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दोनो कोई लेटे हुए थे और सामने टीवी चल रहा था पर साला मेरा ध्यान पूजा दी की चूत पे था और दूसरी तरफ मेरा लंड महाराज अलग ही उधम मचाए हुए था मुझे मूठ मारने की बहुत ज्यादा तलब लगी थी क्युकी कल रात से मेरे लौड़े में पूजा दी की चूत ने आग लगा रखी थी जिसकी तपिश से मेरे टट्टो में दर्द होने लगा था बेहेंचोद कुछ समझ नही आ रहा था क्या करू फिर सोचा अगर कुछ ना भी हुआ तो रात में बाथरूम में मूठ मार लूंगा जा कर क्युकी कुछ भी कर लूं लौड़े की आग के आगे बेबस ही था मैं......इधर पूजा दी कुछ देर बाद बोली की दवाई खा लेती हु और क्रीम का रहने देते है ठीक हो जायेगा कल तक वैसे भी काफी आराम है अब.....
तभी हम पूजा दी से बोले की क्रीम लगा लीजिए एक रात में कुछ नही जा रहा आपका और अगर कल तक आपके उस चोट में बहुत हद तक आराम हो जायेगा तो आप एग्जाम आराम से दे पाएंगी क्योंकि वहा तो आप जींस में ही जायेगा ना या फिर कोई सलवार सूट लाई है अपने साथ वो बोली की हा लाई हु और कल वही पहन कर चली जाऊंगी एग्जाम देने वो टाइट नही है ना सही रहेगा.....फिर हम उठ कर उनके बेड साइड में गए और पास में रखे दवाई को उनको खाने को दिया और बाकी वापिस रख कर क्रीम हाथ में ले लिया और एक हाथ से पानी का ग्लास उनको दिया.....उन्होंने ने दवाई तुरंत गटक ली और बोली की क्रीम रहने देते है ना.....हम उनको कुछ बोले नही बस उनके तरफ देखते रहे.......वो मेरी मनोदशा समझते हुए फिर बोली की तू अब टेंशन मत ले ठीक है हम......और कल एग्जाम भी अच्छा ही जायेगा पूरी कोशिश करूंगी की इधर उधर ध्यान ना जाए...........
हम कुछ बोले नही और वैसे ही खड़े रहे.....और एक टक से पूजा दी को देखते रहे ऐसा लग रहा था जैसे हम उनको नंगी होने के लिए बोल रहे है......और वो होने में शंकित हो रही थी.......फिर अचानक से पूजा दी खड़ी हुई और अपना पैंट नीचे उतार दी पूरा और वापिस से बेड पे बैठ गई और हम चुप चाप क्रीम को अपने हाथो पे निकालने लगे......वो अब लेट गई थी और हम क्रीम ले कर अपने बेड के साइड से बेड पे चढ़े और पूजा दी के चूत के पास झुक गए......झुकते के साथ मेरे नाक में वही मदहोश कर देने वाली चूत की खुशबू घुस गई और सारा सिस्टम मेरा हैंग हो गया और उसके बाद मैने क्रीम की जगह उनकी चूत पे अपना मुंह लगा दिया......
अब पूजा दी के हाल क्या बताऊं वो तो मेरे सामने नंगी होने के एहसास से ही गीली थी और रही सही कसर मेरे होठों और जीभ के स्पर्श ने कर दिया.......अब क्रीम गया भाड़ में और मैं एकदम एक आइसक्रीम की भांति उनकी चिकनी चूत को चाटे जा रहा था नतीजतन पूजा दी भी अब मेरे लय में आ चुकी थी और अपने चूतड उठा उठा कर मेरे मुंह पे अपनी चूत दबा रही थी और हाथ मेरे सर में फेर रही थी कभी कभी जब मेरी जुबान उनके जी स्पॉट से टकराती तो वो बालो को नोच डालती......पर उस उठ रहे तूफान में ये सब कुछ मायने नही रखता था....अब आलम ये था की ही पूजा दी के टांगों को मोड़ कर उनके बीच आ गए थे और आराम से लेट कर पूजा दी की चूत को चाटे जा रहे थे......और पूजा दी के बदन की ऐंठन देखने से लग रहा था की बंदी कभी भी झड़ सकती है और तभी हम उनके टॉप की तरफ बढ़े और दोनो हाथो से टॉप के ऊपर से ही उनकी चूचियों को धर दबोचा...... आह क्या एहसास था वो....इस वक्त माधुरी गई मां चुदाने......बचपन का प्यार भूल गया था मैं.....और इधर पूजा दी हमको अपने ऊपर खींच ली और एक गहरा स्मूच हम दोनो में होने लगा......पागलपन के हद वाली चुम्मा चाटी चल रही थी हम दोनो में.....तकरीबन 10 मिनट तक घमासान चुसाई चटायी के बाद हम अलग हुए और सासो को काबू करने लगे......पर ये तूफान अभी थमने वाला तो था नही..........
पूजा दी नीचे से नंगी थी और हम ऊपर सिर्फ एक बनियान में थे.....जो अब ही उतार चुके थे और पूजा दी की तरफ फिर से बढ़े और पूजा मेरी तरफ बढ़ी......एक झटके में हम उनका टॉप उतार फेंके.....पिछले 20 घंटो से जो लड़की अधनंगी अवस्था में मेरे साथ रह रही थी अभी वो पूरी नंगी हो कर मेरे सामने बैठी थी......अब मैं पूजा दी के ऊपर चढ़ कर उनके पेशानी उनकी गर्दन चेहरे सब जगह चूमने लगा और बस सिसकियां भरते जा रही थी.....अब उनको भी खुद को रोक पाना नामुमकिन लग रहा था वरना अब तक वो रुकना चाहती तो रुक सकती थी पर अब नही........अब मैंने एक हाथ से अपने लंड महाराज को आजाद किया और अब दोनो बदन पूर्ण रूप से नंगी अवस्था में चिपटे पड़े थे आज पूजा दी मेरी पीठ पे अपने नाखून से गड़ा कर कभी पूरी पीठ चूतड़ों तक सहला कर मेरे हर प्रहार में साथ दे रही थी.....मन में अब मैंने भी सोच लिया था की आज सुहागरात मना ही लेनी है.......यही हाल अब पूजा दी का भी था.....अब ना तो उनकी चूत की चोट उनको याद थी ना ही ये की मैं उनको दी बुलाता हु....याद था तो बस ये की आज अपना अपना कौमार्य भंग कर ही लेना है.......
चूमते चूमते मैं उनके चूचियों से होता हुआ पेट की तरफ से नीचे उनकी नाभि तक आया और माधुरी के साथ हर वो किया गया मेरा कर्मकांड यहां मुझे पूजा दी पे अपनी पकड़ बनाने में कारगर साबित हो रहा था पर पूजा दी बिलकुल अनाड़ी थी वो बस आंखे बंद किए मुंह से सिसकियां लेते जा रही थी और हाथो से मेरे बदन को सहलाए जा रही थी.......नाभि जो मैने चूसी है वो तो डबल इंजन का काम किया पूजा की सिसकियां अब तेज हो गई थी मैने अभी थोड़ा और टाइम देने का सोचा......और एक बार फिर से उसकी चूत पे मुंह लगा दिया पिछली बार वो झड़ी नही थी इसलिए इस बार वो ज्यादा उत्तेजित थी पहले के मुकाबले.....चूत तो एकदम झरने के तरफ बह रही थी बाबा......और तो और इस बार पूजा दी की चूत को ऊपर उठा के ऐसे पोजिशन में कर के चूसा जिससे मैं उनके चूतड के छेद को भी चेप रहा था और ये मार वो सहन नही कर पाई और फव्वारे के तरह फुट पड़ी और बंदी ने जो सोमरस की बरसात की है मेरे पूरे चेहरे को भर दिया......पर अभी असली काम बाकी था मैने मेरे लंड महाराज को उनकी खुली चूत के दरार में रगड़ना शुरू किया.....और पूजा दी अपना सर इधर उधर घुमा घुमा के बस पागल हुए जा रही थी.....जैसे उसकी जान किसी हलक में अटकी पड़ी हो और वो बस निकालना चाह रही थी चाहे वो कैसे भी हों........
और अभी मेरा भी पहला टाइम था और उनका भी इसलिए लंड को रगड़ने के बाद मैने एक बार फिर उनकी चूत को अपने हाथो से चुभलाना शुरू किया और एक उंगली उनकी कसी हुई चूत में घुसा दी और बेचारी पूजा दी फिर से झड़ने लगी......उफ्फ क्या मंजर था मेरी उंगली उनकी चूत में धसी पड़ी थी और वो झर झर झरने के माफिक बहते जा रही थी......अब पूजा दी के शरीर में ताकत कम बची थी पर मेरी उंगली घुसाने के वजह से वो बोली की सुमित प्लीज उसे बाहर निकाल ले दर्द हो रहा है.....मैने उनको बस चुप रहना का इशारा किया और वापिस से अपना मुंह उनकी चूत में घुसा दिया.....उंगली के साथ साथ मुंह का वार दोहरी मार से वो फिर से मदहोश होने लगी.....
और परिणामस्वरूप चूतड उठा उठा कर मेरी उंगली को ज्यादा से ज्यादा अपने अंदर लेना चाह रही थी......मैने भी मौका देख के दो उंगली घुसा दी और अब उनकी चूत मेरे उंगलियों के अभ्यस्त हो चुकी थी इतना रास्ता काफी था मेरे लंड को अपनी पहली गुफा दर्शन के लिए.....
मैं पूजा दी के ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को मुंह में ले लिया......क्युकी अभी मैने इन संतरो का रस तो पिया ही नही था और जब मैंने उनकी दोनो चुचियों को जोड़ कर आपस में दोनो निप्पल एक साथ मुंह में लिया तो पूजा दी एकदम आउट ऑफ कंट्रोल हो गई मेरे बालो को जोर जोर से खींचने लगी जैसे कह रही हो खा जाओ इन चुचियों को मेरे निप्पल को चबा जाओ.....और उनके आज तक की अनछुई जवानी का जो रसपान मैने किया था शायद पूजा दी ने सोचा भी नही होगा की कोई ऐसा उनकी इस जवानी को लूटेगा जिसे वो अपना भाई समान मानती थी.........मैं एकदम पागलों जैसे उनकी चूचियों का रसपान तकरीबन 10 मिनट से ज्यादा समय तक करता रहा और इधर मेरा लंड महाराज पूजा दी की मुनिया पे अपना सिर मार मार के उसको अपने आगोश में लेने को आतुर था.......मैं अब उनके चूत में लंड डालने के लिए अपने घुटनों के बल आ कर चूत के मुहाने पे सेट करने लगा एक लंबी सी थूक उनकी चूत पे और अपने लंड पे लगाई और लंड का दबाव बनाना शुरू किया.......पूजा दी आने वाले लम्हे को सोच कर अपने हाथो को मेरे सीने पे रख के मुझेसे दूर होने के लिए एक ढाल तैयार कर चुकी थी पर अब उनकी मुनिया पे आक्रमण हो चला था और मेरा लंड उनकी चूत में थोड़ा सा घुस गया जिसका असर ये हुआ की मेरी भी दर्द के मारे गांड़ फट गई और पूजा दी तो एक लंबे सुर में आह आह आह आआह्ह्हह्ह कर के मुझे धकेलने लगी पर अब मैंने भी हिम्मत जुटाई और एक अच्छा खासा ताकतवर धक्का लगाया और नतीजतन मेरी और उनकी दोनो की चीख से कमरा गूंज गया......एक पल को लगा की मेरा लंड गया कुछ है ही नही एकदम सुन्न हो गया था और पूजा दी के आंखो से आसुओं की धारा फूट चुकी थी पर उन्होंने अपने होठों को आपस में ज़ोर से दबा रखा था और दर्द सहने की कोशिश में लगी थी कुछ सेकंड्स के लिए दर्द को अपने काबू में किया और फिर एक और झटका लगाया और इस बार पूरा लंड पूजा दी की चूत में समा गया और बेचारी पूजा दी ने ऐसी प्रतिक्रिया दी जैसे उनकी सांसे अटक गई हो और अपने बदन को हवा में उठा दिया इस समय बिस्तर पे केवल उनेका सर था बाकी सब हवा में......और मैं अपने लंड में एक शदीद लहर का अनुभव करते हुए भी घुसाए पड़ा रहा ताकि दोनो शांत हो जाए......
अब जिस मुकाम पे हम दोनो आ चुके थे वहा से पीछे हटना नामुमकिन था और फिर कुछ देर की शांति के बाद मैने अपना लन्ड वापिस से बाहर की ओर खींचने का प्रयास किया पर दर्द था की वापिस से अपने शबाब पे आ गया था पर अब ना मैं रुक सकता था ना ही पूजा दी इसलिए मैं उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया और दोनो हाथो में उनकी चूचियों को पकड़ के अपना लन्ड बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला.....इस बार पूजा दी फिर से सिसकी और मुंह से धीमी आवाज निकली बस बस अब निकाल ले इसको प्लीज.....हम उनको आंखो से इशारा ही कर के बोले की सबर कर ले अब दर्द नही होगा भरोसा रख......और फिर एक बार अंदर जड़ तक अपना लन्ड उनकी चूत में ठोक दिया......बेचारी इस बार भी कसमसा कर रह गई पर मुझे अब दूर नहीं धकेल रही थी बल्कि दर्द को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी.....
और फिर शुरू हुआ तबरतोड अंदर बाहर होने का सिलसिला......बड़ा ही हसीन लम्हा था ये जब मैं उनके अंदर होता तो वो मुझे चूमने की कोशिश करती और ये कोशिश उनकी दो बार नाकाम रही थी क्युकी दर्द अभी भी अपने काम में लगा था साला ये जाने का नाम ही नहीं ले रहा था......इसलिए अब मैं उनपे वापिस से लेट कर केवल कमर हिलाना शुरू किया और इधर ऊपर से चूमना चाटना शुरू इस बार पूजा दी काफी जोरो शोरो से चूम रही थी.....आह क्या मंजर था पूजा दी का बार बार मेरे होठों को काटना और मेरा उनके जीभ से अपनी जीभ लड़ाना......ऊपर हम दोनो के मुंह में जीभ लड़ रहे थे नीचे उनकी मुनिया से मेरा लंड......ये सिलसिला अगले 15 मिनट से ज्यादा समय तक चला और अब हम दोनो अपने अंतिम चरण.....स्खलन की ओर बढ़ चले थे......और कुछ ही पलों में पूजा दी ओह उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह कर के झड़ने लगी और हम अपना लन्ड बाहर निकाल कर उनके पेट पे झड़ गए.....काफी ज्यादा मात्रा में मेरा मुठ निकला था पूरा पेट पे उनके फैल गया था वो इसलिए क्युकी कल रात से बार बार लंड टाइट हो कर खुद ही ढीला हो रहा था.......चुदने के बाद पूजा दी के चेहरे पे एक सुकून भरा एहसास था पर शर्मा वो अब भी रही थी.......
तभी हम पूजा दी से बोले की क्रीम लगा लीजिए एक रात में कुछ नही जा रहा आपका और अगर कल तक आपके उस चोट में बहुत हद तक आराम हो जायेगा तो आप एग्जाम आराम से दे पाएंगी क्योंकि वहा तो आप जींस में ही जायेगा ना या फिर कोई सलवार सूट लाई है अपने साथ वो बोली की हा लाई हु और कल वही पहन कर चली जाऊंगी एग्जाम देने वो टाइट नही है ना सही रहेगा.....फिर हम उठ कर उनके बेड साइड में गए और पास में रखे दवाई को उनको खाने को दिया और बाकी वापिस रख कर क्रीम हाथ में ले लिया और एक हाथ से पानी का ग्लास उनको दिया.....उन्होंने ने दवाई तुरंत गटक ली और बोली की क्रीम रहने देते है ना.....हम उनको कुछ बोले नही बस उनके तरफ देखते रहे.......वो मेरी मनोदशा समझते हुए फिर बोली की तू अब टेंशन मत ले ठीक है हम......और कल एग्जाम भी अच्छा ही जायेगा पूरी कोशिश करूंगी की इधर उधर ध्यान ना जाए...........
हम कुछ बोले नही और वैसे ही खड़े रहे.....और एक टक से पूजा दी को देखते रहे ऐसा लग रहा था जैसे हम उनको नंगी होने के लिए बोल रहे है......और वो होने में शंकित हो रही थी.......फिर अचानक से पूजा दी खड़ी हुई और अपना पैंट नीचे उतार दी पूरा और वापिस से बेड पे बैठ गई और हम चुप चाप क्रीम को अपने हाथो पे निकालने लगे......वो अब लेट गई थी और हम क्रीम ले कर अपने बेड के साइड से बेड पे चढ़े और पूजा दी के चूत के पास झुक गए......झुकते के साथ मेरे नाक में वही मदहोश कर देने वाली चूत की खुशबू घुस गई और सारा सिस्टम मेरा हैंग हो गया और उसके बाद मैने क्रीम की जगह उनकी चूत पे अपना मुंह लगा दिया......
अब पूजा दी के हाल क्या बताऊं वो तो मेरे सामने नंगी होने के एहसास से ही गीली थी और रही सही कसर मेरे होठों और जीभ के स्पर्श ने कर दिया.......अब क्रीम गया भाड़ में और मैं एकदम एक आइसक्रीम की भांति उनकी चिकनी चूत को चाटे जा रहा था नतीजतन पूजा दी भी अब मेरे लय में आ चुकी थी और अपने चूतड उठा उठा कर मेरे मुंह पे अपनी चूत दबा रही थी और हाथ मेरे सर में फेर रही थी कभी कभी जब मेरी जुबान उनके जी स्पॉट से टकराती तो वो बालो को नोच डालती......पर उस उठ रहे तूफान में ये सब कुछ मायने नही रखता था....अब आलम ये था की ही पूजा दी के टांगों को मोड़ कर उनके बीच आ गए थे और आराम से लेट कर पूजा दी की चूत को चाटे जा रहे थे......और पूजा दी के बदन की ऐंठन देखने से लग रहा था की बंदी कभी भी झड़ सकती है और तभी हम उनके टॉप की तरफ बढ़े और दोनो हाथो से टॉप के ऊपर से ही उनकी चूचियों को धर दबोचा...... आह क्या एहसास था वो....इस वक्त माधुरी गई मां चुदाने......बचपन का प्यार भूल गया था मैं.....और इधर पूजा दी हमको अपने ऊपर खींच ली और एक गहरा स्मूच हम दोनो में होने लगा......पागलपन के हद वाली चुम्मा चाटी चल रही थी हम दोनो में.....तकरीबन 10 मिनट तक घमासान चुसाई चटायी के बाद हम अलग हुए और सासो को काबू करने लगे......पर ये तूफान अभी थमने वाला तो था नही..........
पूजा दी नीचे से नंगी थी और हम ऊपर सिर्फ एक बनियान में थे.....जो अब ही उतार चुके थे और पूजा दी की तरफ फिर से बढ़े और पूजा मेरी तरफ बढ़ी......एक झटके में हम उनका टॉप उतार फेंके.....पिछले 20 घंटो से जो लड़की अधनंगी अवस्था में मेरे साथ रह रही थी अभी वो पूरी नंगी हो कर मेरे सामने बैठी थी......अब मैं पूजा दी के ऊपर चढ़ कर उनके पेशानी उनकी गर्दन चेहरे सब जगह चूमने लगा और बस सिसकियां भरते जा रही थी.....अब उनको भी खुद को रोक पाना नामुमकिन लग रहा था वरना अब तक वो रुकना चाहती तो रुक सकती थी पर अब नही........अब मैंने एक हाथ से अपने लंड महाराज को आजाद किया और अब दोनो बदन पूर्ण रूप से नंगी अवस्था में चिपटे पड़े थे आज पूजा दी मेरी पीठ पे अपने नाखून से गड़ा कर कभी पूरी पीठ चूतड़ों तक सहला कर मेरे हर प्रहार में साथ दे रही थी.....मन में अब मैंने भी सोच लिया था की आज सुहागरात मना ही लेनी है.......यही हाल अब पूजा दी का भी था.....अब ना तो उनकी चूत की चोट उनको याद थी ना ही ये की मैं उनको दी बुलाता हु....याद था तो बस ये की आज अपना अपना कौमार्य भंग कर ही लेना है.......
चूमते चूमते मैं उनके चूचियों से होता हुआ पेट की तरफ से नीचे उनकी नाभि तक आया और माधुरी के साथ हर वो किया गया मेरा कर्मकांड यहां मुझे पूजा दी पे अपनी पकड़ बनाने में कारगर साबित हो रहा था पर पूजा दी बिलकुल अनाड़ी थी वो बस आंखे बंद किए मुंह से सिसकियां लेते जा रही थी और हाथो से मेरे बदन को सहलाए जा रही थी.......नाभि जो मैने चूसी है वो तो डबल इंजन का काम किया पूजा की सिसकियां अब तेज हो गई थी मैने अभी थोड़ा और टाइम देने का सोचा......और एक बार फिर से उसकी चूत पे मुंह लगा दिया पिछली बार वो झड़ी नही थी इसलिए इस बार वो ज्यादा उत्तेजित थी पहले के मुकाबले.....चूत तो एकदम झरने के तरफ बह रही थी बाबा......और तो और इस बार पूजा दी की चूत को ऊपर उठा के ऐसे पोजिशन में कर के चूसा जिससे मैं उनके चूतड के छेद को भी चेप रहा था और ये मार वो सहन नही कर पाई और फव्वारे के तरह फुट पड़ी और बंदी ने जो सोमरस की बरसात की है मेरे पूरे चेहरे को भर दिया......पर अभी असली काम बाकी था मैने मेरे लंड महाराज को उनकी खुली चूत के दरार में रगड़ना शुरू किया.....और पूजा दी अपना सर इधर उधर घुमा घुमा के बस पागल हुए जा रही थी.....जैसे उसकी जान किसी हलक में अटकी पड़ी हो और वो बस निकालना चाह रही थी चाहे वो कैसे भी हों........
और अभी मेरा भी पहला टाइम था और उनका भी इसलिए लंड को रगड़ने के बाद मैने एक बार फिर उनकी चूत को अपने हाथो से चुभलाना शुरू किया और एक उंगली उनकी कसी हुई चूत में घुसा दी और बेचारी पूजा दी फिर से झड़ने लगी......उफ्फ क्या मंजर था मेरी उंगली उनकी चूत में धसी पड़ी थी और वो झर झर झरने के माफिक बहते जा रही थी......अब पूजा दी के शरीर में ताकत कम बची थी पर मेरी उंगली घुसाने के वजह से वो बोली की सुमित प्लीज उसे बाहर निकाल ले दर्द हो रहा है.....मैने उनको बस चुप रहना का इशारा किया और वापिस से अपना मुंह उनकी चूत में घुसा दिया.....उंगली के साथ साथ मुंह का वार दोहरी मार से वो फिर से मदहोश होने लगी.....
और परिणामस्वरूप चूतड उठा उठा कर मेरी उंगली को ज्यादा से ज्यादा अपने अंदर लेना चाह रही थी......मैने भी मौका देख के दो उंगली घुसा दी और अब उनकी चूत मेरे उंगलियों के अभ्यस्त हो चुकी थी इतना रास्ता काफी था मेरे लंड को अपनी पहली गुफा दर्शन के लिए.....
मैं पूजा दी के ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को मुंह में ले लिया......क्युकी अभी मैने इन संतरो का रस तो पिया ही नही था और जब मैंने उनकी दोनो चुचियों को जोड़ कर आपस में दोनो निप्पल एक साथ मुंह में लिया तो पूजा दी एकदम आउट ऑफ कंट्रोल हो गई मेरे बालो को जोर जोर से खींचने लगी जैसे कह रही हो खा जाओ इन चुचियों को मेरे निप्पल को चबा जाओ.....और उनके आज तक की अनछुई जवानी का जो रसपान मैने किया था शायद पूजा दी ने सोचा भी नही होगा की कोई ऐसा उनकी इस जवानी को लूटेगा जिसे वो अपना भाई समान मानती थी.........मैं एकदम पागलों जैसे उनकी चूचियों का रसपान तकरीबन 10 मिनट से ज्यादा समय तक करता रहा और इधर मेरा लंड महाराज पूजा दी की मुनिया पे अपना सिर मार मार के उसको अपने आगोश में लेने को आतुर था.......मैं अब उनके चूत में लंड डालने के लिए अपने घुटनों के बल आ कर चूत के मुहाने पे सेट करने लगा एक लंबी सी थूक उनकी चूत पे और अपने लंड पे लगाई और लंड का दबाव बनाना शुरू किया.......पूजा दी आने वाले लम्हे को सोच कर अपने हाथो को मेरे सीने पे रख के मुझेसे दूर होने के लिए एक ढाल तैयार कर चुकी थी पर अब उनकी मुनिया पे आक्रमण हो चला था और मेरा लंड उनकी चूत में थोड़ा सा घुस गया जिसका असर ये हुआ की मेरी भी दर्द के मारे गांड़ फट गई और पूजा दी तो एक लंबे सुर में आह आह आह आआह्ह्हह्ह कर के मुझे धकेलने लगी पर अब मैंने भी हिम्मत जुटाई और एक अच्छा खासा ताकतवर धक्का लगाया और नतीजतन मेरी और उनकी दोनो की चीख से कमरा गूंज गया......एक पल को लगा की मेरा लंड गया कुछ है ही नही एकदम सुन्न हो गया था और पूजा दी के आंखो से आसुओं की धारा फूट चुकी थी पर उन्होंने अपने होठों को आपस में ज़ोर से दबा रखा था और दर्द सहने की कोशिश में लगी थी कुछ सेकंड्स के लिए दर्द को अपने काबू में किया और फिर एक और झटका लगाया और इस बार पूरा लंड पूजा दी की चूत में समा गया और बेचारी पूजा दी ने ऐसी प्रतिक्रिया दी जैसे उनकी सांसे अटक गई हो और अपने बदन को हवा में उठा दिया इस समय बिस्तर पे केवल उनेका सर था बाकी सब हवा में......और मैं अपने लंड में एक शदीद लहर का अनुभव करते हुए भी घुसाए पड़ा रहा ताकि दोनो शांत हो जाए......
अब जिस मुकाम पे हम दोनो आ चुके थे वहा से पीछे हटना नामुमकिन था और फिर कुछ देर की शांति के बाद मैने अपना लन्ड वापिस से बाहर की ओर खींचने का प्रयास किया पर दर्द था की वापिस से अपने शबाब पे आ गया था पर अब ना मैं रुक सकता था ना ही पूजा दी इसलिए मैं उनके ऊपर पूरी तरह से लेट गया और दोनो हाथो में उनकी चूचियों को पकड़ के अपना लन्ड बाहर खींचा और फिर अंदर धकेला.....इस बार पूजा दी फिर से सिसकी और मुंह से धीमी आवाज निकली बस बस अब निकाल ले इसको प्लीज.....हम उनको आंखो से इशारा ही कर के बोले की सबर कर ले अब दर्द नही होगा भरोसा रख......और फिर एक बार अंदर जड़ तक अपना लन्ड उनकी चूत में ठोक दिया......बेचारी इस बार भी कसमसा कर रह गई पर मुझे अब दूर नहीं धकेल रही थी बल्कि दर्द को काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी.....
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