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Nipples opr halke halke teeth bida ne se chut ki hawa jyada nikalti hपरदेशी प्यार भाग-2
कमल बाबी की चूचियां दबाने लगा और बाबी उसके लंड से खेलने लगी। कभी वो उसको मुट्ठी में दबा लेती तो कभी उसके सुपाड़े को हटाकर देखती। कमल का लंड हाथ में लेकर बॉबी अपने पूरे जिस्म में अजीब सी सनसनी महसूस कर रही थी। इधर कमल उसकी चूचियों को हौले-हौले सहला रहा था, दबा रहा था। तभी कमल जोर-जोर से उसकी चूचियों को दबाने लगा तो बाबी चिल्लाई,
क्या करते हो , जोर से दबाने से दर्द होता है न।
सॉरी अब धीरे-धीरे दबाऊंगा। कमल ने कहा और बाबी की चूचियां फिर से दबाने लगा। अचानक कमल बाबी की फ्राक के ऊपरी बटन खोलने लगा तो बाबी बोली-
बटन क्यों खोल रहे हो।
तम्हारी चूचियां बाहर निकालने के लिए।
क्यों?
उन्हे चूसूंगा। कमल ने धीरे से कहा।
न बाबा न। बॉबी कांप कर बोली।
क्यों क्या हुआ ? कमल ने पूछा
तुमने मेरी चूचियों को चूसते समय काट लिया तो?
क्या पहले भी किसी ने तुम्हारी चूंचियों पर काटा है?
चूंचियों पर तो नहीं हां मगर मेरे अंकल प्यार करते समय गाल पर जरूर काट लिया करते थे।
घबराओ मत मैं तुम्हारे अंकल जैसा नहीं हूँ, मैं तुम्हारी चूंचियों को बड़े प्यार से चूसूंगा।
फिर ठीक है। बाबी ने कहा।
बाबी के इतना कहते ही कमल ने उसकी फ्राक के बटन खोलकर चूंचियों को बाहर निकाल लिया। बॉबी की चूंचियां अभी विकसित होना शुरू ही हुई थीं। उनका आकार छोटे संतरे जैसा था। अग्रभाग पर छोटा सा गुलाबी निपल। कमल उसकी चूंचियों को पहले तो धीरे-धीरे सहलाता रहा और फिर एक चूंची अपने मुंह में भरकर धीरे-धीरे चूसने लगा। कमल के ऐसा करते ही बाबी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। उसके हाथ से कमल का लंड छूट गया और कमल के सिर को सहलाने लगी। कमल कभी एक चूंची को मुंह में भरकर चूसता तो कभी दूसरी को। आनंद से बॉबी की आंखें मुंद गईं। वह आनंद के सागर में गोता लगा ही रही थी कि तभी अचानक बाहर शोर मच गया। बाबी जल्दी से अपनी फ्राक के बटन बंद कर कमल के साथ बाहर आ गई। वहां पहले से ही सभी लोग जमा हो गए थे।
मनु ने बाबी से कहा- दीदी अब घर चलो।
तुम चलो मैं अभी थोड़ा और खेलूंगी।
ठीक है मगर जल्दी आ जाना वरना मां नाराज होंगी। इतना कहकर मनु वहां से चली गई। नया लड़का दाम देने चला गया और सभी छुपने लगे। कमल बाबी को लेकर पुरानी जगह आ गया। अचानक उसने कहा,
क्यों न हम खेल बंद करवा दें। जिससे बार-बार बाहर नहीं भागना पड़ेगा और तुम्हे जी भर कर मजा दूंगा।
ठीक है। बाबी ने कहा।
इसके बाद कमल बाहर आया और उसने सभी को बुलाकर खेल बंद करने को कहा। उसके सारे दोस्त चले गए, मगर बॉबी वहीं खड़ी रही। सबके जाने के बाद कमल बॉबी को लेकर फिर उसी अंधेर कमरे में आ गया। न जाने क्यों इस बार कमल के साथ आने पर बॉबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसके मन में अनजाना सा खौफ था, मगर उस आनंद के सामने वह खौफ छोटा पड़ गया जो कुछ समय पहले कमल से उसे मिल रहा था। वह चुपचाप कमल के साथ चली आई।
Okk bro...Nipples opr halke halke teeth bida ne se chut ki hawa jyada nikalti h
Bahut dardnak ant.परदेशी प्यार
अंतिम भाग - 30
कार कमल के घर के सामने जाकर रुकी। घर के बाहर ही कमल की मां को घेरे कुछ औरतें बैठीं थीं और वहां मातम सा छाया था। कार से उतरते ही बॉबी के जेहन को झटका सा लगा। उसे लगा मानो उसके अंदर कुछ टूट सा रहा है। वह धीमे-धीमे कदमों से कमल की मां के सामने पहुंची। उन्होंने बॉबी की तरफ सूनी नजरों से देखा और टूटे शब्दों में केवल इतना ही कहा,
अब क्या लेने आई हो।
क्या हुआ..? आप रो क्यों रही हो। बॉबी का दिल फट पडऩे को तैयार था।
तभी एक औरत बोली, कमल ने कल रात फांसी लगा ली।
इतना सुनते ही बॉबी को ऐसा लगा मानो आसमान फट पड़ा हो और उसका वजूद खत्म हो गया। वह वहीं धम्म से बैठ गई। तब तक कार से शारदा देवी और डॉक्टर अंकल भी उतर चुके थे। यह सुनकर उन्हें भी झटका सा लगा।
अचानक बॉबी उठी, उसकी आंखों से आंसू नहीं बह रहे थे। उसने केवल इतना पूछा, कहां है वह।
उसे तो गांव के श्मशान पर ले गए।
बॉबी तेजी से घूमी और बोली, मम्मी जल्दी चलिए नहीं तो उसे देख भी नहीं पाउंगी।
शारदा देवी ने केवल हां में सिर हिलाया। बेटी की यह हालत देखकर उनका दिल फटा जा रहा था। बॉबी की आंखों से आंसू न आना उन्हें चिंता में डाल रहा था।
बॉबी कार में बैठ चुकी थी। एक लड़का उन्हें रास्ता दिखाने के लिए साथ हो लिया और कार श्मशान की तरफ बढ़ चली।
बॉबी ने दूर से ही चिता को जलते हुए देख लिया था, उसका कलेजा फट गया। कार श्मशान के बाहर रुकी और बॉबी उतरकर कमल की चिता की तरफ बढ़ गई। शारदा देवी ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया। वह सूनी आंखों से मां को देखती रही।
कमल का बूढ़ा बाप आंखों में नफरत लिए शारदा देवी को निहार रहा था। बॉबी वहीं खड़ी कमल की चिता को जलते देखते रही।
तभी पंडित बोला, कपाल क्रिया का समय हो गया और अचानक जैसे बॉबी की तंद्रा टूटी। उसने मां के हाथ से अपना हाथ छुड़़ाया और बोली,
यह क्रिया मुझे करने दो।
पंडित कमल के पिता की तरफ देखने लगा। उस बूढ़े ने धीरे से सिर हिला दिया।
शारदा देवी अब तक नहीं समझ पा रही थीं कि बेटी को इस सदमे से बाहर कैसे लाएं। पंडित ने बॉबी के हाथ में बांस थमा दिया था। बॉबी बांस लेकर चिता की तरफ बढ़ी। अचानक उसने दौड़ लगा दी। यह देख शारदा देवी गला फाड़कर चिल्लाईं..
रोको उसे। मेरी ब…च्…ची रुक जा…आ..ा..ा… क्या कर रही है।
डॉक्टर अंकल सहित कई लोग बॉबी की तरफ दौड़ पड़े, कोई उसे पकड़ता इसके पहले उसने बांस का अगला सिरा जमीन पर टिकाया और लंबी छलांग लगा दी। वह सीधे चिता के बीच जाकर गिरी। यह देखकर शारदा देवी उस तरफ दौड़ पड़ीं, मगर उन्हें कुछ लोगों ने थाम लिया।
इधर आग की लपटें अचानक तेज हुईं और लपटों ने बॉबी को पूरी तरह छिपा लिया था, मानो कमल ने उसे अपनी बांहों में समा लिया हो।
शारदा देवी बेहोश होकर लोगों की बांहों में झूल गई।
कई साल बाद भी कमल और बॉबी की प्रेम कहानी उस गांव में बसी है। कई लोगों ने तो दोनों की आत्माओं को एक-दूसरे का हाथ थामे श्मशान में टहलते देखने का भी दावा किया।
The End,
परदेशी प्यार
अंतिम भाग - 30
कार कमल के घर के सामने जाकर रुकी। घर के बाहर ही कमल की मां को घेरे कुछ औरतें बैठीं थीं और वहां मातम सा छाया था। कार से उतरते ही बॉबी के जेहन को झटका सा लगा। उसे लगा मानो उसके अंदर कुछ टूट सा रहा है। वह धीमे-धीमे कदमों से कमल की मां के सामने पहुंची। उन्होंने बॉबी की तरफ सूनी नजरों से देखा और टूटे शब्दों में केवल इतना ही कहा,
अब क्या लेने आई हो।
क्या हुआ..? आप रो क्यों रही हो। बॉबी का दिल फट पडऩे को तैयार था।
तभी एक औरत बोली, कमल ने कल रात फांसी लगा ली।
इतना सुनते ही बॉबी को ऐसा लगा मानो आसमान फट पड़ा हो और उसका वजूद खत्म हो गया। वह वहीं धम्म से बैठ गई। तब तक कार से शारदा देवी और डॉक्टर अंकल भी उतर चुके थे। यह सुनकर उन्हें भी झटका सा लगा।
अचानक बॉबी उठी, उसकी आंखों से आंसू नहीं बह रहे थे। उसने केवल इतना पूछा, कहां है वह।
उसे तो गांव के श्मशान पर ले गए।
बॉबी तेजी से घूमी और बोली, मम्मी जल्दी चलिए नहीं तो उसे देख भी नहीं पाउंगी।
शारदा देवी ने केवल हां में सिर हिलाया। बेटी की यह हालत देखकर उनका दिल फटा जा रहा था। बॉबी की आंखों से आंसू न आना उन्हें चिंता में डाल रहा था।
बॉबी कार में बैठ चुकी थी। एक लड़का उन्हें रास्ता दिखाने के लिए साथ हो लिया और कार श्मशान की तरफ बढ़ चली।
बॉबी ने दूर से ही चिता को जलते हुए देख लिया था, उसका कलेजा फट गया। कार श्मशान के बाहर रुकी और बॉबी उतरकर कमल की चिता की तरफ बढ़ गई। शारदा देवी ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया। वह सूनी आंखों से मां को देखती रही।
कमल का बूढ़ा बाप आंखों में नफरत लिए शारदा देवी को निहार रहा था। बॉबी वहीं खड़ी कमल की चिता को जलते देखते रही।
तभी पंडित बोला, कपाल क्रिया का समय हो गया और अचानक जैसे बॉबी की तंद्रा टूटी। उसने मां के हाथ से अपना हाथ छुड़़ाया और बोली,
यह क्रिया मुझे करने दो।
पंडित कमल के पिता की तरफ देखने लगा। उस बूढ़े ने धीरे से सिर हिला दिया।
शारदा देवी अब तक नहीं समझ पा रही थीं कि बेटी को इस सदमे से बाहर कैसे लाएं। पंडित ने बॉबी के हाथ में बांस थमा दिया था। बॉबी बांस लेकर चिता की तरफ बढ़ी। अचानक उसने दौड़ लगा दी। यह देख शारदा देवी गला फाड़कर चिल्लाईं..
रोको उसे। मेरी ब…च्…ची रुक जा…आ..ा..ा… क्या कर रही है।
डॉक्टर अंकल सहित कई लोग बॉबी की तरफ दौड़ पड़े, कोई उसे पकड़ता इसके पहले उसने बांस का अगला सिरा जमीन पर टिकाया और लंबी छलांग लगा दी। वह सीधे चिता के बीच जाकर गिरी। यह देखकर शारदा देवी उस तरफ दौड़ पड़ीं, मगर उन्हें कुछ लोगों ने थाम लिया।
इधर आग की लपटें अचानक तेज हुईं और लपटों ने बॉबी को पूरी तरह छिपा लिया था, मानो कमल ने उसे अपनी बांहों में समा लिया हो।
शारदा देवी बेहोश होकर लोगों की बांहों में झूल गई।
कई साल बाद भी कमल और बॉबी की प्रेम कहानी उस गांव में बसी है। कई लोगों ने तो दोनों की आत्माओं को एक-दूसरे का हाथ थामे श्मशान में टहलते देखने का भी दावा किया।
The End,