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Nice updateDosto ye meri pehli story hai, isliye galtiyo ko ignore kijiyega. Aap sabka sath chahiye.
Character Introduction
Vinita devi singh - Age 70 years, Gaon ki badi haveli ki Malkin. Inke 2 bete hai yaa the. Bada beta Suresh aur Chota beta Ranjit.
Pratap Singh - Vinita devi ke Pati aur Gaon ke Malik. (Dead)
Suresh - Vinita devi ka bada beta, apne parivar ke sath mumbai me rehta hai.
Ranjit - Vinita devi ka chota beta ( Dead)
Sweta - Ranjit ki patni (dead)
Samar(Hero) - Age 19 years Ranjit aur Sweta ka beta, Vinita devi ka eklauta pota aur haveli ka waris. Padhne me bahut hoshiyar hai, gaon ke akhade me jakar apne guruji se kai tarah ki yudhkalaein sikhi hai. Jinse pyar krta hai unke liye Jaan de bhi skta hai or le bhi skta hai.
Kavita - Age 39 years, kehne ko to haveli ki naukar hai, lekin parivar ke sadasya ki tarah hai, Samar ke liye maa jaisi hai.
Chanda - age 19 years, gaon ki ek ladki, samar ki sabse achi dost. Dil hi dil me samar se pyar karti hai. Lekin bta nhi pati.
Update - 1
समर पसीने में लथपथ, तेज़ और गहरी सांसे लेता हुआ, हवेली के अंदर आता है।
समर - दादी, दादी मां कहां है आप, जल्दी आइए।
दादी - आ गया मेरा बेटा, कर आया कसरत।
समर - हां दादी ( अपनी दादी के पैर छूते हुए)
दादी - सदा खुश रह मेरे लाल।
समर - दादी अब जल्दी से खाना दीजिए बहुत भूख लगी है। आज मुझे अपना रिजल्ट लेने भी जाना है।
दादी - हां हां बैठ तो सही पहले, आज मैने तेरे लिए तेरे पसंदीदा आलू के परांठे बनाए है।
समर - अरे वाह आलू के परांठे फिर तो जल्दी लगाइए दादी। मेरी तो भूख और बढ़ गई।
दादी - रुक तू जरा में कविता को खाना लगाने को कहती हूं।
समर फिर नाश्ता करके अपने स्कूल के लिए निकलने लगता है।
दादी - अरे रुक ये दही खाकर जा सब शुभ होगा।
समर - ओ हो दादी आप मुझसे लेट करवाएंगी लाइए जल्दी।
दादी - थोड़ी देर से जाएगा तो क्या हो जाएगा, कौन है इस गांव में जो तुझे कुछ कहे।
दही खाते हुए अच्छा दादी अब में चलता हूं।
स्कूल पहुंचकर समर अपनी क्लास की तरफ चलता है।
उसके कई दोस्त भी उससे क्लास से आते हुए दिखाई देते है, अपनी मार्कशीट लेकर।
समर जैसे ही अपनी क्लास में पहुंचता है तो क्लास टीचर - उससे बोलते है, आओ समर बेटा।
टीचर - उम्मीदों के मुताबिक तुमने इस बार भी बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए हो। और स्कूल में फर्स्ट आए हो। इसी तरह पढ़ते रहो।
समर - धन्यवाद सर, आपने इतना अच्छा पढ़ाया तभी तो में पढ़ा।
टीचर - हा हा बेटा पढ़ाया तो मैने और बच्चो को भी था, लेकिन सब तुम्हारी तरह लगन से नही पढ़े और फेल हो गए। एक शिक्षक के लिए तो उसके सभी स्टूडेंट एक जैसे होते है। अब वो तो स्टूडेंट के ऊपर निर्भर है की वो शिक्षक से क्या सीखता है और क्या नहीं।
समर - जी सर आपने सही कहा, लेकिन फ़िर भी मेरी पढाई का श्रेय मैं आपको ही दूंगा।
टीचर - हंसते हुए तुमसे बातों में जीतना बहुत मुश्किल है। अच्छा सुनो बेटा आज में तुम्हारे घर आऊंगा, तुम्हारी दादी से कुछ बात करनी है, तुम्हारे बारे में।
समर - मेरे बारे में ?
टीचर - हां बेटा
समर - ठीक है सर, अब मैं चलता हूं। वो सर के पैर छूता है और फिर बाहर आ जाता है।
घर पहुंचकर वो अपना रिजल्ट दादी को दिखाता है।
समर - दादी मैं स्कूल में फर्स्ट आया, देखो।
दादी - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी।
समर - दादी आज गजराज सर आपसे मिलने आने वाले है, कह रहे थे मेरे बारे में कुछ बात करनी है।
दादी - तुमने कुछ किया है क्या।
समर - नहीं दादी।
दादी - तो फिर
समर - अब मैं कैसे बता सकता हूं, दादी।
दादी - ठीक है, अब जाकर आराम करो।
समर - नहीं दादी मैं गांव में घूमने जा रहा हूं।
दादी - तो बोलना की चंदा को अपना रिजल्ट दिखाने जा रहा है।
समर - हंसते हुए हां दादी उसी के पास जा रहा हूं।उसका भी तो रिजल्ट आया है आज।
समर - अच्छा दादी अब में चलता हूं।
ये कहकर समर गांव में घूमने निकल जाता है कुछ देर इधर उधर घूमकर वो चंदा के पास पहुंच जाता है।
जो की तालाब के पास बैठी उसमे पत्थर फेक रही थी।
समर पीछे जाकर उसके आंखों को ढक लेता है।
चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।
चंदा - आ गया तू बंदर।
समर - और तू यहां क्या कर रही है बंदरिया।
चंदा - तेरा इंतजार, कहां रह गया था। जरूर इधर उधर घूम रहा होगा आवारा।
समर - अरे अभी घर से सीधा तेरे पास आ रहा हूं।
चंदा - चल चल रहने दे, सब पता है मुझे बस खेलने और लड़ने के सीवा तुझे आता क्या है। पता नही हर बार इतने अच्छे नंबरों से पास कैसे हो जाता है।
समर - जैसे तू हो जाती है बिना पढ़े।
चंदा - ओए मैं पढ़कर ही पास होती हूं, समझा।
समर - चल वो सब छोड़ और बता पास हो गई ना।
चंदा - हा हो गई और तू अब आगे क्या करेगा।
समर - मैं तो अब इंजीनियर ही करने की सोची है।
और तू क्या करेगी।
चंदा - (मन में उदास होते हुए)अभी सोचा नहीं है। कर लूंगी कुछ ना कुछ।
समर उसके जवाब से हैरान हुआ लेकिन कुछ कहा नहीं।
इसी तरह फिर काफी देर तक मस्ती करते रहे और फिर समर अपने घर आगया और चंदा अपने घर चली गई।
शाम के वक्त गजराज सर समर की दादी से मिलने आए, जब समर अपने कमरे में आराम कर रहा था।
टीचर - नमस्ते विनीता जी
दादी - अरे नमस्ते गजराज, आओ बैठो।
दादी - और बताओ आज कैसे आना हुआ, स्कूल का काम तो सब ठीक चल रहा है।
टीचर - सब ठीक है विनीता जी, आज तो मैं समर के बारे में बात करने आया था।
दादी - समर के बारे में! क्या बात है?
टीचर - अब आप तो जानती है समर कितना होनहार है, पढाई में तो अव्वल आता ही है, खेल कूद में भी आगे है। अब स्कूल की पढ़ाई तो किसी तरह यहां गांव में हो गई। लेकिन आगे की पढ़ाई किसी बड़े शहर में जाकर समर करे तो बहुत आगे जाएगा। यहां कस्बे के कॉलेजों में पढ़ाई होती ही कहां है।
दादी - कुछ सोचते हुए। आप सही कह रहे है गजराज। मैने अपने स्वार्थ के कारण ही अब तक समर को गांव में रखा। इस खानदान का इकलौता वारिस है समर। कैसे उसे अपनी आंखों से दूर करती। वरना इसकी बड़ी मां तो इसे बहुत पहले ही अपने साथ शहर ले जाना चाहती थी। लेकिन मैंने ही इसे जाने नहीं दिया। अब जमींदारी और राज पाठ तो पहले जैसे रहे नहीं। हां इज्जत अभी भी है गांव में, और वो इज्जत बनी रहे इसके लिए जरूरी है की समर अपना नाम कमाए खुद से। मेरा बड़ा बेटा मुंबई में ही अपना कारोबार करता है वही इसे भेज दूंगी पढ़ने के लिए।
टीचर - ये तो बहुत अच्छी बात है विनीता जी। अच्छा अब में चलता हूं, में तो बस यही बात करने आया था।
दादी - अरे इतनी जल्दी क्यों, आए है तो खाना खाकर जाइए, नहीं विनीता जी कुछ जरूरी काम है तो जाना पड़ेगा। समर होनहार स्टूडेंट है इसलिए उसके कैरियर के लिए सोचा तो बात करने चला आया। अब चलता हूं।
दादी कुछ सोचते हुए लैंडलाइन से एक फोन करती है।
रात को खाने के वक्त जहां समर, दादी और कविता ही थे।
दादी समर से कहती है।
दादी - बेटा अब तो आप बारहवीं पास कर चुके हो तो आगे क्या सोचा है करने का।
समर - हां दादी पास के ही कॉलेज में इंजीनियरिंग मे एडमिशन ले लूंगा।
दादी - बेटा हमने आपके के लिए कुछ सोचा है, लेकिन आपको हमारी बात माननी होगी, वादा करो।
समर - दादी ऐसी क्या बात है की आपको मुझे वादा लेना पड़े। में आपकी कोई बात कभी नही टाल सकता।
दादी - बेटा में चाहती हूं की तुम मुंबई जाकर पढ़ाई करो।
समर - दादी ये आप क्या कह रही है मुंबई जाकर पढ़ाई, तो आप क्या अकेली रहेंगी। नही दादी में आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
दादी - बेटा अभी तुमने ही कहा था कि तुम मेरी कोई बात नहीं मना करते। यहां के कॉलेज इतने अच्छे नहीं है, इसलिए में चाहती हूं तुम मुंबई जाकर अपनी पढ़ाई करो। और में यहां अकेली नहीं हूं। कविता है यहां मेरा ख्याल रखने के लिए। क्या तुम मेरी बात भी नहीं मानोगे।
समर - उदास सा चेहरा बनाते हुए ठीक है दादी। अगर आप यहीं चाहती है तो में जाऊंगा मुंबई।
दादी - मुझे तुमसे यही उम्मीद थी बेटा, दो दिन बाद आपको मुंबई जाना है। तुम्हारी बड़ी मां तुम्हे लेने आने वाली थी, लेकिन मैने मना कर दिया। सूरज तुम्हे मुंबई तक छोड़ आएगा, वहां से सुगंधा तुम्हे लेने आ जाएगी।
तुम्हे देखकर वो बहुत खुश होगी।
दो दिन बाद समर के जाने का दिन आ गया।
सुबह अपना सामान लेकर समर हॉल में खड़ा था।
दादी - अरे कविता कहां रह गई, जल्दी आ देर हो रही है, और ये सूरज अब आया क्यों नहीं। एक काम समय पर नहीं होता इससे।
तभी दरवाजे से अंदर आते हुए।
सूरज - आ गया मालकिन।
दादी - कहां रह गया था, चल छोड़ वो सब और गाड़ी निकाल। देर हो रही है। इतने में कविता भी आ गई।
कविता - लो समर बेटा, ये लड्डू मैनें बनाए है तुम्हारे लिए। आराम से सफर में खा लेना।
वक्त हो चला था, मैने दादी की पांव छुए तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।
दादी - गले लग जा मेरे लाल ( आंखों में आसूं भरे हुए)
अच्छे से रहना वहां, खूब पढ़ाई करना और अपनी बड़ी मां की हर बात मानना।
समर - ठीक है दादी, लेकिन अगर आप यूं रोयेंगी तो में नहीं जाऊंगा।
दादी - अपने आंसू पोंछते हुए में कहां रो रही हूं।
उसके बाद में कविता काकी से मिला, उनकी भी आंखे नम थी।
कविता - हमे भूल मत जाना समर, और अपना ख्याल रखना।
समर - मैं आपको कैसे भूल सकता हूं, काकी आप तो मेरी मां जैसी है। और लौटकर तो मुझे इसी गांव में आना है। बस दादी का ख्याल रखिएगा।
उसके बाद सूरज ने मेरा सामान उठा कर गाड़ी में रखा और में कार में बैठकर निकल पड़ा। एक नए शहर के लिए। कार में मैने सूरज से कहा गांव से बाहर जाने से पहले एक बार तालाब की तरफ चलिएगा और उसके बाद अखाड़े की तरफ।
मैं तालाब पर पहुंचा तो चंदा मुझे वही मिली, उसे मैने पहले ही बता दिया था की मैं मुंबई जा रहा हूं।
चंदा - आ गए तुम।
समर - हां, तुमसे मिलकर अखाड़े में गुरुजी के पास जाऊंगा फिर मुंबई। ( आज चंदा ने मुझे कुछ भी गलत नहीं बोला, वरना वो हमेशा मुझे परेशान करती थी।)
चंदा - फिर कब आओगे।
समर - पता नहीं अभी तो कॉलेज में अड्ˈमिश्न् भी नहीं हुआ। 6 महीने या 1 साल।
चंदा - अपना ख्याल रखना।
आज चंदा कुछ खास बात नहीं कर रही थी। कहना तो बहुत कुछ चाहती थी। चाहती थी की अपने दिल का पूरा हाल बयां कर दे , लेकिन बेचारी में इतनी हिम्मत नहीं थी। कैसे कहती की कितना प्यार करती हूं तुमसे, वो लड़ाइयां, झगड़े सब झूठे थे । प्यार का तरीका मात्र थे। सोच रही थी अगर कह दिया, और प्यार ठुकरा दिया तो कहीं हमेशा के लिए समर को खो न दे। सही भी तो था कहां वो एक गांव के आम किसान की बेटी और कहां समर गांव की सबसे बड़ी हवेली का वारिस।
वो तो बेचारी समर को ये भी नहीं बता पाई थी की अब वो अपनी पढ़ाई छोड़ रही है।
समर - नाराज हो क्या।
चंदा - नहीं तो, में क्यों तुमसे नाराज होऊंगी।
समर - तो फिर कुछ बोलती क्यों नहीं। तुम तो खुश होगी अब कोई तुम्हे परेशान भी नहीं करेगा।
चंदा_(अपने मन में, मैं तो चाहती हूं तुम मुझे पूरी जिंदगी परेशान करो, लेकिन...)
समर - अच्छा तो मैं चलता हुं वरना काफी देर हो जाएगी। तुम भी अपना ख्याल रखना। इतनी जल्दी मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा समझी, जल्दी ही आऊंगा बंदरिया।
ये सुनके चंदा के चेहरे पर मुस्कुराहट की झलकी आ गई। समर चंदा से मिलके वापस जाने लगा तो पीछे चंदा उसे भीगी आंखों के साथ जाते हुए देखती रही। उसके जाने के बाद भी काफी देर तक वो वही खड़ी रही और फिर उदास मन से अपने घर चली गई।
समर सूरज से गाड़ी अखाड़े की तरफ ले जाने को कहता है। वहां पहुंचकर वो अपने गुरुजी के पैरो को छूकर आशीर्वाद लेता है।
गुरुजी - आशीर्वाद देते हुए तो जाने की तैयारी हो गई।
समर_ जी गुरुजी, आपसे ही आखरी बार मिलने आया था।
गुरुजी - अच्छा है, तुम जीवन में आगे बढ़ो। समर एक गुरु होने के नाते मैने अपना सम्पूर्ण ज्ञान तुम्हे दिया है, हर तरह की युद्ध कला तुम्हे सिखाई है। यहां तक कि वो ज्ञान भी मैने तुम्हे दिया है, जो मैंने अपने बेटे को भी नहीं दिया। तुम हर प्रकार से ताकतवर बन चुके हो। आखरी बार बस इतना ही कहूंगा की अपनी ताकत का घमंड मत करना और कभी उसका गलत उपयोग मत करना। वरना हर शेर के लिए इस दुनिया में सवा शेर बैठा है। अगर तुम सच्चे रहोगे तो ऊपरवाला भी तुम्हारी मदद करेगा।
समर - जी गुरुजी, मैं कभी आपको निराश होने का मौका नहीं दूंगा। आपकी सिखाई हुई हर बात का मैं पालन करूंगा। और अपनी ताकत का उपयोग अपनी या किसी जरूरतमंद की रक्षा के लिए ही करूंगा।
गुरुजी - खुश रहो मेरे बेटे, शहर में तुम्हारे लिए जीवन के नए द्वार खुलेंगे। वहां पर भटकने से बचना। अब जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे।
गुरुजी से मिलकर समर कार में निकल गया मुंबई की ओर, लेकिन वो नहीं जानता था की उसकी किस्मत ही उसे वहां पर ले जा रही थी।
Update postedUpdate kab de rahe ho bhai
Kindly read update 2 and give reviewUpdate kab de rahe ho bhai
Another update postedNice update
Mast update tha bhai Komal ka character badhiya hai samjana gusse wali hai Sugandha ka character v mast hai ek request hai females characters ke sath unki pics v add kr do kisi influencer ka ya kisi celebrity to imagine kr ke read krne ka maza hi alag haiUpdate 2
New Characters
Suresh Singh - age 47, Samar ke tauji, Mumbai me textile ka business hai. Kaam me bahut jyada busy rehte hai. Apni family ko Kam time de pate hai.
Sugandha Singh - Age 45, Samar ki badi maa, Family or kaam me balance banakar chalti hai. Sanskari ke sath sath modern khyal bhi rakhti hai. Doctor thi, lekin filhal vo kaam chod diya hai. Abhi sirf medical colleges me guest ke taur pe lecture deti hai. Khubsurati ki misal hai, apni umra se jyada jawan nazar aati hai.
Sanjana Singh - Age 22, Suresh or Sugandha ki badi beti, thodi ziddi hai, apni chize kisi ke sath share krna pasand nhi hai. Mumbai se hi Business Management me Graduation kar rhi hai. Abhi 3rd year me hai.
Komal Singh - Age 19, Suresh or Sugandha ki choti beti, abhi 12th paas ki hai, sabke sath pyar se rehna pasand karti hai. Ghar me sabki ladli hai.
Suraj Samar ke sath mumbai tak aana chahta tha, lekin Samar ne jabardasti use railway station se hi vapas lauta diya or akela Mumbai tak train me aa gya. Jab train Station pe pahuchi to Samar ek baar ke liye itni bheed dekh kar hairat me padh gya, Usne apni sari jindagi gaon me hi bitayi thi, pass ke shahar me bhi vo tab hi jata tha jab koi jarurat ho. Itni bheed uske liye nayi baat thi, halanki Mobile me internet ke jariye usne duniya bhar ki jankari hasil kar li thi. Lekin aankho dekha experience to alag hi hota hai.
Samar - huhh itni bheed, chal samar ab tu bhi inme se ek hai.
Train se utarkar samar Exit ki taraf jata hai to bahar taxi ki line lagi hui thi. Samar apna mobile nikalkar call krta hai.
Samar - Hello, haa badi maa main bahar aa gya hu, aap kahan par hai.
Sugandha Samar ke samne hi peeth karke khadi thi.
Sugandha - Beta, me to exit ke paas hi khadi hu. Tum kahan par ho.
Samar - me bhi to vahi khada hu badi maa.
Sugandha palatkar dekhti hai to use samar nazar aata hai, vo use dekhte hi pehchan leti hai. Lekin Samar use nhi pehchanta. Sugandha jab uske karib aati hai, to Samar use dhyaan se dekhta hai or pehchanta hai. Or phir uske pairo ko chune ke liye jhukta hai. Sugandha use beech me hi rokakar apne gale se lga leti hai.
Sugandha - Mera beta, gale lag jaa mere lal. Kitna arsa ho gya tujhe dekhe.
Sugandha Samar ko gale se lgaye rkhe hi baate krti hai.
Sugandha - Tujhe meri yaad bhi nhi aayi hogi. Tujhe gale se lgakar kitna sukoon mil rha hai, Mere bete.
Sab log station PE inhi dono ko dekh rhe the. Samar ne ye baat notice ki or Sugandha se bola.
Samar- maine bhi aapko yaad Kiya badi maa. Chaliye ab ghar chalte hai. Sab hme hi dekh rhe hai.
Sugandha - dekhne de, me apne bete ko gale lga rhi hu kisi gair ko nhi.
Samar- ghar Jake jee bharke gale lga Lena badi maa. Mujhe bahut bhookh lagi hai.
Sugandha - are haa tu kitna lamba safar karke aaya hai, thak gya hoga, chal ghar chalte hai.
Samar apna saman uthakar chal deta hai, dono car me bethkar nikal padte hai.
Car me - Sugandha - acha beta Ghar par sab kaise hai, maa ji or Kavita.
Samar- sab ache hai badi maa, dadi to aapko bahut yaad karti hai.
Sugandha - acha hai, ab tu yahi padhega, maa ji ne kal phone karke btaya tha mujhe tere baare me. Bilkul apni maa pe gya hai padhai me awwal.
Samar- Haa badi maa, dadi ne jidd karke bhej diya. Mene to kaha tha ki vahi kisi college me padh lunga.
Sugandha - kyu vahan kyu pdega, yahan padhna. Main Tera admission shahar ke sabse bade college me karaungi. Sanjana bhi usi me padhti hai or ab komal bhi vahi jaegi. 1 mahine baad se college shuru hoga. Tab tak shahar ko dekh le, yahan adjust ho jaa. Dekh to kitna dubla ho gya hai, lgta hai kavita kuch deti nhi khane ko.
Sugandha sab kuch ek hi saans me bol gyi.
Samar - are badi maa, me to yu hi bol rha tha, or gaon me to mere jaisa koi nhi or aap kehti hai ki me dubla ho gya.
Sugandha - haa tere jaisa koi nhi, itna dubla or kon hoga gaon me.
Samar is baat pe hans diya,
Samar - acha badi maa Ghar me sab kaise hai, tau ji, didi or komal.
Sugandha - sab thik hai beta, tere tauji ko to time hi nhi milta kaam se, sanjana apne dosto ke sath busy rehti hai or komal use to filmi sapne dekhne se fursat nhi. Ab tu aa gya hai mujhse bhi koi baat krne vala hoga.
Sugandha - or ye bta station pe tune mujhe pehchana kyu nhi. Hmm?
Samar - are badi maa me to aapko dekhte hi pehchan gya tha vo to bas.
Sugandha - kya vo to bta.
Samar - aap itni khubsurat lag rhi thi ki me kuch bol hi nhi paaya.
Sugandha- (sharamakar) chal badmash, apni badi maa se hi flirt krta hai, lgta hai kavita ke laad pyar ne jyada bigad diya. Teri pitai karni padegi.
Samar - mene to sach hi kaha badi maa.
Sugandha -
Isi tarah batein krte hue ye ghar pahunchate hai.
Ek high society me Sugandha ka 2 manzila ghar tha. Koi mahal to nhi tha, lekin dekhkar lgta tha ki paisa kafi lgaya hai ghar me. Ghar me enter krte hi ek chota sa corridor shuru hota tha or uske baad living room. Niche ek side me Kitchen or mandir the or dusri side Sugandha or Suresh ka room or 2 guest room. upar bhi Komal, Sanjana ke room the or ek guest room.
Ghar me pahuchkar sugandha komal ko aawaj deti hai, Komal... Komal..
Komal - Ayi maa.... Kya hua maa, aap to mujhe padhne bhi nhi deti.
Sugandha - sab pta hai mujhe kitna padhti hai, ye dekh kon aya hai.
Komal Samar ko dekhti hai aur pehchanne ki koshish karti hai.
Sugandha - are pagal ladki aise kya dekh rhi hai, Tera bhai hai - Samar, Ranjit chacha or Sweta ka beta
Komal ne samar ko sirf bachpan me hi dekha tha, kyoki vo gaon sirf ek baar hi gyi thi uska janm bhi mumbai me hi hua tha. Isliye vo samar ko pehchan nhi payi, lekin jab sugandha ne btaya ki vo kon hai to komal bahut khush hui, kyoki sugandha aksar ghar or gaon ke bare me use batati thi.
Komal - Samar bhai, (zor se gale lagte hue) maa hmesha aapki baat krti hai. Kehti hai samar Aisa hai, Samar vaisa hai. Khushi se jhumte hue, aap mumbai ghumne aaye hai, mein aapko pura shahar dikhaungi. Thik hai.
Sugandha - vo mumbai ghumne nhi, padhne aaya hai ab vo yahi rhega. Sanjana ke college me hi iska admission karvana hai, tere sath.
Komal - sach me, yahoo... Tab to aur maza ayega. Hum sath me college jaenge. Pta hai bhai me hmesha chahti thi ki mera ek bhai ho aur dekho aap aa gye. Ab aap kahi mat jana. Ok
Samar- kahi nhi jaunga, apni gudiya ko chhodkar. Vaise badi maa or koi nhi dikhai de rha, kahan hai sab.
Sugandha - sanjana gyi hogi kahin apne dosto ke sath, or iske papa to business trip par gye hai.
Samar - oh.. acha
Komal - chaliye bhaiya, mere room me aapko apne video games dikhati hu.
Sugandha - (thoda dantate hue) vo abhi abhi aya hai pehle use fresh hone de, phir dikhati rehna apne games.
Komal - ok maa
Samar - badi maa koi baat nhi, use mat datiye. Komal se - pehle me fresh ho jau. Phir hum sath me tumhare games dekhenge.
Komal - Ok bhaiya (Samar ke galo pe kiss karte hue) or apni maa ko jibh dikhakar bhag jati hai.
Sugandha - ye ladki bhi naa, iske papa or. behen Kam the ise sar par chadhane ke liye, ki ab tu bhi iski side le rha hai.
Samar - koi baat nhi badi maa, abhi bachi hai. Aap to mere liye kuch khane ko laiye bahut bhukh lagi hai. Or me kis room me jakar fresh hou.
Sugandha - abhi to tu samne vale room me chala jaa, jaldi hi me tere liye kamra khali karvati hu, vo kya hai naa abhi kuch kamro me renovation ka kaam chal rha hai.
Samar - ok badi maa.
Samar fresh hokar, khana khakar usi room me aaram krta hai or uske baad komal ke sath uske games dekhta hai or khelta bhi hai. Isi tarah raat ho jati hai.
Raat 8 bje dinner ke lime pe sugandha komal or Samar ko aawaz deti hai.
Sugandha - Samar... Komal.. niche aa jao mene khana lga diya hai.
Samar - abhi aaye badi maa..., Chal gudiya niche chalte hai. Badi maa bula rhi hai.
Komal - O ho.. ye maa bhi naa kabhi mujhe khelene nhi deti. Kitna maza aa rha tha. Mene aapke player ko almost maar diya tha.
Samar- itni der se to game hi khel rhe hai, or mujhe in video games ki itni practice nhi hai vrna tum jit nhi paati. Vaise asli me to fight me mujhe koi nhi hara skta.
Komal - kyu aapko kya martial arts aate hai.
Samar - Haa
Komal - kya sach me, oh my god mujhe naa martial arts bahut pasand hai. Bas mujhe aate nhi hai. Aap sikhaoge mujhe?
Samar- thik hai sikha dunga, lekin kisi se kehna mat. Samjhi.
Komal - (dhire se ) Ok
Samar - chal ab niche, vrna badi maa gussa krengi.
Is tarah ye dono niche aate hai or table pe aakar beth jate hai. Komal puchti hai - kya bnaya hai maa.
Sugandha - aaj mene sabkuch apne bete ki pasand ka bnaya hai.
Komal - hmmm meri pasand ka to kabhi kuch nhi bnati.
Sugandha - chup kar, har dusre din to apni pasand ka hi banwati hai or pura din kamre se jo maharani ki tarah aadesh deti ki mumma ye bnado vo bnado.
Ye sunkar komal sirf khilkhilakar has di
Sugandha - ye sanjana kahan reh gyi, komal jara phone to kar use.
Komal abhi phone kar hi rahi thi ki itne me sanjana tez kadmo ke sath andar aati hai.
Sugandha - aa gyi beti, chal aaja mene khana lga diya hai.
Abhi tak sanjana ka dhyan Samar par nhi gya tha, lekin jaise hi samar ne sanjana ko dekha... Uski to duniya hi tham gyi, itni khubsoorat, haseen ladki usne kabhi nhi dekhi thi. Sanjana ki khubsurati to pure college me famous thi. College ki ladkiya to usse rask karti thi. Sab ladke uspe fida the, lekin sanjana ke gusse ki vajah se kisi ladke ki himmat nhi hoti thi use prapose krne ki, jawab sabhi jante the ki inkar hi hoga. Sanjana me khubsurati ke sath sath mazbooti bhi thi, na jane kitne ladke jinhone sanjana se badtameezi ki thi... Uske thappado se apne jabde hilva chuke the.
Samar ki aankhe to mano duniya ko dekhna hi bhul gyi thi... Sanjana ne jab dekha ki samne table pe ek ladka betha use ghur rha hai to uski bauhe chad gyi. Use aise ghurne vale ladke katai pasand nhi the. Bechare Samar ka first impression hi kharab gya tha and first impression is the last impression.
Samar ka dhyan tuta komal ki awaz se...
Komal - hai naa meri didi sabse khubsurat.
Samar - Haa
Komal - kya
Samar - hmm! Kuuuch... Kuch nhi.
Komal - khane pe focus Karo Bhai vrna lene ke dene pad jayenge.
Sanjana - Maa ye kon hai.
Sugandha - beta ye samar hai, Ranjit chacha ka beta, ab se yahi rahkar pdegha.
Sanjana ne ek baar samar ko gaur se dekha aur phir apna dinner krne lagi.
Khana khane ke baad sabhi hall me TV dekh rhe the tabhi doorbell bajne ki aawaz ayi..
Sugandha ne jakar darvaza khola to samne Suresh khada tha.
Sugandha - aa gye aap, andar aaiye.
Suresh ghar ke andar aate hue sugandha se pani mangta hai.
Sugandha - (Pani dete hue) aap to 2 din baad aane vale the.
Suresh - haa, lekin kaam jaldi pura ho gya to aa gya, 2 din baad phir Jana hai. Or suno khana mat lgana. Bas mujhe aaram krna hai.
Sugandha - Ji
Itne me Samar aakar suresh ke paon chhuta hai.
Suresh - Jite raho, or gaon me sab kaise hai. Safar to thik se hua naa.
Samar- Ji Tauji, gaam me sab thik hai or safar bhi aaram se hua.
Suresh - achi baat hai, sugandha ne bataya tha tumhare bare me, jaldi hi admission ho jaega college me to komal ke sath hi padhna.
Suresh - acha ab me sone chalta hu, bahut thak gya hu. Or baccho tum bhi so jao. Ab kafi raat ho gyi hai.
Komal - Ok Papa
Suresh apne kamre me chala jata hai.
Sugandha - (sanjana se) beti tum aaj komal ke sath room share kar lo samar ke liye room Khali ho jaega.
Sanjana - kya? No mom, aap janti hai ki mujhe kisi ke sath room share krna pasand nhi. Nhi me akeli hi soungi.
Sugandha - beta abhi baki kamro me renovation ka kaam chal rha hai to koi room Khali nhi hai. Thoda adjust krna pdega.
Sanjana - No mom, isse kahiye hall me so jae.
Sugandha - (gusse me) bas, kyu hall me soega vo, mene keh Diya ki tum komal ke sath room share krogi to krogi. Discussion end.
Sanjana - Samar ko gusse se dekhkar apne pair patakte hue chali gyi.
Sugandha - Beta uski baato ka bura mat manna thodi ziddi hai ye ladki.
Samar - koi baat nhi badi maa, aapne unhe bewajah daanta me to hall me bhi so skta tha.
Sugandha Samar ko muskurakar dekhti hai or apne room me chali jati hai.
Raat me sanjana komal ke sath ek room me soti hai or apne man me sochti hai.
Sanjana - hmm mere room ko mujse chhina tujhe me chhodungi nhi bacchu. Bhondu si to shakal hai or mujse panga lene chala hai.
Apne gusse me Sanjana ne Samar ki personality par dhyan hi nhi diya ki vo kitna handsome hai.
Thanks brother, keep supporting.Mast update tha bhai Komal ka character badhiya hai samjana gusse wali hai Sugandha ka character v mast hai ek request hai females characters ke sath unki pics v add kr do kisi influencer ka ya kisi celebrity to imagine kr ke read krne ka maza hi alag hai