सेक्स हमारे अंदर एक मामूली सहज प्रवृत्ति है, एक रासायनिक बदलाव जो किशोरावस्था के साथ आता है। यह एक आनंदपूर्ण अनुभव है क्योंकि यह हमें प्रजनन(बच्चे पैदा करना) की ओर प्रेरित करने का प्रकृति का तरीका है। समय के साथ हमने प्रजनन(बच्चे पैदा करना) के पक्ष को ऐच्छिक बना दिया है मगर आनंद मौजूद है। इसमें कुछ भी सही या गलत नहीं है। अपनी यौनिकता (सेक्शुआलिटी) को भौतिक अस्तित्व के एक जरुरी अंग के रूप में स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। दो लोगों की कामोत्तेजना (सेक्शुअल अर्ज) के कारण ही आपका और मेरा अस्तित्व है। यह एक सच्चाई है।