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अनमोल "रिश्ते"
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*प्रिंस प्रिंस*
*पिताजी जोर से चिल्लाते हैं ।*
*प्रिंस दौड़कर आता है पूछता है..* *क्या बात है पिताजी?*
*पिताजी-* *तूझे पता नहीं है आज तेरी बहन रश्मि आ रही है? वह इस बार रक्षाबंधन त्योहार हम सभी के साथ मनायेगी.. अब जल्दी से जा और अपनी बहन को लेके आ।*
*हाँ और सुन...तू अपनी नई गाड़ी लेके जाना जो तूने कल खरीदी है..उसे अच्छा लगेगा।*
*प्रिंस लेकिन मेरी गाड़ी तो सुबह ही मेरा दोस्त ले गया था...और आपकी गाड़ी भी ड्राइवर ये कहके ले गया की गाड़ी की ब्रेक चेक करवानी है।*
*पिताजी -* *ठीक है तू स्टेशन तो जा कीसी और की गाड़ी या किराया की करके? उसे लेकर आ*
*प्रिंस -अरे वह बच्ची है क्या जो आ नहीं सकेगी ?*
*टैक्सी या आटो लेकर आ जायेगी आप चिंता क्यों करते हो ....*
*पिताजी - तूझे शर्म नहीं आती ऐसा बोलते हुए ?*
*घर मे गाडी़यां होते हुए भी घर की बेटी किसी टैक्सी या आटो से आयेगी ?*
*प्रिंस - ठीक है आप ही जाओ मुझे बहुत काम है मैं नहीं जा सकता...*
*पिताजी - तूझे अपनी बहन की थोड़ी भी फिकर नहीं ?*
*शादी हो गई तो क्या बहन पराई हो गई ....क्या उसे हम सबका प्यार पाने का हक नहीं ?*
*तेरा जितना अधिकार है इस घर में उतना ही तेरी बहन का भी है। कोई भी बेटी या बहन मायके छोड़ने के बाद वह पराई नहीं होती।*
*प्रिंस -मगर मेरे लिए वह पराई हो चुकी है और इस घर पे सिर्फ मेरा अधिकार है।*
*तडाक ...अचानक पिताजी का हाथ उठ जाता है प्रिंस पर...*
*और तभी माँ भी आ जाती है*
*अरे-कुछ तो शरम कीजिये ऐसे जवान बेटे पर हाथ उठाते हुए*
*तुमने सुना नहीं इसने क्या कहा ? अपनी बहन को पराया कहता है ....*
*ये वही बहन है जो इससे एक पल भी अलग नहीं होती थी हर पल इसका ख्याल रखती थी।*
*पाकेट मनी से बचाकर इसके लिए कुछ न कुछ खरीदा करती थी। बिदाई के वक्त भी हमसे ज्यादा अपने भाई से गले लगकर रोई थी।*
*और ये आज उसी बहन को पराया कहता है।*
*प्रिंस -(मुस्कुराके) बुआ भी तो आ रही है पापा...*
*वह कई बार इस घर मे आई है मगर हर बार आटो से आई है..*
*आप कभी भी अपनी गाड़ी लेकर उन्हें लेने नहीं गये...*
*माना वह आज वह तंगी मे है मगर कल तक वह भी बहुत अमीर थी आपको मुझको इस घर को उन्होंने दिल खोलकर सहायता और सहयोग किया है।*
*बुआ भी इसी घर से बिदा हुई थी फिर रश्मि दी और बुआ मे फर्क कैसा।*
*रश्मि मेरी बहन है तो बुआ भी तो आपकी बहन है।*
*कि तभी बाहर गाड़ी रूकने की आवाज आती है....*
*तब तक पापा प्रिंस की बातों से पश्चाताप की आग मे जलकर रोने लगे और इधर रश्मि भी दौड़कर पापा मम्मी से गले मिलती है.. लेकिन उनकी हालत देखकर पूछती है कि क्या हुआ पापा?*
*पापा - तेरा भाई आज मेरा भी पापा बन गया है ।*
*रश्मि - भाई की तरफ देखते हुए ऐ पागल...*
*नई गाड़ी तुमने भैजी थी न? बहुत ही अच्छी है... मैं ड्राइवर को पीछे बिठाकर खुद चलाके आई हूँ और कलर भी मेरी पसंद का है।*
*प्रिंस - रक्षाबंधन की हार्दिक सुभकामनाये दीदी .. यह गाड़ी आपकी ही है और हमारे तरफ से आपको रक्षा बंधन की भेंट ह..*
*बहन सुनते ही खुशी से उछल पड़ती है की तभी बुआ भी अंदर आती है ।*
*बुआ - क्या भैया आप भी न, ???*
*न कोई फोन न कोई खबर अचानक भेज दी गाड़ी.....* *भागकर आई हूँ खुशी से।*
*ऐसा लगा जैसे पापा आज भी जिंदा हैं...*
*इधर पिताजी अपनी पलकों मे आंसु लिये प्रिंस की ओर देखते हैं और प्रिंस पापा को चुप रहने को इशारा करता है।*
*इधर बुआ कहती जाती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ कि मुझे पिता जैसा भैया मिला,*
*ईश्वर करे मुझे हर जन्म मे भाई के रूप में आप ही मिले...*
*पापा मम्मी को पता चल गया था कि ...ये सब प्रिंस की करतूत है मगर आज फिर एक बार रिश्तों को मजबूती से जुड़ते देखकर वह अंदर की खुशी से टूटकर रोने लगे। उन्हें अब पूरा यकीन था कि ..*
*मेरे जाने के बाद भी मेरा प्रिंस रिश्तों को सदा हिफाजत से रखेगा,.....*
*भाई बहन के पवित्र त्योहार रक्षाबंधन की हार्दिक सुभकामनाये*
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