Update 16 Posted dosto, read and give your precious reviews
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Nice updateDosto ye meri pehli story hai, isliye galtiyo ko ignore kijiyega. Aap sabka sath chahiye.
INDEX
Character Introduction
Vinita devi singh - Age 70 years, Gaon ki badi haveli ki Malkin. Inke 2 bete hai yaa the. Bada beta Suresh aur Chota beta Ranjit.
Pratap Singh - Vinita devi ke Pati aur Gaon ke Malik. (Dead)
Suresh - Vinita devi ka bada beta, apne parivar ke sath mumbai me rehta hai.
Ranjit - Vinita devi ka chota beta ( Dead)
Sweta - Ranjit ki patni (dead)
Samar(Hero) - Age 19 years Ranjit aur Sweta ka beta, Vinita devi ka eklauta pota aur haveli ka waris. Padhne me bahut hoshiyar hai, gaon ke akhade me jakar apne guruji se kai tarah ki yudhkalaein sikhi hai. Jinse pyar krta hai unke liye Jaan de bhi skta hai or le bhi skta hai.
Kavita - Age 39 years, kehne ko to haveli ki naukar hai, lekin parivar ke sadasya ki tarah hai, Samar ke liye maa jaisi hai.
Chanda - age 19 years, gaon ki ek ladki, samar ki sabse achi dost. Dil hi dil me samar se pyar karti hai. Lekin bta nhi pati.
Update - 1
समर पसीने में लथपथ, तेज़ और गहरी सांसे लेता हुआ, हवेली के अंदर आता है।
समर - दादी, दादी मां कहां है आप, जल्दी आइए।
दादी - आ गया मेरा बेटा, कर आया कसरत।
समर - हां दादी ( अपनी दादी के पैर छूते हुए)
दादी - सदा खुश रह मेरे लाल।
समर - दादी अब जल्दी से खाना दीजिए बहुत भूख लगी है। आज मुझे अपना रिजल्ट लेने भी जाना है।
दादी - हां हां बैठ तो सही पहले, आज मैने तेरे लिए तेरे पसंदीदा आलू के परांठे बनाए है।
समर - अरे वाह आलू के परांठे फिर तो जल्दी लगाइए दादी। मेरी तो भूख और बढ़ गई।
दादी - रुक तू जरा में कविता को खाना लगाने को कहती हूं।
समर फिर नाश्ता करके अपने स्कूल के लिए निकलने लगता है।
दादी - अरे रुक ये दही खाकर जा सब शुभ होगा।
समर - ओ हो दादी आप मुझसे लेट करवाएंगी लाइए जल्दी।
दादी - थोड़ी देर से जाएगा तो क्या हो जाएगा, कौन है इस गांव में जो तुझे कुछ कहे।
दही खाते हुए अच्छा दादी अब में चलता हूं।
स्कूल पहुंचकर समर अपनी क्लास की तरफ चलता है।
उसके कई दोस्त भी उससे क्लास से आते हुए दिखाई देते है, अपनी मार्कशीट लेकर।
समर जैसे ही अपनी क्लास में पहुंचता है तो क्लास टीचर - उससे बोलते है, आओ समर बेटा।
टीचर - उम्मीदों के मुताबिक तुमने इस बार भी बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए हो। और स्कूल में फर्स्ट आए हो। इसी तरह पढ़ते रहो।
समर - धन्यवाद सर, आपने इतना अच्छा पढ़ाया तभी तो में पढ़ा।
टीचर - हा हा बेटा पढ़ाया तो मैने और बच्चो को भी था, लेकिन सब तुम्हारी तरह लगन से नही पढ़े और फेल हो गए। एक शिक्षक के लिए तो उसके सभी स्टूडेंट एक जैसे होते है। अब वो तो स्टूडेंट के ऊपर निर्भर है की वो शिक्षक से क्या सीखता है और क्या नहीं।
समर - जी सर आपने सही कहा, लेकिन फ़िर भी मेरी पढाई का श्रेय मैं आपको ही दूंगा।
टीचर - हंसते हुए तुमसे बातों में जीतना बहुत मुश्किल है। अच्छा सुनो बेटा आज में तुम्हारे घर आऊंगा, तुम्हारी दादी से कुछ बात करनी है, तुम्हारे बारे में।
समर - मेरे बारे में ?
टीचर - हां बेटा
समर - ठीक है सर, अब मैं चलता हूं। वो सर के पैर छूता है और फिर बाहर आ जाता है।
घर पहुंचकर वो अपना रिजल्ट दादी को दिखाता है।
समर - दादी मैं स्कूल में फर्स्ट आया, देखो।
दादी - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी।
समर - दादी आज गजराज सर आपसे मिलने आने वाले है, कह रहे थे मेरे बारे में कुछ बात करनी है।
दादी - तुमने कुछ किया है क्या।
समर - नहीं दादी।
दादी - तो फिर
समर - अब मैं कैसे बता सकता हूं, दादी।
दादी - ठीक है, अब जाकर आराम करो।
समर - नहीं दादी मैं गांव में घूमने जा रहा हूं।
दादी - तो बोलना की चंदा को अपना रिजल्ट दिखाने जा रहा है।
समर - हंसते हुए हां दादी उसी के पास जा रहा हूं।उसका भी तो रिजल्ट आया है आज।
समर - अच्छा दादी अब में चलता हूं।
ये कहकर समर गांव में घूमने निकल जाता है कुछ देर इधर उधर घूमकर वो चंदा के पास पहुंच जाता है।
जो की तालाब के पास बैठी उसमे पत्थर फेक रही थी।
समर पीछे जाकर उसके आंखों को ढक लेता है।
चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।
चंदा - आ गया तू बंदर।
समर - और तू यहां क्या कर रही है बंदरिया।
चंदा - तेरा इंतजार, कहां रह गया था। जरूर इधर उधर घूम रहा होगा आवारा।
समर - अरे अभी घर से सीधा तेरे पास आ रहा हूं।
चंदा - चल चल रहने दे, सब पता है मुझे बस खेलने और लड़ने के सीवा तुझे आता क्या है। पता नही हर बार इतने अच्छे नंबरों से पास कैसे हो जाता है।
समर - जैसे तू हो जाती है बिना पढ़े।
चंदा - ओए मैं पढ़कर ही पास होती हूं, समझा।
समर - चल वो सब छोड़ और बता पास हो गई ना।
चंदा - हा हो गई और तू अब आगे क्या करेगा।
समर - मैं तो अब इंजीनियर ही करने की सोची है।
और तू क्या करेगी।
चंदा - (मन में उदास होते हुए)अभी सोचा नहीं है। कर लूंगी कुछ ना कुछ।
समर उसके जवाब से हैरान हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसी तरह फिर काफी देर तक मस्ती करते रहे और फिर समर अपने घर आगया और चंदा अपने घर चली गई।
शाम के वक्त गजराज सर समर की दादी से मिलने आए, जब समर अपने कमरे में आराम कर रहा था।
टीचर - नमस्ते विनीता जी
दादी - अरे नमस्ते गजराज, आओ बैठो।
दादी - और बताओ आज कैसे आना हुआ, स्कूल का काम तो सब ठीक चल रहा है।
टीचर - सब ठीक है विनीता जी, आज तो मैं समर के बारे में बात करने आया था।
दादी - समर के बारे में! क्या बात है?
टीचर - अब आप तो जानती है समर कितना होनहार है, पढाई में तो अव्वल आता ही है, खेल कूद में भी आगे है। अब स्कूल की पढ़ाई तो किसी तरह यहां गांव में हो गई। लेकिन आगे की पढ़ाई किसी बड़े शहर में जाकर समर करे तो बहुत आगे जाएगा। यहां कस्बे के कॉलेजों में पढ़ाई होती ही कहां है।
दादी - कुछ सोचते हुए। आप सही कह रहे है गजराज। मैने अपने स्वार्थ के कारण ही अब तक समर को गांव में रखा। इस खानदान का इकलौता वारिस है समर। कैसे उसे अपनी आंखों से दूर करती। वरना इसकी बड़ी मां तो इसे बहुत पहले ही अपने साथ शहर ले जाना चाहती थी। लेकिन मैंने ही इसे जाने नहीं दिया। अब जमींदारी और राज पाठ तो पहले जैसे रहे नहीं। हां इज्जत अभी भी है गांव में, और वो इज्जत बनी रहे इसके लिए जरूरी है की समर अपना नाम कमाए खुद से। मेरा बड़ा बेटा मुंबई में ही अपना कारोबार करता है वही इसे भेज दूंगी पढ़ने के लिए।
टीचर - ये तो बहुत अच्छी बात है विनीता जी। अच्छा अब में चलता हूं, में तो बस यही बात करने आया था।
दादी - अरे इतनी जल्दी क्यों, आए है तो खाना खाकर जाइए, नहीं विनीता जी कुछ जरूरी काम है तो जाना पड़ेगा। समर होनहार स्टूडेंट है इसलिए उसके कैरियर के लिए सोचा तो बात करने चला आया। अब चलता हूं।
दादी कुछ सोचते हुए लैंडलाइन से एक फोन करती है।
रात को खाने के वक्त जहां समर, दादी और कविता ही थे।
दादी समर से कहती है।
दादी - बेटा अब तो आप बारहवीं पास कर चुके हो तो आगे क्या सोचा है करने का।
समर - हां दादी पास के ही कॉलेज में इंजीनियरिंग मे एडमिशन ले लूंगा।
दादी - बेटा हमने आपके के लिए कुछ सोचा है, लेकिन आपको हमारी बात माननी होगी, वादा करो।
समर - दादी ऐसी क्या बात है की आपको मुझे वादा लेना पड़े। में आपकी कोई बात कभी नही टाल सकता।
दादी - बेटा में चाहती हूं की तुम मुंबई जाकर पढ़ाई करो।
समर - दादी ये आप क्या कह रही है मुंबई जाकर पढ़ाई, तो आप क्या अकेली रहेंगी। नही दादी में आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
दादी - बेटा अभी तुमने ही कहा था कि तुम मेरी कोई बात नहीं मना करते। यहां के कॉलेज इतने अच्छे नहीं है, इसलिए में चाहती हूं तुम मुंबई जाकर अपनी पढ़ाई करो। और में यहां अकेली नहीं हूं। कविता है यहां मेरा ख्याल रखने के लिए। क्या तुम मेरी बात भी नहीं मानोगे।
समर - उदास सा चेहरा बनाते हुए ठीक है दादी। अगर आप यहीं चाहती है तो में जाऊंगा मुंबई।
दादी - मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा, दो दिन बाद आपको मुंबई जाना है। तुम्हारी बड़ी मां तुम्हे लेने आने वाली थी, लेकिन मैने मना कर दिया। सूरज तुम्हे मुंबई तक छोड़ आएगा, वहां से सुगंधा तुम्हे लेने आ जाएगी।
तुम्हे देखकर वो बहुत खुश होगी।
दो दिन बाद समर के जाने का दिन आ गया।
सुबह अपना सामान लेकर समर हॉल में खड़ा था।
दादी - अरे कविता कहां रह गई, जल्दी आ देर हो रही है, और ये सूरज अब आया क्यों नहीं। एक काम समय पर नहीं होता इससे।
तभी दरवाजे से अंदर आते हुए।
सूरज - आ गया मालकिन।
दादी - कहां रह गया था, चल छोड़ वो सब और गाड़ी निकाल। देर हो रही है। इतने में कविता भी आ गई।
कविता - लो समर बेटा, ये लड्डू मैनें बनाए है तुम्हारे लिए। आराम से सफर में खा लेना।
वक्त हो चला था, मैने दादी की पांव छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
दादी - गले लग जा मेरे लाल ( आंखों में आसूं भरे हुए)
अच्छे से रहना वहां, खूब पढ़ाई करना और अपनी बड़ी मां की हर बात मानना।
समर - ठीक है दादी, लेकिन अगर आप यूं रोयेंगी तो में नहीं जाऊंगा।
दादी - अपने आंसू पोंछते हुए में कहां रो रही हूं।
उसके बाद में कविता काकी से मिला, उनकी भी आंखे नम थी।
कविता - हमे भूल मत जाना समर, और अपना ख्याल रखना।
समर - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं, काकी आप तो मेरी मां जैसी है। और लौटकर तो मुझे इसी गांव में आना है। बस दादी का ख्याल रखिएगा।
उसके बाद सूरज ने मेरा सामान उठा कर गाड़ी में रखा और में कार में बैठकर निकल पड़ा। एक नए शहर के लिए। कार में मैने सूरज से कहा गांव से बाहर जाने से पहले एक बार तालाब की तरफ चलिएगा और उसके बाद अखाड़े की तरफ।
मैं तालाब पर पहुंचा तो चंदा मुझे वही मिली, उसे मैने पहले ही बता दिया था की मैं मुंबई जा रहा हूं।
चंदा - आ गए तुम।
समर - हां, तुमसे मिलकर अखाड़े में गुरुजी के पास जाऊंगा फिर मुंबई। ( आज चंदा ने मुझे कुछ भी गलत नहीं बोला, वरना वो हमेशा मुझे परेशान करती थी।)
चंदा - फिर कब आओगे।
समर - पता नहीं अभी तो कॉलेज में अड्ˈमिश्न् भी नहीं हुआ। 6 महीने या 1 साल।
चंदा - अपना ख्याल रखना।
आज चंदा कुछ खास बात नहीं कर रही थी। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी। चाहती थी की अपने दिल का पूरा हाल बयां कर दे , लेकिन बेचारी में इतनी हिम्मत नहीं थी। कैसे कहती की कितना प्यार करती हूं तुमसे, वो लड़ाइयां, झगड़े सब झूठे थे । प्यार का तरीका मात्र थे। सोच रही थी अगर कह दिया, और प्यार ठुकरा दिया तो कहीं हमेशा के लिए समर को खो न दे। सही भी तो था कहां वो एक गांव के आम किसान की बेटी और कहां समर गांव की सबसे बड़ी हवेली का वारिस।
वो तो बेचारी समर को ये भी नहीं बता पाई थी की अब वो अपनी पढ़ाई छोड़ रही है।
समर - नाराज हो क्या।
चंदा - नहीं तो, में क्यों तुमसे नाराज होऊंगी।
समर - तो फिर कुछ बोलती क्यों नहीं। तुम तो खुश होगी अब कोई तुम्हे परेशान भी नहीं करेगा।
चंदा_(अपने मन में, मैं तो चाहती हूं तुम मुझे पूरी जिंदगी परेशान करो, लेकिन...)
समर - अच्छा तो मैं चलता हुं वरना काफी देर हो जाएगी। तुम भी अपना ख्याल रखना। इतनी जल्दी मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा समझी, जल्दी ही आऊंगा बंदरिया।
ये सुनके चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट की झलकी आ गई। समर चंदा से मिलके वापस जाने लगा तो पीछे चंदा उसे भीगी आंखों के साथ जाते हुए देखती रही। उसके जाने के बाद भी काफी देर तक वो वही खड़ी रही और फिर उदास मन से अपने घर चली गई।
समर सूरज से गाड़ी अखाड़े की तरफ ले जाने को कहता है। वहां पहुंचकर वो अपने गुरुजी के पैरो को छूकर आशीर्वाद लेता है।
गुरुजी - आशीर्वाद देते हुए तो जाने की तैयारी हो गई।
समर_ जी गुरुजी, आपसे ही आखरी बार मिलने आया था।
गुरुजी - अच्छा है, तुम जीवन में आगे बढ़ो। समर एक गुरु होने के नाते मैने अपना सम्पूर्ण ज्ञान तुम्हे दिया है, हर तरह की युद्ध कला तुम्हे सिखाई है। यहां तक कि वो ज्ञान भी मैने तुम्हे दिया है, जो मैंने अपने बेटे को भी नहीं दिया। तुम हर प्रकार से ताकतवर बन चुके हो। आखरी बार बस इतना ही कहूंगा की अपनी ताकत का घमंड मत करना और कभी उसका गलत उपयोग मत करना। वरना हर शेर के लिए इस दुनिया में सवा शेर बैठा है। अगर तुम सच्चे रहोगे तो ऊपरवाला भी तुम्हारी मदद करेगा।
समर - जी गुरुजी, मैं कभी आपको निराश होने का मौका नहीं दूंगा। आपकी सिखाई हुई हर बात का मैं पालन करूंगा। और अपनी ताकत का उपयोग अपनी या किसी जरूरतमंद की रक्षा के लिए ही करूंगा।
गुरुजी - खुश रहो मेरे बेटे, शहर में तुम्हारे लिए जीवन के नए द्वार खुलेंगे। वहां पर भटकने से बचना। अब जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।
गुरुजी से मिलकर समर कार में निकल गया मुंबई की ओर, लेकिन वो नहीं जानता था की उसकी किस्मत ही उसे वहां पर ले जा रही थी।
Bro story is going goodUpdate 5
Aaj Samar apne room me hi exercise kar rha tha, lekin vo akela nhi tha uske sath komal bhi thi. Jo uski pith ke upar baithi hui thi or Samar push ups kar rha tha.
Komal - forty eight, forty nine, fifty...
Samar - komal ko apne upar se utarte hue...chal ab hat mere upar se.
Komal - kya Bhai abhi to 50 pushups hi hue hai. Aap to kehte ho ki aap 100 pushups kar lete ho.
Samar - Haa to vo to me akela karta hu tujhe baithakar nhi. Ek to itni bhari hai. Sara din bas khati bhens ki tarah.
Komal - kya kha bhens. Hmm mujh jaise figure vali ladki pure college me nhi milegi aapko.
Samar - Haahaaahaa...tu majak bahut acha karti hai... tujhe to standup comedian hona chahiye,,, Moti
Komal - kya kha moti... Mujhe aapse baat hi nhi karni. Jaa rhi hu me apne room me.
Samar - Are tum to naraz ho gyi... Me to majak kar rha tha.
Komal - mujhe aapka majak bilkul pasand nhi aaya, jaa rhi hu me apne room me...bye.
(Komal darvaza jor se pitkar chali jati hai)
Samar - Are sun to...yrr. ye ladki bhi naa kuch pta nhi kab kaise react kregi.
Breakfast ke time sabhi sath me baithe hote hai. Aaj Suresh bhi inke sath tha.
Suresh - (Samar se) or beta kaisa rha tumhara pehla din college me.
Samar - bahut acha tha tauji (jhuth)
Suresh - bahut achi baat hai, college me dhyan se padhna tumhari dadi ko bahut ummiden hai tumse.. aur koi problem ho to sanjana ko btana vo tumhari senior hai college me to help kar degi.
Samar - Ji tauji, me man lgakar padhunga. Or Sanjana Di ne to... (Sanjana ki taraf dekhte hue)
Sanjana ko lga ki kahi Samar kal vali baat na btade ghar me, yahi sochkar vo ghabra rhi thi.
Suresh - Sanjana ne kya beta...
Samar - kuch nhi tauji... Me ye keh rha tha ki kal sanjana di ne meri ragging hone se bachayi.
Suresh - ye to bahut achi baat hai beta... (Sanjana se) ab tumhe hi inka college me dhyan rkhna hai komal or Samar ka.
Sanjana - ji papa. (Man me - isne btaya kyu nhi kal ke bare me... Sanjana's self - tujhe impress krne ki koshish me.
Sanjana - tu chup kar, jarur koi or baat hogi.
Sanjana's self - or kya baat hogi, vaise handsome bhi hai.
Sanjana - Fuck of)
Breakfast karke Suresh apne office chala jata hai , or sanjana jo ki divya ke sath uski car se college jati thi vo bhi nikal jati hai.
Samar - komal jaldi aa late ho rha hai...
Komal - (gusse me) aa rhi hu naa... kya hai.
Samar - are ab tak naraz hai... acha sorry.
Komal Samar ki bike par bethte hue
Komal - me aapse baat bhi kar rhi, chalo ab.
Or market ke pass bike rokna meri ek friend bhi aayegi
Samar - Ok (hmm lgta hai jyada hi naraz hai, chal beta aaj to koi rishwat dekar manana padega)
Dono bike par baithkar college ke liye nikal padte hai, raste me Samar bike market ke pass rokta hai to thodi der me ek ladki unke paas aati hai.
Samar - are khushi tum...(ji ha komal ki dost khushi hi thi jo pehle din samar ki dost bani thi)
Khushi - Hi Samar tum?
Komal - tum dono jante ho ek dusre ko
Khushi - Haa vo ( khushi komal ko sab kuch batati hai)
Komal - Samar ko ghur kar dekhti hai ( man me - badi jaldi hai ladkiyo se dosti krne ki) phir khushi se ye mere bhai hai to tere bhi bhai hue samjhi..ab chal jaldi late ho rha hai.
Phir teeno Samar, Komal or Khushi college ke liye nikal padte hai. Raste me khushi komal ke kaan me kuch kehti hai to komal bike rokne ko bolti hai.
Komal - Bhai bike roko.
Samar - ( bike rokte hue) kya hua
Komal - aap jao hme kuch or kaam hai hum abhi aate hai.
Samar - are lekin ab kya kaam pad gya, college mushkil se 500-600 meter dur hai.
Komal - isliye to aap jao hum aa jayenge.
Samar - pakka na
Komal - haa pakka ab jao
Samar - thik hai, lekin jaldi aana.
Ye kehkar Samar nikal padta hai bike lekar jabki komal or khushi pass ke medical store par chali jati hai.
Samar jab college pahuchta hai to dekhta hai ki kuch ladke college gate ke bahar juniors ko pakad kar unki ragging kar rhe the, unki nazar Samar par nhi padti to samar bhi unhe ignore karke apni bike parking me park krne chala jata hai. Parking me hi use Shalini mam dikhti hai to vo unke pass chala jata hai.
Samar - good morning mam
Shalini - good morning
Samar - mam vo mujhe kal ke bare me baat karni thi.
Shalini - kaho
Samar - phir samar usse kal ki puri baat btata hai,. Isliye me kal late hua tha mam.
Shalini - hmm... pehle hi din tumne senior se jhagda bhi kar liya.
Samar - no mam vo..
( Abhi ye dono baat kar hi rhe the ki itne me inhe kuch shor ki aawaz sunai deti hai...to ye dono uss taraf chal padte hai)
Komal or khushi jab college pahuchte hai to un ladko ki nazar inpar padti hai, ye 4 ladke hote hai.
Ladka 1 - Ooo bhai vo dekh kya mast item chalke aa rhi hai.
Ladka - 2 Haa bhai, chal inke maje lete hai.
Ladka - 3 salo lal vali (komal) se dur rehna use to me pataunga.
Jab komal or khushi college gate ke pass pahuchati hai to vo ladke unhe rokte hai.
Ladka 2 - aye ladki tum dono idhar aao.
Khushi to unke bulane par hi ghabraane lagti hai lekin komal unhe ignore karke aage jati hai to ek ladka unke samne aakar khada ho jata hai.
Ladka 4 - sunai nhi diya hamne bulaya to
Komal - kon ho tum, hato hmare samne se.
Ladka 3 - hmm attitude... Iski lene me to mja ayega.
Komal - tameez se baat kro samjhe...or jante nhi ragging krna illegal hai. Hato hmare samne se.
Ladka 1 - bhai ye vali kuch jyada hi akad dikha rhi hai ise to ache se sabka sikhana padega.
Ladka 4 - abhi tak to hum pyar se baat kar rhe the lekin lgta hai tum pyar se manne vali nhi ho.
Charo ladke komal or khushi ko pakad lete hai or khich kar apni car ki taraf le jane lgte hai.
Ye sab kuch college gate ke bahar ho rha tha isliye koi kuch nhi keh rha tha, aas paas kafi students ko bheed lag gai thi...lekin sabhi bas dekh rhe the. Kuch unki madad krne ko keh to rhe the lekin koi bhi aage badhne ki himmat nhi kar paa rha tha.
Khushi - chhodo hme, pls
Komal - chhodo hme varna
Komal or khushi apne aap ko chhudane ki koshish karti hai or isi bich komal ka hath jor se 3 ladke ko padta hai jiska naam Amit tha. Komal ne ek jordar thappad amit ko mara tha jiski aawaz gunj gyi thi.
Komal - mujhe chunne ki himmat mat krna samjhe.
Amit - sali tune mujhe thappad mara ab dekh me kya krta hu... Abhi to tujhe akele me lejakar krta lekin ab yahi sabke samne teri aisi halat krunga ki maut ki bheekh mangegi.
Ye kehkar amit komal ko pakadkar usko car se sata deta hai or uske sath jabardasti krne ki koshish krne lgata hai. Komal khud ko chudane ki koshish karti hai lekin amit ko takat ke aage vo kuch nhi kar pati. Khushi ko bhi baki ladko me pakad rkha tha. Apne ko itna mazboor dekhkar komal ki aankho me aansu aa jate hai.
Komal - chhodo mujhe kutte chhod de.
Abhi amit kuch aage kar pata ki itne me uski kamar pe ek jordar punch aakar lgta hai or uski pakad komal se hat jati hai, vo 4 kadam aage jakar jamin par girta hai.
Samne komal dekhti hai to samne Samar khada hua tha jo shor sharaba sunkar idhar aaya tha.
Komal - Bhai
Samar ki aankhe gusse me jal rhi thi or sharir me kampan ho rha tha.
Komal daudkar jati hai or Samar ke gale lag jati hai.
Komal - (rote hue) bhai ye ladka...isne...
Samar ki nazar amit par hi thi vo komal ko dekhkar kuch shant hota hai or uske aansu pochkar usse Shalini mam ke pass bhejta hai.
Amit ko girta dekhkar un tino ne bhi khushi ko chhod diya tha or Samar par hmla krne ke liye aa gye the.
Ek ladka samar ko piche se aake daboch leta hai, lekin Samar apne hath piche lejakar uss ladke ki gardan pakadkar usse jhukte hue aage ki taraf patak deta hai. Phir baki do ladke samar par samne se ek sath hmla krte hai, ek ladka samar ko lat Marta hai to Samar uski lat pakadkar use aage ki taraf khich deta hai jisse us ladke ki dono tange split me khul jati hai or usse itna jordar dard hota hai jaise uski gaand kisi ne cheer di ho.
Dusre ladka samar par punches se hmla krta hai, shayad vo boxer tha, uske punch bahut speed se samar ko lagte hai...lekin Samar sambhalkar turant uske punch ko block kar leta hai or phir ek jordar ghutna uski pasliyon par marta hai jisse uski haddi tut jati hai or vo vahi dher ho jata hai.
Teeno ladke jameen par behosh pade the, lekin Samar ko sabse jyada gussa amit par tha isliye vo amit ke pass jata hai jo abhi uthne ki koshis kar rha tha or dubara se ek lat markar use gira deta hai.
Amit - kon hai madarchod tu...tu janta nhi tune kisko mara hai teri maa chod dunga me.
Samar ko ab or gussa aa gya tha vo amit ke upar bethkar uske chehre par ghuso ki barsat kar deta hai. Samar lgatar bina dekhe uske chehre par mukke mare Jaa rha tha.
Samar - or madarchod tu nhi janta ki me kon hu, tune meri behen ko hath lgya na tere isi hath ko tod deta hu.
Amit ka pura chehra khun se lal ho gya tha, phir samar ne uske dono hatho ko pakda or itne jor se ghumaya ki uske dono hatheliyo ki haddiya tut gyi. Amit ki jordar chikh ne pure mahol ko shant kar diya.
Phir samar komal ke pass jata hai to komal uske gale lag jati hai or khushi bhi.
Komal - bhai...I'm sorry bhai...agar aap nhi aate to me...
Khushi - thanks Bhai aapne Aaj hme bachaya.
Samar - ( komal se) pagal hai kya...sorry kyu bol rhi hai...or meri gudiya ko koi pareshan krega to uski me isse bhi buri halat krunga...chal ab apne aansu poch..rote hue bilkul achi hu lagti.
Khushi se chalo tum bhi ab college chalte hai lgta hai pehli class bhi khatam ho gyi.
Itne me sanjana bhi vahan aa jati hai, sanjana ko dekhkar vo uske gale se lag jati hai.
Or sab kuch sanjana ko btati hai, jise sunkar sanjana samar ko dekhti hai....mano jaise man hi man me thanks keh rhi ho.
Sanjana - acha ab rona band kro dekho sara face khrab kar liya, chalo ab mere sath....komal or khushi ko apne sath leke chalne lagti hai.
Samar vhi par khada tha to usse bhi bolti hai
Sanjana - tum bhi chalo (ye pehli baar tha jab sanjana ne pyar se Samar se kuch kha tha. Phir ye sab canteen ki taraf chal dete hai.
Shalini ne samar ko baad me usse Milne ko kehkar chali gyi thi.
Saurabh - ( Vicky se ) bhai vo ladka to Amit tha na.
Vicky - haa be, (samar ki taraf ishara krte hue) ye janta nhi isne iss ilake ke sabse bade gunde ke bhai ko mara hai.
Saurabh - vaise bhai sahi hua kal tumhari ldai isse nhi hui, dekha nhi un charo ki kya halat ki isne.
Vicky - chup sale... Soch amit ka bhai iski kya halat krega.
Continues.....
Bahot khoob shaandar intro or shaandar shuruwatDosto ye meri pehli story hai, isliye galtiyo ko ignore kijiyega. Aap sabka sath chahiye.
INDEX
Character Introduction
Vinita devi singh - Age 70 years, Gaon ki badi haveli ki Malkin. Inke 2 bete hai yaa the. Bada beta Suresh aur Chota beta Ranjit.
Pratap Singh - Vinita devi ke Pati aur Gaon ke Malik. (Dead)
Suresh - Vinita devi ka bada beta, apne parivar ke sath mumbai me rehta hai.
Ranjit - Vinita devi ka chota beta ( Dead)
Sweta - Ranjit ki patni (dead)
Samar(Hero) - Age 19 years Ranjit aur Sweta ka beta, Vinita devi ka eklauta pota aur haveli ka waris. Padhne me bahut hoshiyar hai, gaon ke akhade me jakar apne guruji se kai tarah ki yudhkalaein sikhi hai. Jinse pyar krta hai unke liye Jaan de bhi skta hai or le bhi skta hai.
Kavita - Age 39 years, kehne ko to haveli ki naukar hai, lekin parivar ke sadasya ki tarah hai, Samar ke liye maa jaisi hai.
Chanda - age 19 years, gaon ki ek ladki, samar ki sabse achi dost. Dil hi dil me samar se pyar karti hai. Lekin bta nhi pati.
Update - 1
समर पसीने में लथपथ, तेज़ और गहरी सांसे लेता हुआ, हवेली के अंदर आता है।
समर - दादी, दादी मां कहां है आप, जल्दी आइए।
दादी - आ गया मेरा बेटा, कर आया कसरत।
समर - हां दादी ( अपनी दादी के पैर छूते हुए)
दादी - सदा खुश रह मेरे लाल।
समर - दादी अब जल्दी से खाना दीजिए बहुत भूख लगी है। आज मुझे अपना रिजल्ट लेने भी जाना है।
दादी - हां हां बैठ तो सही पहले, आज मैने तेरे लिए तेरे पसंदीदा आलू के परांठे बनाए है।
समर - अरे वाह आलू के परांठे फिर तो जल्दी लगाइए दादी। मेरी तो भूख और बढ़ गई।
दादी - रुक तू जरा में कविता को खाना लगाने को कहती हूं।
समर फिर नाश्ता करके अपने स्कूल के लिए निकलने लगता है।
दादी - अरे रुक ये दही खाकर जा सब शुभ होगा।
समर - ओ हो दादी आप मुझसे लेट करवाएंगी लाइए जल्दी।
दादी - थोड़ी देर से जाएगा तो क्या हो जाएगा, कौन है इस गांव में जो तुझे कुछ कहे।
दही खाते हुए अच्छा दादी अब में चलता हूं।
स्कूल पहुंचकर समर अपनी क्लास की तरफ चलता है।
उसके कई दोस्त भी उससे क्लास से आते हुए दिखाई देते है, अपनी मार्कशीट लेकर।
समर जैसे ही अपनी क्लास में पहुंचता है तो क्लास टीचर - उससे बोलते है, आओ समर बेटा।
टीचर - उम्मीदों के मुताबिक तुमने इस बार भी बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए हो। और स्कूल में फर्स्ट आए हो। इसी तरह पढ़ते रहो।
समर - धन्यवाद सर, आपने इतना अच्छा पढ़ाया तभी तो में पढ़ा।
टीचर - हा हा बेटा पढ़ाया तो मैने और बच्चो को भी था, लेकिन सब तुम्हारी तरह लगन से नही पढ़े और फेल हो गए। एक शिक्षक के लिए तो उसके सभी स्टूडेंट एक जैसे होते है। अब वो तो स्टूडेंट के ऊपर निर्भर है की वो शिक्षक से क्या सीखता है और क्या नहीं।
समर - जी सर आपने सही कहा, लेकिन फ़िर भी मेरी पढाई का श्रेय मैं आपको ही दूंगा।
टीचर - हंसते हुए तुमसे बातों में जीतना बहुत मुश्किल है। अच्छा सुनो बेटा आज में तुम्हारे घर आऊंगा, तुम्हारी दादी से कुछ बात करनी है, तुम्हारे बारे में।
समर - मेरे बारे में ?
टीचर - हां बेटा
समर - ठीक है सर, अब मैं चलता हूं। वो सर के पैर छूता है और फिर बाहर आ जाता है।
घर पहुंचकर वो अपना रिजल्ट दादी को दिखाता है।
समर - दादी मैं स्कूल में फर्स्ट आया, देखो।
दादी - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी।
समर - दादी आज गजराज सर आपसे मिलने आने वाले है, कह रहे थे मेरे बारे में कुछ बात करनी है।
दादी - तुमने कुछ किया है क्या।
समर - नहीं दादी।
दादी - तो फिर
समर - अब मैं कैसे बता सकता हूं, दादी।
दादी - ठीक है, अब जाकर आराम करो।
समर - नहीं दादी मैं गांव में घूमने जा रहा हूं।
दादी - तो बोलना की चंदा को अपना रिजल्ट दिखाने जा रहा है।
समर - हंसते हुए हां दादी उसी के पास जा रहा हूं।उसका भी तो रिजल्ट आया है आज।
समर - अच्छा दादी अब में चलता हूं।
ये कहकर समर गांव में घूमने निकल जाता है कुछ देर इधर उधर घूमकर वो चंदा के पास पहुंच जाता है।
जो की तालाब के पास बैठी उसमे पत्थर फेक रही थी।
समर पीछे जाकर उसके आंखों को ढक लेता है।
चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।
चंदा - आ गया तू बंदर।
समर - और तू यहां क्या कर रही है बंदरिया।
चंदा - तेरा इंतजार, कहां रह गया था। जरूर इधर उधर घूम रहा होगा आवारा।
समर - अरे अभी घर से सीधा तेरे पास आ रहा हूं।
चंदा - चल चल रहने दे, सब पता है मुझे बस खेलने और लड़ने के सीवा तुझे आता क्या है। पता नही हर बार इतने अच्छे नंबरों से पास कैसे हो जाता है।
समर - जैसे तू हो जाती है बिना पढ़े।
चंदा - ओए मैं पढ़कर ही पास होती हूं, समझा।
समर - चल वो सब छोड़ और बता पास हो गई ना।
चंदा - हा हो गई और तू अब आगे क्या करेगा।
समर - मैं तो अब इंजीनियर ही करने की सोची है।
और तू क्या करेगी।
चंदा - (मन में उदास होते हुए)अभी सोचा नहीं है। कर लूंगी कुछ ना कुछ।
समर उसके जवाब से हैरान हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसी तरह फिर काफी देर तक मस्ती करते रहे और फिर समर अपने घर आगया और चंदा अपने घर चली गई।
शाम के वक्त गजराज सर समर की दादी से मिलने आए, जब समर अपने कमरे में आराम कर रहा था।
टीचर - नमस्ते विनीता जी
दादी - अरे नमस्ते गजराज, आओ बैठो।
दादी - और बताओ आज कैसे आना हुआ, स्कूल का काम तो सब ठीक चल रहा है।
टीचर - सब ठीक है विनीता जी, आज तो मैं समर के बारे में बात करने आया था।
दादी - समर के बारे में! क्या बात है?
टीचर - अब आप तो जानती है समर कितना होनहार है, पढाई में तो अव्वल आता ही है, खेल कूद में भी आगे है। अब स्कूल की पढ़ाई तो किसी तरह यहां गांव में हो गई। लेकिन आगे की पढ़ाई किसी बड़े शहर में जाकर समर करे तो बहुत आगे जाएगा। यहां कस्बे के कॉलेजों में पढ़ाई होती ही कहां है।
दादी - कुछ सोचते हुए। आप सही कह रहे है गजराज। मैने अपने स्वार्थ के कारण ही अब तक समर को गांव में रखा। इस खानदान का इकलौता वारिस है समर। कैसे उसे अपनी आंखों से दूर करती। वरना इसकी बड़ी मां तो इसे बहुत पहले ही अपने साथ शहर ले जाना चाहती थी। लेकिन मैंने ही इसे जाने नहीं दिया। अब जमींदारी और राज पाठ तो पहले जैसे रहे नहीं। हां इज्जत अभी भी है गांव में, और वो इज्जत बनी रहे इसके लिए जरूरी है की समर अपना नाम कमाए खुद से। मेरा बड़ा बेटा मुंबई में ही अपना कारोबार करता है वही इसे भेज दूंगी पढ़ने के लिए।
टीचर - ये तो बहुत अच्छी बात है विनीता जी। अच्छा अब में चलता हूं, में तो बस यही बात करने आया था।
दादी - अरे इतनी जल्दी क्यों, आए है तो खाना खाकर जाइए, नहीं विनीता जी कुछ जरूरी काम है तो जाना पड़ेगा। समर होनहार स्टूडेंट है इसलिए उसके कैरियर के लिए सोचा तो बात करने चला आया। अब चलता हूं।
दादी कुछ सोचते हुए लैंडलाइन से एक फोन करती है।
रात को खाने के वक्त जहां समर, दादी और कविता ही थे।
दादी समर से कहती है।
दादी - बेटा अब तो आप बारहवीं पास कर चुके हो तो आगे क्या सोचा है करने का।
समर - हां दादी पास के ही कॉलेज में इंजीनियरिंग मे एडमिशन ले लूंगा।
दादी - बेटा हमने आपके के लिए कुछ सोचा है, लेकिन आपको हमारी बात माननी होगी, वादा करो।
समर - दादी ऐसी क्या बात है की आपको मुझे वादा लेना पड़े। में आपकी कोई बात कभी नही टाल सकता।
दादी - बेटा में चाहती हूं की तुम मुंबई जाकर पढ़ाई करो।
समर - दादी ये आप क्या कह रही है मुंबई जाकर पढ़ाई, तो आप क्या अकेली रहेंगी। नही दादी में आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
दादी - बेटा अभी तुमने ही कहा था कि तुम मेरी कोई बात नहीं मना करते। यहां के कॉलेज इतने अच्छे नहीं है, इसलिए में चाहती हूं तुम मुंबई जाकर अपनी पढ़ाई करो। और में यहां अकेली नहीं हूं। कविता है यहां मेरा ख्याल रखने के लिए। क्या तुम मेरी बात भी नहीं मानोगे।
समर - उदास सा चेहरा बनाते हुए ठीक है दादी। अगर आप यहीं चाहती है तो में जाऊंगा मुंबई।
दादी - मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा, दो दिन बाद आपको मुंबई जाना है। तुम्हारी बड़ी मां तुम्हे लेने आने वाली थी, लेकिन मैने मना कर दिया। सूरज तुम्हे मुंबई तक छोड़ आएगा, वहां से सुगंधा तुम्हे लेने आ जाएगी।
तुम्हे देखकर वो बहुत खुश होगी।
दो दिन बाद समर के जाने का दिन आ गया।
सुबह अपना सामान लेकर समर हॉल में खड़ा था।
दादी - अरे कविता कहां रह गई, जल्दी आ देर हो रही है, और ये सूरज अब आया क्यों नहीं। एक काम समय पर नहीं होता इससे।
तभी दरवाजे से अंदर आते हुए।
सूरज - आ गया मालकिन।
दादी - कहां रह गया था, चल छोड़ वो सब और गाड़ी निकाल। देर हो रही है। इतने में कविता भी आ गई।
कविता - लो समर बेटा, ये लड्डू मैनें बनाए है तुम्हारे लिए। आराम से सफर में खा लेना।
वक्त हो चला था, मैने दादी की पांव छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
दादी - गले लग जा मेरे लाल ( आंखों में आसूं भरे हुए)
अच्छे से रहना वहां, खूब पढ़ाई करना और अपनी बड़ी मां की हर बात मानना।
समर - ठीक है दादी, लेकिन अगर आप यूं रोयेंगी तो में नहीं जाऊंगा।
दादी - अपने आंसू पोंछते हुए में कहां रो रही हूं।
उसके बाद में कविता काकी से मिला, उनकी भी आंखे नम थी।
कविता - हमे भूल मत जाना समर, और अपना ख्याल रखना।
समर - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं, काकी आप तो मेरी मां जैसी है। और लौटकर तो मुझे इसी गांव में आना है। बस दादी का ख्याल रखिएगा।
उसके बाद सूरज ने मेरा सामान उठा कर गाड़ी में रखा और में कार में बैठकर निकल पड़ा। एक नए शहर के लिए। कार में मैने सूरज से कहा गांव से बाहर जाने से पहले एक बार तालाब की तरफ चलिएगा और उसके बाद अखाड़े की तरफ।
मैं तालाब पर पहुंचा तो चंदा मुझे वही मिली, उसे मैने पहले ही बता दिया था की मैं मुंबई जा रहा हूं।
चंदा - आ गए तुम।
समर - हां, तुमसे मिलकर अखाड़े में गुरुजी के पास जाऊंगा फिर मुंबई। ( आज चंदा ने मुझे कुछ भी गलत नहीं बोला, वरना वो हमेशा मुझे परेशान करती थी।)
चंदा - फिर कब आओगे।
समर - पता नहीं अभी तो कॉलेज में अड्ˈमिश्न् भी नहीं हुआ। 6 महीने या 1 साल।
चंदा - अपना ख्याल रखना।
आज चंदा कुछ खास बात नहीं कर रही थी। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी। चाहती थी की अपने दिल का पूरा हाल बयां कर दे , लेकिन बेचारी में इतनी हिम्मत नहीं थी। कैसे कहती की कितना प्यार करती हूं तुमसे, वो लड़ाइयां, झगड़े सब झूठे थे । प्यार का तरीका मात्र थे। सोच रही थी अगर कह दिया, और प्यार ठुकरा दिया तो कहीं हमेशा के लिए समर को खो न दे। सही भी तो था कहां वो एक गांव के आम किसान की बेटी और कहां समर गांव की सबसे बड़ी हवेली का वारिस।
वो तो बेचारी समर को ये भी नहीं बता पाई थी की अब वो अपनी पढ़ाई छोड़ रही है।
समर - नाराज हो क्या।
चंदा - नहीं तो, में क्यों तुमसे नाराज होऊंगी।
समर - तो फिर कुछ बोलती क्यों नहीं। तुम तो खुश होगी अब कोई तुम्हे परेशान भी नहीं करेगा।
चंदा_(अपने मन में, मैं तो चाहती हूं तुम मुझे पूरी जिंदगी परेशान करो, लेकिन...)
समर - अच्छा तो मैं चलता हुं वरना काफी देर हो जाएगी। तुम भी अपना ख्याल रखना। इतनी जल्दी मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा समझी, जल्दी ही आऊंगा बंदरिया।
ये सुनके चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट की झलकी आ गई। समर चंदा से मिलके वापस जाने लगा तो पीछे चंदा उसे भीगी आंखों के साथ जाते हुए देखती रही। उसके जाने के बाद भी काफी देर तक वो वही खड़ी रही और फिर उदास मन से अपने घर चली गई।
समर सूरज से गाड़ी अखाड़े की तरफ ले जाने को कहता है। वहां पहुंचकर वो अपने गुरुजी के पैरो को छूकर आशीर्वाद लेता है।
गुरुजी - आशीर्वाद देते हुए तो जाने की तैयारी हो गई।
समर_ जी गुरुजी, आपसे ही आखरी बार मिलने आया था।
गुरुजी - अच्छा है, तुम जीवन में आगे बढ़ो। समर एक गुरु होने के नाते मैने अपना सम्पूर्ण ज्ञान तुम्हे दिया है, हर तरह की युद्ध कला तुम्हे सिखाई है। यहां तक कि वो ज्ञान भी मैने तुम्हे दिया है, जो मैंने अपने बेटे को भी नहीं दिया। तुम हर प्रकार से ताकतवर बन चुके हो। आखरी बार बस इतना ही कहूंगा की अपनी ताकत का घमंड मत करना और कभी उसका गलत उपयोग मत करना। वरना हर शेर के लिए इस दुनिया में सवा शेर बैठा है। अगर तुम सच्चे रहोगे तो ऊपरवाला भी तुम्हारी मदद करेगा।
समर - जी गुरुजी, मैं कभी आपको निराश होने का मौका नहीं दूंगा। आपकी सिखाई हुई हर बात का मैं पालन करूंगा। और अपनी ताकत का उपयोग अपनी या किसी जरूरतमंद की रक्षा के लिए ही करूंगा।
गुरुजी - खुश रहो मेरे बेटे, शहर में तुम्हारे लिए जीवन के नए द्वार खुलेंगे। वहां पर भटकने से बचना। अब जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।
गुरुजी से मिलकर समर कार में निकल गया मुंबई की ओर, लेकिन वो नहीं जानता था की उसकी किस्मत ही उसे वहां पर ले जा रही थी।