मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने,
किसी की बेवफाई ने किसी के झूठे वादों ने।...
तुम्हारे वादों में लगता है मेरे दोस्त,
कशिश बहुत है, मगर वफ़ा नहीं।
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी,
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा।.......![]()
वफ़ा मैंने नहीं छोड़ी मुझे इलज़ाम मत देना,
मेरा सबूत मेरे अश्क हैं मेरा गवाह मेरा दर्द है।
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