सत्तरवाँ भाग।
मस्त मस्त महोदय जी।
मतलब की विनय दसों उंगली घी में हैं। ये यूँ कहें कि वो पूरा का पूरा घी में डूब उतरा रहा है। उसके मूसल के लिए ओखलियों की भरमार है तो वो अपनी किस्मत पर नाज़ तो करेगा ही। बहुत मस्त बहन मिली हैं उसे। जो सबकुछ करने के बाद ऐसा बर्ताव करती है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।।
नीरू, ऋतु, मम्मी, रिया, सोना और विनी। इसके अलावा अभी पता नहीं कितनी और आएंगी। घूमकर आने के बाद रिया के साथ सेक्स किया, उसके बाद सोना के साथ चुम्मा चाटी की और अब घर मे विनि को बहला कर उसके साथ चुम्मा चाटी की और उसके सामने अपने हथियार को हिलाकर पानी भी निकाल दिया और विनि को भी उंगली करने का प्रस्ताव दे दिया अपने सामने। विनि को शर्म आयी तो बाथरूम में भाग गई। लेकिन विनय ने एक पड़ाव तो पार कर ही लिया कि अब जब चाहे तब उसे चूम सकता है और उसके सामने अपना हथियार हिला सकता है।।