xandercage
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वक्त रेत सा फिसलता जल सा बह जाएगा,
यौवन जो गुजरा क्या लौट के आएगा ?
तो बढ़ाओ हाथ थाम लो इन बयारों को,
भूलो बीते कल को न आने वाले की सोचो,
जो है वर्तमान में बस उसे जी भर के जी लो,
क्यों इच्छाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हो,
एक तरसते को और तरसा रही हो।
यौवन जो गुजरा क्या लौट के आएगा ?
तो बढ़ाओ हाथ थाम लो इन बयारों को,
भूलो बीते कल को न आने वाले की सोचो,
जो है वर्तमान में बस उसे जी भर के जी लो,
क्यों इच्छाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा रही हो,
एक तरसते को और तरसा रही हो।