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Erotica THE GIRL SCHOOL

LUCKY4ROD

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मेरी बात सुनकर दोनो मुस्कुरा दीं और मैं उन्हें लिए हुए बेड पर आ गया. सीधे लेट कर मैने दोनो को अपने दायें-बायें लिटा लिया और अपनी एक-एक बाँह में लेकर अपने साथ चिपका लिया. एक तरफ छर्हरे बदन वाली प्रिया थी जिसे मैं भोग भी चुका था और चोद भी चुका था और आज भी चोदना चाहता था और दूसरी तरफ मखमली गुदाज बदन वाली निशा थी जिसे मैने आज लड़की से औरत बनाना था, आप समझ ही रहे होंगे के आज उसकी पहली चुदाई करनी थी और सील तोड़नी थी. मैं सोच रहा था के पहले किसको चोदू. फिर मैने फ़ैसला किया के पहले प्रिया को चोदना ठीक रहेगा जिसके 2 फ़ायदे होंगे. एक तो निशा उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर होते देख लेगी तो उसका डर कुच्छ कम हो जाएगा और दूसरा वो प्रिया को चुदाई का मज़ा लेते देखकर गरम होकर तैयार भी पूरी तरह हो जाएगी पहली चुदाई के लिए. एक और बात थी के मैं भी निशा को भरपूर भोगना चाहता था और यह तभी मुमकिन था जब मैं उसकी एक लंबी चुदाई करू

एक बार झड़ने के बाद जब मैं दुबारा तैयार होता हूँ तो फिर एक बहुत लंबी चुदाई कर सकता हूँ, दुबारा झड़ने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है और देर भी लगती है. यही सोच कर मैने प्रिया को कहा के पहले मैं उसको चोदून्गा ताकि निशा अपनी आँखों से देख ले लाइव चुदाई और समझ ले के क्या और कैसे होना है साथ ही साथ उसको मस्ती भी आ जाएगी और उसको चुदाई ज़्यादा आसान और उसके लिए ज़्यादा आनंद-दायक होगी. प्रिया ने कहा के वो तो ठीक है पर क्या तुम……. मैने उसकी बात काटी और बोला के फिकर मत करो तुम दोनो हो ना मुझे दुबारा तैयार करने के लिए, दस-एक मिनट में मैं दुबारा तैयार हो जाऊँगा और फिर दूसरी बार जल्दी झरूँगा भी नही तो उस कारण से भी निशा को ज़्यादा मज़ा दे सकूँगा.

प्रिया तो मेरी बात समझ गयी पर निशा हम दोनो को बारी-बारी देखती रही और उसके चेहरे के भाव बता रहे थे के उसे हमारी बात पूरी समझ नही आई है. मैने उसको कहा के वो सब देखती रहे तो उसको सब समझ में आ जाएगा.

अब मैं पूरे मूड में आ गया और दोनो के बदन पर हाथ फिराने लगा. मेरा ध्यान ज़्यादा निशा की तरफ था क्योंकि वो मेरे लिए एक नया जिस्म था. ज़ाहिर तौर पर प्रिया के साथ भी मेरे हाथों की छेड़-छाड़ जारी थी पर वो स्पर्श मेरा जाना पहचाना था इसलिए अंदर से मेरा ध्यान निशा पर ज़्यादा था. निशा का बदन मांसल ज़रूर था पर कहीं भी फ्लॅब नहीं था बहुत ही प्यारा गुदाज शरीर और उस पर कसे हुए मम्मे और उसका मेरे हर स्पर्श का स्वागत एक कंपकंपी या नीश्वास से करना और अगले स्पर्श के लिए उसकी स्पष्ट आतूरता मुझे उत्तेजित किए जा रही थी. मैने निशा की तरफ आधी करवट ले ली थी और प्रिया को अपनी तरफ खींच लेने से वो आधी मेरे ऊपेर थी और उसने अपनी एक टाँग मेरे ऊपेर की हुई थी और मैं उसकी जाँघ की निचली तरफ अपना हाथ बहुत प्यार से फिरा रहा था. हमेशा की तरह उसके पूरे शरीर पर गूस बंप्स थे जो उसको ज़रा सा छ्छूने पर ही उभर आते थे. उसकी बढ़ती उत्तेजना मैं अनुभव कर रहा था.

दूसरी तरफ मेरा दूसरा हाथ निशा की गर्देन पर लिपट कर नीचे उसके मम्मो से खेल रहा था. उसके सेब के आकर का मम्मा मेरे हाथ में भी पूरा नही समा रहा था. उसके भूरे रंग के चूचक पर मटर के दाने जितने निपल बड़े आकर्षक लग रहे थे. मेरे हाथ में आए हुए मम्मे का निपल कड़क हो चुका था और मैं कभी उसे चुटकी में लेकर हल्के से मसल देता और कभी अपनी पूरी हथेली उसके मम्मे पर रगड़ देता तो वो मचल जाती और ओ…….ह, आ……ह की आवाज़ें भी निकालनी शुरू हो गयी थी. निशा ने अपना मुँह मेरे कंधे में च्छूपा रखा था और बीच बीच में मुझे छ्होटे छ्होटे चुंबन प्रदान कर रही थी.

फिर मैने निशा को थोड़ा परे किया और अपना सर झुकाकर उसके दूसरे मम्मे को चाटना शुरू कर दिया. अपनी झीभ को मैं उसके मम्मे पर गोलाई में घुमा रहा था. हर चक्कर के बाद मेरी जीभ का घेरा तंग होता जा रहा था. मेरी जीभ उसके चूचक पर पहुँची. प्रिया के मुक़ाबले निशा के चूचक थोड़े कड़े होने के साथ साथ मुलायम भी थे. सबसे आख़िर मैं मेरी जीभ ने निशा के निपल का स्पर्श किया तो वो बहुत ज़ोरों सेकाँप गयी और उसके मुँह से एक आ…..ह निकली. मैने पूछा के क्या हुआ? निशा बोली के बहुत मज़ा आ रहा है रूको मत करते रहो. मैं भी कहाँ रुकने वाला था. मैने अपना मुँह पूरा खोल कर उसके मम्मे को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ को कड़ा करके उसके चूचक और निपल पर फिराने लगा.
निशा उत्तेजना के मारे उछलने लगी. फिर मैने दोनो को पीठ के बल साथ साथ लिटा दिया और उनके ऊपेर आ गया. मेरा एक-एक घुटना दोनो की जांघों के बीच था. दोनो का एक-एक मम्मा मेरे हाथों में और मैने अपनी कोहनियों उनके शरीरों के साथ सटा कर बेड पर टीकाया हुआ था और अपना बोझ उंनपर डाला हुआ था. फिर मैं बारी-बारी से दोनों के मम्मे अपने मुँह में लेने लगा. थोरी ही देर में मैने देखा के प्रिया की उत्तेजना काफ़ी बढ़ चुकी है और उसकी आँखें कामुक दृष्टि से मुझे निहार रही हैं जैसे कह रही हों के अब और ना तद्पाओ.

मैं भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुक्का था, सो मैने निशा को कहा के वो बैठ जाए और सारा कुच्छ ध्यान से देखे भी और साथ ही साथ प्रिया को और मुझे अपने हाथों से प्यार से सहला के और अपने होंठों से चूम चूम के उत्तेजित करती रहे. निशा ने कहा के ठीक है. फिर मैं उठ कर प्रिया की टाँगों के बीच में आ गया और अपना लोहे जैसा आकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में लेकर प्रिया की चूत के मुहाने पर रख दिया और प्यार से रगड़ने लगा मानो लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा हो और अंदर आने की इजाज़त माँग रहा हो.
प्रिया तुनक कर बोली अब क्यों तडपा रहे हो डाल दो ना लंड को मेरी चूत में और मुझे सातवें आसमान पर पहुँचा दो. निशा जो बड़े गौर से सब कुच्छ देख और सुन रही थी हैरानी से मेरी तरफ देखने लगी और मैने अपने दूसरे हाथ से उसको अपने पास खींच कर उसके मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलाते हुए कहा के ऐसा ही होता है जब लंड की प्यास और मज़े की आस लग जाती है तो ऐसा ही होता है मेरी जान मत हो इतना हैरान.

और अधिक देरी ना करते हुए मैने अपने लंड को प्रिया की चूत पे रगड़ते हुए चूत के मुख पर फँसा दिया. प्रिया अपनी मस्ती भरी अधखुली आँखों से मेरी आँखों में देखते हुए एक बहुत ही मादक मुस्कान अपने चेहरे पर ले आई जैसे उसे विश्वास हो गया के अब लंड उसकी चूत में घुसेगा और उसकी आशा पूरी होगी. मैने उसको निराश तो नही किया पर पता नही मुझे क्या हुआ के मैने अपने दोनो हाथ उसकी जांघों पर रख कर उसकी टाँगें पूरी तरह खोलते हुए एक ज़बरदस्त धक्का मारा. मेरा लंड प्रिया की चूत में एक ही वार में पूरा का पूरा घुस गया और प्रिया के मुँह से एक चीख निकली, उ….उ…ए…ए…म…आ…आ… मुझे अपनी तीव्रता का एहसास हुआ और मैने निशा को इशारा करते हुए प्रिया की जांघों को छ्चोड़ा और उसके ऊपेर झुक कर उसके एक मम्मे को अपने मुँह में लेकर चुभलना शुरू किया.

उधर निशा भी मेरा इशारा समझ कर प्रिया के दूसरे मम्मे को चूसने लगी. मैं अपने दूसरे हाथ से प्रिया के शरीर को प्यार से सहलाने लगा और मुझे ऐसा करते देख निशा भी उसस्के जिस्म से छेड़-छाड़ करने लगी. थोड़ी ही देर में प्रिया नॉर्मल लगने लगी. उसके चेहरे पर पीड़ा की जगह मस्ती ने लेनी शुरू करदी.

प्रिया रुआंसे स्वर में बोली के मेरी तो जान ही निकल जाती आज. मैने कहा के सॉरी डार्लिंग आज 2-2 सुंदर लड़कियों को चोदने की उत्तेजना में मेरा सेल्फ़ कंट्रोल पता नही कहाँ चला गया. चिंता नही करो अब कुच्छ नही होने दूँगा. प्रिया मुस्कुरा दी और मैने धीरे से अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अंदर धकेल दिया. प्रिया बोली के हां ऐसे प्यार से चोदो ना कभी छ्होटे और कभी लंबे धक्के लगाओ पर प्यार से, और जब मस्ती पूरी आने लगे तब जैसे चाहे कर लेना. उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका.

फिर मैने प्रिया के कहे अनुसार ही उसे चोदना शुरू किया और थोड़ी देर में जब उसकी उत्तेजना बढ़ती नज़र आई मैने निशा को कहा के वो प्रिया के मुँह पर अपनी चूत लगा दे ताकि प्रिया उसकी चूत चाट कर उसको मज़ा दे सके और जैसे ही वो प्रिया के ऊपेर आई मैने निशा के दोनो हाथ अपने कंधों पर रख दिए और उसके मम्मों को पकड़ कर उन्हे प्यार करने लगा. प्रिया ने निशा की चूत पर अपना मुँह चिपका दिया और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगी. मैने अपना एक हाथ निशा के मम्मे से हटा कर प्रिया के मम्मे को पकड़ लिया और उसको कभी दबा लेता, कभी प्यार से सहलाता और काफ़ी दबा देता. मैने अपनी पहली उंगली मॉड्कर उसके निपल को भींच लिया और अपना अंगूठा उसस्की नोक पर रगड़ने लगा.
निशा का एक मम्मा मेरे हाथ की शैतानियाँ सह रह था और दूसरे को मैने अपनी गर्देन झुका कर अपने मुँह में भर लिया और चुभलाने लगा. प्रिया का उसकी चूत पर अपनी जीभ से आक्रमण लगातार जारी था ही. निशा की मस्ती बढ़ने लगी. उधर प्रिया भी बहाल थी. उसने अब मेरे धक्कों का जवाब नीचे से अपनी गांद उठाकर देना शुरू कर दिया था. टाइम का टोटा था, हालाँकि इतना कम समय भी नही था पर मैं निशा को भरपूर तसल्ली देना चाहता था इसलिए मैने प्रिया की चूत में अब करारे धक्के मारने शुरू कर दिए और अपना लंड पूरा बाहर निकालकर उसकी चूत में धकेलने लगा. मेरे लंड के अंदर करने पर जब हमारे शरीर आपस में टकराते तो फॅक-फॅक के आवाज़ें अपना मधुर संगीत उत्पन्न कर रही थीं.

फिर वही हुआ जो होना ही था और जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया का पूरा शरीर एक बार ज़ोर से कांपा और वो झाड़ गयी. उसके झड़ने केकारण पैदा हुई चिकनाई में मेरा लंड उसकी चूत में सरपट भागने लगा और मैने अपने धक्कों की स्पीड तो कम करदी पर ज़ोर थोड़ा सा और बढ़ा दिया. 15-20 धक्के ऐसे लगाने के बाद मुझे लगा की प्रिया की उत्तेजना और बढ़ गयी है. अब उसकी चूत मेरे लंड को अंदर से संकुचित होकर जाकड़ रही थी लेकिन चिकनाई होने के कारण मुझे एक अद्भुत घर्षण का आनंद आ रहा था. मुझे लगा के मैं अब ज़्यादा देर तक अपने को रोक नही सकूँगा. प्रिया ने अपनी दोनो टाँगें मेरी पीठ से लपेट ली थीं और फिर वो तेज़ी से नीचे से उच्छलने लगी. उधर लगातार चूत में प्रिया की जीभ और मेरे हाथों और होंठों का निशा के मम्मों पर कभी प्यार और कभी प्रहार निशा को चरम पर ले गया. निशा के झाड़ते ही प्रिया ने ज़ोर लगाकर निशा को अपने ऊपेर से हटा दिया और उसस्के मुँह से ह…ओ…ओ…ओ…ओ…न, ह…ओ…ओ…ओ…ओ…न की हुंकार निकलने लगी. उसके शरीर ने एक ज़ोर का झटका लिया और वो फिर से झाड़ गयी और उसके साथ-साथ मैने भी अपना वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया और प्रिया के ऊपेर ही ढेर हो गया.
निशा हैरानी से प्रिया को हिलाने लगी और बोली के प्रिया तुम ठीक तो हो? प्रिया ने अपनी मस्ती भरी आँखें खोलीं और एक क़ातिल मुस्कान के साथ बोली में स्वर्ग में हूँ, और आज जितना मज़ा तो पहली दोनो बार में भी नही आया था. मैने भी चुटकी लेते हुए कहा के ग़लती जो की थी उसकी भरपाई भी तो करनी थी, अब तो नाराज़ नही हो. प्रिया बोली के अगर ऐसा ही मज़ा देना हो तो मैं तो कहूँगी के बार बार यह ग़लती करो और साथ ही उसने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से भींच लिया. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में धँसने लगे. मैने भी उसको बाहों में लेकर किस किया और कहा के चलो अब निशा का भी ध्यान करो. प्रिया ने निशा को कहा के वो जाकर बाथरूम से दो छ्होटे टवल लेकर आए और एक को गीला करले.

निशा ने तुरंत ऐसा ही किया प्रिया ने पहले गीले टवल से हम दोनो की सॉफ सफाई की और फिर सूखे टवल से अच्छी तरह से पोंछ दिया. फिर प्रिया ने निशा से कहा के जैसे वो करे वैसे ही निशा भी करे. प्रिया मेरे एक बाजू लेट गयी और निशा दूसरी साइड में. दोनो साइड लेकर मेरी तरफ को हो गयीं अब दोनो का एक-एक मम्मा मेरी साइड्स को छ्छू रहा था और दूसरा मेरी छाती पर दबाव बना रह था. दोनो ने मेरी एक-एक टाँग अपनी टाँगों में ले ली और अपनी एक टाँग से मेरी जांघों को सहलाने लगी. प्रिया ने अपना एक हाथ नीच लाकर मेरे लंड पर क़ब्ज़ा कर लिया और निशा का हाथ पकड़ कर उसको मेरे अंडकोष सहलाने के लिए कहा. ऐसा अनूठा स्पर्श सुख, मैं बता नही सकता के कितना आनंद था उसमे. मेरे पास शब्द नही हैं उसे बताने के लिए. पूरे शरीर में जैसे चींतियाँ रेंग रही थीं. खून का संचार तेज़ हो गया था. दिल की धड़कनें बढ़ गयी थीं. मेरे लंड ने भी करवट लेनी शुरू कर दी थी. दोस्तो कहानी अभी जारी है
 

LUCKY4ROD

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Meri baat sunkar dono muskura deen aur main unhein liye hue bed par aa gaya. Seedhe let kar maine dono ko apne daayein-baayein lita liya aur apni ek-ek banh mein lekar apne saath chipka liya. Ek taraf chharharey badan waali Priya thi jissey main bog bhi chuka tha aur chod bhi chuka tha aur aaj bhi chodna chahta tha aur doosri taraf makhmali gudaaj badan waali Nisha thi jisse maine aaj ladki se aurat banana tha, aap samajh hi rahey honge ke aaj usski pehli chudayee karni thi aur seal todni thi. Main soch raha tha ke pehale kissko chodoon. Phir maine faisla kiya ke pehale Priya ko chodna theek rahega jisske 2 fayede honge. Ek to Nisha usski choot mein lund ko andar bahar hote dekh legi to usska darr kuchh kam ho jayega aur doosra wo Priya ko chudayee ka maza letey dekhkar garam hokar taiyaar bhi poori tarah ho jayegi pehli chudayee ke liye. Ek aur baat thi ke main bhi Nisha ko bharpoor bhogna chahta tha aur yeh tabhi mumkin tha jab main usski ek lambi chudayee karoo.

Ek baar jhadne ke baad jab main dubara taiyaar hota hoon to phir ek bahut lambi chudayee kar sakta hoon, dubara jhadne ke liye bahut zor lagaana padta hai aur der bhi lagti hai. Yahi soch kar maine Priya ko kaha ke pehle main ussko chodoonga taki Nisha apni aankhon se dekh le live chudayee aur samajh le ke kya aur kaise hona hai saath hi saath ussko masti bhi aa jaayegi aur usski chudayee zyada aasaan aur usske liye zyada anand-dayak hogi. Priya ne kaha ke wo to theek hai par kya tum……. Maine usski baat kaati aur bola ke fikar mat karo tum dono ho na mujhe dubara taiyaar karne ke liye, dus-ek min mein main dubara taiyaar ho jaaoonga aur phir doosri baar jaldi jharoonga bhi nahi to uss kaaran se bhi Nisha ko zyada maza de sakoonga.

Priya to meri baat samajh gayee par Nisha hum dono ko baari-baari dekhti rahi aur usske chehre ke bhaav bataa rahey thhe ke usse hamari baat poori samajh nahi aayee hai. Maine ussko kaha ke wo sab dekhti rahey to ussko sab samajh mein aa jaayega.

Ab main poore mood mein aa gaya aur dono ke badan par haath phiraane laga. Mera dhyaan zyada Nisha ki taraf tha kyonki wo merey liye ek naya jism tha. Zaahir taur par Priya ke saath bhi mere haathon ki ched-chaad jaari thi par wo sparsh mera jaana pehchana tha issliye andar se mera dhyaan Nisha par zyada tha. Nisha ka badan maansal zaroor tha par kahin bhi flab nahin tha bahut hi pyara gudaj shareer aur uss par kasey huey mamme aur usska merey har sparsh ka swagat ek kampkampi ya nishwaas se karna aur agley sparsh ke liye usski spasht aaturta mujhe uttejit kiye jaa rahi thi. Maine Nisha ki taraf aadhi karvat le li thi aur Priya ko apni taraf kheench lene se wo aadhi merey ooper thi aur ussne apni ek taang merey ooper ki hui thi aur main usski jaangh ki nichli taraf apna haath bahut pyar se phira raha tha. Hamesha ki tarah usske poore shareer par goose bumps thhe jo ussko zara sa chhooney par hi ubhar aate thhe. Usski badhti uttejana main anubhav kar raha tha.

Doosri taraf mera doosra haath Nisha ki garden par lipat kar neeche usske mamme se khel raha tha. Usske seb ke aakar ka mamma mere haath mein bhi poora nahi samaa raha tha. Usske bhoore rang ke choochak par matar ke daane jitney nipple bade aakarshak lag rahe thhe. Mere haath mein aaye huey mamme ka nipple kadak ho chuka tha aur main kabhi usse chutki mein lekar halke se masal deta aur kabhi apni poori hatheli usske mamme par ragad deta to wo machal jaati aur O…….h, A……h ki awaazein bhi nikaalni shuru ho gayee thi. Nisha ne apna munh mere kandhe mein chhupa rakha tha aur beech beech mein mujhe chhote chhote chumban pradaan kar rahi thi.
Phir maine Nisha ko thora parey kiya aur apna sar jhukaakar usske doosrey mamme ko chaatna shuru kar diya. Apni jheebh ko main usske mamme par golayee mein ghumaa raha tha. Har chakkar ke baad meri jeebh ka ghera tang hota ja raha tha. Meri jeebh usske choochak par pahunchi. Priya ke mukaable Nisha ke choochak thode kadey hone ke saath saath mulayam bhi thhe. Sabse aakhir main meri jeebh ne Nisha ke nipple ka sparsh kiya to wo bahut zoron se kaampt gayee aur usske munh se ek A…..h nikli. Maine poochha ke kya hua? Nisha boli ke bahut maza aa raha hai ruko mat kartey raho. Main bhi kahaan rukne wala tha. Maine apna munh poora khol kar usske mamme ko zyada se zyada apne munh mein le liya aur choosne laga, saath hi apni jeebh ko kada karke usske choochak aur nipple par phiraane laga.

Nisha uttejana ke maare uchalne lagi. Phir maine dono ko peeth ke bal saath saath lita diya aur unke ooper aa gaya. Mera ek-ek ghutna dono ki jaanghon ke beech tha. Dono ka ek-ek mamma mere haathon mein aur maine apni kohniyon unke shareeron ke saath sata kar bed par tikaya hua tha aur apna bojh unnpar daala hua tha. Phir main baari-baari se donon ke mamme apne munh mein lene laga. Thori hi der mein maine dekha ke Priya ki uttejana kaafi barh chuki hai aur usski aankhein kaamuk drishti se mujhe nihaar rahi hain jaise keh rahi hon ke ab aur na tadpao.

Main bhi ab poori tarah se uttejit ho chukka tha, so maine Nisha ko kaha ke vo baith jaaye aur saraa kuchh dhyaan se dekhe bhi aur saath hi saath Priya ko aur mujhe apne haathon se pyaar se sehla ke aur apne honthon se choom choom ke uttejit karti rahey. Nisha ne kaha ke theek hai. Phir main utthkar Priya ki taangon ke beech mein aa gaya aur apna lohey jaisa akda hua lund apne haath mein lekar Priya ki choot ke muhane par rakh diya aur pyaar se ragadne laga maano lund usski choot par dastak de raha ho aur andar aane ki ijaazat mang raha ho.
Priya tunak kar boli ab kyon tadpa rahey ho daal do na lund ko meri choot mein aur mujhe saatvein aasmaan par pahuncha do. Nisha jo bade gaur se sab kuchh dekh aur sun rahi thi hairaani se meri taraf dekhne lagi aur maine apne doosre haath se ussko apne paas kheench kar usske mamme ko apne munh mein lekar chubhlaate huey kaha ke aisa hi hota hai jab lund ki pyaas aur mazey ki aas lag jaati hai to aisa hi hota hai meri jaan mat ho itna hairan.

Aur adhik deri na karte huey maine apne lund ko Priya ki choot pe ragadte huey choot ke mukh par phansa diya. Priya apni masti bhari adhkhuli aankhon se meri aankhon mein dekhte huey ek bahut hi maadak muskan apne chehre par le aayee jaise ussey vishwas ho gaya ke ab lund usski choot mein ghusega aur usski asha poori hogi. Maine ussko niraash to nahi kiya par pataa nahi mujhe kya hua ke maine apne dono haath usski jaanghon par rakh kar usski taangein poori tarah kholte huey ek zabardast dhakka maara. Mera lund Priya ki choot mein ek hi vaar mein poora ka poora ghus gaya aur Priya ke munh se ek cheekh nikli, U….u…e…e…M…a…a… Mujhe apni teevrata ka ehsaas hua aur maine Nisha ko ishara karte huey Priya ki jaanghon ko chhoda aur usske ooper jhuk kar usske ek mammey ko apne munh mein lekar chubhlana shuru kiya.

Udhar Nisha bhi mera ishara samajh kar Priya ke doosre mammey ko choosne lagi. Main apne doosre haath se Priya ke shareer ko pyar se sehlane laga aur mujhe aisa karte dekh Nisha bhi usske jism se chhed-chhad karne lagi. Thori hi der mein Priya normal lagne lagi. Usske chehre par peeda ki jagah masti ne leni shuru kardi.

Priya ruansey swar mein boli ke meri to jaan hi nakal jaati aaj. Maine kaha ke sorry darling aaj 2-2 sundar ladkiyon ko chodne ki uttejana mein mera self control pata nahi kahan chala gaya. Chinta nahi karo ab kuchh nahi hone doonga. Priya muskura di aur maine dheere se apne lund ko thora sa bahar nikala aur phir andar dhakel diya. Priya boli ke haan aise pyar se chodo na kabhi chhote aur kabhi lambe dhakke lagao par pyar se, aur jab masti poori aane lage tab jaise chahe kar lena. Usski baat sunkar main muskuraye bina na rah saka.

Phir maine Priya ke kahe anusaar hi usse chodna shuru kiya aur thori der mein jab usski uttejana barhti nazar aayee maine Nisha ko kaha ke wo Priya ke munh par apni choot laga de taki priya usske choot chaat kar ussko maza de sakey aur jaise hi wo Priya ke ooper aayee maine Nisha ke dono haath apne kandhon par rakh diye aur usske mammon ko pakad kar unhey pyar karne laga. Priya ne Nisha ki choot par apna mung chipka diya aur apni jeebh se usski choot ko chatne lagi. Maine apna ek haath Nisha ke mamme se hata kar Priya ke mammey ko pakad liya aur ussko kabhi daba leta, kabhi pyar se sehlata aur kaphi dabaa deta. Maine apni pehli ungli modkar usske nipple ko bheench liya aur apna angutha usski nok par ragadne laga.
Nisha ka ek mamma merey haath ki shaitaniyaan sah rah tha aur doosre ko maine apni garden jhuka kar apne munh mein bhar liya aur chubhlaane laga. Priya ka usski choot par apni jeebh se aakraman lagatar jaari tha hi. Nisha ki masti barhne lagi. Udhar Priya bhi behaal thi. Ussne ab mere dhakkon ka jawab neeche se apni gaand uthakar dena shuru kar diya tha. Time ka tota tha, halanki itna kam samay bhi nahi tha par main Nisha ko bharpoor tasalli dena chahta tha issliye maine Priya ki choot mein ab karaare dhakke marne shuru kar diye aur apna lund poora bahar nikalkar usski choot mein dhakelne laga. Mere lund ke andar karne par jab hamare shareer aapas mein takraate to fach-fach ke awazein apna madhur sangeet utpann kar rahi theen.

Phir wahi hua jo hona hi tha aur jisska mujhe intezaar tha. Priya ka poora shareer ek baar zor se kampa aur wo jhad gayee. Usske jhadne ke karan paida hui chiknayee mein mera lund usski choot mein sarpat bhagne laga aur maine apne dhakkon ki speed to kam kardi par zor thora sa aur barha diya. 15-20 dhakke aise lagaane ke baad mujhe laga ki Priya ki uttejana aur barh gayee hai. Ab usski choot merey lund ko andar se sankuchit hokar jakad rahi thi lekin chiknayee hone ke karan mujhe ek adbhut gharshan ka anand aa raha tha. Mujhe laga ke main ab zyada der tak apne ko rok nahi sakoonga. Priya ne apni dono taangein meri peeth se lapet li theen aur phir wo tezi se neeche se uchhalne lagi. Udhar lagataar choot mein Priya ki jeebh aur mere hathon aur honthon ka Nisha ke mammon par kabhi pyar aur kabhi prahar Nisha ko charam par le gaya. Nisha ke jhadte hi Priya ne zor lagakar Nisha ko apne ooper se hata diya aur usske munh se H…o…o…o…o…n, H…o…o…o…o…n ki hunkaar nikalne lagi. Usske shareer ne ek zor ka jhatka liya aur wo phir se jhar gayee aur usske saath-saath maine bhi apna veerya usski choot mein nikaal diya aur Priya ke ooper hi dher ho gaya.

Nisha hairaani se Priya ko hilaane lage aur boli ke Priya tum theek to ho? Priya ne apni masti bhari aankhein kholeen aur ek qaatil muskaan ke saath boli mein swarg mein hoon, aur aaj jitna maza to pehli dono baar mein bhi nahi aaya tha. Maine bhi chutki lete huey kaha ke galati jo ki thi usski bharpayee bhi to karni thi, ab to naraaz nahi ho. Priya boli ke agar aisa hi maza dena ho to main to kahoongi ke baar baar yeh galati karo aur saath hi ussne mujhe apni bahon mein zor se bheench liya. Usske sakht mammey meri chhati mein dhansne lagey. Maine bhi ussko bahon mein lekar kiss kiya aur kaha ke chalo ab Nisha ka bhi dhyan karo. Priya ne Nisha ko kaha ke wo jaakar bathroom se do chhote towel lekar aaye aur ek ko geela karle.

Nisha ne turant aisa hi kiya Priya ne pehle geele towel se hum dono ki saaf safai ki aur phir sookhe towel se achhi tarah se ponch diya. Phir Priya ne Nisha se kaha ke jaise wo karey vaise hi Nisha bhi karey. Priya merey ek baaju let gayee aur Nisha doosri side mein. Dono side lekar meri taraf ko ho gayeen ab dono ka ek-ek mamma meri sides ko chhoo raha tha aur doosra meri chhati par dabav bana rah tha. Dono ne meri ek-ek taang apni tangon mein le li aur apni ek taang se meri janghon ko sehlaane lagi. Priya ne apna ek haath neech laakar mere lund par kabza kar liya aur Nisha ka haath pakar kar ussko mere andkosh sehlane ke liye kaha. Aisa anootha sparsh sukh, main bata nahi sakta ke kitna anand that ussmein. Merey paas shabd nahi hain usse bataane ke liye. Poore shareer mein jaise cheentiyaan reng rahi theen. Khoon ka sanchar tez ho gaya tha. Dil ki dhadkanein barh gayee theen. Merey lund ne bhi karvat leni shuru kar di thi.
 

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मैने दोनो को अपने फैले हुए बाज़ुओं में भींच लिया और उनके एक-एक मम्मे को अपने हाथों में लेके दबाने लगा. चुदाई के अलावा अगर मुझे सबसे ज़्यादा कुच्छ पसंद है तो वो है मम्मों के साथ खेलना. मैने दोनो मम्मों के निपल्स को पकड़ कर खींचा तो दोनो के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. फिर प्रिया बैठ गयी और निशा भी उसका अनुसरण करते हुए बैठ गयी. प्रिया ने निशा को कहा के वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलिपोप की तरह चूसे. निशा ने प्रिया को प्रश्नावाचक दृष्टि से देखा तो प्रिया बोली के ट्राइ करो अगर अच्छा नही लगे तो में चूसुन्गि. उसने निशा को समझाया के चूसने से यह जल्दी अकड़ जाएगा और तुम्हारा काम जल्दी शुरू हो सकेगा. प्रिया ने मेरे अंडकोष अपने हाथों में लेकर चाटना शुरू कर दिया. दोनो के सम्मिलित प्रयासों ने अपना असर दिखाया और जैसे साँप अपना फॅन उठाता है मेरे लंड ने, जो निशा के मुँह की गर्मी और जीभ की रगड़ का आनंद ले रहा था, भी अपना सर उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने पूरे आकार में सख्ती के साथ तन कर खड़ा हो गया.

निशा घुटनों पर मेरी एक साइड में बैठी हुई थी. मैने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी दूसरी साइड पे की और उसको ऊपेर के तरफ खींचा और कहा के चूसना जारी रखे. उसकी गांद बिल्कुल हार्ट शेप्ड थी और मैने प्यार से अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर फिराने शुरू कर दिए. साथ ही मैने उसकी गांद पर छ्होटे-छ्होटे चुंबनों की वर्षा करदी. फिर मैने अपने दोनो अंगूठे उसकी गांद के बीचो- बीच रखकर और अपने हाथ पूरे फैलाते हुए दोनो गोलाईयों को अपने हाथों की मज़बूत पकड़ में लिया और फैला दिया. इसके साथ ही मैने अपना मुँह उसकी गांद के च्छेद पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. निशा को जैसे करेंट का झटका लगा और वो मचलने लगी. प्रिया ने उसकी हालत समझते हुए उसको प्यार से डांटा के चुप-चाप मज़ा ले ज़्यादा ना हिलजुल नही तो मज़ा जाता रहेगा. निशा उसकी बात सुनकर थोड़ा संयत हुई. मैने अपनी बड़ी अंगुली अपनी थूक से गीली की और उसकी गांद के च्छेद पर रगड़ते हुए एक पोर तक अंदर कर दी. निशा का शरीर एक बार फिर झटके सेकाँप गया.

मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और अब केवल इंतेज़ार था निशा के पूरी तरह बेकरार होने का. प्रिया ने उसके मम्मे दबाने और चूसने जारी रखे थे और इधर मैं भी पूरी तन्मयता से उसकी चूत में अपनी जीभ चला रहा था और उसकी गांद में अपनी अंगुली घुमा रहा था. हमारी मेहनत रंग लाई और थोड़ी देर में ही निशा की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. कभी उसकी उ……..न……..ह तो कभी आ……..आ…….ह मेरे कानों में पड़ने लगी. फिर वो बिन पानी की मछली की तरह च्चटपटाने लगी. मैं तेज़ी से उसके नीचे से निकला और उसको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया. प्रिया ने उसके मम्मों को फिर से जाकड़ लिया. मैने उसकी गांद उठाकर फोल्ड किया हुआ टवल नीचे लगा दिया. निशा की चूत के ऊपेर गीलापन चमक रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें उसके घुटने मोडते हुए पूरी फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत पर इस तरह लगाया के उसकी दरार को मेरे खड़े लंड ने धक लिया और मैं उस पर लेट गया. निशा के गोल-गोल मॅम मैने अपने हाथों में ले लिए और उनको प्यार से मसल्ने लगा. फिर उसके मम्मों को और खड़े निपल्स को कभी मुँह में भर लेता कभी चट लेता और कभी दाँतों में दबाता. नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड कॅसा हुआ था और उसके भज्नासे पर भी दबाव डाल रहा था.

निशा की साँसें धोन्कनि की तरह चलने लगीं. उधर प्रिया भी उसे उत्तेजित करने में कोई कसर नही रख रही थी. उसके हाथ निशा के शरीर को प्यार से सहला रहे थे साथ ही वो निशा के शरीर को चूम और चाट रही थी. मैं महसूस कर रहा था के निशा की चूत की मेरे लंड पर गर्मी बढ़ रही थी और वो नीचे से हिल कर मेरे लंड को अपनी चूत की दरार पर हल्के से रगड़ रही थी. मेरी उत्तेजना भी अब काफ़ी बढ़ चुकी थी इसलिए मैने अपने हाथों और मुँह को निशा के मम्मों पर और तेज़ी से चलाना शुरू किया. फिर मैने अपने आप को थोड़ा ऊपेर की ओर उठाया और प्रिया को कहा के निशा के मुँह पर अपनी चूत रखे चटवाने के लिए और निशा को कहा के जैसे प्रिया ने उसकी चूत चॅटी थी वैसे ही वो प्रिया की चूत को चाते और उसको मस्त कर्दे. हमारे शरीर एक बार फिर त्रिकोण की शकल में आ गये. प्रिया के दोनो हाथ मैने निशा की जांघों पर रख दिए और उसे कहा की इनको प्यार से सहलाए और जब में अपने लंड को निशा की चूत में डालूं तो पूरे ज़ोर से पकड़ ले और निशा को हिलने ना दे.
मैं अपने लंड को अपने दायें हाथ में लेकर निशा की चूत पर रगड़ने लगा. निशा की दरार में फिरने से लंड का सुपरा पूरी तरह भीग गया. कभी मैं अपने लंड को चूत के च्छेद पर गोल-गोल घुमाता और कभी उसके भज्नासे पर रगड़ता. निशा की उत्तेजना अब बहुत बढ़ गयी थी और उसने हिलने की कोशिश की लेकिन प्रिया की पकड़ उसकी जांघों पर होने से वो ऐसा नही कर सकी. वो चूत चाटना छोड़ कर बहुत धीरे से बड़ी दयनीय आवाज़ में बोली के पता नही मुझे क्या हो रहा है बहुत घबराहट सी हो रही है और जल्दी से कुच्छ करें. मैं समझ गया के वो पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब देर करना उचित नही होगा. मैने पास रखी क्रीम की ट्यूब में से थोड़ी क्रीम निशा की चूत पर अंदर तक लगा दी और अपने लंड को भी क्रीम से अच्छी तरह तर कर दिया. मैने प्रिया को इशारा किया और अपना लंड निशा की चूत के च्छेद पर रख के गोल-गोल घुमाते हुए हल्का सा दबाव डाला. मेरा लंड उसकी चूत के च्छेद में थोड़ी सी जगह बनाते हुए अटक गया. मैने कहा के निशा तैयार रहो अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालने जा रहा हूँ और तुम्हे एक बार तो दर्द सहना होगा ताकि तुम चुदाई का मज़ा ले सको लेकिन इसके बाद कभी दुबारा तुम्हे दर्द नही होगा, प्रिया ने भी तुम्हे समझा तो दिया था ना? निशा ने हां बोला और कहा के वो तैयार है पर जो भी करना है जल्दी से करो बेचैनी बहुत हो रही है और अब रुका नही जाता.

मैने एक बार प्रिया को प्रश्वचक दृष्टि से देखा तो उसने अपनी गर्दन हिला दी. फिर मैने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एक छ्होटा पर पूरे ज़ोर का धक्का लगाया. मेरा लंड दो इंच के करीब निशा की चूत में घुस गया. निशा के मुँह से एक हुंकार निकली. अगले ही क्षण मैने अपने हाथों से निशा की जांघों पर अपनी पकड़ बनाते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और अपना लंड निशा की चूत में आधे से थोड़ा अधिक घुसा दिया. उसकी कुमारी झिल्ली तार तार हो गयी और अंदर खून भी निकलने लगा.
ओ……………. म……..आ……..आ करके निशा की एक ज़ोरदार चीख निकली जिसे प्रिया ने अपनी चूत उसके मुँह पर दबाते हुए रोकने की असफल कोशिश की. निशा की जांघों पर हमारी मज़बूत पकड़ के कारण वो बिल्कुल हिल नही पा रही थी. मैने अपने लंड को वहीं जाम कर दिया था जो अब खूँटे की तरह उसकी चूत में गढ़ा हुआ था. निशा बहुत ज़ोर से बोली के बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ इसको निकाल लो मैं मर रही हूँ. मैने कहा के पहली बार चुदवाने में हर लड़की को दर्द होता है और चुदाई का मज़ा लेने के लिए उसको सहना भी पड़ता है. प्रिया ने भी सहा और तुमने आज अपनी आँखो से देखा के तुम्हारे सामने अभी उसने कितना अधिक मज़ा लिया था. साथ ही मैने अपने हाथो से उसकी दोनो बगलें सहलाते हुए ऊपेर जाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको प्यार से सहलाने और मसल्ने लगा और उसके निपल्स को रगड़ कर उसकी उत्तेजना बढ़ाने की कोशिश करने लगा. इतनी देर में उसका दर्द तो कम होना ही था. मैने उसको कहा के बस अब एक धक्का और बाकी है और इस बार उसे पहले से कम दर्द होगा और फिर वो आनंद का झूला झूलने में सक्षम हो जाएगी, और अभी थोड़ी देर के बाद मैं उसे इतना मज़ा दूँगा जिसकी कभी उसने कल्पना भी नही की होगी.

इसके बाद मैने अपनी ताक़त समेट कर एक भरपूर धक्का लगाया और अपना लंड पूरा निशा की चूत में घुसा दिया. लंड ने अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर निशा को गुदगुदाहट से भर दिया. दर्द और गुगुडाहट के सम्मिश्रण से निशा चिहुनक गयी और उसके मुँह पर प्रिया की चूत का दबाव होने के कारण उसस्के मुँह से ग…ओ…ओ…न, ग…ओ…ओ…न की आवाज़ें निकलने लगीं. उसकी चूत ने मेरे लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की जैसे कोई शिकंजा हो और अगर यह शिकंजा ज़रा सा भी और कॅसा हुआ होता तो मेरा लंड दर्द करने लगता. इतनी टाइट थी निशा की चूत. मैं अपने लंड से मन ही मन कह रहा था के थोड़ी देर और रुक फिर आज तुझे घर्षण का वो मज़ा आनेवाला है जो तुझे बहुत ही कम बार मिला है.

मैने कुच्छ क्षण रुक कर अपने लंड को प्यार से एक इंच बाहर निकाला और फिर उतने ही प्यार से वापिस अंदर घुसा दिया. और फिर थोड़ी-थोड़ी देर में यही दोहराने लगा. साथ ही हर बार मैं अपने लंड को ज़रा सा अधिक बाहर निकाल लेता. इस तरह करते-करते मेरा लंड निशा की चूत में आधा अंदर बाहर होने लगा. अब निशा को भी मज़ा आने लगा था और इसका प्रमाण वो अपनी गांद को थोड़ा सा उठा कर दे रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा ही नही थी. प्रिया जो अब काफ़ी जानकार हो चुकी थी, मुझसे लिपटी हुई अपनी जीभ को मेरी जीभ से लड़ा रही थी और उसके सख़्त मम्मे मानो मेरी छाती में गड्ढे करने को आतुर थे. उसका शरीर एक कमान की भाँति तना हुआ था जिस कारण उसके सख़्त मम्मे और भी सख़्त हो गये थे.

नीचे निशा की चूत का कसाव मेरे लंड पर बहुत अधिक बना हुआ था. यह तो प्रिया की चूत से भी अधिक टाइट थी और अत्यधिक घर्षण आनंद दे रही थी. इसका कारण था निशा का मांसल और भरा हुआ शरीर जो प्रिया के मुक़ाबले अधिक गुदाज था. मैने अपने दिमाग़ को शाबाशी दी के पहले प्रिया की चूत में एक बार झरने की जो सोच उसमे आई थी उसके कारण मैं अपने पर कंट्रोल बनाए रखने में सफल हुआ था नही तो मैं निशा की सफल चुदाई कर ही नही पाता. मेरे नीचे आने वाली चूतो में वो सबसे टाइट चूतो में से एक थी. मेरा लंड निशा की चूत में अंदर बाहर होने में केवल इसलिए सफल हो पा रहा था के उसकी चूत में हल्का-हल्का रिसाव लगातार हो रह था जो गीलापन पैदा कर रह था और उस के कारण मुझे कोई परेशानी नही हो रही थी. मेरे धक्कों की लंबाई तो बढ़ गयी थी पर रफ़्तार अभी मैने नही बढ़ाई थी. अब मेरा तीन चौथाई लंड निशा की चूत को घिस्स रहा था. प्रिया ने अचानक एक ज़ोर का झटका लिया और पहले वो झाड़ गयी. उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. निशा ने उसकी चूत को चाट कर सॉफ कर दिया और वो एक साइड में लूड़क गयी.

कुच्छ ही देर में प्रिया उठकर निशा के ऊपेर च्छा गयी और उसका मुँह वहाँ से चाट कर साफ कर दिया जहाँ उसका स्राव निशा के मुँह पर लगा था.
मैं अब निशा को पूरी तन्मयता से मज़े लेकर चोद रहा था और अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसा रहा था. केवल लंड का टोपा ही अंदर रह जाता जब मैं लंड को बाहर निकालता और जब मैं लंड को अंदर घुसाता तो अब निशा भी पूरा साथ देते हुए अपनी गांद उठा कर मेरे लंड का स्वागत करती और पूरा अंदर ले लेती. जब हमारे जिस्म टकराते तो उसकी तेज़ हुंकार इस आवाज़ को दबा देती. यही क्रम कोई 4-5 मिनट तक चलता रहा फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी और थोड़ा ऊपेर को होकर तेज़ और गहरे धक्के लगाने लगा. ऊपेर को होने के कारण मेरे लंड का ऊपेरी भाग चूत में तो घर्षण कर ही रहा था साथ ही निशा के भज्नासे पर भी रगड़ खा रहा था. निशा की साँसे भी तेज़ हो गयीं और उसकी गांद का उच्छालना भी. उसकी हालत बता रही थी के वो चरम को पहुँचने वाली है. प्रिया अब उसके ऊपेरी भाग को छोड़ कर नीचे आ गयी थी और तन्मयता के साथ मेरे लंड को निशा की चूत में अंदर बाहर होते और निशा का अपनी गांद उठाकर मेरे लंड कास्वागत करते देख रही थी. उसके हाथ निशा की जांघों पर हल्के स्पर्श के साथ फिरने लगे. निशा की आँखे पूरी खुल कर जैसे बाहर आने को हो रही थीं. मैने उसको पूछा, क्यों निशा कैसा लग रहा है. आ..आ..न..आ..न..द… ही…..आ…आ…न…आ…न…द. और ज़ोर से चोदो मुझे. हाए मुझे पता होता के इतना मज़ा आता है तो मैं तो कब की चुदवा लेती. मैने हंसते हुए कहा मेरी जान पहली चुदाई तो मैने तुम्हारी करनी थी, तो पहले कैसे चुद जाती तुम. वो मुस्कुरा दी और अपनी गांद को पूरा ज़ोर लगाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.

फिर वो बहुत ज़ोर से उच्छली और उसका शरीर अकड़ सा गया और एक ज़ोर की हुंकार निकली उसके मुँह से और वो झाड़ गयी. एक वाइब्रटर की तरह थर्रने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ते हुए भी मेरे लंड को जकड़ने का असफल प्रयास किया. असफल इसलिए के उसके स्राव से चिकनाई उत्पन्न हो गयी थी और मेरा लंड उसकी भरपूर जाकड़ के बाद भी उसकी चूत में फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था. इस जकड़न और फिसलन का आनंद शब्दों में नही बताया जा सकता, केवल स्वानुभव द्वारा ही समझा जा सकता है. इतना सब होने के बावजूद मैं चरम से अभी बहुत दूर था क्योंकि एक बार झाड़ चुका था और दूसरी बार झड़ने के लिए उत्तेजित होने में समय लगता है.

मैने निशा की टाँगें नीचे कर दीं और उसकी चूत पर पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने की स्पीड इतनी तेज़ थी के प्रिया मुँह बाए इसका नज़ारा कर रही थी और उसकी आँखों में आश्चर्या और प्रशंसा के मिलेजुले भाव थे. मैं लगातार अपने धक्कों में परिवर्तन ला रहा था. कभी प्यार से अपना लंड पूरा बाहर खींच लेता और केवल सुपरा ही निशा की चूत में रह जाता और फिर से ऊपेर की ओर दबाव बनाते हुए लंड को अंदर घुसाता और कभी तेज़-तेज़ धक्के मारता. निशा के चेहरे के भाव बदलने लगे थे. लगता था के वो फिर से उत्तेजित हो रही है. मैने उसके मम्मे सहलाते हुए पूछा के कैसा लग रहा है मेरी जान तो उसने अधखुली मदमस्त आँखों से मेरी ओर देखते हुए कहा के कुच्छ मत पूच्छो मैं फिर से हवा में तेर रही हूँ और मेरी चूत में खुजली फिर से बढ़ गयी है, प्लीज़ इस खुजली को मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को ना चूत रहे ना खुजली…….हाए मैं क्या करूँ, ह…..आ…..आ…..न, ह…..आ…..आ…..न, और ज़ोर से, और ज़ोर से. निशा की पुकार से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मैने पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए. इतनी ज़ोर के थे के पूरा बेड ऐसे हिल रहा था जैसे भूचाल आ रहा हो. निशा धीरे-धीरे फिर चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. मुझे भी आनंद की लहरें झाँकरीत कर रही थीं. यह सब देख रही प्रिया को भी उत्तेजना ने अपनी आगोश में ले लिया था और वो झटके से उठकर निशा के ऊपेर आई और अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा दिया और बोली के निशा तुम्हें इतना अधिक उत्तेजित देख कर मैं भी मस्ती में भर गयी हूँ और चाहती हूँ के तुम एक बार फिर मेरी मदद करो के कुच्छ तो आनंद मुझे भी आए. निशा ने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और प्रिया भी आनंद के मीठे-मीठे हिचकोले लेने लगी. दोस्तो इस तरह मैने दूसरी कमसिन किशोरी का शिकार कर लिया था दोस्तो कहानी अभी जारी है
 

LUCKY4ROD

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Maine dono ko apne phaile huey bazuon mein bheench liya aur unke ek-ek mammey ho apne haathon mein leke dabaane laga. Chudayee ke alaava agar mujhe sabse zyada kuchh pasand hai to wo hai mammon ke saath khelna. Maine dono mammon ke nipples ko pakar kar kheencha to dono ke munh se siskaari nikal padi. Phir Priya baith gayee aur Nisha bhi usska anusaran karte huey baith gayee. Priya ne Nisha ko kaha ke wo merey lund ko apne munh mein lekar lollipop ki tarah choose. Nisha ne Priya ko prashnavachak drishti se dekha to Priya boli ke try karo agar achha nahi lagey to mein choosungi. Ussne Nisha ko samjhaya ke choosne se yeh jaldi akad jaayega aur tumhara kaam jaldi shuru ho sakega. Priya ne merey andkosh apne haathon mein lekar chaatna shuru kar diya. Dono ke sammilit prayason ne apna asar dikhaya aur jaise saanp apna phan uthata hai mere lund ne, jo Nisha ke munh ki garmi aur jeebh ki ragad ka anand le raha tha, bhi apna sar uthana shuru kar diya aur dekhte hi dekhte apne poore aakaar mein sakhti ke saath tankar khada ho gaya.

Nisha ghutnon par meri ek side mein baithi hui thi. Maine usski ek taang uthakar apni doosri side pe ki aur ussko ooper ke taraf kheencha aur kaha ke choosna jaari rakhey. Usski gaan bilkul heart shaped thi aur maine pyaar se apne dono haath usski gaand par phirane shuru kar diye. Saath hi maine usski gaand par chhote-chhote chumbanon ki varsha kardi. Phir maine apne dono angoothe usski gaand ke beecho- beech rakhkar aur apne haath poore phailate hue dono golaaiyon ko apne haathon ki mazboot pakad mein liya aur phaila diya. Isske saath hi maine apna munh usski gaand ke chhed par laga diya aur jeebh se chaatne laga. Nisha ko jaise current ka jhatka laga aur wo machalne lagi. Priya ne usski haalat samajhte huey ussko pyar se daanta ke chup-chaap maza le zyada na hiljul nahi to maza jaata rahega. Nisha usski baat sunkar thora sanyat hui. Maine apni badi anguli apni thook se geeli ki aur usski gaand ke chhed par ragadte hue ek pore tak andar kar di. Nisha ka shareer ek baar phir jhatke se kaamp gaya.

Mera lund apne poore aakaar mein aa chuka tha aur ab keval intezaar tha Nisha ke poori tarah bekaraar hone ka. Priya ne usske mammey dabaaney aur choosney jaari rakhe thhe aur idhar main bhi poori tanmayta se usski choot mein apni jeebh chala raha tha aur uski gaand mein apni anguli ghuma raha tha. Hamaari mehnat rang laayee aur thori der mein hi Nisha ki awaazein nikalni shuru ho gayeen. Kabhi usski U……..n……..h to kabhi A……..a…….h merey kaanon mein padne lagi. Phir wo bin paani ki machli ki tarah chhatpataaney lagi. Main tezi se usske neeche se nikla aur ussko seedha karke peeth ke bal lita diya. Priya ne usske mammon ko phir se jakad liya. Maine usski gaand uthakar fold kiya hua towel neeche laga diya. Nisha ki choot ke ooper geelapan chamak raha tha. Maine usski dono taangein usske ghutne modtey huey poori phaila deen aur apna lund usski choot par iss tarah lagaya ke usski darar ko mere khade lund ne dhak liya aur main uss par let gaya. Nisha ke gol-gol mammey maine apne hathon mein le liye aur unko pyar se masalne laga. Phir usske mammon ko aur khade nipples ko kabhi munh mein bhar leta kabhi chat leta aur kabhi danton mein dabata. Neeche usski choot par mera lund kassa hua tha aur usske bhagnaase par bhi dabav daal raha tha.

Nisha ki saansein dhonkani ki tarah chalne lageen. Udhar Priya bhi usse uttejit karna mein koi kasar nahi rakh rahi thi. Usske haath Nisha ke shareer ko pyar se sehla rahe thhe saath he wo Nisha ke shareer ko choom aur chaat rahi thi. Main mehsoos kar raha tha ke Nisha ke choot ki merey lund par garmi barh rahi thi aur wo neeche se hil kar mere lund ko apni choot ke darar par halke se ragad rahi thi. Meri uttejana bhi ab kaafi barh chuki thi. Issliye maine apne haathon aur munh ko Nisha ke mammon par aur tezi se chalana shuru kiya. Phir maine apne aap ko thora ooper ki ore uthaya aur Priya ko kaha ke Nisha ke munh par apni choot rakhe chatwaane ke liye anur Nisha ko kaha ke jaise Priya ne
usski choot chaati thi vaise hi vo Priya ki choot ko chaate aur ussko mast karde. Hamare shareer ek baar phir trikon ki shakal mein aa gaye. Priya ke dono haath maine Nisha ki janghon par rakh diye aur usse kaha ki inko pyar se sehalaaye aur jab mein apne lund ko Nisha ki choot mein daloon to poor zor se pakad le aur Nisha ko hilne na de.

Main apne lund ko apne dayein haath mein lekar Nisha ki choot par ragadne laga. Nisha ki daraar mein phirane se lund ka supara poori tarah bheeg gaya. Kabhi main apne lund ko choot ke chhed par gol-gol ghumata aur kabhi usske bhagnaase par ragadta. Nisha ki uttejana ab bahut barh gayee thi aur ussne hilne ki koshish ki lekin Priya ki pakad usski janghon par hone se wo aisa nahi kar saki. Wo choot chatna chhor kar bahut dheere se badi dayaneeya awaz mein boli ke pata nahi mujhe kya ho raha hai bahut ghabrahat si ho rahi hai aur jaldi se kuchh karein. Main samajh gaya ke wo poori tarah taiyar ho chuki hai aur ab der karna uchit nahi hoga. Maine paas rakhi cream ki tube mein se thori cream Nisha ki choot par andar tak laga di aur apne lund ko bhi cream se achhi tarah tar kar diya. Maine Priya ko ishara kiya aur apna lund Nisha ki choot ke chhed par rakh ke gol-gol ghumaate huey halka sa dabav dala. Mera lund usski choot ke chhed mein thori si jagah banaate huey atak gaya. Maine kaha ke Nisha taiyar raho ab main apne lund ko tumhaari choot mein daalne ja raha hoon aur tumhe ek baar to dard sehna hoga taki tum chudayee ka maza le sako lekin isske baad kabhi dubara tumhe dard nahi hoga, Priya ne bhi tumhe samjha to diya thaa na? Nisha ne haan bola aur kaha ke wo taiyaar hai par jo bhi karna hai jaldi se karo bechaini bahut ho rahi hai aur ab ruka nahi jata.

Maine ek baar Priya ko prashvachak drishti se dekha to ussne apni gardan hila di. Phir maine apne lund ko apne haath mein pakad kar ek chhota par poorey zor ka dhakka lagaya. Mera lund do inch ke kareeb Nisha ki choot mein ghus gaya. Nisha ke munh se ek hunkaar nikli. Agle hi kshan maine apne haathon se Nisha ki janghon par apni pakad banaate huey ek aur zordar dhakka maara aur apna lund Nisha ki choot mein aadhey se thora adhik ghusa diya. Usski kumari jhilli taar taar ho gayee aur andar khoon bhi nikalne laga.

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Isske baad maine apni taakat samet kar ek bharpoor dhakka lagaya aur apna lund poora Nisha ki choot mein ghusa diya. Lund ne andar usski bachhedaani ke munh se takarakar Nisha ko gudgudahat se bhar diya. Dard aur gugudahat ke sammishran se Nisha chihunk gayee aur usske munh par Priya ki choot ka dabaav hone ke kaaran usske munh se g…o…o…n, g…o…o…n ki awaazein nikalne lageen. Usski choot ne mere lund ko aise jakad rakha tha ki jaise koi shikanja ho aur agar yeh shikanja zara sa bhi aur kassa hua hota to mera lund dard karne lagta. Itni tight thi Nisha ki choot. Main apne lund se man hi man keh raha tah ke thori der aur ruk phir aaj tujhe gharshan ka wo maza aanewala hai jo tujhe bahut hi kam baar mila hai.

Maine kuchh kshan ruk kar apne lund ko pyar se ek inch bahar nikala aur phir utne hi pyar se wapis andar ghusa diya. Aur phir thori-thori der mein yahi dohraane lagaa. Saath hi har baar main apne lund ko zara sa adhik bahar nikal leta. Iss tarah karte-karte mera lund Nisha ki choot mein aadha andar bahar hone laga. Ab Nisha ko bhi maza aane laga tha aur isska praman wo apni gaand ko thora sa uthaa kar de rahi thi. Merey anand ki koi seema hi nahi thi. Priya jo ab kaafi jaankaar ho chuki thi, mujhse lipti hui apni jeebh ko meri jeebh se lada rahi thi aur usske sakht mamme mano meri chhati mein gaddhe karne ko aatur thhe. Usska shareer ek kamaan ki bhanti tanaa hua tha jiss kaaran usske sakht mamme aur bhi sakht ho gaye thhe.
Neeche Nisha ki choot ka kasaav merey lund par bahut adhik banaa hua tha. Yeh to Priya ki choot se bhi adhik tight thi aur atyadhik gharshan anand de rahi thi. Isska kaaran tha Nisha ka maansal aur bhara hua shareer jo Priya ke mukaable adhik gudaaj tha. Maine apne dimaag ko shabaashi di ke pehle Priya ki choot mein ek baar jharne ki jo soch ussmein aayi thi usske karan main apne par control banaaye rakhne mein safal hua tha nahi to main Nisha ki safal chudayee kar hi nahi paata. Meri neeche aane wali chooton mein wo sabse tight chooton mein se ek thi. Mera lund Nisha ki choot mein andar bahar hone mein keval issliye safal ho pa raha tha ke usski choot mein halka-halka risaav lagataar ho rah tha jo geelapan paida kar rah tha aur uss ke karan mujhe koi pareshani nahi ho rahi thi. Mere dhakkon ki lambai to barh gayee thi par raftaar abhi maine nahi badhayee thi. Ab mera teen chauthayee lund Nisha ki choot ko ghiss raha tha. Priya ne achanak ek zor ka jhatka liya aur pehle wo jhar gayee. Ussne apna shareer dheela chhor diya. Nisha ne usski choot ko chaat kar saaf kar diya aur wo ek side mein ludak gayee.

Kuchh hi der mein Priya uthkar Nisha ke ooper chha gayee aur usska munh wahan se chaat kar saaf kar diya jahan uska sraav Nisha ke munh par laga tha.

Main ab Nisha ko poori tanmayta se maze lekar chod raha tha aur apna lund poora bahar nikaal kar andar ghusa raha tha. Keval lund ka topa hi andar reh jaata jab main lund ko bahar nikalta aur jab main lund ko andar ghusata to ab Nisha bhi poora saath detey huey apni gaan utha kar merey lund ka swagat karti aur poora andar le leti. Jab hamare jism takrate to usski tez hunkar iss awaz ko daba deti. Yahi kram koi 4-5 min tak chalta raha phir maine apne dhakkon ki rafter thori barha di aur thora ooper ko hokar tez aur gehrey dhakkey laganey laga. Ooper ko hone ke kaaran mere lund ka ooperi bhaag choot mein to gharshan kar hi raha tha saath hi Nisha ke bhagnaase par bhi ragad kha raha tha. Nisha ki saanse bhi tez ho gayeen aur usski gaand ka uchhalna bhi. Usski haalat bataa rahi thi ke wo charam ko pahunchane waali hai. Priya ab usske ooperi bhaag ko chhorkar neeche aa gayi thi aur tanmayta ke saath mere lund ko Nisha ki choot mein andar bahar hote aur Nisha ka apni gaand uthakar mere lund ka swagat karte dekh rahi thi. Usske haath Nisha ki janghon par halke sparsh ke saath phirne lage. Nisha ki aankhe poori khul kar jaise bahar aaney ko ho rahi theen. Maine ussko poochha, kyon Nisha kaisa lag raha hai. A..a..n..a..n..d… hi…..A…a…n…a…n…d. Aur zor se chodo mujhe. Haaye mujhe pata hota ke itna maza aata hai to main to kab ki chudwa leti. Maine hanste huey kaha meri jaan pehli chudayee to maine tumhari karni thi, to pehle kaise chud jaati tum. Wo muskura di aur apni gaand ko poora zor lagakar mere dhakkon ka jawab deney lagi.
Phir wo bahut zor se uchhli aur usska shareer akad sa gaya aur ek zor ki hunkar nikli usske munh se aur wo jhad gayee. Ek vibrator ki tarah tharraney lagi aur usski choot ne pani chodte huey bhi mere lund ko jakadne ka asafal prayas kiya. Asafal issliye ke usske sraav se chiknayee utpann ho gayee thee aur mera lund usski bharpoor jakad ke baad bhi usski choot mein phisal kar andar bahar ho raha tha. Iss jakdan aur phislan ka anand shabdon mein nahi bataya ja sakta, keval swanubhav dwara hi samjha ja sakta hai. Itna sab hone ke bavjood main charam se abhi bahut door tha kyonki Ek baar jhad chuka tha aur doosri baar jhadne ke liye uttejit hone mein samay lagta hai.

Maine Nisha ki taangein neeche kar deen aur usski choot par poori taakat se dhakke marne laga. Mera lund usski choot mein andar bahar hone ki speed itni tez thi ke Priya munh baaye isska nazara kar rahi thi aur usski aankhon mein ashcharya aur prashansa ke milejuley bhaav thhe. Main lagataar apne dhakkon mein parivartan laa raha tha. Kabhi pyar se apna lund poora bahar kheench leta aur keval supara hi Nisha ki choot mein reh jaata aur phir se ooper ki ore dabav banate huey lund ko andar ghussata aur kabhi tez-tez dhakke maarta. Nisha ke chehre ke bhaav badalne lagey thhe. Lagta tha ke wo phir se uttejit ho rahi hai. Maine usske mammey sehlaatey huey poochha ke kaisa lug raha hai meri jaan to ussne adhkhuli madmast aankhon se meri ore dekhte huey kaha ke kuchh mat poochho main phir se hawa mein tair rahi hoon aur meri choot mein khujli phir se barh gayee hai, please iss khujli ko mita do phar do meri choot ko na choot rahe na khujli…….haye main kya karoon, h…..a…..a…..n, h…..a…..a…..n, aur zor se, aur zor se. Nisha ki pukar se merey andar ek nai oorja ka sanchar hua aur maine poori takat se dhakkey maarne shuru kar diye. Itni zor ke thhe ke poora bed aise hil raha tha jaise bhoochal aa raha ho. Nisha dheere-dheere phir charam ki ore agrasar ho rahi thi. Mujhe bhi anand ki lehrein jhankrit kar rahi theen. Yeh sab dekh rahi Priya ko bhi uttejana ne apni aagosh mein le liya tha aur wo jhatke se uthkar Nisha ke ooper aayee aur apni choot ko usske munh par laga diya aur boli ke Nisha tumhein itna adhik uttejit dekh kar main bhi masti mein bhar gayee hoon aur chahti hoon ke tum ek baar phir meri madad karo ke kuchh to anand mujhe bhi aaye. Nisha ne turant apni jeebh ko usske choot mein daal kar chatna shuru kar diya aur Priya bhi anand ke meethe-meethe hichkoley leney lagi.
 
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मैने दोनो को अपने फैले हुए बाज़ुओं में भींच लिया और उनके एक-एक मम्मे को अपने हाथों में लेके दबाने लगा. चुदाई के अलावा अगर मुझे सबसे ज़्यादा कुच्छ पसंद है तो वो है मम्मों के साथ खेलना. मैने दोनो मम्मों के निपल्स को पकड़ कर खींचा तो दोनो के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. फिर प्रिया बैठ गयी और निशा भी उसका अनुसरण करते हुए बैठ गयी. प्रिया ने निशा को कहा के वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलिपोप की तरह चूसे. निशा ने प्रिया को प्रश्नावाचक दृष्टि से देखा तो प्रिया बोली के ट्राइ करो अगर अच्छा नही लगे तो में चूसुन्गि. उसने निशा को समझाया के चूसने से यह जल्दी अकड़ जाएगा और तुम्हारा काम जल्दी शुरू हो सकेगा. प्रिया ने मेरे अंडकोष अपने हाथों में लेकर चाटना शुरू कर दिया. दोनो के सम्मिलित प्रयासों ने अपना असर दिखाया और जैसे साँप अपना फॅन उठाता है मेरे लंड ने, जो निशा के मुँह की गर्मी और जीभ की रगड़ का आनंद ले रहा था, भी अपना सर उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने पूरे आकार में सख्ती के साथ तन कर खड़ा हो गया.

निशा घुटनों पर मेरी एक साइड में बैठी हुई थी. मैने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी दूसरी साइड पे की और उसको ऊपेर के तरफ खींचा और कहा के चूसना जारी रखे. उसकी गांद बिल्कुल हार्ट शेप्ड थी और मैने प्यार से अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर फिराने शुरू कर दिए. साथ ही मैने उसकी गांद पर छ्होटे-छ्होटे चुंबनों की वर्षा करदी. फिर मैने अपने दोनो अंगूठे उसकी गांद के बीचो- बीच रखकर और अपने हाथ पूरे फैलाते हुए दोनो गोलाईयों को अपने हाथों की मज़बूत पकड़ में लिया और फैला दिया. इसके साथ ही मैने अपना मुँह उसकी गांद के च्छेद पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. निशा को जैसे करेंट का झटका लगा और वो मचलने लगी. प्रिया ने उसकी हालत समझते हुए उसको प्यार से डांटा के चुप-चाप मज़ा ले ज़्यादा ना हिलजुल नही तो मज़ा जाता रहेगा. निशा उसकी बात सुनकर थोड़ा संयत हुई. मैने अपनी बड़ी अंगुली अपनी थूक से गीली की और उसकी गांद के च्छेद पर रगड़ते हुए एक पोर तक अंदर कर दी. निशा का शरीर एक बार फिर झटके सेकाँप गया.

मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और अब केवल इंतेज़ार था निशा के पूरी तरह बेकरार होने का. प्रिया ने उसके मम्मे दबाने और चूसने जारी रखे थे और इधर मैं भी पूरी तन्मयता से उसकी चूत में अपनी जीभ चला रहा था और उसकी गांद में अपनी अंगुली घुमा रहा था. हमारी मेहनत रंग लाई और थोड़ी देर में ही निशा की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. कभी उसकी उ……..न……..ह तो कभी आ……..आ…….ह मेरे कानों में पड़ने लगी. फिर वो बिन पानी की मछली की तरह च्चटपटाने लगी. मैं तेज़ी से उसके नीचे से निकला और उसको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया. प्रिया ने उसके मम्मों को फिर से जाकड़ लिया. मैने उसकी गांद उठाकर फोल्ड किया हुआ टवल नीचे लगा दिया. निशा की चूत के ऊपेर गीलापन चमक रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें उसके घुटने मोडते हुए पूरी फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत पर इस तरह लगाया के उसकी दरार को मेरे खड़े लंड ने धक लिया और मैं उस पर लेट गया. निशा के गोल-गोल मॅम मैने अपने हाथों में ले लिए और उनको प्यार से मसल्ने लगा. फिर उसके मम्मों को और खड़े निपल्स को कभी मुँह में भर लेता कभी चट लेता और कभी दाँतों में दबाता. नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड कॅसा हुआ था और उसके भज्नासे पर भी दबाव डाल रहा था.

निशा की साँसें धोन्कनि की तरह चलने लगीं. उधर प्रिया भी उसे उत्तेजित करने में कोई कसर नही रख रही थी. उसके हाथ निशा के शरीर को प्यार से सहला रहे थे साथ ही वो निशा के शरीर को चूम और चाट रही थी. मैं महसूस कर रहा था के निशा की चूत की मेरे लंड पर गर्मी बढ़ रही थी और वो नीचे से हिल कर मेरे लंड को अपनी चूत की दरार पर हल्के से रगड़ रही थी. मेरी उत्तेजना भी अब काफ़ी बढ़ चुकी थी इसलिए मैने अपने हाथों और मुँह को निशा के मम्मों पर और तेज़ी से चलाना शुरू किया. फिर मैने अपने आप को थोड़ा ऊपेर की ओर उठाया और प्रिया को कहा के निशा के मुँह पर अपनी चूत रखे चटवाने के लिए और निशा को कहा के जैसे प्रिया ने उसकी चूत चॅटी थी वैसे ही वो प्रिया की चूत को चाते और उसको मस्त कर्दे. हमारे शरीर एक बार फिर त्रिकोण की शकल में आ गये. प्रिया के दोनो हाथ मैने निशा की जांघों पर रख दिए और उसे कहा की इनको प्यार से सहलाए और जब में अपने लंड को निशा की चूत में डालूं तो पूरे ज़ोर से पकड़ ले और निशा को हिलने ना दे.
मैं अपने लंड को अपने दायें हाथ में लेकर निशा की चूत पर रगड़ने लगा. निशा की दरार में फिरने से लंड का सुपरा पूरी तरह भीग गया. कभी मैं अपने लंड को चूत के च्छेद पर गोल-गोल घुमाता और कभी उसके भज्नासे पर रगड़ता. निशा की उत्तेजना अब बहुत बढ़ गयी थी और उसने हिलने की कोशिश की लेकिन प्रिया की पकड़ उसकी जांघों पर होने से वो ऐसा नही कर सकी. वो चूत चाटना छोड़ कर बहुत धीरे से बड़ी दयनीय आवाज़ में बोली के पता नही मुझे क्या हो रहा है बहुत घबराहट सी हो रही है और जल्दी से कुच्छ करें. मैं समझ गया के वो पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब देर करना उचित नही होगा. मैने पास रखी क्रीम की ट्यूब में से थोड़ी क्रीम निशा की चूत पर अंदर तक लगा दी और अपने लंड को भी क्रीम से अच्छी तरह तर कर दिया. मैने प्रिया को इशारा किया और अपना लंड निशा की चूत के च्छेद पर रख के गोल-गोल घुमाते हुए हल्का सा दबाव डाला. मेरा लंड उसकी चूत के च्छेद में थोड़ी सी जगह बनाते हुए अटक गया. मैने कहा के निशा तैयार रहो अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालने जा रहा हूँ और तुम्हे एक बार तो दर्द सहना होगा ताकि तुम चुदाई का मज़ा ले सको लेकिन इसके बाद कभी दुबारा तुम्हे दर्द नही होगा, प्रिया ने भी तुम्हे समझा तो दिया था ना? निशा ने हां बोला और कहा के वो तैयार है पर जो भी करना है जल्दी से करो बेचैनी बहुत हो रही है और अब रुका नही जाता.

मैने एक बार प्रिया को प्रश्वचक दृष्टि से देखा तो उसने अपनी गर्दन हिला दी. फिर मैने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एक छ्होटा पर पूरे ज़ोर का धक्का लगाया. मेरा लंड दो इंच के करीब निशा की चूत में घुस गया. निशा के मुँह से एक हुंकार निकली. अगले ही क्षण मैने अपने हाथों से निशा की जांघों पर अपनी पकड़ बनाते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और अपना लंड निशा की चूत में आधे से थोड़ा अधिक घुसा दिया. उसकी कुमारी झिल्ली तार तार हो गयी और अंदर खून भी निकलने लगा.
ओ……………. म……..आ……..आ करके निशा की एक ज़ोरदार चीख निकली जिसे प्रिया ने अपनी चूत उसके मुँह पर दबाते हुए रोकने की असफल कोशिश की. निशा की जांघों पर हमारी मज़बूत पकड़ के कारण वो बिल्कुल हिल नही पा रही थी. मैने अपने लंड को वहीं जाम कर दिया था जो अब खूँटे की तरह उसकी चूत में गढ़ा हुआ था. निशा बहुत ज़ोर से बोली के बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ इसको निकाल लो मैं मर रही हूँ. मैने कहा के पहली बार चुदवाने में हर लड़की को दर्द होता है और चुदाई का मज़ा लेने के लिए उसको सहना भी पड़ता है. प्रिया ने भी सहा और तुमने आज अपनी आँखो से देखा के तुम्हारे सामने अभी उसने कितना अधिक मज़ा लिया था. साथ ही मैने अपने हाथो से उसकी दोनो बगलें सहलाते हुए ऊपेर जाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको प्यार से सहलाने और मसल्ने लगा और उसके निपल्स को रगड़ कर उसकी उत्तेजना बढ़ाने की कोशिश करने लगा. इतनी देर में उसका दर्द तो कम होना ही था. मैने उसको कहा के बस अब एक धक्का और बाकी है और इस बार उसे पहले से कम दर्द होगा और फिर वो आनंद का झूला झूलने में सक्षम हो जाएगी, और अभी थोड़ी देर के बाद मैं उसे इतना मज़ा दूँगा जिसकी कभी उसने कल्पना भी नही की होगी.

इसके बाद मैने अपनी ताक़त समेट कर एक भरपूर धक्का लगाया और अपना लंड पूरा निशा की चूत में घुसा दिया. लंड ने अंदर उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर निशा को गुदगुदाहट से भर दिया. दर्द और गुगुडाहट के सम्मिश्रण से निशा चिहुनक गयी और उसके मुँह पर प्रिया की चूत का दबाव होने के कारण उसस्के मुँह से ग…ओ…ओ…न, ग…ओ…ओ…न की आवाज़ें निकलने लगीं. उसकी चूत ने मेरे लंड को ऐसे जाकड़ रखा था की जैसे कोई शिकंजा हो और अगर यह शिकंजा ज़रा सा भी और कॅसा हुआ होता तो मेरा लंड दर्द करने लगता. इतनी टाइट थी निशा की चूत. मैं अपने लंड से मन ही मन कह रहा था के थोड़ी देर और रुक फिर आज तुझे घर्षण का वो मज़ा आनेवाला है जो तुझे बहुत ही कम बार मिला है.

मैने कुच्छ क्षण रुक कर अपने लंड को प्यार से एक इंच बाहर निकाला और फिर उतने ही प्यार से वापिस अंदर घुसा दिया. और फिर थोड़ी-थोड़ी देर में यही दोहराने लगा. साथ ही हर बार मैं अपने लंड को ज़रा सा अधिक बाहर निकाल लेता. इस तरह करते-करते मेरा लंड निशा की चूत में आधा अंदर बाहर होने लगा. अब निशा को भी मज़ा आने लगा था और इसका प्रमाण वो अपनी गांद को थोड़ा सा उठा कर दे रही थी. मेरे आनंद की कोई सीमा ही नही थी. प्रिया जो अब काफ़ी जानकार हो चुकी थी, मुझसे लिपटी हुई अपनी जीभ को मेरी जीभ से लड़ा रही थी और उसके सख़्त मम्मे मानो मेरी छाती में गड्ढे करने को आतुर थे. उसका शरीर एक कमान की भाँति तना हुआ था जिस कारण उसके सख़्त मम्मे और भी सख़्त हो गये थे.

नीचे निशा की चूत का कसाव मेरे लंड पर बहुत अधिक बना हुआ था. यह तो प्रिया की चूत से भी अधिक टाइट थी और अत्यधिक घर्षण आनंद दे रही थी. इसका कारण था निशा का मांसल और भरा हुआ शरीर जो प्रिया के मुक़ाबले अधिक गुदाज था. मैने अपने दिमाग़ को शाबाशी दी के पहले प्रिया की चूत में एक बार झरने की जो सोच उसमे आई थी उसके कारण मैं अपने पर कंट्रोल बनाए रखने में सफल हुआ था नही तो मैं निशा की सफल चुदाई कर ही नही पाता. मेरे नीचे आने वाली चूतो में वो सबसे टाइट चूतो में से एक थी. मेरा लंड निशा की चूत में अंदर बाहर होने में केवल इसलिए सफल हो पा रहा था के उसकी चूत में हल्का-हल्का रिसाव लगातार हो रह था जो गीलापन पैदा कर रह था और उस के कारण मुझे कोई परेशानी नही हो रही थी. मेरे धक्कों की लंबाई तो बढ़ गयी थी पर रफ़्तार अभी मैने नही बढ़ाई थी. अब मेरा तीन चौथाई लंड निशा की चूत को घिस्स रहा था. प्रिया ने अचानक एक ज़ोर का झटका लिया और पहले वो झाड़ गयी. उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. निशा ने उसकी चूत को चाट कर सॉफ कर दिया और वो एक साइड में लूड़क गयी.

कुच्छ ही देर में प्रिया उठकर निशा के ऊपेर च्छा गयी और उसका मुँह वहाँ से चाट कर साफ कर दिया जहाँ उसका स्राव निशा के मुँह पर लगा था.
मैं अब निशा को पूरी तन्मयता से मज़े लेकर चोद रहा था और अपना लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसा रहा था. केवल लंड का टोपा ही अंदर रह जाता जब मैं लंड को बाहर निकालता और जब मैं लंड को अंदर घुसाता तो अब निशा भी पूरा साथ देते हुए अपनी गांद उठा कर मेरे लंड का स्वागत करती और पूरा अंदर ले लेती. जब हमारे जिस्म टकराते तो उसकी तेज़ हुंकार इस आवाज़ को दबा देती. यही क्रम कोई 4-5 मिनट तक चलता रहा फिर मैने अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी और थोड़ा ऊपेर को होकर तेज़ और गहरे धक्के लगाने लगा. ऊपेर को होने के कारण मेरे लंड का ऊपेरी भाग चूत में तो घर्षण कर ही रहा था साथ ही निशा के भज्नासे पर भी रगड़ खा रहा था. निशा की साँसे भी तेज़ हो गयीं और उसकी गांद का उच्छालना भी. उसकी हालत बता रही थी के वो चरम को पहुँचने वाली है. प्रिया अब उसके ऊपेरी भाग को छोड़ कर नीचे आ गयी थी और तन्मयता के साथ मेरे लंड को निशा की चूत में अंदर बाहर होते और निशा का अपनी गांद उठाकर मेरे लंड कास्वागत करते देख रही थी. उसके हाथ निशा की जांघों पर हल्के स्पर्श के साथ फिरने लगे. निशा की आँखे पूरी खुल कर जैसे बाहर आने को हो रही थीं. मैने उसको पूछा, क्यों निशा कैसा लग रहा है. आ..आ..न..आ..न..द… ही…..आ…आ…न…आ…न…द. और ज़ोर से चोदो मुझे. हाए मुझे पता होता के इतना मज़ा आता है तो मैं तो कब की चुदवा लेती. मैने हंसते हुए कहा मेरी जान पहली चुदाई तो मैने तुम्हारी करनी थी, तो पहले कैसे चुद जाती तुम. वो मुस्कुरा दी और अपनी गांद को पूरा ज़ोर लगाकर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी.

फिर वो बहुत ज़ोर से उच्छली और उसका शरीर अकड़ सा गया और एक ज़ोर की हुंकार निकली उसके मुँह से और वो झाड़ गयी. एक वाइब्रटर की तरह थर्रने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ते हुए भी मेरे लंड को जकड़ने का असफल प्रयास किया. असफल इसलिए के उसके स्राव से चिकनाई उत्पन्न हो गयी थी और मेरा लंड उसकी भरपूर जाकड़ के बाद भी उसकी चूत में फिसल कर अंदर बाहर हो रहा था. इस जकड़न और फिसलन का आनंद शब्दों में नही बताया जा सकता, केवल स्वानुभव द्वारा ही समझा जा सकता है. इतना सब होने के बावजूद मैं चरम से अभी बहुत दूर था क्योंकि एक बार झाड़ चुका था और दूसरी बार झड़ने के लिए उत्तेजित होने में समय लगता है.

मैने निशा की टाँगें नीचे कर दीं और उसकी चूत पर पूरी ताक़त से धक्के मारने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने की स्पीड इतनी तेज़ थी के प्रिया मुँह बाए इसका नज़ारा कर रही थी और उसकी आँखों में आश्चर्या और प्रशंसा के मिलेजुले भाव थे. मैं लगातार अपने धक्कों में परिवर्तन ला रहा था. कभी प्यार से अपना लंड पूरा बाहर खींच लेता और केवल सुपरा ही निशा की चूत में रह जाता और फिर से ऊपेर की ओर दबाव बनाते हुए लंड को अंदर घुसाता और कभी तेज़-तेज़ धक्के मारता. निशा के चेहरे के भाव बदलने लगे थे. लगता था के वो फिर से उत्तेजित हो रही है. मैने उसके मम्मे सहलाते हुए पूछा के कैसा लग रहा है मेरी जान तो उसने अधखुली मदमस्त आँखों से मेरी ओर देखते हुए कहा के कुच्छ मत पूच्छो मैं फिर से हवा में तेर रही हूँ और मेरी चूत में खुजली फिर से बढ़ गयी है, प्लीज़ इस खुजली को मिटा दो फाड़ दो मेरी चूत को ना चूत रहे ना खुजली…….हाए मैं क्या करूँ, ह…..आ…..आ…..न, ह…..आ…..आ…..न, और ज़ोर से, और ज़ोर से. निशा की पुकार से मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और मैने पूरी ताक़त से धक्के मारने शुरू कर दिए. इतनी ज़ोर के थे के पूरा बेड ऐसे हिल रहा था जैसे भूचाल आ रहा हो. निशा धीरे-धीरे फिर चरम की ओर अग्रसर हो रही थी. मुझे भी आनंद की लहरें झाँकरीत कर रही थीं. यह सब देख रही प्रिया को भी उत्तेजना ने अपनी आगोश में ले लिया था और वो झटके से उठकर निशा के ऊपेर आई और अपनी चूत को उसके मुँह पर लगा दिया और बोली के निशा तुम्हें इतना अधिक उत्तेजित देख कर मैं भी मस्ती में भर गयी हूँ और चाहती हूँ के तुम एक बार फिर मेरी मदद करो के कुच्छ तो आनंद मुझे भी आए. निशा ने तुरंत अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चाटना शुरू कर दिया और प्रिया भी आनंद के मीठे-मीठे हिचकोले लेने लगी. दोस्तो इस तरह मैने दूसरी कमसिन किशोरी का शिकार कर लिया था दोस्तो कहानी अभी जारी है
बहुत ही बडिया लिखते हो
 
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