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मेरा नाम है सुमित और ये बात है 2013 के अप्रैल की जब मैंने पटना में नया नया अकाउंट्स के कोचिंग में नाम लिखवाया था....अभी तक मैं मेरी स्कूल वाली गर्लफ्रेंड के साथ रिश्ते को बनाए हुए था और मेरा माइंड बिलकुल सेट था की शादी के बंधन तक इस रिश्ते को ले के जाना है और केवल मेरा ही नही बल्कि मेरी गर्लफ्रेंड का भी....वो अभी स्कूल के लास्ट इयर (10th) में ही थी और मैंने ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर में नाम लिखवा कर बाहर से तैयारी करने का फैसला लिया और साथ ही साथ बैंक की तैयारी भी शुरू करी.....खैर ये तो हो गई जीवन को एक सही ढंग से ले कर चलने की बाते....अब आते है मेरे जीवन में आए एक ऐसे मोड़ के बारे में जो ना मैने कभी सोचा था नही कभी कल्पना की थी....पटना में कोचिंग की भरमार है और यह साधारण से दिखने वाले लौंडो को लड़की पटाने में काफी दिक्कत होती है क्युकी साधारण और कम पैसे वाला होना बहुत दिक्कत देता है क्युकी आजकल की लड़कियों को या तो हैंडसम लड़के पसंद आते है या फिर पैसे वाले लड़के भले ही दिखने में वो एक नंबर का चोमू हो.....और हमारे अंदर ये दोनो खुबिया थी पर ये किस्मत ही थी की मेरी गर्लफ्रेंड जो स्कूल टाइम से मेरे साथ थी सो अभी तक साथ थी अब ये मेरी मेहनत के लीजिए या फिर कुछ और पर जो था सो था और हम इतने में ही खुश थे.....जब अकाउंट्स की कोचिंग जानी शुरू की तो वो शाम के टाइम लगती थी घर से 3 किलोमीटर दूर आराम से फोन में हेडफोन लगा के अपनी जानेमन से गप्पे लड़ाते कोचिंग पहुंच जाते और आने वक्त भी कमोबेश यही सीन रहता....अभी कुछ दिन ही हुए होंगे कोचिंग जाते की कोचिंग में एक लड़की ने आना शुरू किया पहले ही दिन मालूम चला की बंदी पहले से नाम लिखवा रखी थी पर कुछ दिन गायब थी क्युकी तबियत गड़बड़ थी और नाम है सुगंधा....और हमारे कोचिंग में लड़किया थी टोटल दो उसको मिला कर और लड़के थे तीन इसलिए सब एक दूसरे को जानते थे ऊपर से सरकारी स्कूल के परिसर में ही हमारी क्लास लगती थी मास्टर साहब उसी में...धीरे धीरे सब सही जा रहा था एक दिन मास्टर साहब ने कहा की बैंक की फॉर्म आई है ऑनलाइन जिसको जिसको इंट्रेस्ट है वो भर दे एक बार परीक्षा में बैठ कर तो देखो की सवाल कैसे आते है इससे तुमलोगो को आइडिया हो जायेगा तो आगे चल कर काम आएगा.... सर जी ने पूछा कि कौन कौन भरेगा फॉर्म तो हमने तुरंत हा कर दी जबकि किसी और ने हामी नही भरी खैर उस दिन छुट्टी हुई और सब आपस में बात करते निकल रहे थे की तभी पीछे से मुझे सुगंधा ने आवाज दी और कहा की मैं उसे अपना नंबर दू बाकी बाते वो फोन पे बतलाएगी मैने उससे पूछा की क्या बात है बतला दो ना फोन की क्या जरूरत है रोज तो मिलते ही है हम तब उसने बताया की उसकी एक बड़ी बहन है पूजा जो की ग्रेजुएशन फाइनल इयर में है और वो भी बैंक की तैयारी करती है तो जिस फॉर्म के बारे में मास्टर जी बतला रहे थे तुम उनको भी बतला देना ना ताकि वो भी फॉर्म भर देंगी....तो मैंने उसको अपना नंबर दे दिया और घर आ गया....रात के समय तकरीबन 8 बजे मेरा फोन बजा जब मैं उठाया तो वो सुगंधा थी उसने बताया की ये दीदी का नंबर है सो लो उनसे बात कर के सब बाते समझा दो....जब मैंने उसकी बहन से बाते शुरू की तो मैं उनको दीदी ही बोल के संबोधित कर रहा था क्युकी एक तो वो उमर में बड़ी और दोस्त की बहन थी....खैर हमारी बाते तकरीबन आधे घंटे हुई और उस दरमियान हमलोग में बैंकिंग की तैयारी को ले कर ही बाते हुई और काफी कुछ समान रूप से हमदोनो कर रहे थे तो बढ़िया लगा क्युकी मेरे फ्रेंड ग्रुप में कोई भी साला तैयारी के लाइन में नही था सिवाय मुझे छोड़ कर तो ये नया नया इंटरेस्टेड पर्सन मुझे अच्छा लगा क्युकी काफी कुछ डिस्कस करने के बाद मुझे मालूम चला की उनकी भी तैयारी अच्छी है और मेरी अभी होनी बाकी है जिसमे उनकी काफी मदद मैं ले सकता था......उसी हफ्ते के सन्डे के दिन हमलोगो ने फॉर्म भरने का प्लान बनाया और बताए दिन तय समय पे पहुंच गए साइबर कैफे फॉर्म भरने.....जब सुगंधा के साथ पूजा दी से मेरा सामना हुआ तो मुझे अजीब सी चुनचुनाहट महसूस हुई पता नही क्यों पर ये अजीब सा एहसास अच्छा लगा शायद ऐसा इसलिए था क्युकी बैंकिंग की पढ़ाई करने के लिए एक नए क्लासमेट जैसा कोई मिल गया था पर फिर उस आबो हवा के साए से बाहर आ कर वो किया जो करने के लिए हम आए थे......हमने फॉर्म भरा फॉर्म और हमने झारखंड सर्कल से अप्लाई किया था जिसका सेंटर रांची दिया और फॉर्म भरने के बाद वो दोनो बहने अपने घर की तरफ चल दी जबकि मैं गांधी मैदान के किताब मंडी गया कुछ खास किताबो को खरीदने जो मुझे पूजा दी ने ही बताए थे ताकि उनसे अपनी तैयारी को और जल्दी से मजबूत कर पाऊं....इस बीच अपनी पढ़ाई लिखाई मेरा और मेरी गर्लफ्रेंड का ताना बाना सब चलता रहा सब सही था कोई दिक्कत नही और इन कुछ दिनों के अंतराल में मैं सुगंधा के घर से भी आने जाने लगा सुगंधा के पापा जो की एक किराने की दुकान चलाते थे और मां थी एक भाई था वो भी लगभग लगभग हमसब के उमर का ही था पर वो पढ़ने में कम दुकान में ध्यान ज्यादा लगाता था....सुगंधा के घर में मेरे आने जाने को ले कर किसी को कोई परेशानी नहीं थी क्युकी किसी के सामने आप अपने हाव भाव कैसे रखते है कैसे पेश आते है वो आपके आचरण को दर्शाती है और मेरे मन में कोई भी गलत भाव तो थे नही तो निगेटिव मार्किंग का कोई सवाल ही नहीं बनता था......
अभी एक और बात से आप सब को मुखातिब कराता हुआ चलता हु की मेरे घर में मैं मेरी मां और पापा है पापा की कपड़े की दुकान है और मां गृहणी है...मेरा एक भाई दूसरे शहर में बैंक में नौकरी करता था और उसी के आदेशानुसार हम भी लगे थे बैंकिंग की तैयारी में....एक बड़ा भाई पटना में ही दूसरा मकान बना कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता है और पापा के साथ दुकान में हाथ बटाता है मेरी दो बहने है जिनकी शादी हो चुकी है और वो भी पटना में ही है समय समय पर वो भी घर आती है...........
और मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम माधुरी है उसका घर मेरे घर से 2 मिनट की दूरी पे था या ये कह लीजिए हम एक ही मुहल्ले से थे इसीलिए हमारा प्यार स्कूल से ही परवान चढ़ चुका था.... उससे मेरे शारीरिक संबंध थे पर वैसे वाले नही जैसा की पति पत्नी में होता है कुछ बंधन थे जिसको हम दोनो ने अपने लिए बांध कर रखा था.....ओरल सेक्स और कडलिंग तक हम लोग सीमित थे जब कभी मेरे घर पे कोई नही रहता कभी मां कही पड़ोस में या कही और गई होती थी तो स्कूल से बंक करवा के मैं अपनी माधुरी को अपने घर ले आता और फिर घंटो तक अपने कई दिनों की प्यास को ऊपर ऊपर से बुझाते....ऐसा नहीं था की मेरा मन नहीं होता था या उसका नही होता था पर ये अपने अपने बीच की एक सीमा थी जिसको लांघना खतरनाक हो सकता था क्युकी बच्चा ठहरने और अबॉर्शन के नाम से हम दोनो की गांड़ फटती थी....मुझे चिकनी चूत पसंद है मुझे सर के अलावा कही और बालो का होना बहुत खलता है इसलिए मेरी जान हमेशा अपनी मुनिया को सफाचट रखती और खास कर उस दिन जिस दिन हमे मिलना होता था.......मजे से जीवन कट रहा था और माधुरी को मैंने पूजा दी के बारे में बता रखा था इसलिए शक की कोई गुंजाइश कभी रही ही नही हमदोनों में.....
अब आते है वर्तमान समय में जो फॉर्म हमने भरा था उसका एडमिट कार्ड आ गया था और साला दिक्कत कहा आई की मेरा एग्जाम और पूजा दी का एग्जाम अलग अलग दिन था मतलब मेरा एग्जाम शनिवार को और उनका रविवार को....ये बड़ी समस्या हो गई थी क्युकी रांची जाने के लिए बेस्ट ऑप्शन था रात की गाड़ी से पटना से निकलो सुबह पहुंचो एग्जाम दो और उसी दिन रात वाली गाड़ी से रांची से निकलो सुबह अपने घर पर अब यहां समस्या ये आ गई थी की हमें रुकना होगा और उसपे सोने पे सुहागा ये की पूजा दी का एग्जाम लास्ट शिफ्ट में था जिसके कारण उस दिन की रात वाली गाड़ी तो पकड़ नही सकते थे इसलिए उसके अगले दिन यानि सोमवार को दोपहर वाली गाड़ी थी जिसको पकड़ एक हमलोग रात तक पटना आ जाते.....खैर मेरे घर में मैने ये बात बताई तो मां ने कहा की कोई बात नही एग्जाम बढ़िया से दे के आओ साथ में उनका भी दिलवा देना ( पूजा दी का) जब उन्होंने तुम्हारी मदद की है तो तुम उनकी कर दो.......
अब बेचारी पूजा दी क्या करे ना करे कुछ समझ में ना आए क्युकी तीन दिन रुकने में उनके घर में दिक्कत थी अनजान शहर में सुरक्षित नही लग रहा था उनको..... फिर हम पूजा दी के पापा से बात कर के सब कुछ प्लान कर के समझाए और फिर हम लोगो ने अपनी टिकटे करा ली यहां से शुक्रवार की.....
बस ये .....ये जो टिकटे मैने करवाई थी ना यही बनेंगी उस UNEXPECTED रिश्ते का मोड़ जो ना मैने सोचा था ना ही पूजा दी ने नाही किसी और ने......
अभी एक और बात से आप सब को मुखातिब कराता हुआ चलता हु की मेरे घर में मैं मेरी मां और पापा है पापा की कपड़े की दुकान है और मां गृहणी है...मेरा एक भाई दूसरे शहर में बैंक में नौकरी करता था और उसी के आदेशानुसार हम भी लगे थे बैंकिंग की तैयारी में....एक बड़ा भाई पटना में ही दूसरा मकान बना कर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता है और पापा के साथ दुकान में हाथ बटाता है मेरी दो बहने है जिनकी शादी हो चुकी है और वो भी पटना में ही है समय समय पर वो भी घर आती है...........
और मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम माधुरी है उसका घर मेरे घर से 2 मिनट की दूरी पे था या ये कह लीजिए हम एक ही मुहल्ले से थे इसीलिए हमारा प्यार स्कूल से ही परवान चढ़ चुका था.... उससे मेरे शारीरिक संबंध थे पर वैसे वाले नही जैसा की पति पत्नी में होता है कुछ बंधन थे जिसको हम दोनो ने अपने लिए बांध कर रखा था.....ओरल सेक्स और कडलिंग तक हम लोग सीमित थे जब कभी मेरे घर पे कोई नही रहता कभी मां कही पड़ोस में या कही और गई होती थी तो स्कूल से बंक करवा के मैं अपनी माधुरी को अपने घर ले आता और फिर घंटो तक अपने कई दिनों की प्यास को ऊपर ऊपर से बुझाते....ऐसा नहीं था की मेरा मन नहीं होता था या उसका नही होता था पर ये अपने अपने बीच की एक सीमा थी जिसको लांघना खतरनाक हो सकता था क्युकी बच्चा ठहरने और अबॉर्शन के नाम से हम दोनो की गांड़ फटती थी....मुझे चिकनी चूत पसंद है मुझे सर के अलावा कही और बालो का होना बहुत खलता है इसलिए मेरी जान हमेशा अपनी मुनिया को सफाचट रखती और खास कर उस दिन जिस दिन हमे मिलना होता था.......मजे से जीवन कट रहा था और माधुरी को मैंने पूजा दी के बारे में बता रखा था इसलिए शक की कोई गुंजाइश कभी रही ही नही हमदोनों में.....
अब आते है वर्तमान समय में जो फॉर्म हमने भरा था उसका एडमिट कार्ड आ गया था और साला दिक्कत कहा आई की मेरा एग्जाम और पूजा दी का एग्जाम अलग अलग दिन था मतलब मेरा एग्जाम शनिवार को और उनका रविवार को....ये बड़ी समस्या हो गई थी क्युकी रांची जाने के लिए बेस्ट ऑप्शन था रात की गाड़ी से पटना से निकलो सुबह पहुंचो एग्जाम दो और उसी दिन रात वाली गाड़ी से रांची से निकलो सुबह अपने घर पर अब यहां समस्या ये आ गई थी की हमें रुकना होगा और उसपे सोने पे सुहागा ये की पूजा दी का एग्जाम लास्ट शिफ्ट में था जिसके कारण उस दिन की रात वाली गाड़ी तो पकड़ नही सकते थे इसलिए उसके अगले दिन यानि सोमवार को दोपहर वाली गाड़ी थी जिसको पकड़ एक हमलोग रात तक पटना आ जाते.....खैर मेरे घर में मैने ये बात बताई तो मां ने कहा की कोई बात नही एग्जाम बढ़िया से दे के आओ साथ में उनका भी दिलवा देना ( पूजा दी का) जब उन्होंने तुम्हारी मदद की है तो तुम उनकी कर दो.......
अब बेचारी पूजा दी क्या करे ना करे कुछ समझ में ना आए क्युकी तीन दिन रुकने में उनके घर में दिक्कत थी अनजान शहर में सुरक्षित नही लग रहा था उनको..... फिर हम पूजा दी के पापा से बात कर के सब कुछ प्लान कर के समझाए और फिर हम लोगो ने अपनी टिकटे करा ली यहां से शुक्रवार की.....
बस ये .....ये जो टिकटे मैने करवाई थी ना यही बनेंगी उस UNEXPECTED रिश्ते का मोड़ जो ना मैने सोचा था ना ही पूजा दी ने नाही किसी और ने......