• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
19,242
46,818
259

Napster

Well-Known Member
4,730
13,110
158
# 30

रोमेश का मुकदमा हारने के बाद इंस्पेक्टर विजय का ट्रांसफर हो गया था।

गोरेगांव से कोलाबा पुलिस स्टेशन में उसका तबादला हुआ. था, विजय का प्रमोशन ड्यू था, परन्तु इस केस में पुलिस की जो छीछा लेदर हुई, उसका दण्ड भी विजय को भोगना पड़ा, उसका एक स्टार उतर गया था। अब वह सब-इंस्पेक्टर बन गया था। उसकी सर्विस बुक में एक बड़ी बैडएन्ट्री हो चुकी थी।

कोलाबा पुलिस स्टेशन में स्टेशन का इंचार्ज रविकांत बोरेड था, विजय उसका मातहत बनकर गया था। इस वक्त इंचार्ज घर पर सो रहा था और ड्यूटी पर विजय मौजूद था। रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, अचानक कोलाबा पुलिस थाने में टेलीफोन की घंटी बज उठी। विजय ने फोन रिसीव किया।

"हैलो कोलाबा पुलिस स्टेशन।" दूसरी तरफ से पूछा गया।

"यस, इट इज कोलाबा पुलिस स्टेशन।"

"मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना बोल रहा हूँ ।"

"क्या ?" विजय चौंक पड़ा,

"तुमको कैसे पता चला कि मेरा ट्रांसफर इस थाने में हो गया है, आज ही तो मैं यहाँ आया हूँ।"

"ओह विजय तुम बोल रहे हो ? सॉरी, मुझे नहीं मालूम था कि यहाँ भी तुम मिलोगे। खैर अच्छा ही है यार, तुम हो। देखो, अब जो मैं कह रहा हूँ, जरा गौर से सुनो।"

"बोलो, तुम्हारी हर बात मैंने आज तक गौर से ही तो सुनी है। तभी तो मैं इंस्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर बन गया, थाना इंचार्ज से सहायक बन गया। लेकिन यह मत समझना कि मैं हार गया हूँ, मैं यह जरुर पता लगा लूँगा कि तुमने जे.एन. का क़त्ल कैसे किया ?"

"यह मैं तुम्हें खुद ही बता दूँगा।"

"नहीं दोस्त, मैं तुमसे नहीं पूछने वाला, मैं खुद इसका पता लगाऊंगा।"

"खैर यहाँ मैंने तुम्हें फोन एक और काम के सिलसिले में किया है। अभी इन बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। तुम अभी अपनी रवानगी दर्ज करो, पता मैं बताता हूँ। मैंने यहाँ एक खून कर डाला है।”

"क्या ? " विजय उछल पड़ा।

"हाँ विजय, मैंने अपनी बीवी का खून कर डाला है।"

"त… तुमने… भाभी का खून ? मगर भाभी तो दिल्ली में रहती हैं ?"

"रहती थी, अब यहाँ है, वो भी जिन्दा नहीं मुर्दा हालत में।"

"देखो रोमेश, मेरे साथ ऐसा मजाक मत करो।"

"यह मजाक नहीं है। तुरन्त अपनी फोर्स लेकर मेरे बताए पते पर पहुंचो, यहाँ मैं पुलिस का इन्तजार कर रहा हूँ। अगर तुमने कोताही बरती, तो मैं पुलिस कमिश्नर को फोन करूंगा। उसके बाद तुम्हारी वर्दी भी उतर सकती है, एक कातिल तुम्हें फोन करता रहा और तुम मौका-ए-वारदात पर नहीं पहुंचे।"

"पता बताओ।"

रोमेश ने पता बताया और फोन कट गया। विजय ने थाना इंचार्ज रवि कांत को उसी वक्त जगाया और स्वयं रवानगी दर्ज करके घटना स्थल की तरफ रवाना हो गया। उसके साथ चार सिपाही थे बिल्डिंग के बाहर भीड़ जमा हो गई थी। बारिश थम गई थी। इमारत में रहने वाले दूसरे लोग भी हलचल में शामिल थे। इसी हलचल से पता चल जाता था कि कोई वारदात हुई है। विजय अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुँचा। खून से लथपथ सीमा की लाश पड़ी थी। रोमेश के लिबास पर भी खून के धब्बे थे। वह विक्षिप्त-सा बैठा था। पास ही रिवॉल्वर पड़ी थी। पूरे कमरे में नोट बिखरे पड़े थे, लाश के ऊपर भी नोट पड़े हुए थे।

विजय ने कैप उतारी और लाश का मुआयना करना शुरू किया। जरा से भी प्राण न बचे, सीमा की मौत को काफी समय हो गया था। उसका सीना गोलियों से छलनी नजर आ रहा था।

विजय उठ खड़ा हुआ। उसने एक चुभती दृष्टि रोमेश पर डाली, फिर उसका ध्यान रिवॉल्वर पर गया। उसने रिवॉल्वर पर रुमाल डाला और बड़े एतिहायत से उसे उठा लिया। रिवॉल्वर अपनी कस्टडी में लेने के बाद वह रोमेश की तरफ मुड़ा। रोमेश ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये। विजय ने हथकड़ी पहना दी।

रोमेश को कस्टडी में लेने के उपरान्त पुलिस की जांच पड़ताल शुरू हो गयी। घटना स्थल पर रविकांत बोरेड के अतिरिक्त वरिष्ट अधिकारी भी आ पहुंचे। पुलिस फोटो एंड फिंगर प्रिन्टस स्कैन के अतिरिक्त वैशाली भी घटना स्थल पर पहुंची थी। रोमेश को कोलाबा पुलिस थाने के लॉकअप में बंद कर दिया गया। लॉकअप में बन्द होते समय रोमेश ने कहा,


"विजय ! मैंने इंसानों की अदालत को धोखा तो दे दिया, लेकिन आज मुझे यकीन हुआ कि इंसानों की अदालत से भी बड़ी एक अदालत और है। वह अदालत भगवान की अदालत है। जहाँ हर गुनाह की सजा मिलती है। उसी भगवान ने मुझसे यह दूसरा खून करवाया और मैं इस खून के जुर्म से अपने आपको बचा नहीं सकता, क्यों कि मैं इस अपराध से बचना भी नहीं चाहूँगा।"

विजय ने कोई उत्तर नहीं दिया और लॉकअप में ताला डाल दिया। एक बार फिर अख़बारों की सुर्खियों में रोमेश का नाम था। सीमा की तस्वीरें भी समाचार पत्रों में छपी थीं। वह बड़ा सनसनी खेज कांड था,

एक पति ने अपनी पत्नी के सीने में रिवॉल्वर की सारी गोलियां उतार दी थीं। रोमेश ने उसकी बेवफाई की दास्तान किसी को नहीं बताई थी, इसलिये अखबारों में तरह-तरह की शंकायें छपी।

"वहाँ एक आदमी और मौजूद था।" विजय ने अगली सुबह रोमेश से पूछताछ शुरू कर दी।

"मुझे नहीं मालूम।" रोमेश ने कहा।

"लेकिन मैं पता निकाल लूँगा।"

"उसका कसूर ही क्या है। सारा कसूर तो मेरी बीवी का है, उसने मेरे साथ बेवफाई की, मैंने उसे इसी की सजा दी।"


"हमें यह भी तो पता लगाना है कि उस कमरे में जो नोट बिखरे पाये गये और बची हुई नोटों की गड्डियां जो सूटकेस में थीं, वह कहाँ से आयीं ? तुम्हें इतनी मोटी रकम किसने दी ?"

"ठहरो , मैं तुम्हें सब कुछ बता सकता हूँ, मगर मेरी एक शर्त है।"

"क्या ?"

"तुम उसे सार्वजनिक नहीं करोगे। मैंने जे.एन. का मर्डर किया, उसे अदालत में ओपन नहीं करोगे। मुझे जो सजा मिलनी थी, वह सीमा के क़त्ल से मिल जायेगी। खून एक हो या दो, उससे क्या फर्क पड़ता है। उसकी सजा एक ही होती है, जो दो बार तो नहीं दी जा सकती। अगर मुझे फाँसी मिली, तो फाँसी दो बार नहीं दी जा सकती। इस शर्त पर मैं तुम्हें सब कुछ बता सकता हूँ।"


"नहीं, एडवोकेट सक्सेना ! इस बेदाग पुलिस इंस्पेक्टर की बड़ी जग हंसाई हुई है। बड़ी रुसवाई हुई है। इसलिये यह फिर से अपना मान-सम्मान पाने के लिए छटपटा रहा है और यह तब तक मुमकिन नहीं, जब तक तुम्हें जे.एन. मर्डर केस में सजा न हो जाये, भले ही तुम्हें इस ताजे केस में सजा न हो।"

"फिर मैं कुछ नहीं बताने वाला।"

"मैं मालूम कर लूँगा। तुम्हें घटना स्थल पर बहुत से लोगों ने देखा है। मैं आज तुम्हें रिमाण्ड पर ले लूंगा, तुमने इतनी जल्दी दूसरा क़त्ल किया है इसलिये रिमाण्ड लेने में हमें कोई परेशानी नहीं होगी।"

"तो क्या तुम मुझे टार्चर करोगे ?"

"नहीं वकील साहब, आप एक दिग्गज वकील हैं। आपको टार्चर नहीं किया जा सकता। आप अपना मेडिकल करवा कर कस्टडी में आयेंगे, मैं तुम्हें उसी तरह दस दिन सताऊंगा जिस तरह तुमने जे.एन. को सताया और हर दिन मैं तुम्हें एक चौंका देने वाली खबर सुनाऊंगा।"

"तुम कभी नहीं जान पाओगे।"

"वक्त __________बतायेगा।"


विजय ने रोमेश को अदालत में पेश करके रिमाण्ड पर ले लिया। उसने दस दिन का ही रिमाण्ड लिया था। रोमेश ने मेडिकल करवाने की कोई आवश्यकता नहीं समझी, वह चुप हो गया था। अब वह किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रहा था, अदालत में भी वह चुप रहा। उसने अपना कोई बयान नहीं दिया।


"आज पहला दिन गुजर गया दोस्त।" रोमेश चुप रहा, उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

"आज मैं तुम्हें पहली खबर बताने आया हूँ। पहली जोरदार खबर यह है एडवोकेट साहब कि हमने उस शख्स का पता लगा लिया है, जो उस फ्लैट में आपके आने से पहले आपकी पत्नी के साथ मौजूद था। उसका नाम है- शंकर नागा रेड्डी।"

विजय इतना कहकर मुस्कराता हुआ वापिस लौट गया। रोमेश ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। वह चुप रहा। एक दिन और गुजर गया । विजय एक बार फिर लॉकअप के सामने था। उसने हवलदार से कहा कि ताला खोलो। लॉकअप का ताला खोला गया, विजय अन्दर दाखिल हो गया।

"एडवोकेट रोमेश सक्सेना साहब, आपके लिए दूसरी खबर है, वह रकम जो फ्लैट में बिखरी पड़ी थी उसके बारे में एक अनुमान है कि वह पच्चीस लाख रुपया आपको शंकर नागा रेड्डी ने दिया था। हम शंकर नागा रेड्डी को तलाश कर रहे हैं, वह अन्डरग्राउंड हो गया है। मगर हम उसे सरकारी गवाह बना लेंगे और वह सरकारी गवाह बनना भी चाहेगा, वरना हम थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करके उससे उगलवा लेंगे कि उसने यह रकम आपको क्यों दी।"




जारी रहेगा.......✍️✍️
बहुत ही मस्त और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
40,665
103,319
304

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
5,578
26,081
204
# 30

रोमेश का मुकदमा हारने के बाद इंस्पेक्टर विजय का ट्रांसफर हो गया था।

गोरेगांव से कोलाबा पुलिस स्टेशन में उसका तबादला हुआ. था, विजय का प्रमोशन ड्यू था, परन्तु इस केस में पुलिस की जो छीछा लेदर हुई, उसका दण्ड भी विजय को भोगना पड़ा, उसका एक स्टार उतर गया था। अब वह सब-इंस्पेक्टर बन गया था। उसकी सर्विस बुक में एक बड़ी बैडएन्ट्री हो चुकी थी।

कोलाबा पुलिस स्टेशन में स्टेशन का इंचार्ज रविकांत बोरेड था, विजय उसका मातहत बनकर गया था। इस वक्त इंचार्ज घर पर सो रहा था और ड्यूटी पर विजय मौजूद था। रात के साढ़े ग्यारह बज रहे थे, अचानक कोलाबा पुलिस थाने में टेलीफोन की घंटी बज उठी। विजय ने फोन रिसीव किया।

"हैलो कोलाबा पुलिस स्टेशन।" दूसरी तरफ से पूछा गया।

"यस, इट इज कोलाबा पुलिस स्टेशन।"

"मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना बोल रहा हूँ ।"

"क्या ?" विजय चौंक पड़ा,

"तुमको कैसे पता चला कि मेरा ट्रांसफर इस थाने में हो गया है, आज ही तो मैं यहाँ आया हूँ।"

"ओह विजय तुम बोल रहे हो ? सॉरी, मुझे नहीं मालूम था कि यहाँ भी तुम मिलोगे। खैर अच्छा ही है यार, तुम हो। देखो, अब जो मैं कह रहा हूँ, जरा गौर से सुनो।"

"बोलो, तुम्हारी हर बात मैंने आज तक गौर से ही तो सुनी है। तभी तो मैं इंस्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर बन गया, थाना इंचार्ज से सहायक बन गया। लेकिन यह मत समझना कि मैं हार गया हूँ, मैं यह जरुर पता लगा लूँगा कि तुमने जे.एन. का क़त्ल कैसे किया ?"

"यह मैं तुम्हें खुद ही बता दूँगा।"

"नहीं दोस्त, मैं तुमसे नहीं पूछने वाला, मैं खुद इसका पता लगाऊंगा।"

"खैर यहाँ मैंने तुम्हें फोन एक और काम के सिलसिले में किया है। अभी इन बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। तुम अभी अपनी रवानगी दर्ज करो, पता मैं बताता हूँ। मैंने यहाँ एक खून कर डाला है।”

"क्या ? " विजय उछल पड़ा।

"हाँ विजय, मैंने अपनी बीवी का खून कर डाला है।"

"त… तुमने… भाभी का खून ? मगर भाभी तो दिल्ली में रहती हैं ?"

"रहती थी, अब यहाँ है, वो भी जिन्दा नहीं मुर्दा हालत में।"

"देखो रोमेश, मेरे साथ ऐसा मजाक मत करो।"

"यह मजाक नहीं है। तुरन्त अपनी फोर्स लेकर मेरे बताए पते पर पहुंचो, यहाँ मैं पुलिस का इन्तजार कर रहा हूँ। अगर तुमने कोताही बरती, तो मैं पुलिस कमिश्नर को फोन करूंगा। उसके बाद तुम्हारी वर्दी भी उतर सकती है, एक कातिल तुम्हें फोन करता रहा और तुम मौका-ए-वारदात पर नहीं पहुंचे।"

"पता बताओ।"

रोमेश ने पता बताया और फोन कट गया। विजय ने थाना इंचार्ज रवि कांत को उसी वक्त जगाया और स्वयं रवानगी दर्ज करके घटना स्थल की तरफ रवाना हो गया। उसके साथ चार सिपाही थे बिल्डिंग के बाहर भीड़ जमा हो गई थी। बारिश थम गई थी। इमारत में रहने वाले दूसरे लोग भी हलचल में शामिल थे। इसी हलचल से पता चल जाता था कि कोई वारदात हुई है। विजय अपनी टीम के साथ घटना स्थल पर पहुँचा। खून से लथपथ सीमा की लाश पड़ी थी। रोमेश के लिबास पर भी खून के धब्बे थे। वह विक्षिप्त-सा बैठा था। पास ही रिवॉल्वर पड़ी थी। पूरे कमरे में नोट बिखरे पड़े थे, लाश के ऊपर भी नोट पड़े हुए थे।

विजय ने कैप उतारी और लाश का मुआयना करना शुरू किया। जरा से भी प्राण न बचे, सीमा की मौत को काफी समय हो गया था। उसका सीना गोलियों से छलनी नजर आ रहा था।

विजय उठ खड़ा हुआ। उसने एक चुभती दृष्टि रोमेश पर डाली, फिर उसका ध्यान रिवॉल्वर पर गया। उसने रिवॉल्वर पर रुमाल डाला और बड़े एतिहायत से उसे उठा लिया। रिवॉल्वर अपनी कस्टडी में लेने के बाद वह रोमेश की तरफ मुड़ा। रोमेश ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिये। विजय ने हथकड़ी पहना दी।

रोमेश को कस्टडी में लेने के उपरान्त पुलिस की जांच पड़ताल शुरू हो गयी। घटना स्थल पर रविकांत बोरेड के अतिरिक्त वरिष्ट अधिकारी भी आ पहुंचे। पुलिस फोटो एंड फिंगर प्रिन्टस स्कैन के अतिरिक्त वैशाली भी घटना स्थल पर पहुंची थी। रोमेश को कोलाबा पुलिस थाने के लॉकअप में बंद कर दिया गया। लॉकअप में बन्द होते समय रोमेश ने कहा,


"विजय ! मैंने इंसानों की अदालत को धोखा तो दे दिया, लेकिन आज मुझे यकीन हुआ कि इंसानों की अदालत से भी बड़ी एक अदालत और है। वह अदालत भगवान की अदालत है। जहाँ हर गुनाह की सजा मिलती है। उसी भगवान ने मुझसे यह दूसरा खून करवाया और मैं इस खून के जुर्म से अपने आपको बचा नहीं सकता, क्यों कि मैं इस अपराध से बचना भी नहीं चाहूँगा।"

विजय ने कोई उत्तर नहीं दिया और लॉकअप में ताला डाल दिया। एक बार फिर अख़बारों की सुर्खियों में रोमेश का नाम था। सीमा की तस्वीरें भी समाचार पत्रों में छपी थीं। वह बड़ा सनसनी खेज कांड था,

एक पति ने अपनी पत्नी के सीने में रिवॉल्वर की सारी गोलियां उतार दी थीं। रोमेश ने उसकी बेवफाई की दास्तान किसी को नहीं बताई थी, इसलिये अखबारों में तरह-तरह की शंकायें छपी।

"वहाँ एक आदमी और मौजूद था।" विजय ने अगली सुबह रोमेश से पूछताछ शुरू कर दी।

"मुझे नहीं मालूम।" रोमेश ने कहा।

"लेकिन मैं पता निकाल लूँगा।"

"उसका कसूर ही क्या है। सारा कसूर तो मेरी बीवी का है, उसने मेरे साथ बेवफाई की, मैंने उसे इसी की सजा दी।"


"हमें यह भी तो पता लगाना है कि उस कमरे में जो नोट बिखरे पाये गये और बची हुई नोटों की गड्डियां जो सूटकेस में थीं, वह कहाँ से आयीं ? तुम्हें इतनी मोटी रकम किसने दी ?"

"ठहरो , मैं तुम्हें सब कुछ बता सकता हूँ, मगर मेरी एक शर्त है।"

"क्या ?"

"तुम उसे सार्वजनिक नहीं करोगे। मैंने जे.एन. का मर्डर किया, उसे अदालत में ओपन नहीं करोगे। मुझे जो सजा मिलनी थी, वह सीमा के क़त्ल से मिल जायेगी। खून एक हो या दो, उससे क्या फर्क पड़ता है। उसकी सजा एक ही होती है, जो दो बार तो नहीं दी जा सकती। अगर मुझे फाँसी मिली, तो फाँसी दो बार नहीं दी जा सकती। इस शर्त पर मैं तुम्हें सब कुछ बता सकता हूँ।"


"नहीं, एडवोकेट सक्सेना ! इस बेदाग पुलिस इंस्पेक्टर की बड़ी जग हंसाई हुई है। बड़ी रुसवाई हुई है। इसलिये यह फिर से अपना मान-सम्मान पाने के लिए छटपटा रहा है और यह तब तक मुमकिन नहीं, जब तक तुम्हें जे.एन. मर्डर केस में सजा न हो जाये, भले ही तुम्हें इस ताजे केस में सजा न हो।"

"फिर मैं कुछ नहीं बताने वाला।"

"मैं मालूम कर लूँगा। तुम्हें घटना स्थल पर बहुत से लोगों ने देखा है। मैं आज तुम्हें रिमाण्ड पर ले लूंगा, तुमने इतनी जल्दी दूसरा क़त्ल किया है इसलिये रिमाण्ड लेने में हमें कोई परेशानी नहीं होगी।"

"तो क्या तुम मुझे टार्चर करोगे ?"

"नहीं वकील साहब, आप एक दिग्गज वकील हैं। आपको टार्चर नहीं किया जा सकता। आप अपना मेडिकल करवा कर कस्टडी में आयेंगे, मैं तुम्हें उसी तरह दस दिन सताऊंगा जिस तरह तुमने जे.एन. को सताया और हर दिन मैं तुम्हें एक चौंका देने वाली खबर सुनाऊंगा।"

"तुम कभी नहीं जान पाओगे।"

"वक्त __________बतायेगा।"


विजय ने रोमेश को अदालत में पेश करके रिमाण्ड पर ले लिया। उसने दस दिन का ही रिमाण्ड लिया था। रोमेश ने मेडिकल करवाने की कोई आवश्यकता नहीं समझी, वह चुप हो गया था। अब वह किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रहा था, अदालत में भी वह चुप रहा। उसने अपना कोई बयान नहीं दिया।


"आज पहला दिन गुजर गया दोस्त।" रोमेश चुप रहा, उसने कोई उत्तर नहीं दिया।

"आज मैं तुम्हें पहली खबर बताने आया हूँ। पहली जोरदार खबर यह है एडवोकेट साहब कि हमने उस शख्स का पता लगा लिया है, जो उस फ्लैट में आपके आने से पहले आपकी पत्नी के साथ मौजूद था। उसका नाम है- शंकर नागा रेड्डी।"

विजय इतना कहकर मुस्कराता हुआ वापिस लौट गया। रोमेश ने कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की। वह चुप रहा। एक दिन और गुजर गया । विजय एक बार फिर लॉकअप के सामने था। उसने हवलदार से कहा कि ताला खोलो। लॉकअप का ताला खोला गया, विजय अन्दर दाखिल हो गया।

"एडवोकेट रोमेश सक्सेना साहब, आपके लिए दूसरी खबर है, वह रकम जो फ्लैट में बिखरी पड़ी थी उसके बारे में एक अनुमान है कि वह पच्चीस लाख रुपया आपको शंकर नागा रेड्डी ने दिया था। हम शंकर नागा रेड्डी को तलाश कर रहे हैं, वह अन्डरग्राउंड हो गया है। मगर हम उसे सरकारी गवाह बना लेंगे और वह सरकारी गवाह बनना भी चाहेगा, वरना हम थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करके उससे उगलवा लेंगे कि उसने यह रकम आपको क्यों दी।"




जारी रहेगा.......✍️✍️
Iska matlab JN ka khooni koi eeasa hai jise Romesh bachana chahta hai lekin Q or kon hai wo
Romesh ki galti yahe wo saccha or imandaar vakil tha lekin duniya dari ne use majboori ker dia is raah me chalne ke leye
.
Bivi kehte hai jivansangini kaha jata hai jise jab jivansathi he bewafa ho jaay to us insaan ke leye jivan bhi vyarth ho jata hai jaisa Romesh ke sath hua
.
Kafi intresting update Raj_sharma bhai
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
18,093
36,031
259
Iska matlab JN ka khooni koi eeasa hai jise Romesh bachana chahta hai lekin Q or kon hai wo
Romesh ki galti yahe wo saccha or imandaar vakil tha lekin duniya dari ne use majboori ker dia is raah me chalne ke leye
.
Bivi kehte hai jivansangini kaha jata hai jise jab jivansathi he bewafa ho jaay to us insaan ke leye jivan bhi vyarth ho jata hai jaisa Romesh ke sath hua
.
Kafi intresting update Raj_sharma bhai
दुनिया :nope:

औरत का चक्कर डेविल भैया औरत का चक्कर 😌
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
19,242
46,818
259
बहुत ही मस्त और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thank you very much for your wonderful review and support Napster bhai :thanx:
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
19,242
46,818
259
Top