UPDATE 23
सभी लोग रात को २ बजे घर पहुंचते है। सभी अपने कमरे में चले जाते हैं। सुबह अजय और रेनू जल्दी उठते हैं क्योंकि अजय को आफिस जाना था और रेनू को अजय के लिए लंच तैयार करना था। अजय के आफिस जाने के बाद रेनू बच्चों को ने उनके कमरे में जाती है। पहले वह संध्या को जगाती है। फिर सभी को जगाती है। संध्या अपनी मॉ. के साथ रसोइ में काम मे मदद करती है।
आलोक जब जागता है तो वह पहले बाथरूम जाता है फिर फ्रेश होकर नीचे आता है। जब वह नीचे आता है तो वह किचन की तरफ जाता है जहाँ उसकी माँ और बड़ी बहन नाश्ते की तैयारी कर रही होती हे । मॉ तो नाइटी मे थी जबकि दीदी सफेद रंग की सूट और लैगिज में थी। जिसमे उसके उभरे और कसे हुए चुतड़ दिखाई देते है। आलोक दरवाजे के बाहर से ही अपना लण्ड पैण्ट के ऊपर से मसलने लगता है। वह अपनी बहन की चुतड़ो मे खो जाता है । तभी माँ थोड़ा दरवाजे की तरफ मुड़ती है जो आलोक नही देख पाता है। परन्तु माँ आलोक को देख लेती है। वह संध्या से कहती है -
माँ- क्या तुमने पिछे देखा क्या हो रहा है ?
संध्या - नही तो क्या हो रहा है ?
माँ- तो पिछे मुड़ के देख लो।
संध्या - ऐसा क्या है पिछे ?
मॉ - देख तो सही
संध्या पिछे मुड़ती है। जैसे ही वह पिछे देखती है उसकी नजर अपने भाई आलोक पर पड़ती है जो अपना लण्ड मसल रहा था।
संध्या - अरे माँ ये तो सुबह सुबह ही गरम हो रहा है।
माँ- हॉ जब तुम्हारी जैसी लड़की सामने खड़ी हो तो कोई भी गरम हो सकता है।
संध्या- ऐसा कैसे कह सकती हो माँ यहाँ तुम भी तो खड़ी होम नही किसे देखकर गरम हो रहा है ।
मा - मुझे नहीं लगता कि वह मुझे देख कर ऐसा कर रहा है।
संध्या - ऐसा क्यों आपको लगता है
मा - क्यों की मै तो अब बूढ़ी हो चुकी हूं तो मुझे नहीं।
संध्या - मुझे तो आप बूढ़ी नहीं लगती।
मा - चल उसी से पूछ लेते है
संध्या - अरे मा आप ये क्या बोल रही है।
मा - क्यों तुमने ही तो कहा कि वह मुझे देख रहा है
संध्या - मा आप भी न
मा - आलोक वहां क्या कर रहे हो
संध्या - मा क्यों बुला रही हो
आलोक - हड़बड़ाते हुए। कुछ नहीं मा
मा - इधर आओ
आलोक - लण्ड के उभार को छुपाते हुए मा की ओर जाने लगता है।
मा - वहां क्या कर रहे थे
आलोक - कुछ नहीं
मा - झूठ मत बोलो
आलोक - बोला ना कि कुछ नहीं
मा - शरमा मत मैंने सब देखा अब बता किसे देख कर गरम हो रहा था मुझे या संध्या को।