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★ INDEX ★
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♡ Family Introduction ♡ |
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Last edited:
♡ Family Introduction ♡ |
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Yahi to wajah to hai romesh ke patan ki, aadmi sabse lad sakta hai, per apno se kaise? Romesh to ander se toot chuka hai bhai,Iska matlab JN ka khooni koi eeasa hai jise Romesh bachana chahta hai lekin Q or kon hai wo
Romesh ki galti yahe wo saccha or imandaar vakil tha lekin duniya dari ne use majboori ker dia is raah me chalne ke leye
.
Bivi kehte hai jivansangini kaha jata hai jise jab jivansathi he bewafa ho jaay to us insaan ke leye jivan bhi vyarth ho jata hai jaisa Romesh ke sath hua
.
Kafi intresting update Raj_sharma bhai
Awesome update bhai
Ye sab kya hua seth ne khud us laash per apne kapde, ghadi sab kuch us aadmi ko pahnwa diya tha aur ab somu ko hi fasa diya ya somu ne khud jhoota ilzaam apne uper le liye jabki seth to mara hi nhi tha
Khair dekhte hai aage kya hota hai
Nice story kamal nath ne kaha tha ki woh Puri baat batayega Somu ko ki usne us admi ka chehra kyu bigada marne ke baad ...somu aur Kamal nath ke bich jaroor khuch samjohta hua hoga mera manna hai tabhi Somu gunah kabool kiya ..achi story hai kafi suspense Hoga..
Nice and superb update....
नई कहानी के लिए शुभकामनाएं
पहले अपडेट में ही सेठ को मरवा दिया....नौकर को मुजरिम बना दिया कहानी की शुरुआत बेहद दिलचस्प हुई है देखते हैं आगे क्या होता है बाकी पहले अध्याय से ही कहानी काफी गती से आगे बड रही है अब ये देखना होगा की सेठ के इरादे क्या हैं क्यूं उसने ये सब किया आखिर वह चाहता क्या कहीं ऐसा तो नहीं की उसकी जायदाद को लेकर उसके कई दुश्मन बन गये हों उनसे बचने के लिए ये सब किया हो।
या फिर वह किसी के साथ रहने के लिए ये सब कर रहा है जिसे वह दुनिया के सामने नहीं ला सकता या एक पहलू ये भी है वह दुनिया की नजरों से गायब होकर कुछ ऐसा करना चाह रहा हो जिसको करने पर लोग जेल जा सकते पर अगर दुनिया के लिए मर जाएगा तो आराम से कर सकता है।
देखते है क्या होता है अगले अध्याय के इंतजार में.....
ये क्या कर दिया बंधु हम सीमा सीमा करते रहे यहाँ सीमा ही खत्म हो गई ।
जिसका डर था वही हुआ ।
रोमेश का पेशा गया , प्यार गया, आदर्श गए बढ़िया देखते है आगे क्या बाकी है
रोमेश साहब की बीवी - सीमा मैडम - के रंग ढंग , चाल चलन शुरू से एक आदर्श पत्नी के जैसे नही थे । लेट नाइट पार्टी करना , मिड नाइट घर आना , शराब पीना , अपने हसबैंड से सब समय पैसे की तंगी को लेकर झगड़े करना एक अच्छी पत्नी की पहचान नही होती । और जो कुछ बाकी बचा वह शंकर साहब के साथ एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप बनाकर पुरा कर दिया ।
वैसे सीमा मैडम का अपने हसबैंड के घर त्यागने से पहले पच्चीस लाख रुपए डिमांड करना और उसके कुछ दिन बाद ही शंकर साहब को रोमेश साहब को पच्चीस लाख रुपए ऑफर करना ' टू प्लस टू = फोर ' के बराबर ही थे ।
अब स्पष्ट जाहिर हो रहा है कि रोमेश साहब के साथ चाल चली गई । उन्हे धोखा दिया गया । उन्हे मैनिपुलेट किया गया । और यह सब सीमा मैडम और शंकर ने मिलकर किया ।
लेकिन रोमेश साहब जैसे कानून के पुजारी को कत्ल जैसे अपराध नही करना चाहिए था । बेहतर होता वह कानून के दायरे मे रहकर उन्हे अदालत के कटघरे तक ले जाते ।
खैर निष्कर्ष यह हुआ कि रोमेश साहब को न माया मिली और न ही राम । बीवी बेवफा निकली । दोस्त दोस्त ना रहा । धन दौलत के नाम पर मुफलिसी नसीब हुआ । और अंततः एक कातिल भी बनना पड़ा ।
लेकिन लाख रुपए का सवाल अब भी वहीं खड़ा है कि वह जे एन साहब का कत्ल किस तरह से किए ?
कहीं जेलर साहब के साथ कोई मिलीभगत तो नही कर ली ?
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट ।
Very interesting & thrilling update
update full of suspense
भाई, मैं तो प्रेम के विषय पर ही कहानियाँ लिखता हूँ। इसलिए मेरी कहानियों का प्रीफ़िक्स रोमांस ही होता है।
हाँ - एक दो बार मैंने रक्त-संबंधों के बीच प्रेम दिखाया है, लेकिन उसके मूल में प्रेम ही है। इसलिए उन कहानियों को इन्सेस्ट का प्रीफ़िक्स नहीं दिया।
यहाँ पाठक इतने मूर्ख हैं कि उनको लगता है कि सेक्स केवल इन्सेस्ट या अडल्ट्री वाली कहानियों में ही हो सकता है। इसलिए वो रोमांस वाली कहानियाँ पढ़ते ही नहीं।
इस फ़ोरम की कुछ बहुत ही बेहतरीन कहानियाँ मैंने रोमांस में ही पढ़ीं। कुछ बार इन्सेस्ट पढ़ने का प्रयास किया, लेकिन वही घिसा-पिटा और बेहूदा फ़ॉर्मूला देखने को मिला।
आपने और Kala Nag भाई ने थ्रिलर कहानियाँ लिख कर आनंद दे दिया। फिलहाल तो इन दोनों कहानियों के अतिरिक्त कोई अन्य कहानी पढ़ने लायक नहीं है यहाँ।
हाँ - komaalrani जी की एक कहानी पढ़ने का मन है! उनसे वायदा भी किया था... लेकिन न जाने क्यों, समय ही नहीं मिल पा रहा है।
इसलिए अपने मन का लिखिए।
आप अच्छा लिखते हैं। ठहर कर लिखिए। हो सके तो पब्लिश भी करिए। क्या पता - जीवन आगे कौन सी राह दिखा दे?!
Badhiya update
Ab ye romesh na jane kyun shankar or mayadas ko bacha raha ha vijay ko sach na batakar jabki un dono ko bhi saja dilani chhahiye kher vijay ne shankar ka bare me pata laga liya ha or paison ke bare me bhi ab dekhte han ki 8 dinon me or kya pata laga pata ha vijay kahin ek din aisa na bol de ki romesh tumhari biwi begunah thi or ye idhar romesh sadme me(just kidding) aisa hona possible nahi ha
Wow nice Vijay ne two days me two clues khoj liye
.. amazing update.
Nice update....
Superb update
Ab Vijay apna khel khel Raha hai aur romesh alag hi duniya me chala gya hai
Jabki uske pass mouka hai ki vo Vijay ko sab sach bata kar Shankar Reddy aur mayadass ko bhi saja krva sakta hai
Bhot hi umda update lagata to nahi ki romesh kuch bole but Vijay ko bhi underestimate nahi kar skate......so see in the next update what will happen....
Mene isi lie to parso vali comments me kaha tha ki apna dimag nahi lagaungi. Bas story enjoy karungi. Nahi to feel kho bethenge. Katil kon kyo kese sab idea lag hi ja raha tha. Ese me enjoy karna ho to lagatar aage badhte jao sur story enjoy karo. Tab hi maza aaega.
Nahi to malum hai muje jese daylog aap hi ko sun ne milenge.
Koi baat nhi Raj_sharma bhai mai kr deta hu
Lekhni aapki adhbhut Jabardast superb Lajawab mast superb ekdum dhasu update
आज की रात मैं अपडेट लिखने मे बिताने वाला हू भाई कल सुबह से आपकी कहानी पर रहूँगा
बहुत ही मस्त और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Raj_sharma bhai aaj update aane ka chance hai?
Waiting for next update
Iska matlab JN ka khooni koi eeasa hai jise Romesh bachana chahta hai lekin Q or kon hai wo
Romesh ki galti yahe wo saccha or imandaar vakil tha lekin duniya dari ne use majboori ker dia is raah me chalne ke leye
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Bivi kehte hai jivansangini kaha jata hai jise jab jivansathi he bewafa ho jaay to us insaan ke leye jivan bhi vyarth ho jata hai jaisa Romesh ke sath hua
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Kafi intresting update Raj_sharma bhai
दुनिया
औरत का चक्कर डेविल भैया औरत का चक्कर
Yehi to pech hai bhai, lagao jara dimak, chawanni dunga Per mujhe lagta hai ki tum waha tak nahi pahuch paoge Shart ye hai ki tumhe bas ek naam dena hai, vaishalo keval help kar rahi hai , vijay ka policeya dimak jyada kaam kar raha hai isme,कहानी खूनी कौन से अब दूसरा कौन बन गई।
खैर, ये तो पहले से ही क्लियर था की खूनी कोई और है, पर कौन?
मायादास, या कोई ऐसा जो इस कहानी में अभी तक सामने आया ही नहीं।
विजय ने अच्छी प्रोग्रेस की है वैसे, all thanks to वैशाली
Shandar jabardast dhanshu update# 31
विजय रूककर रोमेश के खामोश चेहरे को देखता रहा, जिस पर कोई भाव नहीं था।
"ऐनी क्वेश्चन ?" विजय ने पूछा। रोमेश ने कोई प्रश्न नहीं किया।
"नो क्वेश्चन ?" विजय ने गर्दन हिलाई और बाहर निकल गया। एक बार फिर लॉकअप पर ताला पड़ गया। तीसरा दिन गुजर गया।
विजय एक बार फिर लॉकअप में दाखिल हुआ।
"मेरे साथ वैशाली भी काम कर रही है। वैशाली अब सरकारी वकील बन गई हैं। अगली बीस तारीख को हमारी शादी होने वाली है, ये रहा निमंत्रण।" विजय ने रोमेश को निमंत्रण दिया।
"इस तारीख को तुम पैरोल पर छूट सकते हो रोमेश।" रोमेश कुछ नहीं बोला।
"इस खुशी के मौके पर मैं तुम्हें कोई बुरी खबर नहीं सुनाना चाहता। हालातकुछ भी हो, तुम्हें शादी में शरीक होना है।" रोमेश ने कोई उत्तर नहीं दिया। कार्ड उसके हाथ में थमाकर गर्दन हिलाता बाहर निकल गया।
चौथा दिन भी बीत गया। रोमेश का मौन व्रत अभी टूटा नहीं था।
"आज की खबर बहुत जोरदार है रोमेश सक्सेना ?" विजय ने लॉक अप में कदम रखते हुए कहा !
"शंकर नागा रेड्डी सरकारी गवाह बन गया है और उसने हमें बताया कि उसने पच्चीस लाख रुपया तुम्हें जे.एन. की हत्या के लिए दिया था। उसका तुम्हारी पत्नी से भी लगाव था। अब यह बात भी समझ में आ गई कि तुमने अपनी पत्नी की हत्या क्यों कर डाली। तुम्हारी बीवी यह कहकर तुम्हारी जिन्दगी से रुखसत हो गई कि अगर तुम उसे फिर से पाना चाहते हो, तो उसके एकाउन्ट में पच्चीस लाख रुपया जमा करना होगा और शंकर यह रकम लेकर आ गया। तुमने जे.एन. के क़त्ल का ठेका ले लिया, शर्त यह थी कि तुम्हें क़त्ल के जुर्म में गिरफ्तार भी होना है और बरी भी, तुमने शर्त पूरी कर दी।"
विजय लॉकअप में टहलता रहा।
"बाद में तुम यह रुपया लेकर अपनी पत्नी के पास पहुंचे, वह लोग यह सोच भी नहीं सकते थे कि तुम उस फ्लैट तक पहुंच जाओगे। वह एक दूसरे से शादी करने का प्रोग्राम बनाये बैठे थे। सीमा यह चाहती थी कि पहले पच्चीस लाख की रकम भी तुमसे ले ली जाये, उसके बाद वह शंकर से शादी कर लेती और तुम हाथ मलते रह जाते।"
रोमेश चुप रहा।
"तुमने बड़ी जल्दी अपनी पत्नी का पता निकाला और जा पहुंचे उस जगह, जहाँ तुम्हारी बीवी किसी और की बांहों में मौजूद थी और फिर तुमने अपनी बीवी को बेरहमी से मार डाला।"
"शंकर नागा रेड्डी अपना लाइसेन्स -शुदा रिवॉल्वर छोड़ गया था, जिसकी पहली गोली उसने तुम पर चलाई, तुम बच गये, शंकर को भागने का मौका मिल गया। वरना तुम उसका भी खून कर डालते। हो सकता है, तुम अभी भी यह तीसरा खून करने का इरादा रखते हो।"
रोमेश चुप रहा।
"मैं चाहता था कि जिस तरह तुम अदालत में बहस करते हो, उसी तरह यहाँ भी करो। लेकिन लगता है, तुम्हारा मौनव्रत फाँसी के फंदे पर ही टूटेगा।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया।
"अब यह बात तो साफ है कि इस काम के लिए दो आदमियों का इस्तेमाल हुआ।" विजय ने कहा।
"दूसरा कौन ?" वैशाली बोली,
"क्या कोई हमशक्ल था ?"
"मेरे ख्याल से यह डबल रोल वाला मामला हरगिज न था, जेल के अन्दर तो रोमेश ही था, यह पक्के तौर पर प्रमाणिक है।"
"कैसे कह सकते हो विजय ?"
"साफ सी बात है, हमने रोमेश को राजधानी में बिठाया। राजधानी बड़ौदा से पहले कहीं रुकी ही नहीं। रामानुज ने रोमेश को बड़ौदा में पुलिस के हैण्डओवर कर दिया। जहाँ से रोमेश को जेल भेज दिया गया। जब किसी आदमी को सजा होती है, तो उसके फोटो और फिंगर प्रिंट उतारे जाते हैं। जेल में दाखिल होते समय भी फिंगर प्रिंट लिये जाते हैं।“
“रोमेश सक्सेना दस जनवरी को जेल में था। अब हमें यह पता लगाना है कि मौका-ए-वारदात पर कौन शख्स पहुँचा। लेकिन अगर वह शख्स कोई और था, तो माया देवी ने उसे रोमेश क्यों बताया ? क्या वह सचमुच रोमेश का हमशक्ल था ? अगर वह रोमेश का हमशक्ल नहीं था, तो क्या माया देवी भी इस प्लान में शामिल थी।"
"थोड़ी देर के लिए मैं अपने आपको रोमेश समझ लेता हूँ। मेरी पत्नी पच्चीस लाख की डिमांड करके मुझे छोड़कर चली गई और मैं उसे हर कीमत पर हासिल करना चाहता हूँ। नागा रेड्डी को भी उसके किये का सबक पढ़ाना चाहता हूँ। कानून उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। कानून की निगाह में वह फाँसी का मुजरिम है, किन्तु उसे एक दिन की भी सजा नहीं हो सकती। मेरे मन में एक जबरदस्त हलचल हो रही है, मैं फैसला नहीं कर पा रहा हूँ कि जनार्दन नागा रेड्डी को क्या सजा दूं या दिलवाऊं और कैसे ?"
विजय खड़ा हुआ और टहलने लगा।
"तभी शंकर आता है।" वैशाली बोली,
"और जनार्दन नागा रेड्डी की हत्या के लिये पच्चीस लाख देने की बात करता है।"
"कुछ देर के लिये मैं धर्म संकट में पड़ता हूँ, फिर सौदा स्वीकार कर लेता हूँ। सौदा यह है कि मुझे क़त्ल करके खुद को बरी भी करना है, इसका मतलब यह हुआ कि मुझे गिरफ्तार भी किया जायेगा। अब मैं पूरा प्लान बनाता हूँ और सबसे पहले तुम्हें अपने करीब से हटाता हूँ, नौकर को चले जाने के लिये कहता हूँ। अब मैं खास प्लान बनाता हूँ कि मुझे यह काम किस तरह करना है।" विजय बैठकर सोचने लगा।
"चारों गवाहों के बयानों से पता चलता है कि रोमेश पहले ही इनसे मिलकर इन्हें अपने केस के लिये गवाह बना चुका था। इसका मतलब रोमेश यह चाहता था कि पुलिस को वह उस ट्रैक पर ले जाये, जो वह चाहता है। उसने गवाह खुद इसी लिये तैयार किए और पुलिस ठीक उसी ट्रैक पर दौड़ पड़ी, जिस पर रोमेश यानि मैं दौड़ना चाहता था।"
"और ट्रैक में यह था कि पुलिस इस केस को एक ही दृष्टिकोण से इन्वेस्टीगेट करे। यानि सबको पहले से ही एक लाइन दी गयी, यह कि अगर जे.एन. का मर्डर हुआ, तो रोमेश ही करेगा। रोमेश के अलावा कोई कर ही नहीं सकता। पुलिस को भी इसका पहले ही पता था, इसलिये मर्डर स्पॉट से इंस्पेक्टर विजय तुरंत रोमेश के फ्लैट पर पहुंचा। जहाँ उसे एक आवाज सुनाई दी, रुक जाओ विजय, और इंस्पेक्टर विजय ने एक पल के लिये भी यह नहीं सोचा कि वह आवाज रिकॉर्ड की हुई भी हो सकती है।"
"माई गॉड !" विजय उछल पड़ा,
"यकीनन वह आवाज टेप की हुई थी, खिड़की के पास एक स्पीकर रखा था। मुझे ध्यान है, उसने एक ही तो डायलॉग बोला था, लेकिन वो शख्स जिसे मैंने खिड़की पर देखा।" विजय रुका और फिर उछल पड़ा !!
"चलो मेरे साथ, हम जरा उस डिपार्टमेंटल स्टोर में चलते हैं, जहाँ रोमेश ने कॉस्ट्यूम खरीदा था।"
विजय और वैशाली डिपार्टमेन्टल स्टोर में पहुंच गये। चंदू सेल्स कांउटर पर मौजूद था। इंस्पेक्टर विजय को देखते ही वह चौंका।
"सर आप कैसे, क्या फिर को ई झगड़ा हो गया ?" चंदू घबरा गया।
"हमें वह ड्रेस चाहिये, जो तुमने रोमेश को दी थी।"
"क… क्यों साहब ? क… क्या आपको भी ?"
"हाँ , हमें भी उसी तरह एक खून करना है, जैसे रोमेश ने किया। हम भी बरी हो कर दिखायेंगे।”
"ब… बाप रे ! क… क्या मुझे फिर से गवाही देनी होगी ?"
"तुमने ही गवाही दी थी चंदू ! मैं तुम्हें झुठी गवाही देने के जुर्म में गिरफ्तार कर सकता हूँ ।"
"म… मैंने झूठी गवाही नहीं दी सर ! वह ही वो सब कहकर गया था ।"
"बस ड्रेस निकालो।" विजय ने पुलिस के रौब में कहा,
"मेरा मतलब है, वैसी ही ड्रेस ।"
"द… देता हूँ।" चंदू अन्दर गया, वह बड़बड़ा रहा था,
"लगता है सारे शहर के खूनी अब मेरी ही दुकान से ड्रेस खरीदा करेंगे और मैं रोज अदालत में गवाही देने के लिये खड़ा रहूँगा।"
चंदू ने ओवरकोट, पैंट, शर्ट, सब लाकर रख दिया।
"मैं जरा यह ड्रेस चैंज करके देखता हूँ ।" विजय बराबर में बने एक केबिन में दाखिल हो गया, जो ड्रेस चैंज करने के ही काम में इस्तेमाल होता था। जब वह बाहर निकला, तो ठीक उसी गेटअप में था, जिसमें रोमेश ने क़त्ल किया था। विजय ने ड्रेस का मुआयना किया और शॉप से बाहर निकल गया।
"तुमने एक बात गौर किया वैशाली ?" रास्ते में विजय ने कहा।
"क्या ?"
"रोमेश ने कॉ स्ट्यूम चुनते समय मफलर भी रखा था, जबकि वह मफलर हमें बरामद नहीं हुआ। उसकी वजह क्या हो सकती है ? वार्निंग के अनुसार उसने सारे कपड़े बरामद कराये, फिर मफलर क्यों नहीं करवाया और इस मफलर का क्या इस्तेमाल था ? मैं आज रात इस मफलर का इस्तेमाल करना चाहता हूँ।"
रात के ठीक दस बजे विजय एक मोटर साईकिल द्वारा माया देवी के फ्लैट पर पहुँचा। उसने फ्लैट की बेल बजाई, कुछ ही पल में द्वार खुला। दरवाजा खोलने वाली माया की नौकरानी थी। नौकरानी ने चीख मारी,
"तुम !"
वह दरवाजा बन्द करना चाहती थी, लेकिन विजय ने दरवाजे के बीच अपनी टांग फंसा दी। नौकरानी बदहवास पलटकर भागी।
"मालकिन ! मालकिन !! वह फिर आ गया।" नौकरानी अभी भी चीखे जा रही थी।
"कौन आ गया ?" माया की आवाज सुनाई दी।
जारी रहेगा........
मायादासYehi to pech hai bhai, lagao jara dimak, chawanni dunga Per mujhe lagta hai ki tum waha tak nahi pahuch paoge Shart ye hai ki tumhe bas ek naam dena hai, vaishalo keval help kar rahi hai , vijay ka policeya dimak jyada kaam kar raha hai isme,
Thanks for your valuable review bhai
बहुत ही रोमांचक और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया# 31
विजय रूककर रोमेश के खामोश चेहरे को देखता रहा, जिस पर कोई भाव नहीं था।
"ऐनी क्वेश्चन ?" विजय ने पूछा। रोमेश ने कोई प्रश्न नहीं किया।
"नो क्वेश्चन ?" विजय ने गर्दन हिलाई और बाहर निकल गया। एक बार फिर लॉकअप पर ताला पड़ गया। तीसरा दिन गुजर गया।
विजय एक बार फिर लॉकअप में दाखिल हुआ।
"मेरे साथ वैशाली भी काम कर रही है। वैशाली अब सरकारी वकील बन गई हैं। अगली बीस तारीख को हमारी शादी होने वाली है, ये रहा निमंत्रण।" विजय ने रोमेश को निमंत्रण दिया।
"इस तारीख को तुम पैरोल पर छूट सकते हो रोमेश।" रोमेश कुछ नहीं बोला।
"इस खुशी के मौके पर मैं तुम्हें कोई बुरी खबर नहीं सुनाना चाहता। हालातकुछ भी हो, तुम्हें शादी में शरीक होना है।" रोमेश ने कोई उत्तर नहीं दिया। कार्ड उसके हाथ में थमाकर गर्दन हिलाता बाहर निकल गया।
चौथा दिन भी बीत गया। रोमेश का मौन व्रत अभी टूटा नहीं था।
"आज की खबर बहुत जोरदार है रोमेश सक्सेना ?" विजय ने लॉक अप में कदम रखते हुए कहा !
"शंकर नागा रेड्डी सरकारी गवाह बन गया है और उसने हमें बताया कि उसने पच्चीस लाख रुपया तुम्हें जे.एन. की हत्या के लिए दिया था। उसका तुम्हारी पत्नी से भी लगाव था। अब यह बात भी समझ में आ गई कि तुमने अपनी पत्नी की हत्या क्यों कर डाली। तुम्हारी बीवी यह कहकर तुम्हारी जिन्दगी से रुखसत हो गई कि अगर तुम उसे फिर से पाना चाहते हो, तो उसके एकाउन्ट में पच्चीस लाख रुपया जमा करना होगा और शंकर यह रकम लेकर आ गया। तुमने जे.एन. के क़त्ल का ठेका ले लिया, शर्त यह थी कि तुम्हें क़त्ल के जुर्म में गिरफ्तार भी होना है और बरी भी, तुमने शर्त पूरी कर दी।"
विजय लॉकअप में टहलता रहा।
"बाद में तुम यह रुपया लेकर अपनी पत्नी के पास पहुंचे, वह लोग यह सोच भी नहीं सकते थे कि तुम उस फ्लैट तक पहुंच जाओगे। वह एक दूसरे से शादी करने का प्रोग्राम बनाये बैठे थे। सीमा यह चाहती थी कि पहले पच्चीस लाख की रकम भी तुमसे ले ली जाये, उसके बाद वह शंकर से शादी कर लेती और तुम हाथ मलते रह जाते।"
रोमेश चुप रहा।
"तुमने बड़ी जल्दी अपनी पत्नी का पता निकाला और जा पहुंचे उस जगह, जहाँ तुम्हारी बीवी किसी और की बांहों में मौजूद थी और फिर तुमने अपनी बीवी को बेरहमी से मार डाला।"
"शंकर नागा रेड्डी अपना लाइसेन्स -शुदा रिवॉल्वर छोड़ गया था, जिसकी पहली गोली उसने तुम पर चलाई, तुम बच गये, शंकर को भागने का मौका मिल गया। वरना तुम उसका भी खून कर डालते। हो सकता है, तुम अभी भी यह तीसरा खून करने का इरादा रखते हो।"
रोमेश चुप रहा।
"मैं चाहता था कि जिस तरह तुम अदालत में बहस करते हो, उसी तरह यहाँ भी करो। लेकिन लगता है, तुम्हारा मौनव्रत फाँसी के फंदे पर ही टूटेगा।" इतना कहकर विजय बाहर निकल गया।
"अब यह बात तो साफ है कि इस काम के लिए दो आदमियों का इस्तेमाल हुआ।" विजय ने कहा।
"दूसरा कौन ?" वैशाली बोली,
"क्या कोई हमशक्ल था ?"
"मेरे ख्याल से यह डबल रोल वाला मामला हरगिज न था, जेल के अन्दर तो रोमेश ही था, यह पक्के तौर पर प्रमाणिक है।"
"कैसे कह सकते हो विजय ?"
"साफ सी बात है, हमने रोमेश को राजधानी में बिठाया। राजधानी बड़ौदा से पहले कहीं रुकी ही नहीं। रामानुज ने रोमेश को बड़ौदा में पुलिस के हैण्डओवर कर दिया। जहाँ से रोमेश को जेल भेज दिया गया। जब किसी आदमी को सजा होती है, तो उसके फोटो और फिंगर प्रिंट उतारे जाते हैं। जेल में दाखिल होते समय भी फिंगर प्रिंट लिये जाते हैं।“
“रोमेश सक्सेना दस जनवरी को जेल में था। अब हमें यह पता लगाना है कि मौका-ए-वारदात पर कौन शख्स पहुँचा। लेकिन अगर वह शख्स कोई और था, तो माया देवी ने उसे रोमेश क्यों बताया ? क्या वह सचमुच रोमेश का हमशक्ल था ? अगर वह रोमेश का हमशक्ल नहीं था, तो क्या माया देवी भी इस प्लान में शामिल थी।"
"थोड़ी देर के लिए मैं अपने आपको रोमेश समझ लेता हूँ। मेरी पत्नी पच्चीस लाख की डिमांड करके मुझे छोड़कर चली गई और मैं उसे हर कीमत पर हासिल करना चाहता हूँ। नागा रेड्डी को भी उसके किये का सबक पढ़ाना चाहता हूँ। कानून उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। कानून की निगाह में वह फाँसी का मुजरिम है, किन्तु उसे एक दिन की भी सजा नहीं हो सकती। मेरे मन में एक जबरदस्त हलचल हो रही है, मैं फैसला नहीं कर पा रहा हूँ कि जनार्दन नागा रेड्डी को क्या सजा दूं या दिलवाऊं और कैसे ?"
विजय खड़ा हुआ और टहलने लगा।
"तभी शंकर आता है।" वैशाली बोली,
"और जनार्दन नागा रेड्डी की हत्या के लिये पच्चीस लाख देने की बात करता है।"
"कुछ देर के लिये मैं धर्म संकट में पड़ता हूँ, फिर सौदा स्वीकार कर लेता हूँ। सौदा यह है कि मुझे क़त्ल करके खुद को बरी भी करना है, इसका मतलब यह हुआ कि मुझे गिरफ्तार भी किया जायेगा। अब मैं पूरा प्लान बनाता हूँ और सबसे पहले तुम्हें अपने करीब से हटाता हूँ, नौकर को चले जाने के लिये कहता हूँ। अब मैं खास प्लान बनाता हूँ कि मुझे यह काम किस तरह करना है।" विजय बैठकर सोचने लगा।
"चारों गवाहों के बयानों से पता चलता है कि रोमेश पहले ही इनसे मिलकर इन्हें अपने केस के लिये गवाह बना चुका था। इसका मतलब रोमेश यह चाहता था कि पुलिस को वह उस ट्रैक पर ले जाये, जो वह चाहता है। उसने गवाह खुद इसी लिये तैयार किए और पुलिस ठीक उसी ट्रैक पर दौड़ पड़ी, जिस पर रोमेश यानि मैं दौड़ना चाहता था।"
"और ट्रैक में यह था कि पुलिस इस केस को एक ही दृष्टिकोण से इन्वेस्टीगेट करे। यानि सबको पहले से ही एक लाइन दी गयी, यह कि अगर जे.एन. का मर्डर हुआ, तो रोमेश ही करेगा। रोमेश के अलावा कोई कर ही नहीं सकता। पुलिस को भी इसका पहले ही पता था, इसलिये मर्डर स्पॉट से इंस्पेक्टर विजय तुरंत रोमेश के फ्लैट पर पहुंचा। जहाँ उसे एक आवाज सुनाई दी, रुक जाओ विजय, और इंस्पेक्टर विजय ने एक पल के लिये भी यह नहीं सोचा कि वह आवाज रिकॉर्ड की हुई भी हो सकती है।"
"माई गॉड !" विजय उछल पड़ा,
"यकीनन वह आवाज टेप की हुई थी, खिड़की के पास एक स्पीकर रखा था। मुझे ध्यान है, उसने एक ही तो डायलॉग बोला था, लेकिन वो शख्स जिसे मैंने खिड़की पर देखा।" विजय रुका और फिर उछल पड़ा !!
"चलो मेरे साथ, हम जरा उस डिपार्टमेंटल स्टोर में चलते हैं, जहाँ रोमेश ने कॉस्ट्यूम खरीदा था।"
विजय और वैशाली डिपार्टमेन्टल स्टोर में पहुंच गये। चंदू सेल्स कांउटर पर मौजूद था। इंस्पेक्टर विजय को देखते ही वह चौंका।
"सर आप कैसे, क्या फिर को ई झगड़ा हो गया ?" चंदू घबरा गया।
"हमें वह ड्रेस चाहिये, जो तुमने रोमेश को दी थी।"
"क… क्यों साहब ? क… क्या आपको भी ?"
"हाँ , हमें भी उसी तरह एक खून करना है, जैसे रोमेश ने किया। हम भी बरी हो कर दिखायेंगे।”
"ब… बाप रे ! क… क्या मुझे फिर से गवाही देनी होगी ?"
"तुमने ही गवाही दी थी चंदू ! मैं तुम्हें झुठी गवाही देने के जुर्म में गिरफ्तार कर सकता हूँ ।"
"म… मैंने झूठी गवाही नहीं दी सर ! वह ही वो सब कहकर गया था ।"
"बस ड्रेस निकालो।" विजय ने पुलिस के रौब में कहा,
"मेरा मतलब है, वैसी ही ड्रेस ।"
"द… देता हूँ।" चंदू अन्दर गया, वह बड़बड़ा रहा था,
"लगता है सारे शहर के खूनी अब मेरी ही दुकान से ड्रेस खरीदा करेंगे और मैं रोज अदालत में गवाही देने के लिये खड़ा रहूँगा।"
चंदू ने ओवरकोट, पैंट, शर्ट, सब लाकर रख दिया।
"मैं जरा यह ड्रेस चैंज करके देखता हूँ ।" विजय बराबर में बने एक केबिन में दाखिल हो गया, जो ड्रेस चैंज करने के ही काम में इस्तेमाल होता था। जब वह बाहर निकला, तो ठीक उसी गेटअप में था, जिसमें रोमेश ने क़त्ल किया था। विजय ने ड्रेस का मुआयना किया और शॉप से बाहर निकल गया।
"तुमने एक बात गौर किया वैशाली ?" रास्ते में विजय ने कहा।
"क्या ?"
"रोमेश ने कॉ स्ट्यूम चुनते समय मफलर भी रखा था, जबकि वह मफलर हमें बरामद नहीं हुआ। उसकी वजह क्या हो सकती है ? वार्निंग के अनुसार उसने सारे कपड़े बरामद कराये, फिर मफलर क्यों नहीं करवाया और इस मफलर का क्या इस्तेमाल था ? मैं आज रात इस मफलर का इस्तेमाल करना चाहता हूँ।"
रात के ठीक दस बजे विजय एक मोटर साईकिल द्वारा माया देवी के फ्लैट पर पहुँचा। उसने फ्लैट की बेल बजाई, कुछ ही पल में द्वार खुला। दरवाजा खोलने वाली माया की नौकरानी थी। नौकरानी ने चीख मारी,
"तुम !"
वह दरवाजा बन्द करना चाहती थी, लेकिन विजय ने दरवाजे के बीच अपनी टांग फंसा दी। नौकरानी बदहवास पलटकर भागी।
"मालकिन ! मालकिन !! वह फिर आ गया।" नौकरानी अभी भी चीखे जा रही थी।
"कौन आ गया ?" माया की आवाज सुनाई दी।
जारी रहेगा........
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