Update 28
☆ CH : Phla Shikaar ☆
अब तक.........
युग : है मैंने दरवाजा खोला हैं और अभी तेरी चूत भी खोलता हु रुक माधरचोद......
अभी : "यार फिर क्या करे...... क्या करे.... अरे हाँ उस रात तुझे वो जो रूम नम्बर 666 में पेन मिला था ना उससे लिख ले।"
युग : "कौन सा पेन यार......?"
अभी : "अरे वही जो अपने आप तेरे हाथ में आ गया था।"
अब आगे..........
टाईपराईटर की आवाज अभी भी सुनाई दे रही थी। युग और अभिमन्यु दोनो हक्के-बक्के रह गये थे। दोनो पसीने से भीग चुके थे। टाईपराईटर की आवाज सुनकर तो अभिमन्यु के सारे नशे उतर गये थे।
युग अपनी जगह पर से उठते हुए कहता है.......
युग : "यार अभिमन्यु मुझे लगता है हमे ऊपर चलकर देखकर आना चाहिए कि आखिर ऊपर हो क्या रहा है।"
अभी : "हाँ यार, चल चलकर देखकर आते है, मुझे तो कुछ गड़बड़ लग रही है।"
युग और अभिमन्यु सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर वाले कमरे की ओर जाने लग जाते है। जैसे-जैसे वो अपने कदम रूम नम्बर 666 के पास बढ़ाते जा रहे थे टाईपराईटर की आवाज और तेज सुनाई देते जा रही थी। कुछ ही देर में वह दोनो रूम नम्बर 666 के पास आकर रूक जाते है। टाईपराईट की आवाज अभी भी सुनाई दे
रही थी और वो रूम नम्बर 666 के अंदर से आ रही थी।
अभिमन्यु दरवाजे को देखते हुए कहता है.........
अभी : "यार इस कमरे के अंदर तो यक्षिणी कैद है पर मेरे समझ नहीं आ रहा वो टाईपिंग क्यों कर रही है.........?"
अचानक से युग के मन मे उसके पिता का ख्याल आता है और वो बौख्लाहट के साथ कहता है....
युग : "अंदर तो मेरे पापा की लाश भी थी जो किसी को नहीं मिली थी, कहीं मेरे पापा की आत्मा तो टाईपिंग नहीं कर रही है... हाँ वो मेरे पापा की आत्मा
ही है आखिर मेरे पापा ही तो लेखक थे, जरूर वही टाईप कर रहे होगे।"
अभी : "ये तू क्या बोल रहा है युग तू पागल मत बन, उस बार भी यही हुआ था तुझे तेरे पापा के पुकारने की आवाज सुनाई दी थी और तुने दरवाजा खोल दिया था और इस बार टाईपराईटर की आवाज सुनाई दे रही है, अंदर तेरे पापा की आत्मा नहीं है बल्कि यक्षिणी है जो चाहती है कि तू बहकावे में आकर दरवाजा खोले
और वो आजाद हो जाए, भूल मत आज पूर्णिमा की रात है और पूर्णिमा की ही रात को यक्षिणी मर्दों को अपना शिकार बनाया करती थी।"
युग के कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे, उसे
अभिमन्यु की बाते काफी हद तक ठीक लग रही थी पर उसके अंदर लालसा बढ़ती जा रही थी यह देखने के लिए कि आखिर अंदर कौन है जो टाईपराईटर पर टाईप कर रहा था।
युग अभिमन्यु को अपनी बातो में फसाते हुए कहता है..........
युग : "अभिमन्यु माना आज पूर्णिमा की रात है पर यक्षिणी तो नदी के पास मर्दों को अपना शिकार बनाया करती थी ना हम तो ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर है।"
अभिमन्यु दरवाजे की तरफ उंगली करते हुए कहता है..........
अभी : "यार तो तू ये क्यों भूल रहा है कि यक्षिणी इसी ग्रेव्यार्ड कोठी के अंदर कैद है, इस कमरे में और ये किसने कहा कि बस वो नदी के पास शिकार किया करती थी, वो कहीं भी शिकार कर सकती है;
भूल मत यह ग्रेव्यार्ड कोठी उसका दूसरा ठीकाना था,अगर इस दरवाजे को हमने वापस से खोल दिया तो यक्षिणी इस बार तो पक्का आजाद हो जाएगी पिछली बार तो हमारी किस्मत अच्छी थी इसलिए बच गये थे पर इस बार नहीं बचने वाले।"
युग अभिमन्यु को समझाते हुए कहता है......
युग : "यार अभिमन्यु तू ना मेरी बात समझने की कोशिश कर, देख हो सकता है कि यक्षिणी इस बार भी आजाद ना हो, तेरे डिवाईसो की मदद से हमने यह तो पता लगा लिया कि यक्षिणी यहीं पर कैद है पर क्या
तू नहीं चाहता कि तू यक्षिणी को देखे और उसे पकड़े, सोच आज तक लोगो ने सिर्फ भूतो को पकड़ा होगा उन्हे अपने वश में किया होगा पर तू पहला ऐसा पैरानॉर्मल एक्टीविस्ट होगा जो एक यक्षिणी को पड़ेगा तेरा कितना नाम होगा तुझे लोग जानने लगेंगे, ये तेरे लिए ये तेरी जिन्दगी की सबसे बड़ी अचीवमेंट होगी, सिर्फ तेरे लिए क्या दुनिया की सबसे बड़ी अचीवमेंट होगी।"
युग अभिमन्यु को अपनी बातो के जाल में फसाने लग जाता है और अभिमन्यु भी धीरे-धीरे उसकी बातो में आने लग जाता है और कुछ ही देर में दरवाजा खोलने के लिए राज़ी हो जाता है। युग एक गहरी साँस लेता है और दरवाजे की चटकनी पकड़कर उसे खोलने लग जाता है। जैसे-जैसे युग चटकनी खोलते जा रहा था अभिमन्यु की दिल की धड़कने बढ़ती जा रही
थी। जैसे ही युग चटकनी खोलता है कच से आवाज सुनाई देती है। युग अपने दोनो हाथो से दरवाजे को धक्का देकर दरवाजा खोल देता है। जैसे ही युग दरवाजा खोलता है टाईपराईटर की बटनो की आवाज धीमी हो जाती है।
जब वह दोनो कमरे के अंदर घूसते है तो देखते है कि वहाँ पर बहुत अंधेरा था इतना अंधेरा की कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बस टाईप राईटर की आवाज सुनाई दे रही थी। जैसे कोई बस एक दो बटन दबा रहा हो। अपना बचपन कोठी में ही बिताने के कारण
युग को पता था कि लाईट का स्विच कहाँ पर है वो लाईट के स्वीच के पास जाता है और उसकी बटन दबा देता है। वो बटन तो दबाता है पर लाईट ऑन नहीं होती है।
वो खुद से कहता है........
युग : "अरे ये क्या लाईट चालू क्यों नहीं हुई, कोठी में तो लाईट है फिर इस कमरे में लाईट क्यों नहीं जल रही...शायद कनेक्सन ढीला हो गया होगा या तार खराब हो गये होगें।"
युग खुद ही अपने सवाल का जवाब दे देता है।
युग और अभिमन्यु दोनो ही अपने मोबाईल के टॉर्च ऑन कर लेते है। मोबाईल के टॉर्च भी बार-बार बंद चालू हो रहे थे और ये सब कमरे में मौजूद अदृश्य शक्ति के कारण हो रहा था।
युग हैरानी के साथ कहता है........
युग : "यार ये लाईट के कनेक्शन का तो समझ में आता है पर ये मोबाईल के टॉर्च को क्या हो गया
ये क्यों बार-बार बंद चालू हो रहा है......?"
अभिमन्यु युग के सवाल का कुछ जवाब नहीं देता है क्योंकि उसके दिमाग में तो कुछ और ही सवाल चल रहे थे। वो यही सोच रहा था कि पिछली बार जब वो दोनो इस कमरे के अंदर आए थे तो उन्हे मरे हुए इंसान के शव की बदबू आ रही थी पर अब क्यों नहीं आ रही
मोबाईल के टॉर्च की बंद चालू रोशनी में वो दोनो बस यही देख पाए थे कि कमरे के अंदर जगह-जगह पर मकड़ी के जाले जमे हुए थे। सेल्फ में रखी ढ़ेरो किताबो के ऊपर उन मकड़ियों ने अपना घर बना लिया था। दिवारो पर एक-दो बड़ी-बड़ी तस्वीरे
टंगी हुई थी पर अंधेरा होने की वजह से वो फोटो क्लियर नहीं दिख रही थी। कमरे के अंदर ही टेबल रखा हुआ था जिसके ऊपर कुछ और किताबे पेन, पेंसिल, हाईलाईटर और सफेद टाईप राईटर रखा हुआ था जिसकी बटने अपना आप दब रही थी। युग और अभिमन्यु टाईपराईटर की बटनो को अपने आप दबता हुआ देखकर शौक्ड हो गये थे। अभिमन्यु के तो रौंगटे खड़े हो गये थे। वो जहाँ पर था वहीं पर रूक गया था उसके पाँव चिपक गये थे।
युग बड़ी हिम्मत करके अपने कदम उस टाईपराईटर की ओर बढ़ाने लग जाता है। जब वो उस टाईपराईटर के पास पहुँचता है और जैसे ही उसे छूता है उसकी बटने दबना अपने आप बंद हो जाती है। नजदीक जाकर वो देखता है कि सफेद टाईपराईट के
ऊपर बहुत सारी धूल जमी हुई थी साथ में उसके ऊपर खून के दाग भी थे। टाईपराईटर के अंदर ही एक पीला मटमैला पेज लगा हुआ था।
अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है.......
अभी : "यार ये टाईपराईटर तो तेरे हाथ लगाते ही रूक गया, जैसे तेरा स्पर्श पहचानता हो, ऐसा कैसे हो गया.......?"
युग : "पता नहीं यार, मैं तो ये सोच रहा हूँ कि इसकी बटने अपने आप दब कैसे रही थी।"
वो दोनो टाईपराईट के बारे में सोच ही रहे थे कि तभी उन दोनो को एहसास होता है जैसे उनके पीछे से कुछ गुजरा हो। वो दोनो डरते हुए पीछे मुड़ने लग जाते है पर उनके पीछे कोई नहीं था। अभिमन्यु को निगेटिव वाइबस महसूस होने लग जाते है और वो डरते हुए कहता है........
अभी : "यार अब हम दोनो को इस कमरे से
निकलना चाहिए।"
युग धीरे से कहता है.......
युग : "हाँ चल, मुझे भी कुछ ठीक नहीं लग
रहा है।"
जैसे ही युग यह बात कहता है उसे एक औरत की
फुसफुसाती हुई आवाज सुनाई देती है.........
औरत की आवाज : "अभी कहाँ जा रहा है
रूक ना।"
युग घबराते हुए कहता है.........
युग : "यार तुने आवाज सुनी......?"
अभी : "कैसी आवाज......?"
युग : "एक औरत की आवाज यार।"
अभी : "नहीं मैंने तो, नहीं सुनी।"
युग को लगता है उसका कोई वहम होगा और वो अपने
कदम दरवाजे की ओर बढ़ाने लग जाता है। जैसे-जैसे वो अपने कदम दरवाजे की ओर बढ़ाते जा रहा था उसके कान में एक औरत की फुसफुसाती हुई आवाज सुनाई दे रही थी.............
औरत की आवाज : "रूक जा मुझे लेके जा, रूक जा मुझे लेके जा, रूक जा।"
पर युग इन आवाजो को इग्नोर मार रहा था।
वह दोनो कमरे के बाहर निकल जाते है और दरवाजा लगाने लग जाते है। युग दरवाजा लगा ही रहा था कि तभी टाईपराईटर की आवाज फिर सुनाई देने लग जाती है।
युग हैरानी के साथ कहता है.........
युग : "अरे ये टाईपराईटर तो फिर से बजने लग गया।"
इतना कहकर युग वापस से दरवाजा खोल देता है। जैसे ही वो दरवाजा खोलता है वापस से आवाज आनी बंद हो जाती है। वो फिर दरवाजा लगाने लग जाता है पर फिर टाईपराईटर की आवाज सुनाई देने लग जाती है। युग बार-बार दरवाजा खोलता
और बंद कर रहा था और टाईपराईटर की आवाज भी कभी आ रही थी तो कभी नहीं आ रही थी ।
अभिमन्यु हैरानी के साथ कहता है........
अभी : "ये सब चल क्या रहा है यार, जब-जब तू दरवाजा लगाता है आवाज आनी शुरू हो जाती
है और जैसे ही खोलता है आवाज आनी बंद हो जाती है। "
युग कुछ सोचते हुए कहता है.......
युग : "यार मुझे तो लग रहा है इस टाईप राईटर में ही कुछ गड़बड़ है, जरूर इसके अंदर कुछ ना कुछ तो है।"
इतना कहकर युग वापस से कमरे के अंदर घूस जाता है
अभिमन्यु उसे रोकने की कोशिश करता है पर उससे पहले ही युग कमरे के अंदर घूस चुका था। कुछ देर बाद जब युग कमरे से बाहर आता है तो अभिमन्यु देखता है कि युग ने अपने हाथ में सफेद टाईप राईटर पकड़ा हुआ था।
अभिमन्यु अपना सिर पकड़ते हुए कहता है.......
अभी : "अरे ये क्या किया तुने, ये टाईपराईटर क्यो उठा लाया तू अपने साथ, मैंने तुझे बताया था ना जिस कमरे में कोई आत्मा या परलौकिक शक्तियाँ
हो वहाँ की चीजो के साथ छेड़-छाड़ नहीं करना चाहिए, उन्हें हाथ नहीं लगाना चाहिए।"
युग टाईपराईटर पर हाथ फेरते हुए कहता है.....
युग : "यार जब पेन बाहर आया था तब कुछ हुआ था क्या,नही हुआ था ना; तो अब टाईपराईटर बाहर लाने से क्या हो जाएगा और तू देख नहीं रहा था कैसे अपने आप बज रहा था, ये अंदर अंधेरा था ना इसलिए
कुछ समझ नहीं आ रहा था अब बाहर उजाले में रखेंगे तो पता चल जाएगा कि कैसे बटने अपने आप दब रही थी।"
अभिमन्यु को युग की बात काफी हद तक ठीक लगती है इसलिए वो भी कुछ बोलता नहीं है। अभिमन्यु रूम नम्बर 666 का दरवाजा लगाता है और वो दोनो उसके बगल वाले रूम के अंदर आ जाते है। अभिमन्यु और युग दोनो ही बिस्तर पर बैठे हुए थे और उन्होने टाईपराईटर को उसी कमरे के एक टेबल पर रखा हुआ
था। दोनो ही अपनी नज़रे उस टाईपराईटर पर गड़ाए हुए थे कि कब उसकी बटने दबे पर टाईपराईटर की बटनो में कोई मुवमेंट नहीं हो रहा था। टाईपराईटर को देखते ही देखते कब उनकी आँख लग जाती है उन्हें पता ही नहीं चलता है।
युग और अभिमन्यु दोनो ही सो चुके थे। जैसे ही घड़ी में तीन बजते है, टाईपराईटर की बटने अपने आप दबने लग जाती है। जैसे-जैसे उसकी बटने दबते जा रही थी उस टाईपराईटर की धूल अपने आप साफ होते जा रही थी। उस टाईपराईटर के अंदर जो
पीला मटमैला कागज लगा हुआ था उसमे रेड इंक से हिन्दी में कुछ टाईप होने लग जाता है। टाईपराईट के केरीज रीर्टन बार-बार लेफ्ट राईट शिफ्ट हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई उस टाईपराईटर पर टाईप कर रहा हो। रात भर टाईपराईटर अपने आप चलता रहता है और अभिमन्यु और युग गहरी नींद में सोते
रहते है। सुबह के आठ बज रहे थे और मुर्गे ने बाग दे दी थी। अभिमन्यु सो ही रहा था कि तभी उसका प्रेसर बनने लग जाता है और उसकी नींद खुल जाती है। वो झट से बिस्तर पर से उठता है और सीधा वॉशरूम के अंदर घूस जाता है। युग सो ही रहा था कि तभी उसे सिगरेट के धूए की स्मेल आने लग जाती है और उसकी
नींद खुल जाती है। जब वो अपनी आँखे खोलता है तो देखता है कि सिगरेट का धुँआ वॉशरूम के अंदर से आ रहा था। वो समझ जाता है कि जरूर वॉशरूम के अंदर अभिमन्यु ही होगा जो सुबह-सुबह धुँआ उड़ा रहा होगा। युग अभी अपनी आँखे मल ही
रहा था कि तभी फ्लश की आवाज सुनाई देती है और अभिमन्यु वॉशरूम से बाहर निकल जाता है।
अभिमन्यु युग को देखते हुए कहता है........
अभी : "अरे युग तू कब उठ गया....?"
युग मुँह बनाते हुए कहता है.......
युग : "जब तू वॉशरूम के अंदर धुँआ निकाल रहा था तब, यार कम तो पिया कर वरना किसी दिन
निपट जाएगा तो मैं एक अपने अच्छे दोस्त को खो दूँगा।"
अभी : "यार तुने फिर सुबह-सुबह ज्ञान देना शुरू कर दिया, वैसे ये सिगरेट निपटने के लिए नहीं सुबह-सुबह प्रेसर बनाने के लिए पी थी, तू नहीं समझेगा तू नहीं पीता ना।"
अभिमन्यु ने इतना ही कहा था कि तभी उसकी नजर
टाईपराईटर पर पड़ती है और वो देखता है कि टाईपराईटर चमक रहा था, जैसे नया हो पर उस सफेद टाईपराईटर पर अभी भी खून के दाग जैसे थे वैसे ही लगे हुए थे।
अभिमन्यु टाईपराईटर के पास जाते हुए कहता है.....
अभी : "अरे ये क्या तुने ये टाईपराईटर को साफ कर दिया, वाह यार बड़िया चमका दिया।"
युग अभिमन्यु को बताता कि वो टाईपराईटर उसने नहीं
चमकाया है उससे पहले ही अभिमन्यु अपना अगला सवाल उस पर दाग देता है
अभी : "अरे ये क्या तुने तो इसमें कुछ टाईप भी किया है, मुझे नहीं पता था कि तुझे भी लिखने का शौक है, होगा भी क्यों नहीं आखिर तू भी तो एक राईटर का ही बेटा है, तेरे पापा के गुण तेरे अंदर नहीं होंगे तो किसके अंदर होगे।"
युग अभिमन्यु को टोकते हुए कहता है......
युग : "अभिमन्यु ये मैंने टाईप नहीं किया है, और ना हीं मैंने ये टाईपराईटर साफ किया है।"
अभिमन्यु अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है......
अभी : "तो फिर इस पेज में इतना सारा किसने टाईप किया....?"
युग : "पता नहीं, मैं तो तेरे साथ ही सो गया था ना।"
अभिमन्यु अपना सिर खुजाते हुए कहता है......
अभी : "हाँ यार।"
युग और अभिमन्यु के कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो पेज किसने टाईप किये थे।
अभिमन्यु टाईपराईटर के पास जाता है और उसका रोलर नोड पकड़कर उसके अंदर का पेपर निकालने लग जाता है।
युग हैरानी के साथ कहता है.......
युग : "ये क्या कर रहा है........ ?"
अभिमन्यु रोलर घुमाते हुए कहता है.......
अभी : "यार इसके अंदर लगा कागज निकाल रहा हूँ, जरा देखू तो इसके अंदर क्या लिखा हुआ है।"
इतना कहकर अभिमन्यु टाईपराईटर के अंदर लगा पीला मटमैला कागज निकाल लेता है। वो देखता है कि तीन पेज निकालने के बावजूद टाईपराईटर में एक और ब्लैंक पेज लगा हुआ था जो हैरान करने वाली बात थी पर अभी उसका ध्यान उस पेपर पर नहीं था बल्कि उन तीन पेपर पर था जो उसके हाथ मे थे वो जानना चाहता था कि आखिर उसके अंदर क्या लिखा हुआ था।
अभिमन्यु देखता है कि पेपर पर रेड इंक से हिन्दी मे कुछ टाईप किया गया था।
युग : "अब कागज को बस ताड़ते ही रहेगा या पढ़ेगा भी।"
अभी : "हाँ यार पढ़ रहा हूँ।"
अभिमन्यु पेपर पढ़ते हुए कहता है........
अभी : "रात के तीन बज रहे थे और किशनोई नदी के पास धीमी लहरो के साथ बहते जा रही थी । आसमान में पूरा चाँद निकला हुआ था जिसकी रोशनी सीधे नदी पर पड़ रही थी। एक तीस साल का हट्टा-कट्टा आदमी जिसकी हाईट करीब 6 फूट तीन इंच, रंग काला था रौंगकामुचा घाट पर था। उसकी लड़खड़ाती चाल और हाथ में देशी शराब की बोतल इस बात की साफ गवाही दे रही थी कि उसने लिमिट से ज्यादा पीकर रखी हुई थी। वह गालियाँ बकते हुए घाट पर आगे बढ़ते जा रहा था। वो आदमी आगे बढ़ते हुए कहता है
आदमी : "मना करती है... मुझे मना करती है, वो जानती नहीं है मुझे मैं कौन हूँ उसे उसकी औकात दिखा कर रहूँगा, मुझे मना करती है... देखता हूँ कैसे नहीं देती है।"
यही बड़बड़ाते हुए वो आदमी आगे बढ़ रहा था। वो आदमी आगे बढ़ ही रहा था कि तभी उसकी नज़र नदी पर पड़ती है और वो देखता है कि नदी में कमर तक पानी था, वो हैरान था यह सोचकर कि अचानक नदी में इतना पानी कहाँ से आ गया था, जब दोपहर में उसने नदी पार की थी तब तो बस घुटनो तक पानी
था। उस आदमी को लगता है कि यह उसकी आँखो का धोखा है
इसलिए वो अपनी आँखे मलकर देखता है पर पानी उतना का उतना ही रहता है। वह आदमी लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ते हुए कहता है........
आदमी : "नदी में कमर तक पानी हुआ तो क्या हुआ अगर मेरे सिर तक भी पानी होता तो भी मैं नदी पार करता, आज की रात मैं उसके साथ बिताकर ही रहूँगा मुझे उसके साथ सोने से कोई नहीं रोक सकता, वो सिर्फ मेरी है आज की रात मैं उसे अपना बनाकर ही रहूँगा।"
इतना कहकर उस आदमी ने अपना अगला कदम नदी में रखने के लिए बढ़ाया ही था कि तभी वो देखता है कि अचानक से नदी के पानी में हलचल होने लग जाती है। पानी में बुलबुले उठने लग जाते है। ऐसा लग रहा था जैसे नदी के पानी के अंदर कुछ हो। वो आदमी वापस से अपना पैर पीछे खींच लेता है पहले तो वो आदमी घबरा जाता है पर थोड़ी ही देर बाद वो देखता है कि पानी के अंदर से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की निकलती है।
वह लड़की नग्न अवस्था मे नदी के अंदर खड़ी हुई थी। उसका सूडौल बदन था। उसके लम्बे-लम्बे काले बालो ने उसके उभरे हुए वक्षो को ढककर रखा हुआ था। उस लड़की के बदन पर छोटी-छोटी पानी की बूँदे थी जो उसके बदन की खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी, वो पानी की छोटी-छोटी बूँन्दे मोतियों की तरह लग रही थी। नदी में कमर तक पानी होने की वजह से वो आदमी बस उसके कमर तक का ही हिस्सा नग्न अवस्था में देख पा रहा था। उसे तो अभी भी अपनी आँखो पर यकिन नहीं हो रहा था कि उसके सामने नग्न अवस्था में एक लड़की खड़ी हुई थी।
आदमी : "अरे ये क्या,ये बाटली तो आज मुझे कुछ ज्यादा ही चढ़ गयी है मुझे नदी के अंदर एक लड़की दिख रही है, अरे ये लड़की नहीं ये तो कोई अप्सरा लगती है, अप्सारा से भी खूबसूरत किसी दूसरे लोक से आयी हूई परी सी।"
इतना कहकर वो आदमी उस लड़की के बदन को निहारने लग जाता है। उसने आज तक अपनी जिन्दगी में इतने भरे बदन वाली लड़की पहले कभी नहीं देखी थी। उस लड़की के रोम-रोम में एक जादू था जो उस आदमी को उस लड़की की ओर आकर्षित कर रहा था। वह एकटक नज़र से उस लड़की को देखे जा रहा था।
वो लड़की बड़े प्यार से कहती है.......
लड़की : "बस घूरते ही रहोगे या पानी के अंदर भी आओगे।"
जैसे ही वो आदमी उस लड़की की आवाज सुनता है, उस आदमी के तन बदन में आग लग जाती है। ऐसा लग रहा था जैसे उस लड़की की आवाज में एक जादू था, जो उसे उसकी बात मानने के लिए मजबूर कर रहा था। वो आदमी बिना कुछ सोचे समझे नदी के अंदर अपना कदम बढ़ा देता है और फुर्ती के साथ
उस लड़की के पास जाने लग जाता है। कुछ ही देर में वो उस लड़की के पास पहुँच जाता है और अब उसका भी बदन कमर तक पानी के अंदर डूब गया था।
वह आदमी उसके उभरे हुए वक्षो को देखने की कोशिश करने लग जाता है पर बालो से ढके होने के कारण वो उसके वक्ष नहीं देख पा रहा था। वो लड़की यह बात नोटिस कर लेती है और उस आदमी की शर्ट को छूते हुए कहती है
लड़की : "ऐसे क्या देख रहे हो, ये जो कुछ भी है सब तुम्हारा ही है।"
वो आदमी धीरे से अपना मुँह फाड़ते हुए कहता है......
आदमी : "क्या कहा यह सब मेरा है!"
लड़की : "हाँ ये सब तुम्हारा है, मैं अब तुम्हारी हूँ और तुम मेरे हो सिर्फ मेरे।"
वो आदमी फिर उसके वक्षो को देखने की नाकाम कोशिश करते हुए पूछता है......
आदमी : "तुम इतनी रात में यहाँ पर क्या कर रही
हो।"
लड़की : "तुम्हारा इंतजार।"
वो आदमी हैरानी के साथ कहता है........
आदमी : "क्या कहा मेरा इंतजार।"
लड़की ::"मैंने कहा मैं यहाँ पर नहा रही थी, क्या तुम मेरे साथ नहाना चाहोगे।"
उस आदमी को अपने कानो पर यकिन नहीं हो रहा था कि एक लड़की उसके साथ नहाना चाहती थी। वो लड़की उसके हाथ को पकड़ते हुए कहती है.....
लड़की : "अरे सोच क्या रहे हो, जल्दी बोलो मेरे साथ नहाना चाहोगे, जरा अपना हाथ देखो कितना काला है कितना मैल जमा हो गया है पता नहीं कब से तुमने नहीं नहाया है मेरे साथ नहाओगे तो एक ही बार में
यह सारा मैल उतर जाएगा।"
इतना कहकर वो लड़की उस आदमी का हाथ मलने लग जाती है। उस लड़की के स्पर्श से उस आदमी के बदन में ऐसी सिरहन उत्पन्न हुई थी कि वो अपने होश ओ हवास खो देता है उसके हाथ की देशी शराब की बोटल छूट जाती है और पानी के अंदर गिर जाती है सारी शराब नदी के पानी में मिल जाती है। वो आदमी उस लड़की की निगाहो में देखते हुए पूछता है......
आदमी : "क्या तुम यहाँ पर रोज रात में नहाने आती हो"
लड़की : "रोज नहीं कभी-कभी पर तुम ये क्यों पूछ रहे हो।"
आदमी : "क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रोज नहाना चाहता हूँ अपने अंदर की गर्मी मिटाना चहाता हूँ।"
वो लड़की उस आदमी के शर्ट के बटन खोलते हुए कहती है......
लड़की : "उसकी फिक्र तुम मत करो आज रात मैं तुम्हारे बदन की सारी गर्मी मिटा दूँगी फिर तुम्हे यहाँ पर आने की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी यहाँ पर क्या तुम्हे किसी ओर लड़की के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
इतना कहकर वो लड़की उस आदमी की शर्ट उतार देती है और उसे अपने सीने से सटा लेती है। अगले ही पल वो दोनो एक-दूसरे के बदन में समाहित हो जाते है। उस लड़की ने कब उस आदमी के बदन के सारे कपड़े उतार दिये थे उस आदमी को पता ही नहीं चलता वो आदमी तो उस लड़की के बदन में से आ रही कलम के फूलो की खुश्बू में मदहोश हो गया था। उसका उसकी इन्द्रियों पर से काबू हट चुका था। उस आदमी नै खड़े ही खड़े अपना लंड उस लड़की की चूत मै डाल दिया और धक्के मारने लगा वह दोनो ही नदी के अंदर संभोग कर रहे थे।
नदी का पानी ठंडा होने के बावजूद उन दोनो का बदन आग की भट्टी की तरह तप रहा था। वह आदमी उस लड़की से कुछ इस तरह लिपटा हुआ था जैसे कोई काला नाग चंदन की लकड़ी से लिपटता है। देशी शराब की बोटल भी उन दोनो के बदन की तरह पानी के ऊपर तैर रही थी।
जैसे-जैसे वो आदमी अपनी चरमोत्कर्ष अवस्था में पहुँचते जा रहा था नदी के पानी का स्तर कम होते जा रहा था। पर उस आदमी ध्यान इस वक्त नदी के पानी के स्तर पर नहीं बल्कि संभोग करने में लगा हुआ था। वह आदमी एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया था।
काफी वक्त से संभोग करने के बाद अब धीरे-धीरे उस आदमी का शरीर ठंडा पड़ने लग गया था। उसे उसके शरीर में कमजोरी महसूस होने लग गयी थी। वो पूरी तरह थक चुका था पर उस लड़की के बदन में अभी भी उतनी ही फूर्ती थी जितनी संभोग करने से पहले थी। उसके चेहरे पर अभी भी वही रौनक थी जो पहले थी। उसके शरीर की आग अभी कम नहीं हुई थी।
बल्कि उसकी आग तो और बढ़ते जा रही थी वो चाहती थी वो आदमी अपने बदन में थोड़ी और फुर्ती लाए पर वो आदमी का बदन ढीला पड़ गया था वह इतना थक गया था कि अब हिल तक नहीं पा रहा था।
वो लड़की उस आदमी के होंठो को छुते हुए कहती है.........
लड़की : "क्या हुआ थक गये इतनी जल्दी, अभी तो कुछ हुआ ही नहीं है तुम तो बड़े कमजारे निकले बस दिखने में ही ताकतवर हो पर हो बढ़े ढीले।"
जैसे ही वो लड़की यह बात कहती है......
आदम : "उस आदमी को दिल पर गहरी ठेस पहुँचती है उसे अपने ऊपर गुस्सा आने लग जाती है वो सोचने लग जाता है कि एक लड़की कि मुझसे ज्यादा काम
इच्छा कैसे हो सकती है। वो फिर अपने बदन में फूर्ती लाने की कोशिश करने लग जाता है पर उसका बदन उसका साथ नहीं देता है। उसका बदन पूरी तरह सुस्त पर चुका था। वो आदमी उस लड़की के सामने कमजोर ना दिखे इसलिए अब जान बुझकर वो उस लड़की का माथा चुमने लग जाता है। जब वो उसके माथे को चुमता है तो उसके अंदर उस लड़की का
पूरा बदन नग्न अवस्था में देखने की काम इच्छा बढ़ जाती है। इसलिए वो उसका माथा चुमते हुए उसके बदन के नीचे आने लग जाता है। माथा चुमते-चुमते वो उसकी नाभी तक पहुँच जाता है। उस लड़की के पेट के नीचे का हिस्सा पानी में डुबा हुआ था इसलिए वो आदमी भी पानी के अंदर जाने लग जाता है। जब वो आदमी उस लड़की के पेट के नीचे का हिस्सा चुमने
के लिए पानी के अंदर घुसता है तो उसकी आंखे फटी की फटी रही जाती है। डर के मारे उसके हाथ पैर पानी के अंदर ही काँपने लग गये थे उसके रौंगटे खड़े हो गये थे वो अपनी आँखो पर यकिन नहीं कर पा रहा था।
जब वो आदमी पानी के अंदर घूसा था तो उसकी नज़रे सीधे उस लड़की के पैरो पर पड़ी थी उसने देखा था कि उस लड़की के पैरो पर कई सारी झुर्रिया थी और जब उसकी नज़र उस लड़की की जाँघ पर पड़ी तो उसने देखा वहाँ पर तो पैरो के मुकाबले भी
कई ज्यादा झुर्रियाँ थी उतनी ही झुर्रिया जितनी सौ साल से ज्यादा बूढ़ी औरत के शरीर पर होती है। उस आदमी को अपने आप पर घिन महसूस होने लग जाती है कि वो जब से एक बूढ़ी औरत के साथ संभोग कर रहा था उस आदमी की उस लड़की का बदन
देखने की इच्छा मर जाती है और वो फूर्ती के साथ पानी से बाहर निकलता है और वो देखता है कि वो लड़की अभी भी जवान ही थी वो आदमी शौक्ड हो जाता है उसके समझ नहीं आता ये क्या हो रहा था। वो फिर पानी के अंदर घुसता है और देखता है कि
उस लड़की के पानी के अंदर का बदन अभी भी बूढ़ा ही था, वो फिर पानी के बाहर निकल जाता है। उस लड़की के शरीर का पानी के वाला हिस्सा तो जवान था पर पानी के अंदर वाला हिस्सा बूढ़ा हो चुका था।
वो आदमी हक्लाते हुए कहता है........
आदमी : "तत.... तुम कोई मामूली लड़की नहीं हो, बताओ ककक.... कौन हो तुम.......?"
"वो लड़की उस आदमी की आँखो में देखते हुए पुँसकुँसाते हुए कहती है........
लड़की : "मैं यक्षिणी...... तेरी मौत।"
इतना कहकर वो लड़की जोर-जोर से हँसने लग जाती है।
लड़की : "हा हा हा हा।"
उसकी हँसी आसमान मे गूंजने लग जाती है।
कुछ समझ वो आदमी डर के मारे काँपने लग गया था, उसके नहीं आ रहा था वो क्या करे, ऐसी परिस्थिती में उसके दिमाग में बस यहीं बात आयी थी कि उसे वहाँ से भागना चाहिए और वो जितनी जल्दी नदी से बाहर निकल सकता था निकले लग जाता है। वो बंगलामुडा घाट कि ओर जाने लग जाता है।
वो लड़की उसे रोकने की कोशिश नहीं करती है। वो पानी के अंदर ही खड़ी हुई थी वो हँसते हुए कहती है........
लड़की : "अरे कहाँ जा रहे हो, रूको अभी मेरी गर्मी मिटि नहीं है, तुम मुझे अकेले छोड़कर कहाँ जा रहे हो अभी तो हमे और नहाना है साथ में।" इतना कहकर वो लड़की गाना गाने लग जाती है.......
"अभी ना जाओ छोड़कर की...........
दिल अभी भरा नहीं".............
कुछ ही देर में वो आदमी नदी के किनारे पर पहुँच जाता है। वो आदमी नग्न अवस्था में बंगलामुड़ा घाट की रेट पर भाग रहा था। वो बस भागते जा रहा था उसे नहीं पता थो वो कहाँ जा रहा है वो भाग तो रहा था पर ऐसा लग रहा था जैसे रास्ता बड़ा हो
गया था वो एक जगह से आगे ही नहीं बढ़ पा रहा था एक ही जगह पर भागे जा रहा था।"
अब वो लड़की धीरे-धीरे नदी के पानी में से बाहर निकले लग जाती है। जैसे-जैसे वो बाहर निकलती जाती है कहीं से ढेर सारे जुगनू आ जाते है और उसके बदन के हर एक हिस्से को ढक लेते है। उन जुगनुओ ने कुछ इस कदर उस लड़की के बदन को ढक लिया था कि एक अंग भी नहीं दिख रहा था ऐसा लग रहा था
जैसे उसने जुगनुओ की पोशाक पहन कर रखी हुई हो।
वो लड़की धीरे-धीरे अपने कदम उस आदमी के पास बढ़ाने लग जाती है। वो आदमी एक ही जगह पर भागते-भागते थक जाता है और थककर जमीन पर गिर जाता है। उसके गिले बदन पर रेत चिपक जाती है।
जब वो लड़की उस आदमी के पास पहुँचती है तो वो आदमी अपनी जान की भीख माँगते हुए कहता है.....
आदमी : "देखो छोड़ दो मुझे.... जाने दो।"
वो लड़की हँसते हुए कहती है........
लड़की : "अभी मैंने कुछ पकड़ा ही कहा है जो छोड़ दूँ, हा....... हा......... हा ।"
वह लड़की उस आदमी के पास ही रेत पर बैठ जाती है,
जुगनू अभी भी उसके बदन पर थे। उन जुग्नूओ के कारण वहाँ पर इतनी रोशनी हो गयी थी कि कोई कह ही नहीं सकता था कि अभी रात हो रही होगी। देखते ही देखते उस लड़की के नाखून लम्बे हो जाते है। जो किसी जानवर के नाखून की तरह लग रहे थे। उसके
दाँत भी डायन की तरह बाहर निकल गये थे।
वो लड़की उस आदमी का हाथ पकड़ते हुए कहती है........
लड़की : "इन्ही हाथो में बहुत मैल जमा था, जरा दिखाना राम्रो...... नराम्रो...... राम्रो....... नराम्रो।"
राम्रो नराम्रो कहते हुए ही वो लड़की अपने हाथ की तीन उंगलियों से उसका हाथ खरोंच देती है।"
वो आदमी दर्द के मारे कराहने लग जाता है। और वो लड़की हँसने लग जाती है जैसे उसे चिखने की आवाजो से बहुत प्यार था।
उस आदमी के हाथो की कलाई से खून निकलने लग जाता है वो लड़की अपना मुँह उसके हाथ के पास ले जाती है और अपनी लम्बी चीभ से उसका खून चाटने लग जाती है। ऐसा लग रहा था जैसे वो लड़की अपने मुँह से उस आदमी की कलाइयो के जरिये उसका खून पी रही हो। देखते ही देखते उस आदमी का शरीर पूरी तरह सफेद पड़ जाता है उसके शरीर में अब एक भी खून की बूँद नहीं थी पर उसके शरीर में अभी भी जान बाकी थी और वो दर्द के मारे कराह रहा था।
वो लड़की उस आदमी के नग्न शरीर के ऊपर आजू बाजू पैर करके बैठ जाती है। उस हट्टे-कट्टे आदमी को तो उस दुबली पतली लड़की का वजन तक अब सहा नहीं जा रहा था। वो अब चीख तक नहीं पा रहा था।
वो लड़की उस आदमी के सीने पर अपने नुकीले नाखूनो से कुछ लिखते हुए कहती है
लड़की : "राम्रो.......नराम्रो,........राम्रो.......नराम्रो,...... राम्रो........नराम्रो।"
यही बड़बड़ाते हुए वह लड़की अपना हाथ उसके सीने के अंदर घुसाती है और एक ही झटके के साथ उसका दिल उसके सीने से बाहर निकाल लेती है। वो आदमी एक लम्बी आह के साथ अपना दम तोड़ देता है। वो लड़की उस आदमी के नग्न बदन पर से उठ जाती है। उसके हाथ में उस आदमी का दिल था जो कि पूरी तरह सिकुड़ चुका था। वह पागलो की तरह हँसते हुए
वहाँ से नदी की ओर जाने लग जाती है। उसकी हँसी इस बात का सबूत थी कि आज रात जिस मकसद से वो नदी पर नहाने आयी थी उसने उस मकसद को अंजाम तक पहुँचा दिया था।
"पेज पढ़ते-पढ़ते अभिमन्यु का गला सूख गया था। युग और अभिमन्यु की सिट्टी-बिट्टी गुल हो गयी थी। अभिमन्यु के हाथ तो अभी भी कँपकँपा रहे थे।
अभिमन्यु बड़ी ही हिम्मत करके बोलता है.......
अभी : "यार ये कहानी तो काफी दमदार थी, मेरे तो रौंगटे खड़े हो गये पर तुने कहा था कि ये कहानी तूने टाईप नहीं की फिर किसने की, रात को मैंने देखा था तो ये पेज खाली थे इनमे कुछ टाईप नहीं था.......?"
अब आगे...........
☆ CH : How its possible ☆
अभी : यार युग मै ये नहीं पूछ रहा हु की कहानी किस लड़की के बारे मै है, मै तो ये पूछ रहा हु की ये कहानी किसने टाइप की......?
कायर : तुम दोनो खुद आकर देखलो हुआ क्या है,मैंने कहा था वो कमरा नहीं खोलना चाहिए था मगर तुम दोनो नै मेरी बात नहीं मानी..........
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