Oxfordian
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finally shandya and Aditya story started. Wait for next update
Vo abhi present me wapis aaye hain aur flashback me abhi hotel me hain.ab jab wo dono wapis aa gaye to plz diya or avni se ruchika ka contact rakhna phone se or phone se ruchika ki maan ki bhavano ko bhadkate rahe or ruchika se kahe ki wo mohan lal jo ki unki nazar mi ruchika ka husband hi kahi bahar hill station per ghumane ka programe banaye jaha sab khul kar masti dhamal kare
Thanks for nice review.Wow that's an amazing update, bade hi khoobsurati se aapne Sandhya ke badan ka varnan kiyaa......, let see how the Aditya and Sandhya relationship proceed......, thodhi masti aur shararat badwaoo aap innme ek peemi ke roop mein taki inke kaamutejana bade ek dusre ke prati tabhi aage kuch prem hoga....
Thank you.......
Welcome to the Thread.।।सतर्क रहें घर रहे सुरक्षित रहें।।
((ॐ))
Bahut accha review diya hai aur mujhe dukh hua ki aapko Ruchika ko thappad padne ki vajah se aap dukhi hain.Amita di thappad se thoda nirasha huyi but ye thappad unki jindagi ko naya mod dega aisa mujhe lagta hai. Baki aapne sandhya aditya ka chapter firse shuru kiya hai.. mujhe to sabse jyada ruchika aur dad ki jodi pasand hai but anyway aap baki pathako ko dhyan me rakhkar aditya sandhya par likho but ruchika dad ke updates ki kami na rahe ye ek humble request hai..
bahut hi sundar prastuti hai.शिरकत की जब इस महफ़िल ए "अमीता" में तो हसरत हुई कि एक कलाम किया जाए,
न हो कोई शर्मीन्दगी उनको न हो गुस्ताख़ी मेरी, कुछ यूं उन्हें ख़ास *सलाम* किया जाएं....???
*बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...*
तहरीर में आपकी कशिश कोई मामूली नही,
बड़ी ख़ूबसूरती से आपने काफ़िला ए ख़ास जोड़ रखा है...
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओ का दामन छोड़ रखा है..
मौजूदगी ने आपकी इस बियाड को आबाद किया,
रुहानी अल्फ़ाज़ों ने आपके इस महफ़िल को अमिता(असीम) सोज रखा है
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है
तहे दिल से है मुबारक आपको ये क़ामयाबी आपकी,
देखो ज़रा गौर करो चाहने वालो ने आपको सितारों से तोल रखा है.....
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...
कोई शर्मिंदा हो न खुद ही ज़लील हों नज़रों में अपनी,
हसरतों को अपनी बस अपनी ओर मोड़ रखा है....
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...
कोई नापाक आंकेगा कोई दागदार ठहरायेगा,
यूं तालिमों को अपनी सिकोड़ रखा है...
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...
न किसी ख़ास से शिकवा है ना किसी आम से शिकायत ही है,
बस गर्दिशों ने कुछ सितारों ने मुक़द्दर बिगाड़ रखा है....
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है..
न कोई आरज़ू है न कोई मंजिल ही इख्तियार है,
बस दिमाग़ी क़समकश ने ही निचोड़ रखा है...
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...
न है कोई साथी ही न कोई हमसफ़र रहा,
इस तन्हाई ने हौसलों को तोड़ रखा है...
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है..
आपके हुनर ने कोई चिंगारी दिखाई हौसलों को,
एक समय से इन हाथों ने कलम छोड़ रखा है....
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है...
सलामत रखे ख़ुदाया आपको और नाम ओ सोहरत को आपकी,
इन्ही चंद हर्फ़ों के साथ आपको अपना पहला "सलाम" लिखा है
बड़े अर्से से जिंदगी ने तमन्नाओं का दामन छोड़ रखा है ।।
*नए पुराने मौजूद गैर मौजूद सभी दोस्तों को नमस्कार*???
!!सचेत रहें घर रहे सुरक्षित रहें!!
।।जय हिंद ?जय हिंदुस्तान।।