चौथा भाग
जब ज्योति करन को अस्पताल से लेकर घर आती है तो उसकी सौतेली माँ काम ज्यादा होने और भूख लगने के कारण नाराज़गी जाहिर करती है। करन को कमरे में सुलाकर ज्योति भोजन तैयार करती है।।
खाना खाकर बर्तन धुलकर जब दोनों भाई बहन कमरे में पहुचते हैं तो ज्योति करन से घर छोड़ने की बात करती है। जिसे करन मना कर देता है। और दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो जाते हैं।
मस्त कहानी है सर जी।।
जब ज्योति करन को अस्पताल से लेकर घर आती है तो उसकी सौतेली माँ काम ज्यादा होने और भूख लगने के कारण नाराज़गी जाहिर करती है। करन को कमरे में सुलाकर ज्योति भोजन तैयार करती है।।
खाना खाकर बर्तन धुलकर जब दोनों भाई बहन कमरे में पहुचते हैं तो ज्योति करन से घर छोड़ने की बात करती है। जिसे करन मना कर देता है। और दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो जाते हैं।
मस्त कहानी है सर जी।।