DREAMBOY40
सपनों का सौदागर 😎
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अभिषेक का "अभी" नही "अभि" होना चाहिए ।अपडेट –3
हम दोनो बात करते हुए पूजा के घर पहुंच गए।क्योंकि उसकी दीदी सरकारी जॉब में थी तो उनको बंगलो जैसा घर मिला था।पहले गेट था,बीच में घर और उसके चारों ओर दीवार थी।आगे से पीछे तक गार्डन जैसा था।
पूजा ने घर के मेन गेट की रिंग दी तो कुछ देर बाद उसकी दीदी ने दरवाजा खोला।
पूजा की बहन – अपर्णा
और उस टाइम वो इस तरह से ही दरवाजे खोलने आई थीं।में तो देखते ही हैंग हो गया था।बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।हमको देखते ही उन्होंने पूजा से पूछा,
अपर्णा दीदी – अरे तुम आ गई स्कूल से।और ये कौन जनाब हैं तुम्हारे साथ?
पूजा – दीदी ये अभी है, मेरे साथ ही क्लास में पढ़ता है।और दीदी ये जनाब हमारे क्लास और स्कूल के टॉपर हैं।
अपर्णा दीदी – हेलो अभी,मेरा नाम अपर्णा है।और मैं पूजा की बड़ी बहन हूं।कैसे हो तुम,और तुम्हारे घर पर सब कैसे हैं?
अभी – मैं ठीक हूं दीदी।और घर पर भी सब ठीक हैं।मुझे आप से मिलके अच्छा लगा।
अपर्णा दीदी – अच्छा तो मुझे भी लगा।आओ बैठो तुम लोग।पूजा चाय या ठंडा?
पूजा – दीदी महमान तो अभी है तो जो अभी बोले वो ले आओ।क्यों अभी।
अभी – अरे मेहमान जैसा कुछ नही है।दीदी आप इस टाइम पर जो भी पसंद करती हो वो ले आओ।लेकिन पहले पानी दे दो आप। सॉरी मैं भी आप को ऑर्डर दे रहा हूं।पूजा तुम ही ले आओ।
आरना दीदी – अरे इसमें ऐसा कुछ नही है।और जब घर पर होती हूं तो इसको कोई काम नहीं करने देती।और वैसे भी ये अभी स्कूल से आई है तो थोड़ा तो रेस्ट तो बनता है ना।और हां इस टाइम पर तो हम चाय पीते हैं।में चाय ले कर आती हूं।ठीक है।तब तक तुम दोनो बात करो।
पूजा – ठीक है दीदी।आप ले कर आओ।
फिर पूजा ही मेरे लिए पानी ले कर आई।मैने पानी पिया और फिर उसके घर की तारीफ़ भी की।की बहुत ही अच्छे से मेंटेन किया है।मैने उसके मम्मी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो एक रिश्तेदार की शादी में गई है।कल शाम तक आ जाएंगी।
फिर उसने मुझे अपना पूरा घर दिखाया और अपना कमरा भी जो बहुत ही अच्छे से सजा था।पूजा के पास उसका खुद का मोबाइल था जो घर पर ही इस्तेमाल करती थी वो।ये मेरे लिए अजूबा ही था।मुझे लगा उसने मुझे अपने मम्मी या दीदी का नंबर दिया होगा।पर उसने अपने खुद का मोबाइल नंबर दिया था।
चाय पी कर और कुछ देर दीदी और पूजा के साथ बात करके में घर के लिए निकल गया।और दीदी से पूजा को अगले सन्डे को अपने घर ले जाने की परमिशन भी ले ली।उन्होंने तो कहा की इसमें पूछने वाली क्या बात है।
मैं बहुत ही खुश था की मेरा प्यार मुझे मिल गया था।
ऐसे ही दिन कट रहे थे।इस बीच मैंने पूजा को अपने घर भी ले कर गया। उस टाइम पर सिर्फ मम्मी ही थी।वो उससे मिल कर बहुत ही खुश हुई।और पूजा भी मेरे मम्मी से मिल कर खुश हुई।इस तरह हमारा घर पर आना जाना लगा ही रहता था।लेकिन ज्यादा नही।
मेरे दोनो कामीने दोस्त भी मेरा खूब मजा लेते की कुछ किया की नही।उनका मतलब होता किस विस वगैरह कि की नही।और मैं बोलता की सालों मैं ऐसा कुछ नही करने वाला, प्यार किया है,टाइम पास नही।जब टाइम आएगा तो हो जायेगा,पर पूजा की सहमति से।वो मेरा मजाक बनाते ही रहते थे।और मैं अपने प्यार मैं ही खोया रहता था।
इस तरह ग्यारह का पेपर हुआ।इस पेपर में मैं अक्सर पूजा के घर जाता था।उसकी पढ़ाई में हेल्प के लिए।
इस दौरान हम बहुत करीब भी आए । जैसे की अब जब भी वो घर पर अकेले होती और मैं घर पहुंता तो वो मुझसे गले लग कर हेलो बोलती थी।और जब वापस आने लगूं तब भी। लेकिन ऐसा तब होता था जब उसकी मम्मी या दीदी पास नही होती थी।में इतने से ही खुश हो जाता था।मेरे दिल में था की जल्दी स्टडी पूरी हो तो मैं पूजा से शादी कर लूंगा।मस्त जिंदगी ही हो जायेगी अगर पहला प्यार ही आप को मिल जाए।
लेकिन ऐसा होता नहीं है।जिंदगी इतनी भी सीधी नही है।जितनी हम सोचते हैं।
आज के लिए इतना ही दोस्तों टाइम मिला तो कल एक अपडेट और दे दूंगा।तब तक लिए अपना और अपनो का खूब खयाल रखें । धन्यवाद।
आपने जो लिखा वो उच्चारण के साथ साथ व्याकरण से भी गलत है ।
"अभी" कोई संज्ञा नही , ये एक समयसूचक क्रिया-विशेषण है एक तरह से कहे तो Adverb of time है ।
सुधार करिये पढने मे दिक्कत होती है