Update 2
दादाजी- देखो बहु मै जानता हू की यह तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल है मगर तुम बहुत संस्कारी और एक पतिव्रता औरत हो और अब तुम हमारे राजपरिवार की नई महारानी बनने वाली हो तो अब इस राजपरिवार की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है तुम्हे अपना हर धर्म पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाना होगा मै जानता हूँ कि तुम खुश नही हो मगर हम भी मजबूर है तो जो हो रहा है उसे स्वीकार कर लो और श्रेयांश के लिए भी सोचो मै उम्मीद करता हू की तुम उसकी खुशी का ख्याल रखोगी और जिस तरह तुमने अमरेन्द्र के साथ पत्नी धर्म निभाया है उसी तरह श्रेयांश के साथ भी तन मन धन से पत्नी धर्म का पालन करोगी
मम्मी- पिताजी वो अभी बच्चा है यह हम बाद मे नही कर सकते उसे थोडा समझदार तो हो जाने दो
दादाजी- वो 18 का हो गया है और बडा हो गया है हमारे समय तो और कम उम्र में शादी हो जाती थी और तुम तो समझदार हो इस रिश्ते मे तुम ही मुख्य रहोगी हमेशा और तुम्हे सोचना है की तुम अपने बेटे की जिंदगी में शादी के बाद कमी छोडोगी की नही और अपना जो फर्ज है निभाओगी की नही
फिर मम्मी धीरे से बस अपनी गर्दन को हिला दिया
दादी- देखो यह बहुत कठिन है मगर तुझे ही अपने बेटे को सम्भालना है
दादाजी- अमरेन्द्र अब से तुम्हे बहु को अपने बेटे की बीबी और अपनी बहु की तरह देखना है और वैसा ही व्यवहार करना है तुम दोनों के कारण तुम्हारे आज की रिश्ते नही खराब होने चाहिए और बहु तुम्हे भी अमरेन्द्र को अपने ससुर की तरह देखना है और अमरेन्द्र तुम चाहो तो दूसरी शादी कर सकते हो
पापा- मुझे दूसरी शादी नही करनी और मै अपना हर फर्ज और धर्म निभाऊगा पिताजी
नाना- देख बेटी अब श्रेयांश हमारा दामाद बनने वाला है और तुझे जो संस्कार दिए उसके मुताबिक तुझे अपना पत्नी धर्म पूरी निष्ठा निभाना है
नानी- हा बेटी वो तेरा बेटा है यह सच है मगर अब तेरा पति भी बनने वाला है तो उस हर खुशी देना
मम्मी- वो मेरा बेटा पहले है मैने उसे पैदा किया है तो हमेशा वो पहले मेरा बेटा ही रहेगा और यह शादी मै उसके जीवन की रक्षा के लिए कर रही हू मगर हा शादी के बाद वो मेरा पति भी हो जाएगा इसलिए मै अपना हर फर्ज पूरा करूंगी जो एक पत्नी का होता है मगर वो हमेशा मेरा बेटा ही रहेगा
दादाजी- वो तुम्हारी मर्जी है मगर अब इस राजपरिवार की जिम्मेदारी तुम्हारी है तो इसे आगे बढाने भी तुम्हे ही है समझ रही है न
फिर सब अपने अपने कमरे मे चले गए मम्मी पापा अपने कमरे मे मे गए और कमरे में आकर मम्मी रोने
पापा- देखो अंजू अब जो होना है होगा हो उसे हम नही बदल सकते मगर अगर तुम ही टूट जाओगी तो हम अपने बच्चों को कैसे समझाएगे
मम्मी- तो क्या करू मुझे कुछ समझ नही आ रहा आपसे मेरा तलाक हो गया और दस दिन बाद मेरी शादी मेरे ही बेटे से होने वाली है और मै किस मुंह से अपने बेटे से यह कहू
पापा- हमदोनों मिलकर समझाएगे
फिर मम्मी थोडा शांत हुई और अपना समान पैक करने ली
फिर थोडी देर मे मै और दीदी उनके कमरे मे गए
पापा- आओ बैठो तुम दोनों हमे तुम दोनों से बहुत जरूरी बात करनी है
फिर हम बैठ गए
पापा- तुम दोनों हमे कितना प्यार करते हो?
दीदी और,मै - यह कोई पूछने की बात है हम आप दोनों को बहुत प्यार करते है और आपका हर हुक्म हमारे लिए पत्थर की लकीर है
दीदी- पर पापा आखिर यह चल क्या रहा है दादाजी श्रेय और मम्मी की शादी की बात कर रहे है और आप दोनों भी मान गए
पापा- देखो पहले तुम दोनों हमारी कसम खाओ की हम जो भी कहेंगे उसे तुम बिना सबाल किए मानेगे
और,हमारे फैसले पर कोई उंगली नही उठाओगे
मै - पर पापा ऐसी क्या बात है
दीदी- हा पापा हम तो अमान दोनों की हर बात मानते है और मुझे तो यहा कुछ समझ नही आ रहा है हम यहा से अपने घर चलते है
पापा- तुम दोनों कसम खा रहे हो या नही
फिर हम दोनों ने कसम खा ली की हम आपका हर फैसला मानेगे
पापा- देखो बच्चों बाहर जो हुआ वो सच है और अगर हमने यह नही किया तो वो हमे मार देंगे
दीदी- पापा ऐसे कैसे मार देंगे हम पुलिस के पास जाएंगे
पापा- दिया तुम्हारे दादाजी राजा है यहा उनकी ही चलती है और परम्परा के लिए वो कुछ भी कर सकते है
मैं- हम यहा से भाग जाते है और लंदन चले जाते हैं
पापा- तुम्हारे दादाजी हमे कही भी नही छोडेंगे वो कितने पावरफुल है यह तुम नही जानते
दीदी- तो क्या मम्मी और श्रेय की शादी करा देंगे
पापा- हा बेटी हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है
मै - मै यह नही कर सकता इससे अच्छा मै अपनी जान दे दूंगा
यह सुनते ही मम्मी मुझे एक चाटा मारा
मम्मी- ऐसा दोवारा मत कहना तेरी जिंदगी के लिए हम यह कर रहे है तू हमारी जान है अगर मरने से ही सब ठीक हो जाता तो मै मर जाती मगर उससे भी कुछ नही होगा
मै- पर मम्मी आप मेरी मम्मी हो आपके साथ शादी कैसे यह पाप है
मम्मी- बेटा यह करना ही पडेगा मै जानती हू यह बहुत मुश्किल है
मै - पर मम्मी मै आपके साथ कैसे
पापा- तुम दोनों ने कसम खाई है बरना हमारा मरा मुंह मै और दीदी अपने कमरे मे चले गए और मम्मी भी अपना समान लेकर दूसरे कमरे में चली गई
फिर हम चुप हो गए आखिर अब क्या कह सकते थे
मै अपने कमरे मे परेशान होकर सोच रहा था यह क्या हो रहा है मम्मी से शादी मतलब मै और मम्मी पति पत्नी यह कैसे हो सकता है क्या करू कुछ समझ नही आ रहा ऐसे ही सोचते रचते मै सो गया
अगली सुबह महल मे तैयारी शुरू हो गई थी महल मे सजावट हो रही थी मै परेशान था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था मै चुप चाप अपने कमरे मे बैठा दीदी भी परेशान थी मम्मी पापा तो दुखी थे ही सब अपने काम में लगे थे पापा अपने आफिस का काम करके अपने दर्द को छिपा रहे थे और मम्मी चुप चाप बैठी बस सोंच रही थी
फिर दीदी मेरे कमरे मे आई
दीदी- क्या कर रहा है श्रेय
मै - क्या करूगा दीदी कुछ समझ नही आ रहा है पता नही क्या हो रहा है
दीदी- देख अब जो हो रहा है वो तो हम रोक नही सकते और मम्मी पापा ने कुछ फैसला लिया है तो हमारे बारे मे सोचकर ही लिया होगा
मै - आप क्या कह रही हो दीदी मतलब मम्मी से शादी कर लू
दीदी- हा और कोई रास्ता भी तो नही है और कभी न कभी तो तुझे शादी करनी पड़ेगी और वो लडकी अंजान होगी मगर मम्मी तो हमारी मम्मी है वो तुझे तुझसे अच्छा जानती है और उनके जैसी संस्कारी और अच्छी औरत नही है वो एक पतिव्रता और बहुत अच्छी है और वो कितनी खूबसूरत बी है
मै - पर दीदी वो मम्मी है और,उनके साथ शादी
दीदी - देख तू चाहे या न चाहे अब होगा वही जो हो रहा है और अब हम कुछ नही कर सकते अब एक ही रास्ता है जो हो रहा है उसे मान ले और अपनी शादी को एंजाय कर शादी एक बार ही होती है
मै कुछ नहीं बोला और चुप चाप रहा दीदी चली गई
वही दूसरी ओर नानी मम्मी के पास गई
नानी - बेटी देख मै जानती हू जो हो रहा है उससे तुम खुश नही हो मगर क्या कर सकते हैं जो हो रहा है उसे स्वीकार कर ले और इस नये रिश्ते को पूरा सम्मान दे और श्रेयांश को भी तू समझा ताकी वो भी कोई गिल्ट न रखे नही तो बेचारा टूट जाएगा आखिर उसकी उम्र ही क्या है अगर तूसमझाएगी तो मान जाएगा
मम्मी- ठीक कह रही हो मा आप अगर मै ही टूट गई तो उसे कौन सम्हालेगा मै तो अपने आप को समझा लूंगी और उसे भी
नानी- शाबाश शाम को दरबार मे तुम दोनों की शादी की घोषणा होगी और बाकी चीजें भी बताई जाएगी तो तुम दोनों तैयार रहना
फिर नानी चली गई और मम्मी मेरे कमरे में आई
मम्मी-श्रेय क्या कर रहा है
मै - हा मम्मी बस बैठा हू
मम्मी- देख मै जानती हू जो कुछ हो रहा है वो नही होना चाहिए मगर यह हमारे राजपरिवार की परम्परा है और मैने तुझे सिखाया है की परम्परा निभाना चाहिए
मै - मम्मी मगर यह गलत परम्परा है ।
मम्मी- अगर तुझे लगता है की यह गलत है तो तुझे इसे रोकने के लिए अपने दादाजी की जगह आना होगा और फिर तू इसे बदल सकता है मगर उसके लिए हमे यह करना ही पडेगा ताकि आगे किसी को भी यह न करना पडे
मै - पर मम्मी आपके साथ कैसे
मम्मी- देख मै तुझे जानती हू तू मुझे समझता है और क्या चाहिए और तेरे साथ मै हमेशा खुश रहूंगी और तू भी मुझे बेटे और पति दोनों तरह का सम्मान देगा और मेरा बेटा ही मेरा पति होगा हा मै थोडी उम्र वाली हू
मै - मम्मी आप ठीक हो और आपसी अच्छी कोई नही है मगर आपके साथ ये गलती है
मम्मी- मै कह रही हंसने न गलत नही है और तू और मै हमेशा पहले मा बेटा ही रहेंगे बाद मे पति पत्नी
मै- आप कह रही हो तो ठीक है मम्मी मगर सच मै यह ठीक है न और पापा का क्या वो आपसे बहुत प्यार करते है और आप भी उनसे
मम्मी- यह हम दोनों का फैसला है और तुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं क्यू की तू हम दोनों की निशानी है
फिर मेरे मन से ओढा बोझ हल्का हुआ और मम्मी वहा से चली गई
फिर शाम हो गई और सब इक्कठे हो गए पूरा रियासत से बहुत से लोग आए थे सभी बडे बडे लोग यहा तक की मेरे स्कूल के प्रिंसिपल भी मै चौक गया
दादाजी- जैसा आप सबको पता है हमारे राजपरिवार को उसका अगला उत्तराधिकारी मिल रहा है मेरे बडे बेटे का बेटा श्रेयांश हमारा अगला उत्तराधिकारी है परम्परा के मुताबिक उसकी शादी अंजलि से हो रही है और शादी 21 को है और अब वो हमारी जो 10 हजार करोड़ की संपत्ति है उसमे से 8000 करोड़ की संपत्ति अंजलि और श्रेयांश की होगी और बाकी हमारे छोटे बेटे और उनकी पत्नी और बच्चों की
यह सुनकर मै चौक गया की दादाजी की इतनी संपत्ति है और अब वो मम्मी और मेरी है पापा की संपत्ति तो बस 100 करोड़ की है दीदी भी चौक गई मगर पापा को कोई फर्क न।ई पडा क्याकी उन्हें पता था
सबने ताली बजाई और दादी ने शाही कंगन मम्मी को दे दिए
फिर सबको दादाजी ने आमंत्रित किया और फिर सब चले गए
दीदी - पापा क्या सच मे इतनी संपत्ति है और अब वो श्रेय और मम्मी की हो गई है
पापा- हा बेटा यह सच है
दीदी- इतनी दौलत अब हमे कोई फिक्र नहीं है कम से कम कुछ तो अच्छा हुआ इस सब मै
दीदी- अब तुम राजा बनने वाले हो श्रेय और मम्मी रानी
मै - क्या दीदी
दीदी- तू ठीक लग रहा है क्या तू तैयार हो गया ।
मै - हा मम्मी ने मुझे समझाया की अब हमे एकसाथ दो रिश्ते निभाना है और हम हमेशा पहले मा बेटा ही रहेंगे
दीदी- अच्छा हुआ तू मान गया अब अपनी शादी को एंजॉय कर और नये जिंदगी की तैयारी कर
और मम्मी आप भी दुख को भूल जाओ और एक नई शुरुआत करो
फिर सारे परिवार के लोग बैठे और बात शुरू हुई
दादाजी- देखो अब मै बूढे हो गया हू तो मेरा पोता मेरा उत्तराधिकारी है और अब से सबको श्रेयांश और अंजलि को सम्मान देना और उनका हुक्म मानना है हमारे बाद और जैसे की शादी हो रहै तो कुछ रिश्ते बदल जाएंगे हा अंजलि और श्रेयांश अपने दोनों रिश्ते मान सकते है मगर बाकी लोग अब उन्हें नए रिश्ते से ही मानेंगे
मै - क्या
दादी- हा बेटा ऐसा ही है
दादाजी- तो अब से अंजलि बहु हमारे पोते की बीबी होगी और हम उसके ससुर नही दादा ससुर होगे और वो बी हमे दादाजी कहेंगीले और सुमित्रा को दादी
मम्मी- पर पिताजी यह जरूरी है
दादाजी - पिताजी नही दादाजी और तुम और श्रेयांश चाहो वो पहले की तरह बुला सकते हो मगर बाकी रिश्ते बदल गए हैं जैसे तुम्हारे माता पिता अब श्रेयांश के नाना नानी नही है बल्कि सास ससुर है और श्रेयांश अब तुम उन्हें मा पिताजी कहोगे और अमरेन्द्र का छोटा भाई और उसकी पत्नी तुम्हारे भी चाची चाचा है और श्रेयांश की बुआ तुम्हारी बुआ और अमरेन्द्र अब तुम्हारे ससुर है तो उन्हे अब तुम भी श्रेयांश की तरह पापाजी कहोगी और दिया अब तुम्हारी बेटी के साथ नन्द भी है तो तुम से दीदी कहोगी क्योकिं वो श्रेयांश की बडी बहन है और दिया तुम अब अंजलि को भाभी कहोगी
दीदी- क्या वो मम्मी है मेरी और मै कैसे
दादाजी- देखो यह करना ही होगा हुक्म है हमारा बाकी सब बाद मे वकील प्रॉपर्टी के पेपर रेडी हो गए
वकील- जी राजा साहब
फिर दादाजी ने मम्मी को जायदाद के पेपर दे दिए और उसमे हमारे नाम पर सब कुछ हो गया था
फिर सब चले गए और हम चारो पापा के कमरे मे आ गए