मैं तो वैरागी हूं, न सम्मान का मोह, न अपमान का भय, न शत्रु, न मित्र, न कोई अपना न पराया, न इस दुनिया से लेना न देना, पर जब कभी धर्म के नाम पर किया जाने वाला आदम, पूर्वाग्रह का आधार मैं उसका विनाश अवश्य करूँगा |Tamhari koi izzat hai
Koiye loot jaata hai