Chengis
Active Member
- 679
- 1,620
- 124
Fantacy pe soch ke maza ata hai. Main khud dono ko chodna chahungaQuestion no. 1 :- क्या आप अपनी मां बहनों को किसी दूसरे व्यक्ति से चुदाते देख सकते है ?
1 . - यदि हा तो आपका क्या प्रतिक्रिया होगी उस समय ?
2 .- यदि नहीं तो आप क्या करेंगे उस समय ?
Please reply......
देख सकता हु की नहीं यह बात तो दूर रही, असल में में देख चुका हु।Question no. 1 :- क्या आप अपनी मां बहनों को किसी दूसरे व्यक्ति से चुदाते देख सकते है ?
1 . - यदि हा तो आपका क्या प्रतिक्रिया होगी उस समय ?
2 .- यदि नहीं तो आप क्या करेंगे उस समय ?
Please reply......
Jab chote the toh bahuto ko nangi aur chudai dekhe haiदेख सकता हु की नहीं यह बात तो दूर रही, असल में में देख चुका हु।
यह बात तब की है जब में छठी क्लास में था। मेरी सगी बहन तो है नहीं लेकिन मेरी चाचा की लड़की यानी मेरी चचेरी बहन हमारे साथ रहती थी। मेरे चाचा और चाची मुंबई में रहते थे। उसे हमारे पास इस लिए रखा गया था क्योंकि मुंबई में उसका किसीके साथ अफेयर था और उससे बचाने के लिए उसे हमारे यहां भेज दिया गया था। वह उस समय ग्यारहवीं में थी। उसे अकेले बाहर बिल्कुल भेजा नहीं जाता था। अगर कही बाहर भी जाना हो तो उसके साथ मुझे भेज दिया जाता था।
एक बार ऐसे ही वह बाहर निकली तो में उसके साथ निकला। वह स्कूटी चला रही थी और में उसके पीछे बैठा हुआ। ऐसे ही घूमते घूमते हम शहर के बाहर निकल आए। और एक जगह रुक गए जहां आजू बाजू कोई नहीं था। मैने उसे पूछा भी कि दीदी हम क्यों रुके है । तो उसने कहा कि उसके दोस्त आ रहे है उनको मिलके घर चलते है। और थोड़ी ही देर में वह पर बाइक पर दो लड़के आ गए। उन्होंने मेरे लिए कैडबरी , icecream और भी खाने लिए चीजें लाई थी। वह उन्होंने मुझे दी और कहा तुम यही बैठकर यह सब आराम से खाओ हम थोड़ी ही देर में तुम्हारी दीदी बात करके आते है और ऐसा कहकर वह तीनों बाजू के झाड़ियों में गए। थोड़ी देर मैने उन्होंने दी हुई चीजें खाई लेकिन पेट भरने के बाद मुझे वहा अकेले को डर लगने लगा। सो उनको देखने झाड़ियों के गया जैसे ही में झाड़ियों में गया वैसे सामने वाला दृश्य देखकर जगह पर थबक गया। सामने वो दोनों लड़के मेरी दीदी पूरी नंगी थी और वह दोनों मिलकर मेरे दीदी को चोद रहे थे। वह देखकर पहले तो मुझे गुस्सा आया लेकिन बाद में पता नहीं उनकी चूदाई देखने में मुझे मजा आने लगा और वह देखकर मेरा लन्ड भी टाइट हुआ और में उनकी चूदाई देखकर उसे हिलाने लगा। जब तक कि मेरा पानी नहीं निकलता। उसके बाद में चुपचाप बाहर आया और थोड़ी देर के वह लोग भी बाहर आ गए। वह दोनों को जाने के बाद मैने दीदी को उनके बारे में पूछा तो पता चला कि उसमें से एक लड़का उसका मुंबईबाला लवर था और दूसरा उसका हमारे शहर में रहने वाला दोस्त। और उसने मुझे कसम देते हुए बोला कि यह बात में घर पर नहीं बोलूंगा। मैने कभी यह बात घर पर नहीं बताई लेकिन उसके बदले में दीदी ने मुझे बहुत कुछ दिया।
यह बात एकदम सच है इसमें कुछ भी झूठ नहीं....
Mai kbhi nhi chahta tha ki meri maa, bahan aur wife ko koi aur chode lekin samay ne karvat li to abhi wife ko chudti dekh rha hu. Aur sex forum me aisi bahot post dekhi jisme bahot bete apni maa ko apne dost ya dusre se chudti dekhna chahte hai to meri bhi soch badal gayi ab mai chahta hu lekin ab bahot late ho gaya hai. vakt mere haath se nikl chuka haiहा पसंद करुगी और देखी भी हु। इस हालत में
सही कहा और सच कह रहेहर घर में व्यभिचार पनपता है। औरत और मर्द दोनों का रिश्ता ही ऐसा है कि, दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते जाते हैं। विज्ञान इसे अपनी भाषा में हार्मोन्स का रिसाव कहता है। टेस्टोस्टेरोन एवं एस्ट्रोजन का खेल। जब इनका रिसाव होता है तो दोनों मर्द और अविरत एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं,अब साधारण भाषा में इसे प्रेम कहते हैं। एक दूजे के प्रति इसी आकर्षण से दोनों करीब आकर शारीरिक संबंध बनाते अर्थात साधारण भाषा में चुदाई करते हैं या बूर में लण्ड घुसाकर मज़े करते हैं। ये संसार का स्वाभाविक नियम है, जिससे शायद ही कोई भी शिक्षित व्यक्ति आस्वीकार कर सके। परंतु जब यही चीज़ घर के अंदर होने लगे तो उसे यही लोग व्यभिचार कहने लगते हैं। समाज में इससे बहुत बदनामी होती है जिसके डर से लोग इन चीजों को बाहर आने आने नही देते। जो इसमें संलिप्त हो जाते हैं वो इसे गोपनीय रखने की चेष्टा करते हैं। ये बात हर कोई जानता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, किन्तु विज्ञान ने हमें जानवर की श्रेणी में ही रखा है। जानवरों में प्रजनन की प्रक्रिया के लिए संभोग/ समागम/ चुदाई की जाती है। ये शरीर की आवश्यकता है, और प्रकृति के लिए नए प्राणी का मार्ग भी है। केवल मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो मज़े के लिए चुदाई करता है। अन्य बाकी जीव केवल एक खास मौसम में प्रकृति के नियमों का पालन करते हैं। आदमी की जरूरत होने पर वो भी स्त्री को संसर्ग/ चुदाई के लिए ढूंढता है। पहले घरों में बेटीयों बहनों की शादी जल्दी हो जाती थी, तो उन्हें समय से चुदाई सुख मिलता था। बूर में लंड घुसवाके वो भी मस्त हो जाती थी और उन्हें खूब बच्चे भी होते थे। आजकल बेटीयों, बहनों की शादी में काफी विलंब हो जाता है। इस कारण बेटों और भाइयों की शादी भी देर से हो रही है। ज़माने की भाग दौड़ में लोग इनकी शारीरिक जरूरतों को अनदेखा कर रहे हैं। जिस कारण फलस्वरूप ये एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो कर चुदाई में लिप्त हो जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के सामने बूर खोलके लेट जाती हैं और भाइयों का कड़ा लंड लेकर मस्ती से चुदवाती हैं। बाहर का बॉयफ्रेंड तो बस उन्होंने खर्चों के लिए बना रखा है। वो बस ऊपर से मज़े लेते हैं, असली मज़ा तो घर के भाई, देवर, ससुर, बेटा देता है। इससे घर की बात अंदर ही रहती है, और बदनामी का डर भी नहीं। ना जाने कितनी बहनें आजकल रात भाइयों के बिस्तर में बिताती है और कितनीं भाभियाँ खुद ही देवर को अपने कमरे में बुलाकर चुदाई का आनंद ले रही हैं। जिनके पति बाहर हैं, उन बेचारी स्त्रियों का क्या दोष, बूर में लंड की जरूरत तो बनी ही रहती हैं। ऐसे में उनकी मदद घर के देवर, जेठ, ससुर, भाई, बाप ही करते हैं। बेटियां भी अपने विधुर बाप के साथ संभोग की क्रीड़ा में सम्मिलित होती जा रही है। नौजवान बेटीयाँ अपनी रिसती हुई बूर में बाहर के लण्ड के बदले घर का अनुभवी लंड लेना ज़्यादा पसंद कर रही हैं। बाप भी जवान बेटी की गंदी हरकतों को घर में ही सहमति दे देते हैं। इन पापा की परियों के लिए तो बाप ही सर्वोपरि होता है। सुहागरात के दिन पवित्र होने का नाटक करती हैं, पर सच्चाई कुछ और ही होती हैं। असल में ये घर की औरतें भी नहाते और मूतने के समय खूब अंग प्रदर्शन करती हैं, और अपने अंदर के तूफान को शांत करने के लिए, लण्डों को रिझाती है