• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery Safalta ka rasta

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
4,686
9,528
144
Yes use pure 6 din lage hai or agla update usne bola hai 22 ke baad dega
7.6k words count hai.
Ab samajh aaya wo ek update ke liye almost 1 week ya usse jyada hi bol raha hai. Sath hi yadi usne khud hi story banai hoti toh aur bhi jyada time lagne wala tha.
 

parkas

Well-Known Member
28,280
62,511
303
Part 1 (Guys agar ap ko acch lage to batana warna band kardunga mujhe ye story hindi me tyoe kar ke mere dost rahul ne diya hai so keh sakte hai ye do log milkar likh rahe hai agar acchi na lage ya kuch objection ho to please bata dena mai use ya to hatha dunga ya uda dunga ya story band kar dunga )

मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली। रात भर की चुदाई से सिर एक दम भारी हो रहा था। एक कप स्ट्राँग कॉफी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी पर खुद बनाने की हिम्मत नहीं थी। ‘आरव ऑफिस चल, कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा। घड़ी में देखा सुबह के सात बजे थे। काफी जल्दी थी, पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा।

मैं तैयार होकर ऑफिस पहुँचा। कंप्यूटर चालू करके मैं रिपोट्‌र्स पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि इन सात सालों में क्या से क्या हो गया। जब मैं पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिये आया था…

मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नॉर्थ इंडिया में था। मेरे पिताजी श्री आरववीर चौधरी एक सादे से किसान थे। मेरी माताजी एक घरेलू औरत थी। मेरे पिताजी बहुत सख्त थे। मेरे दो बड़े भाई अजय 27, शशी 26, और मेरी दो छोटी बहनें अंजू 23, और मंजू 21, और मैं आरव 24 इन चारों में तीसरे नंबर पर था। हम सब साथ-साथ ही रहते थे।

मैं पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट था। साथ ही मेरी मेमरी बहुत शार्प थी। इसलिये मैंने कंप्यूटर्स और फायनेन्स की परीक्षा दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया।

मैंने अपनी नौकरी की एपलीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे ईंटरव्यू के लिये बुलाया था।

दो दिन का सफ़र तय करके मैं मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा। एक नये शहर में आकर अजीब सी खुशी लग रही थी। स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया।

27 की सुबह मैं अपने इकलौते सूट में मिस्टर महेश, जनरल मैनेजर (अकाऊँट्स और फायनेन्स) के सामने पेश हुआ। मिस्टर महेश, 48 साल के इन्सान है, 5 फीट 11 की हाइट और बदन भी मजबूत था। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक परखने के बाद कहा, ‘अच्छा हुआ आरव तुम टाईम पर आ गये। तुम्हें यहाँ काम करके मज़ा आयेगा। और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चाँस भी ज्यादा है। देखता हूँ एम-डी फ़्री हो तो तुम्हें उनसे मिलवा देता हूँ, नहीं तो दूसरे काम में मसरूफ हो जायेंगे।’

मिस्टर महेश ने फोन नंबर मिलाया, ‘सर! मैं महेश, अपने नये एकाऊँटेंट मिस्टर आरव आ गये हैं, हाँ वही, क्या आप मिलना पसंद करेंगे?’ मिस्टर महेश ने आगे कहा, ‘हाँ सर! हम आ रहे हैं।… चलो आरव एम-डी से मिल लेते हैं।’

मिस्टर महेश के केबिन से निकल कर हम एम-डी के केबिन में आ गये। एम-डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था। मिस्टर रजनीश जो कंपनी के एम-डी थे और कंपनी में एम-डी के नाम से पुकारे जाते थे, अपनी कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।

‘वेलकम टू ऑर कंपनी आरव, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?’
‘सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा।’ मैंने जवाब दिया।
मिस्टर महेश बोले, ‘आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।’

हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, ‘लेडिज़ ये मिस्टर आरव हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और आरव इनसे मिलो… ये मिसेज अनिता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना।’
मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम 40 साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का 14 और लड़की 12 साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे।

मिसेज अनिता, 35 साल की शादीशुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। अनिता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी… एकदम तरबूज़ की तरह।

मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र 27 साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।

हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।

‘सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं।’ मैंने कहा।
‘शाबाश आरव, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो!’ कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।

‘देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?’ एम-डी ने कहा।
‘थैंक यू वेरी मच सर!’ मैंने जवाब दिया।
‘इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो।’ कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपाई।

मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।
एक दिन अनिता मुझसे बोली, ‘आरव! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।’
‘हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ।’ मैंने जवाब दिया।
‘मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो।’ अनिता ने कहा।
‘अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा।’ मैंने जवाब दिया।
‘तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे।’ अनिता ने कहा।
‘ठीक है।’ मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन अनिता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट 2-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
‘थैंक यू अनिता! तुम्हारा जवाब नहीं।’ मैंने कहा।
‘अरे थैंक यू की कोई बात नहीं… ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है… एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये।’ अनिता ने जवाब दिया।

ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। ‘ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?’ मैंने पूछा।
‘दो महीने का किराया एडवाँस।’ उसने जवाब दिया।
‘लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है।’ मैंने जवाब दिया।
‘कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा।’ इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

‘अनिता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे।’ मैंने कहा।
‘कुछ नहीं होगा आरव, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ।’ इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।

उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
‘अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?’ उसने पूछा।
‘कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।’ मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ

‘वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है… चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो।’ इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
‘रुक जाओ आरव, प्लीज़ रुको।’ उसने कहा।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, ‘हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।’
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
‘आरव जरा धीरे-धीरे करो।’ वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।

उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, ‘आरव तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी… है ना?’
‘हाँ!’ मैंने कहा।
‘कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे।’ इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था।

‘ओह आरव! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।’
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया।
‘आरव इस बार धीरे-धीरे चोदो… इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।’ उसने प्यार से कहा।

मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
‘ओहहहहह आरव! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहह जोओओओओर से चोदो… हाँ तेज और तेज ऊऊहहहहह’
‘बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो।’ वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।

उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, ‘हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहह चोदो आरव और जोर से… आआहहहहह… मेरा छूटने वाला है।’ उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।

मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।

‘ओह आरव! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया… इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा… आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है।’ वो बोली।
‘क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?’ मैंने पूछा।
‘चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं।’ उसने कहा।

करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।

‘ओह आरव तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गई है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।’ इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।

मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी… ‘ओह मा…आआआ…र डाला। आरव जरा धीरे… तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।’
‘अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा…, तुम डरो मत।’ इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।

‘हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहह आआहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईई।’ उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई और बोली, ‘आरव तुम बहुत अच्छे हो… ऑय लव यू।’
‘मुझे भी तुम पसंद हो अनिता।’ मैंने कहा।
अनिता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, ‘थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।’
‘नहीं आरव, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी।’ इतना कहकर वो चली गई।

उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गई थी, तरक्की हो गई, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गई। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।

अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।
‘समीना कहाँ है?’ मैंने शबनम और अनिता से पूछा।
‘लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है।’ शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।
लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी।
‘आरव चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है।’ अनिता ने कहा।
‘आरव, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो अनिता तुम्हें दिखाने ले गई थी?’ शबनम ने पूछा।
‘काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो अनिता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता।’ मैंने जवाब दिया।
पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से अनिता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।
अनिता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।
एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, ‘आरव आज मेरी तुम गाँड मारो।’
ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, ‘पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।’
‘अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात… तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे।’ उसने कहा।

मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि ‘ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा… पर एक शर्त पर… अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?’
उसने कहा ‘ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?’
‘क्यों वेसलीन का क्या करोगी?’ मैंने पूछा।
‘वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो।’ उसने कहा।

मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, ‘अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।’

मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।
‘मममम… अच्छा लग रहा है आरव, अब तड़पाओ नहीं… प्लीज़! जल्दी से डाल दो।’ इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।
मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया। ‘ओहहहहह आरव! जरा धीरे डालो, दर्द होता है, थोड़ा सा प्यार से घुसेड़ो ना।’ वो दर्द से करहाते हुए बोली।

मैं धीरे-धीरे उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। किसी की गाँड मारने का मेरा पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं जोर-जोर से अब उसकी गाँड मार रहा था। वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी, साथ ही अपनी चूत को अँगुली से चोद रही थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गाँड में कर दी। उसकी गाँड मेरे पानी से भर सी गई थी और बूँदें ज़मीन पर चू रही थी।
मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर वो बोली, ‘कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?’
‘गाँड को।’ मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
समय के साथ साथ अनिता और मेरा रिश्ता बढ़ता गया। साथ-साथ ही शबनम का शक भी बढ़ रहा था।
एक दिन शाम को जब मैं अनिता के कपड़े उतार रहा था तो उसी समय दरवाजे पर घंटी बजी।
मैंने दरवाजा खोला तो शबनम को वहाँ पर खड़े पाया। मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गई। जब उसने अनिता को बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे देखा तो बोली, ‘अब समझी… तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है, तो मेरा शक सही निकला।’
शबनम को वहाँ देख कर अनिता नाराज़ हो गई, ‘तुम यहाँ पर क्यों आयी हो, हमारा मज़ा खराब करने?’
‘अरे नहीं यार मैं मज़ा खराब करने नहीं बल्कि तुम लोगों का साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ।’ ये कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

शबनम का बदन देख कर लगता नहीं था कि वो 40 साल की है। उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थी। निप्पल भी काले और दाना मोटा था। उसकी चूत पर हल्के से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सुंदर बना रहे थे। उसका नंगा जिस्म और लंबी गोरी टाँगें और पैरों में गहरे ब्राऊन रंग के हाई हील के सैंडल देख कर ही मेरा लंड तन गया था।
‘आरव! आज इसकी चूत और गाँड इतनी जोर-जोर से चोदो कि इसे नानी याद आ जाये कि मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है।’ अनिता ने कहा।

मैंने शबनम को बिस्तर पर लिटाकर उसकी टाँगों को घुटनों के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया, और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
‘ओहहहहह… आरव… तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है। मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से चोदो, फाड़ डालो इसे।’ वो मज़े लेते हुए बोल पड़ी।
मैंने अपना लंड बाहर खींचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया।

‘याआआआआ हाँआँआँआँ ऐसे… एएएएए… चोदो…ओओओ, जोर से।’ उसके मुँह से सिसकरी भरी आवाज़ें निकल रही थी।
थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गई। उसकी साँसें मारे उन्माद के उखड़ रही थी।
‘ओहहहह आरव… जोरररर… से जल्दीईईईई जल्दीईईई डालो… मेरा अब छूटने वाला है..ऐऐऐ। प्लीज़ जोर से चोदो…ओओओ।’ इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पढ़ गई।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। लगा जैसे मेरा लंड उसकी बच्चे दानी से टकरा रहा था।
जब हमारी साँसें संभलीं तो उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, ‘ओह आरव, मज़ा आ गया। आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं चोदा है, ऑय लव यू डार्लिंग।’
‘क्यों क्या तुम्हारा शौहर तुम्हें नहीं चोदता?’
‘चोदता है! लेकिन हफ़्ते में एक बार। वो अब बुढा हो गया है, दो मिनट में ही झड़ जाता है और मेरी चूत प्यासी रह जाती है। मुझे जोरदार चुदाई पसंद है जैसे तुम करते हो।’ शबनम बोली।
शबनम ने मुझे अनिता पर ढकेलते हुए कहा, अब तुम अनिता को चोदो… ‘हमारी चुदाई देख कर इसकी चूत म्यूंसिपल्टी के नल की तरह चू रही है।’
‘नहीं आरव, आज शबनम को तुम्हारे लंड का मज़ा लेने दो। मैं तो कईं महीनों से मज़ा ले रही हूँ।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘ओह अनिता! तुम कितनी अच्छी हो…’ ये कह कर शबनम मेरे लंड को सहलाने लगी। मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था। उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी।
‘ओह आरव! अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।’ वो कहने लगी।
मैंने अपना लौड़ा जोर से उसकी चूत में डाल दिया और जोर से उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का पानी छूट गया।
जब हम चुदाई करके अलग हुए तो अनिता बोली, ‘आरव! अब शबनम की गाँड मारो।’
‘ठीक है! मैं इसकी गाँड भी मारूँगा पहले मेरे लंड को फिर से खड़ा तो होने दो, तब तक तुम जा कर वेसलीन क्यों नहीं ले आती।’ मैंने कहा।
‘शबनम क्या तुम्हें वेसलीन की जरूरत है?’ अनिता ने शबनम से पूछा।
‘हाँ यार वेसलीन तो लगानी पड़ेगी, नहीं तो आरव का मोटा और लंबा लंड तो मेरी गाँड ही फाड़ के रख देगा।’ शबनम ने जवाब दिया।
उसकी गाँड और अपने लंड पर वेसलीन लगाने के बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया वो दर्द के मारे चिल्ला उठी, ‘आरव!!!! दर्द हो रहा है बाहर निकालो!’
मैंने उसकी बात सुने बिना जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया, और जोर- जोर से अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर में उसे भी गाँड मरवाने में मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना पानी उसकी गाँड में उढ़ेल दिया।
वो दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिये तैयार हो गई। फ़िर आने का वादा कर के दोनों चली गई। अब अनिता और शबनम हफ़्ते में तीन चार दिन आने लग गई। हम लोग जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन मैंने कहा, ‘तुम दोनों साथ-साथ क्यों आती हो? और अकेले आओगी तो मैं अच्छी तरह से तुम्हारी चुदाई कर सकुँगा और अगली रात मुझे अकेले भी नहीं सोना पड़ेगा।’
‘नहीं आरव! हम लोग साथ में ही आयेंगे… इससे किसी को शक नहीं होगा।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘ठीक है जैसे तुम लोगों की मरज़ी। क्या तुम दोनों संडे को नहीं आ सकती जिससे हमें ज्यादा वक्त मिलेगा।’ मैंने पूछा।
‘नहीं आरव… संडे को हम हमारे परिवार के साथ रहना चाहते हैं।’
मुझे सोचते हुए देख शबनम ने कहा, ‘तुम समीना को क्यों नहीं बुला लेते, उसका हसबैंड दुबई में है और वो अकेली रहती है।’
मैंने चौंकते हुए पूछा, ‘तुम्हें क्या लगता है वो आयेगी?’
‘क्यों नहीं आयेगी??? जरूर आयेगी!!! अब ये मत बोलना कि तुमने उसे नहीं चोदा है।’ शबनम ने कहा।
‘चोदा तो नहीं पर चोदना जरूर चाहुँगा, वो बहुत ही सुंदर है।’
‘हाँ! सुंदर भी है और हम दोनों से छोटी भी… तुम्हें बहुत मज़ा आयेगा।’ शबनम ने हँसते हुए कहा।
‘अरे तुम दोनों बुरा मत मानो… मैंने तो ऐसे ही कह दिया था।’
‘अरे नहीं!!!! हमें बुरा नहीं लगा। तुम्हें समीना को चोदना अच्छा लगेगा। उसकी चूत भी कसी-कसी है, क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं हुआ है ना। वैसे भी सुना है कि मर्दों को कसी चूत अच्छी लगती है।’ अनिता ने कहा।
‘तुम्हें कैसे मालूम कि वो आयेगी?’ मैंने पूछा।
‘तो तुम्हें नहीं मालूम?????’ शबनम ने अनिता की तरफ मुड़ कर पूछा, ‘तो तुमने आरव को कुछ भी नहीं बताया?’ अनिता ने ना में सिर हिला दिया।
‘मुझे क्या नहीं मालूम, चलो साफ साफ बताओ कि बात क्या है।’ मैंने कहा।
‘ठीक है! मैं तुम्हें बताती हूँ!!!’ शबनम ने कहा, ‘हमारी कंपनी आज से 15 साल पहले मिस्टर संजय ने शुरू की थी। वो इंसान अच्छे थे पर उनकी पॉलिसीज़ गलत थी। इसलिये कंपनी में मुनाफा कम होता था और हम लोगों की सैलरी भी कम थी। मगर मिस्टर संजय की डैथ एक प्लेन क्रैश में हो गई और सारा भार उनकी विधवा मिसेज योगिता पर आ गया। शुरू में तो वो सब काम संभालती थी पर बाद में उन्हें लगा कि ये उनके बस का नहीं है… सो उन्होंने अपने रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को कंपनी का एम-डी बना दिया।’
‘मिस्टर रजनीश काफी पढ़े लिखे हैं और होशियार भी। थोड़े ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने लगा। जैसे मुनाफा बढ़ा हम लोगों की सैलरी भी बढ़ गई।’
‘कम ऑन शबनम!!! ये सब मुझे मालूम है, मुझे वो बताओ जो मुझे नहीं मालूम है।’ मैंने कहा।
‘ठीक है मैं बताती हूँ।’ अनिता ने कहा, ‘अपने एम-डी चुदाई के बहुत शौकीन हैं। जब हम नये ऑफिस में शिफ़्ट हुए तो उन्होंने चूतों की खोज करनी शुरू कर दी। इस काम के लिये उन्हें मिस्टर महेश मिल गये।’
‘तुम्हारा मतलब अपने मिस्टर महेश?’ मैंने पूछा।
‘हाँ वही!!!’ अनिता ने सहमती में कहा।
‘क्या औरतों ने बुरा नहीं माना?’ मैंने पूछा।
‘शुरू में माना पर एम-डी ने एकदम क्लीयर कर दिया कि नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा। इसलिये वो शादीशुदा औरतों को ही रखता था जिससे किसी को कोई शक ना हो।’ अनिता ने कहा।
‘तुम्हारे कहने का मतलब कि ऑफिस की सभी लेडिज़ चुदवाती हैं?’ मैंने पूछा।
‘हाँ सभी चुदवाती हैं आरव! देखो… एक तो सैलरी भी डबल मिलती है, और काम भी अच्छा है। ऐसी नौकरियाँ रोज़ तो नहीं मिलती ना। और अगर ऐसी नौकरी के लिये एक दो बार चुदवाना भी पड़ गया तो क्या फ़र्क पड़ता है।’ अनिता ने कहा।
‘और एक बात तुमने नोटिस की है आरव! ऑफिस में काम करने वाली सभी लेडीज़ हमेशा हाई हील्स की सैंडल पहनती हैं… ये भी महेश और एम-डी की रिक्वायरमेंट है… चुदवाते वक्त भी हमें सैंडल पहने रखना होता है… हमारे लिये तो अच्छा ही है… हम औरतों को तो नये कपड़े सैंडल इत्यादि खरीदने का शौक होता ही है और हमारी कंपनी की तरफ से हर महीने दो हज़ार रुपये तक का सैंडलों का खर्च रिएम्बर्स हो जाता है।’ शबनम बोली।
‘यह हाई हील के सैंडल पहनने की पॉलिसी तो अच्छी है!!! औरतें ज्यादा सैक्सी और स्मार्ट लगती हैं… पर इसका मतलब तुम दोनों भी एम-डी और मिस्टर महेश से चुदवाती हो?’ मैंने पूछा।
‘हाँ दिल खोलकर और मज़े लेकर।’ दोनों ने जवाब दिया।
‘तुम्हारा मतलब है ये सब ऑफिस में होता है?’ मैंने फ़िर सवाल किया।
‘हाँ ऑफिस में भी और होटल शेराटन में भी। वहाँ पर एम-डी ने पूरे साल के लिये एक सूईट बुक कराया हुआ है।’ शबनम बोली।
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था और मैं अजीब नज़रों से दोनों को घूर रहा था।
मुझे घुरते देख अनिता बोली, ‘शबनम इसे तब तक विश्वास नहीं आयेगा जब तक ये अपनी आँखों से नहीं देख लेगा। एक काम करते हैं… संडे को समीना को बुलाते हैं और उसी से सुनते हैं कि वो इस जाल में कैसे फँसी। लेकिन पहले उसे यहाँ आने पर तैयार करना है और उसे आरव के लंड का मज़ा चखाना है।’
‘ये संडे को मेरा बर्थडे है… तो क्यों नहीं मैं तुम तीनों को दोपहर के खाने पर दावत दूँ?’ मैंने कहा।
‘ये ठीक रहेगा… इस तरह समीना न भी नहीं बोल पायेगी।’ शबनम बोली।
अपनी गर्दन हिलाते हुए मैंने कहा, ‘मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे लग रहा है जैसे मैं किसी रंडी खाने में काम कर रहा हूँ।’
इतने में शबनम ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, ‘तुम्हें तो खुश होना चाहिये आरव, रोज़ नयी और कुँवारी चूत मिलेगी चोदने के लिये। और अगर बात फ़ैल गई कि तुम्हारा लंड इतना लंबा और मोटा है तो थोड़े ही दिनों में तुम ऑफिस की हर लड़की को चोद चुके होगे। सब एक से बढ़ कर एक चुदक्कड़ हैं… तुम्हारे लंड की तो खैर नहीं… मेरी मानो तो वायग्रा का स्टॉक जमा कर लो… बहुत जरूरत पड़ेगी… चलो अब एक बार हम दोनों को और चोद दो।’
संडे के दिन मैं जल्दी उठ गया और खाने का इंतज़ाम करने लगा। ठीक बारह बजे वो तीनों आ गई। शबनम ने लाल कलर की साड़ी पहनी थी, और अनिता ने हरे रंग की। समीना ने स्लीवलेस ब्लाऊज़ के साथ ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। शबनम ने काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे और बाकी दोनों ने सफ़ेद रंग के सैंडल पहने थे। तीनों बहुत ही सुंदर लग रही थी।
मैंने उन तीनों को सोफ़े पर बैठने को कहा और खुद उनके सामने बैठ गया। थोड़ी देर बाद तीनों को ठंडी बियर की बोतलें और तीन ग्लास देकर मैंने कहा ‘तुम तीनों बातें करो, तब तक मैं खाने का इंतज़ाम करके आता हूँ।’
ये हमारे प्लैन के तहत हो रहा था जो हमने पिछले दिन तैयार किया था। इसलिये मैं किचन में ना जा कर बाहर दरवाजे से उनकी बातें सुनने लगा।
वो तीनों बियर पीती हुई बातें करती रही। कुछ देर बाद जब बियर का कुछ असर हुआ तो शबनम ने समीना से पूछा, ‘अच्छा समीना! तुम्हारी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ?’
‘कैसी सैक्स लाइफ? तुम्हें तो पता है मेरे शौहर तो बाहर रहते हैं।’
‘हमें पागल मत बनाओ, हम सब जानते हैं, तुम मिस्टर महेश के साथ क्या करती हो, जब अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाने होते हैं।’
‘क्या मतलब तुम्हारा?’ समीना ने जल्दी से कहा।
‘अरे पगली तेरे आने से पहले हम ही उसका अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाते थे।’
‘तो क्या उसने तुम दोनों को भी चोदा है?’ समीना ने पूछा।
‘आज से नहीं! वो हमें कई सालों से चोद रहा है।’ शबनम ने जवाब दिया।
‘मैं तो समझती थी कि मैं अकेली ही हूँ’ समीना बोली।
‘अरे हम तो ये भी जानते हैं कि तू उस स्टोर मैनेजर के साथ क्या करती है।’ अनिता ने कहा।
‘बाप रे! तुम्हें उसके बारे में भी पता है, क्या तुम लोग मेरा पीछा करती रहती हो?’ समीना थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली।
‘नाराज़ मत हो, हम तेरा पीछा नहीं करते पर ऑफिस में क्या हो रहा इस बात की जानकारी जरूर रखते हैं।’ शबनम ने कहा।
‘समीना जब महेश तुम्हारी चूत का खयाल रखता है तो तुम उस स्टोर मैनेजर से क्यों चुदवाती हो?’ अनिता ने पूछा।
‘अनिता तुम्हें तो पता है कि मिस्टर महेश को सिर्फ़ मम्मे और गाँड मारना पसंद है। पक्का गाँडू है वो। इसलिये मेरी चूत प्यासी रह जाती है। एक दिन मैं स्टोर में कुछ सामान लेने गई और मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी, बस तभी मैंने इस मैनेजर को देखा और उसे मैंने चोदने के लिये पटा लिया। अब मैनेजर मेरी चूत चोदता है और महेश मेरी गाँड। इस तरह मेरी दोनों भूख मिट जाती हैं। महेश ने तो मुझे ब्रा पहनने को भी मना किया है, देखो इस वक्त भी नहीं पहनी हूँ।’ उसने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोल कर दिखाया।
उसकी नाज़ुक और नरम चूचियाँ देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा गो गया।
अनिता ने अपने दोनों हाथ उसके ब्लाऊज़ में डाल दिये और उसके मम्मों को दबाने लगी।
‘हे! इन्हें इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाऊँगी।’ समीना हँसती हुई अपने ब्लाऊज़ के बटन बंद करने लगी।
‘अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी।’ अनिता ने पूछा।
‘नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गई।’
‘इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गई?’ अनिता ने पूछा।
‘हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा।’ समीना ने हँसते हुआ कहा, ‘एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।’
‘तुमने मना नहीं किया?’ शबनम ने पूछा।
‘शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया।’ समीना हँसते हुए बोली।
‘क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?’ अनिता ने पूछा।
‘नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी।’ समीना बोली।
‘महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?’ शबनम ने पूछा।
‘महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?’ समीना ने कहा। अनिता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, ‘हाँ मालूम है।’
‘अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता।’ समीना ने कहा।
‘हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और…’ शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
‘क्या आरव तुम दोनों को चोद रहा है?’ समीना ने चौंकते हुए पूछा।
‘हाँ! कई महीनों से।’ अनिता हँसते हुए बोली, ‘अगर तू चाहे तो आरव तुझे भी चोद सकता है।’
‘ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ।’ समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, ‘मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?’
‘मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि आरव का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है।’ शबनम बोली।
‘ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता।’ समीना बोली।
‘अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना… मैं उसे अभी बुलाती हूँ…’
‘नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी।’ समीना ने अनिता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद अनिता ने मुझे आवाज़ लगायी, ‘आरव… यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।’
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। ‘किसने मुझे पुकारा?’ मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, अनिता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, ‘तुम खुद देख लो।’
‘हाय अल्लाह! आरव तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।’ समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।

मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। अनिता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।

‘शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है।’ अनिता हँसते हुए बोली।

‘नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये।’ शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। ‘आरव! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो।’ शबनम बोली।
‘आरव! समीना को चोदते क्यों नहीं?’ इतने में अनिता भी बोली।
‘हाँ आरव! मुझे चोदो ना अब रहा नहीं जाता।’ समीना ने धीरे से कहा।
मैंने समीना को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। फिर उसके ऊपर लेट कर मैं उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा।

समीना की सिसकरियाँ तेज हो रही थी। मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से दबाने लगा। कभी जोर से भींच लेता तो वो उछल पड़ती।

उसकी बाँहें मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।
जैसे ही मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा, समीना पागल हो गई, ‘ओह आरव! ये क्या कर रहे हो, आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया, हाय अल्लाह! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ जोर-जोर से चाटो हाँआँआँआँ।’ वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
मैंने अनिता को कहते सुना, ‘देख शबनम! आरव समीना की चूत चाट रहा है। उसने मेरी तो चूत कभी नहीं चाटी, क्या तुम्हारी चाटी है?’
‘नहीं! मेरी भी नहीं चाटी, लगता है समीना की बिना बालों की बिल्कुल चिकनी चूत ने आरव को उक्सा दिया।’ शबनम बोली।
‘बाल तो मैं भी साफ करती हूँ पर मेरी चूत इतनी चिकनी नहीं हो पाती… थोड़े से रोंये रह ही जाते हैं… हमें तुरंत कुछ करना चाहिये।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘हाँ कुछ करेंगे, पहले इन्हें तो देख लें।’ शबनम बोली।
मैंने समीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाटी पर कर दिया जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह बड़ा जरूर था पर अनिता और शबनम जितना नहीं। मैं अपनी जीभ जो-जोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
‘ओहहहह… आआआआहहहहह… ओहहहह… आरव!’ इतना कहते हुए समीना दूसरी बार झड़ गई।
‘ओह आरव अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।’ प्लीज़! समीना गिड़गिड़ाने लगी।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वो बोली, ‘आरव! धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।’
अनिता और शबनम की तरफ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। ‘तुम्हारा मतलब ऐसे?’ मैंने कहा।
‘ओहहहहह म म म मर गई, तुम बड़े बदमाश हो जब मैंने धीरे से डालने को कहा तो तुमने इतनी जोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है ना!’ उसने तड़पते हुए कहा।
‘सॉरी डार्लिंग! तुम चुदाई में इतनी एक्सपीरियंस्ड हो तो मैं समझा तुम मजाक कर रही हो, क्या ज्यादा दर्द हो रहा?’ यह कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
‘ओह आरव बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आआआहहहहह… आरव आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। हाँ राजा… जोर से चोदते जाओ, ओहहहहहह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही।’ समीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कुल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
अनिता और शबनम ने सच कहा था, समीना की चूत वाकय में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गाँड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था।

अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे जोर से भींच लिया। ‘ऊऊऊऊऊ आरव मेरी चूऊऊत गई…।’ कहकर वो निढाल हो गई। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों की साँसें तेज चल रही थी।
हम दोनों थक कर लेटे हुए थे कि अनिता और शबनम बाहर जाने लगी। मैंने पूछा, ‘कहाँ जा रही हो?’
‘बाज़ार से थोड़ा सामान लेकर आ रहे हैं, तब तक तुम समीना से मज़े लेते रहो।’ इतना कह कर अनिता और शबनम चली गईं।
‘हाँ! ये अच्छी बात है, आरव मुझे फ़िर से चोदो।’ समीना ने ये कहकर एक बार फ़िर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।
जब तक अनिता और शबनम लौटीं, हम लोग थक कर चूर हो चुके थे।
‘आओ चल कर कुछ खाना खा लो… फ़िर लंच के बाद करेंगे।’ शबनम ये कह कर खाना लगाने लगी। खाना खाने के बाद ड्रिंक्स का दौर चला और हम सब ने दो-दो पैग रम के पी लिये।
‘लेकिन अनिता और शबनम, ये अच्छी बात नहीं है कि हम दोनों तो नंगे हैं और तुम दोनों कपड़े पहने हुए हो। आरव! आओ हम लोग इनके कपड़े उतार दें।’ यह कहकर समीना अनिता को नंगा करने लगी और मैं शबनम को। अब हम सब पूरे नंगे थे। तीनों औरतों ने सिर्फ अपने-अपने हाई-हील सैंडल पहने हुए थे।
‘समीना अब हमें चूत के बाल साफ़ करना सिखाओ, हम बाज़ार से एन-फ्रेंच क्रीम ले आये हैं।’ अनिता ने कहा।
‘लाओ सिखाती हूँ’ ये कह कर समीना उन दोनों की चूत पर और गाँड की दरार में क्रीम लगाने लगी। मैं उन दोनों के देखते हुए अपनी ड्रिंक ले रहा था।
‘आरव हमारी बिन बालों की चूत अब कैसी लग रही है?’ शबनम ने पूछा।
‘बहुत सुंदर और अच्छी।’ ये कह कर मैं अनिता की जाँघों के बीच आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। अब मैं बारी बारी से दोनों कि चूत चाट और चूस रहा था। थोड़ी देर में दोनों झड़ गई।
हम लोग शाम तक चुदाई करते रहे। मुझे नहीं मालूम शराब के नशे में मैं कब सो गया और कब तीनों चुदैल औरतें मुझे सोता छोड़ कर चली गई।
सुबह मैं तैयार होकर अपने केबिन में किसी सोच में डूबा था कि अचानक किसी की हँसी सुनकर मैंने नज़रें उठायीं तो तीनों को अपने सामने पाया।
‘गुड मोर्निंग आरव!!!’ तीनों ने साथ में कहा।
‘इतनी जोर से नहीं, कोई सुन लेगा, इस समय मुझे एक कप कॉफी चाहिये।’ मैंने कहा।
‘मैं लाती हूँ!’ यह कहकर समीना अपनी सैंडल की हील खटखटाती हुई कॉफी लाने चली गई।
मुझे अनिता कुछ अपसेट लग रही थी। ‘क्या बात है अनिता, तुम कुछ परेशान हो?’ मैंने पूछा।
‘मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।’ अनिता ने कहा।
‘मुझसे, कहो क्या बात है?’ मैंने कहा।
‘आरव! अगर आज के बाद जब मैं तुम्हारा लौड़ा चूस रही हूँ तो सो मत जाना वर्ना मैं उस दिन के बाद…’ उसने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
‘हाँ बोलो ना कि आज के बाद तुम आरव से नहीं चुदवाओगी।’ समीना ने हँसते हुए कहा।
‘नहीं! मैं ये नहीं कह सकती, मैं आरव के लंड के बिना नहीं रह सकती। आरव! बस इतनी सी बात है कि मैं तुम्हारे लंड को चूस कर उसका पानी पीने को तरस रही थी और तुम… क्या कहूँ… ड्रिंक तो हम लोगों ने भी खूब की थी… हमें भी नशा चढ़ा हुआ था पर इतनी भी तो नहीं पीनी चाहिये कि बेहोश ही हो जाओ, अगर हम में से कोई इतना पी कर सो जाती तो कुछ फर्क नहीं पड़ता था पर तुम्हारे लंड पर तीन-तीन औरतें डिपेंडेंट थीं।’ अनिता ने कहा।
‘अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो, ऑय एम सॉरी! मैं आगे से ज्यादा ड्रिंक नहीं करूँगा, अब सब काम पर लग जाओ।’ मैंने कहा।
मैं बहुत खुश था, अनिता और शबनम हफते में तीन बार आती थी, और समीना सैटरडे को शाम को आती थी और संडे शाम तक मेरे साथ रहती थी। समय मस्ती में कट रहा था।
कहानी जारी रहेगी.
Nice and beautiful update....
 
  • Like
Reactions: ayush01111

Skb21

Well-Known Member
2,558
4,258
158
Iss kathanak ka plot Safar meri kismat ka se milta hai sirf apni behno ko pyar karne or chodne ke alawa
 
  • Like
Reactions: parkas

ayush01111

Well-Known Member
2,327
2,530
144
Iss kathanak ka plot Safar meri kismat ka se milta hai sirf apni behno ko pyar karne or chodne ke alawa
Let's see maine bataya bahut sari story's ko padh kar kuch socha hai maine and likha dostvne hai dekhte hai agar ye story milti multi lagi to bata dena bhai delete Kar dunga
 
  • Like
Reactions: parkas

dhparikh

Well-Known Member
10,459
12,085
228
Part 1 (Guys agar ap ko acch lage to batana warna band kardunga mujhe ye story hindi me tyoe kar ke mere dost rahul ne diya hai so keh sakte hai ye do log milkar likh rahe hai agar acchi na lage ya kuch objection ho to please bata dena mai use ya to hatha dunga ya uda dunga ya story band kar dunga )

मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली। रात भर की चुदाई से सिर एक दम भारी हो रहा था। एक कप स्ट्राँग कॉफी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी पर खुद बनाने की हिम्मत नहीं थी। ‘आरव ऑफिस चल, कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा। घड़ी में देखा सुबह के सात बजे थे। काफी जल्दी थी, पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा।

मैं तैयार होकर ऑफिस पहुँचा। कंप्यूटर चालू करके मैं रिपोट्‌र्स पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि इन सात सालों में क्या से क्या हो गया। जब मैं पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिये आया था…

मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नॉर्थ इंडिया में था। मेरे पिताजी श्री आरववीर चौधरी एक सादे से किसान थे। मेरी माताजी एक घरेलू औरत थी। मेरे पिताजी बहुत सख्त थे। मेरे दो बड़े भाई अजय 27, शशी 26, और मेरी दो छोटी बहनें अंजू 23, और मंजू 21, और मैं आरव 24 इन चारों में तीसरे नंबर पर था। हम सब साथ-साथ ही रहते थे।

मैं पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट था। साथ ही मेरी मेमरी बहुत शार्प थी। इसलिये मैंने कंप्यूटर्स और फायनेन्स की परीक्षा दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया।

मैंने अपनी नौकरी की एपलीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे ईंटरव्यू के लिये बुलाया था।

दो दिन का सफ़र तय करके मैं मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा। एक नये शहर में आकर अजीब सी खुशी लग रही थी। स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया।

27 की सुबह मैं अपने इकलौते सूट में मिस्टर महेश, जनरल मैनेजर (अकाऊँट्स और फायनेन्स) के सामने पेश हुआ। मिस्टर महेश, 48 साल के इन्सान है, 5 फीट 11 की हाइट और बदन भी मजबूत था। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक परखने के बाद कहा, ‘अच्छा हुआ आरव तुम टाईम पर आ गये। तुम्हें यहाँ काम करके मज़ा आयेगा। और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चाँस भी ज्यादा है। देखता हूँ एम-डी फ़्री हो तो तुम्हें उनसे मिलवा देता हूँ, नहीं तो दूसरे काम में मसरूफ हो जायेंगे।’

मिस्टर महेश ने फोन नंबर मिलाया, ‘सर! मैं महेश, अपने नये एकाऊँटेंट मिस्टर आरव आ गये हैं, हाँ वही, क्या आप मिलना पसंद करेंगे?’ मिस्टर महेश ने आगे कहा, ‘हाँ सर! हम आ रहे हैं।… चलो आरव एम-डी से मिल लेते हैं।’

मिस्टर महेश के केबिन से निकल कर हम एम-डी के केबिन में आ गये। एम-डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था। मिस्टर रजनीश जो कंपनी के एम-डी थे और कंपनी में एम-डी के नाम से पुकारे जाते थे, अपनी कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।

‘वेलकम टू ऑर कंपनी आरव, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?’
‘सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा।’ मैंने जवाब दिया।
मिस्टर महेश बोले, ‘आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।’

हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, ‘लेडिज़ ये मिस्टर आरव हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और आरव इनसे मिलो… ये मिसेज अनिता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना।’
मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम 40 साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का 14 और लड़की 12 साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे।

मिसेज अनिता, 35 साल की शादीशुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। अनिता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी… एकदम तरबूज़ की तरह।

मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र 27 साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।

हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।

‘सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं।’ मैंने कहा।
‘शाबाश आरव, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो!’ कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।

‘देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?’ एम-डी ने कहा।
‘थैंक यू वेरी मच सर!’ मैंने जवाब दिया।
‘इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो।’ कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपाई।

मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।
एक दिन अनिता मुझसे बोली, ‘आरव! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।’
‘हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ।’ मैंने जवाब दिया।
‘मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो।’ अनिता ने कहा।
‘अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा।’ मैंने जवाब दिया।
‘तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे।’ अनिता ने कहा।
‘ठीक है।’ मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन अनिता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट 2-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
‘थैंक यू अनिता! तुम्हारा जवाब नहीं।’ मैंने कहा।
‘अरे थैंक यू की कोई बात नहीं… ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है… एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये।’ अनिता ने जवाब दिया।

ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। ‘ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?’ मैंने पूछा।
‘दो महीने का किराया एडवाँस।’ उसने जवाब दिया।
‘लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है।’ मैंने जवाब दिया।
‘कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा।’ इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

‘अनिता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गई हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे।’ मैंने कहा।
‘कुछ नहीं होगा आरव, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ।’ इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।

उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
‘अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?’ उसने पूछा।
‘कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।’ मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ

‘वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है… चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो।’ इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
‘रुक जाओ आरव, प्लीज़ रुको।’ उसने कहा।
‘क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, ‘हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।’
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
‘आरव जरा धीरे-धीरे करो।’ वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।

उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, ‘आरव तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी… है ना?’
‘हाँ!’ मैंने कहा।
‘कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे।’ इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था।

‘ओह आरव! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।’
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया।
‘आरव इस बार धीरे-धीरे चोदो… इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।’ उसने प्यार से कहा।

मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
‘ओहहहहह आरव! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहह जोओओओओर से चोदो… हाँ तेज और तेज ऊऊहहहहह’
‘बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो।’ वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।

उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, ‘हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहह चोदो आरव और जोर से… आआहहहहह… मेरा छूटने वाला है।’ उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।

मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।

‘ओह आरव! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया… इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा… आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है।’ वो बोली।
‘क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?’ मैंने पूछा।
‘चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं।’ उसने कहा।

करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।

‘ओह आरव तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गई है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।’ इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।

मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी… ‘ओह मा…आआआ…र डाला। आरव जरा धीरे… तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।’
‘अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा…, तुम डरो मत।’ इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।

‘हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहह आआहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईई।’ उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई और बोली, ‘आरव तुम बहुत अच्छे हो… ऑय लव यू।’
‘मुझे भी तुम पसंद हो अनिता।’ मैंने कहा।
अनिता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, ‘थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।’
‘नहीं आरव, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी।’ इतना कहकर वो चली गई।

उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गई थी, तरक्की हो गई, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गई। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।

अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।
‘समीना कहाँ है?’ मैंने शबनम और अनिता से पूछा।
‘लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है।’ शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।
लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी।
‘आरव चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है।’ अनिता ने कहा।
‘आरव, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो अनिता तुम्हें दिखाने ले गई थी?’ शबनम ने पूछा।
‘काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो अनिता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता।’ मैंने जवाब दिया।
पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से अनिता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।
अनिता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।
एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, ‘आरव आज मेरी तुम गाँड मारो।’
ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, ‘पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।’
‘अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात… तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे।’ उसने कहा।

मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि ‘ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा… पर एक शर्त पर… अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?’
उसने कहा ‘ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?’
‘क्यों वेसलीन का क्या करोगी?’ मैंने पूछा।
‘वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो।’ उसने कहा।

मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, ‘अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।’

मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।
‘मममम… अच्छा लग रहा है आरव, अब तड़पाओ नहीं… प्लीज़! जल्दी से डाल दो।’ इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।
मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया। ‘ओहहहहह आरव! जरा धीरे डालो, दर्द होता है, थोड़ा सा प्यार से घुसेड़ो ना।’ वो दर्द से करहाते हुए बोली।

मैं धीरे-धीरे उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। किसी की गाँड मारने का मेरा पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं जोर-जोर से अब उसकी गाँड मार रहा था। वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी, साथ ही अपनी चूत को अँगुली से चोद रही थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गाँड में कर दी। उसकी गाँड मेरे पानी से भर सी गई थी और बूँदें ज़मीन पर चू रही थी।
मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर वो बोली, ‘कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?’
‘गाँड को।’ मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
समय के साथ साथ अनिता और मेरा रिश्ता बढ़ता गया। साथ-साथ ही शबनम का शक भी बढ़ रहा था।
एक दिन शाम को जब मैं अनिता के कपड़े उतार रहा था तो उसी समय दरवाजे पर घंटी बजी।
मैंने दरवाजा खोला तो शबनम को वहाँ पर खड़े पाया। मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गई। जब उसने अनिता को बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे देखा तो बोली, ‘अब समझी… तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है, तो मेरा शक सही निकला।’
शबनम को वहाँ देख कर अनिता नाराज़ हो गई, ‘तुम यहाँ पर क्यों आयी हो, हमारा मज़ा खराब करने?’
‘अरे नहीं यार मैं मज़ा खराब करने नहीं बल्कि तुम लोगों का साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ।’ ये कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

शबनम का बदन देख कर लगता नहीं था कि वो 40 साल की है। उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थी। निप्पल भी काले और दाना मोटा था। उसकी चूत पर हल्के से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सुंदर बना रहे थे। उसका नंगा जिस्म और लंबी गोरी टाँगें और पैरों में गहरे ब्राऊन रंग के हाई हील के सैंडल देख कर ही मेरा लंड तन गया था।
‘आरव! आज इसकी चूत और गाँड इतनी जोर-जोर से चोदो कि इसे नानी याद आ जाये कि मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है।’ अनिता ने कहा।

मैंने शबनम को बिस्तर पर लिटाकर उसकी टाँगों को घुटनों के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया, और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
‘ओहहहहह… आरव… तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है। मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से चोदो, फाड़ डालो इसे।’ वो मज़े लेते हुए बोल पड़ी।
मैंने अपना लंड बाहर खींचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया।

‘याआआआआ हाँआँआँआँ ऐसे… एएएएए… चोदो…ओओओ, जोर से।’ उसके मुँह से सिसकरी भरी आवाज़ें निकल रही थी।
थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गई। उसकी साँसें मारे उन्माद के उखड़ रही थी।
‘ओहहहह आरव… जोरररर… से जल्दीईईईई जल्दीईईई डालो… मेरा अब छूटने वाला है..ऐऐऐ। प्लीज़ जोर से चोदो…ओओओ।’ इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पढ़ गई।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। लगा जैसे मेरा लंड उसकी बच्चे दानी से टकरा रहा था।
जब हमारी साँसें संभलीं तो उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, ‘ओह आरव, मज़ा आ गया। आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं चोदा है, ऑय लव यू डार्लिंग।’
‘क्यों क्या तुम्हारा शौहर तुम्हें नहीं चोदता?’
‘चोदता है! लेकिन हफ़्ते में एक बार। वो अब बुढा हो गया है, दो मिनट में ही झड़ जाता है और मेरी चूत प्यासी रह जाती है। मुझे जोरदार चुदाई पसंद है जैसे तुम करते हो।’ शबनम बोली।
शबनम ने मुझे अनिता पर ढकेलते हुए कहा, अब तुम अनिता को चोदो… ‘हमारी चुदाई देख कर इसकी चूत म्यूंसिपल्टी के नल की तरह चू रही है।’
‘नहीं आरव, आज शबनम को तुम्हारे लंड का मज़ा लेने दो। मैं तो कईं महीनों से मज़ा ले रही हूँ।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘ओह अनिता! तुम कितनी अच्छी हो…’ ये कह कर शबनम मेरे लंड को सहलाने लगी। मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था। उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी।
‘ओह आरव! अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।’ वो कहने लगी।
मैंने अपना लौड़ा जोर से उसकी चूत में डाल दिया और जोर से उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का पानी छूट गया।
जब हम चुदाई करके अलग हुए तो अनिता बोली, ‘आरव! अब शबनम की गाँड मारो।’
‘ठीक है! मैं इसकी गाँड भी मारूँगा पहले मेरे लंड को फिर से खड़ा तो होने दो, तब तक तुम जा कर वेसलीन क्यों नहीं ले आती।’ मैंने कहा।
‘शबनम क्या तुम्हें वेसलीन की जरूरत है?’ अनिता ने शबनम से पूछा।
‘हाँ यार वेसलीन तो लगानी पड़ेगी, नहीं तो आरव का मोटा और लंबा लंड तो मेरी गाँड ही फाड़ के रख देगा।’ शबनम ने जवाब दिया।
उसकी गाँड और अपने लंड पर वेसलीन लगाने के बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया वो दर्द के मारे चिल्ला उठी, ‘आरव!!!! दर्द हो रहा है बाहर निकालो!’
मैंने उसकी बात सुने बिना जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया, और जोर- जोर से अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर में उसे भी गाँड मरवाने में मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना पानी उसकी गाँड में उढ़ेल दिया।
वो दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिये तैयार हो गई। फ़िर आने का वादा कर के दोनों चली गई। अब अनिता और शबनम हफ़्ते में तीन चार दिन आने लग गई। हम लोग जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन मैंने कहा, ‘तुम दोनों साथ-साथ क्यों आती हो? और अकेले आओगी तो मैं अच्छी तरह से तुम्हारी चुदाई कर सकुँगा और अगली रात मुझे अकेले भी नहीं सोना पड़ेगा।’
‘नहीं आरव! हम लोग साथ में ही आयेंगे… इससे किसी को शक नहीं होगा।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘ठीक है जैसे तुम लोगों की मरज़ी। क्या तुम दोनों संडे को नहीं आ सकती जिससे हमें ज्यादा वक्त मिलेगा।’ मैंने पूछा।
‘नहीं आरव… संडे को हम हमारे परिवार के साथ रहना चाहते हैं।’
मुझे सोचते हुए देख शबनम ने कहा, ‘तुम समीना को क्यों नहीं बुला लेते, उसका हसबैंड दुबई में है और वो अकेली रहती है।’
मैंने चौंकते हुए पूछा, ‘तुम्हें क्या लगता है वो आयेगी?’
‘क्यों नहीं आयेगी??? जरूर आयेगी!!! अब ये मत बोलना कि तुमने उसे नहीं चोदा है।’ शबनम ने कहा।
‘चोदा तो नहीं पर चोदना जरूर चाहुँगा, वो बहुत ही सुंदर है।’
‘हाँ! सुंदर भी है और हम दोनों से छोटी भी… तुम्हें बहुत मज़ा आयेगा।’ शबनम ने हँसते हुए कहा।
‘अरे तुम दोनों बुरा मत मानो… मैंने तो ऐसे ही कह दिया था।’
‘अरे नहीं!!!! हमें बुरा नहीं लगा। तुम्हें समीना को चोदना अच्छा लगेगा। उसकी चूत भी कसी-कसी है, क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं हुआ है ना। वैसे भी सुना है कि मर्दों को कसी चूत अच्छी लगती है।’ अनिता ने कहा।
‘तुम्हें कैसे मालूम कि वो आयेगी?’ मैंने पूछा।
‘तो तुम्हें नहीं मालूम?????’ शबनम ने अनिता की तरफ मुड़ कर पूछा, ‘तो तुमने आरव को कुछ भी नहीं बताया?’ अनिता ने ना में सिर हिला दिया।
‘मुझे क्या नहीं मालूम, चलो साफ साफ बताओ कि बात क्या है।’ मैंने कहा।
‘ठीक है! मैं तुम्हें बताती हूँ!!!’ शबनम ने कहा, ‘हमारी कंपनी आज से 15 साल पहले मिस्टर संजय ने शुरू की थी। वो इंसान अच्छे थे पर उनकी पॉलिसीज़ गलत थी। इसलिये कंपनी में मुनाफा कम होता था और हम लोगों की सैलरी भी कम थी। मगर मिस्टर संजय की डैथ एक प्लेन क्रैश में हो गई और सारा भार उनकी विधवा मिसेज योगिता पर आ गया। शुरू में तो वो सब काम संभालती थी पर बाद में उन्हें लगा कि ये उनके बस का नहीं है… सो उन्होंने अपने रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को कंपनी का एम-डी बना दिया।’
‘मिस्टर रजनीश काफी पढ़े लिखे हैं और होशियार भी। थोड़े ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने लगा। जैसे मुनाफा बढ़ा हम लोगों की सैलरी भी बढ़ गई।’
‘कम ऑन शबनम!!! ये सब मुझे मालूम है, मुझे वो बताओ जो मुझे नहीं मालूम है।’ मैंने कहा।
‘ठीक है मैं बताती हूँ।’ अनिता ने कहा, ‘अपने एम-डी चुदाई के बहुत शौकीन हैं। जब हम नये ऑफिस में शिफ़्ट हुए तो उन्होंने चूतों की खोज करनी शुरू कर दी। इस काम के लिये उन्हें मिस्टर महेश मिल गये।’
‘तुम्हारा मतलब अपने मिस्टर महेश?’ मैंने पूछा।
‘हाँ वही!!!’ अनिता ने सहमती में कहा।
‘क्या औरतों ने बुरा नहीं माना?’ मैंने पूछा।
‘शुरू में माना पर एम-डी ने एकदम क्लीयर कर दिया कि नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा। इसलिये वो शादीशुदा औरतों को ही रखता था जिससे किसी को कोई शक ना हो।’ अनिता ने कहा।
‘तुम्हारे कहने का मतलब कि ऑफिस की सभी लेडिज़ चुदवाती हैं?’ मैंने पूछा।
‘हाँ सभी चुदवाती हैं आरव! देखो… एक तो सैलरी भी डबल मिलती है, और काम भी अच्छा है। ऐसी नौकरियाँ रोज़ तो नहीं मिलती ना। और अगर ऐसी नौकरी के लिये एक दो बार चुदवाना भी पड़ गया तो क्या फ़र्क पड़ता है।’ अनिता ने कहा।
‘और एक बात तुमने नोटिस की है आरव! ऑफिस में काम करने वाली सभी लेडीज़ हमेशा हाई हील्स की सैंडल पहनती हैं… ये भी महेश और एम-डी की रिक्वायरमेंट है… चुदवाते वक्त भी हमें सैंडल पहने रखना होता है… हमारे लिये तो अच्छा ही है… हम औरतों को तो नये कपड़े सैंडल इत्यादि खरीदने का शौक होता ही है और हमारी कंपनी की तरफ से हर महीने दो हज़ार रुपये तक का सैंडलों का खर्च रिएम्बर्स हो जाता है।’ शबनम बोली।
‘यह हाई हील के सैंडल पहनने की पॉलिसी तो अच्छी है!!! औरतें ज्यादा सैक्सी और स्मार्ट लगती हैं… पर इसका मतलब तुम दोनों भी एम-डी और मिस्टर महेश से चुदवाती हो?’ मैंने पूछा।
‘हाँ दिल खोलकर और मज़े लेकर।’ दोनों ने जवाब दिया।
‘तुम्हारा मतलब है ये सब ऑफिस में होता है?’ मैंने फ़िर सवाल किया।
‘हाँ ऑफिस में भी और होटल शेराटन में भी। वहाँ पर एम-डी ने पूरे साल के लिये एक सूईट बुक कराया हुआ है।’ शबनम बोली।
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था और मैं अजीब नज़रों से दोनों को घूर रहा था।
मुझे घुरते देख अनिता बोली, ‘शबनम इसे तब तक विश्वास नहीं आयेगा जब तक ये अपनी आँखों से नहीं देख लेगा। एक काम करते हैं… संडे को समीना को बुलाते हैं और उसी से सुनते हैं कि वो इस जाल में कैसे फँसी। लेकिन पहले उसे यहाँ आने पर तैयार करना है और उसे आरव के लंड का मज़ा चखाना है।’
‘ये संडे को मेरा बर्थडे है… तो क्यों नहीं मैं तुम तीनों को दोपहर के खाने पर दावत दूँ?’ मैंने कहा।
‘ये ठीक रहेगा… इस तरह समीना न भी नहीं बोल पायेगी।’ शबनम बोली।
अपनी गर्दन हिलाते हुए मैंने कहा, ‘मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे लग रहा है जैसे मैं किसी रंडी खाने में काम कर रहा हूँ।’
इतने में शबनम ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, ‘तुम्हें तो खुश होना चाहिये आरव, रोज़ नयी और कुँवारी चूत मिलेगी चोदने के लिये। और अगर बात फ़ैल गई कि तुम्हारा लंड इतना लंबा और मोटा है तो थोड़े ही दिनों में तुम ऑफिस की हर लड़की को चोद चुके होगे। सब एक से बढ़ कर एक चुदक्कड़ हैं… तुम्हारे लंड की तो खैर नहीं… मेरी मानो तो वायग्रा का स्टॉक जमा कर लो… बहुत जरूरत पड़ेगी… चलो अब एक बार हम दोनों को और चोद दो।’
संडे के दिन मैं जल्दी उठ गया और खाने का इंतज़ाम करने लगा। ठीक बारह बजे वो तीनों आ गई। शबनम ने लाल कलर की साड़ी पहनी थी, और अनिता ने हरे रंग की। समीना ने स्लीवलेस ब्लाऊज़ के साथ ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। शबनम ने काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे और बाकी दोनों ने सफ़ेद रंग के सैंडल पहने थे। तीनों बहुत ही सुंदर लग रही थी।
मैंने उन तीनों को सोफ़े पर बैठने को कहा और खुद उनके सामने बैठ गया। थोड़ी देर बाद तीनों को ठंडी बियर की बोतलें और तीन ग्लास देकर मैंने कहा ‘तुम तीनों बातें करो, तब तक मैं खाने का इंतज़ाम करके आता हूँ।’
ये हमारे प्लैन के तहत हो रहा था जो हमने पिछले दिन तैयार किया था। इसलिये मैं किचन में ना जा कर बाहर दरवाजे से उनकी बातें सुनने लगा।
वो तीनों बियर पीती हुई बातें करती रही। कुछ देर बाद जब बियर का कुछ असर हुआ तो शबनम ने समीना से पूछा, ‘अच्छा समीना! तुम्हारी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ?’
‘कैसी सैक्स लाइफ? तुम्हें तो पता है मेरे शौहर तो बाहर रहते हैं।’
‘हमें पागल मत बनाओ, हम सब जानते हैं, तुम मिस्टर महेश के साथ क्या करती हो, जब अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाने होते हैं।’
‘क्या मतलब तुम्हारा?’ समीना ने जल्दी से कहा।
‘अरे पगली तेरे आने से पहले हम ही उसका अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाते थे।’
‘तो क्या उसने तुम दोनों को भी चोदा है?’ समीना ने पूछा।
‘आज से नहीं! वो हमें कई सालों से चोद रहा है।’ शबनम ने जवाब दिया।
‘मैं तो समझती थी कि मैं अकेली ही हूँ’ समीना बोली।
‘अरे हम तो ये भी जानते हैं कि तू उस स्टोर मैनेजर के साथ क्या करती है।’ अनिता ने कहा।
‘बाप रे! तुम्हें उसके बारे में भी पता है, क्या तुम लोग मेरा पीछा करती रहती हो?’ समीना थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली।
‘नाराज़ मत हो, हम तेरा पीछा नहीं करते पर ऑफिस में क्या हो रहा इस बात की जानकारी जरूर रखते हैं।’ शबनम ने कहा।
‘समीना जब महेश तुम्हारी चूत का खयाल रखता है तो तुम उस स्टोर मैनेजर से क्यों चुदवाती हो?’ अनिता ने पूछा।
‘अनिता तुम्हें तो पता है कि मिस्टर महेश को सिर्फ़ मम्मे और गाँड मारना पसंद है। पक्का गाँडू है वो। इसलिये मेरी चूत प्यासी रह जाती है। एक दिन मैं स्टोर में कुछ सामान लेने गई और मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी, बस तभी मैंने इस मैनेजर को देखा और उसे मैंने चोदने के लिये पटा लिया। अब मैनेजर मेरी चूत चोदता है और महेश मेरी गाँड। इस तरह मेरी दोनों भूख मिट जाती हैं। महेश ने तो मुझे ब्रा पहनने को भी मना किया है, देखो इस वक्त भी नहीं पहनी हूँ।’ उसने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोल कर दिखाया।
उसकी नाज़ुक और नरम चूचियाँ देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा गो गया।
अनिता ने अपने दोनों हाथ उसके ब्लाऊज़ में डाल दिये और उसके मम्मों को दबाने लगी।
‘हे! इन्हें इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाऊँगी।’ समीना हँसती हुई अपने ब्लाऊज़ के बटन बंद करने लगी।
‘अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी।’ अनिता ने पूछा।
‘नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गई।’
‘इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गई?’ अनिता ने पूछा।
‘हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा।’ समीना ने हँसते हुआ कहा, ‘एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।’
‘तुमने मना नहीं किया?’ शबनम ने पूछा।
‘शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया।’ समीना हँसते हुए बोली।
‘क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?’ अनिता ने पूछा।
‘नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी।’ समीना बोली।
‘महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?’ शबनम ने पूछा।
‘महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?’ समीना ने कहा। अनिता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, ‘हाँ मालूम है।’
‘अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता।’ समीना ने कहा।
‘हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और…’ शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
‘क्या आरव तुम दोनों को चोद रहा है?’ समीना ने चौंकते हुए पूछा।
‘हाँ! कई महीनों से।’ अनिता हँसते हुए बोली, ‘अगर तू चाहे तो आरव तुझे भी चोद सकता है।’
‘ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ।’ समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, ‘मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?’
‘मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि आरव का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है।’ शबनम बोली।
‘ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता।’ समीना बोली।
‘अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना… मैं उसे अभी बुलाती हूँ…’
‘नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी।’ समीना ने अनिता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद अनिता ने मुझे आवाज़ लगायी, ‘आरव… यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।’
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। ‘किसने मुझे पुकारा?’ मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, अनिता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, ‘तुम खुद देख लो।’
‘हाय अल्लाह! आरव तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।’ समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।

मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। अनिता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।

‘शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है।’ अनिता हँसते हुए बोली।

‘नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये।’ शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। ‘आरव! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो।’ शबनम बोली।
‘आरव! समीना को चोदते क्यों नहीं?’ इतने में अनिता भी बोली।
‘हाँ आरव! मुझे चोदो ना अब रहा नहीं जाता।’ समीना ने धीरे से कहा।
मैंने समीना को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। फिर उसके ऊपर लेट कर मैं उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा।

समीना की सिसकरियाँ तेज हो रही थी। मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से दबाने लगा। कभी जोर से भींच लेता तो वो उछल पड़ती।

उसकी बाँहें मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।
जैसे ही मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा, समीना पागल हो गई, ‘ओह आरव! ये क्या कर रहे हो, आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया, हाय अल्लाह! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ जोर-जोर से चाटो हाँआँआँआँ।’ वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
मैंने अनिता को कहते सुना, ‘देख शबनम! आरव समीना की चूत चाट रहा है। उसने मेरी तो चूत कभी नहीं चाटी, क्या तुम्हारी चाटी है?’
‘नहीं! मेरी भी नहीं चाटी, लगता है समीना की बिना बालों की बिल्कुल चिकनी चूत ने आरव को उक्सा दिया।’ शबनम बोली।
‘बाल तो मैं भी साफ करती हूँ पर मेरी चूत इतनी चिकनी नहीं हो पाती… थोड़े से रोंये रह ही जाते हैं… हमें तुरंत कुछ करना चाहिये।’ अनिता ने जवाब दिया।
‘हाँ कुछ करेंगे, पहले इन्हें तो देख लें।’ शबनम बोली।
मैंने समीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाटी पर कर दिया जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह बड़ा जरूर था पर अनिता और शबनम जितना नहीं। मैं अपनी जीभ जो-जोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
‘ओहहहह… आआआआहहहहह… ओहहहह… आरव!’ इतना कहते हुए समीना दूसरी बार झड़ गई।
‘ओह आरव अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।’ प्लीज़! समीना गिड़गिड़ाने लगी।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वो बोली, ‘आरव! धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।’
अनिता और शबनम की तरफ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। ‘तुम्हारा मतलब ऐसे?’ मैंने कहा।
‘ओहहहहह म म म मर गई, तुम बड़े बदमाश हो जब मैंने धीरे से डालने को कहा तो तुमने इतनी जोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है ना!’ उसने तड़पते हुए कहा।
‘सॉरी डार्लिंग! तुम चुदाई में इतनी एक्सपीरियंस्ड हो तो मैं समझा तुम मजाक कर रही हो, क्या ज्यादा दर्द हो रहा?’ यह कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
‘ओह आरव बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आआआहहहहह… आरव आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। हाँ राजा… जोर से चोदते जाओ, ओहहहहहह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही।’ समीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कुल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
अनिता और शबनम ने सच कहा था, समीना की चूत वाकय में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गाँड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था।

अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे जोर से भींच लिया। ‘ऊऊऊऊऊ आरव मेरी चूऊऊत गई…।’ कहकर वो निढाल हो गई। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों की साँसें तेज चल रही थी।
हम दोनों थक कर लेटे हुए थे कि अनिता और शबनम बाहर जाने लगी। मैंने पूछा, ‘कहाँ जा रही हो?’
‘बाज़ार से थोड़ा सामान लेकर आ रहे हैं, तब तक तुम समीना से मज़े लेते रहो।’ इतना कह कर अनिता और शबनम चली गईं।
‘हाँ! ये अच्छी बात है, आरव मुझे फ़िर से चोदो।’ समीना ने ये कहकर एक बार फ़िर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।
जब तक अनिता और शबनम लौटीं, हम लोग थक कर चूर हो चुके थे।
‘आओ चल कर कुछ खाना खा लो… फ़िर लंच के बाद करेंगे।’ शबनम ये कह कर खाना लगाने लगी। खाना खाने के बाद ड्रिंक्स का दौर चला और हम सब ने दो-दो पैग रम के पी लिये।
‘लेकिन अनिता और शबनम, ये अच्छी बात नहीं है कि हम दोनों तो नंगे हैं और तुम दोनों कपड़े पहने हुए हो। आरव! आओ हम लोग इनके कपड़े उतार दें।’ यह कहकर समीना अनिता को नंगा करने लगी और मैं शबनम को। अब हम सब पूरे नंगे थे। तीनों औरतों ने सिर्फ अपने-अपने हाई-हील सैंडल पहने हुए थे।
‘समीना अब हमें चूत के बाल साफ़ करना सिखाओ, हम बाज़ार से एन-फ्रेंच क्रीम ले आये हैं।’ अनिता ने कहा।
‘लाओ सिखाती हूँ’ ये कह कर समीना उन दोनों की चूत पर और गाँड की दरार में क्रीम लगाने लगी। मैं उन दोनों के देखते हुए अपनी ड्रिंक ले रहा था।
‘आरव हमारी बिन बालों की चूत अब कैसी लग रही है?’ शबनम ने पूछा।
‘बहुत सुंदर और अच्छी।’ ये कह कर मैं अनिता की जाँघों के बीच आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। अब मैं बारी बारी से दोनों कि चूत चाट और चूस रहा था। थोड़ी देर में दोनों झड़ गई।
हम लोग शाम तक चुदाई करते रहे। मुझे नहीं मालूम शराब के नशे में मैं कब सो गया और कब तीनों चुदैल औरतें मुझे सोता छोड़ कर चली गई।
सुबह मैं तैयार होकर अपने केबिन में किसी सोच में डूबा था कि अचानक किसी की हँसी सुनकर मैंने नज़रें उठायीं तो तीनों को अपने सामने पाया।
‘गुड मोर्निंग आरव!!!’ तीनों ने साथ में कहा।
‘इतनी जोर से नहीं, कोई सुन लेगा, इस समय मुझे एक कप कॉफी चाहिये।’ मैंने कहा।
‘मैं लाती हूँ!’ यह कहकर समीना अपनी सैंडल की हील खटखटाती हुई कॉफी लाने चली गई।
मुझे अनिता कुछ अपसेट लग रही थी। ‘क्या बात है अनिता, तुम कुछ परेशान हो?’ मैंने पूछा।
‘मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।’ अनिता ने कहा।
‘मुझसे, कहो क्या बात है?’ मैंने कहा।
‘आरव! अगर आज के बाद जब मैं तुम्हारा लौड़ा चूस रही हूँ तो सो मत जाना वर्ना मैं उस दिन के बाद…’ उसने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
‘हाँ बोलो ना कि आज के बाद तुम आरव से नहीं चुदवाओगी।’ समीना ने हँसते हुए कहा।
‘नहीं! मैं ये नहीं कह सकती, मैं आरव के लंड के बिना नहीं रह सकती। आरव! बस इतनी सी बात है कि मैं तुम्हारे लंड को चूस कर उसका पानी पीने को तरस रही थी और तुम… क्या कहूँ… ड्रिंक तो हम लोगों ने भी खूब की थी… हमें भी नशा चढ़ा हुआ था पर इतनी भी तो नहीं पीनी चाहिये कि बेहोश ही हो जाओ, अगर हम में से कोई इतना पी कर सो जाती तो कुछ फर्क नहीं पड़ता था पर तुम्हारे लंड पर तीन-तीन औरतें डिपेंडेंट थीं।’ अनिता ने कहा।
‘अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो, ऑय एम सॉरी! मैं आगे से ज्यादा ड्रिंक नहीं करूँगा, अब सब काम पर लग जाओ।’ मैंने कहा।
मैं बहुत खुश था, अनिता और शबनम हफते में तीन बार आती थी, और समीना सैटरडे को शाम को आती थी और संडे शाम तक मेरे साथ रहती थी। समय मस्ती में कट रहा था।
कहानी जारी रहेगी.
Nice update....
 
  • Like
Reactions: ayush01111

parkas

Well-Known Member
28,280
62,511
303
ayush01111 bhai next update kab tak aayega?
 
Top