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Adultery Sexy Wife

Raanjhanaa

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very nice start! brother, I read a story called banarsi panwala in xossip forum which was one the most erotic adult stories in which a man wanted his wife to be fucked by an ugly old man who had got a monster black dick. This young man had arranged all opportunities so that this ugly old man could seduce his beautiful wife and at the same time he didn't let that ugly old man and his wife know his fantasy.I don't know what kind of idea you have about this story.But it will be very much hot and erotic if an ugly old servant who has got at least a 10 inches long and 4 inches thick monster seduces the beautiful wife and finally fucks her with his monster black dick and at the same the young husband will discover this secret and illicit affair of his wife but he will not let her know it and his loving wife will continue cheating on her loving husband.
Bhai ye Story copy hai mene pahale bola hai
 
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Raanjhanaa

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Chapter 2
फिर मेरी प्लानिंग शुरू हुई।
मैं घर आया और ये सब बात बीवी को बिना बताए अपने काम में लग गया क्योंकि उसे बताता तो वो तो मुझे मार ही डालती.. पतिव्रता जो ठहरी।

उस दिन रविवार था, मैंने उससे कहा- संजना आज हम लोग रात को नए तरीके से चुदाई करेंगे.. बहुत मज़ा आएगा।
प्लीज़ अपनी बुर के बाल पूरा शेव कर लेना।

वो मुस्कुराई और बोली- आज बड़े मूड में लग रहे हो.. ठीक है जानू, मैं सब कुछ मस्त करके ही बिस्तर में तुमसे मिलूँगी।

उसने उस दिन ‘वीट’ लगाकर पूरी बुर के बालों को साफ़ कर लिया।
मैंने उसकी बुर को देखते ही उसे चूम लिया और उसे 4-5 बार चूसा भी।

वो एकदम से गर्म हो गई, पर मैंने कहा- अभी नहीं रात को।

उस दिन मैं बीच-बीच में उसके नाज़ुक अंगों को सहलाता, खेलता, निचोड़ता रहा।

वो शाम होते-होते पूरी चुदासी हो गई थी और चाह रही थी कि मैं कब उसकी बुर में अपना लंड पेल दूँ।
पर मैं उसे और गर्म करके बेचैन कर देना चाह रहा था।

आख़िर वो समय आ ही गया, रात के दस बज रहे थे, मैं अपनी बीवी के साथ पूरा फोरप्ले कर रहा था।
मैं उसके हर अंग को चूस और चाट रहा था, वो बहुत गर्म हो गई थी।

तो मैंने कहा- अब नए तरीके से सेक्स करेंगे।
‘करो न मुझे जल्दी है..’

मैंने एक काले कपड़े की पट्टी निकाली और उसकी आँखों में बाँधने लगा।
वो बोली- ये क्यूँ?
मैं बोला- बहुत मज़ा आएगा देखना।
वो मान गई।

मैंने अच्छी तरह से तसल्ली के साथ पट्टी बाँधी और फिर से फोरप्ले करने लगा।

इससे पहले मैंने घर के दरवाजे को बीवी से छुपा कर खुला छोड़ दिया था ताकि राज अन्दर आ सके।
मैंने संजना के मम्मों.. निप्पल, कान की लौ, गर्दन, गाण्ड, जाँघ, पीठ, नाभि और हरेक अंग को खूब चूसा और चूमा।

वो पूरी चुदासी हो उठी थी, उसके कंठ से ‘आहह.. आहह..’ की कामुकता भरी आवाज़ निकल रही थी।
वह पूरी तरह से नंगी थी, उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और चूत से पानी रिस रहा था।

मैंने बुर को देखा और उसे सहलाया.. तो वो उछल पड़ी और बोली- प्लीज़ चूसिए ना..

जैसे कि मैंने पहले भी कहा था कि उसका सबसे कामुक अंग बुर ही है, जिसे चूसने से वो पागल हो जाती है।
मैं बिना चूसे उसे उंगली कर रहा था।
वो पूरी उत्तेजना में बोली- जीभ से चूसिए ना.. आयेए.. आ..आ..हा..

मैंने सही समय जान कर राज को चुपके से अन्दर आने का इशारा किया।
राज ने जैसे ही मेरी बीवी को पूरा नंगा देखा, उसके गोरे बदन और भरे पूरे जिस्म को.. वो देखता ही रह गया।

उसका लंड एकदम से तन गया।
मैंने उसे पूरे कपड़े खोलने का इशारा किया।
इधर मैं अपनी बीवी की बुर को सहलाता रहा था।

संजना इस सबसे अनभिज्ञ होते हुए बुर चूसने को कह रही थी।

मैं धीरे-धीरे बीवी से अलग होते हुए राज को बुर चूसने का इशारा किया।

राज तो जैसे पागल हुए जा रहा था, उसने धीरे से संजना की दोनों जांघों के बीच में आकर अपनी लंबी जीभ को उसकी बुर में घुसा दिया।

संजना ने ‘आ..ह.आ..’ की एक लंबी सीत्कार ली।
राज उसकी बुर को चूस, चाट और खाए जा रहा था।
वो पूरा जिस्म को ऐंठते हुए जन्नत में गोते लगा रही थी।

राज एक पागल की तरह उसकी बुर को चूसे जा रहा था और संजना ‘आ.. हन.. अया.. और ज़ोर से..’ किए जा रही थी।

उसकी बुर से पानी पूरा निकल रहा था, वो बोली- क्या बात है आज बहुत अच्छा से बुर चूस रहे हैं, बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा है.. आह..हा..ईई..

मैं इसका जवाब देने के लिए उसके पास मुँह ले जाकर बोला- मैं आज बोलूँगा नहीं.. सिर्फ़ तुझे जन्नत का मज़ा दूँगा।
वो कुछ नहीं बोली.. राज ने कुछ मिनट तक उसकी बुर को चाट-चाट कर लाल कर दिया।

संजना अब बोली- प्लीज़ अब लंड से चोदिए ना।
राज तो जैसे इसी फिराक में था, उसने अपना काला लंड जो मुझसे काफ़ी मोटा और लंबा था, उसकी बुर में घुसेड़ने लगा।

संजना पूरी पागल हो गई, ‘उईईइ.. अया.. बहुत.. टटटाइट है..’ कहकर अंगड़ाई लेने लगी।

राज का लंड पूरा का पूरा उसकी बुर में घुस गया था।
आज मेरी पतिव्रता बीवी की बुर में किसी गैर मर्द का लंड देखकर मेरी फैन्टेसी पूरी हो रही थी।
मैं काफ़ी खुश था और साइड में बैठ कर लंड हिला रहा था।

संजना बोली- अया.. उह.. हुन्न्ं.. क्या बात है जानू आज आपका लंड बहुत मोटा और बड़ा लग रहा है.. मेरे बर्दाश्त के बाहर हो रहा है.. ऐसा लग रहा है जैसे आज फिर से सुहागरात मना रही हूँ।

मैं फिर उसके पास जाकर बोला- डार्लिंग आज बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइट्मेंट में हूँ ना.. इसलिए लंड बड़ा और मोटा हो गया है। क्यों तुम्हें दर्द हो रहा है तो निकाल दूँ क्या?
मैंने ऐसा जानबूझ कर बोला।

वो तुरंत बोली- नहीं नहीं.. दर्द से ज़्यादा मज़ा.. आ रहा है.. प्लीज़ चोदिए ना.. आज मेरी बुर को फाड़ दीजिए.. आपका लंड आज लोहे की रॉड की तरह कड़ा है.. ऐसा लग रहा है.. जैसे मेरी बुर को फाड़ ही डालेगा।

ये सब सुनकर राज और भी ज़्यादा उत्तेजित हो गया और अपनी स्पीड बढ़ा दी।
स्पीड बढ़ने से संजना की आवाज और भी तेज हो गई।

पूरा रूम उसकी मस्त कामुक आवाजों से ‘अया..अया..’ गूँज रहा था।


वो काफ़ी ज़्यादा मज़े ले रही थी और बोले जा रही थी- हाँ डार्लिंग.. ऐसे हीं.. हाँ..इस…सस्स… आ..आ बहुत दिनों के बाद इतना मज़ा आ रहा है, लग रहा है जैसे जन्नत में हूँ।

उसकी बुर पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी.. जिससे उसकी कमर के नीचे रखे तकिया भी गीला हो गया था।
वो बोली- प्लीज़ अब डॉगी स्टाइल में चोदिए ना।

राज ने अपना लंड बाहर निकाला तो संजना आँखों पर पट्टी बँधे-बँधे ही डॉगी बन गई।
मैंने देखा कि राज के लंड में कुछ खून लगा था.. मैं समझ गया कि ज़्यादा मोटा और लंबा लंड होने के कारण से बुर से खून निकल आया है, कुछ खून तकिये पर भी गिरा था।

राज ने फिर से लंड संजना की बुर में पेल दिया.. वो चिहुंक उठी, पर राज पूरा ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।
पूरा कमरा ‘फ़च.. फ़छ..’ और ‘अया.. अयाया.. अया’ से गूँज रहा था।

संजना की चूचियां पूरी हिल रही थीं।

मैं साइड में मुठ मारने लगा।
फिर राज ने संजना को बिस्तर पर लिटा कर चोदना चालू किया और अपनी स्पीड राजधानी की रफ्तार से बढ़ा दी।

संजना तो ‘उई..मा… एयाया… अयाया मार दीजिएगा क्या… या..एयाया’ करने लगी और बोली- और ज़ोर से.. मैं झड़ने वाली हूँ।

राज पूरी स्पीड में चोदने लगा।
मेरा पलंग पूरी तरह से ‘हॅच..छ्च..’ की आवाज़ करने लगा.. जैसे पलंग टूट ही जाएगा।

और संजना बहुत एग्ज़ाइट्मेंट और एक जंगली जानवर की तरह झड़ने लगी।
उसने राज को कस कर पकड़ लिया और अपने नाख़ून पूरे ज़ोर से उसकी पीठ में गड़ा दिए।

संजना का स्खलन इतनी तीव्र और जंगली, भयानक था कि मैंने आज तक नहीं देखा था।
उसने इतने ज़ोर से राज को नाख़ून ग़ड़ाए कि राज की पीठ से खून निकलने लगा।

वो लगभग एक मिनट तक झड़ती रही, वो राज को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। इतना भयंकर स्खलन तो उसे सुहागरात के दिन भी नहीं हुआ था।

झड़ने के बाद वो पूरी तरह निढाल हो गई और बोली- क्या बात है मेरी जान.. इतना मज़ा आज तक नहीं आया था। आज बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया।

थोड़ी देर में शांत होने के बाद राज फिर से उसको चोदने लगा.. क्यूंकि उसका अभी माल नहीं निकला था।

संजना बोली- जान मैं आँख से पट्टी निकाल दूँ?
मैंने फिर उसके पास जाकर कहा- नहीं अभी नहीं..

राज उसको धमाधम चोदने लगा और संजना के झड़ने के कुछ मिनट बाद वो भी झड़ने को होने लगा।
संजना जान गई थी कि लंड से स्पर्म गिरने वाला है।

एकाएक वो पता नहीं क्या सोचकर, जिसकी मुझे भी उम्मीद नहीं थी, बोली- डार्लिंग आज मुझे सबसे ज़्यादा मज़ा आया है.. इसलिए आज मैं आपका वीर्य अपने मुँह में लेना चाहती हूँ।

यह सुनकर मुझे राज से जलन भी होने लगी.. क्योंकि आज तक संजना मेरा वीर्य मुँह में लेना तो दूर जिस्म पर भी नहीं गिरने देती थी।
वो कहती थी कि बहुत गंद करता है, उल्टी हो जाएगी।

राज ने अपना लंड चूत से निकाल कर संजना के मुँह में डाल दिया।
संजना बोली- तुम्हारा लौड़ा अभी भी बहुत ज़्यादा मोटा और कड़क है।

वो बेतहाशा लंड को चूसने लगी.. जिससे राज बेकाबू हो गया और लंड का रस उसके मुँह में ही छोड़ने लगा।

संजना खुशी-खुशी स्वेच्छा से उसके लंड के रस को.. जैसे कि कोई अमृत हो, मुँह में ले रही थी।

राज की अभी शादी नहीं हुई थी, इसलिए उसका वीर्य पूरी तरह से जमा हुआ, गाढ़ा और बहुत ही ज़्यादा थक्का किस्म का था।

संजना सारे लंड रस को मुँह में ले रही थी, उसे भी अचरज हो रहा था कि इतना ज़्यादा वीर्य कैसे निकल रहा है।

लगभग एक मिनट तक राज अपना वीर्य छोड़ता रहा।
संजना का पूरा मुँह लंड के वीर्य से लबालब भर गया था, यहाँ तक कि उसके मुँह में नहीं समा रहा था।
काफ़ी ज़्यादा वीर्य उसके मम्मों पर भी गिर गया था।

राज ने अब अपना लंड बाहर निकाल लिया।

मैंने देखा कि संजना का पूरा मुँह वीर्य से भरा हुआ था। जैसे खाने का एक बहुत ही बड़ा कौर(निवाला) मुँह में ले लिया हो।
मुझे लगा अब संजना वीर्य को थूक देगी।
पर ये क्या.. वो तो बड़े प्यार से खुशी-खुशी पूरा का पूरा वीर्य निगलने लगी और खाने लगी।

वीर्य काफ़ी ज़्यादा गाढ़ा होने की वजह से उसे निगलने में काफ़ी दिक्कत हो रही थी.. पर वो जैसे एक भी बूँद को खराब नहीं करना चाह रही हो.. उसने पूरा निष्ठा से वीर्य को निगल लिया था।

एक बार तो उसके गले में गाढ़ा वीर्य अटक सा गया.. जिससे उसे खाँसी भी आई.. पर वो फिर भी लगी रही।
सने पूरे वीर्य को उंगली का सहारा लेकर ऐसे निगल लिया था.. जैसे कोई दही खा रही हो।

वीर्य को पूरा का पूरा निगलने और खाने में उसे लगभग दो मिनट लगे। वो पूरा चटखारा मार-मार कर माल चाट रही थी और ‘उम्म्म.. उम्म्म..’ कर रही थी।
कुछ पलों के बाद वो पूरा का पूरा माल खा चुकी थी।

तब तक मैंने राज को बाहर जाने का इशारा भी कर दिया था और वो चला भी गया था।
मैंने संजना से पूछा- कैसा लगा डार्लिंग मेरा लंड रस?
तो वो बोली- सच में जान बहुत अच्छा लगा.. जैसे मैं कोई अमृत खा रही हूँ।

मैंने अब संजना का आँखों पर बँधी पट्टी खोल दी।
वो पूरा संतुष्ट लग रही थी और उसकी आँखों में एक अलग चमक थी।

उसकी एक नज़र तकिया पर गई जहाँ उसकी बुर से निकला हुआ रस और खून दिखाई दिया।
वो मुस्कुरा दी और मेरे तरफ बड़े प्यार से देख कर बोली- थैंक्यू डार्लिंग।

मैं भी मुस्कुरा दिया।
आख़िर आज मेरी फैन्टेसी जो पूरी हो गई थी।
एकाएक संजना ने देखा कि लंड का वीर्य जो कि राज का था.. उसकी चूचियों पर भी गिरा हुआ है।

वो मुस्कुराई और बोली- आज इतना ज़्यादा वीर्य कहाँ से निकला और वो भी इतना ज़्यादा गाढ़ा और टेस्टी.. सच में जानू आज मजा आ गया।

उसने ये कहते हुए मम्मों पर गिरा हुआ वीर्य जो काफ़ी गाढ़ा होने के वजह से एक ही जगह जमा हुआ था, जैसे कि गाढ़ा मक्खन हो.. उसको नशीली निगाहों से देखते हुए उंगली से उठा कर अपने मुँह में ले लिया और बड़े चाव से खाने लगी।

कुछ ही पलों में वो अपनी चूचियों का सारा माल पोंछ-पोंछ कर खा गई।
उसने एक भी कतरा नहीं छोड़ा और ‘उम्म.. टेस्टी है..’ कह कर मुस्कुराते हुए निगल गई।

अब वो मेरे पास आकर मेरे मुँह में किस करने लगी।
उसके मुँह से राज का वीर्य रस की महक मुझे बड़ी अजीब सी लगी, पता नहीं कैसे संजना पूरा का पूरा वीर्य खा गई थी।

अब संजना मेरे सीने से लग गई थी और सुस्त पड़ गई थी।

तो दोस्तो.. यह थी मेरे दोस्त जय की कहानी.. जिसमें मैं यानि कि राज भी शामिल था।
 
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Raanjhanaa

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मैं जो हिंदी सेक्स स्टोरी लिखने जा रहा हूँ.. यह बिल्कुल सत्य घटना है, इसमें लेशमात्र भी झूठ नहीं है। कहानी लिखने से पहले मैं अपने बारे में फिर से आप लोगों को परिचित करवा देता हूँ।

मेरी उम्र 30 वर्ष है, मेरी लंबाई 5 फुट 10 इंच है तथा वजन 78 किलोग्राम है। मैं देखने में एकदम गोरा तथा स्मार्ट हूँ। मेरी बीवी का नाम संजना है, जिसे मैं प्यार से संजू बोलता हूँ। उसकी उम्र 21 वर्ष है, औसत हाईट 5 फीट 6 इंच है। उसका रंग बिल्कुल मिल्की व्हाईट है। हमारी शादी दो वर्ष पहले हुई है। संजू शादी के वक्त काफी शर्मीली तथा दुबली-पतली थी, उसका वजन उस समय 36 किलो था तथा उसकी फिगर साईज 30-24-32 की थी। परंतु मेरी जबरदस्त चुदाई के वजह से उसकी साईज 34बी-28-36 का हो गया है तथा वजन 53 किलो हो गया है। अब वो देखने में पूरी मस्त लगती है। खासकर जब वो हंसती है तो कयामत ढहाती है। उसकी गांड पीछे की ओर काफी उठी हुई है, जब वो चलती है तो उसकी गांड जोर-जोर से हिलती है। उसकी चूचियाँ भी एकदम मिल्की व्हाईट हैं। मेरे मजबूत हाथों से चूचियों को मसलने की वजह से उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी हो गई हैं।


नेचर से मेरी संजू बिल्कुल मासूम और पतिव्रता टाईप की औरत है। वो मेरे अलावा किसी गैर मर्द की तरफ देखती भी नहीं है।

दोस्तों अब मैं अपनी बीवी की चुदाई की कहानी की असली दास्तान पर आपको ले चलता हूँ। मुझे पता नहीं है कि मैं नार्मल हूँ या नहीं.. पर मैं अपनी सेक्स लाईफ में हमेशा फेन्टेसी चाहता हूँ। मैं हमेशा नई-नई सेक्स फैन्टेसी करना चाहता हूँ। जिसमें मैं चाहता हूँ कि मेरी बीवी मेरा साथ दे। परंतु जैसे कि मैंने पहले भी बताया था कि संजना एक बहुत ही चरित्रवान किस्म की औरत है और बिल्कुल पतिव्रता है। इसी कारण मैंने अपनी बीवी को अपने दोस्त राज से संजना की आँख पर पट्टी बांध कर चुदवाया था, जिसकी कहानी आपने ‘पतिव्रता बीवी की गैर मर्द से चुदवाने की तमन्ना’ में पहले पढ़ी थी।

मेरे दोस्त राज से संजना को चुदवाने के बाद मुझे संजना को किसी और से चुदवाने का कीड़ा कुलबुलाने लगा था। परंतु इसमें चोदने वाले का विश्वास पात्र का होना बहुत जरूरी था, जो मुझे मिल नहीं रहा था।

एक दिन मैं और संजना एक ब्लू-फिल्म देख रहे थे, जिसमें एक 60 वर्ष का बुजुर्ग आदमी एक कमसिन लौंडिया को चोद रहा था। संजना ऐसी फिल्म पहली बार देख रही थी, वो एकदम गर्म हो रही थी।

यकायक वो बोली- क्या इतना बुजुर्ग आदमी भी किसी लौंडिया को चोद सकता है?
मैं बोला- क्यों नहीं.. बस उसको स्वस्थ होना चाहिए, बल्कि वो तो चुत चोदने में और ज्यादा अनुभवी होता है।

ब्लू-फिल्म देखते-देखते संजना कामुकता वश मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी अब उसे चोदने को तैयार था।
मैंने उसे नंगा किया और उसकी चुत में अपनी जीभ फेरना चाही तो देखा उसकी चुत से काफी पानी निकला हुआ है। मैं उसकी चुत को चूसने लगा।

वो ‘आह.. ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह.. आह..’ करने लगी। मैं लगभग 5 मिनट उसकी चुत चूसने के बाद उसकी क्लिट पर अपनी जीभ फेरने लगा, इससे वो पूरा मदहोशी में आ गई और सीत्कारियाँ भरने लगी।
मैं फुल स्पीड में उसकी क्लिट पर अपनी जीभ लपलपाते हुए चला रहा था, वो मस्ती में ‘उई.. स..स.. स… आह.. आह ओह..’ करने लगी।
मैं पांच मिनट और इसी तरह उसकी क्लिट को चूसता रहा.. कामुकता से वो पूरी बेकाबू होती जा रही थी।

एकाएक मैंने उसे चूसना छोड़ दिया.. तो वो चौंकी और घिघयाते हुए बोली- प्लीज कीजिए ना..!
मैंने कहा- पहले कल्पना करो कि वो बूढ़ा जो उस फिल्म में उस लड़की को चोद रहा था, तुम्हारी चुत को चूस रहा है।
वो बोली- छीः कैसे पति हैं आप.. किसी दूसरे को इमेजिन करने को बोल रहे हैं। मैंने आपको पहले भी कहा है कि मैं सिर्फ आपको ही इमेजिन कर सकती हूँ।
मैंने कहा- प्लीज सिर्फ फैन्टेसी के लिए करो ना?
वो बोली- बिल्कुल नहीं..
तो मैंने कहा- ठीक है.. छोड़ दो, मैं भी नहीं चूसता।

वो गिड़गिड़ाई- ऐसा क्यों चाहते हैं आप.. मैं वैसी औरत नहीं हूँ। ये सब मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है।
मैंने बोला- ठीक है अच्छा ये सोचो कि वो बूढ़ा हमें ये सब करते हुए देख रहा है।
संजना ने मेरे ऑखों में देखा और बोली- क्या आप भी ना.. कैसे मर्द हो?
मैंने बोला- बोलो इमेजिन करोगी.. तो ठीक नहीं तो छोड़ो रहने दो।
वो सेक्स को लेकर आतुर थी, कुछ देर सोचने के बाद कामुकता के अधीन हो कर बोली- ठीक है, अब प्लीज मुझे चोदिए ना, मेरी चुत में आग लगी है।

मैंने अपना लगभग 6.3 इंच का गोरा लंड निकाला जो कि बुरी तरह फनफना रहा था। मैंने उसको पीठ के बल लिटाया और दोनों जाँघों को कंधों पर उठा कर लंड को उसकी चुत में घुसाने लगा। उसकी चुत पहले से पूरा चिकनाहट से भरी थी, मेरा लंड सटाक से चुत की जड़ तक घुसता ही चला गया।

वो फिर से आंख मूंद कर मजा लेने लगी। मैंने उसकी चुत में अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी चुत से पानी निकलने लगा और वह ‘हाँ.. अह.. अ… ऐसे ही.. ईस्स… आह.. हुऊं..’ करने लगी।

एकाएक मैंने बोला- इमेजिन करो ना कि वो बूढ़ा हमें छुपकर देख रहा है।
वो बोली- नहीं.. छोड़िये ना ये सब, आप ही कीजिए।

मैंने अपना लंड उसकी फड़कती चुत से निकालने लगा तो वो मिन्नतें करने लगी कि प्लीज नहीं निकालो।
मैंने कहा- तो इमेजिन करो।
वो बोली- ठीक है।

उस समय उसकी आँख मुंदी हुई थीं।

मैंने उसकी चुत में अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और बोला- तो बोलो डार्लिंग.. कोई हमें देख रहा है क्या?
वो आँख मूँदे हुए ही धीरे से बोली- हाँ, वो साला ठरकी बुढ़ऊ हमारी चुदाई देख रहा है।
मेरा तो जैसे रोम-रोम फैन्टेसी से भर गया और मैं उसको और जोर से चोदने लगा।

अब मैं बोला- बताओ डार्लिंग कैसे देख रहा है वो?
वो बोली- साला छुप कर देख रहा है और मुझे देख कर मुँह से लार टपका रहा है।
‘और क्या कर रहा है वो डार्लिंग..?’
वो बोली- अब वो मेरी चूचियों को देख कर अपना मोटा लंड निकाल कर हाथ से सहला रहा है।

मैं समझ गया कि अब वो भी फैन्टेसी में जा चुकी है, मैं बोला- और बोलो डार्लिंग.. उसका लंड कितना बड़ा है, क्या वो मुझसे भी बड़ा है।
वो बोली- हाँ.. अ.. आह.. उसका लंड बहुत मोटा है और वो मुझे चुदते हुए देखकर लंड को जोरों से हिला रहा है।
मैं तो जैसे यही चाहता था, मैं पूरे जोर से संजना को चोदने लगा।

मैंने पूछा- क्या उस बूढ़े का मन तुझे चोदने को भी कर रहा है?
वो बोली- हाँ, लग रहा है कि वो भी मुझे चोदना चाह रहा है।
मैंने झट से मौके की नजाकत देखते हुए पूछ लिया- तो क्या उस बेचारे को बुला लूँ।
वो बोली- क्यों?

इस बीच मैंने अपनी चुदाई की स्पीड को काफी बढ़ा दिया था, वो झड़ने के कगार पर थी।

मैंने उससे कहा- उसे भी अपनी चुत का रस चखा दो.. बेचारा तर जाएगा, वैसे भी उसका लंड बहुत मोटा है.. तुम्हें भी पूरा मजा आएगा।

संजना ने ये सुना तो थोड़ी देर चुप रही, मुझे लगा कहीं वो मजे से बाहर आकर मना ना कर दे, पर मुझे आश्चर्य हुआ, उसने मना नहीं किया और उसने काफी धीरे से आंख मुंदी हुई अवस्था में कहा- ठीक है उस बेचारे को बुला लीजिए ना.. काफी देर से लंड हिला रहा है।

मुझे आश्चर्य हुआ कि इससे पहले वो इतनी जल्दी यह सब स्वीकार नहीं करती थी। ऐसा लगने लगा था जैसे वो फैन्टेसी में पूरी तरह डूब गई थी।
मैंने चुत में धक्का मारते हुए कहा- लो रानी.. वो बूढ़ा अपना फनफनाता हुआ लंड लेकर आ रहा है।
यह कहते हुए मैंने अपना लंड निकाल दिया.

वो इस हालत में नहीं थी कि चुत को बिना लंड के बर्दाश्त कर सके, वो लगभत कांपते हुए बोली- प्लीज.. चो…अ…दिए ना?
मैंने कहा- डालिंग अब बेचारे इस बूढ़े को भी अपनी चुत का अमृत पिला दो, ये लो ये बूढ़ा तेरी चुत में अपना लंड डाल रहा है।
ये कह कर मैंने तुरंत अपना लंड संजना की चुत में डाल लिया।

वो जैंसे चिहुँक उठी और लंबी सी ‘इ…स… अअअअ.. सस्ससस.. आह.. ओ…माँ.. आह.. हहह..’ करके नीचे से जोर-जोर से अपनी गांड को उठा-उठा कर चुदवाने लगी।
मैंने सरसराते हुए पूछा- कैसा है डार्लिंग बूढ़े का लंड?

वो जैसे सही में उससे चुदवा रही हो, वैसे बोली- अह.. काफी मोटा है.. हु…अ.. आह लगता है जैसे आज ये हरामी मेरी चुत फाड़ देगा।
और यह कहते कहते संजना ने पूरे जोर से अपने शरीर को मरोड़ा और अकड़ कर झड़ने लगी। इस दौरान उसने मुझे कस के पकड़ लिया था।

मैं भी अब झड़ने वाला था तो मैंने भी 10-15 धक्के जोर के लगाकर लंड बाहर करते हुए उसकी चुत के ऊपर अपना माल निकाल दिया।

यहाँ मैं यह बता दूँ कि हम दोनों परिवार नियोजन कर रहे हैं और इस कारण मैं अपना वीर्य उसकी चुत के अन्दर नहीं डालता हूँ।

सेक्स के बाद मैंने संजू से पूछा- डार्लिंग कैसा लगा वो बूढ़ा?
वो बोली- धत्.. आप तो पागल हो। आपके भी अजीब-अजीब शौक हैं।

मैंने अचानक उससे पूछ लिया- डार्लिंग क्या तुम सच में कोई बूढ़े से चुदवाओगी?
वो तो जैसे एकाएक तिलमिला गई और मुझे झिड़कते हुए मुझे बुरा-भला कहने लगी।

मैं हंसने लगा तो बोली- वो तो आपके लिए थोड़ा इमेजिन कर लिया, इसका मतलब ये नहीं है कि आप मेरा स्त्रीत्व ही भंग कर दें।
उसने मुझसे बोलना बंद कर दिया।

मैंने सोचा बेटा तेरी शादी निहायत ही नेक औरत से हुई है।

लेकिन ये सब बातों से मेरे अन्दर एक नई फैन्टेसी ने जन्म ले लिया था कि क्यों ना संजना को किसी बूढ़े आदमी से चुदवा दूँ, पर वो तो मानेगी नहीं।

एकाएक मेरे दिमाग में आया क्यों ना मैं संजना को फिर से उसकी आंखों पर पट्टी बांध कर जिस तरह राज से चुदवाया था, फिर से चुदवाऊं।
यह सोच कर ही मेरा रोम-रोम रोमांचित हो गया, मैं सोचने लगा कि ऐसा आदमी मुझे कहाँ मिलेगा।

तभी अचानक मुझे मेरे ऑफिस के एक बुजुर्ग कर्मी गुप्ता जी का ख्याल आया, जो मेरे ऑफिस में सहायक अभियंता के पद पर हैं।
 
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Raanjhanaa

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Chapter 4
अब तक आपने मेरी इस बीवी की चुदाई सेक्स स्टोरी में पढ़ा कि मैं अपनी सेक्सी देसी बीवी को एक बूढ़े से चुदवाने की सोचने लगा था और मुझे मेरे ऑफिस के एक बुजुर्ग कर्मी गुप्ता जी का ख्याल आया, जो मेरे ऑफिस में सहायक अभियंता के पद पर हैं।
अब आगे..

अब मैं उनके बारे में आपको कुछ बताता हूँ। गुप्ता जी लगभग अपनी नौकरी के अंतिम पड़ाव पर थे, उनकी उम्र कोई 57-58 के आस-पास होगी, उनके सब बाल लगभग झड़ चुके हैं। गुप्ता जी की लंबाई कोई 5 फीट 6 इंच की होगी, गोरा रंग एवं उनके शरीर में बुढ़ापे में भी गजब की चुस्ती थी।

ये सब इस कारण भी था कि वे प्रत्येक दिन 5 बजे उठकर एक घंटा योग करते थे। उनका पेट थोड़ा निकला हुआ था। उनका बेटा का उम्र भी हमसे बड़ा अर्थात 35 साल का था, जैसे कि उन्होंने ही मुझे बताया था। चूँकि मैं भी एक इंजीनियर हूँ, तो ऐसे में हम दोनों, उम्र का काफी अंतर होने के बावजूद भी खुले हुए थे। गुप्ता जी बड़े बिन्दास थे, वे हमसे तो कभी-कभी कहते थे कि जय कोई लड़की या औरत का व्यवस्था करवाईए ना, मैं उसे एक बार के दस से पन्द्रह हजार भी देने को तैयार हूँ।

इस मैं बोल देता कि क्या गुप्ता जी.. इस उम्र में आपसे ये सब नहीं हो पाएगा।
वो बोलते कि अरे आजमा के देख लीजिएगा पुराना चावल हूँ।
और हम लोग हंसने लगते थे।

तो अब मैं संजना को उससे चुदवाने के लिए प्लानिंग को अंजाम देने के लिए व्यवस्था करने लगा।

एक दिन आफिस के बाद मैंने उससे कहा- चलिए एक मूवी देखने चलते हैं। वहाँ के लोकल हॉल में उस समय ‘जिस्म-2’ फिल्म लगी हुई थी।
फिल्म देखने के बाद वो बोले- जय यार कोई व्यवस्था करवाइए ना.. मुझे एक टंच माल चाहिए, जितना भी खर्च लगेगा मैं दूँगा।
मेरे पास यही मौका था, मैंने बोला- समझिए कि काम हो गया।
वो खुश होकर बोले- क्या?
मैंने बोला- एक लड़की है.. अभी 21 साल की है उसकी शादी को दो साल हुए हैं.. काफी सुंदर है।
वो खुश होकर बोले- फौरन व्यवस्था करो ना, कौन है वो?

मैं कहते हुए सकुचा रहा था, लेकिन नहीं कहने से भी मेरा बात नहीं बनती।

मैं बोला- अच्छा बताइए मेरी वाईफ कैसी है?
वो तो पहले चौंके, फिर बोले- संजना तो मेरी बेटी के जैसी है, निहायत शरीफ और खानदानी बच्ची है, लेकिन ये आप क्यों पूछ रहे हैं?
मैं थोड़ा घबराते हुए धीरे से बोला- क्या आप संजना के साथ सेक्स कीजिएगा?

वो तो जैसे सन्न रह गए और जोर से बोले- पागल हो गए हो क्या, अरे ठीक है मैं तुमसे खुल गया हूँ, इसका मतलब ये नहीं है कि मुझमें इंसानियत नहीं है। मैं हमेशा तुम्हें अपने बेटे तथा संजना को बेटी की नजर से देखा है।
मुझे लगा जैसे मामला हाथ से निकल रहा है, मैंने बोला- गुप्ता जी देखिए वो सब छोड़िए, ये कोई आपकी सगी बेटी नहीं है और जब मैं राजी हूँ तो आपको क्यों ऐतराज है। वैसे भी मैं तो आपके लिए कह रहा था, आपकी वाईफ को भी तो गुजरे पांच साल हो गया है। यही मौका है और हाँ इसमें आपको कोई पैसा भी नहीं देना है।

वो थोड़ी देर चुप रहे और बोले- लेकिन तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, क्या संजना इसके लिए तैयार है?
मैंने बोला- ये मेरी सेक्स फैन्टेसी है, इस बारे संजना को कुछ पता नहीं है और उसे पता चलेगा भी नहीं.. क्योंकि मैं उसकी आंख पर पट्टी बांधकर उसे आपसे चुदवाऊँगा।
गुप्ता जी तो जैसे रुआंसे से हो गए और बोले- सच में जय आप बहुत अच्छे इंसान हो, संजना सी कमसिन लड़की से सेक्स करके मेरी जिंदगी तर जाएगी। वैसे भी मैंने 6-7 सालों से सेक्स नहीं किया है।

मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें आश्वस्त किया।
गुप्ता जी बोले- तो आज ही फिक्स कीजिये ना।
मैं बोला- नहीं.. आज संजना का मासिक का दूसरा दिन है। कल रात को प्रोगाम बनाते हैं।
वो बोले- ठीक है।

इसके बाद हम लोग घर आ गए। मैं घर आया तो संजना बोली- आज आपको ऑफिस से आने में काफी देर हो गई, घड़ी देखो, 9 बज गए हैं?
मैंने कहा- हाँ एक दोस्त के यहाँ चला गया था।

वो खाना ले आई और हम लोग खाकर बिस्तर पे आ गए। मैं उसके होंठों के किस करने लगा तो वो बोली- ओ…हो.. आपको तो 3 दिन भी बर्दाश्त नहीं होता है। आपके पता है ना कि मेरे पीरियड चल रहे हैं.. कल खत्म हो जाएंगे, तो जितना मन करे, कर लीजिएगा।

मैं उसकी मासूमियत पर फिदा हो गया।

मैं सुबह उठा तो देखा संजना नहा कर तैयार हो गई थी, वो काफी सुंदर लग रही थी।
वो चुपके से आकर मुझे चूमते हुए बोली- मेन्सिज खत्म हो गया है।
इतना कह कर वो मेरे करीब हो कर मेरे होंठों को चूसने लगी।

संजना अपने मेंसिस खत्म होने के बाद काफी कामुक हो जाती है, उसे इस समय चुदाई चाहिए ही चाहिए होती है।

चूंकि मैं उसे आज गुप्ता जी से चुदवाना चाहता था, पर मुझे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उसे बेड पर लिटाया और फोरप्ले करने के बाद उसकी चूत में लंड पेल दिया।
उसने जोर से सिसकारी ली ‘ई…स.. ससस.. आह…’

मैं उसे धकापेल चोदने लगा। अभी 10-15 बार ही लंड अन्दर-बाहर किया था कि उसकी चूत से थोड़ा खून निकल गया। वो बोली- लगता है अभी मेंसिस क्लियर नहीं हुआ है।

मैंने सवालिया निगाहों से उसे देखा तो उसने मुस्कुरा कर कहा- फिर भी आप कीजिए ना.. मजा आ रहा है।
मैंने लंड निकाल कर बोला- नहीं.. इससे हम दोनों को इन्फेक्शन हो जाएगा।

वो अधचुदी मन मसोस कर रह गई।

ऑफिस से आते समये गुप्ता जी बोले- तो आज फिक्स है ना?
मैंने बोला- गुप्ता जी उसका मेंसिस आज पूरी तरह से क्लियर नहीं हुआ.. कल का डन।
वो थोड़ा मायूस हो गए।

अगला दिन रविवार का दिन था। सुबह ही संजना का मेंसिस पूरी तरह से क्लियर हो गया था। वो सुबह ही मुझसे चुदने को आतुर थी, पर मैं उसे रात के लिए पूरी तरह से व्याकुल कर देने के मूड में था।
मैंने बोला- अभी नहीं रात को करेंगे।
वो जिद कर रही थी, मैं बोला- थोड़ा सब्र करो.. सब्र का फल मीठा होता है।

वो किसी तरह कंट्रोल हुई। मैं उस दिन भर संजना को छेड़ता रहा, कभी-कभी उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत पर दबाव बना देता था तो कभी उसके गांड पर हाथ फेर देता, तो कभी चुची मसल देता।

वो तो जैसे चुदवाने के लिए बेताब हो जाती थी।

शाम होते-होते उसकी आँखों में हवस भर गई थी तथा उसकी आँखें नशीली हो गई थीं। देख कर ऐसा लग रहा था जैसे इसको कोई लंड मिल जाए, तो वो इसे खा जाएगी।
मैंने उससे बोला- संजू आओ तुम्हारी झांटें साफ़ कर दूँ।
वो बोली- अभी ज्यादा बड़ी नहीं हैं, रहने दो।
मैं बोला- कोई बात नहीं.. मैं आज पूरी सफाचट कर दूँगा।

वो हंस पड़ी और आ गई।
वो चेयर पर बैठ गई और उसने अपने दोनों पैरों को फैलाकर चूत को मेरी तरफ कर दिया।

संजना आज कुछ ज्यादा ही हसीन दिख रही थी।

मैंने उसकी चूत पर किस किया, तो वो आह कर उठी और मैं उसकी चूत के ऊपर वीट हेयर रिमूवर लगाने लगा।

वो आंख मूंदकर चूत साफ़ करवाने का मजा ले रही थी। मैंने देखा उसकी चूत से काफी पानी रिस रहा है, इतना रस टपक रहा था कि चूत पर लगी हुई हेयर रिमूवर क्रीम भी धुल रही थी।

मैंने उसकी झांटों को एकदम साफ किया अब उसकी चूत काफी चिकनी-चमेली लग रही थी।

मैं उठ कर जाने लगा तो उसने मुझे पकड़ लिया और बोली- प्लीज बहुत मन कर रहा है.. अभी ही कीजिए ना, अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है।
मैं उसकी हालत समझ रहा था और मैंने बोला- बस कुछ देर और रात को निश्चिन्त होकर चुदाई करेंगे।

इस बीच मैंने गुप्ता जी को तैयार होने कह दिया था। रात को जैसे ही दस बजे और हम लोग बेड पर आ गए।

संजना तो जैसे सुबह से इस पल के लिए व्याकुल थी। मैंने बेडरूम में आकर बाजार से गुलाब के फूल लाकर उसकी पंखुरियों से पूरा बेड सजा दिया था, जिससे पूरा कमरा महक रहा था।

संजना ने जैसे ही कमरे में आकर ये देखा, वो काफी खुश हो गई और बोली- वाह मेरे राजा आज काफी मूड में हो, चलो मैं भी आज आपको पूरा खुश कर दूँगी।

उस समय संजना कैप्री और कमीज पहने हुए थी। मैंने उसे बेड पर बिठाया और होंठों पर हल्के से किस किया, वो मदहोश हो गई और जोर-जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी.. जैसे कि मुझे खा ही जाएगी।
इससे उसकी व्याकुलता साफ झलक रही थी।

मैं बोला- रुको डार्लिंग आज कुछ अलग करते हैं।
वो बोली- क्या?
मैंने झट से अपनी पॉकेट से एक ब्लैक कलर का स्लीपिंग आई कवर निकाला और उसकी आँखों पर बांधने लगा।
वो बोली- इसकी क्या जरूरत है.. ऐसे ही कीजिए ना?
मैंने कहा- नहीं… मुझे अच्छा लगता है।
वो खुश होते हुए बोली- ठीक है डार्लिंग आज आपको जो अच्छा लगे सो कीजिए.. मैं आपको मना नहीं करूँगी।

मैंने उसकी आंखों पर अच्छी तरह से कवर को बांध दिया.. जिससे कि उसे कुछ भी नहीं दिखे।
उसने बाँहें फैलाते हुए कहा- अब आइए ना।
मैंने कहा- एक मिनट मैं मेन गेट चैक कर लेता हूँ.. कहीं खुला तो नहीं है।

इसी बहाने मैं बाहर गया और गुप्ता जी, जो कि प्लॉन के मुताबिक गेट के पास चुपचाप खड़े थे, उनको चुपके से अन्दर कर लिया और दरवाजा बंद कर दिया।

अब हम लोग दबे पाँव बेडरूम में आ गए थे। गुप्ता जी संजना को देख कर ऐसे खुश थे, जैसे उन्हें हूर की परी मिल गई हो। वे कृतज्ञ भाव से मेरी तरफ देखने लगे। मैंने चुपके से उनकी पीठ में थपकी दी।

संजना जो व्याकुलता से मेरी पहल का इंतजार कर रही थी, बोली- प्लीज अब जल्दी आइये ना.. अब मुझे जरा भी बर्दाश्त करने का सामर्थ्य नहीं है।
मैं बोला- हाँ डार्लिंग.. बस आता हूँ लेकिन तुम्हें मेरी कसम है, आज बिना मेरे कहे तुम अपनी आँखों से पट्टी नहीं हटाओगी।
संजू अपने दूध दबाते हुए बोली- ठीक है राजा.. अब जल्दी से आकर मेरी प्यास बुझाइए ना।

मैंने गुप्ता जी को संजना के पास जाने का इशारा किया और खुद एक कोने में चुपचाप बैठ गया। गुप्ता जी संजना के पास गए और बैठ गए और अपने कांपते होंठों को संजना के होंठों से सटा दिए। एकाएक संजना बोली- ये आपके होंठों को क्या हो गया.. कुछ अजीब लग रहा है।

मैंने सुना तो अकचका गया। मुझे लगा जैसे वो जान जाएगी।
मैं झट से गुप्ता जी को हटा कर वहां बैठ गया और बोला- कुछ नहीं डार्लिंग, तुम ज्यादा व्याकुल हो ना.. इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है।

वो कुछ नहीं बोली।

मुझे लगा कि ऐसे तो संजना जान जाएगी, अब एक ही उपाय है इसे रोल प्ले में लाना पड़ेगा।

मित्रो, मुझे उम्मीद है कि आप सभी को यह कहानी पसंद आ रही होगी।
 
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Raanjhanaa

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अब तक आपने मेरी बीवी की चुदाई सेक्स कहानी में पढ़ा कि गुप्ता जी मेरी सेक्सी देसी बीवी को चोदने के लिए उसको चूमने लगे थे जिससे संजना को कुछ शक हुआ और मुझे लगा कि ऐसे तो संजना जान जाएगी, अब एक ही उपाय है इसे रोल प्ले में लाना पड़ेगा।
अब आगे..

मैंने बोला- संजू तुमने कहा था ना कि आज मैं जो कहूँगा.. वो तुम करोगी तो प्लीज आज मेरी खातिर उस बूढ़े की कल्पना करो ना, जिसे तुमने पहली बार इमेजिन किया था, आज मेरी खातिर उसे फिर से इमेजिन कर लो ना!
वो बोली- क्या बकवास कर रहे हैं आप.. ये सब एक बार होता है, बार-बार नहीं।
मैंने कहा- तुम्हें मेरी कसम एक लास्ट बार कर लो ना!


मेरी बीवी पतिव्रता थी और मेरी कसम को कभी टाल नहीं सकती है, वो बुझे मन से बोली- ठीक है।
मैंने कहा- तो सोचो कि वो बूढ़ा तुम्हारे पास आ रहा है.. उस बेचारे की प्यास बुझा दो।

वो जल्द ही करेक्टर में घुस गई क्योंकि वो इस वक्त पूरी तरह से चुदवाने के लिए व्याकुल जो थी। वो आंख पर पट्टी बांधे-बांधे ही बोली- हाँ आ जाइए बूढ़े बाबा, जल्दी से मेरी चुत की प्यास बुझा दीजिए।

गुप्ता जी संजना के पास गए और संजू के होंठों पर अपना होंठ रख दिए। संजना तो जैसे सेक्स के लिए पागल हो गई थी वो गुप्ता जी के होंठों को मेरे होंठ समझ कर पूरे जोर-जोर से चूसने लगी। गुप्ता जी आँखें मूंदे हुए संजू के होंठों का रसपान कर रहे थे। इसी बीच गुप्ता जी ने संजू की कमीज के ऊपर से ही उसके चूचों को पकड़ लिया और सहलाते हुए हल्के-हल्के से मसलने लगे।

गुप्ता जी चुत चोदने में इतने माहिर थे कि जल्द ही संजना आहें भरने लगी। गुप्ता जी ने इसके बाद संजू की कमीज को बड़ी नजाकत से उतार दिया।

उसका भरा बदन देखकर गुप्ता जी के आंखों में चमक आ गई थी। वो फिर संजना की गर्दन पर हल्के होंठों से किस करना चालू किया तथा कान के बगल में जीभ से किस करने लगे। संजू इस अंदाज को महसूस करके बेहाल हुए जा रही थी।

अचानक गुप्ता जी संजना के कान के आधे हिस्से को अपनी मुँह में लेकर चुभलाने लगे। संजू जैसे रोमांस के शिखर पर पहुँच गई थी।

इसी बीच गुप्ता जी ने संजू की ब्रा का हुक खोल कर उसके मम्मों को आजाद कर दिया और उसके चूचों को बड़े शातिराना अंदाज में हल्के हाथों से मसलने लगे। चूचियों को मसलने के साथ बीच-बीच में गुप्ता जी निप्पल की घुंडियों को भी चुटकी से घुमा देते थे। ये सब संजना की चुदास की आग में घी डालने का काम कर रहा था।

संजू की चूचियां एकदम दूधिया रंग की थीं.. और निप्पल लालिमा लिए हुए थे।

गुप्ता जी संजना के कान को चुभलाते हुए उसकी गर्दन पर किस करते हुए गर्दन से नीचे दोनों चूचों के बीच अपनी जीभ फिराने लगे और वे दोनों हाथों से उसकी चूचियों को मसल भी रहे थे।
संजना ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी.. सी..’ करती जा रही थी।

इसके बाद गुप्ता जी ने अपनी कमीज और गंजी को खोल दिया, उनकी बड़ी सी तोंद साफ दिख रही थी। इसके बाद गुप्ता जी ने संजना के चुचों को ललचाई नजर से देखा और अपनी जीभ चुचों के आस-पास फिराने लगे।
फिर धीरे-धीरे अपनी जीभ को संजू के निप्पल पर ले गए और कभी धीरे, कभी जोर से चाटने और चुभलाने लगे।

संजू के निप्पल पूरे नुकीले और खड़े हो गए थे, संजू बेकाबू होते जा रही थी.
अब गुप्ता जी की स्पीड थोड़ी बढ़ी और वो कभी इस चुची को, कभी उस चुची को चूसने लगे। बीच-बीच में वे संजू के निप्पलों की घुंडियों को दांत से काट भी लेते थे।

संजू ‘आह.. अममम.. ओह..’ किए जा रही थी।

इसी बीच गुप्ता जी ने संजू की कैप्री को अपने पैरों से नीचे खींचकर अलग कर दिया था। अब वो सिर्फ पैन्टी में थी।

गुप्ता जी संजना की चुचियों को लगातार चूसे जा रहे थे। ये सब फोर-प्ले करते कई मिनट हो चुके थे।
तभी चुदासी संजना के मुँह से अचानक आवाज निकली- वाह बाबा आप तो चुदाई के बड़े माहिर खिलाड़ी हो और मजा लो मेरी जवानी का.. अह..
संजना पूरी तरह से किरदार में घुसी हुई थी।

अचानक गुप्ता जी चूचियों को चूसते हुए अपना हाथ संजना के पेंटी पर ले गए, संजू की पेंटी पूरी तरह से भीग चुकी थी, गुप्ता जी संजू की पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगे।

चुत पर हाथ लगते ही संजना ‘ईस्स.. अ..अह..’ कर उठी।
गुप्ता जी अचानक धीरे से अपना हाथ संजना की पेंटी के अन्दर डालते हुए उसकी चूत को सहलाने लगे और उन्होंने अपनी एक उंगली को संजना की चूत में घुसा दी। संजना के मुँह से जोर से ‘आह.. बाबा..’ की आवाज निकली।

गुप्ता जी ने संजना की चूत में 4-5 बार उंगली करने के बाद उंगली को बाहर निकाला। उंगली पूरी तरह से चुत रस में भीगी हुई थी। गुप्ता जी से रहा नहीं गया और वे संजू की चुत के रस से भरी उंगली अपने मुँह में लेकर चाटने लगे।

अब गुप्ता जी संजू की चूचियों के नीचे उतरते हुए पेट पर तथा नाभि पर धीरे-धीरे जीभ फिराते हुए संजना के मांसल जांघों के पास आ गए और वहाँ जीभ फिराने लगे। इसके बाद चूत के आस-पास जीभ फिराने लगे। संजना की चूत का नमकीन पानी, जो उसकी चूत के आस-पास लगा हुआ था, उसको गुप्ता जी ने पूरा चाट लिया।

संजना को लगा जैसे अब उसकी चूत चुसाई होगी इसलिए उसने अपनी जांघें खोल दी थीं। लेकिन गुप्ता जी बिना चूत चूसे जांघों से नीचे आ गए और पूरे पैर की एक-एक जगह को जीभ से सहलाते रहे।

इसके बाद उन्होंने संजू को उल्टा कर दिया और उसकी पीठ से लेकर गांड तक के पूरा बदन को खूब चूमा। गांड के पास आकर गुप्ता जी की आंखें फटी की फटी रह गई। एकदम चिकनी एवं गोरी गांड जो कि पूरा उठी हुई थी, ऐसी मदमस्त गांड को गुप्ता जी ने पहले अपने हाथों से मसला, फिर अपने मुँह से दो मिनट तक चूसा।

इसके बाद गुप्ता जी संजू की गांड के छेद में अपनी जीभ फिराने लगे, जिससे संजना असीम आनन्द में खोती जा रही थी, अब संजना से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो बोली- प्लीज बाबा.. अब मेरी चूत चूसिए ना..
ये कहते हुए वो पलट गई।

गुप्ता जी ने पहले संजू की चूत को देखा जो काफी चिकनी थी.. और उस पर एक भी बाल नहीं था।

अब गुप्ता जी ने अपने मुँह को संजना की चूत के पास ले गए और उसकी चुत को सूंघा.. और अगले ही पल उसकी फूली हुई गोरी चूत को चूसने लगे। गुप्ता जी ने मेरी बीवी की चूत को दोनों हाथों से फैलाकर उसमें अपनी जीभ ठेल कर अन्दर-बाहर करने लगे।

संजना चुदास से अपने सर को इधर-उधर करने लगी और ‘ईस्स.. अअआह.. अअहह..’ करने लगी।

अब गुप्ता जी संजना की क्लिट, जो कि संजू का सबसे सेंसिटिव पॉइंट है.. उसको अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगे।
संजू बेतहाशा सिर को कामुकता से इधर-उधर कर रही थी। एकाएक उसका शरीर अकड़ने लगा और वो बेतहाशा झड़ने लगी और पूरा पानी छोड़ने लगी।
गुप्ता जी अब भी पूरी स्पीड से उसकी क्लिट को चूसे जा रहे थे।

अचानक संजू बोली- प्लीज बाबा.. अब छोड़ दीजिए.. अब सहन नहीं हो पा रहा है।
पर गुप्ता जी को तो मानो कोहिनूर का हीरा मिला हुआ था, वो चुत चूसते जा रहे थे।
संजू गिड़गिड़ाई- छोड़ दीजिए, अब पेशाब निकल जाएगी.. छोड़ दीजिए..

पर गुप्ता जी उसी स्पीड में चुत चुसाई में लगे हुए थे। संजू को सहन नहीं हो पाया और उसके मूत्र के छेद से एक छुरछुराती हुई मूत्र की धारा निकलने लगी।

गुप्ता जी अपना मुँह उसके मूत्र छिद्र पर रखकर सारा मूत पीने लगे, जैसे कि वो मूत नहीं लिम्का हो।

संजना की पेशाब पूरे वेग से रह रह कर ‘छुर्ररर.. छुर्रररर..’ की आवाज के साथ निकल रही थी.. और गुप्ता जी सारा का सारा मूत्र बड़े मनोयोग से पिए जा रहे थे।

लगभग 6-7 बार मूत्र की धारा संजना की चूत से पिचकारी के मानिंद निकली होगी, जो गुप्ता जी सारी पी गए।

ये देख मुझे आश्चर्य हो रहा था। इस बीच मैं भी मुठ मारते-मारते एक बार झड़ चुका था।

संजना जोर-जोर से हांफ रही थी। गुप्ता जी भी कुछ-कुछ हांफ रहे थे, आखिर थे तो बजुर्ग ही।

गुप्ता जी का पूरा मुँह संजना के मूत और चूत रस से भीगा हुआ था। संजना ने अब अपनी आंख से पट्टी हटाना चाही तो मैंने कहा- अभी नहीं.. मैंने तुझे कसम दी है और वैसे भी उस बाबा ने (इमेजिन वाला रोल प्ले वाला बूढ़े को बाबा से संबोधित किया जा रहा था) तुझे इतना मजा दिया है तो क्या तुम्हारा फर्ज नहीं है कि तुम भी इस बेचारे बूढ़े पर भी दया करो।
संजना भी कैरेक्टर में घुस कर बोली- ठीक है बेचारे बूढ़े बाबा ने बहुत मेहनत की है, उन्हें इसका फल मिलेगा।

संजना इसी हालत में उठी और पलंग पर बैठ कर बोली- ऐ बाबा.. आइए अपना मोटे लंड की लॉलीपॉप मुझे चूसने दीजिए ना।

गुप्ता जी ने अपना पजामा खोला तथा इसके बाद अपना लंगोटा भी खोल दिया, वो लंगोटा पहनते थे।

गुप्ता जी ने जैसे ही अपना लंगोटा खोला.. उनका लंड उछल कर बाहर आ गया। मैं उनका लंड देखता ही रह गया, आप सभी को भी आश्चर्य होगा, पर यही सच है कि गुप्ता जी का लंड जो कि अभी मुरझाई अवस्था में ही लगभग 5.5 इंच तथा बहुत मोटा था और काफी काला था। मुझे लगा इसकी साईज को तो संजना भांप जाएगी। मैंने फिर नजदीक जाकर संजना का कहा- हाँ डार्लिंग ये बूढ़ा अपना मोटा लंड लेकर तुम्हारे पास आ रहा है।

गुप्ता जी संजना के पास गए और उन्होंने अपना मोटा लंड संजना के हाथ में दिया। संजना ने मुरझायी अवस्था में इतना बड़ा लंड महसूस किया तो बोली- आपका लंड इतना बड़ा कैसे हो गया?

मैंने काम बिगड़ते देख कर बड़ी चालाकी से गुप्ता जी से सट कर बोला- डार्लिंग ये मेरा थोड़े ना है.. ये तो उसी बूढ़े का मोटा लंड है, जिससे तुम चुदवाने वाली हो, तुम पूरी इमेजिनेशन में हो ना इसीलिए बड़ा लग रहा है।

संजना भी काफी देर से इस करेक्टर में थी। इस वजह से वो फिर से जल्द ही करेक्टर में घुस गई और बड़े एवं मोटे लंड को इमेजिन करने लगी।

इस तरह के इमेजिनेशन से और वो भी इतना मोटा लंड स्पर्श करने के बाद संजना फिर से गरमा गई थी।

संजना ने गुप्ता जी के लंड को अपने हाथों में लिया और थोड़ा हिलाया। गुप्ता जी आंख मूंदे हुए थे, इनके लंड में अभी तक कोई हरकत नहीं हुई थी, ये अनुभव की वजह से था।

संजू ने गुप्ता जी के लंड के आगे वाली चमड़ी को पीछे किया, पीछे करते ही एक अजीब सी दुर्गंध पूरे कमरे में फैल गई।
 
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अब तक आपने मेरी बीवी की चुदाई स्टोरी में पढ़ा था कि मेरी बीवी संजू ने गुप्ता जी के लंड के आगे वाली चमड़ी को पीछे किया, पीछे करते ही एक अजीब सी दुर्गंध पूरे कमरे में फैल गई।
अब आगे..

मैंने देखा कि गुप्ता जी के लंड की चमड़ी के नीचे अर्थात सुपारे के ऊपर कई सालों से चुदाई नहीं करने एवं लंड का सफाई नहीं करने के कारण पूरा सफेद रंग की जमी हुई परत चढ़ गई थी।


मैंने तथा संजना ने अपनी नाक बंद कर ली, लेकिन संजना आँखों पे पट्टी रहने की वजह से ये गंदी परत नहीं देख पाई।
वो बोली- लंड साफ नहीं किए थे क्या?
मैं फिर बगल में जाकर बोला- डार्लिंग ये उस बूढ़े का लंड है.. बेचारा गरीब है साबुन शैम्पू नहीं मिलता है, उस पर दया करो.. सिर्फ इसके लंड को महसूस करो जो कि तुम्हारी चूत फाड़ने के लिए काफी है।

संजना मोटे लंड और चूत फाड़ने की बात सुनकर और ज्यादा गर्म हो गई और गर्म-गर्म सासें छोड़ने लगी।

सच ही कहते हैं लोग कि सेक्स में पूरी तरह से डूब जाने के बाद घृणा नाम का चीज नहीं रह जाती है।

संजना ने आव देखा ना ताव गुप्ता जी के लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी। लंड से अभी भी दुर्गंध आ रही थी, पर संजना को अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो तो गुप्ता जी के लंड को आईसक्रीम की तरह चूसे जा रही थी।

संजू गुप्ता जी के लंड के सुपारे पर जमी सारी सफेद गंदगी को चूस कर अपने मुँह के अन्दर बड़े चाव से चूस रही थी। संजना की धड़कनें धौंकनी की तरह चल रही थीं।

संजना ने गुप्ता जी के लंड को मुँह से निकाला तो देखा गुप्ता जी का लंड पूरा साफ हो गया था। संजना के होंठों पर वो सफेद गंदगी लगी हुई थी। एकाएक गुप्ता जी ने अपना मुँह संजना के होंठों से लगा दिया और उसके मुँह पर सारी गंदगी को खा गए। वे उसे बेतहाशा चूसने लगे या यूं कहिए कि होंठों को खाने लगे।

संजना फिर से गुप्ता जी के लंड को चूसने लगी। वो पूरे जोर से लंड के चूसे जा रही थी। लगभग पांच मिनट लंड चूसने के बाद भी गुप्ता जी का लंड खड़ा नहीं हुआ। मुझे आश्चर्य होने लगा और संजना को भी कुछ लगने लगा था।

मुझे लगा अब बुढ़ापा औकात दिखा रहा है। संजना परेशान हो गई और बोली- क्या हुआ बाबा.. आपका लंड खड़ा क्यों नहीं हो रहा है?
मैं उसके पास जाकर बोला- बेटी (करेक्टर में) बूढ़ा आदमी हूँ.. मुझ पर थोड़ा रहम करो.. मुझे समय लगेगा, मुझे तृप्त कर दो बेटी।

संजना अब अलग अंदाज में जीभ को गुप्ता जी के मूत्र छेद में फिराने लगी तथा उनके टट्टे भी मुँह में लेकर चूसने लगी।

गुप्ता जी ये सब देख रहे थे और वो संजना की चूचियों की घुंडी को भी घुमाते हुए चिकोटी सी काट रहे थे। संजना पूरी निष्ठा से गुप्ता जी के लंड के सुपारे को मुँह में भरकर कभी अन्दर.. कभी बाहर कर रही थी।

लगभग दस मिनट लंड चूसने के बाद मेहनत रंग लाई और गुप्ता जी का लंड खड़ा होने लगा।

संजना खुश हो गई और गुप्ता जी के आंडों को सहलाते हुए लंड को नजाकत से चूसे जा रही थी। धीरे-धीरे गुप्ता जी का लंड बहुत भयंकर रूप से टाईट हो गया और फनफनाने लगा, जैसे कोई लोहे का मोटा सा सरिया हो।

मैंने उस लंड को देखा तो सहम गया… वो लगभग 7.5 इंच से कम नहीं होगा। संजना ने बहुत मोटा और लंबा लंड को महसूस किया जो कि पूरा लोहे की तरह सख्त हो गया था। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये वही लंड है जो कुछ देर पहले खड़ा ही नहीं हो रहा था।

अब तक संजना की चूत में फिर से पूरी तरह से पानी भर गया था और वो चुदने के लिए व्याकुल थी।
संजू बोली- ऐ बाबा.. अब मुझे अपने मोटे लंड से चोदिए ना।

गुप्ता तो इसी फिराक में थे, आखिर उनको कई साल बाद चूत चोदने के लिए नसीब हो रही थी, वो भी इतनी कमसिन चूत।

गुप्ता जी ने संजना को पलंग पे लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला कर संजना की चूत को अपने मुँह से थोड़ा चूसा, जो पहले से ही पानी बहा रही थी।

संजना अब पूरी तरह से बेकाबू थी और वो बार-बार चोदने के लिए मिन्नतें कर रही थी- आह.. बाबा चोदिए ना.. अपने मोटे लंड से.. अब जल्दी से पेल दो प्लीज़ बाबा..

गुप्ता जी ने संजना की चूत में अपना थूक दो-तीन बार थूका, जिससे संजू की चूत थूक से चिपचिपी हो गई।

अब गुप्ता जी अपने लंड का सुपारा संजना की चूत में घुसाने लगे। थूक की चिपचिपाहट एवं चूत के पानी से गुप्ता जी का मूसल लंड संजू की कोमल चूत को चीरते हुए अन्दर घुसने लगा।
संजना ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊई.. ई.. उई.. इस्स.. आह…’ करते हुए सीत्कार भरने लगी।

मैं तो जैसे अपनी फैन्टेसी साकार होते देख कर पागल हुआ जा रहा था।

कुछ ही पलों में गुप्ता जी का पूरा का पूरा लंड संजना की चूत में प्रवेश कर चुका था। संजना को अपनी चूत में इतना जबरदस्त भराव पहली बार महसूस हुआ। उसे सुहागरात की तरह मजा आ रहा था।

गुप्ता जी अब लंड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगे। संजना के मुँह से निकलती ‘आह.. उई.. हाँ.. ईस्स.. अअह.. हम्म..’ की आवाजों से पूरा कमरा गूँजने लगा। गुप्ता जी अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर उसे बार-बार संजू की चूत में पेले जा रहे थे। गुप्ता जी का लंड जब भी बाहर निकल कर दोबारा संजू की चूत में घुसता था.. तो चूत से घप-घप की आवाज आती थीं।

इस बीच मेरा भी लंड फिर से खड़ा हो गया था। दस मिनट इस पोज में चोदने के बाद गुप्ता जी संजना को डॉगी स्टाईल में ले आए और उसकी चूत में पीछे से अपना मूसल लंड घुसा दिया। लंड घुसते ही संजना के मुँह से एकदम से ‘उई.. माँ.. ईस्स…’ की आवाज निकली।

इस समय डॉगी बनी संजू की गांड विशालकाय लग रही थी।

गुप्ता जी अब मेरी बीवी को इस पोज में धीरे-धीरे चोदने लगे, इसमें संजना को पूरा मजा आने लगा और वो गुप्ता जी को यानि कि करेक्टर में बाबा को शाबाशी दे रही थी। गुप्ता जी का मूसल लंड संजू की चूत में जाते गांड का छेद तक बंद और खुल रहा था।
वो गुप्ता जी को शाबाशी देते हुए बोली- हाँ बाबा ऐसे ही इस्सस.. आह.. उई.. चोदो.. मजा आ रहा है।

गुप्ता जी इस पोज में 5 मिनट तक संजू को चोदने के बाद उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया और पूरे वेग से चूत को चोदने लगे। बमपिलाट धक्के लगने से संजू की चीखें निकलने लगीं।

वो ‘हम्म.. उम्म.. आह.. आहा.. सी…सी..’ करने लगी। लंड का वेग इतना तेज था कि मेरी बीवी की गांड गुप्ता जी के पेड़ू से सटते हुए पूरी छितरा जा रही थी और संजू की चूचियां पूरे वेग से हिचकोले खा रही थीं।
वो दृश्य बड़ा ही कामुक था।

संजू रिरयाते हुए बोली- आह.. बाबा अब बस कीजिए ना!

अब गुप्ता जी ने लंड को बाहर निकाला, उनके लंड पर संजू की चूत का पानी की सफेद परत चढ़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि बड़ा वाला बेलन दही के कटोरे से बाहर निकाला हुआ हो।

अब गुप्ता जी खुद पीठ के बल लेट गए और संजू को अपने ऊपर ले लिया। चुदाई की कमान अब संजू के हाथ में थी। संजना में भी न जाने इतनी ताकत कैसे आ गई.. वो भी पूरे जोर से लंड पर उठक-बैठक कर रही थी, जिससे कि उसकी चूचियां और गांड पूरी कामुकता से हिल रही थी।
कमरे में चुदाई की ‘फच.. फच.. फचाक.. घप…घप.. चटाक चटाक..’ की आवाज गूँज रही थीं।
संजू जैसे जन्नत में गोता खा रही थी। वो इस पोज में संजू लगभग 10 मिनट चुदी।

अब वो थोड़ा थक गई थी तो वो बोली- बाबा अब मैं नीचे आऊंगी, आप मेरे ऊपर आकर चुदाई करो।
इसके बाद संजना नीचे आ गई और गुप्ता जी उसके ऊपर लेट गए और जबरदस्त चुदाई करने लगे।

चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि मेरा पलंग भयंकर आवाज करने लगा। गुप्ता जी को निकला हुआ पेट संजना के पेट से टकरा रहा था.. लेकिन संजना को चुदाई में इसका जरा सा भी भनक नहीं लगी।

चुदाई से संजू के मुँह से लगातार कामुकता भरे स्वर में आवाज आ रही थी- आह.. उह…उई.. ई.. इस्स.. आह..

अब तक कई मिनट की लगातार चुदाई हो चुकी थी, पर गुप्ता जी का पानी तो निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरा भी अब तक दूसरा बार माल निकल गया था। संजू अब झड़ने के कगार पर थी, सो वो बोली- और जोर से चोदिए।

गुप्ता जी पूरी शक्ति से संजना को चोदे जा रहे थे। संजना का पूरा शरीर कांपने लगा और वो फिर से अकड़ी और झड़ते-झड़ते निढाल हो गई।
पर गुप्ता जी संजना को चोदे ही जा रहे थे।

काफी देर की चुदाई हो चुकी थी। अब संजू में सहने की शक्ति नहीं रह गई थी। वो कराह कर बोली- अब छोड़ दीजिए ना, अब नहीं सह पाऊंगी बाबा।
पर गुप्ता जी का पानी अभी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था, वो भी परेशान थे।

फिर गुप्ता जी ने संजना को आराम देने की नीयत से करवट में लिटा दिया और उसके पीछे खुद करवट लेकर लेट गए। गुप्ता जी का लंड अभी भी उसी लंबाई मोटाई और पूरा टाईट था। वो मेरी तरफ देख कर आंखों से इशारे से बोले कि क्या करूँ.. माल निकल ही नहीं रहा है।

मैंने भी उनकी हालत पर तरस खाते हुए उन्हें इशारा किया कि ठीक है कुछ समय लेकर निकाल लीजिए।

गुप्ता जी अब संजू को करवट में ही उसकी चूत में अपना लंड डालकर चोदने लगे, संजू कराहने लगी। उसकी चूत सूज सी गई थी।
गुप्ता जी चुत पर लंड की चोट पे चोट दिए जा रहे थे और संजू बेचारी कराह के सह रही थी। आखिर वो दो बार झड़ चुकी थी, उसका जवानी का पूरा रस गुप्ता जी नीम्बू की तरह निचोड़ चुके थे।

संजू में अब शक्ति नहीं बची थी। लगातार चुदाई की इन्तहा हो चुकी थी और गुप्ता जी थे कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
इसी बीच संजू निढाल होकर बेहोश सी हो गई थी।

मैंने गुप्ता जी को इशारे से कहा कि जल्दी लंड निकालिए।
गुप्ता जी ने अपना लंड संजू की सूजी हुई चूत से निकाला जो कि अब भी वैसे ही फनफना रहा था।

फिर संजना जो बेहोश थी, उसको पीठ के बल लिटाया और उसकी गांड के नीचे दो तकिया लगा कर अपना लंड संजना के चूत में फिर से पेल दिया। इस बार गुप्ता जी इतनी जोर से चुदाई कर रहे थे कि संजना बेहोशी से जाग गई और कराहने लगी।

गुप्ता जी के इस पोज में पूरा लंड संजू के बच्चेदानी में चोट कर रहा था।

देर तक चुदाई के बाद मुझे गुप्ता जी लगे कि झड़ने वाले हैं। मैंने उन्हें चूत के अन्दर नहीं झड़ने हेतु इशारा करना चाहा पर वो इस आखिरी समय में आंख मूंदे हुए थे और मैं जोर से कह भी नहीं सकता था।

वास्तव में हम और संजना परिवार नियोजन कर रहे थे और मैं अपना माल हमेशा बाहर ही निकालता था। खास कर मेन्सिस के जस्ट बाद तो गर्भधारण का चान्स काफी ज्यादा होता है, इसलिए इस समय तो किसी भी हालत में चूत के अन्दर माल नहीं छोड़ता था।
लेकिन अब किया क्या जा सकता था, संजू भी इस हाल में नहीं थी कि वो माल निकलने से रोक पाती।

फिर वही हुआ, गुप्ता जी पूरे वेग से अपने लंड को संजू की चूत के अन्दर जड़ तक पेलते हुए बेतहाशा झड़ने लगे। लगभग दो मिनट के बाद वो संजना के ऊपर से हटे।

मैंने देखा संजू की चूत में गुप्ता जी का पूरा वीर्य भर गया था जो काफी गाढ़ा और बहुत मात्रा में था। गुप्ता जी का रस पूरा बच्चेदानी तक भरकर चूत के मुँह तक आ गया था। संजू इस हालत में थी भी नहीं कि वो चूत से वीर्य को निकाल सके सो अधिकांशतः वीर्य संजू के गर्भाशय में प्रवेश कर डिंबाणु से मिल गया था।

अर्थात गुप्ता जी का वीर्य का अंश मेरी बीवी के पेट में चला गया था। संजू की चूत पूरी तरह से सूज गई थी और कुछ खून भी आ गया था।

गुप्ता जी उठे ओर मुझे चुपके से गले लगाकर चले गए। मैं अपनी बीवी की चूत में लबालब भरे वीर्य को देखे जा रहा था। अचानक संजना बोली- क्या मैं आंख से पट्टी हटा लूँ बाबा।

मैंने खुद उसके आंख से पट्टी हटा दी। उसकी आँखें थक चुकी थीं और पूरा बदन सुस्त पड़ चुका था, परंतु वो पूरी तरह से संतुष्ट लग रही थी और मुझे प्यार से देख कर बोली- जय आज तो आपने मुझे पूरा निचोड़ कर रख दिया।

फिर संजू अपनी चूत को देखने लगी जिसमें गुप्ता जी का वीर्य बह रहा था।

गुप्ता जी के वीर्य का रंग हल्का पीलापन लिये हुए कुछ अलग सा था और पूरा गाढ़ा था.. उसमें से एक अजीब दुर्गंध आ रही थी।
संजू ने अचानक उसी अवस्था में पूछा- आपका वीर्य आज इतना ज्यादा और गाढ़ा कैसे हो गया जान?

यह कह कर उसने अपनी चूत के पास अपनी हाथ ले जाकर अपनी बीच के तीन उंगलियों से चूत के अन्दर करके वीर्य निकाला, जो कि उसकी हथेली पर किसी मक्खन की तरह दिख रहा था।

मुझे लगा कि ये संजना क्या कर रही है। एकाएक मुझे आश्चर्य लगा कि संजू बड़े ही प्यार से मेरी ओर देखते हुए वो पूरा उंगली को अपने मुँह में डालकर खा गई। फिर मुझे अपने पास बुलाकर मुझे अपने होंठों से चूमने लगी। उसके मुँह से बड़ी बदबू आ रही थी, जो कि गुप्ता जी के गंदे लंड और वीर्य के मिले-जुले असर के कारण था।

फिर उसी अवस्था में संजू और मैं सो गए।

तो दोस्तो, ये थी मेरी आपबीती बीवी की चुदाई..
 
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Raj500265

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Nice one
 
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