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रजनीश कुछ काम कर रहा था केबिन के बाहर की वह देख सका की कामिनी, कुनाल और विक्रम के साथ आ रही थी। कामिनी स्माइल कर रही थी उर उन डोनो के बातों पर हंसी जा रही थी । उसने यह भी नोटिस किया की कामिनी की चाल बदल गई थी.. वाह थोड़ी लंगड़ती हुई चल रही थी… रजनीश को यह सब थोड़ा अजीब लगा.. फिर जब कामिनी पास आई तो वह देख सकता था कि तीनो के बदन पर और तीनो के कपड़ों पर कुछ दाग लगे थे, रेत और घास का मिश्रण था..
फिर वह देखा थोड़ा चौक गया जैसे ही विक्रम ने कामिनी के कमर को पकड़ कर हल्के से दबोचा …
और कुनाल ने भी कुछ पल बाद कुछ वैसे ही किया .. कामिनी अब बिना रजनीश को देखे केबिन के अंदर चली गई …
दोनो विक्रम और कुनाल अब रजनीश को देख हसे.. बोले “रजनीश तुम्हारी बीवी बहुत अच्छी हैं यार... बहुत ख्याल रखती हैं और काफ़ी फन हैं.. तू बड़ा लकी है ऐसी बीवी पाकर बस तुम्हारी बदनसीबी है की उसकी यादें खो चुकी हैं..”
और दोनो भी केबिन के अंदर चले गए.. उनके अंदर जाते ही रजनीश फिर से कामिनी के मुह से हंसी सुन पाया... थोड़ा पास जकार उसे सुनाई दीया -
"उफ्फ तुम दोनो इतने बदमाश हो, अभी भी मन नहीं भरा है... उफ चलिए बहुत हुआ अब खाना बनाने की तैयारी भी करनी है लेकिन थोड़ी देर बाद, में अब थोड़ा आराम करती हूं.. आप दोनो शैतान भी आराम करिए।"
रजनीश केबिन के अंदर चला गया तब तक कामिनी अपने कमरे में जा चुकी थी.. और दोनो कुनाल और विक्रम भी ज़मीन पर आराम करने लगे..
रजनीश फिर कामिनी के पास जाना चाहता था कि बहार से कुमार की आवाज सुनई दी, उसे बहार बुला रहे थे.. रजनीश फिर बहार चले गए..
अब शाम का वक्त आ गया.. पांचो मर्द बहार थे और कामिनी अंदर थी.. अंदर से आवाज आई कामिनी की और उसने कुमार और हेनरी को अंदर बुलाया..
बहार रजनीश तीनो की आवाजें सुन पर रहा था, कामिनी और कुमार और हेनरी.. कामिनी बोल रही थी “कुमार प्लीज ऐसी बातें न करिये शर्म आ रही हैं। उफ्फ आप सब शैतान हो इस द्वीप पर।”
कुमार की आवाज भी सुनाई दी रजनीश को .. “उफ़्फ़ तुमने शैतानी देखी ही कहाँ हैं डियर।” फिर तीनो अंदर हस रहे थे। रजनीश क्या चल रहा हैं देखने अंदर जाने ही वाला था की उससे पहले ही तीनो कुमार , हेनरी और कामिनी बहार आ गए.. रजनीश देख रहा था कि दोनों कुमार और हेनरी ने कामिनी की कमर पकड़े हुए थे और टीनो हस रहे थे … हेनरी ने साइड से कामिनी की कमर पर चिमटी मारी..
“उफ्फ हेनरी , आउच दुख रहा है डियर, आप ऐसे क्यों मेरी कमर पर चिमटी मारते रहते हैं उफ्फ बस भी करो..”
https://ibb.co/M5tpc1Z
रजनीश बस कुछ कर नहीं पा रहा था.. कामिनी तो वह उसका पति हैं भुल चुकी थी, अब वह बीच में कुछ बोलेगा तो कामिनी उसे डांटेगी इसी से वह चुप से खड़ा सब देख रहा था..
कुमार बोला "सुनो रजनीश में और कामिनी यहाँ एक झरना है वहां जाने वाले हैं, कामिनी को वह झरना देखना है.."
“मुझे भी देखना है में भी आऊंगा आप दोनो के साथ” रजनीश बोले।
कामिनी बोली "नहीं तुम और हेनरी यहां आज खाने की तैयारी करिए.. में और कुमार अभी आएंगे झरना देख कर।"
"लेकिन कामिनी मुझे भी ..."
हेनरी बोला “अरे रजनीश जाने दो ना… तुम और में तयारी करते हैं आज रात की चलो आओ।”
रजनीश की बात कोई सुन नहीं रहा था.. कामिनी फिर कुमार के साथ चली गई और रजनीश उन्हें जाते बस देखते रहे।
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अब दोनो कुमार और कामिनी उस झरने के पास कुछ ३० मिनट बाद पहुंच गए. जैसे ही वह झरने के पास पहुंच गए .. कुमार ने कामिनी को अपनों बाहों में लेकर उसे चूमने लगा .. दोनो अब गेहरी चुम्बन में लग गए ..
दोनो एक दूसरे के चुम्बन में लगे रहे.. कुमार के हाथ अब कामिनी की चुतादों पर थे और उसे वह दबाने लगा..
"मम्म कुमार तुम इतने स्टॉन्ग हो उफ्फ्फ आप बहुत ही ताकतवर हो न डार्लिंग"
कामिनी अब कुमार की आँखों में देखने लगी और अपने टॉप उतारने लगी। उसने धीरे-धीरे, कामुकता से, अपने हाथों को ऊपर उठाया और टॉप को हटाना शुरू कर दि। कुमार की दृष्टि से अपने स्तनों को अपने हाथों से कामिनी ढकने लगी, वह कुमार को तड़पाना चाहती ठी। फिर एकदम से एक मोहक रूप में उसने धीरे-धीरे अपने हाथों को हटाने लगी , कुमार अब कामिनी के बड़ी टाइट चूचियों को पूरी तरह से देख सकते थे। कुमार ने अपनी शर्ट भी जल्दी से अपनी शर्ट उतार दी।
अब दोनों बस पैंटी और चड्डी पहने हुए थे । कामिनी के आँखों के सामने उस चड्डी में कुमार के मोटे और बड़े लंड का उभर साफ़ साफ़ दिख रहा था ।
“ufff कुमार आपका लंड , उफ़्फ़ इतना टाइट हुआ हैं इतना मोटा लंड पहली बार देखी हूँ।”
“कामिनी मेरा लंड अब से थम्हारा ही हैं डार्लिंग आओ खेलों उसके साथ मम्म”
कामिनी अब आगेक झुक कर कुमार की चड्डी उतारने लगी।। कामिनी देखती रही कि कुमार का विशाल मोटा लण्ड और भी सख़्त होते जा रहा था और अब अपनी पूरी शान में पूरी तरह से सख़्त हुआ था।
"उफ्फ कुमार आपका लुंड एमएमएम इतना मोटा और बड़ा है ... उफ्फ ऐसे लुंड कि में रोज पूजा करू मम्ममम्म"
"में क्या करूँ कामिनी डियर,” कुमार कामिनी के चूचियों की चुटकी लेते हुए कहा, "तुम्हारी सेक्सी बॉडी देखकर मेरे लण्ड में खून बहने लगता है और पूरा टाइट होता हैं"
"और मैं क्या कह सकती हूँ," कामिनी ने जवाब दिया, "तुम्हारा विशाल मोटा लंड भी मुझे बेहत उत्तेजित कर देता है।"
और इतना कह कर कामिनी ने फिर से झुक कर कुमार के लण्ड को अपने मुँह में दबा लिया।
अचंभित होकर कुमार केवल खुशी की एक हांफ दे सकता था। कामिनी ने कुमार की कमर पर हाथ रख कुछ देर तक उसके मोटे लंड को चूसती रही। फिर उसने उसके लंड के सिर को अपने मुंह से छुड़ाया, और अपनी जीभ को एक दो बार कुमार के शाफ़्ट के ऊपर नीचे किया।
2 मिनट उसके लंड को चूसने के बाद कामिनी उठी और झरने के अंदर चली गई। कुमार ने एक पल उसे देखा, झरने का पानी कामिनी के सेक्सी गर्म शरीर पर गिर रहा था।
हे भगवान, उसने सोचा, उसकी निठम्बों को देख कुमार भी झरने के नीचे कदम रखा और उसके नीचे कामिनी के पास सटक कर खड़ा हुआ। कुमार और कामिनी ने एक दूसरे को कसकर गले लगाया, और झरने का पानी उनके ऊपर गिर रहा था। उन्होंने गहराई से, जोश से एक दूसरे को चुंबन देने लगे, उनके चेहरे पर झरने का पानी गिरते रहा। कुमार का लण्ड कामिनी के नाभि की गोलाई में जोर से दबा हुआ था।
उसने कामिनी की ऊपरी जांघ पर हाथ फेरा, कामिनी ने अपनी चुत कुमार की मांसल टांग के खिलाफ जोर से दबाई। आखिरकार उन्हें चुंबन तोड़ना पड़ा क्योंकि वे सांस से बाहर थे और पानी की धारा के नीचे कोई हवा नहीं मिल पा रही थी। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने नग्न शरीरों को एक साथ दबा कर रखे।
"मेरे बाल वाश करना चाहते हो?" कामिनी ने पूछा।
"जरूर प्रिय।" कुमार ने उत्तर दिया।
एक नज़र के साथ, उसने उसे एक शैम्पू दिया जो उसके पास था । जैसे ही कुमार अपने दोनों हाथों से उसकी शैम्पू से बालों की मालिश कर रहा था, कामिनी अपने एक हाथ से कुमार के सख्त लंड को पकड़ने लगी और उसे धीरे से पंप करने लगी।
"यह अच्छा लगता है," कामिनी ने शैंपू करवाने के संदर्भ में कहा।
"मैं सहमत हूं," कुमार ने कहा, शैंपू का जिक्र बिल्कुल नहीं करते हुए।
कामिनी के बालों पर शैम्पू लगाने के बाद , कुमार के बाल वाश करने का समय आ गया था। उन्होंने स्थिति बदली, और अब कामिनी कुमार के बालों को शैंपू करने लगी। कुमार को पीछे से कामिनी की गर्मसख़्त निप्पलों का उसकी पीठ में धकेलना अच्छा लगा। और कुमार भी कामिनी की चुत को धीरे से अपनी उँगलियों से सहलाने लगा। कामिनी ने कुमार की उँगलियों को उसकी चूत को आसानी से रगड़ने के लिए अपने पैर फैलाए। कुमार ने अपनी उंगली से उसकी चुत की योनि को मसलने लगा। फिर अंत में वह कामिनी की गर्म चूत में एक उंगली डालने से पहले, उसके चुत होंठों को हल्के से ऊपर और नीचे करने लगा।
उसने अपनी उंगली इधर-उधर घुमाई, ठीक वैसे ही जैसे वह जानता था कि कामिनी को यह पसंद है। कामिनी ने धीमी सी कराह निकाली - उसे अपनी चुत के अंदर उसकी उँगलियों का अहसास बहुत मस्त लगा। ऐसे सिलीसिला और ५ मिन चला ।
कामिनी की चुत से हाथ हटाए बिना ही कुमार उसकी ओर मुख कर लिया। कामिनी कुमार के लण्ड तक हाथों को ले जाकर फिर से उसके मोटे लंड को पंप करने लगी। कामिनी ने अपना खुला हाथ कुमार के पूरे शरीर पर दौड़ायी।
एक हाथ से कुमार की मर्दानगी को पकड़े हुए कामिनी ने अपने दूसरे हाथ से साबुन उठाया और कुमार के शरीर पर रगड़ने लगी। उसकी छाती के ऊपर, उसके दोनों हाथ, उसका लंड, पीठ के चारों ओर। वे दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराए। फिर कामिनी धीरे से कुमार की लंड के गेंदों पर साबुन लगायी, और अंत में साबुन को कुमार के लण्ड पर ऊपर-नीचे चलाया।
कुमार ने फिर से कामिनी की सख़्त निप्पलों की चुटकी लेते हुए कहा, "तुम तो एक मस्ट हॉट 'साबुन-जॉब' भी देती हो।"
“उफ़्ड आप भी ना मम्म” ऐसे कहते हुए कामिनी कुमार के मोटे लंड को सहलाना बंद नहीं करी बल्कि उसके लंड को दबाए।
“उफ़ कामिनी क्या मस्ट माल हैं तू .. तेरी चुदाई मस्ती में करूँगा यहाँ।”
फिर कामिनी ने कुमार के लंड को पानी के नीचे खींच लिया और उसे पूरी तरह से साफ़ किया। कुमार ने अपनी आँखें बंद कर लीं और खुशी की सांस ली।
अब कामिनी को साबुन लगाने की बारी कुमार की थी। उसने कामिनी के पूरे शरीर पर साबुन मल दिया। कुमार को विशेष रूप से कामिनी के स्तनों पर सोप लगाना अच्छा लगा, और फिर उसके निप्पलों पर। कुमार ने अपने हाथों को फिर से साबुन लगाया, फिर कामिनी के पेट के नीचे अपना रास्ता रगड़ने लगा। उसके पेट के ऊपर, उसकी कमर के पीछे, और फिर अंत में उसके चूत की गीली उलझन में। कामिनी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और आह भरी। कामिनी इस दौरान कुमार के मोटे लण्ड को कस कर पकड़ रखी थी ।
एक बार फिर कुमार ने कामिनी की चूत पर अपनी उंगली ऊपर-नीचे करने लगे। कुमार कामिनी की चूत की क्लिट के एक पंख को हल्के स्पर्श का इस्तेमाल कर, अपनी उंगली ,कामिनी की चुत के अंदर कर दिया।
कामिनी ने एक लंबी "ऊह अहह्ह ..." आवाज़ निकाली और अपनी चूत की मांसपेशियों को कुमार की उंगली पर दबा दि।
कुमार ने धीरे से कामिनी को झरने के अंदर चट्टान की ओर निर्देशित किया और उसे उस पर बैठने में मदद की। कामिनी अपनी पैरों को फैलायी, कुमार को अपनी चुत को और स्पष्ट रूप से देखने के लिए आमंत्रित करी। कुमार चट्टान के फर्श पर उसके सामने घुटने टेक कर, और उसकी पीठ पर पानी के तेज़ झोंकों के साथ, उसकी चुत को चाटने लगा। उसने अपनी जीभ कामिनी के चुत की होठों के किनारों पर फेरी, जो झरने के पानी से भीगे हुए थे। फिर कुमार अपनी जीभ को कामिनी की चुत के छेद में, जहाँ तक वह जा सकता था, वहाँ तक घुसा दि, । कामिनी ने भी कुमार के सिर को अपने झाँघों के बीच जकड़ लि।
कामिनी ने एक और आह भरी – और अपने झंघों को कुमार के सिर पर और दबाने लगी। कुमार अब मस्ती में कामिनी की छूत की चटाई जारी रखी। ऊपर नीचे ऊपर नीचे अपनी जीभ को कामिनी की चुत के ख़िलाफ़ वह रगड़ने लगा।
कुछ देर बाद कुमार ने अपनी जीभ हटा दी, और उसे अपने अंगूठे से बदल दिया। कामिनी की चुत बहुत गीली थी, और बहुत गर्म थी, और उसने अपनी चुत की माँसपेशियों को कुमार की अँगुलियों पर कस कर जकड़ लिया।
कामिनी अपने नितम्बों को आगे पीछे हिलाने लगी और धीरे से कराहने लगी। उसके पूरे शरीर में गर्मी का अहसास फैल गया। अंत में, एक ज़ोर के कराह के बाद, कामिनी महसूस करी कि कुमार की जीभ उसकी चुत की प्यार बटन से संपर्क करती रही। उसके भीतर खुशी की लहर दौड़ गई। उसके विलाप और अधिक जरूरी हो गए। उसकी चुत की मांसपेशियों ने कुमार के उँगलियों पर दबाई रखी और वह अब कुमार की उँगलियों को अपनी चुत के अंदर गहराई में महसूस कर सकती थी। उसने कुमार के उसके सिर के पीछे से पकड़ लिया, और उसे अपनी चूत के खिलाफ कसकर खींच लि। कुमार की जीभ कामिनी की क्लिट पर रगड़ने लगी, और वह खुद कामिनी की चुत के खिलाफ ऊपर-नीचे करने लगी।
"हे भगवान, हे भगवान ..." वह कराह उठी। कुमार ने कामिनी की चुत के अंदर और बाहर अपनी उँगलियों को काम घुमाते रहे आर साथ ही में उसकी चुत को चाट ते ही रहे।
अपनी चुत पर इस दोहरे हमले से कामिनी का तनाव उसके पैर की उंगलियों से धड़ तक फैल रहा था। उसकी बुर की छेद पर एक जीभ का संयोजन और उसके क्लिट में उँगलियों को पाकर वह एक ऑर्गैज़म के करीब धकेली जा रही थी। उसकी जांघें तन गईं। उसकी क्लिट में झुनझुनी सी छा गई, फिर कुमार ने कामिनी के जी-स्पॉट को अपनी उँगलियों से दबाते हुए उसे और उत्तेजित किया।
कामिनी कराहते हुए हांफने लगी, और एक "आह...आह...आह...आह्ह्ह्ह..." के साथ अंत में उसकी चुत में से रस बहने लगा। कुमार ने इस दौरान अपने मुँह को कामिनी की चुत से चिपकाए रखा था और उसकी चूत का सारा रस पी रहा था।
कामिनी ने कुमार का सिर छोड़ दिया, और उसे भूरी आँखों से देखने लगी। "उफ़ आपने तो मेरी चुत चाट चाट कर ही वहाँ से पानी निकाल लिया मम्म " कामिनी कही ।
"तुम्हारी चूत ही इतनी स्वादिषत हैं," कुमार ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी कुमार डार्लिंग।”
कामिनी फिर से कुमार के मोटे लंड को सहलाने लगी।
अब कुमार का फिर से सख्त लंड कामिनी की ओर इशारा कर रहा था।
कामिनी अब कुमार के ऊपर चढ़ गई और कुमार उसे अपने मज़बूत बाहों में ले खड़ा था।
कामिनी ने कुमार के लंड के सिर को अपनी चुत के गीले, सूजे हुए छेद में घुसाते हुए कुमार के गले को अपनी बाहों को घेर लिया। वे एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे और कामिनी कुमार की गोद में बैठी हुई उसका लंड आसानी से उसके चुत अंदर सरक गया, और उसके मुँह से कुमार के लंड के घुसते ही उसकी एक लंबी "आह" निकाली। दोनों के अपने गर्म, गीले शरीर एक दूसरे से दबे हुए थे और फिर कामिनी ने कुमार की पीठ के चारों ओर अपने पैर लपेटे।
दोनों प्रेमियों ने पूरी तरह से जुड़ा हुआ महसूस किया – ऐसे लग रहा था की वे दो के बजाय एक ही थे । झरनों से पानी के छींटे, उनके बदन पर पड़ रहे थे और फिर, बिल्कुल सही समय पर, कुमार ने अपने हाथों से धीरे से कामिनी को अपने लण्ड पर ऊपर उठाना शुरू किया, फिर उसे नीचे सरकने दिया। ऊपर, फिर नीचे। ऊपर, फिर नीचे वह कामिनी की छूत की चुदाई करते रहा।
“अहह्ह हाँ उफ़्फ़ कुमार मम्म मेरी ऐसी ही चुदाई करिए एमएमएम आप में इतनी ताक़त हैं उफ़्फ आह मम्म।”
कामिनी ऐसी चुदाई पा कर पागल बन रही थी। उफ़्फ मम्म और छोड़िये डार्लिंग वह कराहती रही।
कुमार अब कामिनी की निप्पलों को चूसते हुए उसे अपने लंड से चोदने लगा। कामिनी की साँसें उखड़ने लगीं। कुमार का लंड बमुश्किल कामिनी की चुत के पूरे अंदर चला गया था।
उसने उसे नीचे गिराना शुरू करके, फिर उसे वापस ऊपर खींचते हुए उसे चोदता रहा। थोड़ा नीचे, फिर ऊपर। कामिनी की चुत कुमार के धक्कों से बहुत गिली हो रही थी उसके चुत से ढेर सारा रस टपक रहा था। कुमार ने एक और फुल स्ट्रोक के साथ कामिनी के चुत की गहराई में अपने लंड को डाला और , फिर जोर से गुर्राते हुए फिर से उसकी जमकर चुदाई करने लगा।
“आह मेरी चूत की ऐसी ही चुदाई करो कुमार उफ़फ़ मैं कब से तुम्हाररे बड़े लंड की इंतज़ार में थी। मेरी जमकर मेरी चूत की कुटाई करो डार्लिंग आहह एस मम्ममम्म"
फिर वह देखा थोड़ा चौक गया जैसे ही विक्रम ने कामिनी के कमर को पकड़ कर हल्के से दबोचा …
और कुनाल ने भी कुछ पल बाद कुछ वैसे ही किया .. कामिनी अब बिना रजनीश को देखे केबिन के अंदर चली गई …
दोनो विक्रम और कुनाल अब रजनीश को देख हसे.. बोले “रजनीश तुम्हारी बीवी बहुत अच्छी हैं यार... बहुत ख्याल रखती हैं और काफ़ी फन हैं.. तू बड़ा लकी है ऐसी बीवी पाकर बस तुम्हारी बदनसीबी है की उसकी यादें खो चुकी हैं..”
और दोनो भी केबिन के अंदर चले गए.. उनके अंदर जाते ही रजनीश फिर से कामिनी के मुह से हंसी सुन पाया... थोड़ा पास जकार उसे सुनाई दीया -
"उफ्फ तुम दोनो इतने बदमाश हो, अभी भी मन नहीं भरा है... उफ चलिए बहुत हुआ अब खाना बनाने की तैयारी भी करनी है लेकिन थोड़ी देर बाद, में अब थोड़ा आराम करती हूं.. आप दोनो शैतान भी आराम करिए।"
रजनीश केबिन के अंदर चला गया तब तक कामिनी अपने कमरे में जा चुकी थी.. और दोनो कुनाल और विक्रम भी ज़मीन पर आराम करने लगे..
रजनीश फिर कामिनी के पास जाना चाहता था कि बहार से कुमार की आवाज सुनई दी, उसे बहार बुला रहे थे.. रजनीश फिर बहार चले गए..
अब शाम का वक्त आ गया.. पांचो मर्द बहार थे और कामिनी अंदर थी.. अंदर से आवाज आई कामिनी की और उसने कुमार और हेनरी को अंदर बुलाया..
बहार रजनीश तीनो की आवाजें सुन पर रहा था, कामिनी और कुमार और हेनरी.. कामिनी बोल रही थी “कुमार प्लीज ऐसी बातें न करिये शर्म आ रही हैं। उफ्फ आप सब शैतान हो इस द्वीप पर।”
कुमार की आवाज भी सुनाई दी रजनीश को .. “उफ़्फ़ तुमने शैतानी देखी ही कहाँ हैं डियर।” फिर तीनो अंदर हस रहे थे। रजनीश क्या चल रहा हैं देखने अंदर जाने ही वाला था की उससे पहले ही तीनो कुमार , हेनरी और कामिनी बहार आ गए.. रजनीश देख रहा था कि दोनों कुमार और हेनरी ने कामिनी की कमर पकड़े हुए थे और टीनो हस रहे थे … हेनरी ने साइड से कामिनी की कमर पर चिमटी मारी..
“उफ्फ हेनरी , आउच दुख रहा है डियर, आप ऐसे क्यों मेरी कमर पर चिमटी मारते रहते हैं उफ्फ बस भी करो..”
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रजनीश बस कुछ कर नहीं पा रहा था.. कामिनी तो वह उसका पति हैं भुल चुकी थी, अब वह बीच में कुछ बोलेगा तो कामिनी उसे डांटेगी इसी से वह चुप से खड़ा सब देख रहा था..
कुमार बोला "सुनो रजनीश में और कामिनी यहाँ एक झरना है वहां जाने वाले हैं, कामिनी को वह झरना देखना है.."
“मुझे भी देखना है में भी आऊंगा आप दोनो के साथ” रजनीश बोले।
कामिनी बोली "नहीं तुम और हेनरी यहां आज खाने की तैयारी करिए.. में और कुमार अभी आएंगे झरना देख कर।"
"लेकिन कामिनी मुझे भी ..."
हेनरी बोला “अरे रजनीश जाने दो ना… तुम और में तयारी करते हैं आज रात की चलो आओ।”
रजनीश की बात कोई सुन नहीं रहा था.. कामिनी फिर कुमार के साथ चली गई और रजनीश उन्हें जाते बस देखते रहे।
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अब दोनो कुमार और कामिनी उस झरने के पास कुछ ३० मिनट बाद पहुंच गए. जैसे ही वह झरने के पास पहुंच गए .. कुमार ने कामिनी को अपनों बाहों में लेकर उसे चूमने लगा .. दोनो अब गेहरी चुम्बन में लग गए ..
दोनो एक दूसरे के चुम्बन में लगे रहे.. कुमार के हाथ अब कामिनी की चुतादों पर थे और उसे वह दबाने लगा..
"मम्म कुमार तुम इतने स्टॉन्ग हो उफ्फ्फ आप बहुत ही ताकतवर हो न डार्लिंग"
कामिनी अब कुमार की आँखों में देखने लगी और अपने टॉप उतारने लगी। उसने धीरे-धीरे, कामुकता से, अपने हाथों को ऊपर उठाया और टॉप को हटाना शुरू कर दि। कुमार की दृष्टि से अपने स्तनों को अपने हाथों से कामिनी ढकने लगी, वह कुमार को तड़पाना चाहती ठी। फिर एकदम से एक मोहक रूप में उसने धीरे-धीरे अपने हाथों को हटाने लगी , कुमार अब कामिनी के बड़ी टाइट चूचियों को पूरी तरह से देख सकते थे। कुमार ने अपनी शर्ट भी जल्दी से अपनी शर्ट उतार दी।
अब दोनों बस पैंटी और चड्डी पहने हुए थे । कामिनी के आँखों के सामने उस चड्डी में कुमार के मोटे और बड़े लंड का उभर साफ़ साफ़ दिख रहा था ।
“ufff कुमार आपका लंड , उफ़्फ़ इतना टाइट हुआ हैं इतना मोटा लंड पहली बार देखी हूँ।”
“कामिनी मेरा लंड अब से थम्हारा ही हैं डार्लिंग आओ खेलों उसके साथ मम्म”
कामिनी अब आगेक झुक कर कुमार की चड्डी उतारने लगी।। कामिनी देखती रही कि कुमार का विशाल मोटा लण्ड और भी सख़्त होते जा रहा था और अब अपनी पूरी शान में पूरी तरह से सख़्त हुआ था।
"उफ्फ कुमार आपका लुंड एमएमएम इतना मोटा और बड़ा है ... उफ्फ ऐसे लुंड कि में रोज पूजा करू मम्ममम्म"
"में क्या करूँ कामिनी डियर,” कुमार कामिनी के चूचियों की चुटकी लेते हुए कहा, "तुम्हारी सेक्सी बॉडी देखकर मेरे लण्ड में खून बहने लगता है और पूरा टाइट होता हैं"
"और मैं क्या कह सकती हूँ," कामिनी ने जवाब दिया, "तुम्हारा विशाल मोटा लंड भी मुझे बेहत उत्तेजित कर देता है।"
और इतना कह कर कामिनी ने फिर से झुक कर कुमार के लण्ड को अपने मुँह में दबा लिया।
अचंभित होकर कुमार केवल खुशी की एक हांफ दे सकता था। कामिनी ने कुमार की कमर पर हाथ रख कुछ देर तक उसके मोटे लंड को चूसती रही। फिर उसने उसके लंड के सिर को अपने मुंह से छुड़ाया, और अपनी जीभ को एक दो बार कुमार के शाफ़्ट के ऊपर नीचे किया।
2 मिनट उसके लंड को चूसने के बाद कामिनी उठी और झरने के अंदर चली गई। कुमार ने एक पल उसे देखा, झरने का पानी कामिनी के सेक्सी गर्म शरीर पर गिर रहा था।
हे भगवान, उसने सोचा, उसकी निठम्बों को देख कुमार भी झरने के नीचे कदम रखा और उसके नीचे कामिनी के पास सटक कर खड़ा हुआ। कुमार और कामिनी ने एक दूसरे को कसकर गले लगाया, और झरने का पानी उनके ऊपर गिर रहा था। उन्होंने गहराई से, जोश से एक दूसरे को चुंबन देने लगे, उनके चेहरे पर झरने का पानी गिरते रहा। कुमार का लण्ड कामिनी के नाभि की गोलाई में जोर से दबा हुआ था।
उसने कामिनी की ऊपरी जांघ पर हाथ फेरा, कामिनी ने अपनी चुत कुमार की मांसल टांग के खिलाफ जोर से दबाई। आखिरकार उन्हें चुंबन तोड़ना पड़ा क्योंकि वे सांस से बाहर थे और पानी की धारा के नीचे कोई हवा नहीं मिल पा रही थी। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने नग्न शरीरों को एक साथ दबा कर रखे।
"मेरे बाल वाश करना चाहते हो?" कामिनी ने पूछा।
"जरूर प्रिय।" कुमार ने उत्तर दिया।
एक नज़र के साथ, उसने उसे एक शैम्पू दिया जो उसके पास था । जैसे ही कुमार अपने दोनों हाथों से उसकी शैम्पू से बालों की मालिश कर रहा था, कामिनी अपने एक हाथ से कुमार के सख्त लंड को पकड़ने लगी और उसे धीरे से पंप करने लगी।
"यह अच्छा लगता है," कामिनी ने शैंपू करवाने के संदर्भ में कहा।
"मैं सहमत हूं," कुमार ने कहा, शैंपू का जिक्र बिल्कुल नहीं करते हुए।
कामिनी के बालों पर शैम्पू लगाने के बाद , कुमार के बाल वाश करने का समय आ गया था। उन्होंने स्थिति बदली, और अब कामिनी कुमार के बालों को शैंपू करने लगी। कुमार को पीछे से कामिनी की गर्मसख़्त निप्पलों का उसकी पीठ में धकेलना अच्छा लगा। और कुमार भी कामिनी की चुत को धीरे से अपनी उँगलियों से सहलाने लगा। कामिनी ने कुमार की उँगलियों को उसकी चूत को आसानी से रगड़ने के लिए अपने पैर फैलाए। कुमार ने अपनी उंगली से उसकी चुत की योनि को मसलने लगा। फिर अंत में वह कामिनी की गर्म चूत में एक उंगली डालने से पहले, उसके चुत होंठों को हल्के से ऊपर और नीचे करने लगा।
उसने अपनी उंगली इधर-उधर घुमाई, ठीक वैसे ही जैसे वह जानता था कि कामिनी को यह पसंद है। कामिनी ने धीमी सी कराह निकाली - उसे अपनी चुत के अंदर उसकी उँगलियों का अहसास बहुत मस्त लगा। ऐसे सिलीसिला और ५ मिन चला ।
कामिनी की चुत से हाथ हटाए बिना ही कुमार उसकी ओर मुख कर लिया। कामिनी कुमार के लण्ड तक हाथों को ले जाकर फिर से उसके मोटे लंड को पंप करने लगी। कामिनी ने अपना खुला हाथ कुमार के पूरे शरीर पर दौड़ायी।
एक हाथ से कुमार की मर्दानगी को पकड़े हुए कामिनी ने अपने दूसरे हाथ से साबुन उठाया और कुमार के शरीर पर रगड़ने लगी। उसकी छाती के ऊपर, उसके दोनों हाथ, उसका लंड, पीठ के चारों ओर। वे दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराए। फिर कामिनी धीरे से कुमार की लंड के गेंदों पर साबुन लगायी, और अंत में साबुन को कुमार के लण्ड पर ऊपर-नीचे चलाया।
कुमार ने फिर से कामिनी की सख़्त निप्पलों की चुटकी लेते हुए कहा, "तुम तो एक मस्ट हॉट 'साबुन-जॉब' भी देती हो।"
“उफ़्ड आप भी ना मम्म” ऐसे कहते हुए कामिनी कुमार के मोटे लंड को सहलाना बंद नहीं करी बल्कि उसके लंड को दबाए।
“उफ़ कामिनी क्या मस्ट माल हैं तू .. तेरी चुदाई मस्ती में करूँगा यहाँ।”
फिर कामिनी ने कुमार के लंड को पानी के नीचे खींच लिया और उसे पूरी तरह से साफ़ किया। कुमार ने अपनी आँखें बंद कर लीं और खुशी की सांस ली।
अब कामिनी को साबुन लगाने की बारी कुमार की थी। उसने कामिनी के पूरे शरीर पर साबुन मल दिया। कुमार को विशेष रूप से कामिनी के स्तनों पर सोप लगाना अच्छा लगा, और फिर उसके निप्पलों पर। कुमार ने अपने हाथों को फिर से साबुन लगाया, फिर कामिनी के पेट के नीचे अपना रास्ता रगड़ने लगा। उसके पेट के ऊपर, उसकी कमर के पीछे, और फिर अंत में उसके चूत की गीली उलझन में। कामिनी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और आह भरी। कामिनी इस दौरान कुमार के मोटे लण्ड को कस कर पकड़ रखी थी ।
एक बार फिर कुमार ने कामिनी की चूत पर अपनी उंगली ऊपर-नीचे करने लगे। कुमार कामिनी की चूत की क्लिट के एक पंख को हल्के स्पर्श का इस्तेमाल कर, अपनी उंगली ,कामिनी की चुत के अंदर कर दिया।
कामिनी ने एक लंबी "ऊह अहह्ह ..." आवाज़ निकाली और अपनी चूत की मांसपेशियों को कुमार की उंगली पर दबा दि।
कुमार ने धीरे से कामिनी को झरने के अंदर चट्टान की ओर निर्देशित किया और उसे उस पर बैठने में मदद की। कामिनी अपनी पैरों को फैलायी, कुमार को अपनी चुत को और स्पष्ट रूप से देखने के लिए आमंत्रित करी। कुमार चट्टान के फर्श पर उसके सामने घुटने टेक कर, और उसकी पीठ पर पानी के तेज़ झोंकों के साथ, उसकी चुत को चाटने लगा। उसने अपनी जीभ कामिनी के चुत की होठों के किनारों पर फेरी, जो झरने के पानी से भीगे हुए थे। फिर कुमार अपनी जीभ को कामिनी की चुत के छेद में, जहाँ तक वह जा सकता था, वहाँ तक घुसा दि, । कामिनी ने भी कुमार के सिर को अपने झाँघों के बीच जकड़ लि।
कामिनी ने एक और आह भरी – और अपने झंघों को कुमार के सिर पर और दबाने लगी। कुमार अब मस्ती में कामिनी की छूत की चटाई जारी रखी। ऊपर नीचे ऊपर नीचे अपनी जीभ को कामिनी की चुत के ख़िलाफ़ वह रगड़ने लगा।
कुछ देर बाद कुमार ने अपनी जीभ हटा दी, और उसे अपने अंगूठे से बदल दिया। कामिनी की चुत बहुत गीली थी, और बहुत गर्म थी, और उसने अपनी चुत की माँसपेशियों को कुमार की अँगुलियों पर कस कर जकड़ लिया।
कामिनी अपने नितम्बों को आगे पीछे हिलाने लगी और धीरे से कराहने लगी। उसके पूरे शरीर में गर्मी का अहसास फैल गया। अंत में, एक ज़ोर के कराह के बाद, कामिनी महसूस करी कि कुमार की जीभ उसकी चुत की प्यार बटन से संपर्क करती रही। उसके भीतर खुशी की लहर दौड़ गई। उसके विलाप और अधिक जरूरी हो गए। उसकी चुत की मांसपेशियों ने कुमार के उँगलियों पर दबाई रखी और वह अब कुमार की उँगलियों को अपनी चुत के अंदर गहराई में महसूस कर सकती थी। उसने कुमार के उसके सिर के पीछे से पकड़ लिया, और उसे अपनी चूत के खिलाफ कसकर खींच लि। कुमार की जीभ कामिनी की क्लिट पर रगड़ने लगी, और वह खुद कामिनी की चुत के खिलाफ ऊपर-नीचे करने लगी।
"हे भगवान, हे भगवान ..." वह कराह उठी। कुमार ने कामिनी की चुत के अंदर और बाहर अपनी उँगलियों को काम घुमाते रहे आर साथ ही में उसकी चुत को चाट ते ही रहे।
अपनी चुत पर इस दोहरे हमले से कामिनी का तनाव उसके पैर की उंगलियों से धड़ तक फैल रहा था। उसकी बुर की छेद पर एक जीभ का संयोजन और उसके क्लिट में उँगलियों को पाकर वह एक ऑर्गैज़म के करीब धकेली जा रही थी। उसकी जांघें तन गईं। उसकी क्लिट में झुनझुनी सी छा गई, फिर कुमार ने कामिनी के जी-स्पॉट को अपनी उँगलियों से दबाते हुए उसे और उत्तेजित किया।
कामिनी कराहते हुए हांफने लगी, और एक "आह...आह...आह...आह्ह्ह्ह..." के साथ अंत में उसकी चुत में से रस बहने लगा। कुमार ने इस दौरान अपने मुँह को कामिनी की चुत से चिपकाए रखा था और उसकी चूत का सारा रस पी रहा था।
कामिनी ने कुमार का सिर छोड़ दिया, और उसे भूरी आँखों से देखने लगी। "उफ़ आपने तो मेरी चुत चाट चाट कर ही वहाँ से पानी निकाल लिया मम्म " कामिनी कही ।
"तुम्हारी चूत ही इतनी स्वादिषत हैं," कुमार ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अब तुम्हारी बारी कुमार डार्लिंग।”
कामिनी फिर से कुमार के मोटे लंड को सहलाने लगी।
अब कुमार का फिर से सख्त लंड कामिनी की ओर इशारा कर रहा था।
कामिनी अब कुमार के ऊपर चढ़ गई और कुमार उसे अपने मज़बूत बाहों में ले खड़ा था।
कामिनी ने कुमार के लंड के सिर को अपनी चुत के गीले, सूजे हुए छेद में घुसाते हुए कुमार के गले को अपनी बाहों को घेर लिया। वे एक-दूसरे की आंखों में देखते रहे और कामिनी कुमार की गोद में बैठी हुई उसका लंड आसानी से उसके चुत अंदर सरक गया, और उसके मुँह से कुमार के लंड के घुसते ही उसकी एक लंबी "आह" निकाली। दोनों के अपने गर्म, गीले शरीर एक दूसरे से दबे हुए थे और फिर कामिनी ने कुमार की पीठ के चारों ओर अपने पैर लपेटे।
दोनों प्रेमियों ने पूरी तरह से जुड़ा हुआ महसूस किया – ऐसे लग रहा था की वे दो के बजाय एक ही थे । झरनों से पानी के छींटे, उनके बदन पर पड़ रहे थे और फिर, बिल्कुल सही समय पर, कुमार ने अपने हाथों से धीरे से कामिनी को अपने लण्ड पर ऊपर उठाना शुरू किया, फिर उसे नीचे सरकने दिया। ऊपर, फिर नीचे। ऊपर, फिर नीचे वह कामिनी की छूत की चुदाई करते रहा।
“अहह्ह हाँ उफ़्फ़ कुमार मम्म मेरी ऐसी ही चुदाई करिए एमएमएम आप में इतनी ताक़त हैं उफ़्फ आह मम्म।”
कामिनी ऐसी चुदाई पा कर पागल बन रही थी। उफ़्फ मम्म और छोड़िये डार्लिंग वह कराहती रही।
कुमार अब कामिनी की निप्पलों को चूसते हुए उसे अपने लंड से चोदने लगा। कामिनी की साँसें उखड़ने लगीं। कुमार का लंड बमुश्किल कामिनी की चुत के पूरे अंदर चला गया था।
उसने उसे नीचे गिराना शुरू करके, फिर उसे वापस ऊपर खींचते हुए उसे चोदता रहा। थोड़ा नीचे, फिर ऊपर। कामिनी की चुत कुमार के धक्कों से बहुत गिली हो रही थी उसके चुत से ढेर सारा रस टपक रहा था। कुमार ने एक और फुल स्ट्रोक के साथ कामिनी के चुत की गहराई में अपने लंड को डाला और , फिर जोर से गुर्राते हुए फिर से उसकी जमकर चुदाई करने लगा।
“आह मेरी चूत की ऐसी ही चुदाई करो कुमार उफ़फ़ मैं कब से तुम्हाररे बड़े लंड की इंतज़ार में थी। मेरी जमकर मेरी चूत की कुटाई करो डार्लिंग आहह एस मम्ममम्म"
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