eshaa93
Jack Sparrow 🐦
- 26
- 68
- 13
"काश तुम कभी जान पाती मुझे"
क्या तुम कभी इतना अकेले रही हो
जितना कि मैं
जितना कि चाँद सूरज तारे इस पूरे
जहाँ में ।
जहाँ कोई तुम्हें जानता न हो
चाहता न हो पूछता न हो
तुम अकेले इधर उधर किसी
अपने की तलाश में निकली हो
शायद कोई मिल जाये पूँछ बैठे
हाल तुम्हारा तुमसे थोड़ी बात करे
तब तक जब तक न मिट जाये
सिकुड़न तुम्हारे माथे कि
जब तक तुम यह न महसूस करो
कि तुम अकेले नहीं हो
क्या तुमने कभी खुद को इतना
अकेला महसूस किया है
कि तुम्हें यह लगे कि काश
कोई होता जो पास बैठता
मुझसे बात करता
मैं जब भी उलझन में होती
मेरे सिर को अपनी गोद में
रखकर मुझे थपकियाँ देता
जब तक कि मैं सो न जाऊँ
और जब जागूँ तो पाऊँ वो
अभी तक मेरे सिरहाने बैठा
है।
मैं जब भी धूप में निकलूँ वो
छाता लेकर मेरे आगे पीछे घूमें
कभी हवा में मेरा दुपट्टा उड़ने
लगे तो सम्हाल ले
मेरे बिखरे बालों को संवारे
कोई मुझसे मस्खरी करे
मैं रूठ जाऊँ तो मुझे मनाले
मुझे भूख लगने से पहले
भोजन पका दे।
खैर तुम्हारे पास इतना वक्त
ही कहाँ होगा तुम यह सब
सोचो ।
सोचो भी क्यों तुम्हारे पास
तुम्हारे सभी लोग हैं
तुम्हारे पापा मम्मी तुम्हारी
बहन तुम्हारे जीजा
तुम्हें फुरसत ही कहाँ होगी
तुम आराम से घूमों अपना
शहर, शहर की गलियाँ
तुम मुस्कराती रहो मुझे
सोच कर खुशी मिलती रहे
ऐसा नहीं है कि मेरे पास
कुछ नहीं है है मेरे पास
मेरे पिताजी मेरी माँ
मेरा परिवार मेरे सारे मित्र
पर हिम्मत नहीं है कि मैं
उनका सामना कर सकूँ
उन्हें मुझसे उम्मीदें हैं
कुछ आशाएँ हैं कि मैं
कुछ कर सकता हूँ
उनकी परिस्थितियाँ बदल
सकता हूँ ।
पर मैं इतना काबिल तो
नहीं हूँ न ।
मेरे घर वाले जब मुझे अनायास
ही देखते हैं तो मैं डर जाता हूं।
मैं अब उनसे बचता फिरता हूँ ।
मैं सच में कितना अकेला हो गया
हूं।
काश तुम कभी जान पाती मुझे ।
क्या तुम कभी इतना अकेले रही हो
जितना कि मैं
जितना कि चाँद सूरज तारे इस पूरे
जहाँ में ।
जहाँ कोई तुम्हें जानता न हो
चाहता न हो पूछता न हो
तुम अकेले इधर उधर किसी
अपने की तलाश में निकली हो
शायद कोई मिल जाये पूँछ बैठे
हाल तुम्हारा तुमसे थोड़ी बात करे
तब तक जब तक न मिट जाये
सिकुड़न तुम्हारे माथे कि
जब तक तुम यह न महसूस करो
कि तुम अकेले नहीं हो
क्या तुमने कभी खुद को इतना
अकेला महसूस किया है
कि तुम्हें यह लगे कि काश
कोई होता जो पास बैठता
मुझसे बात करता
मैं जब भी उलझन में होती
मेरे सिर को अपनी गोद में
रखकर मुझे थपकियाँ देता
जब तक कि मैं सो न जाऊँ
और जब जागूँ तो पाऊँ वो
अभी तक मेरे सिरहाने बैठा
है।
मैं जब भी धूप में निकलूँ वो
छाता लेकर मेरे आगे पीछे घूमें
कभी हवा में मेरा दुपट्टा उड़ने
लगे तो सम्हाल ले
मेरे बिखरे बालों को संवारे
कोई मुझसे मस्खरी करे
मैं रूठ जाऊँ तो मुझे मनाले
मुझे भूख लगने से पहले
भोजन पका दे।
खैर तुम्हारे पास इतना वक्त
ही कहाँ होगा तुम यह सब
सोचो ।
सोचो भी क्यों तुम्हारे पास
तुम्हारे सभी लोग हैं
तुम्हारे पापा मम्मी तुम्हारी
बहन तुम्हारे जीजा
तुम्हें फुरसत ही कहाँ होगी
तुम आराम से घूमों अपना
शहर, शहर की गलियाँ
तुम मुस्कराती रहो मुझे
सोच कर खुशी मिलती रहे
ऐसा नहीं है कि मेरे पास
कुछ नहीं है है मेरे पास
मेरे पिताजी मेरी माँ
मेरा परिवार मेरे सारे मित्र
पर हिम्मत नहीं है कि मैं
उनका सामना कर सकूँ
उन्हें मुझसे उम्मीदें हैं
कुछ आशाएँ हैं कि मैं
कुछ कर सकता हूँ
उनकी परिस्थितियाँ बदल
सकता हूँ ।
पर मैं इतना काबिल तो
नहीं हूँ न ।
मेरे घर वाले जब मुझे अनायास
ही देखते हैं तो मैं डर जाता हूं।
मैं अब उनसे बचता फिरता हूँ ।
मैं सच में कितना अकेला हो गया
हूं।
काश तुम कभी जान पाती मुझे ।