होली के पावन पर्व के दिन आप की यह कहानी सम्पूर्ण हुई । बहुत ही खूबसूरत कहानी थी । काफी लम्बा सफर तय किया इस कहानी ने । सरिता के भाई का बचपन में ही घर छोड़कर चले जाना.... सरिता की शादी टूट जाना... अपनी मेहनत और लगन से एक इमानदार पुलिस आफिसर बनना.... गुंडों पर कहर बनकर टूट पड़ना.... निश्छल के साथ हर समय नोंकझोंक होना.... मनिषा का हर कदम पर अपनी बड़ी बहन का साथ देना । बहुत कुछ हमें देखने को मिला और खूब मजा भी आया ।
मुझे सबसे उल्लेखनीय लगा सरिता और निश्छल के बीच घटित हुई घटनाएं जो हमेशा चेहरे पर मुस्कान ला दिया करती थी । मनिषा का कैरेक्टर , एक छोटी बहन के रूप में , बहुत बहुत खुबसूरत लगा ।
वैसे सही कहा जाए तो यह कहानी इन दो बहनों की ही थी । एक तेज तर्रार तो एक अदम्य साहस एवं कर्तव्य परायण पुलिस आफिसर ।
निश्छल का चरित्र इस कहानी का तीसरा प्रमुख स्तंभ रहा । बहुत ही सुन्दर तरीके से इस किरदार को जीवंत बनाए रखा आपने ।
इसके बाद राघव का नम्बर आता है जो इस कहानी का एक और प्रमुख किरदार था । बिन मां बाप के बच्चे से भला किसे स्नेह न हो जाए ! उसके दर्द को बड़ी ही खूबसूरती से पेश किया आपने ।
और ये चारों किरदार अंततः अपनी मंजिल तक पहुंचने में सफल रहे । सरिता की शादी निश्छल से हुई तो मनिषा ने राघव के गले में हार पहनाया ।
इसी दौरान मनिषा एक अध्यापक की नोकरी पाने में सक्षम हुई तो सरिता यू पी एस सी क्लियर कर आई पी एस बन गई ।
( सिर्फ एक जगह इस पर कुछ भ्रान्ति है । यू पी एस सी एग्जाम क्लियर करने के बाद रैंक वाइज पोस्ट सेलेक्ट होता है । बाईस रैंकिंग लेकर सरिता आई पी एस बन गई और उससे कहीं ज्यादा रैंकिंग लेकर निश्छल आई ए एस बन गया । ऐसा नहीं होता है । सबसे बेहतर रैंकिंग वाले ही आई ए एस बनते हैं । उसके बाद क्रमानुसार आई एफ एस और आई पी एस बनते हैं । आई पी एस होने का मतलब उस व्यक्ति की डायरेक्ट पोस्टिंग एज ए - एस पी या डी एस पी होगी । )
खैर , कहानी सच में , बहुत ही बढ़िया लिखा आपने माही जी । मुझे इस बात की चिंता रहती है कि आप के वैवाहिक जीवन में बंधने के बाद क्या होगा ? क्या इसी तरह आप लोगों को इन्टरनेट कर पायेगी ?
इस खुबसूरत कहानी को अपने अंतिम चरण तक पहुंचाने के लिए आप को बहुत बहुत धन्यवाद ।
एवं होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
अपडेट्स की बात करें तो हमेशा की तरह " जगमग जगमग "।