मैंने इधर उधर नजर घुमाई तो फोन टेबल पर पड़ा दिखा, साथ में एक पेंटिंग भी थी. मैंने जब वो देखी तो मेरे होश उड़ गए और शॉक के मारे मेरी आंखें बड़ी हो गईं. वो मेरी पेंटिंग थी, जिसमें मैं बिना दुपट्टे के सिर्फ़ ब्लैक सूट और सलवार में थी, मेरे बाल खुले हुए और मेरे पूरे शरीर को बखूबी पेंट किया हुआ था, बहुत ही खूबसूरत पेंटिंग थी वो, मैं उसे देखने में खो गई थी कि तभी पीछे से समीर की आवाज़ आई- कैसी लगी भाभी जी पेंटिंग?
मैं चौंक गई और पीछे मुड़ते हुए बोली- अच्छी है पर ऐसी क्यों? मेरा मतलब बिना दुपट्टे के.. अगर नदीम ने देख ली तो उन्हें अच्छा नहीं लगेगा..
समीर - और आपको?
मैंने शर्म से नजरें झुका लीं.
समीर - कहिये ना भाभीजी आपको कैसी लगी?
मैंने शर्माते हुए कहा- बहुत अच्छी..
समीर थोड़ा मेरे करीब आया और हमारी नजरें मिलीं. मैंने उससे थोड़ा गुस्से से कहा- ओह तो तुम ये पेंटिंग बनाने के लिए रोज मुझे बाल्कनी से छुप छुप के देखते हो..
समीर - हां.. भाभीजी आप हो ही इतनी खूबसूरत कि मैं आपको देखने के लिए मजबूर हो जाता हूँ और ना चाहते हुए भी मैंने ये पेंटिंग बना दी..
मुझे ना जाने आज क्या हो गया था कि में समीर की बातों को सुनते जा रही थी. समीर की बातों में इतनी कशिश थी कि मैं उसकी आंखों में आंखें डालकर उसे ध्यान से सुन रही थी.
समीर - भाभीजी आपसे एक बात कहूँ?
मेरी आँखें उसे हर सवाल का हां में जवाब दे रही थीं.
समीर - मैं आपको एक बार इस पेंटिंग की तरह देखना चाहता हूं.
मैं बहुत ही डर गई, मैंने फ़ौरन मना कर दिया.
समीर ने मेरे करीब आते हुए कहा- प्लीज़ भाभीजी मैं देखना चाहता हूँ कि मैंने ये पेंटिंग ठीक बनाई है कि नहीं..
वो बड़ी शिद्दत से मेरे पूरे बदन को निहार रहा था. मैं उसकी बात का और उसका मतलब दोनों बखूबी समझ रही थी. मैं उसे मना करना चाहती थी, पर उससे पहले ही समीर ने मेरे बिल्कुल करीब आकर धीरे धीरे करके मुझसे लिपटे हुए मेरे दुपट्टे को खींच लिया. मैं आज पहली बार किसी गैरमर्द के सामने इस तरह बिना दुपट्टे के खड़ी थी. समीर की नजरों में मुझे हवस साफ नजर आ रही थी. हम एक दूसरे को बिना पलक झपकाए देख रहे थे. मेरे पूरे शरीर में अजीब सी सरसराहट हो रही थी, मेरी धड़कनें बढ़ रही थीं, घबराहट के मारे मेरा गला सूख रहा था और होंठ कांप रहे थे.
समीर मेरे इतने करीब आ चुका था कि हम दोनों की सांसों की गरमाहट एक दूसरे में समा रही थी. मैंने शर्मा कर अपनी नजरें झुका लीं. समीर ने अपने दोनों हाथों को मेरे बालों में डालते हुए मेरे कांपते हुए होंठों पे अपने होंठ रख दिए और चुमना शुरू कर दिया.
उसकी इस हरकत से मैं हक्की बक्की थी, मैं उसे रोकना चाहती थी.. पर उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया. कुछ ही पल में मेरा विरोध कम हो गया और धीरे धीरे मैं भी पूरा साथ देने लगी. हम एक दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे. मैंने दोनों हाथों से समीर की पीठ को सहलाते हुए उससे चिपक गई. मेरे चूचे समीर के सीने में समा गए. वो अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालते हुए मुझे डीप स्मूच कर रहा था. मैं भी अपनी जीभ को समीर के मुँह में डालकर डीप स्मूच का पूरा आनन्द ले रही थी. उसका एक हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था और दूसरा हाथ मेरे चूतड़ों को दबा कर मुझे उसके लंड की तरफ खींच रहा था.
करीब दो मिनट के लिप स्मूच के बाद समीर के होंठ मेरे गालों को चूमते हुए मेरी गरदन पे जा पहुँचे. समीर मेरी गरदन को दोनों तरफ से बेतहाशा चाट रहा था, जिससे समीर की लार से मेरी गरदन पूरी गीली और लाल हो चुकी थी. मेरे मुँह से मदहोशी भरी सिसकारियां निकल रही थीं. समीर मेरे होंठ गाल कान और गरदन पर चुम्बनों की बौछार कर रहा था. मैं भी अब इतनी मदहोश हो चुकी थी कि पूरा जोर लगा कर उसको अपने अन्दर खींच रही थी.
करीब पांच मिनट तक यही चलता रहा, फिर समीर ने मुझे घुमा कर दीवार से चिपका दिया और पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर कर मेरे चूचों को दबाते हुए फिर से मेरी गरदन को चूमना शुरू कर दिया. मेरे मुँह से मादक सिसकारी निकल गई, पता नहीं क्यों, आज मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा था और समीर की हर हरकत का मजा लेना चाहता था. मेरी सांसें तेज चल रही थीं. मेरे दोनों चूचे समीर के हाथों में खेल रहे थे और उसके गीले होंठ मेरी मखमली गरदन को मसाज दे रहे थे.
समीर का लंड मेरे चूतड़ों के बीच जगह बना रहा था. मैं विरोध तो नहीं कर रही थी, पर मेरे मुँह से ‘नहीं समीर .. नहीं प्लीज.. ये गलत है.. मैं शादीशुदा हूँ.. ये गलत है..’ जैसे शब्द निकल रहे थे.
समीर का एक हाथ मेरे पेट को सहलाते हुए मेरी सलवार तक पहुंचा. मैं कुछ समझती उससे पहले तो मेरा नाड़ा खिंच चुका था और मेरी सलवार जमीन पर थी.
मैंने समीर की तरफ देखकर मना करना चाहा, पर मैं कुछ कहती उससे पहले समीर ने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर के लिपलॉक कर लिया और अपनी उंगलियों से मेरी पेन्टी के ऊपर से सहलाने लगा. फिर उसने मेरी पेन्टी में हाथ डाल कर मेरी चुत पे अपनी कामुक होती उंगली फेर दी और धीरे धीरे समीर ने एक उंगली मेरी रस से तरबतर होती गीली चुत में डाल दी.
मैं एकदम से उछल पड़ी और समीर के बालों में हाथ डाल कर उसके होंठों को जोर से काटने लगी. समीर मेरे होंठ गाल कान और गरदन पर बेतहाशा चूम रहा था और अपनी दो उंगलियों को मेरी रसभरी गीली चुत में अन्दर बाहर कर रहा था.
मैं कामुकता से सराबोर सिसकारियां ले रही थी ‘सिस्स्स्सस अम्म्म्मम..’ मेरा पूरा तन और मन अब वासना की आग में डूब चुका था और मैं अपनी सारी मर्यादा भूल चुकी थी, मैं भूल चुकी थी कि मैं शादीशुदा हूँ और अपने शौहर से बहुत प्यार करती हूँ, मैं दो बच्चों की माँ हूँ, किसी के घर की इज्ज़त हूँ.
ये सब कुछ भूलकर मैं अब एक ऐसे गैर मर्द की कामुक उंगली से अपनी चूत के मर्दन का भरपूर आनन्द ले रही थी.. जो उम्र में मुझसे करीब 10 साल छोटा था.
समीर ने मेरी चूत में अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी.
‘आह्ह्ह्ह्ह अम्म्म्म्मम..’ मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई और किसी भी वक्त झड़ने वाली थी. करीब 3-4 मिनट के फिंगर सेक्स के बाद मेरी चुत से ढेर सारा रस निकल पड़ा और मेरी जांघों पर बहने लगा, मेरा शरीर अब निढाल हो गया था. जबकि समीर अभी भी मेरे कोमल होंठों का रस पी रहा था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं समीर की तरफ घूम गई और उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी. मेरी इस हरकत से वो भी पूरे जोश में आ गया. हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैं मदभरी सिस्कारियां लेती हुई अपना चेहरा इधर उधर घुमा रही थी और समीर मेरी गरदन को अपनी लार से भिगोता हुआ लगातार चूम रहा था.
फिर समीर ने मेरे कुरते को मेरे कन्धों तक ऊपर कर दिया, जिससे मेरे चूचे बाहर आ गए. समीर ने दोनों हाथों से मेरे चूचों को मसलना शुरू कर दिया और अपनी गरम जीभ मेरे निप्पल पे रख दी.
‘सिस्स्स.. आहम्म्म्म.. धीरेरेरे.. प्लीज़..’ करते हुए मैं उसके बालों में उंगलियां फिरा रही थी. मेरे दोनों चूचे चूस चूस और निप्पलों को काटकर समीर ने पूरे लाल कर दिए थे.
करीब 5 मिनट की चूची चुसाई के बाद उसने धीरे से नीचे मेरी नाभि के अन्दर जीभ डालते हुए दोनों हाथों से मेरी पेन्टी उतार दी, जिसमें अब मेरी क्लीन शेव मखमली चूत बिल्कुल नंगी एक गैर मर्द के सामने थी.
समीर नीचे बैठ गया, उसने पहले मेरी चूत के आस पास हल्के से चुम्बन किए. इससे मैं और गरम हो गई और मैंने अपने पैर थोड़े फैला दिए. समीर ने अपनी गरम जीभ मेरी चुत पे रख दी.
‘आहहह..’ मेरे मुँह से चीख निकल गई. ये मेरे लिए पहला और बिल्कुल नया अनुभव था. मेरे शौहर नदीम ने भी अब तक कभी मेरी चुत नहीं चाटी थी. मैं तो जैसे सातवें आसमान पर थी, इतना मजा आ रहा था कि मैं शब्दों में बता नहीं सकती.
समीर मेरी चुत को पूरी लम्बाई में चाट रहा था. वो के निचले हिस्से से अपनी जीभ को रगड़ता हुआ मेरी चूत के दाने तक जीभ को फेर रहा था. उसकी खुरदुरी जीभ जैसे ही मेरे दाने पर लगती, मेरी आह निकल जाती थी. एक अजीब सी सनसनी भर रही थी.
मैं अपने दोनों हाथ समीर के सर में डालकर अपनी चुत में जोर से दबा रही थी. हम दोनों इतने मदहोश हो चुके थे कि रिश्ते, नाते, शर्म, हया.. सब कुछ भूल कर उस पल का आनन्द ले रहे थे. मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
अब तो समीर अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहा था. मैं अपने दोनों हाथों से उसके सर को अपनी चुत में दबाते हुए जीभ चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी ‘आह मम्म्म्म सीस्स्स्स उइइइइ..’
मैं अब झड़ने वाली थी तो मैंने अपने हाथों से जोर से समीर का सर अपनी चुत में दबा दिया, जिससे उसकी जीभ मेरी चुत में अन्दर तक धंस गई. समीर ने भी पोजीशन को समझते हुए चुत के अन्दर ही जीभ को लपलपाना शुरू कर दिया, जिससे मेरी चूत का मजा दुगना हो गया.
मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया था सेक्स में.
‘आआह ईईई आआआआह आआआह..’ और आखिरकार मेरी चुत ने ढेर सारा रज समीर के मुँह पर ही छोड़ दिया. मेरा शरीर बिल्कुल निढाल हो चुका था. मैंने समीर को उठा कर अपनी बांहों में ले लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूसना शुरू कर दिये.
तभी बाहर से मेरी बेटी गुड्डी की आवाज़ आई- अम्मी… अम्मी.. कहां हो?