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तुम्हीं को ढूँढती रहती हैं हरपल ये निगाहें क्यूँ,
मोहब्बत इस क़दर क्यूँ है कोई ये कैसे समझाएँ ,
तुम्हारी मय भरी आँखें शर्म से झुक सी जाती है,
हमारा दिल क्यूँ तोड़ा है ये दिल को कैसे समझाएँ ,
दिया है दिल तुम्हीं को ही बहारें तुमसे ही तो है,
यक़ीं ना हो तुम्हें तो फिर बताओ कैसे समझाएँ।।