पहली बार?!! यार, तब सुरेन्द्र मोहन पाठक जी का नाम ही कैसे जान पाए?
वैसे बता दूँ की विमल सीरीज एक ऐसे अपराधी की कहानी है जो गलती से दूसरों के बहकावे में आ कर पुलिस कैद से भाग जाता है जबकि उसकी सिर्फ दो महीने की ही सजा बाक़ी थी ; दूसरों की उम्रकैद थी. उसकी इस गलती के कारण ही उसपे फ़रार और इश्तिहारी मुजरिम होने का टैग लग गया और देश के कई शहरों में वांटेड बन गया. किस्मत ऐसा की कभी एक जगह टिक कर नहीं रह पाया आज तक.
और हाँ, विमल सीरीज इरोटिक नहीं है क्योंकि सुरेन्द्र जी इरोटिक कहानियाँ नहीं लिखते. उन्हें पसंद नहीं.
उनकी लिखी सुनील सीरीज पढ़ना शुरू करो; अच्छी लगे या आदत बन जाए तब विमल सीरीज पढ़ लेना.