• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,509
57,129
259
वाह क्या एंगल है । राजदान तो गियो ।
एक तरफ़ सरकारी गवाह और सरकारी रिकॉर्ड और दूसरी और फैब्रिकेटेड गवाह।
बहुत बढ़िया भाई
Thanks for your valuable review and support bhai ❣️
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,327
40,052
259
Ye bhi sahi hai, per fir romesh kyu cheekh-2 kar kah raha hai ki wo katal usne hi kiya hai? Khair dekhte hai aage uski niyati me kya likha hai?
राज मनीष नही है, इसीलिए नियति की बात न ही करो, क्योंकि मनीष हमेशा एंड बदलने के लिए मशहूर है l
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,509
57,129
259
राज मनीष नही है, इसीलिए नियति की बात न ही करो, क्योंकि मनीष हमेशा एंड बदलने के लिए मशहूर है l
Manish end badalta hai par apan nahi badal raha bhai, lekin jab likja ja raha ho to kidhar bhi moda ja sakta hai bhaiyaa :D Isn't it possible??
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,509
57,129
259
Waise HalfbludPrince apne aap me eklota writer hai jo itna hatt ke hai, mere or uska compare hi kaha? He is a gem 💎
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,212
23,530
159
एक आदमी जो किसी सरकारी निगरानी में था, वो कैसे कत्ल कर सकता है।

मैने पहले ही कहा था, इस कत्ल का चस्मदीद कोई है ही नही, माया देवी भी नही, क्योंकि जिसने भी रोमेश को देखा, नीम अंधेरे में ही देखा।
इसलिए मैंने अभी तक अदालत वाली सीन्स पर कमेंट नहीं किया है।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,212
23,530
159
राज मनीष नही है, इसीलिए नियति की बात न ही करो, क्योंकि मनीष हमेशा एंड बदलने के लिए मशहूर है l

मनीष भाई वो ही हैं, जिनको समझ रहा हूं?
उनकी कहानी में दो चीज़ें होती हैं - रायता बहुत फैल जाता है, और रायता फैल जाने पर, उसको समेटने के लिए यूरोपियन फंतासी के जीव जंतु भी आ जाते हैं। 🤣
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,722
37,423
219
मनीष भाई वो ही हैं, जिनको समझ रहा हूं?
उनकी कहानी में दो चीज़ें होती हैं - रायता बहुत फैल जाता है, और रायता फैल जाने पर, उसको समेटने के लिए यूरोपियन फंतासी के जीव जंतु भी आ जाते हैं। 🤣
Fauji
xossip par FTK
yahan HalfbludPrince
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,327
40,052
259
इसलिए मैंने अभी तक अदालत वाली सीन्स पर कमेंट नहीं किया है।
चश्मदीद नही है, ये तो मैं शुरू से कह रहा हूं, और जितने भी गवाह है, अदालत इनको एक झटके में ही खारिज कर देगी, क्योंकि सब खुद ही कबूल कर रहे हैं की वो फैब्रिकेटेड हैं।
 

Agrawal ji

Supreme
438
937
108
# 27


"रस्सी जल गई, मगर बल नहीं गया।" राजदान बोला।

"मैं वह रस्सी हूँ राजदान, जिसे कानून की आग कभी नहीं जला सकती।"

"ऑर्डर… ऑर्डर ?" न्यायाधीश ने मेज बजाई, "मिस्टर रोमेश सक्सेना, आपको जो कुछ कहना है अदालत के समक्ष कहें।"

रोमेश अब अदालत से मुखातिब हुआ।

"योर ऑनर, मैं जानता था कि मेरी कानूनी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए अदालत मेरे प्रति सॉफ्ट कार्नर रखती है और वह मुझे एक आखिरी मौका देगी। मुझे भी इसी मौके
का इन्तजार था। योर ऑनर, यह तो अपनी जगह अटल सत्य है कि क़त्ल मैंने ही किया है, परन्तु यह भी अपनी जगह सत्य है कि रोमेश सक्सेना ने जिस मुकदमे को अपने हाथों में लिया, जिसकी पैरवी कि उसे कभी हारा नहीं। यह अलग बात है कि रोमेश पहली बार एक अपराधी का मुकदमा लड़ रहा है।"

अदालत में बैठे लोग कानाफूसी करने लगे, पीछे से एक शोर-सा उठा।

"शांत रहिये, शांत !" न्यायाधीश को कहना पड़ा। लोग चुप हो गये।

"आप कहना क्या चाहते हैं सक्सेना? "

"यही योर ऑनर कि अपराध के इतिहास में ऐसा विचित्र मुकदमा कभी पेश नहीं हुआ होगा कि यह साबित होने पर भी कि मुलजिम ने क़त्ल किया है, अदालत मुलजिम को सजा न देते हुए बाइज्जत रिहा करेगी।"

"व्हाट नॉनसेन्स !" राजदान चीखा, "यह अदालत का अपमान कर रहा है। कानून का मजाक उड़ा रहा है, क्या समझ रखा है इसने कानून को?"

"चुप बे कानून के सिपह सालार ! तेरी तो आज बहुत बुरी गत होने होने वाली है, ऐसे औंधे मुंह गिरने वाला है तू कि कई दिन तक होश नहीं आएगा। कानून के नाम पर हमेशा मेरा भूत तुझे सपनों में डराता रहेगा।"

"योर ऑनर यह गाली गलौज पर उतर आया है।" राजदान चीखा।

"ऑर्डर ! ऑर्डर !!"

एक बार फिर सब शांत हो गया।

"हाँ, योर ऑनर!" रोमेश अदालत से मुखातिब हुआ,

"आप मुझे बाइज्जत रिहा करेंगे। क्यों कि मैं जिन तीन गवाहों को अदालत में पेश करूंगा, वह ही इसके लिए काफी हैं, साबित हो जायेगा कि क़त्ल मैंने नहीं किया, जबकि साबित यह भी हो चुका है कि क़त्ल मैंने ही किया है।"

पीछे वाली बेंच पर ठहाके गूँज उठे।

"मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि मुझे गवाह पेश करने का अवसर दिया जाये।"

न्यायाधीश ने पानी मांग लिया था। छक्के तो सभी के छूट रहे थे। मुकदमे ने एक सनसनी खेज नाटकीय मोड़ ले लिया था।

"इजाजत है।" न्यायाधीश ने कहा।

"थैंक्यू योर ऑनर, जिन तीन सरकारी अधिकारियों को मैं बुलाना चा हता हूँ, अदालत उन्हें तलब करने का प्रबन्ध करे। नम्बर एक, रेलवे विभाग के टिकट चेकर मिस्टर
रामानुज महाचारी ! "

"नम्बर दो, बड़ौदा रेलवे पुलिस स्टेशन का इन्चार्ज इंस्पेक्टर बलवंत
सिन्हा !"

"नम्बर तीन, बड़ौदा डिस्ट्रिक जेल का जेलर कबीर गोस्वामी ! इनके वर्तमान कार्यक्षेत्र के पते भी नोट कर लिए जायें ।"

अदालत से बाहर चंदू, राजा और कासिम डिस्कस कर रहे थे।

"यार यह तीन नये गवाह कहाँ से आ गये ?" चंदू बोला।

"अपुन को लगता है कि इसने उनको भी पहले से हमारी तरह फिट करके रखा होगा। यह तो साला लफड़े पे लफड़ा हो गया।"

"अरे यार अब तो उसे ख़ुदा भी बरी नहीं करा सकता।" कासिम बोला।

"यार मेरे को लगता है, बरी हो जायेगा।" चंदू बोला,

"अगर हो गया, तो मैं उसे मुबारकबाद दूँगा।"

"अपुन का धंधा भी चमकेगा भाई, सबको पता चल जायेगा कि राजा का खरीदा चाकू-छुरे से क़त्ल करने वाला बरी होता है।" राजा बोला।

"मगर क़त्ल तो उसने किया ही है।"

"यह तो सबको पता है, मगर अब लफड़ा हो गया।"

शाम के समाचार पत्रों में यह खबर प्रमुख सुर्खियों में छपी थी।
जे० एन० मर्डर केस में एक नाटकीय मोड़!

अपराध जगत का सबसे सनसनी खेज मुकदमा!

क्या अदालत रोमेश को बरी करेगी?

तरह-तरह की सुर्खियां थीं, जो अख़बारों में छपी हुई थीं। हॉकरों की बन आई थी।
लोग अख़बार पढ़ने के लिये टूटे पड़ रहे थे। गयी रात तक चौराहों, बाजारों, नुक्कड़ो में यही एक बात चर्चा का विषय बन गई थी ।

..............अगली तारीख............

अदालत खचा-खच भरी थी। अदालत के बाहर भी लोगों का हुजूम उमड़ा था। हर कोई जे.एन. मर्डर केस में दिलचस्पी लेने लगा था।

रोमेश सक्सेना को जिस समय
अदालत में पेश किया जा रहा था, कुछ पत्रकारों के कैमरों की फ़्लैश चमकी और कुछ ने आगे बढ़कर सवाल करने चाहे, तरह तरह के प्रश्न थे।

"आप किस तरह साबित करेंगें कि क़त्ल आपने नहीं किया ?"

"मैं यह साबित नहीं करने जा रहा हूँ।" रोमेश का जवाब था,

"मैं सिर्फ अपने को बरी करवाने जा रहा हूँ।"

प्रश्न : "आपके तीनों गवाह क्या कहने जा रहे हैं ? "

उत्तर: "वक्त का इन्तजार कीजिए, अभी अदालत में सब कुछ आपके सामने आने वाला है।"

रोमेश अदालत के कटघरे में पहुँचा। अदालत की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी।

"गवाह नम्बर एक, रामानुज महाचारी पेश हों।"

अदालत ने रामानुज को तलब किया। रामानुज मद्रासी था। करीब पचास साल उम्र होगी, रंग काला तो था ही, ऊपर से काला सूट पहने हुये था। रामानुज को शपथ दिलाई गयी। उसने शपथ ली और अपने चश्मे के अन्दर से पूरी अदालत पर सरसरी निगाह दौड़ाई, फिर उसकी नजरें रोमेश पर ठहर गयी। वह चौंक पड़ा।

"उसके मुँह से निकला,"तुम, यू बास्टर्ड !"

"हाँ, मैं !" रोमेश बोला,

"मेरा पहला सवाल यही है मिस्टर रामानुज, कि क्या तुम मुझे जानते हो ? "

"अरे अपनी सर्विस लाइफ में साला ऐसा कभी नहीं हुआ, तुमने हमारा ऐसा बेइज्जती किया कि हम भूल नहीं पाता आज भी, मिस्टर बास्टर्ड एडवोकेट।"

"मिस्टर रामानुज, यह अदालत है, अपनी भाषा दुरुस्त रखें।" न्यायाधीश ने रोका।

"ठीक सर, बरोबर ठीक बोलूंगा।"

"गाली नहीं देने का।"

रोमेश बोला, "हाँ तो रामानुज, क्या तुम अदालत को बता सकते हो कि तुम मुझे कैसे जानते हो ?"

"यह आदमी नौ जनवरी को राजधानी में सफर कर रहा था। उस दिन हमारा ड्यूटी
था। मैं रेलवे का एम्प्लोई हूँ और मेरी ड्यूटी राजधानी एक्सप्रेस में रहती है। टिकट चेक करते समय मैं इसकी सीट पर पहुँचा, तो यह शख्स दारू पी रहा था। मेरे रोकने पर इसने
पहले तो दारू का पैग मेरे मुंह पर मारा और उठकर मेरे गाल पर थप्पड़ मारा जी। "

"मेरी सर्विस लाइफ में पहला थप्पड़ सर! मैंने टिकट माँगा, तो दूसरा थप्पड़ पड़ा जी। मेरी सर्विस लाइफ का दूसरा थप्पड़ जी, मैं तो रो पड़ा जी। पैसेंजर लोगों ने मुझे इस बदमाश से बचाया, यह बोला मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना हूँ, कौन मेरे को दारू पीने से रोकेगा ? कौन
मुझसे टिकट मांगेगा ? हमने यह बात अपने स्टाफ के लोगों को बताया, पुलिस का मदद लिया और बड़ौदा में इसको उतारकर रेलवे पुलिस के हवाले कर दिया।
लेकिन मेरी सर्विस लाइफ का पहला और दूसरा थप्पड़, वो मैं कभी भी नहीं भूल पाऊंगा माई लार्ड !"


इतना कहकर रामानुज चुप हो गया।

"योर ऑनर।" रोमेश ने कहा,

"यह बात नोट की जाये कि रामानुज ने मुझे बड़ौदा स्टेशन पर राजधानी से उतार दिया था। नौ जनवरी की रात राजधानी एक्सप्रेस बड़ौदा में नौ बजकर अठ्ठारह मिनट पर पहुंची थी। मेरे काबिल दोस्त राजदान को अगर कोई सवाल करना हो, तो पूछ सकते हैं।"


"नो क्वेश्चन।" राजदान ने रोमेश के अंदाज में कहा,

"रामानुज के बयानों से यह बात और भी साफ हो जा ती है कि रोमेश सक्सेना को बड़ौदा में उतारा गया और यह शख्स बड़ौदा से सीधा मुम्बई आ पहुंचा, जाहिर है कि इसने बड़ी आसानी से अपनी जमानत करवाली होगी या फिर पुलिस ने ही नशा उतरने पर इसे छोड़ दिया होगा।"


"अंधेरे में तीर न चलाइये राजदान साहब, मेरा दूसरा गवाह बुलाया जाये। बड़ौदा रेलवे पुलिस स्टेशन का इंचार्ज इंस्पेक्टर बलवंत आपके इन सब सवालों का जवाब दे देगा।“

“मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि बलवंत को अदालत में बुलाया जाये।"

अदालत ने इंस्पेक्टर बलवंत को तलब किया।

"इंस्पेक्टर बलवन्त सिन्हा हाजिर हो।"

बलवन्त सिन्हा पुलिस की वर्दी में था। लम्बा तगड़ा जवान था, कटघरे में पहुंचते ही उसने न्यायाधीश को सैल्यूट मारा। अदालती रस्में पूरे होने के बाद बलवन्त की दृष्टि रोमेश पर ठहर गयी।

"इंस्पेक्टर बलवन्त आप मुझे जानते हैं ?"

"ऑफकोर्स।” बलवन्त ने उत्तर दिया, "एडवोकेट रोमेश सक्सेना ।"

"कैसे जानते हैं ?"

"क्यों कि मैंने आपको नौ जनवरी की रात लॉकअप में बन्द किया था और रामानुज की रिपोर्ट पर आप पर मुकदमा कायम किया था। फिर अगले दिन आपको कोर्ट में पेश
किया गया, जहाँ से आपको बिना टिकट यात्रा करने के जुर्म में दस दिन की सजा हो गई।

यह सजा इसलिये हुई, क्यों कि आपने जुर्माना देने से इन्कार कर दिया और न ही अपनी जमानत करवाई !"

"क्या आप बता सकते हैं मुझे सजा किस दिन हुई ?"

"दस जनवरी को।"

"यह बात नोट कर ली जाये योर ऑनर ! नौ जनवरी को मुझे पुलिस ने कस्टडी में लिया और दस जनवरी को मुझे दस दिन की सजा हो गयी।"

राजदान एकदम उठ खड़ा हुआ।

"हो सकता है योर ऑनर सजा होने के बाद मुलजिम के किसी आदमी ने जमानत करवाली हो और यह बात इंस्पेक्टर बलवंत की जानकारी में न हो। यह भी हो सकता है कि आज तक जुर्माना भर दिया गया हो और मुलजिम सीधा मुम्बई आ गया। अगर यह ट्रेन से आता है, तब भी छ: सात घंटे में बड़ौदा से मुम्बई पहुंच सकता है।"


"लगता है मेरे काबिल दोस्त या तो बौखला कर ऊलजलूल बातें कर रहे हैं, या फिर इन्हें कानून की जानकारी नहीं है।" रोमेश ने कहा,

"अगर मेरी जमानत होती या जुर्माने की राशि भर दी जाती, तो पुलिस स्टेशन में केस दर्ज है, वहाँ पूरी रिपोर्ट लगा दी जाती है।"

"रिपोर्ट लगने पर भी कोई जरूरी नहीं कि इंस्पेक्टर बलवन्त को इसकी जानकारी हो, यह कोई ऐसा संगीन केस था नहीं।"

"क्यों इंस्पेक्टर, इस बारे में आपका क्या कहना है ?"

"मेरी पक्की जमानत और पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ही मैंने बयान दिया है। मगर यह एक संभ्रांत फेमस एडवोकेट का मामला न होता, तो मुझे याद भी न रहता। मैं तो इनको रात को ही छोड़ देता, मगर रोमेश सक्सेना ने पुलिस स्टेशन में भी अभद्रता दिखाई,
मुझे सस्पेंड तक करा देने की धमकी दी, इसलिये मैंने इनका मामला अपनी पर्सनल डायरी में नोट कर लिया। इन्हें सजा हुई और यह पूरे दस दिन जेल में बिता कर ही बाहर निकले।"

"ऐनी क्वेश्चन मिस्टर राजदान ?"

राजदान ने इन्कार में सिर हिलाया और रूमाल से चेहरा साफ करता हुआ बैठ गया। साथ ही उसने एक गिलास पानी भी मंगा लिया।



जारी रहेगा…….......✍️✍️
Bhai kya chakravyuh rach rahe dimag hilta ja raha
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,509
57,129
259
इसलिए मैंने अभी तक अदालत वाली सीन्स पर कमेंट नहीं किया है।
Ab kar do sarkaar, waise abhi itne updates ka review pending hai aapka :waiting:
 
Top