचकते हुए कहता है.......

कछुवा : "बिन्दु तुने क्या इस ग्रेव्यार्ड कोठी को कोई म्युजीयम समझकर रखा है जो तुझे यक्षिणी का

कमरा देखना है, वो यक्षिणी का कमरा है कोई महारानी का नहीं, जानती है ना यक्षिणी कौन थी, क्या भौकाल मचाया हुआ था उसने।"

बिन्दु प्रतिशोध की आग में कहती है.......

बिंदु : "हाँ जानती हूँ उसे कैसे भूल सकती हूँ मैं, उसी ने तो मेरे सिर पर से पिता का साया छीना था, मेरे पापा की जान ली थी उसने।"

युग धीरे से कहता है.........

युग : "मेरे भी।"

अभिमन्यु उन दोनो के बीच में बोल पड़ता है.......

अभी : "पर बिन्दु तू यक्षिणी का कमरा देखकर क्या करेगी वो कमरा तो बंद है.....?"

बिंदु : "अरे तो मैं बाहर से ही देख लूँगी, जरा मैं भी तो देखू उस यक्षिणी को किस और कैसी शक्तियों से बंद किया था उन तीनों धर्म गुरूओं ने।"

अभिमन्यु अपने हाथ से बायी तरफ इशारा करते हुए कहता है......

अभी : "ये जो कमरा है ना इसके बगल में ही रूम नम्बर 666 है वहीं पर यक्षिणी कैद है, जा कछुआ बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ।"

कछुआ झट से मना करते हुए कहता है......

कछुवा : "ना बाबा ना, मैं तो नहीं जा रहा तुम्ही लेकर जाओ, मैं तो उस कमरे के पास भी ना भटकू, वो तो ये युग के कारण आना पड़ता है, पता नहीं इसने

यक्षिणी के कमरे का बगल वाला कमरा ही रहने के लिए क्यों चुना, इतनी बड़ी कोठी में तुझे और कोई सा कमरा पसंद नहीं आया था क्या युग।"

युग कछुए के सवाल का जवाब देते हुए कहता है......

युग : "यार वो बात यह है कि बचपन में मैं इसी कमरे में रहा करता था, बहुत सी यादे जुड़ी हुई है इससे और बात को मत घुमा चुपचाप बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ । "

कछुवा : "ना बाबा ना, मैंने मना किया ना।"

बिन्दु कछुए को आँखे दिखाते हुए कहती है......

बिंदु : "अगर तुझे नहीं चलना तो मत चल, मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है मै अपने काम अकेले ही कर सकती हूँ, वैसे भी बगल में ही तो जाना

है तुम लोग नास्ता करो मैं यक्षिणी का रूम देखकर आती हूँ।"

इतना कहकर बिन्दु वहाँ से चले जाती है।

इस तरफ अमोदिता और रजनी किचन के अंदर थी ।

अमोदिता रोटियाँ बेल रही थी और उन्हे सेक रही थी। वहीं पर रजनी भी खड़ी हुई थी जो धड़ा-धड़ प्याज काटे जा रही थी।

इतनी स्पीड से वो प्याज काट रही थी कि यदि उससे जरा सी भी

चुक हुई तो सीधे उसकी उंगलियाँ कट जाएगी।

अमोदिता रोटी बेलते हुए कहती है.......

आमोदिता : "मां अब तो कायर पर

से वशीकरण टोटके का असर खत्म हो गया होगा ना।"

रजनी अमोदिता पर चिढ़ते हुए कहती है.....

रजनी : "नालायक लड़की तुझे कितनी बार बोला है एक बार हम भगवान पर शंका कर सकते है पर काले जादू पर नहीं, काले जादू के काले टोटके कभी
खाली नहीं जाते है समझी, बस उन्हे सही से करना आना चाहिये"

रजनी अमोदिता को घूरते हुए कहती है......

रजनी : "ये बता जैसा-जैसा मैंने तुझे बोला था सब वैसा ही किया था ना, कुछ गड़बड़ तो नहीं की थी"

अमोदिता : "नही माँ कुछ गड़बड़ नहीं
की थी जैसा आपने कहा था सब वैसा ही किया था, तुम्हारी कसम।"

रजनी : "मेरी कसम-वसम मत खा नालायक मुझे इतनी जल्दी नहीं
मरना, तेरी युग के साथ शादी करवा कर ही मरूँगी समझी।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता शर्मा जाती है, तभी उसके मन में उस कुत्ते का ख्याल आता है और वो रात का हादशा याद करते हुए कहती है........

आमोदिता : "माँ आपको पता है रात में ना चौराहे पर मुझे एक काला कुत्ता दिखा था और वही कुत्ता नदी के किनारे पर भी दिखा था जब मैं टोटका तोड़ रही थी, वो कुत्ता मुझे घूरे जा रहा था।"

रजनी : "बताओ क्या दिन आ गये है तेरे, युग को तुझे घूराना चाहिए
तो कुत्ते तुझे घूर रहे है और ये भी कोई बताने वाली बात है, मैं
क्या करूँगी उस कुत्ते के बारे में जानकर, मुझे क्यों बता रही है।"

अमोदिता छोटा सा मुँह बनाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "माँ मै तो बस
तुम्हे बता रही थी।"

रजनी रोटी की तरफ इशारा करते हुए कहती है......

राजनी : "ये फालूत की बाते मत बताया कर मुझे समझी और जरा रोटी को देख जल रही है वो।"

अमोदिता चीमटे से रोटी को पलटते हुए कहती है.....:

आमोदिता : "हा माँ देख रही हूँ मैं।"

कुछ देर बाद अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "वो माँ बाल वाला टोटका तो फेल हो गया अब आज रात कौनसा टोटका करना है हमें युग जी को वश में करने के लिए...?"

रजनी : "आज रात हम कोई टोटका नहीं कर सकते।"

अमोदिता अपनी भवे ऊपर करते हुए कहती है......

आमोदिता : "क्यों माँ.....?"

रजनी : "क्योंकि आज रात पूर्णिमा है।"

अमोदिता फटाक से कहती है........

आमोदिता : "पूर्णिमा हुआ तो क्या हुआ माँ ये तो और भी अच्छी बात है ना, मैंने सुना है पूर्णिमा और अमावस्या की रात सबसे ज्यादा टोटके किये जाते है और वो सबसे ज्यादा असरदार साबित होते है क्योंकि पूर्णिमा और
अमावस्या की रात दैत्य शक्तियाँ की ताकत बढ़ जाती है और साथ में उनके उपासको की भी शक्तिया बढ़ती हैं

रजनी : "शक्तियाँ उन उपासको की बढ़ती है जिनके पास पहले से
शक्तियाँ होती है तेरे पास कहाँ शक्तियाँ है नालायक लड़की, इतना
आसान नहीं होता है काली शक्तियाँ पाना समझी, वो तो अभी
तक मुझे भी नहीं मिली बस कुछ टोटको में सफल हुई हूँ इसलिए
आज रात हम दोनो ही मिलकर साधना करेंगे।"

आमोदिता : "और साधना करने से क्या होगा माँ...?"

रजनी : "अगर कोई सच्चे मन से साधना करता है तो हो सकता है
उसको काली शक्तियाँ मिल जाए और शक्तियाँ ना भी मिले तो
एक फायदा जरूर होता है और वो यह कि उसके बाद जो वो
टोटके करता है फिर कभी खाली नहीं जाते, उनका असर जरूर
होता है समझी।"

आमोदिता : "हाँ माँ समझ गयी।"

रजनी : "तो फिर आज रात बारह बजे तैयार रहना, हम बारह बजे से ही साधनाएँ करना शुरू कर देंगे।"

आमोदिता : "हाँ माँ मैं तैयार रहूँगी।"

इस तरफ ग्रेव्यार्ड कोठी में कायर फ्रेश होकर आ गया था

और बिन्दु जो समोसे लेकर आयी थी वो खा रहा था। कछुआ, युग और अभिमन्यु भी समोसे ही खा रहे थे कि तभी उन्हे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई देती है..........

औरत : "आअअअ.....अअ"

कछुआ घबराते हुए कहता हैं........

कछुवा : "यार तुमने आवाज सुनी, मुझे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई दी।"

युग झट से कहता है.......

युग : "हाँ यार सुनी, मुझे भी सुनाई दी।"

कायर हिचकिचाते हुए कहता है.......

कायर : "ये... ये तो बिन्दु की आवाज थी पर वो चीखी क्यों.............?"





☆ CH : Khulasa ☆





अब आगे...........



युग : तू कहा जा रहा हैं......?

कछुआ : "ऐसी जगह जहाँ पर झूठे लोग ना हो और अपने दोस्तो से कुछ ना छुपाए।"

अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"

युग : "कौन सा पेन यार....?"

अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।".........




8k+ Words Complete..........



Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye Like 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎

thanx Siraj Patel aap ki help se mai ab pics,gifs upload kar paa rahu.....
Awesome update lucky bhai 👌👌
Superb story
Bas update thoda jaldi de..
 
  • Love
Reactions: Lucky@khan

Lucky@khan

☆ it's me ☆
1,407
3,136
159
K

Awesome update lucky bhai 👌👌
Superb story
Bas update thoda jaldi de..
Thanx......

Thoda work se busy rahta hu but aap ki Lund ki kasam update jaldi dena ka puri koshi karunga.... 😎
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,563
13,969
159

Updat e 26



☆ Ch : Totka utra yaa nahi ☆




अब तक..............



आमोदिता : "कहाँ चली गयी, यहीं पर तो फेकी थी मैंने, अरे कहाँ गयी यहीं पर होना चाहिए उसे, यहीं कहीं होगी।"

अभी : "अगर यहाँ पर कोई अदृश्य शक्ति है तो मुझे बताओ वो किस साईड है, मुझे राह दिखाओ ब्रह्मांड की तरंगे अपना करिश्मा दिखाओ।"

आमोदिता : "ये इतने सारे जुगनू कहाँ से आ गये नदी के पास, आज से पहले तो इतने जुगनू कभी नहीं देखे।".............





अब आगे .............




अमोदिता ने इतना कहा ही था कि तभी उसकी नज़र उसके हाथ में पहनी वॉच पर पड़ती है और वो देखती है कि चार बजने में पांच मिनट ही कम थे।

अमोदिता : "छोड़ो मुझे क्या करना है इन जुगनुओ से, आए हो कहीं से भी मैं तो वो करती हूँ जो मैं यहाँ पर करने आई हूँ, चार बजने वाले है यदि चार बजे से पहले मैनें ये टोटका नहीं तोड़ा तो गड़बड़ हो जाएगी और यदि इस बार कोई गड़बड़ हुई तो माँ मुझे छोड़ेगी नहीं।"

इतना कहकर अमोदिता वापस से हल्दी की गाँठ में से बाल
निकालने लग जाती है और कुछ ही देर में वो हल्दी की गाँठ से
पूरी तरह बाल अलग करने में कामयाब भी हो जाती है।
अमोदिता ने काला कपड़ा, हल्दी का गाँठ और कायर का बाल
तीनो अलग-अलग कर लिया था। अमोदिता फिर अपनी नज़र
अपने आस-पास घुमाती है। जब वह पूरी तरह संतुष्ट हो जाती है
कि कोई उसे देख नहीं रहा वह धीरे-धीरे नदी के किनारे पर बैठने
लग जाती है। हाथ में अमोदिता कपड़ा हल्दी की गाँठ और कायर का बाल एक कड़कर अपना हाथ नदी के ऊपर रखते हुए कहती है

आमोदिता :

"ओम ह्नीं श्रीं ह्नीं बज्र कवचाय हुम पिताम्बरे तंत्र बधं नाशय
नाशय।"


अमोदिता बार-बार इसी मंत्र का जाप किये जा रही थी। जैसे-जैसे वह मंत्र का जाप कर रही थी वो जुगनू उसके हाथ के पास आकर मंडराने लग गये थे, ये सब देखकर अमोदिता काफी हैरान हो गयी थी पर मंत्र का जाप शुरू करने के कारण कुछ कर नहीं

पा रही थी। अमोदिता सात बार मंत्र का जाप करती है और वह तीनो चीजे नदी के अंदर प्रवाहित कर देती है। वो जैसे ही उन चीजो को नदी के अंदर डालती है वो जुगनू अचानक से गायब हो जाते है।

अमोदिता हेरानी के साथ कहती है........

आमोदिता : "अरे वो जुगनू कहाँ पर चले गये अभी तो यहीं पर थे, बड़े अजीब जुगनू है जब मन करता

है तब दिखते है जब मन करता है गायब हो जाते है।"

इतना कहकर अमोदिता पीछे मुड़ती है। जब वो पीछे मुड़ती है तो और ज्यादा दंग हो जाती है। उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है, उसके पीछे काला कुत्ता खड़ा हुआ था, ये वही कुत्ता था जो उसे उसके घर के पास वाले चौराहे पर मिला था वह कुत्ता अमोदिता को घूरे जा रहा था।

आमोदिता : "अरे ये कुत्ता यहाँ पर भी आ गया, ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया अभी मजा चखाती हूँ इस कुत्ते की औलाद को।"

इतना कहकर अमोदिता नदी के पास ही पड़ा पत्थर उठाती है और उस कुत्ते की तरफ फेंककर मार देती है। इस बार उसका निशाना एक दम सही बैठता है और सीधा जाकर उस कुत्ते को लग जाता है। पत्थर पड़ने पर पहले वो कुत्ता चीखता है और फिर वहाँ से दुम दबाकर भाग जाता है।

अमोदिता खुश होते हुए कहती है : "ये हुई ना बात, आज तो मेरे दोनो निशाने एक दम सही जगह पर लगे है, उम्मीद है कल तक कायर पर से टोटके का असर भी खत्म हो जाएगा।"

इतना कहकर अमोदिता अपने कदम वापस अपने घर की ओर बढ़ाने लग जाती है।

सुबह हो गयी थी और सुबह के आठ बज रहे थे। युग और अभिमन्यु अभी तक गहरी नींद में सो रहे थे। तभी कोई दरवाजे पर दस्तक देता है और जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लग जाता है। दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनकर युग और अभिमन्यु दोनो की नींद खुल जाती है।

अभी उबासी लेते हुए कहता है : "यार ये सुबह सुबह कौन आ गया अब....?"

युग : "पता नहीं यार कौन आया होगा, तू रूक मैं देखकर आता

अभी : "हाँ देखकर आ।"

इतना कहकर युग अपनी जगह पर से उठता है और

दरवाजे के पास जाने लग जाता है। जब वो दरवाजा खोलता है तो देखता है कि दरवाजे पर काव्या खड़ी थी.......


HD-wallpaper-kajal-agarwal-kajal-agarwal-tollywood

उसने वाइट कलर की टीशर्ट और ब्लैक कलर की जीन्स पहने हुयी थी

जो युग को घूरे जा रही थी भले ही उसके चेहरे पर कोई गुस्से के भाव नहीं दिख रहे थे मगर वो अंदर ही अंदर गुस्से मै उबल रही थी और उबलते हुये अपनी कड़ी अवाज मै कहती है..........

काव्या : युग अपना सामान फटा- फट पैक करो और यहाँ से चलो

युग : चलो कहा चलो....?

काव्या : हवेली अपने घर आज से तुम वही रहोगे

युग : मै कही नहीं जाने वाला मै यही रहूँगा

काव्या : देख युग मै प्यार से बोल रही हु तू घर चल नहीं तो

युग : नहीं तो क्या......?

काव्या : नहीं तो तुझे घसीट के ले जाउंगी

काव्या की बात सुन कर युग को हसीं आने लग जाती है और वो हस्ते हुये कहता है...........

युग : हा... हाहाहा... हाहाहा...लगता है आप सुबह-सुबह कोई मूवी देख कर आ रही हो आप जाओ मै नहीं आऊंगा

काव्या चिल्लाते हुये युग से कहती है........

काव्या : युग.......

युग :......?

काव्या : तू अपने आप को क्या समझता है युग जरा सा बड़ा क्या हो गया की अपने आप को हम सबसे बड़ा समझने लगा, तू भूल मत मै तेरी बड़ी बहन हु और मै तुझे जो कहूँगी वो तू करेगा समझा ना अब चल घर

काव्या ये बोलते हुये युग का हाथ पकड़ कर कोठी के बाहर खींचने लगती है मगर युग उसका हाथ झटटकते हुये अपना अपना हाथ छुड़ाता है और कहता है.......

युग : छोडो मेरा हाथ मै नहीं जाऊँगा उस घर मै उस औरत के पास

काव्या एक जोरदार थप्पड़ युग के गाल पर मारती है...

चटाककककककक.........

काव्या युग को घर ले जाने के लिए आयी तो थी मगर कल जो हुआ उसका गुस्सा भी निकालना था इस लिए उसने युग को मारा

झटके मै काव्या को कोठी के बाहर धकेल देता है जिससे काव्या पीछे की तरफ 4,5 कदम लड़खड़ाते हुये पीछे चली जाती है वो अपने आप को संभाल लेती है नहीं तो वो पीछे के बाल गिर जाती


जैसे ही काव्या अपने आप को संभालती है वैसे ही वो युग के पास आकर उसे अपने दोनों हाथों से उसके सीने पर रख कर धक्का देती है जिससे युग 5,6 कदम पीछे की और होते हुये कोठी के हाल मै आ जाता है और काव्या दरवाजे से अंदर आते हुये बोलती है.......


काव्या : तेरी इतनी हिम्मत तू मुझे धक्का देता है कमीना रुक अभी तेरी अच्छी खातिदारी करती हु


युग : देखो दीदी चली जाओ यहाँ से नहीं तो......


काव्या युग के पास आ जाती है और वो युग के सामने बिलकुल पास मै थी और उससे आँखे मिलते हुये गुस्से मै बोलती है........


काव्या : नहीं तो क्या करेगा मारेगा मुझे बोल मरेगा कमीना


चटाककक.......


एक और झापड़ युग के गालो पर पडती है और कोठी के हॉल मै थप्पड़ की गूंज गुजने लग गयी थी, देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे वो युग को अपने साथ घर ले जाने के लिए नहीं आयी थी बल्कि कल जो भी युग नै उसके साथ किया था उसका बदला लेने आयी हो और ले भी रही थी


चटाकककक........


अभी एक थप्पड़ की गूंज गुजना बंद भी नहीं हुआ था की एक और थप्पड़ की गूंज गुजने लग जाती है और इस बार काव्या अपने लेफ्ट गाल पर हाथ रख लेती है ये थप्पड़ काव्या नै युग को नहीं मारा था बल्कि युग नै काव्या को थप्पड़ दे मारा और गुस्से मै बोलता है.....

युग : माधचोद चली जा यहाँ से नहीं तो चोद दूंगा

युग के मुँह से ऐसी बात सुनकर काव्या दंग हो जाती है उस लगा था वो युग को कुछ थप्पड़ लगायेगी और कुछ सुनाएगी तो युग कुछ नहीं बोलेगा मगर ये तो उससे कुछ ज्यादा ही उल्टा हो गया

काव्या गुस्से मै बोलती है.......

काव्या : युग..... तू मुझे गाली दे रहा है कुत्ता कही का रुक अभी बताती हु तू ऐसे नहीं सुधरेगा

ये बोल कर काव्या युग के पास जाती है और अपना राइट हैंड उठा कर युग के गाल पर एक जोर का थप्पड़ दे मरती है

मगर उसका थप्पड़ युग के गाल पर पड़ने से पहले ही युग उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे एक झटके मै अपनी तरफ घुमा कर अपने सीने से सटा लेता और उसके दोनों हाथों को पकड़ लेता है और कहता है.....

युग : तो आप नहीं मानोगी ना मै गाली क्या मै तो आपकी माँ भी चोदुँगा और अब आप को भी

इतना कहते हुये युग काव्या के दोनो हाथों को छोड़ देता है और जल्दी से उसके उभरे हुये चूची पकड़ लेता है और दबाने लग जाता है

अपने भाई को ऐसा करते हुये देख कर काव्या शॉक हो जाती हैं .......


e31afe27373ce433d486698dea5dfbe7
desktop-wallpaper-kajal-agarwal-hot-face-expression


जिससे काव्या के मुँह से दर्द की सिसकारिया निकलने लगती है


काव्या : अह्ह्ह्ह....... आअह्ह्हह्ह्ह्ह....... युग कमिने छोड़ मुझे मै तेरी दीदी हु ये तू क्या कर रहा है आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... छोड़ मेरी बूब्स को कमीना..........


युग : बूब्स नहीं चूची बोलते है और एक बार चुद जाने के बाद तुम मेरी दीदी नहीं रहोगी.......


ये बोल कर युग काव्या का नरम- नरम चूचियाँ डबाने और मसलने लग जाता है


काव्या अपने दोनो हाथों से अपनी चूची पर से युग का हाथ हटाने की कोशिश करने लग जाती है मगर हटा नहीं पाती है युग उसे मजबूती के साथ पकड़े हुये था और उसकी चूची मसले जा रहा था


काव्या : आह्ह...... मुहहह......छोड़ दे कुत्ता छोड़ दर्द हो रहा है प्लीज.. अह्ह्ह्हह........ उमह्ह्ह्ह ...... छोड़ दे कमीने


ये कहते हुये काव्या युग के पैर पर अपने पैर से एक लात मारती है जिससे युग का बैलेंस बिगड़ जाता है जिसके चलते काव्या उसके बाहो के गिरफ्त से आजाद हो जाती है और 7,8 कदम दूर जा कर गुस्से मै कहती है.....


काव्या : सच मै तू कुत्ता है कुत्ता


युग : रुक मै तुझे अभी कुत्तापाना दिखता हु माधरचोद


ये बोल कर युग काव्या की तरफ तेज़ी के साथ भागते हुये जाता है जिसे देख कर काव्या वही पास के एक कमरे मै घुस जाती है और जल्दी से दरवाजा बंद करने लग जाती है


काव्या नै अभी रूम का दरवाजा बंद ही किया था और जैसे ही कुंडी लगाने वाली होती है तभी युग जोर से दरवाजा खोल देता है और अंदर आते हुये काव्या का बाल पकड़ता है और उसे दिवाल के सहारे भिड़ाते हुये उसकी टीशर्ट ऊपर कर देता है जैसे ही काव्या का टीशर्ट ऊपर होता है वैसे ही उसकी ब्लैक ब्रा दिखने लग जाती है और वो ब्लैक ब्रा मै से आधी नंगी गोरी -गोरी चूची दिखने लग जाती है जो ऊपर निचे हो रही थी युग आधी गोरी चूची ऊपर निचे होते हुये देख कर पगला गया था अब उसके लोवर मै झटके आने लग गये थे

युग जोर जोर से काव्या की चूची को ब्रा के ऊपर से दबाये जा रहा था और साथ ही साथ उसे किश भी किये जा रहा था

देखते देखते युग काव्या की ब्रा निचे कर के उसकी चूची अपने उठो से चूसने लग जाता हैं जिससे काव्या के शरीर मै एक अजब सी सनसनी रेंगनी लग जाती हैं जिसके चलते उसकी आँखे बंद होने लग जाती हैं और उसके मुँह से सिसकारिया निकलने लग जाती hai.......

काव्या : Uhmmmm...... Ohhhhhh..........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress

युग काव्या की चूची के निपल अपने उठो से पकड़ता हैं और खींच कर छोड़ देता हैं.........


6005302f799546bd2953dbad16448c2c

काव्या : अह्ह्ह....... उफ्फफ्फ्फ़.... छोड़ दे युग उम्म्म.........

अभी काव्या नै इतना ही कहा था की युग उसकी जीन्स पैंट मै अपना राईट हैंड डाल देता हैं और काव्या की चूत मै अपनी एक ऊँगली घुसा देता हैं जिससे काव्या की आँखे ऊपर की तरफ होने लगती हैं...........


HD-wallpaper-kajal-agarwal-seductive-telugu-actress-1

काव्या : आअह्ह्ह.......... युगगगगग......... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ..........

युग नै अभी अपनी एक आधी ऊँगली ही काव्या की चूत मै घुसाया था जिससे काव्या की सिसकारिया निकलने लगी थी और वही सिसकारिया सुन कर युग अपनी पूरी ऊँगली काव्या की चूत मै पूरा का पूरा घुसा देता हैं

काव्या : अह्ह्ह...... ओह्ह्ह्हह्ह....... ओह.. ओह... ओह.. उफ्फफ्फ्फ़.....

काव्या : आअह्ह्हह्ह्ह्ह युग छोड़ दे कमीने मै तेरी दीदी हु कुत्ते छोड़ मुझे........ उम्म्म्म

इतना कह कर काव्या नै अपनी पूरी ताकत लगा कर युग को धक्का देते हुये अपने से दूर फेक दिया जिससे युग लड़खड़ा कर पीछे के बल जमीन मै जा गिरा इतने मै काव्या वहा से भाग कर हाल मै आ गयी और किसी से टकरा गयी

अभी : आयीईई

अभी : अरे काव्या दीदी आप को दिखाई नहीं देता है क्या और आप उस रूम से इतना तेज़ी मै कियु दौड़ कर आ रही है

काव्या रूम मै से निकलने से पहले अपना टीशर्ट ठीक कर लिया था और वो अभी से टकरा गयी थी काव्या अभी के सवालों का कुछ जवाब देती उससे पहले ही युग रूम मै से निकलते हुये कहता है........

युग : अरे वो मैंने काव्या दीदी से बताया की मुझे लगता है यक्षिणी आज़ाद हो गयी है बस यही सुन कर डर के मारे भागने लगी

काव्या युग को घूर के देख रही थी तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है तीनो दरवाजे की तरफ देखते है

अभी : अब कौन आ गया यॉर सुबह सुबह

युग : अरे मैंने तो दरवाजा नहीं बंद किया था फिर.............?

अभी : अरे यार दरवाजा मैंने बंद किया था ऊपर से आते हुये ही

इतना बोल कर अभी दरवाजा खोल देता है और सामने देखता है उसके सामने कछुआ खड़ा हुआ था।

कछुआ बहुत ही शांत खड़ा हुआ था आज तक अभिमन्यु ने उसे इतना शांत इससे पहले कभी नहीं देखा था।

अभिमन्यु खुश होते हुए कहता है.......

अभी : "अरे कछुआ तू आ गया और बता तेरी दादी की तबियत कैसी है अब, वो युग बता रहा था

कि अचानक से खराब हो गयी, यार मै ना मिलने ही आने का सोच रहा था पर..."

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि तभी वो चुप हो जाता है उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है।

कछुए के पीछे से बिन्दु निकलती है जो कि बड़ी-बड़ी आँखे करके अभिमन्यु को घूरते जा रही थी।


HD-wallpaper-keerthi-suresh-actress-keerthisuresh-keerthy-keerthy-suresh-keerthysuresh-malayalam-tam

अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है......

अभी : "बिन्दु तुम, और यहाँ पर!"

बिन्दु कछुए के आगे आते हुए कहती है.......

बिंदु : "हाँ मैं और यहाँ पर तुम इतना हैरान क्यों हो रहे हो अभिमन्यु मुझे यहाँ पर देखकर, और ये बताओ कायर कहाँ पर है कल से जब से कॉल कर रही हूँ एक बार बात तक नहीं करायी तुम लोगो ने मेरी उससे,

वो ठीक तो है ना, तुम लोग मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रहे?"

अभिमन्यु हकलाते हुए कहती है.......

अभी : "वो........वो बिन्दु... वो बिन्दु

कायर ना... कायर ना...."

बिंदु : "ये कायर कायर क्या लगा कर रखा है, मैने पूछा कायर कहाँ पर है मुझे ये बताओ।"

अभी : "वो अंदर ही है बिन्दू"

अभिमन्यु ने इतना कहा ही था कि बिन्दु अभिमन्यु को साइड हटाते हुए ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर घूस जाती है।

अभिमन्यु कछुए के कान में कहता है........

अभी : "अबे कछुए तू इस बिन्दु को यहाँ पर लेकर

क्यों आ गया, तुझे पता है ना कायर की हालत कैसी है यदि उसने कायर के मुँह से अमोदिता का नाम सुन लिया तो कायर की लव स्टोरी का यहीं पर दी एंड हो जाएगा और अगर बेटा ऐसा वैसा कुछ हुवा ना तो समझ लेना अब से वो तेरी माँ चोदेगा "


कछुआ धीरे से कहता है - "यार मैं तो ये बिन्दु की दुकान पर चाय पीने गया था, इसने पूछा कि कायर कहाँ पर है तो मैंने कहा वो तो वहीं पर होगा ग्रेव्यार्ड कोठी में उससे फोन पर बात कर लो, तो उसने मुझसे कुछ नहीं कहा बस यह पूछा कि तुम कहाँ जा रहे

हो तो मैंने बता दिया की ग्रेव्यार्ड कोठी, तो वो भी मेरे पीछे साथ आ गयी, मैंने मना करने की बहुत कोशिश की पर तू तो जानता ही है बिन्दु सुनती कहाँ है किसी की, और वो कायर मेरी माँ कियु चोदेगा मैंने क्या किया है

अभिमन्यु चिढ़ते हुए कहता है.......

अभी :"तेरी चाय के कारण अब पता नहीं यहा क्या-क्या हंगामा होगा और कायर का बिंदु से कोई झगड़ा वड़गा हो गया ना तू आज के बाद तो वो बिंदु को चुद तो नहीं पायेगा इसलिए अब तेरी माँ को ही चोदना पड़ेगा "

कछुवा : अबे माधरचोद साले कुछ भी बोलता है

अभी : हीहीही......

जब बिन्दू कोठी के अंदर घुसती है तो उसे वहीं पर युग और काव्या दिखाई देते है।

बिंदु : अरे काव्या दीदी आप यहां पर किया बात है काव्या दीदी आज कल आप अपनी फ्रेंड्स के साथ मेरी दूकान पर कॉफ़ी पिने नहीं आती है क्या अब मै कॉफ़ी अच्छी नहीं बनती क्या

काव्या : अरे ऐसी बात नहीं है बिंदु वो मै थोड़ा बिजी थी ना इसलिए नहीं आ पाती हु

बिंदु : ओह ऐसी बात है दीदी तो आज आप अपने फ्रेंड्स के साथ आओगी ना

काव्या : नहीं बिंदु आज नहीं कल जरूर आउंगी

बिंदु : अच्छा ठीक है दीदी

काव्या : वैसे बिंदु तुम यहाँ क्या कर रही हो

बिंदु : अरे दीदी वो कायर यही कोठी मै युग के साथ रहता है ना बस उसी से मिलने के लिए आगयी बस

काव्या युग को घूरते हुये कहती है.........


images-7

काव्या : यहाँ रुकना ठीक नहीं है बिंदु यहाँ पर एक कुत्ता रहता है बहोत कमीना कुत्ता है

बिंदु को कुछ समझ मै नहीं आता है.....

बिंदु : कुत्ता कहा है कुत्ता काव्या दीदी

काव्या : यही कोठी के आस-पास अच्छा मै अब चलती हु तुम जरा उस कुत्ते से संभल कर रहना

इतना बोल कर काव्या कोठी के बाहर चली जाती है

बिंदु युग से पूछती है.........

बिंदु : "युग कायर कहाँ पर है....?"

पहले तो युग भी बिन्दु को वहाँ पर अचानक से देखकर घबरा जाता है पर बड़ी ही हिम्मत करके कहता है........

युग : "वो तो मेरे कमरे में है..."

इससे आगे युग कुछ कहता उससे पहले ही बिन्दु अपना अगला सवाल युग पर दाग देती है......

बिंदु "और तुम्हारा कमरा कहाँ पर है...?"

युग कहता कुछ नहीं बस अपने हाथ से सीढ़ियों की ओर इशारा कर देता है।

बिन्दु युग के कमरे की ओर जाने लग जाती है। युग, कछुआ और अभिमन्यु भी उसके पीछे-पीछे जाने लग जाते है। जैसे-जैसे

बिन्दु युग के कमरे की ओर अपने कदम बढ़ा रही थी युग, अभिमन्यु और कछुए तीनो की दिल की धड़कन बढ़ते जा रही थी। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यदि कायर ठीक नहीं हुआ होगा तो वो बिन्दु को क्या जवाब देंगे, क्या बताऐंगे की कायर क्यों अमोदिता का नाम बड़बड़ाए जा रहा है।

जब बिन्दु युग के कमरे में पहुँचती है तो देखती है कि कायर अभी भी बेड पर सोया हुआ था।

बिन्दु हैरानी के साथ कहती है......

बिंदु "ये कायर अभी तक सो क्यों रहा है, इसकी तबियत तो ठीक है ना....?"

युग अभिमन्यु और कछुआ बिन्दु के सवाल का कुछ जवाब नहीं देते बल्कि एक-दूसरे के चेहरे देखने लग जाते है। बिन्दु कायर के पास जाकर बेड पर बैठ जाती है। तभी उसकी नज़र जमीन पर पड़ी मछली पर पड़ती है और वो कहती है.......

बिंदु : "ये तुमने भुंजी मछली को नीचे क्यों फेक कर रखा है, तुम्हे खाने का अपमान करते हुए शर्म नहीं आती क्या।"

युग : "वो बिन्दू ये मछली ना खराब हो गयी थी, तो कल रात ना मैं इसे डस्टिबिन में डालने जाने वाला था पर तभी लाईट चले गयी तो यहीं पर गिर गयी थी।"

बिन्दु मछली को छुते हुए कहती है.......

बिंदु : "पर ये मछली तो मुझे ताजी लग रही है, ऐसा लग रहा है जैसे आज ही पकड़ी गयी हो ये खराब कैसे हो सकती है।"

बिन्दु की बात सुनकर युग और अभिमन्यु भौंचके रह जाते है। वो मन ही मन सोचने लग जाते है......

अभी, युग : ( मन मै )"ये कैसे हो सकता है कल रात तो मछली सड़ने की बदबू आ रही थी, ये ताजी कैसे हो सकती है।"

युग और अभिमन्यु इस बात का पता लगा पाते उससे पहले ही कायर नींद में से उठने लग जाता है।

कछुआ अपने हाथ से कायर की ओर इशारा करते हुए कहता है........

कछुवा : "वो देखो लगता है कायर उठ रहा है।"

बिन्दु कायर के माथे पर हाथ फेरने लग जाती है। तभी धीरे से कायर अपनी आँखे खोल देता है और कुछ कहने के लिए अपना मुँह खोलने लग जाता है।

अभिमन्यु और युग मन ही मन यह दुआ कर रहे थे कि कायर अमोदिता का नाम ना ले वरना भांडा फूट जाएगा। कायर बिन्दु की तरफ देखते हुए कहता है......

कायर : "अगर ये ख्वाब है तो मुझे ख्वाबों ही रहने दो,

मुझ गरीब को तुम्हारी बाहो में ही रहने दो।

मैं जिन्दगी नहीं बिता सकता तुम्हारे बिना,

तुम मुझे हमारी हसीन यादो में ही रहने दो।।"


कछुआ कायर के मजे लेते हुए कहता है......

कछुवा : "बेटा ये तुम्हारा कोई मुशायरा नहीं चल रहा है, जरा आँखे अच्छे से खोलो बिन्दू देवी साक्षात यहाँ पर पधारी है, सिर्फ तुम्हारे लिए समझे।"

जैसे ही कछुआ यह बात बोलता है कायर को अपनी आँखो पर यकिन नहीं होता है। वो दो से तीन बार अपनी आँखे मलता है। जब बिन्दु उसे वहीं पर बैठी मिलती है तो वह फुर्ती के साथ उठकर बैठ जाता है और खुश होते हुए कहता है.......

कायर : "बिन्दु तुम यहाँ पर और क्या ये कछुआ सच कह रहा है, तुम यहाँ पर मुझसे मिलने आयी हो...?"

बिन्दु नाटक करते हुए बहाना बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम क्या पागल हो गये हो कायर, ये कछुआ तो कुछ भी बक-बक करते रहता है भला मैं तुमसे मिलने क्यों आऊँगी मैं तो यहाँ पर ये युग से मिलने आयी थी, इसे ये नाशता देने के लिए।"

इतना कहकर बिन्दु कछुए की तरफ इशारा करती है कछुआ अपने हाथ में पॉलिथीन पकड़ा हुआ था जिसमे बिन्दु ने नाशता पैक किया था।

कायर उदास होते हुए कहता है........

कायर : "अच्छा मुझे तो लगा..."

बिन्दु बीच में ही कायर को टोकते हुए कहती है......

बिंदु : "तुम्हे क्या लगा, तुम्हे तो बहुत कुछ लगता है और ये बताओ कल युग और अभिमन्यु ने तुम्हे बताया होगा ना कि मेरा कॉल आया है तुमने

रिर्टन क्यों नहीं किया, तुम्हे पता भी है कितना सारा सामान लाना था हमे मार्केट से।"

कायर अपना सिर खुजाते हुए कहता है......

कायर : "कल तुमने मुझे कॉल किया था पर कब और ये युग और अभिमन्यु ने मुझे बताया क्यों नहीं....?"

युग कायर को टोकते हुए कहता है.......

युग : "अबे कितना झूठ बोलता है, बताया तो था भूल गया कल तुझे लूज मॉशन हो गया था बार-बार तू वॉशरूम के अंदर बाहर हो रहा था तब बताया था।"

कायर हैरानी के साथ कहता है.......

कायर : "लूज मोशन हुआ था और मुझे।"

अभिमन्यु युग का साथ देते हुए कहता है......

अभी : "हाँ तुझे लूज मोशन हुआ था ना तुझे गोली भी खिलायी थी चल अब हाँ बोल।" कायर अभिमन्यु और युग की बातो में फँस जाता है और

उसके मुँह से हाँ निकल जाता है।

बिन्दु उन लोगो को बीच में ही टोकते हुए कहती है....

बिंदु : "जो भी हुआ हो मुझे क्या करना है मुझे युग से मिलना था तो मिल लिया, अब मैं जा रही हूँ और हाँ कायर तुम जल्दी दुकान पर आ जाना"

कायर खुश होते हुए कहता है.......

बिंदु : "क्यों बिन्दु, तुम्हे कुछ काम है क्या मुझसे.....?"

बिन्दु मुँह बनाते हुए कहती है......

बिंदु : "मुझे तुमसे क्या काम होगा भला, तुम्हारे बच्चो को तुमसे काम है।"

कायर : "क्या कहा मेरे बच्चे!"

बिंदु : "हाँ तुम्हारे वही छोटे छोटे बच्चे जिनके लिए तुम प्रेम पत्र लिखते हो, कल से तुम्हारी राह देख रहे है लाईन में लगे है कि कब तुम आओगे और उनकी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिखोगे।"

कायर : "अच्छा ठीक है, मैं आता हूँ।"

बिन्दु वहाँ से जाने लग जाती है, तभी कायर उसे रोकते हुए कहता है........

कायर : "अरे दो मिनट।"

बिन्दु पीछे पलटते हुए कहती है.....

बिंदु : "क्या है....?"

बिन्दु को रूकता हुआ देखकर कायर खुश हो जाता है, वह मन ही मन सोचने लग जाता हैं.......

बिंदु : "ये बिन्दु को क्या हो गया है, ये तो मेरी बात मानने लग गयी पहले कभी रूकने का बोला करता

था तो नहीं रूकती थी और आज देखो झट से रूक गयी, जैसे मेरे ही रोकने का इंतजार कर रही थी। "

बिन्दु कायर पर चिढ़ते हुए कहती है.......

बिंदु : "अब चुप क्यों हो कायर, बोलो क्यों रोका है मुझे....?"

कायर : "वो बिन्दु अब तुम यहाँ तक आ ही गयी हो तो थोड़ी देर और रूक जाओ ना, मैं बस अभी दो मिनट में फ्रेर्श होकर आता हूँ फिर हम दोनो साथ में ही चलेंगे, तुम जब तक पैदल-पैदल पहुँचोगी उससे बेहतर है तुम मेरे साथ ही चलना।"

बिन्दु सोचने लग जाती है कि वो क्या करे, कायर के फ्रेश होने का इंतजार करे या नहीं क्योंकि घर पर उसकी माँ ने उसे जल्दी आने बोला था।

बिन्दु को कुछ सोचता हुआ देखकर कायर फटाक से बिस्तर पर से उठते हुए कहता है.........

कायर : "अगर तुम्हे देर हो रही है तो मैं फ्रेश

होने भी नहीं जाता हूँ ऐसे ही तुम्हारे साथ चल देता हूँ चलो।"

कायर की बात सुनकर कछुआ, युग और अभिमन्यु हँसने 🤣🤣🤣🤣 लग जाते है। बिन्दु भी मन ही मन हँसने लग गयी थी।

बिन्दु कायर को मना करते हुए कहती है........

बिंदु : "अरे नहीं नहीं, तुम हो जाओ फ्रेश मैं इंतजार कर लेती हूँ... वैसे भी मैं पहली बार आयी हूँ इस ग्रेव्यार्ड कोठी में।"

बिन्दु कमरे के चारो तरफ अपनी नज़र फिराते हुए कहती है.......

बिंदु : "जितनी तारीफ सुनी थी उससे कई ज्यादा खूबसूरत कोठी है यह; युग क्या तुम मुझे वो कमरा दिखा सकते हो जहाँ पर यक्षिणी कैद है मुझे वो कमरा देखना था....?"

युग बिन्दु की बात का कुछ जवाब देता उससे पहले ही

कछुआ बिचकते हुए कहता है.......

कछुवा : "बिन्दु तुने क्या इस ग्रेव्यार्ड कोठी को कोई म्युजीयम समझकर रखा है जो तुझे यक्षिणी का

कमरा देखना है, वो यक्षिणी का कमरा है कोई महारानी का नहीं, जानती है ना यक्षिणी कौन थी, क्या भौकाल मचाया हुआ था उसने।"

बिन्दु प्रतिशोध की आग में कहती है.......

बिंदु : "हाँ जानती हूँ उसे कैसे भूल सकती हूँ मैं, उसी ने तो मेरे सिर पर से पिता का साया छीना था, मेरे पापा की जान ली थी उसने।"

युग धीरे से कहता है.........

युग : "मेरे भी।"

अभिमन्यु उन दोनो के बीच में बोल पड़ता है.......

अभी : "पर बिन्दु तू यक्षिणी का कमरा देखकर क्या करेगी वो कमरा तो बंद है.....?"

बिंदु : "अरे तो मैं बाहर से ही देख लूँगी, जरा मैं भी तो देखू उस यक्षिणी को किस और कैसी शक्तियों से बंद किया था उन तीनों धर्म गुरूओं ने।"

अभिमन्यु अपने हाथ से बायी तरफ इशारा करते हुए कहता है......

अभी : "ये जो कमरा है ना इसके बगल में ही रूम नम्बर 666 है वहीं पर यक्षिणी कैद है, जा कछुआ बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ।"

कछुआ झट से मना करते हुए कहता है......

कछुवा : "ना बाबा ना, मैं तो नहीं जा रहा तुम्ही लेकर जाओ, मैं तो उस कमरे के पास भी ना भटकू, वो तो ये युग के कारण आना पड़ता है, पता नहीं इसने

यक्षिणी के कमरे का बगल वाला कमरा ही रहने के लिए क्यों चुना, इतनी बड़ी कोठी में तुझे और कोई सा कमरा पसंद नहीं आया था क्या युग।"

युग कछुए के सवाल का जवाब देते हुए कहता है......

युग : "यार वो बात यह है कि बचपन में मैं इसी कमरे में रहा करता था, बहुत सी यादे जुड़ी हुई है इससे और बात को मत घुमा चुपचाप बिन्दु को बगल वाला कमरा दिखाकर आ । "

कछुवा : "ना बाबा ना, मैंने मना किया ना।"

बिन्दु कछुए को आँखे दिखाते हुए कहती है......

बिंदु : "अगर तुझे नहीं चलना तो मत चल, मुझे किसी के साथ की जरूरत नहीं है मै अपने काम अकेले ही कर सकती हूँ, वैसे भी बगल में ही तो जाना

है तुम लोग नास्ता करो मैं यक्षिणी का रूम देखकर आती हूँ।"

इतना कहकर बिन्दु वहाँ से चले जाती है।

इस तरफ अमोदिता और रजनी किचन के अंदर थी ।

अमोदिता रोटियाँ बेल रही थी और उन्हे सेक रही थी। वहीं पर रजनी भी खड़ी हुई थी जो धड़ा-धड़ प्याज काटे जा रही थी।

इतनी स्पीड से वो प्याज काट रही थी कि यदि उससे जरा सी भी

चुक हुई तो सीधे उसकी उंगलियाँ कट जाएगी।

अमोदिता रोटी बेलते हुए कहती है.......

आमोदिता : "मां अब तो कायर पर

से वशीकरण टोटके का असर खत्म हो गया होगा ना।"

रजनी अमोदिता पर चिढ़ते हुए कहती है.....

रजनी : "नालायक लड़की तुझे कितनी बार बोला है एक बार हम भगवान पर शंका कर सकते है पर काले जादू पर नहीं, काले जादू के काले टोटके कभी
खाली नहीं जाते है समझी, बस उन्हे सही से करना आना चाहिये"

रजनी अमोदिता को घूरते हुए कहती है......

रजनी : "ये बता जैसा-जैसा मैंने तुझे बोला था सब वैसा ही किया था ना, कुछ गड़बड़ तो नहीं की थी"

अमोदिता : "नही माँ कुछ गड़बड़ नहीं
की थी जैसा आपने कहा था सब वैसा ही किया था, तुम्हारी कसम।"

रजनी : "मेरी कसम-वसम मत खा नालायक मुझे इतनी जल्दी नहीं
मरना, तेरी युग के साथ शादी करवा कर ही मरूँगी समझी।"

रजनी की बात सुनकर अमोदिता शर्मा जाती है, तभी उसके मन में उस कुत्ते का ख्याल आता है और वो रात का हादशा याद करते हुए कहती है........

आमोदिता : "माँ आपको पता है रात में ना चौराहे पर मुझे एक काला कुत्ता दिखा था और वही कुत्ता नदी के किनारे पर भी दिखा था जब मैं टोटका तोड़ रही थी, वो कुत्ता मुझे घूरे जा रहा था।"

रजनी : "बताओ क्या दिन आ गये है तेरे, युग को तुझे घूराना चाहिए
तो कुत्ते तुझे घूर रहे है और ये भी कोई बताने वाली बात है, मैं
क्या करूँगी उस कुत्ते के बारे में जानकर, मुझे क्यों बता रही है।"

अमोदिता छोटा सा मुँह बनाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "माँ मै तो बस
तुम्हे बता रही थी।"

रजनी रोटी की तरफ इशारा करते हुए कहती है......

राजनी : "ये फालूत की बाते मत बताया कर मुझे समझी और जरा रोटी को देख जल रही है वो।"

अमोदिता चीमटे से रोटी को पलटते हुए कहती है.....:

आमोदिता : "हा माँ देख रही हूँ मैं।"

कुछ देर बाद अमोदिता हिचकिचाते हुए कहती है.....

आमोदिता : "वो माँ बाल वाला टोटका तो फेल हो गया अब आज रात कौनसा टोटका करना है हमें युग जी को वश में करने के लिए...?"

रजनी : "आज रात हम कोई टोटका नहीं कर सकते।"

अमोदिता अपनी भवे ऊपर करते हुए कहती है......

आमोदिता : "क्यों माँ.....?"

रजनी : "क्योंकि आज रात पूर्णिमा है।"

अमोदिता फटाक से कहती है........

आमोदिता : "पूर्णिमा हुआ तो क्या हुआ माँ ये तो और भी अच्छी बात है ना, मैंने सुना है पूर्णिमा और अमावस्या की रात सबसे ज्यादा टोटके किये जाते है और वो सबसे ज्यादा असरदार साबित होते है क्योंकि पूर्णिमा और
अमावस्या की रात दैत्य शक्तियाँ की ताकत बढ़ जाती है और साथ में उनके उपासको की भी शक्तिया बढ़ती हैं

रजनी : "शक्तियाँ उन उपासको की बढ़ती है जिनके पास पहले से
शक्तियाँ होती है तेरे पास कहाँ शक्तियाँ है नालायक लड़की, इतना
आसान नहीं होता है काली शक्तियाँ पाना समझी, वो तो अभी
तक मुझे भी नहीं मिली बस कुछ टोटको में सफल हुई हूँ इसलिए
आज रात हम दोनो ही मिलकर साधना करेंगे।"

आमोदिता : "और साधना करने से क्या होगा माँ...?"

रजनी : "अगर कोई सच्चे मन से साधना करता है तो हो सकता है
उसको काली शक्तियाँ मिल जाए और शक्तियाँ ना भी मिले तो
एक फायदा जरूर होता है और वो यह कि उसके बाद जो वो
टोटके करता है फिर कभी खाली नहीं जाते, उनका असर जरूर
होता है समझी।"

आमोदिता : "हाँ माँ समझ गयी।"

रजनी : "तो फिर आज रात बारह बजे तैयार रहना, हम बारह बजे से ही साधनाएँ करना शुरू कर देंगे।"

आमोदिता : "हाँ माँ मैं तैयार रहूँगी।"

इस तरफ ग्रेव्यार्ड कोठी में कायर फ्रेश होकर आ गया था

और बिन्दु जो समोसे लेकर आयी थी वो खा रहा था। कछुआ, युग और अभिमन्यु भी समोसे ही खा रहे थे कि तभी उन्हे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई देती है..........

औरत : "आअअअ.....अअ"

कछुआ घबराते हुए कहता हैं........

कछुवा : "यार तुमने आवाज सुनी, मुझे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई दी।"

युग झट से कहता है.......

युग : "हाँ यार सुनी, मुझे भी सुनाई दी।"

कायर हिचकिचाते हुए कहता है.......

कायर : "ये... ये तो बिन्दु की आवाज थी पर वो चीखी क्यों.............?"





☆ CH : Khulasa ☆





अब आगे...........



युग : तू कहा जा रहा हैं......?

कछुआ : "ऐसी जगह जहाँ पर झूठे लोग ना हो और अपने दोस्तो से कुछ ना छुपाए।"

अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"

युग : "कौन सा पेन यार....?"

अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।".........




8k+ Words Complete..........



Dear Readers story ke updates or majedaar ho uske liye Like 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎

thanx Siraj Patel aap ki help se mai ab pics,gifs upload kar paa rahu.....


Bahut hi shandar updates he Lucky Bhai, Yakshini ne ab Bindu ko kahi mohra na bana diya ho......ya fir Bindu khali pili aise hi dar gayi ho.......

Keep posting Bhai
 
  • Like
Reactions: Lucky@khan

Lucky@khan

☆ it's me ☆
1,407
3,136
159
Bahut hi shandar updates he Lucky Bhai, Yakshini ne ab Bindu ko kahi mohra na bana diya ho......ya fir Bindu khali pili aise hi dar gayi ho.......

Keep posting Bhai
Thanx....... 😎

Yakshini nai bindu ko mohra banaya hai yaa nhi uske liye aap ko mera next update padhna hoga....


Wese kafi dino baad mile ho
 

Lucky@khan

☆ it's me ☆
1,407
3,136
159

Update 27





☆ Ch : khulasa ☆






अब तक............


अभी उबासी लेते हुए कहता है : "यार ये सुबह सुबह कौन आ गया अब....?"

युग : "पता नहीं यार कौन आया होगा, तू रूक मैं देखकर आता

अभी : "हाँ देखकर आ।"

काव्या : युग..... तू मुझे गाली दे रहा है कुत्ता कही का रुक अभी बताती हु तू ऐसे नहीं सुधरेगा.........

कछुवा : "यार तुमने आवाज सुनी, मुझे एक औरत के चीखने की आवाज सुनाई दी।"




अब आगे............




अभिमन्यु, युग, कायर और कछुआ जितनी फुर्ती के साथ अपनी जगह से उठकर कमरे से बाहर निकल सकते थे निकलने लग जाते है। जब वो रूम नम्बर 666 के पास पहुँचते है तो देखते है कि दरवाजे के सामने ही फर्श पर बिन्दु बैठी हुई थी

a7d21f4954f58ad8d5315a1059bd9180

जो कि बहुत डरी हुई और घबराई हुई लग रही थी।

बिन्दु बार-बार एक ही चीज बड़बड़ाए जा रही थी......

बिंदु : "ये मैंने क्या कर दिया...ये मैंने क्या कर दिया।"

कायर बिन्दु के पास जाता है और उसे सहारा देते हुए पूछता है.........

कायर : "क्या हुआ बिन्दु,तुम इतना घबरायी हुई क्यों हो, सब ठीक तो है.....?"

बिन्दु कायर के सवाल का कुछ जवाब नहीं देती है वो बस सिसकिया लेते जा रही थी, उसके हाथ पैर अभी भी डर के मारे बस कंपकपाए जा रहे थे।

कायर बिन्दु पर दबाव बनाते हुए उससे फिर पूछता है..

कायर : "बिन्दु मैं कुछ पूछ रहा हूँ, जवाब दो मुझे क्या हुआ, तुम कुछ बताओगी भी या बस ऐसे डरते रहोगी।"

बिन्दु कायर के सवाल का कुछ जवाब देती उससे पहले ही कछुए की नज़र दरवाजे के लगे ताले पर पड़ जाती है और वो देखता है कि दरवाजे पर लगा ताला टूटा हुआ था और उसके ऊपर जो ताबीज बंधे हुए थे वो भी जमीन पर पड़े हुए थे।

कछुआ अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.......

कछुआ : "ये क्या बिन्दु.... तुने ताला क्यों तोड़ दिया।"

जैसे ही कछुआ यह बात बोलता है युग, अभिमन्यु और
कायर की नजर सीधे दरवाजे पर पड़ती है और वो देखते है कि ताला टूटा हुआ था।

युग मन ही मन सोचने लग जाता है.........

युग : ( मन मै ) "अरे ये क्या हो गया, ये ताला कैसे टूट गया, इसे तो मैंने और अभिमन्यु ने अच्छे से फेवी स्टिक से चिपकाया था।"

ताला टूटा देखकर कायर की आँखे फटी की फटी रह गयी थी। कछुआ अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहता है..

कछुआ : "माना तेरे पापा का शिकार यक्षिणी ने किया था पर इसका यह मतलब थोड़ी ना कि उससे बदला लेने के लिए तू ताला तोड़ देगी और पूरे गाँव वालो की जान को खतरे में डाल देगी।"

बिन्दु अपनी बेगुनाही की गहवाही देते हुए कहती है....

बिंदु : "मैंने ताला नहीं तोड़ा कछुआ।"

कछुआ :"तो फिर किसने तोड़ा यहाँ पर तू ही तो थी ना दरवाजे के पास।"

कायर बिन्दु की ओर देखते हुए कहता है........

कायर : "ये तुमने अच्छा नहीं किया बिन्दु तुम्हे ताला नहीं तोड़ना चाहिए था।"

बिन्दु कायर को समझाते हुए कहती हैं.........

बिंदु : "मैंने ताला नहीं तोड़ा कायर मेरी बात पर यकिन करो, मैं तो बस दरवाजा देख रही थी और दरवाजा देखते ही देखते मैंने गलती से अपना हाथ
ताले पर रख दिया और ये टूट गया, मेरे भी समझ नहीं आ रहा कि मेरे हाथ रखते ही यह ताला कैसे टूट गया।"

कछुआ गुस्से से कहता है........

कछुआ : "क्या कहा गलती से बिन्दु, मैं तुझे बचपन से जानता हूँ तुने यह सब सोच समझकर किया है, तू
ना घर से ही सोचकर आयी होगी कि ताला तोड़ना है, तभी तो यक्षिणी का कमरा देखने की ज़िद्द कर रही थी।"

बिन्दु कछुए पर दहाड़ते हुए कहती है.......

बिंदु : "तू क्या पागल है कछुआ, भला मैं क्यों ताला तोडूंगी और ये बता तुझे क्या मेरे हाथ हल्क ( Hulk ) के लगते है जो हाथ रखते ही ताला टूट जाएगा।"

बिन्दु अपने दोनो हाथ दिखाते हुए कहती है......

बिंदु : "ये देख ले मेरे दोनो हाथ खाली है अब तू ही बता भला मैं ताला कैसे तोडूगी।"

कछुआ : "मुझे नहीं पता बस, मुझे इतना पता है कि तुने ही ताला तोड़ा है अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए "

बिंदु : "ये क्या बोल रहा है कछुआ तू....?"

कछुआ : "मैं वही बोल रहा हूँ जो सच है।"

कछुआ बार-बार बिन्दु पर इल्जाम लगाए जा रहा था और बिन्दु अपने बेगुनाह होने की गवाही दे रही थी कछुए और बिन्दु के बीच का यह झगड़ा युग से देखा नहीं जाता और वो उन दोनो के बीच में बोल पड़ता है।

युग : "ताला बिन्दु ने नहीं तोड़ा है बल्कि मैंने तोड़ा है ।"

कछुआ :..........?

बिंदु :..........?

कायर :..........?

युग जैसे ही यह बात बोलता है अचानक से वहाँ पर खामोशी छा जाती है। कायर, कछुआ और बिन्दु की आँखे फटी की फटी रह जाती है। उन्हें अभी भी युग की बातो पर भरोसा नहीं हो रहा था।

कायर अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.........

कायर : "क्या कहा ताला तुने तोड़ा है! पर कब.....?"

युग उन तीनो को सारी बाते बता देता है कि कैसे उसने और अभिमन्यु ने मिलकर ताला तोड़ा था और फिर वापस वैसे ही लगा दिया था।

सारी बात सुनने के बाद कायर हैरानी के साथ कहता है........

कायर : "इसका मतलब जिस रात हमने यहाँ पर पहला कार्यक्रम किया था उसी रात तुम दोनो ने ताला तोड़ दिया था और वैसे ही लगा दिया था!"

अभिमन्यु धीरे से कहता है..........

अभी : "हाँ।"

कछुआ : "पर तुम दोनो ने यह बात हम दोनो से क्यों छुपाकर रखी, हमे क्यो नहीं बतायी.......?"

युग : "यार अगर हम तुम दोनो को ये बात बताते
तो तुम दोनो डर जाते और हम नहीं चाहते थे ऐसा हो इसलिए कुछ नहीं बाताया।"

कायर अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.........

कायर : "तुम दोनो को पता भी है तुमने क्या किया है, अगर गलती से भी वो यक्षिणी अपनी कैद से आजाद हो गयी होगी तो सब खत्म हो जाएगा, वापस से
मर्दो के शिकार होने शुरू हो जाएगे।"

अभिमन्यु कायर को समझाते हुए कहता है.......

अभी : "यार कायर अभी युग ने बताया ना हम दो-तीन दिन से मेरे डिवाईसो से यही चेक कर रहे थे कि यक्षिणी अपनी कैद से आजाद हुई है या नहीं
और तू फिक्र मत कर वो यहीं पर है इसी कमरे में, हमने मेरे पैरानॉर्मल डिवाइसो की मदद से कनफॉर्म कर लिया है घबराने वाली कोई बात नहीं है । "

कायर पलटकर कुछ कहता उससे पहले ही बिन्दु का फोन बजने लग जाता है। जब बिन्दु की नज़र उसकी मोबाईल के स्क्रीन पर पड़ती है तो वो देखती है कि उसकी माँ का फोन था।
बिन्दु अपनी माँ का फोन उठाते हुए कहती है........

बिंदु : "हाँ माँ बोल्बो.............हाँ माँ मैंने नास्ते की डिलेवरी कर दी है बस रास्ते में ही हूँ, आ रही हूँ.... हाँ अहमद को भेज दो जब तक दूसरी डिलेवरी करने... मैं आ रही हूँ।"

इतना कहकर बिन्दु फोन कट कर देती है। फोन कट करने के बाद बिन्दु कहती है.........

बिंदु : "माँ का फोन था जल्दी बुलाया है, मुझे देर
हो रही है चले कायर निकलते है।"

कायर : "हाँ चलो।"

बिंदु : वैसे युग यहाँ वो कुत्ता कहा हैं क्या वो कट्टता हैं....?

युग : कुत्ता केसा कुत्ता बिंदु......?

बिंदु : अरे वही जो निचे काव्या दीदी बता रही थी की यहाँ एक कुत्ता रहता हैं

युग : ( मन मै ) अब मै तुम्हे कैसे बताओ काव्या दीदी जिस कुत्ते के बारे मै बता रही थी वो कुत्ता मै ही हु

कायर : कुत्ता..... अरे बिंदु हमने तो अभी तक यहाँ कोई कुत्ते को घूमते हुये नहीं देखा हैं कियु बे कछुआ तूने देखा हैं क्या

कछुआ : नहीं यार मैंने भी नहीं देखा हैं हो सकता हैं काव्या दीदी नै देखा हो आज यहाँ आते हुये

कायर : हम्म..... चले बिंदु

बिंदु : है चलो

कछुआ : "मैं भी चलता हूँ, मुझे भी रास्ते में ड्रॉप
कर देना।"

युग झट से पूछता हैं...........

युग : "तू कहाँ जा रहा है......?"

कछुआ मुँह फुलाते हुए कहता है........

कछुआ : "ऐसी जगह जहाँ पर झूठे लोग ना हो और अपने दोस्तो से कुछ ना छुपाए।"

कछुए की बात सुनकर युग समझ गया था कि कछुआ और कायर दोनो ही उससे नाराज़ हो गये थे। कछुआ कायर और बिन्दु, अभिमन्यु और युग को बाय कहे बिना ही वहाँ से चले जाते है।

इस तरफ हवेली मै काव्या अपने रूम मै आ जाती हैं और रूम का दरवाजा बंद कर के रूने लग जाती हैं......

kajal-agarwal-kajal

काव्या : मेरा भाई...... मेरा भाई मेरे साथ ऐसा करेगा मै ये कभी सोच भी नहीं सकती थी
crying-movies

काव्या : मना वो हमसे नाराज हैं पर वो मेरे साथ ऐसा करेगा........

काव्या अपने मन मै ये ही बड़-बडाये जा रही थई और साथ साथ रोये भी जा रही थी

काव्या : उसे जरा सी भी शर्म नहीं आ रही थी की वो अपनी ही दीदी के बूब्स दबा रहा था

जैसे ही काव्या ये सोचती हैं तभी उसे याद आता हैं जब युग उसके बूब्स दबाता हैं तो काव्या उसे कहती हैं युग छोड़ मेरे बूब्स तब युग उससे कहता हैं बूब्स नहीं चूची बोलते हैं

काव्या : कमीना कही का उसे जरा भी रहम नहीं आ रहा था मेरी चूची को जोर जोर से दबाये जा रहा था कुत्ता

फिर काव्या को याद आने लग जाता हैं कैसे युग उसकी चूची को नंगा कर के अपने उठो से उसके चूची के निपल पकड़ कर ऊपर खींच रहा था

1685307846265

जिससे काव्या को दर्द के साथ साथ एक आंनद भी महसूस हो रहा था

काव्या अपनी जीन्स के ऊपर से ही अपनी चूत ओर हाथ फेरती हैं और वो सीन्स याद करने लग जाती हैं जब युग उसकी चूत मै अपनी एक उंगली अंदर बाहर कर रहा था

ये ही सोचते सोचते काव्या अपनी जीन्स के अंदर हाथ डाल देती हैं और अपनी चूत पर अपना हाथ फेराने लग जाती हैं जैसे ही काव्या नै अपनी चूत पर हाथ फेराया था वैसे ही उसके हाथ के उंगलियों पर कुछ चिप-चिपा सा लग जाता हैं

काव्या : ( मन मै ) अब ये क्या निकल रहा हैं मेरी चूत से मेरा मानसिक तो एक हप्ते पहले ही जा चूका हैं अब ये किया हैं यार.....?

काव्या जैसे ही अपना हाथ जीन्स से बाहर निकलती हैं तो देखती हैं उसके हाथों मै कुछ सफ़ेद गाढ़ा पानी जैसा चिप-चिपा सा कुछ लगा हुआ था जिसे देख कर काव्या समझ गयी थी की ये उसकी चूत का पानी हैं जो अभी अभी वो युग और अपने बारे मै सोच रही थी उसकी ही वजह से निकल रहा हैं

काव्या : ओह्ह्ह्हह...... कुत्ता तुझे तो मै देख लुंगी कमीना


इधर ग्रेवयाद कोठी मै सिर्फ युग और अभिमन्यु बच्चे हुये थे तभी युग के मोबाइल पर एक कॉल आती हैं जिसे युग उठाते हुये बोलता हैं.........

युग : हेलो.........

???? : हेलो युग बेटा

युग : अरे बड़ी माँ आप.......आप को मेरा नम्बर कैसे पता चला

कॉल की दूसरी तरफ जानकी थी........

जानकी : कियु नहीं पता चलेगा मुझे अब तुम अपना नंबर मुझे नहीं बताओगे तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा

युग : अरे नहीं बड़ी माँ ऐसी कोई बात नहीं हैं मै वो आप को अपना नम्बर देना ही भूल गया था सॉरी बड़ी माँ

जानकी : कोई बात नहीं युग बेटा, मुझे ना तेरी याद आ रही थी तो मैंने आमोदिता से पूछा की वो तेरा नम्बर जानती हैं क्या तो उसने तेरा नंबर दे दिया

युग : अच्छा आमोदिता नै आप को नंबर दिया

जानकी : हम्म.... अच्छा सुन युग बेटा तुम अभी क्या कर रहे हो......?

युग : कुछ नहीं बड़ी माँ मै अभी फ्री हु कियु कोई काम था क्या......?

जानकी : नहीं कोई काम नहीं था बस तू यहाँ हवेली मै आजा

युग : हवेली मै......?

जानकी : ह हवेली मै

युग : पर बड़ी माँ

जानकी : पर क्या तू ही बता रहा था ना की तू अभी फ्री हैं तो तू हवेली आजा और दिन का खाना खा कर जाना

युग : पर बड़ी माँ

जानकी : पर वर कुछ नहीं युग तू अभी हवेली आ रहा हैं नहीं तो तुझे लेने के लिए मै वहा ग्रेवयाद कोठी आ जाऊंगी

युग : अरे नहीं बड़ी माँ आप को यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं हैं मै अभी आरहा हु

युग जैसे ही कॉल कट कर के मोबाइल अपनी जेब मै रखता हैं तभी अभी बोलता हैं.........

अभी : अच्छा युग मै भी घर चलता हु

युग : घर चलता हु मतलब........

अभी : यार अब तुम अपने घर हवेली जा रहे हो तो मै यहाँ इस कोठी मै अकेले क्या करूँगा मै शाम को वापस आजाऊंगा

युग : ठीक हैं चल तब साथ मै निकलते हैं......

इतना बोल कर दोनो ही त्यार हो कर कोठी के बाहर चले जाते हैं और नदी पार कर के अभिमन्यु अपने घर की तरफ चल देता हैं और युग हवेली की तरफ


...............Haweli.............


हवेली के बाहर आँगन मै कुछ गेहूं, दाल और चावल की बोरिया रखी हुयी थी और उन्ही बोरियो से 20,30 कदम की दुरी पर एक टेबल था जिसपर कुछ रजिस्टर रखे हुये थे और वही टेबल के पास कुर्सी पर अनुष्का बैठी हुयी थी जो एक रजिस्टर को खोले हुये हिसाब किताब देख रही थी

जैसे ही उस रजिस्टर का काम ख़त्म होता हैं अनुष्का वो रजिस्टर बंद कर के टेबल के एक साइड रखती हैं और दूसरी रजिस्टर उठाने वाली होती तभी वो हवेली के मैंने गेट की तरफ देखती हैं जहा से युग अंदर आ रहा था.............

युग हवेली के अंदर आने से पहले ही अनुष्का को देख लिया था पर वो बिना उसकी तरफ देखे ही हवेली के अंदर चला जाता हैं और अनुष्का खड़ी-ही-ख़डी उसको हवेली के अंदर जाते हुये सिर्फ देखती रहती हैं

9d07c940e39b182f56bd2c52bdb7acda

वो हवेली के दरवाजे से करीब 10 कदम की दुरी पर थी मतलब युग उससे 10 कदम के फासले पर था और वही कुछ दुरी पर एक औरत खड़ी थी जो ये सब देख रही थी उस औरत का नाम पदमा था जो अनुष्का का काम देखती है.........

mahi-kaur-saree-ullu-gaon-ki-garmi-8 mahi-kaur-saree-ullu-gaon-ki-garmi-6

पदमा उम्र........( 36 साल ) इसका पति खेतो मै काम करता है पदमा थोड़ी पड़ी लिखी है इसलिए अनुष्का नै अपने पास काम करने के लिए रखा है पदमा अनुष्का का काम देखती हैं और उसकी चमची भी हैं

युग को ऐसे अपनी माँ को नज़र अंदाज़ कर के जाते हुये देख कर पदमा अनुष्का के पास आती हैं और उसके कंधे पर हाथ रखते हुये कहती हैं............

पदमा : अनुष्का दीदी ये अपने युग बाबू हैं ना....?

अनुष्का : हम्म.......

पदमा : मैंने कल लोगो से सुना शहर से लेखक बाबू के बेटे आये हुये हैं मगर अनुष्का दीदी ये बिना आप से मिले अंदर चले गये......?

अनुष्का : अब तुम तो जानती ही हो पदमा युग मुझसे बचपन से नाराज़ ही रहता हैं, उसे मैंने बचपन मै हॉस्टल जो भेज दिया था उसी का गुस्सा अभी भी हैं उसको

पदमा : लेकिन दीदी युग बाबू इतने सालो बाद यहाँ आये हैं और वो ग्रेवायाद कोठी मै रहते हैं और आप से कोई भी बात नहीं करते ऐसे कैसे चलेगा दीदी आप उन्हें समझाती कियु नहीं हो

अनुष्का एक रजिस्टर उठाते हुये बोलती हैं.......

अनुष्का : बहोत कोशिश किया पदमा पर वो नहीं समझा बिलकुल अपने बाप पे जो गया हैं

पदमा : दीदी अगर आप कहो तो मै युग बाबू को समझा दू देखना वो समझ जाएंगे की आप नै उन्हें हॉस्टल कियु भेजा था और वो आप से अच्छे से बाते करने लगेंगे

अनुष्का : नहीं पदमा जाने दो

पदमा : पर दीदी.......

अनुष्का : पदमा

पदमा : ठीक हैं दीदी

इतना बोल कर पदमा अपने काम मै लग जाती हैं और मन ही मन सोचती हैं..........

पदमा : ( मन मै ) अगर मैंने युग बाबू को मना लिया तो अनुष्का दीदी मुझसे खुश हो जाएंगी और यही अच्छा मौका हैं अपनी तनख्वाह ( salary ) बढ़ाने का

अनुष्का : ( मन मै ) अब तुम्हे क्या बताऊ पदमा अंश मुझसे कियु नाराज़ हैं और वो किया करना चाहता हैं ......?

अनुष्का ये ही सोच रही थी की तभी उसे वो पल याद आने लग जाते हैं जब युग करीब 10 साल का था और वो अनुष्का के कजन सिस्टर के पास रहता था, वैसे तो पहले युग बंगलौर मै होस्टल मै था पर अनुष्का की कजन सिस्टर नै अनुष्का से बात कर के युग को अपने घर मै ही रहने को बोली जिससे अनुष्का मान गयी अब हॉस्टल के टाइम मै युग हॉस्टल मै रहता था और बाकी टाइम घर पर

12 साल पहले जब अनुष्का युग से मिलने अपनी कजन के घर आयी..............

अनुष्का : युग बेटा कैसे हो

युग इधर उधर देखते हुये कहता हैं..........

युग : ठीक हु मम्मा , मम्मा पापा नहीं आये...?

अनुष्का युग के मुँह से पापा शब्द सुन कर खामोश हो जाती हैं और उसे इस तरह चुप रहते हुये देख कर युग फिर से अनुष्का से पूछता हैं.........

युग : बताइये ना मम्मा पापा नहीं आये क्या......?

अनुष्का : युग बेटा वो.........

युग : मम्मा बताओ ना पापा कहा हैं वो कियु नहीं आये......?

अनुष्का : युग बेटा वो...... वो तुम्हारे पापा युग बेटा वो

युग : किया मम्मा आप बोलती कियु नहीं हो पापा कियु नहीं आये

संगीता : युग तुम्हारे पापा अब नहीं रहे

संगीता अनुष्का की कजन सिस्टर हैं

युग संगीता की बात नहीं समझ पता इसलिए बड़ी ही मासूमियत के साथ पूछा हैं..........

युग : नहीं रहे मतलब आंटी........?

संगीता : बेटा वो 15 दिन पहले तुम्हारे पापा मर चुके हैं

युग जैसे ही ये सुनता हैं उसकी आँखों मै आंसू आ जाते हैं और उन्ही आँसू को अपनी आँखों मै लिए युग अनुष्का से पूछता हैं......

युग : मम्मा ये आंटी क्या बोल रही हैं....?

अनुष्का अपनी आँखों मै से आंसू पूछते हुये बोलती हैं.......

अनुष्का : ह बेटा तेरे पापा अब नहीं रहे वो हम लोगो को छोड़ के चले गये वो हम लोगो से दूर हो गए

अनुष्का के मुँह से सुनकर युग की आँखों मै आंसू आ जाते हैं और वो गुस्से मै बोलता हैं.......

युग : आप नै..... आप नै मेरे पापा को मुझसे दूर कर दिया आप नै

अनुष्का : नहीं बेटा........

युग वहा से उठता हैं और अपने रूम मै चला जाता हैं उसे ये भी पता नहीं होता है की उसके पिता कैसे मरे अभी वो बच्चा था तो उसने जानने की कोई समझ नहीं थी, अनुष्का वहा पुरे 5 दिन तक थी मगर युग नै उसे कोई भी बात नहीं की उसे ये लगने लग जाता हैं की उससे उसके पापा का साथ सिर्फ और सिर्फ उसकी मम्मा की वजह से ही छूट गया........

समय बीतता चला गया और युग अब पूरा 18 साल का हो गया था ऐसी बिच ना जाने कितने ही बार अनुष्का नै युग को वापस गाँव ले जाने के लिए आयी मगर युग उस से कोई भी बात नहीं करता ना ही वो वापस अपने गाँव जाता ऐसी बिच युग अब संगीता का घर छोड़ कर रेंट के रूम मै रहने लगा था और छोटे मोटे पार्ट टाइम जॉब कर के अपनी पढ़ाई का और अपना खर्चा निकाल लेता था

लास्ट बार जब अनुष्का उससे मिलने आयी तब

अनुष्का : देखो युग आज मै तुम्हे लेने के लिए आयी हु तुम्हे आज ही मेरे साथ गाँव जाना होगा

युग : मैंने बोल दिया ना मै आप के साथ कही नहीं जाऊँगा

अनुष्का : युग तुम अब बच्चे नहीं रहे जो तुम्हे बार बार समझाना और मनाना पड़ेगा मुझे जिद ना करो और अपना सामान पैक करो हमें आज ही जाना हैं गाँव के लिए

युग : जिद..... जिद तो आप नै किया था मुझे पापा से दूर कर के आप जैसी औरत को मुझे अपनी माँ कहते हुये भी घिन आती हैं

चाटकक.......

अनुष्का नै युग के गाल पर ऐक थप्पड़ जड़ते हुये कहती हा..........

अनुष्का : चुप एक दम चुप हो जाओ बहोत बोलने लगे हो तुम मै कुछ बोल नहीं रही हु तो तुम्हारी जुबान ज्यादा चलने लगी हैं, मै तुम्हे आज ही के आज गाँव ले जाउंगी अभी तुम्हारे कपडे पैक करती हु

ये बोल कर अनुष्का युग के कपडे एक बेग मै डालने लग जाती हैं और युग उसे रोकने की कोशिश करता हैं मगर अनुष्का रुकने का नाम ही नहीं लेती हैं वो बेग मै युग के साफ कपड़ो के साथ साथ गंदे कपडे भी रखती जा रही थी

तभी युग अनुष्का के दोनो हाथों को पकड़ लेता हैं और कहता हैं........

युग : मै आप के साथ नहीं जाऊंगा

अनुष्का : हाथ छोडो

युग : मैंने बोला ना मै यहाँ से आप के साथ गाँव नहीं जाऊंगा

अनुष्का : मैंने कहा हाथ छोडो युग.......

अपना हाथ छुड़ाते हुये अनुष्का नै एक थप्पड़ युग के गालो पर जद दिया और उसे अपनी एक ऊँगली दिखाते हुये कहती हैं..........

anger-reactions

अनुष्का : अब दुबारा मेरा हाथ मत पकड़ना समझें तुम बिलकुल अपने बाप की तरह ज़िद्दी हो

युग अपने बाप के बारे मै सुनता हैं तो उसे याद आने लग जाता हैं की कैसे उसकी माँ ने उसको उसके पापा से दूर किया था और अब उसके पापा हमेसा के लिए उसे दूर हैं

ये ही सोचते हुये युग की आँखे लाल होने लग जाती हैं और इधर अनुष्का फिर से युग का सामान पैक करने लग जाती हैं जिसे देख कर युग गुस्से मै अनुष्का के पीछे आता हैं और पीछे से अपनी माँ की चोटी पकड़ता हैं और चोटी को जोर से पीछे की तरफ खींच देता हैं जिससे अनुष्का चीखते हुये पीछे हो जाती हैं अभी अनुष्का कुछ समझ पाती की तभी उसके लेफ्ट साइड गोरे गाल पर एक जोर का तमाचा पड़ता हैं

अपने गालो पर तमाचा खाने पर अनुष्का का सर थोड़ा राईट साइड झुक जाता हैं और वो खड़ी-ही-खड़ी सोचने लग जाती है...........

nayanthara-kolayuthir

अनुष्का : ( मन मै ) ऐसा नहीं हो सकता युग मुझे..... नहीं......नहीं ऐसा नहीं हो सकता......?

अभी अनुष्का यही सोच रही थी की क्या सच मै युग उसकी चोटी पकड़ कर उसे पीछे खींचा हैं क्या सच मै युग नै उसके गाल पर तमाचा जाड़ा हैं वो अभी इसी उलझन मै खोई हुयी थी की तभी एक आवाज नै उसकी सारी उलझने ख़तम कर दिया जिसे सुनकर अनुष्का के आँखों मै आँसू आने लग गये

युग : माधरचोद बोला ना मै तेरे साथ कही नहीं जाऊँगा कही क्या मै तेरे पास नहीं रहना चाहता तूने मेरे पापा को मुझसे दूर कर दिया और उसका बदला मै तेरे से लूंगा

अनुष्का को तो अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था जो वो युग के मुँह से सुन रही हैं क्या वो युग बोल रहा हैं या उसका वहम है यही जानने के लिए वो युग से पूछती हैं

अनुष्का : क्या कहा तुमने युग........?

युग चुप चाप अनुष्का को गुस्से मै बस देखे जा रहा था वो कुछ नहीं बोलता और उसे चुप खड़ा रहते हुये अनुष्का फिर से उससे पूछती हैं

अनुष्का : युग बोलते कियु नहीं हो तुमने किया कहा मुझे.......?

अनुष्का : तुमने मेरे बाल पकड़ कर खींचा, तुमने मुझे थप्पड़ मारा और...... और

ये कहते हुये अनुष्का के आँखों मै आँसू आ जाते हैं और वो अपनी रोनी सी सूरत बनाते हुये कहती हैं............

Xh-NO46-360

अनुष्का : औ..... और तुमने मुझे ग... गा....गाली दिया युग.....?

युग : ह गाली दिया कियु के आप गाली सुनने लायक़ हो

अनुष्का : ( शौक ).......?

युग : ह मैंने आप के बाल पकड़ के खींचा और आप को थप्पड़ भी मारा कियु के आप उसी लायक़ हो माधरचोद

एक अजीब सा दर्द दिल मै उठ रहा था और आँखों से आंसू बहने लग गये थे,ऐसा लग रहा था जैसे किसी नै दिल मै सुईया चुबोह दिह हो, युग को वो देख कर भी जरा सा तरस नहीं आता और वो अपनी बात को आगे जारी रखते हुये कहता हैं.............

युग : आप नै ही मेरे पापा को मुझसे दूर क्या आप नै ही मै आप को कभी भी माफ़ नहीं करूँगा आप के वजह से मेरे पापा मुझसे दूर हो गए आप के वजह से..... कितना तड़पा हु और तड़प रहा हु मै अपने पापा के लिए ये आप किया जानो मै एक एक दिन और एक एक पल का बदला आप से लेकर रहूँगा अपनी कुतिया बना दूंगा आप को एक दिन देख लेना

युग की ऐसी बात सुनकर अनुष्का बड़ी ही जोर से चिलाते हुये युग के पास आती हैं और.........

अनुष्का : युगगग............... ग

चाटककककककक.............

अनुष्का : अपनी माँ से ऐसे बात करता हैं कमीना कही का

चाटकककककक.............

अनुष्का : तेरी हिम्मत कैसे हुयी मुझे गाली देने की

चाटकककक..........

अनुष्का : किया बोला तूने तू मुझे अपनी कुतिया बनाएगा कुत्ता

जैसे ही अनुष्का युग के गाल पर थप्पड़ जड़ती हैं तभी युग उसका हाथ पकड़ लेता हैं

angry-trying-to-slap

और अपनी लाल लाल आँखों से अनुष्का को देखते हुये बोलता हैं..........

युग : तुम मेरी माँ नहीं हो और मै एक ना एक दिन तुम्हे अपनी कुतिया बनाऊगा और ऐसा वैसा कुतिया नहीं बनाऊगा बल्कि अपने लंड की कुतिया बनाऊंगा समझ गयी ना माधरचोद कुतिया

अनुष्का को ऐक झटका लगता हैं जिसके चलते वो वही ज़मीन पर बैठ जाती हैं

nayantharas-statement-on-karunanidhis-demise-photos-pictures-stills

युग जब 16 साल उम्र की दहलीज पर कदम रखता हैं तो उसे अब सेक्स वाली किताबो का भी शोख लग चूका था बिल्कुल वैसा ही जब हम अपनी जवानी के दिन मै सेक्स की किताबें पढ़ते थे बिलकुल वैसा ही युग भी पढ़ने लगा था वो सास-दामाद, ससुर-बहु, देवर-भाभी, माँ-बेटा, भाई-बहन ऐसे ही कई किताबें पढ़ने का शोख उसे होने लगा था और उन्ही किताबों को पढ़ते पढ़ते उसे ऐक दिन उसे मोम-सोन की स्टोरी मिलती हैं जिसका नाम था "revenge on mom" इस स्टोरी मै बेटा अपनी मोम से बदला लेता हैं उसे चोद चोद कर कर.......

ये ही स्टोरी पढ़ कर युग के दिल और दिमाग पर पूरी तरह "रिवेंज ऑन मोम्म" हावी हो जाता हैं और वो खुद से अपनी माँ से बदला लेने के लिए अंदर ही अंदर जलने लगता हैं.


अभी युग ने इतना ही बोला था की तभी युग के मोबाइल पर कॉल आता हैं जिसे देख कर युग उठाते हुये बोलता हैं........

युग : हेलो

??? : हेलो युग चल ना हमें देर हो रही हैं भाई मै तेरा बाहर वेट कर रहा हु यॉर

युग : ह अभी निकाल रहा हु

ये युग का एक दोस्त था जो युग के साथ पार्ट टाइम जॉब करता था और वो युग के रूम के पास ही रहता था

कॉल कट करते हुये युग बिना अनुष्का की तरफ देखे ही बाहर चला जाता हैं और इधर अनुष्का झटका खायी हुयी ज़मीन बैठी रहती हैं उसे
देख कर ऐसा लग रहा था की मानो उसके शरीर मै कोई जान ही ना हो वो बस बेसुध बैठी हुयी अपनी आँखों से आँसू निकाले जा रही थी

crying-love-action-drama

ऐसे ही थोड़ी देर अनुष्का बैठी रही और उसके बाद अपने आँसू पूछते हुये खड़ी होती हैं और वहा से चली जाती हैं..........

??? : अनुष्का दीदी

एक आवाज से अनुष्का बीते हुये दिनों से बाहर आती हैं तो देखती हैं उसके सामने एक मजदूर आदमी खड़ा हुआ था जिसे देख कर अनुष्का कहती हैं......

अनुष्का : ह बोलो क्या हुआ....?

आदमी : दीदी ट्रक आ गया है किया लोडिंग करना था

अनुष्का : हमम........ चावल के 20 बोरिया गेहूं की 20 बोरिया और 5 दाल की बोरिया लोड कर दो और ये लो इसमे दूकान का नाम और पता लिखा हैं ड्राइवर को दे दो

आदमी : ठीक हैं दीदी

इतना बोल कर वो आदमी वहा से चला जाता हैं और अनुष्का अपने कामो मै लग जाती हैं

इधर हवेली के अंदर युग सब से मिल जुल लेता हैं और दिन का खाना भी निपटा लिया था और जानकी के पास बैठा हुआ उससे बाते करता हैं

जानकी : युग बेटा खाना केसा था आज मैंने तुम्हारे लिए अपने हाथों से बनाया हैं

युग : बिलकुल वैसा ही बड़ी माँ जैसा पहले बचपन मै आप के हाथों से सवाद आता था आज भी वैसा ही आता हैं

जानकी युग की बात सुनकर थोड़ा उधास हो जाती हैं जिसे युग देख कर पूछता हैं........

युग : किया हुआ बड़ी माँ आप उदास कियु हो गयी......?

जानकी अपने चेहरे पर थोड़ी मुस्कान लाते हुये कहती हैं........

जानकी : अरे कुछ नहीं युग बेटा वो क्या हैं ना मेरा विराट भी ऐसा ही कहता था जैसे तुमने अभी कहा उससे भी पूछो की आज खाना केसा बना हैं तो वो भी तेरी तरह बोलता था...... बिलकुल वैसा ही माँ जैसा पहले बचपन मै आप के हाथों से सवाद आता था आज भी वैसा ही आता हैं

ये बोलते हुये जानकी की आँखे थोड़ी सी नम हो जाती हैं जिसे युग देख लेता हैं और वो ये बात घुमाते हुये कहता हैं

युग : अरे मै तो भूल ही गया बड़ी माँ

जानकी : क्या भूल गया युग बेटा......?

युग : अरे विराट भईया का कमरा बड़ी माँ जहा विराट भईया के सारे खिलौनो रखे हुये थे जिससे मै बचपन मै खेला करता था मुझे वो कमरा देखना हैं बड़ी माँ

जानकी : अच्छा तो जा कर देख ले बेटा इसमे पूछने वाली क्या बात हैं

युग : अरे बड़ी माँ मुझे याद नहीं हैं विराट भईया का खिलौनो वाला कमरा कहा हैं.....?

जानकी : वो विराट के रूम के पास हैं युग तू जा कर देख ले

युग : क्या वो कमरा विराट भईया के पास हैं

जानकी : है वही हैं अब जाके देखले

युग : पर बड़ी माँ वो

जानकी : वो.....? क्या युग बेटा

युग : बड़ी माँ वो......वो वंदना भाभी

जानकी युग की परेशानी समझ गयी थी और अपने उठो पर मुस्कान लिए कहती हैं......

जानकी : हाहा.......अच्छा तू वंदना से डर रहा हैं क्या तू डर मत युग बेटा वंदना की तबियत थोड़ी ख़राब रहती हैं इसलिए उस दिन उसने तेरे साथ ऐसा कर दिया था वैसे आज डरने की बात नहीं हैं आज सुबह ही मैंने उसे दवा खिलाया हैं वो तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगी तुम जाओ है अगर वन्दना से मिलना हो तो उससे भी मिल लेना

इतने मै आमोदिता आ जाती हैं और जानकी से कहती हैं......

आमोदिता : जानकी बुआ बाहर वो साड़ी वाला आया हैं चलिए ना मैंने मोम और काव्या दीदी को भी बोल दिया हैं वो भी आती ही होंगी

जानकी : ठीक हैं चल और युग हम बाहर साड़ी देखने जा रहे हैं तब तक तुम विराट के खिलौनो वाला कमरा देख लो

युग : जी बड़ी माँ

ये बोल कर युग सीढ़ियों से ऊपर की तरफ जाता हैं अभी वो आधी ही सीढ़िया चढ़ा था की तभी उसे ऊपर ने निचे आते हुये काव्या नज़र आती हैं जो गुस्से मै उसे ही घूरे जा रही थी और उसे ऐसे गुस्से मै घूरते हुये युग देख कर अपनी ऐक कामिनी मुस्कान के साथ काव्या को ऐक आँख मार देता हैं जिससे काव्या और भी गुस्से मै उसे घूर कर देखती हैं जब तक काव्या युवा को कुछ कह पाती तक तक युग सीढ़ियों से ऊपर चढ़ कर आगे जा चूका था और काव्या निचे आ गयी थी

युग विराट के खिलौनो वाले रूम मै आता हैं और हर ऐक चीज दो देखता हैं उसे उसकी बचपन के दिन याद आने लग जाते हैं जब उसके विराट भईया उसे अपने खिलौनो वाले रूम मै लेकर आते थे

युग उन्ही यादो मै खोया हुआ था की तभी उसे कुछ आवाजे सुनाई देने लगती हैं

युग : ( मन मै ) ये केसी आवाज हैं.....?

युग बड़ी ही गोर से आवाज सुनने के लिए दिवार पर अपने कान लगता हैं तो उसे थोड़ा बहोत अवाजे और अच्छे से सुनाई देती हैं

सम..... रंपाचा...... आहो.....

युग : ( मन मै ) ये केसी अवाजे आ रही हैं वन्दना भाभी के रूम से

ये ही सोचते हुये युग वन्दना के रूम के दरवाजे के पास आता हैं और दरवाजा नॉक करते हुये कहता हैं.........

युग : वन्दना भाभी आप अंदर हैं क्या

और 3,4 बार आवाज लगाने पर जब वन्दना का कोई जवाब नहीं आता हैं तो युग दरवाजा खोल कर अंदर आ जाता हैं

कमरे मै अंधेरा था लाइट जल नहीं रही थी बस थोड़ी बहोत बाहर से धुप की रौशनी आ रही थी खिड़की से जिस कारण वहा थोड़ा बहोत दिख रहा था अभी युग को वो आवाज सुनाई नहीं देता और वो वन्दना को उसी अँधेरे मै ढूंढ रहा था कमरा बड़ा होने के कारण युग अपनी नज़र चारो तरफ करते हुये कहता हैं.........

युग : वंदना भाभी आप कहा हो और ये आपने इतना अंधेरा कियु कर रखा हैं वंदना भाभी

युग नै इतना ही कहा था की तभी उसे दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई देती हैं जिसे सुनकर युग पीछे मूड कर देखता हैं तो दंग हो जाता हैं

उसके सामने ब्लाउस और पेटीकोट मै वंदना खड़ी थी उसके बाल खुले हुये थे और उसके चेहरे को धके हुये हुये थे

युग : वंदना भाभी ये.... ये आपने दरवाजा कियु बंद कर दिया......?

वंदना : कियु के तूने यक्षिणी का दरवाजा जो खोल दिया हैं और आज उसका ताला फिर से टूट गया हैं......

युग आज फिर से वंदना के मुँह से यक्षिणी का दरवाजा कियु खोल दिया सुनकर दंग हो जाता हैं

युग : ( मन मै ) ये वंदना भाभी को कैसे पता हैं की उस दिन मैंने ही यक्षिणी का दरवाजा खोला हैं और आज फिर से ताला टूट गया हैं......?

युग अभी यही सोचने मै डूबा हुआ था की तभी वंदना युग के पास आती हैं और उसका गला पकड़ते हुये कहती हैं.......

वंदना : उस दिन तो बच गया था लेकिन आज नहीं बचेगा तू आज

युग : छोड़िये वंदना भाभी ये आप क्या कर रही हैं छोड़िये मेरा गला

वंदना : तूने दरवाजा कियु खोला

वंदना नै युग का गला जोर से दबाते हुये कहती हैं जिससे युग का दम घुटने लगता हैं युग वंदना के दोनो हाथों को पकड़ कर छुड़ाने की कोशिश करता हैं मगर वो छुड़ा नहीं पता देखने मै तो वंदना दुबली पतली लग रही थी पर उसके हाथों मै इतनी ताकत हैं ये युग अब समझ चूका था युग को याद आने लगा था जब पिछली बार वंदना नै उसका गला ऐसे ही पकड़ा हुआ था तब उसने अपना गला छुड़ाने के लिए वंदना की चूचियाँ दबायी थी जिससे वंदना नै उसका गला छोड़ दिया था

इतना ही याद आते ही युग फट से वंदना के दोनो चूचियों को पकड़ता हैं और कस कर दबा देता हैं जिससे वंदना के मुँह से चीख निकाल जाती हैं.......

वंदना : अह्हह्ह्ह्ह..........

और वो चीखते हुये युग से 6,7 कदम दूर हो जाती हैं और अपनी दोनो चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुये कहती हैं और युग खासते हुये अपनी हालत दुरुस्त करने की कोशिश करता hai........

वंदना : आज मै तुझे नहीं छोडूंगी

युग अभी अपनी हालत दुरुस्त करने मै ही लगा था की तभी वंदना तेज़ी से युग के पास आती हैं और उसे ऐक थप्पड़ मारती हैं

चटाकककक.......

थप्पड़ की आवाज इतनी तेज़ थी की पुरे कमरे मै गुजने लग जाती हैं और युग वही ज़मीन पर गिरा हुआ था, युग को यकीन ही नहीं हो रहा था की वंदना के हाथों मै इतनी जान होंगी की उसके जैसे नौजवान लड़के को ऐक ही थप्पड़ मै ज़मीन पर गिरा दे युग का गाल दर्द कर रहा था और वो अपना गाल सहलाते हुये खड़ा होता हैं और कहता हैं.........

युग : ये क्या कर रही हो वंदना भाभी

वंदना : तूने दरवाजा कियु खोला कमीने

चाटकककक.........

वंदना युग को 3,4 थप्पड़ मरने की कोशिश करती हैं लेकिन युग उसके थप्पड़ो से बचता रहता हैं और वो दरवाजे की तरफ भाग कर दरवाजा खोलने के लिए जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ता हैं तभी उसके शर्ट का कॉलर वंदना पकड़ लेती हैं और ऐक झटके के साथ वो युग को पीछे फेक देती हैं

युग हवा मै उड़ते हुये सीधा पीठ के बाल बेड पर जा गिरता हैं अभी वो बेड से उठने की कोशिश ही कर रहा था की वंदना उसके ऊपर कूद कर बैठ जाती हैं और फिर से युग का गला पढ़कते हुये दबाने लग जाती हैं गला दबाते हुये वंदना बड़-बड़बड़ाए जा रही थी

वंदना : तूने दरवाजा कियु खोला....... तूने दरवाजा खोल दिया.......... तूने दरवाजा कियु खोला

युग अपने दोनो हाथों को वंदना के दोनो पैरो की ऐड़ी के पास ले जाता हैं और वंदना की ऐड़ी पड़ता हैं और अपनी शरीर की पूरी ताकत लगाते हुये उठता हैं और वंदना के ऊपर बैठ जाता हैं और बैठते ही युग नै अपने दोनो हाथों से वंदना के दोनो गालो पर थप्पड़े बरसाने लग जाता हैं

अब वहा का हालत ये था पहले वंदना युग के ऊपर बैठी हुयी थी और युग वंदना के निचे लेटा हुआ था उसी मुकाबले अब युग वंदना के ऊपर बैठा हुआ था और वंदना युग के निचे लेटी हुयी थी

युग : तेरी माँ को चोदू साली दरवाजा कियु खोला दरवाजा कियु खोला बोल बोल कर मेरी जान लेगी क्या अरे दरवाजा ही तो खोला हैं माधरचोद

वंदना फिर से अपने दोनो हाथों को युग के गले पर लाते हुये और गला दबाते हुये कहती हैं......

वंदना : तूने दरवाजा कियु खोला

युग : है मैंने दरवाजा खोला हैं और अभी तेरी चूत भी खोलता हु रुक माधरचोद......

इतना कहते हुये युग वंदना के दोनो हाथों को पकड़ता हैं और अपने गले से हटाते हुये अपने पैर के घुटनो के निचे दबा देता हैं जिससे वंदना के दोनो हाथ कैद हो जाते हैं वंदना अपनी पूरी कोशिस करती हैं अपना हाथ छुड़ाने की पर छुड़ा नहीं पाटी ऐसा लग रहा था जैसे उसके शरीर मै अब वो ताकत नहीं थी जो अभी थोड़ी देर पहले थी या फिर युग मै ही ताकत आ गयी वंदना से ज्यादा

चाटककक......

चाटककककक........

चाटकककक.........

चाटकककक.........

चार थप्पड़ वंदना के गालो पर मारने के बाद युग कहता हैं...........

युग : तेरी माँ को चोदू माधरजात माधरचोद साली

युग वंदना के दोनो चूची को दबाने लग जाता हैं और वंदना उससे छूटने की कोशिश करती हैं मगर वो ना काम रहती हैं

पिक...........

अब युग वंदना का बेलाउज अपने दोनो हाथों से फाड़ देता हैं जिसके साथ साथ ब्रा भी फट जाती हैं जिससे वंदना के चूची उछलते हुये युग के आँखों के सामने आ जाते हैं


युग वंदना की दोनो चूचियों को बारी बारी दबाने और अपने मुँह से चूसने और काटने लग जाता हैं


934-450

और वंदना उससे छूटने की पूरी कोशिश करती हैं और उसके मुँह से दर्द भरी सिसकारिया निकलने लगती हैं...........

वंदना : अह्ह्ह्ह........ अह्ह्ह......... उफ़....

युग वंदना की चूचियों को छोड़ कर उसकी पेटीकोट निकाल देता हैं और उसकी पैंटी पहाड़ देता हैं इतने मै वंदना उठने की कोशिश करती हैं तभी युग उसे 4,5 थप्पड़ लगा देता हैं जिससे वंदना शांत लेटी रहती हैं

उसे शांत देख कर युग बैठे ही बैठे अपना पैंट और अंडरवियर निकाल लेटा हैं और अपना लंड पकड़े हुये वंदना के चूत के दरवाजे के पास ले जाता हैं तभी उसे ऐसा लगता हैं की जैसे वंदना उसे बोल रही हो नहीं युग ऐसा ना करो प्लीज पर युग उस बात पर बिना धयान देते हुये अपना लंड वंदना की चूत मै दाल देता हैं


a-dick-go-into-1559

जैसे ही युग के लंड का सूपड़ा वंदना के चूत मै घुसता हैं वंदना की आँखे ऊपर की तरफ हो जाती हैं और उसके मुँह हैं ऐक हलकी दर्द की चीख निकलती हैं.......

वंदना : अह्ह्ह्ह..................

युग बिना देरी किये हुये ऐक जोर का धक्का मारता हैं

वंदना : आअह्ह्ह्ह................

युग का आधा लंड वंदना की चूत चिरते हुये अंदर चलता जाता हैं

युग : माधरचोद दरवाजा कियु खोला पूछ रही थी ना अब देख मै तेरी चूत का दरवाजा खोलता हु

इतना बोल कर युग अपना आधा लंड वंदना की चूत से बाहर निकलता हैं और ऐक जोर का झटका देते हुये अपना पूरा का पूरा लंड वंदना की चूत मै घुसा देता हैं और दे दना दान चुदने लगता हैं और वंदना की आँखों मै आँसू के बून्द आ जाते हैं .......

वंदना : आअह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्ह.................


15599452

वंदना : उफ्फ्फ्फ़........अह्हह्ह्ह्ह.....

युग वंदना का गला पड़ते हुये चुदे जा रहा था और कमरे मै लंड और चूत के धक्को से निकलने वाली थप.......थप.... की और वंदना के मुँह से निकलने वाली सिसकारियों की आवाज गूंजने लगी थी.......

थप....... थप......... थप्पप.........


received-1628913770961795

वंदना :ओह्ह्ह्ह......अह्ह्हह्ह्ह्ह......उफ्फ्फ्फ्फ्....... अह्ह्ह्हह......... उफ़..... उफ्फफ्फ्फ़.... उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़फफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.....................

थप...... थप.........थप..........

वंदना : आह.... आहहहह....... आआआहहहहहहह........



थोड़ी देर बाद जब युग शांत हो जाता हैं तो वाह वंदना के ऊपर ही पस्त हो जाता हैं उसके थोड़ी देर बाद युग वंदना के शरीर पर से उठा हैं और अपने कपडे पहन कर बाहर जाने के लिए जैसे ही दरवाजा खोलता हैं तभी उसे ऐसा लगता हैं की पीछे से वंदन नै उससे कहा हो...... युग तुमने ये ठीक नहीं क्या

युग पीछे मूड कर वंदना को देखता हैं जो उसे ही देख रही थी ऐक तक नज़रे किये हुये

युग : ( मन मै ) मुझे ऐसा कियु लगा की वंदना भाभी नै मुझसे कहा...... युग तुमने ये ठीक नहीं क्या

युग : ( मन मै ) नहीं यॉर मै भी क्या सोच रहा हु ये तो पागल हैं और पागलो मै फीलिंग नहीं होती उनको सही और गलत का फर्क ही नहीं पता होता हैं

इतना सोचते हुये युग वहा से निकाल जाता हैं और जानकी से मिलकर कोठी चला आता हैं

रात हो गयी थी और ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर युग और
अभिमन्यु हॉल में बैठे हुए थे। कछुआ और कायर अभी तक नहीं आये थे, सिर्फ युग और अभिमन्यु ही कोठी के अंदर थे।
अभिमन्यु शराब की बॉटल लेकर जमीन पर बैठा हुआ था और अकेले ही पैग बनाकर पिये जा रहा था। युग भी वहीं पर बैठा था और एक पेन और कॉपी लेकर उसमे ऑर्गेनिक खेती स्टार्ट करने से पहले क्या-क्या तैयारी करनी है उसका प्लान बना रहा था।

अभिमन्यु पैग बनाते हुए कहता है........

अभी : "यार मुझे नहीं लगता कछुआ और कायर आज रात यहाँ पर आयेंगे।"

युग कॉपी में कुछ लिखते हुए कहता है........

युग : "हाँ मुझे भी यही लगता है, अगर उन दोनो को आना ही होता तो अब तक आ चुके होते।"

अभी : "यार आज ना मैं बहुत खुश हूँ।"

युग हैरानी के साथ कहता है........

युग : "खुश है पर क्यों कही इसलिए तो नहीं क्योंकि कायर और कछुआ आज रात यहाँ पर नहीं आयेंगे और तुझे अकेले ही सारी शराब पीने मिलेगी किसी के
साथ शयेर नही करनी पडेगी.....?"

अभी : "नहीं यार उनके लिए तो मुझे बुरा लग रहा है, गलती हमारी ही है हमे उनसे वो बात नहीं छुपानी चाहिए थी आखिर दोस्त थे वो हमारे, भगवान से भले ही छुपा लो पर दोस्तो से कुछ मत छुपाओ।"

युग : "यार मेरी एक बात समझ नहीं आयी ये पीने के बाद हर बंदा इतनी सेंटी बाते क्यों करने लग जाता है.......?"

अभी : "यार क्या बताए शराब चीज ही ऐसी है।"

युग : "यार तू ना ये फालतू बाते करना छोड़ और टॉपिक पर आ, ये बता खुश किस बात पर है....?"

अभी : "यार आज ना मेरा बरसो का सपना पूरा हो गया।"

युग : "कैसा बरसो का सपना......?"

अभी : "यार मैंने ना तुझसे एक बात छुपायी थी, तुझसे क्या मैंने अपनी माँ से भी ये बात छुपायी थी।"

युग धीरे से कहता है.........

युग : "कैसी बात.......?"

अभी : "वो यार मैं ना यहाँ पर कोई छुट्टी बनाने नहीं आया हूँ बल्कि पैरानॉर्मल एक्टिीविटी संस्था वालो ने मुझे निकाल दिया था।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.........

युग : "क्या कहा पैरानॉर्मल

अभी : हम्म......पैरानॉर्मल एक्टिविटी संस्था

युग फिर अभिमन्यु से पूछता है.......

युग : "बता ना तुझे पैरानॉर्मल एक्टिविटी संस्था वालो ने क्यों निकाल दिया था.........?"

अभिमन्यु पैग उठाकर उसे पीते हुए कहता है.........

अभी : "अंधेरे के कारण।"

युग नोटबुक में लिखना छोड़ देता है और बिचकते हुए कहता है...........

युग : "क्या कहा अंधेरे के कारण!"

अभी : "हाँ यार, वो मुझे ना निक्टोफोबिया (Nyctophobia) है।"

युग कुछ सोचते हुए कहता है.........

युग : "निक्टोफोबिया मतलब तुझे अंधेरे से डर लगता है।"

अभी : "हाँ यार, ये अंधेरा ही तो है जिसने मेरी जिन्दगी के सपने को अंधेरे में डूबा दिया।"

युग : "सपने को अंधेरे में डुबा दिया मतलब, तू साफ-साफ बताएगा कहना क्या चाहता है और क्यों तुझे पैरानॉर्मल एक्टिविटी संस्था वालो ने निकाल दिया।"

अभी : "हाँ बताता हूँ, आज से तीन महिने पहले जब मेरी ट्रेनिंग चल रही थी तो हमारी टीम एक मिशन में गयी थी जिसमें बड़े-बड़े पैरानॉर्मल एक्पर्ट, प्रोफेसर थे; हम लोगो को एक सुरंग के अंदर
जाना था, सुनने में आया था कि उस सुरंग के अंदर कई पैरानॉर्मल एक्टिविटी होती थी, कई अतृप्त आत्माए भटक रही है, हम उसी का पता लगाने गये थे, जब हम सुरंग के अंदर गये तो हमने देखा
जैसे-जैसे हम सुरंग के अंदर जाते जा रहे थे अंधेरा बढ़ता जा रहा था।"


युग गौर से अभिमन्यु की सारी बाते सुन रहा था। अभिमन्यु को देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उसने शराब पीकर रखी हुई हो, ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पूरे होश ओ हवाश में था। अभिमन्यु आगे की बात बताते हुए कहता है........

अभी : "सुरंग के अंदर और आगे बढ़ने पर वो सुरंग दो भागो में डिवाईड हो गयी, उसी के साथ हमारी टीम भी डिवाई हो गयी, मेरी टीम में पलक और दिप्ती थी, हम तीनो सुरंग के एक भाग में चले गये और
बाकी की टीम दूसरे भाग में; जैसा कि मैंने तुझे बताया था ये जो अदृश्य शक्तियाँ होती है इन्हे हम मोबाईल के टॉर्च की रोशनी में नहीं देख सकते है इसलिए हम लोग पहले ही अपने साथ मशाल लेकर आये थे, हम लोग सुरंग के अंदर आगे ही बढ़ रहे थे कि पैरानॉर्मल एक्टीविटी होनी शुरू हो गयी, उस सुरंग के अंदर जो
पत्थर रखे हुए `थे वो अपने आप हवा में उड़ने लग गये थे।"

युग अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है.........

युग : "क्या बात कर रहा है यार, पत्थर अपने आप हवा में उड़ने लग गये!"

अभी : "हाँ यकिन करना मुश्किल है पर यही सच है, अक्सर जिन्दगी में हमारे साथ कुछ ऐसे हादसे होते है जिनके बारे में यदि हम दूसरो को बताते है तो उन्हें यकिन नहीं होता जब तक वो हादसे खुद उनके साथ घटित ना हो जाए। जैसे ही पत्थर हवा में
उड़ने लगे हमारी मशाले अपने आप बुझ गयी और सुरंग के अंदर गहरा अंधेरा छा गया, मैं कुछ समझ पाता कि क्या हो रहा है उससे पहले ही अगले ही पल मुझे पलक और दिप्ती के चीखने की आवाज सुनाई देने लग गयी, मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था
मैं क्या करूँ ऊपर से अंधेरा मेरा डर बढ़ाते जा रहा था, मैं सुरंग से जितनी जल्दी भागकर बाहर जा सकता था भाग गया।"

युग हैरानी के साथ कहता है.......

युग : "क्या कहा भाग गया।"

अभी : "हाँ और क्या करता मैं, कहा तो अंधेरे से मुझे डर लगता है।"

युग : "फिर उन दोनो लड़कियो का क्या हुआ....?"

अभी : उन दोनो लड़कियो को दूसरी टीम ने बचा लिया था, वो दोनो वहीं पर बेहोश हो गयी थी, दिप्ती तो ठीक थी पर पलक की हालात गंभीर थी वो कॉमा में चले गयी थी।"

युग : "क्या बात कर रहा है यार कॉमा में!"

अभी : "हाँ इतना आसान थोड़ी है पैरानॉर्मल एक्टीविटी एक्पर्ट बनना, जान की बाजी लगानी पड़ती है, कब क्या हो जाऐ हमे
खुद नहीं पता, हम एक ऐसे दुश्मन से लड़ रहे होते है जो हमे दिखायी नहीं देता। अपनी टीम को अकेला ही छोड़कर भाग आने के लिए पैरानॉर्मल संस्था वालो ने मुझे निकाल दिया क्योंकि हमारी पहली शपथ ही यही होती है कि चाहे कुछ भी हो जाए तुम्हारी जान क्यों ना चले जाए तुम अपने साथी का साथ नहीं छोड़ सकते और मैंने यह शपथ तोड़ दी थी।"

युग : "अच्छा तो ये बात है पर यार जिस रात तू मुझे मिला था तो उस रात तो तू कालाझाड़ी जंगल में अकेले ही था और अंधेरा भी बहुत था, तो क्या तुझे तब डर नहीं लगा?"

अभी : "उस डर पर ही तो काबू करना सीख रहा हूँ मैं और काफी हद तक सीख भी गया हूँ, वो क्या है ना जब इंसान के इगो को हर्ट हो जाता है ना तो उसके अंदर का डर भी खत्म हो जाता है, मेरा सपना था एक बढ़िया पैरानॉर्मल एक्टीविटी एक्सपर्ट बनना पर
इस फोबिये ने मुझसे वो सपना छीन लिया इसलिए अब मैं भी उसे अपने अंदर से रोज खत्म करते जा रहा हूँ।"

युग अभिमन्यु के कंधो पर हाथ रखते हुए कहता है....

युग : "वैसे सच कहूँ तो तुझे पैरानार्मल एक्टीविटी एक्सपर्ट बनने के लिए कोई सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, तू वैसे ही बहुत अच्छा पैरानॉर्मल एक्टीविटी एक्सपर्ट है।"

इस तरफ अमोदिता और रजनी तहखाने के अंदर बैठी हुई थी। फर्श पर एक कुमकुम से एक सर्कल बना हुआ था उसके अंदर एक स्टार बना हुआ था, हमेशा की तरह स्टार के हर एक कोने पर आटे के तीन दीपक जल रहे थे। अमोदिता रजनी के सामने ही पालकी मारकर बैठी हुई थी। रजनी तंत्र मंत्र यंत्र की
किताब पढ़ रही थी,फिर कुछ देर बाद रजनी नै आमोदिता को तंत्र साधनाए दो प्रकार की होती है पहली वाम-मार्गी और दूसरी दक्षिण-मार्गी । इन दोनो में सबसे कठिन वाम मार्गी साधना होती और कौन कौन साधनाए किस काम मै किया जाता हैं और कौन मन्त्र किस लिए जाप करते हैं ये सब बताया और "कर्णपिशाचनी साधना के भी थोड़ा बहोत बताया


इस तरफ अभिमन्यु ने शराब की बोटल अकेले ही खाली कर ली थी और शराब पीने के बाद वो सिगरेट के कश खींचे जा रहा था। युग अभी तक ऑर्गेनिक खेती के स्टार्टअप का प्लैन बना रहा था।

अभिमन्यु सिगरेट का कश खींचते हुए कहता है.....

अभी : "यार युग, कितना सोचेगा यार, कितना लिखेगा, इतना तो मैं कभी एग्जाम में भी नहीं लिखता था जितना तुने आज इस नोटबुक में लिख लिया है।"

युग नोटबुक में लिखते हुए कहता है......

युग : "बेटा ये कॉलेज का एग्जाम नहीं है मेरी जिन्दगी का एग्जाम है इसलिए सोच-सोच कर प्लैन बनाना पड़ेगा स्टार्टप खोलने से पहले प्लैन बनाना पड़ता है
वरना एक गलती पूरा स्टार्टप बर्बाद कर देती है; तुझे पता है आज कल ज्यादा स्टार्टअप चल क्यों नहीं पाते क्योंकि लोग प्लैनिंग पहले करते नहीं बस अपने नाम के लिए स्टार्टप खोल लेते है और हारकर ठंडे पड़ जाते है।"

अभी : "हाँ ये भी है, मैंने भी बहुत से लोगो को देखा है जो जोश- जोश में स्टार्टअप खोल तो लेते है पर जब प्रोफिट नहीं होता तो बंद कर देते है, यार इसमे भी ना पेसेंस की जरूरत होती है एक दम से पैसा नहीं आता दो-तीन साल लग जाते है कभी-कभी तो कुछ सालो तक नुकसान भी उठाना पड़ता है।"

युग : "हाँ सही कहा, वो कहते है ना रिस्क है तो इश्क है, स्टार्टअप में भी कुछ ऐसा ही है।"

युग नोटबुक में लिख ही रहा था कि वो लिखते-लिखते कहता है........

युग : "अरे शिट।"

अभिमन्यु सिगरेट की ऐश झाड़ते हुए कहता है.......

अभी : "अरे क्या हुआ.....?"

युग : "यार पेन खत्म हो गया।"

अभी : "तो यार दूसरे पेन से लिख ले।"

युग : "यार मेरे पास एक ही पेन था और मैं सोच रहा था कि यदि आज रात ले-आऊट(layout) बना लू तो कल से काम शुरू करू, वैसे ही इस यक्षिणी के चक्कर में काफी दिन बर्बाद हो गये है।"

अभिमुन्य कुछ सोचते हुए कहता है........

अभी : "यार इतनी रात में तो इस गाँव में कोई दुकान भी खुली नहीं होगी जहाँ से मैं तुझे पेन लाकर दे दूँ, एक काम करना तू मोबाईल के नोट पैड पर ही लिख
ले ना।"

युग : "अरे नहीं यार जो मजा पेन हाथ में पकड़ने में है वो मोबाईल की स्क्रीन पर उंगलियाँ घिसने में नहीं है, वैसे भी ये मोबाईल सिर्फ ध्यान भटकाता है और कुछ नहीं।"

अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"

युग : "कौन सा पेन यार......?"

अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।"

युग अपनी जगह पर से उठता है और कुछ ही देर में अपने कमरे में से वो पेन लेकर वापस आ जाता है। वो फाउंटेन पेन था जो स्टेनलेस स्टील से बना हुआ था जिसकी नोक काफी नुकीली थी।

युग उस पेन से नोटबुक में लिखते हुए कहता है......

युग : "अरे ये तो नहीं चल रहा है।"

इतना कहकर युग उस पेन को खोलता है और देखते हुए कहता है

युग : "यार इसमे इंक तो अभी भी भरा हुआ है और वो भी सही है, इंक सूखी नहीं है फिर क्यों नहीं चल रही है ये पेन!"

अभिमन्यु मुँह से सिगरेट का धुँआ उड़ाते हुए कहता है.......

अभी : "पता नहीं, देख शायद इसके निप तक इंक न आ पा रही हो, कुछ कचरा फसा हो.....?"

युग उस पेन की निप को गौर से देखने लगता है। पेन की निप पर सूखी इंक लगी हुई थी। जिस कारण नई इंक निप तक नहीं आ पा रही थी। युग निप पर लगे सूखे इंक को अपने नाखून से ही साफ करने लग जाता है। इंक को साफ करते वक्त निप से युग के नाखून मे गहरी खरोंच लग जाती है। युग खरोंच को देखता है पर उसमे से खून नहीं निकल रहा था इसलिए वो वापस से पेन की निप साफ करने लगता है। पेन की निप के साफ होते ही युग पेन को नोटबुक पर घिसने लग जाता है। वो उस पेन को नोटबुक पर घिस ही रहा था कि तभी उसकी उंगली पर लगे खरोंच से खून की एक-दो बूँदे निकलने लग जाती है जो सीधे उस पेन की निप पर लग जाती है। युग को इसका एहसास नहीं होता वो तो अभी भी पेन को नोटबुक पर घिसे जा रहा था। जब अभिमन्यु की नज़र युग की उंगली पर पड़ती है और वो देखता है कि उसकी उंगली में खून की बूँद लगी हुई थी तो नशे में
धीरे से कहता है..........

अभी : "अरे ये तेरी उंगली को क्या हुआ, इसमें खून
कैसा......?"

युग अभिमन्यु के सवाल का कुछ जवाब देता उससे पहले ही पेन चलने लग जाता है और युग खुश होते हुए कहता है.......

युग : "अरे वाह पेन तो चलने लगा है, यार पुराने पेनो की न यही खासियत होती थी सालो-साल चलते थे, इंक की क्वालिटी भी लाजवाब होती थी, ये देख रेड इंक कितनी शानदार लग रही है, इसमे कितनी साईन कर रही है।"

अभिमन्यु थोड़ा नशे में था इसलिए वो भूल जाता है कि उसने युग की उंगली पर खून लगा हुआ देखा था और युग की बात से सहमत होते हुए कहता है.......

अभी : "हाँ यार कुछ भी बोलो पुराने जमाने
की चीजे सालो-साल चलती थी, उस वक्त मिलावट और भ्रष्टाचार कम था ना।"

युग नोटबुक में वापस से उस पेन से लिखने लग जाता है। युग को पेन से लिखते हुए अभी आधा घंटा ही हुआ था कि तभी अचानक से टाईपराईट की बटने दबने की टक...... टक...... टकटक....... की आवाज सुनाई देने लग जाती है, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत ही स्पीड से टाईपराईटर में कुछ टाईप कर रहा हो। टाईपराईटर की आवाज सुनकर युग लिखते-लिखते रूक जाता है और हैरानी के साथ अभिमन्यु से पूछता है.......

युग : "अभिमन्यु तुझे टाईपराईटर की आवाज सुनाई दे रही है.......?"

अभिमन्यु हँसते हुए कहता है..........

अभी : "हा...हा...हा.......यार पी मैंने है चढ़ तुझे रही
है, तू पेन से लिख रहा है तो भला टाईपराईट की आवाज कैसे आएगी।"

युग : "पियकड़ कहीं के, गौर से सुन टाईपराईटर की आवाज सुनाई दे रही है, ऐसा लग रहा है जैसे कोई टाईपिंग कर रहा है।" युग के कहने पर अभिमन्यु टाईपराईटर की आवाज सुनने की कोशिश करने लग जाता है। नशे में होने के बावजूद उसे भी टाईपराईट की आवाज सुनाई देने लग जाती है। अभिमन्यु अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है..........

अभी : "यार तू तो सही कह रहा था, टाईपराईट की आवाज तो सच में सुनाई दे रही है, पर ये आवाज आ कहाँ से रही है.......?"

युग टाईपराईटर की आवाज गौर से सुनते हुए कहता है........

युग : "ये आवाज तो ऊपर वाले कमरे से आ रही है और ऊपर तो यक्षिणी का कमरा है!".






अब आगे............


☆ Ch : Phla shikar ☆


जैसे-जैसे वो अपने कदम दरवाजे की ओर बढ़ाते जा रहा था उसके कान में एक औरत की फुसफुसाती हुई आवाज सुनाई दे रही थी...........

औरत की आवाज : "रूक जा मुझे लेके जा, रूक जा मुझे लेके जा, रूक जा।".........

अभि : "ये सब चल क्या रहा है यार, जब-जब तू दरवाजा लगाता है आवाज आनी शुरू हो जाती है और जैसे ही खोलता है आवाज आनी बंद हो जाती है। "................


9k+ Words complet........

Dear Readers story ke updates or bhi majedaar or sex bhari ho uske liye Like 👍 or comments 🗣️ karte rahiye taaki ham aap ke liye updates mai Or bhi thriller,Suspension,Sex,horror, Darama laa sake............😎

keep supporting........


 
Last edited:
Top