Hot updateराजनाथ तुरंत चुप हो गए। वह हैरान थे कि क्या कहा जाए, क्योंकि उसे ऐसी स्थिति आने की कहीं उम्मीद नहीं थी। मैं शर्म से मुँह फेर कर बैठी थी। राजनाथ ने कहा,
"बेटी! मुझे खेद है, लेकिन आप ऐसे बाहर नहीं जा सकते। इसलिए आप बाथरूम में जाकर इसे ठीक कर लें।"
मैं चुपचाप सिर हिलायी और बाथरूम में चली गयी। वहाँ मैं कुछ देर खड़ी रही । आइने के सामने में स्माइल देती हयी अपने उभरे स्तनों को उस ब्रा में बड़ा आकार बना हुआ देख मुस्कुरायी।वाह क्या जाल सेट किया था ।
और फिर मायूस भरे चेहरे के साथ बाहर आयी और खड़ी रही। राजनाथ ने मुझे चुपचाप खड़ा पाया तो उसने धीरे से पूछा,
"क्या है बेटी? क्या तुमने फिर से खुद के ब्रा का हुक को जोड़ लिया है? कृपया बैठ जाइए।"
मैं शर्म से ऊपर देखी और नकारात्मक में सिर हिलायी और कहने लगी,
"बाबूजी! यह एक बहुत शर्मनाक बात है, लेकिन मैं अपना हाथ इतना पीछे नहीं ले सकी और न ही ब्रा के हुक लगा सकी । अब मैं भी इस तरह बाहर नहीं जा सकती। अगर मेरी ब्रा खुली रहती है, तो मैं बाहर नहीं चल सकती। मुझे इसे लगाना होगा।
बाबूजी! यह कहना कितना अजीब है, लेकिन मेरी मदद करने के लिए यहां कोई और नहीं है। बाबूजी! यदि आप बुरा न मानें, तो क्या आप कृपया मेरी ब्रा की हुक लगा पाओगे ताकि मैं जा सकूं?
राजनाथ स्तब्ध रह गए। उन्होंने अपने बेतहाशा सपनों में कभी नहीं सोचा होगा कि जब उन्हें अपनी " होने वाली बहु “ की ब्रा को हुक करने के लिए बोला जाएगा। उनके पास शब्दों की कमी थी, कि क्या कहें।
वह बड़बड़ा रहे थे और बोले, "बी..बी..बू..लेकिन बेटी! यह बहुत अजीब है। मैं आपके ब्रा के हूक कैसे जोड़ सकता हूं? यह अजीब लगता है। आप कृपया आप फिर से कोशिश करें।"
मैं उनकी बेचैनी पर मुस्कुरा रही थी लेकिन यह सब मेरा गेम प्लान था, इसलिए में शरमायी
"बाबू जी! मैंने अपनी पूरी कोशिश की है लेकिन यह काम नहीं कर रहा है। मेरी मदद करने के लिए कोई और नहीं है। आप मेरे "ससुर होंगे", इसलिए आप बाहरी नहीं हैं। यह बात हम दोनों के बीच रहेगी । कृपया बाबूजी मेरी मदद करें ।"
यह कहकर और इस डर से कि कहीं वह मना न कर दे, तो उसके जवाब से पहले मैंने उनकी ओर पीठ कर ली और अपनी टी-शर्ट को अपनी पीठ से अपनी ब्रा के लेवल तक उठा लिया, ताकि वह उसे हुक कर दे।
मेरी नग्न लेकिन सफेदी और जवान पीठ उनकी आंखों के सामने थी।राजनाथ असमंजस में थे कि क्या करें? तो वह कुछ पल लड़खड़ा गए और फिर शायद उन्होंने सोचा कि अगर मैं एक महिला होने के बावजूद शर्मा नहीं रही थी, तो एक पुरुष होने के नाते उन्हें भी नहीं शर्माना चाहिए।
या शायद वह मेरी नग्न पीठ से उत्तेजित हो गए थे (मेरे बड़े स्तनों का थोड़ा सा हिस्सा भी उन्हें दिखाई दे रहा था और वह नजारा बेशक उन्हें और उत्तेजित कर रहे थे),
इसलिए झिझकते हुए वह मेरे पास आए और कांपते हाथों से उन्होंने ब्रा के हुक्स पकड़ लिए बाँधने लग गये।
मैं उनकी झिझक और हालत पर चुपके से मुस्कुरा रही थी और मैं अपनी बंच अप टी-शर्ट को अपने स्तनों के पास पकड़े हुए थी। दरअसल मैं अपनी कमीज को थामने के बहाने अपनी ब्रा को भी आगे की ओर खींच रही थी, जिससे मेरी भविष्य में बन्ने वाले ससुरजी के लिए उन्हें हुक करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
राजनाथ के हाथ काँप रहे थे। जैसे ही उसने मेरी ब्रा के हुक खींचने की कोशिश की, उसके हाथों का पिछला हिस्सा मेरी नग्न पीठ को छू गया और वो मुझे आगे से पकड़ने की कोशिश करते तो उनके हाथ और मेरी स्तनों के पास का बस १ इंच दूरी तक का फ़ासला ही रहता, जिससे मेरी रीढ़ में कंपकंपी हो गई और शायद राजनाथ की भी।
मेरे भविष्य के ससुरजी का लंड अब सख्त होने लगा था ।
वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन जैसे ही मैं ब्रा को आगे (जानबूझकर) खींच रही थी, मैं उन्हें हुक नहीं करने दे रही थी।
उनके असफल होने के 2-3 मिनट बाद मैंने अपना अगला कदम उठाया और उनकी ओर मूडी।
"बाबू जी! मुझे लगता है कि मेरी टी-शर्ट आपके काम के बीच आ रही है। मुझे लगता है कि मैं इसे हटा सकती हूं, ताकि आप मेरी ब्रा को और आसानी से हुक कर सकें।"