- 22,348
- 59,147
- 259
★ INDEX ★
☟
☟
♡ Family Introduction ♡ |
---|
Last edited:
♡ Family Introduction ♡ |
---|
Jaisi karni waisi bharni bhai, last me sabhi gunahgaaro ko almost lapet hi diya hai , Thank you very much for your valuable review and support bhaiJo bhi ghalat karta hai woh uske samne aata hai aur wohi hua hai abhi Ramesh ke sath. Ab waqt aaya hai Vijay ka aur woh uska pura faida utha raha hai. Dekhtey hai kahani kidhar jati hai.
Thank you very much for your wonderful review and support bhaiVijay is case ke tah tak ghus gaya hai aur shayad woh isko solve bhi kar le. Shayad MN Reddy ka khoon Sankar ne khud kia hoga. Ek teer se 3 shikar.
1. MN Reddy ki maut.
2. Ramesh ka usko yaqeen hoga ki woh Bach nahi sakega khud bhi aur uski biwi se woh shadi kar lega.
3. 25 lakh bhi niklega hi nahi jab Ramesh wapas hi nahi aayega to.
But Ramesh ki aqal ne usko bahar nikal diya ab woh usse paisay is liye nahi lena chahiye raha thaa ki kahi Ramesh uske khilaf na khada ho jaye.
Dhasu story hai bhai maza aa gaya.
# 29
रोमेश ने दिल्ली फोन मिलाया। उसने फोन कैलाश वर्मा को मिलाया था। कैलाश वर्मा घर पर मिल गया।
"हैलो, मैं रोमेश बोल रहा हूँ।"
"हाँ रोमेश, मैं तो तुम्हें याद ही कर रहा था।"
"अब मैंने वह पेशा छोड़ दिया है, अब न तो मैं किसी के लिए जासूसी करता हूँ, न ही वकालत।"
"यह बात नहीं है यार, मैं तो तुम्हारे आर्ट की दाद देना चाहता था। तुमने किस सफाई से जे.एन. का क़त्ल किया और ऐसे कामों की तो बड़ी मोटी रकम मिल सकती है, करोगे?"
"नो मिस्टर कैलाश वर्मा ! मुझे यह काम इसलिये करना पड़ा, क्यों कि तुमने जे.एन. को बचा लिया था। खैर छोड़ो, मैं फिलहाल तुम्हारी एजेन्सी से एक काम लेना चाहता हूँ। काम की फीस मिलेगी।"
"बोलो।"
"दिल्ली में मेरी पत्नी सीमा कहीं रहती है।" रोमेश बोला,
"तुम तो सीमा से मिल चुके हो न।"
"हाँ, शक्ल से अच्छी तरह वाफिक हूँ। मगर बात क्या है ? "
"सीमा आजकल दिल्ली में है, मुझे सिर्फ एक सूत्र का पता है, उसी के सहारे तुम सीमा का अता-पता निकालो। वह आजकल मुझसे अलग रह रही है।"
"अच्छा-अच्छा ! यह बात है, सूत्र बताओ।"
"होटल डिलोरा में उसका आना-जाना है। वह एक अच्छी सिंगर भी है। हो सकता है कि वहाँ आती हो। उसने दस जनवरी की रात वहाँ एक रूम भी बुक किया हुआ था, आगे तुम खुद पता लगाओ।"
"तुम मुझे उसका एक फोटो तुरन्त भेज दो, बाकी मुझ पर छोड़ दो।"
"काम जल्दी करना है।"
"जल्दी ही होगा।"
"फीस ?"
"अपने लोग खो जायें, तो उन्हें खोजकर घर पहुंचाने में बड़ा सुख मिलता है रोमेश ! यही सुख और खुशी मेरी फीस है। मैंने एक बार तुम्हें बहुत नाराज कर दिया था, शायद नाराजगी दूर करने का मौका मेरे हाथ आ गया है।"
कैलाश वर्मा ने वह काम जल्दी ही कर डाला। एक सप्ताह में ही उसका फोन आ गया।
"भाभी यहाँ नहीं है। वह कुछ दिन राजौरी गार्डन में रहीं, उसके बाद मुम्बई लौट गयीं। दिल्ली में उसकी एक खास सहेली रहती है, उससे मुम्बई का एक पता मिला है। नोट कर लो, शायद सीमा भाभी उसी पते पर मिल जायेगी।"
रोमेश ने मुम्बई के पते पर मालूम किया। पता लगा सीमा मुम्बई में ही है और उसी फ्लैट पर रहती है, जिसका पता कैलाश वर्मा ने दिया था।
हल्की बरसात हो रही थी। आकाश पर सुबह से बादल छाये हुए थे। रोमेश एक टैक्सी में बैठा था। टैक्सी में नोटों से भरा सूटकेस रखा था। वह कोलाबा के क्षेत्र में एक इमारत के सामने रुका।
इमारत की पहली मंजिल पर उसकी दृष्टि ठहर गई। टैक्सी से बाहर कदम रखने से पहले वह फ्लैट का जायजा ले लेना चाहता था। रात के ग्यारह बज रहे थे। दिन भर से वह प्रतीक्षा कर रहा था कि बारिश रुक जाये, तो वह चले। लेकिन बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया। बेताबी इतनी बढ़ चुकी थी कि वह अपने को रोक भी न सका और उसी रात को ही चल पड़ा।
उसने क़त्ल की सारी कमाई सूटकेस में भर ली थी और अब वह ये सारी रकम सीमा को देने जा रहा था। फ्लैट की खिड़की पर रोशनी थी। खिड़की पर एक स्त्री का साया खड़ा था।
"शायद वह हर रात मेरा इसी तरह से इंतजार करती होगी।"
"उसे भी तो हमारी मुहब्बत की यादें सताती होंगी।"
"वह भी तो मेरी तरह तन्हाई में रोती होगी।"
"उसको हम कितना प्रेम करते थे।"
रोमेश देखते ही पहचान गया कि खिड़की पर खड़ी स्त्री उसकी पत्नी सीमा ही है। वह हसीन ख्यालों में खो गया, इतनी दौलत उसने चाही थी। मनचाही दौलत देखकर वह कितनी खुश होगी, उसे बांह में समेट लेगी और ? तभी रोमेश को एक झटका-सा लगा।
खिड़की पर धीरे-धीरे एक पुरुष साया उभरा। उसे देखकर रोमेश के छक्के ही छूट गये, पुरुष ने स्त्री को बांहों में लिया। दोनों खिड़की से हटते चले गये ।
"हैं, यह कौन था ?"
"कहीं ऐसा तो नहीं, वह औरत सीमा न हो।"
"देखना चाहिये छिपकर"
रोमेश ने टैक्सी का भुगतान किया, सूटकेस को उठाया और नीचे उतर गया। वह रेनकोट पहने हुए था। इमारत का गेट पार करके वह अन्दर चला गया और फिर शीघ्र ही उस फ्लैट तक पहुंच गया। उसने दरवाजे पर कान लगा दिये। फ्लैट का दरवाजा अन्दर से बन्द था, फिर भी अन्दर से हँसने की आवाजें बाहर तक पहुंच रही थी। हँसने की आवाज सीमा की थी। वह खिलखिला कर हँस रही थी। फिर एक पुरुष का स्वर सुनाई दिया, वो कुछ कह रहा था। रोमेश ने की-होल से झांककर देखा, अन्दर रोशनी थी। रोशनी में जो कुछ रोमेश ने देखा, उसके तो छक्के ही छूट गये।
उसकी पत्नी किसी पुरुष की बांहों में थी, दोनो एक- दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे। रोमेश का शरीर सर से पाँव तक कांप गया। उसने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उससे क़त्ल करवाने वाला शंकर नागा रेड्डी उसकी बीवी का आशिक है और उसकी बीवी इस काम में शामिल है।
उसके सामने सारे चेहरे घूमने लगे, कैसे सब कुछ हुआ ? उसकी बीवी का घर छोड़कर जाना और पच्चीस लाख की रकम की मांग करना, फिर शंकर का आना और पच्चीस लाख की डील करना, तो क्या उसकी बीवी सीमा पहले से ही शंकर से मिली हुई थी ? क्या मायादास ने भी नाटक ही किया था, ताकि ऐसी परिस्थिति खड़ी की जा सके ?
"मैं अपने आपको कितना चतुर खिलाड़ी समझ रहा था और यहाँ तो खुद मेरी बीवी ने मुझे मात दे दी।"
रोमेश पर जुनून सवार हो गया। उसने दरवाजे पर ठोकरें मारनी शुरू कर दीं। धाड़-धाड़ की आवाजें इमारत में गूँजने लगीं। रोमेश तब तक पागलों की तरह टक्करें मारता रहा, जब तक दरवाजा टूट न गया। दरवाजा तोड़ते ही रोमेश आंधी तूफान की तरह अंदर घुसा।
"खबरदार आगे मत बढ़ना।"
शंकर ने रोमेश की तरफ रिवॉल्वर तान दी।
"तो यह है उस सवाल का जवाब कि तुमको कैसे पता चला कि मैं पच्चीस लाख के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।"
"हाँ, और मैं वह रकम वापिस भी चाहता था। तुम इस रकम को सीमा के हवाले करते और सीमा मुझे दे देती। लेकिन इस रकम को हम अब तुम्हें दान करते हैं । जाओ यहाँ से।"
"साले।"
रोमेश ने पास रखा सूटकेस उछाला। शंकर ने फायर किया, उसी समय सूटकेस शंकर के हाथ से टकराया, सूटकेस के साथ-साथ रिवॉल्वर भी जमीन पर आ गिरी। रोमेश का ध्यान रिवॉल्वर पर था।
उसका अनुमान था कि शंकर दोबारा रिवॉल्वर पर झपटेगा, इसलिये रोमेश ने रिवॉल्वर पर ही छलांग लगाई। रिवॉल्वर रोमेश ने अपने काबू में तो कर ली, लेकिन तब तक शंकर टूटे दरवाजे के रास्ते छलांग लगा कर भाग चुका था। रोमेश दरवाजे तक आया, लेकिन तब तक शंकर उसकी दृष्टि से ओझल हो गया। रोमेश हांफ रहा था। उसने शंकर का पीछा करना व्यर्थ समझा। वह टूटे दरवाजे से पलटा।
सामने उसकी बीवी खड़ी थी। उसकी बेवफा बीवी, वह बीवी जिसने उसे कहीं का न छोड़ा था, जिसे वह बहुत प्यार करता था, जिसके लिए उसने अपने आदर्शों का खून कर दिया था।
रोमेश का हाथ धीरे-धीरे उठने लगा। रिवॉल्वर की नाल उठ रही थी, ज्यों-ज्यों उसका हाथ सीमा की तरफ उठता जा रहा था, उसका चेहरा जर्द पड़ता जा रहा था। फिर वह सूखे पत्ते की तरह कांपती पीछे हटी, कहाँ तक हटती, चंद कदम के फासले पर ही तो दीवार थी, वह दीवार से जा लगी। रिवॉल्वर वाला हाथ पूरी तरह तन गया था। रोमेश की आँखों में खून उतर आया था।
"नहीं।" सीमा के मुंह से निकला,
"नहीं , मुझे माफ कर दो।"
"धांय।" एक गोली चली। सीमा के मुंह से चीख निकली।
"धांय धांय धांय।"
रोमेश ने पूरी रिवॉल्वर खाली कर डाली। रिवॉल्वर की सारी गोलियां ख़ाली होने पर भी वह ट्रिगर दबाता रहा, पिट ! पिट !! पिट !!!
खून से लहूलुहान सीमा फर्श पर ढेर हो गई थी। रोमेश का हाथ धीरे-धीरे नीचे आता चला गया। खट की आवाज हुई। रिवॉल्वर फर्श पर आ गिरी। कुछ देर तक रोमेश खामोश खड़ा रहा। सूटकेस खुला हुआ था, कमरे में नोट बिखरे पड़े थे।
रोमेश ने जुनूनी हालत में नोटों को फाड़-फाड़कर सीमा की लाश पर फेंकना शुरू कर दिया।
"यह ले, पच्चीस लाख की दौलत ! तुझे यही चाहिये था न, ले।"
वह नोट फेंकता रहा। टूटे हुए खुले दरवाजे के बाहर कुछ चेहरे नजर आ रहे थे। रोमेश, सीमा की लाश पर गिरकर रोने लगा। फूट-फूटकर रोता रहा। फिर उसने धीरे-धीरे खुद को शव से हटाया और टेलीफोन के करीब पहुँचा। टेलीफोन पर वह पुलिस को फोन करने लगा।
जारी रहेगा.......![]()
Yaad nahi hai? High profile club me jaati thi wo, wahi ilu-ilu hiwa hoga, jise apne cousin ka naam diya tha usne
Par Sheema Sankar reddy se kab aur kese mili!!
Bahaut hi acha update tha.
Waise bohot din se aai ho? Bimaaar go gai, or khabar tak nahi di? Or idhar maine ek or story likh dali, but meri dono story me sex scene hai hai,
Par Sheema Sankar reddy se kab aur kese mili!!
Bahaut hi acha update tha.
Super ending, aesa alg raha tha ki drashyam Vijay itni mehnat karne ke bad bhi har gaya... Bahut khub..#.33
अंतिम अपडेट
"अदालत इस केस में मुझे बरी कर चुकी है, अब यह मुकदमा दोबारा मुझ पर नहीं चलाया जा सकता। मैं कानून की धाराओं का सहारा लेकर इसका पूरा विरोध करूंगा।"
"कानून की जितनी धाराओं की जानकारी तुम्हें है, उतनी ही वैशाली को भी है रोमेश ! वह सरकारी वकील के रूप में कोर्ट में तुम्हारे खिलाफ खड़ी होगी।"
"देखा जायेगा।" रोमेश ने मुस्कराते हुए कहा !
"लेकिन तुम लोग को इससे क्या फर्क पड़ता है, मुझे सीमा के क़त्ल के जुर्म में सजा तो होनी है। वह सजा या तो फाँसी होगी या आजन्म कारावास ! मैं कह चुका हूँ कि किसी भी जुर्म की दो बार फाँसी नहीं दी जा सकती, न ही आजन्म कारावास।"
"मैं वह केस तुम्हें सजा दिलवाने के लिए नहीं अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए री-ओपन करूंगा और उसे जीतकर दिखाऊंगा, भले ही तुम्हें उसमें सजा न हो।"
"लेकिन सोमू…।"
"वह भी उतना ही गुनहगार है, जितने कि तुम।"
"यह उसके ज्यादती होगी। उसका इसमें कोई कसूर नहीं।"
"है एडवोकेट साहब, वह भी फाँसी का ही मुजरिम है।"
"सुनो विजय, मुझसे शतरंज खेलने की कौशिश मत करो। अगर तुमने बिसात बिछा दी है, तो कानून की बिसात पर एक बार फिर तुम हार जाओगे और मुझे सीमा की हत्या के जुर्म में सजा नहीं दिलवा पाओगे। इसलिये मुझ पर दांव मत खेलो। यह सोचकर तुम केस री-ओपन करना कि तुम दोनों केस हारोगे या जीतोगे, फिर यह न कहना कि तुम सब-इंस्पेक्टर भी नहीं रहे।"
दसवें दिन।
"मैं तुम्हें एक आखिरी खबर और देना चाहता हूँ। अब तक मैं एक गुत्थी नहीं सुलझा पा रहा था, वो ये कि जब तुमने क़त्ल का प्लान बनाया, तो यह सोचकर बनाया कि जनार्दन नागा रेड्डी शनिवार की रात माया देवी के फ्लैट पर गुजारता है। दस जनवरी भी शनिवार का दिन था, इसलिए तुमने सोचा कि हर शनिवार की तरह वह इस शनिवार को भी वहाँ जरुर जायेगा और तुमने मर्डर के लिए वह जगह तय कर दी।"
"जाहिर है।"
"लेकिन तुम्हें शत-प्रतिशत यह यकीन कैसे होगा कि वह उस रात यहाँ पहुंचेगा ही। ऐसी सूरत में जबकि तुम उसे क़त्ल करने की धमकी दे चुके थे और बाकायदा तारीख घोषित कर चुके थे, क्या यह मुमकिन नहीं था कि वह उस दिन कहीं और रात गुजारता ? जबकि तुम माया देवी को भी बता चुके थे कि वह चश्मदीद गवाह होगी।"
"दरअसल बात सिर्फ यह थी कि जनार्दन नागा रेड्डी पिछले तीन साल से, हर शनिवार की रात माया के फ्लैट पर गुजारता था, यहाँ तक कि एक बार वह लंदन में था, तो भी फ्लाईट से मुम्बई आ गया और शनिवार की रात माया के फ्लैट पर ही सोया, अगली सुबह वह फिर लंदन फ्लाईट पकड़कर गया था। वह शख्स माया को बहुत चाहता था। सार्वजनिक रूप से उससे शादी नहीं कर सकता था। परन्तु वह उसकी पत्नी ही थी। उसका सख्त निर्देश होता था कि शनिवार की रात उसका कोई अपॉइंटमेंट न रखा जाये।"
रोमेश कुछ रुक कर बोला:
"मैंने इन सब बातों का पता लगा लिया था और कहावत है कि जब गीदड़ की मौत आती है, तो वह शहर की तरफ भागता है।"
"नहीं रोमेश, इतने से ही तुम संतुष्ट नहीं होने वाले थे। तुम्हें जनार्दन नागा रेड्डी हर कीमत पर उस रात उस फ्लैट में ही चाहिये था, वरना तुम्हारा सारा प्लान चौपट हो जाता।"
"ऐनी वे, इससे मुकदमे पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला कि वह मर्डर स्पॉट पर कैसे और क्यों पहुँचा?"
“लेकिन मैंने मायादास को भी अरेस्ट कर लिया है।”
"क्या ? "
"हाँ, मायादास भी इस प्लान में शामिल था। बल्कि मायादास इस मर्डर का सेंट्रल प्वाइंट है।"
"तुम चाहो, तो सारे शहर को लपेट सकते हो।"
"अब मैं तुम्हें अदालत में उपस्थित करने से पहले इस मर्डर प्लान की इनडोर स्टोरी सुनाता हूँ। दरअसल यह तो बहुत पहले तय हो गया था कि जे.एन. का मर्डर किया जाना है। मायादास और शंकर दोनों ही एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं। दोनों की निगाह जनार्दन की अरबों की जायदाद पर थी। मायादास को यह भी डर था कि कहीं जनार्दन, माया देवी से विवाह न कर ले। यह शख्स शंकर का आदमी था और जे.एन. की दौलत का पच्चीस प्रतिशत साझीदार इसे बनना था। मायादास इस मर्डर का मेन प्वाइंट है।“
“पहले उसने सोचा कि मर्डर करके अगर कोई गिरफ्तारी भी होती है, तो किसी ऐसे वकील की व्यवस्था की जाये, जो उन्हें साफ बचा कर ले जाये, उसकी नजर में ऐसे वकील तुम थे।"
"हो सकता है ।" रोमेश ने कहा।
"उसने शंकर से तुम्हारा जिक्र किया। संयोग से शंकर तुम्हारी पत्नी को पहले से जानता था और क्लबों में मिलता रहा था। उसने यह बात सीमा भाभी से भी पूछी होगी। उधर मायादास ने भी तुम्हें टटोल लिया और इस नतीजे पर पहुंचे कि तुम इस काम में उनकी मदद नहीं करोगे। इसी बीच एम.पी. सांवत का मर्डर हो गया और मायादास को एक मौका मिल गया। उसने ऐसा ड्रामा तैयार कर डाला कि तुम्हारी जे.एन. से ठन जाये।“
“हालांकि उस वक्त जे.एन. भी तुमसे सख्त नाराज था, क्यों कि तुम्हारी मदद से उसका आदमी पकड़ा गया था, जे.एन. तुम्हें इसका कड़ा सबक सिखाना चाहता था, इसी का फायदा उठा कर मायादास, शंकर और सीमा ने मिलकर एक ड्रामा स्टेज किया। तुम्हारे बैडरूम में सीमा भाभी को जो अपमानित और टॉर्चर किया गया, वह नाटक का एक हिस्सा था। या यूं समझ लो, वह किसी फिल्म का शॉट था।"
"नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।"
"ऐसा ही था मित्र, यहीं से सीमा ने तुमसे पच्चीस लाख की डिमांड रखी और तुम्हें छोड़कर चली गई। अब तुम्हारे दिमाग में एक फितूर था कि यह सब जे.एन. के कारण हुआ। तुमने जे.एन. को सबक सिखाने की सोच भी ली, लेकिन तुम उस वक्त उसे कानूनी तौर पर बांधना चाहते थे।"
"ठीक उसी वक्त गर्म लोहे पर चोट कर दी गयी, यानि शंकर फ्रेम में आ गया, पच्चीस लाख की ऑफर लेकर और तुमने स्वीकार कर ली, क्यों कि तुम यह जान चुके थे कि जे.एन. को कानूनी तौर पर सजा नहीं दी जा सकती, तुम उसे खुद मौत के घाट उतारने के लिए तैयार हो गये।"
रोमेश के चेहरे पर पीड़ा के भाव उभर आये।
"मुझे मत सुनाओ यह सब, इसीलिये तो मैंने सीमा को दंड दिया। मैं उसे बेइन्तहा प्यार करता था और उसने मुझे क्या दिया, क्या सिला दिया उसने और तुम तो सब जानते ही थे। क्या कमी थी मुझमें ? मैंने उसकी कौन-सी ख्वाइश पूरी नहीं की ? उसके क्लबों के बिल भी भुगतता था। मैंने उसकी आजादी में कभी टांग नहीं अड़ाई। फिर उसने ऐसा क्यों किया मेरे साथ ?”
“देखो विजय, अगर यह सब बातें अदालत में उधड़कर आएँगी, तो मेरी सामाजिक जिन्दगी तबाह हो कर रह जायेगी। मैं इज्जत के साथ मरना चाहता हूँ। यह सब मैं सुनना भी नहीं चाहता, वह मर चुकी है,उसे सजा मिल चुकी है।"
"उसे सजा मिल चुकी, लेकिन मुझे किस गुनाह की सजा मिली, जो मेरा एक स्टार उतार दिया गया। खैर मैं तुम्हें बताता हूँ कि जनार्दन नागा रेड्डी खुद मर्डर स्पॉट पर कैसे घुस गया।"
"उसे मायादास ने वहाँ पहुंचाया था।"
"हाँ, तुमने इसी बीच शंकर को फोन किया था और उस समस्या का समाधान चाहा। शंकर ने कह दिया कि समाधान हो जायेगा, वह मर्डर स्पॉट तय करे, जे.एन. को वहाँ पहुँचा दिया जायेगा। तुमने सही जगह तय की और उधर से ग्रीन सिग्नल दिया गया। जे.एन. के सारे प्रोग्राम मायादास ही तय करता था, उसके अपॉइंटमेंट भी मायादास तय करता था। जे.एन. को उस जगह पहुंचाने में मायादास को जरा भी परेशानी नहीं उठानी पड़ी।
दैट्स आल मीलार्ड !" विजय बाहर निकल गया।
अगले दिन :…….
अदालत और अदालत से बाहर एक बार फिर तिल रखने की जगह न थी। रोमेश सक्सेना की दोबारा गिरफ्तारी भी कम सनसनी खेज नहीं थी। इस बार पुलिस की तरफ से सरकारी वकील राजदान नहीं था बल्कि वैशाली वहाँ खड़ी थी।
"योर ऑनर, इस संगीन मुकदमे पर प्रकाश डालने से पहले मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगी कि मुझे जे.एन. मर्डर केस पर एक बार फिर प्रकाश डालने का अवसर दिया जाये, क्यों कि सीमा मर्डर केस का सीधा सम्बन्ध जनार्दन नागा रेड्डी के मर्डर केस से जुड़ता है और क़त्ल की इन दोनों ही वारदातों का मुल्जिम एक ही व्यक्ति है, रोमेश सक्सेना !"
"जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर के बारे में कानून, अदालत, न्यायाधीश पुलिस को एक शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था। कानून के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है, इसलिये अदालत जनार्दन नागा रेड्डी मर्डर केस को दोबारा शुरू करने की अनुमति देती है।"
"थैंक्यू योर ऑनर !"
"आई ऑब्जेक्ट योर ऑनर !" रोमेश ने आपत्ति प्रकट की !
"यह मुकदमा जे.एन. मर्डर केस नहीं है। जे.एन. मर्डर केस का फैसला हो चुका है, अदालत अपना दिया फैसला कैसे बदल सकती है ?"
"बदल सकती है।" वैशाली ने दलील दी,
"ठीक उस तरह जैसे सेशन कोर्ट में दिया गया फैसला हाईकोर्ट बदल देती है और हाईकोर्ट में दिया फैसला सुप्रीम कोर्ट बदल सकती है। हाँ, सुप्रीम कोर्ट का दिया फैसला, फिर कोई अदालत नहीं बदल सकती।"
"आप तो कानून के दिग्गज खिलाड़ी है सर रोमेश सक्सेना ! आप तो जानते हैं कि जब एक मुलजिम को सजा हो जाती है, तो वह सुप्रीम कोर्ट तक अपील कर सकता है। अब अगर पुलिस कोर्ट केस हार जाती है, तो सभी ऊपरी अदालतों में अपील कर सकती है, आपको सेशन कोर्ट ने बरी किया है, हाईकोर्ट ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं। इसलिये मुकदमा अभी खत्म नहीं होता, इसे री-ओपन करने का कानूनी हक़ अभी हमें है।"
कानूनी बहसों के बाद वैशाली का पक्ष उचित ठहराया गया, यह अलग बात है कि जे.एन. मर्डर केस को हाईकोर्ट में री-ओपन करने की इजाजत दी गयी। रोमेश सक्सेना के यह दोनों ही केस हाईकोर्ट में ट्रांसफर हो गये।
रोमेश के अतिरिक्त मायादास और सोमू भी मुलजिम थे। तीनो को आजन्म कारावास की सजा हो गयी। वैशाली ने मुकदमा जीत लिया। जेल जाते समय वैशाली और विजय ने रोमेश से मुलाकात की।
"हाँ, मैं हार गया। सचमुच हार गया। तुम्हें बधाई देता हूँ वैशाली ! याद रखना मेरे बाद तुम्हें मेरे आदर्शों पर चलना है।"
"वही सब तो किया है मैंने सर ! कानून के आदर्शों को स्थापित किया।"
"मुझे तुम पर फख्र है और विजय तुम पर भी। आखिर जीत सच्चाई की होती है, अब मैं चलता हूँ। कुछ आराम करना चाहता हूँ।”
"आपको और सोमू को हमारी शादी में आना है, इसके लिए हमने पैरोल की एप्लीकेशन लगवा दी है।" विजय ने कहा।
"उचित होता कि तुम इस अवसर पर न बुलाते।"
"नहीं, यह हमारा जाति मामला है। वैशाली को आपने आशीर्वाद देना है। कानून की लड़ाई तो खत्म हो चुकी, अब हमारे पुराने सम्बन्ध तो खत्म नहीं होते। हम जेल में भी मिलने आते रहेंगे। शादी में तो शामिल होना ही होगा रोमेश।"
"ओ.के. ! ओ.के. !!"
रोमेश ने विजय और वैशाली के हाथ जोड़े और उन्हें थपथपाया फिर वह सलाखों के पीछे चला गया।
समाप्त__![]()
Aapne jo kaha wo ek movie ke liye thik hai, pr jesa real life me hota hai us hisab se sayad yahi end hota.अंत ने थोड़ा निराश किया, होना तो ये चाहिए थे कि रोमेश अपने साथ सोमू को भी बरी करा लेता, और मर्डर का सारा इल्जाम शंकर और मायदास पर आ जाता।
खैर इस अपडेट को छोड़ कर बाकी सारे अपडेटेड बहुत ही उम्दा थे, आपकी लेखनी अच्छी है, और निखारिए और ऐसी ही थ्रिलर कहानियां देते रहिए।
![]()
रियल लाइफ में ऐसा होने पर पति खुद भी शायद वहीं खुद को मार लेता। या फिर चुपचाप सारा इल्ज़ाम अपने सर के कर वैशाली के भाई को बचा लेता।Aapne jo kaha wo ek movie ke liye thik hai, pr jesa real life me hota hai us hisab se sayad yahi end hota.
Per jab police ko pata chal gaya hai, to apne sar pe ilzam lene se fayda bhi nahi hota.रियल लाइफ में ऐसा होने पर पति खुद भी शायद वहीं खुद को मार लेता। या फिर चुपचाप सारा इल्ज़ाम अपने सर के कर वैशाली के भाई को बचा लेता।
हां बिल्कुल, इसीलिए बोला फिल्मों और कहानियों में जो रियल लाइफ में नहीं होता, लोग वो ही होना एक्सपेक्ट करते हैं।Per jab police ko pata chal gaya hai, to apne sar pe ilzam lene se fayda bhi nahi hota.
Or real life me somu sayad aata bhi nahi samne se madad krne![]()