Chapter-8
सुबह जब मेरी नींद खुली तो पूरा बदन टूट रहा था। बगल में प्रमोद भी पूरी नींद में सो रहे थे। उनका एक हाथ अभी भी मेरी चुची पर थी। धीरे से हाथ हटाते हुए मैं बेड से उतरी और फ्रेश होने बाथरुम की तरफ बढ़ गई।
फ्रेश होने के बाद मैं किचन में गई। तब तक मम्मी पापा भी जग गए थे। जल्दी से चाय बनाई और मम्मी पापा को देने के बाद प्रमोद को देने के बढ़ गई। अभी भी वे बेसुध हो कर सो रहे थे। मैं मुस्कुराती हुई उनके होंठों पर Morning Kiss जड़ दी। वे तुरंत ही नींद से जग गए। फिर मैंने उनकी तरफ चाय बढ़ा दी।
वे चाय लेते हुए बोले, "थैंक्स डॉर्लिँग, काश पहले भी इतनी अच्छी Morning Kiss देने वाली कोई होती।"
"झूठ क्यों बोलते हैं? आज कल तो अधिकांश लड़कों की प्रेमिका रहती है। आप थोड़े ही सन्यासी हैं।" मैं भी मजाक करते हुए जवाब दी।
प्रमोद- "अगर प्रेमिका रहती तो मुझे इतना प्यार करने वाली बीबी थोड़े ही मिलती। वैसे मैं भी चाहता था कि कोई Girlfriend हो पर समय की कमी और पापा के डर की वजह से कभी हिम्मत नहीं हुई।"
मैं हँसती हुई जाने के मुड़ते हुए बोल पड़ी, "अच्छा ठीक है, आप अपनी प्रेम कहानी बाद में सुनाईएगा। जल्दी से फ्रेश हो जाइए, मैं नाश्ता बनाने जा रही हूँ।"
"जैसी आज्ञा आपकी" कहते हुए वे भी बेड से नीचे उतर गए।
मैं उनकी बातें सुन हँसती हुई किचन की तरफ चल दी। तब तक साक्षी भी नीचे आ गई थी और चाय पी रही थी। हम दोनों की नजर मिलते ही एक साथ हम दोनों मुस्कुरा दिए। फिर मैं किचन के काम में लग गई। साक्षी और मम्मी भी हमारी सहायता करने आ गए। मम्मी के सामने साक्षी से किसी तरह की बात संभव नहीं थी।
फ्रेश होने के बाद प्रमोद नाश्ता कर बाहर चले गए। सारे काम निपटा मैं भी नाश्ता की और आराम करने चली गई। साक्षी भी नाश्ता करने के बाद अपने रूम में चली गई थी।
दिन के करीब 12 बजे प्रमोद आए, आते ही पूछे, "मोबाइल दो तो अपना।" मैं फोन उनके तरफ बढ़ा दी।
कुछ देर छेड़-छाड़ करने के वापस देते हुए बोले, "कल रात वाली सारी फोटो गजब की आई है। देख लेना फोन में डाल दिया हूँ।"
मैं हँसते हुए फोन ले ली। उन्हें खाने के लिए पूछी तो वे मना करते हुए बाहर निकल गए। शायद मुझे ये तस्वीर देने के लिए ही आए थे। उनके जाते ही मैं तकिया के सहारे औँधे मुँह लेट गई और फोटो देखने लगी। वाकई मेरी सभी तस्वीरें काफी सुंदर लग रही थी। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि मुझ पर अंकल के गहने और कपड़े इतने अच्छे लगेंगे।
मैं हर एक तस्वीर आराम आराम से देख रही थी। तभी मेरी नंगी चुची की तस्वीरें आ गई। मैं देख के शर्मा गई, पर फिर गौर से देखने लगी। मेरी चुची सच में काफी सेक्सी थी। चुची के ठीक ऊपर लटकी नेकलेस और मंगलसूत्र, और भी सुंदरता में चार चाँद लगा रही थी। अगली फोटो देखते ही मैं पानी पानी हो गई। मैं बेड पर लेटी एक हाथ से चुची दबा रही थी और दूसरी हाथ बुर पर रखी थी। फिर अगली फोटो में अपनी चुची को खुद ही चुसने की कोशिश कर रही थी। इसी तरह किसी फोटो मे अपने के बुर फांको को दोनों हाथो से फैलाये हुए बहुत कामुक अंदाज मे सामने देखते हुए। किसी मे अपने बुर को फैलाये हुए अपनी चुची को दबाते हुए। इसी तरह ढेर सारी तस्वीरें आती गई और मैं कब अपनी पानी छोड़ती बुर सहलाने लगी, मालूम नहीं।
अब मुझे साड़ी के ऊपर से सहलाने में दिक्कत हो रही थी तो बिना किसी डर के साड़ी कमर तक कर ली और पेन्टी में हाथ डाल बुर में 2 उँगली घुसेड़ दी। मैं तस्वीरें देखने में पूरी तरह से मग्न बुर को शांत करने की प्रयास कर रही थी। मैं शायद पहली लड़की होऊँगी जो खुद की नंगी तस्वीरें देख अपनी बुर से पानी छोड़ दी। पर क्या करती तस्वीर थी ही इतनी गर्म।
अचानक ही मेरे हाथ पर किसी ने पकड़ लिए। मैं मोबाइल फेंकते हुए पलटी तो ये साक्षी थी। मैं गेट के उल्टी तरफ सोई थी जिस वजह से साक्षी को आते नहीं देख पाई। मैं जल्दी से साड़ी ठीक करने के लिए उठना चाहती थी कि साक्षी दूसरे हाथ से धक्का दे कर लिटा दी और अगली वार करती हुई मेरी एक पैर को बेड से बाहर की तरफ खींच दी। फिर तेजी से मेरे दोनों पैरों के बीच आती हुई अपने होंठ मेरी गीली बुर पर भिड़ा दी।
मैं पहले ही फोटो देख गर्म थी ही, अब साक्षी आग में घी डालने का काम कर रही थी। मैं साक्षी को हटाने का भरपूर प्यार की पर वो तो चुंबक की तरह चिपकी थी। मैं ज्यादा देर तक विरोध नहीं कर पाई और खुद को साक्षी के हवाले कर दी। दोनों भाई बहन की क्या पसंद मिलती थी, रात में प्रमोद इसी अवस्था में चोद रहे थे और दिन में साक्षी मेरी बुर चुस रही है।
अचानक मैं चीखते-चीखते बची। साक्षी मेरी दाने को अपने दाँतों से पकड़ खींच रही थी। मैं अपनी चीख को दबाए साक्षी के बाल नोँच कर हटाने का प्रयास कर रही थी, पर मेरे हाथों में इतनी ताकत नहीं थी कि सफल हो पाती। मैं ज्यादा देर तक साक्षी के इस वार को नहीं सह पाई और एक हल्की चीख के साथ झड़ने लगी। साक्षी पुच्च-पुच्च करती हुई सारा पानी गटकने लगी। मैं उल्टे हाथों से बेडसीट पकड़े लगातार पानी बहाए जा रही थी। नीचे साक्षी आनंदमय मेरी चूत सोखने में लगी हुई थी।
कुछ पल के बाद साक्षी उठी और मुझे बेड पर बैठा दी। फिर मेरी आँखों में देखते हुए मुस्कुराते हुए पूछी, "क्योंरी कुतिया, अकेले ही चुदाई देख मजे लेती रहती है। कम से कम मुझे भी बुला तो लेती।"
साक्षी द्वारा दी गई गाली सहित प्रश्न से मेरी हँसी निकल पड़ी। साक्षी हमें गाली भी देती है तो पता नहीं मुझे तनिक भी बुरी नहीं लगती। मैं हँसती हुई बोली, "नहीं फिल्म नहीं थी, कुछ और थी।"
"कुछ और...? दिखा तो फोन क्या है कुछ," साक्षी आश्चर्य से पूछते हुए बोली।
मैं मना करती हुई बोली, "नहीं तुम किसी को बता देगी।"
"पागल, इतना कुछ होने के बाद भी डरती हैं कि बता दूंगी चल दे जल्दी फोन" साक्षी मेरी फोन की तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोली।
मैं भी मुस्कुरा के साक्षी को फोन लेने दी, फिर हम दोनों साथ बैठ गए और साक्षी तस्वीरें निकालने लगी। मेरी नंगी तस्वीरें देखते ही साक्षी तो बेहोश होते-होते बची। उसकी नजरें तो हमसे पूछे जा रही थी कि भैया भी इतने हॉट हैं क्या, पर बोल कुछ नहीं रही थी।
"रात में सेक्स के बाद बोले मुझे ऐसा करने और फोटो खिँचवाने तो खिँचवाई। अब मुझे देखना बंद करो और ये बताओ कैसी लगी तस्वीरें?" साक्षी को चुप देख मैं अपनी सफाई देते हुए बोली।
"Wowwww! भाभी, मैं नहीं जानती थी कि आप नंगी किसी मॉडल से कम नहीं लगोगी। ऐसी रूप में देख के तो बड़े से बड़े हिरोईन भी पानी नहीं माँगेगी।" साक्षी चहकते हुए तारीफ करने लगी।
मैं उसकी बात सुन झेँप सी गई। फिर वो एक एक तस्वीरें देखने लगी। देखने के क्रम में उसके हाथ अपनी सलवार में धँस सी गई। वो भी शायद गर्म होने लगी थी।
अनायास ही साक्षी बोली, "भाभी, एक बात बोलूँ।"
मैं "हम्म" करती हुई उसकी तरफ देखने लगी।
"मेरी प्यारी भाभी, ऐसी फोटो देख तो तुम कहीं से भी मेरी शरीफ भाभी नहीं लगती। बिल्कुल जिला टॉप रण्डी लग रही हो", कहते हुए साक्षी अपने बुर को मसलते हुए हँस दी।
मैंने पीछे से एक चपत लगाते हुए बोली, "कुतिया तेरे से कम ही रण्डी लगती हूँ।"
साक्षी थोड़ी सी चिढते हुए बोली, "पता है पर इस रेस में बहुत जल्द ही तुम हमसे भी आगे निकल जाएगी।"
साक्षी की उँगली अब बुर से हट गई थी, पर झड़ी नहीं थी। साक्षी की बात सुन मेरी दिल के किसी कोने में ये बात समा गई। शायद कुछ हद तक सही कह रही थी क्योंकि 3 दिन की चुदाई में ही मैं Once More.... कहने लगी थी।
तब तक साक्षी सारा तस्वीरें देख चुकी थी। फिर उसने सारी तस्वीरें अपने फोन में भेजने लगी। मैं कुछ कहना चाहती थी पर रुक गई क्योंकि वो बिना लिए तो मानती नहीं। सिर्फ इतना ही कह सकी, "साक्षी, किसी को वो वाली फोटो दिखाना मत प्लीज।"
साक्षी हाँ में सिर हिलाती हुई फोटो भेजती रही। जैसी ही सारी फोटो सेन्ट हुई कि साक्षी की फोन बज उठी। साक्षी नम्बर देखते ही मुस्कुरा दी, फिर जल्दी से इयरफोन अपने कान में लगाने लगी। अचानक ही इयरफोन की एक स्पीकर मेरे कान में लगा दी और बोली, "अंकल है, कुछ बोलना मत सिर्फ सुनना।" मैं दबी हुई आवाज में हँसती हुई हाँ में सिर हिला दी।
अंकल का नाम सुनते ही मेरी शरीर भी रोमांचित हो गई थी। तभी अंकल की आवाज आई। "हैल्लो!"
साक्षी- "हाँ अंकल, कहाँ हैं आप? मैं आपको देखने आज सुबह आपके घर गई थी, पर आप मिले नहीं घर पर।"
अंकल- "अरे साक्षी वो अचानक ही मुझे पटना निकलना पड़ा। चुनाव की वजह से दौड़-धूप तो लगी ही रहती है।" अंकल अपनी सफाई देते हुए बोले।
"अच्छा आना कब है?", तब साक्षी एक समझदार बच्ची की तरह पूछी।
अंकल- "फुर्सत मिलते ही आ जाऊँगा। अच्छा अभी तुम क्या कर रही हो।"
साक्षी बुरी सी सूरत बनाते हुए बोली, "आपके बिना ज्यादा कुछ क्या करूँगी। बस अपनी बुर में उँगली कर गर्मी निकाल रही थी।" यह सुन मेरी तो हँसी निकलते-निकलते बची।
"हा हा हा… रात में 2 बार तो पेला था फिर प्यास नहीं गई।" अंकल की हँसती हुई आवाज आई।
दोनों की बाते सुन मुझे तो शर्म के साथ मजे भी आ रही थी, जिस वजह चुपचाप सुनी जा रही थी।
साक्षी बात को बढ़ाते हुए बोली, "अंकल, रात में आप चोद तो मुझे रहे थे पर मैं दावे से कहती हूँ कि आपके मन में कोई और थी, कौन थी वो.....?"
साक्षी की बात सुन तो मैं भी अचरज में पड़ गई। कितनी शातिर दिमाग रखती है ये लड़की।
"हा हा हा… अब तुमसे क्या छुपाना साक्षी। कल रात मैं भारती को याद कर तुम्हें चोद रहा था।", अंकल सीधे अपने हथियार रखते हुए बोले।
मैं तो एक बार अपना नाम सुन शर्मा गई, पर उससे ज्यादा हमें साक्षी की तेज दिमाग देख दंग रह गई।
साक्षी मुझे आँख मारते हुए बोली, "Wowww! अंकल, एक तीर दो निशाने। तभी तो मैं सोच रही थी कि इतनी धमाके से मेरी चुदाई क्यों हो रही है।"
साक्षी की बात सुन अंकल सिर्फ हँस दिए, साथ मैं भी मुस्कुरा दी।
तभी साक्षी बोली, "वैसे आपको पता है मैं अभी कहाँ से आई हूँ।"
मैं भी सोच में पड़ गई कि साक्षी आखिर कहाँ गई थी।
उधर अंकल भी उत्सुकता से भरी आवाज में बोले, "कहाँ गई थी?"
साक्षी तभी मेरी साड़ी के ऊपर से बुर दबाते हुए बोली, "आज एक मस्त बुर का रसपान करके आई हूँ।"
साक्षी के इतना कहते ही मेरी तो घिघ्घी बँध गई। तुरंत ही कान पकड़ते हुए साक्षी से मेरा नाम नहीं बोलने के लिए आग्रह करने लगी।
तभी अंकल की सिसकारि भरी आवाज सुनाई दी, "आहहहहह साक्षी! कौन थी वो जल्दी बताना। मेरा लण्ड तो पूरा उफान पर आ गया है।"
पर पैदाइशी हरामिन साक्षी मेरी एक ना सुनी और बोली, "मैं अपनी जान भारती भाभी की बुर का भोग लगा के आई हूँ। आपको यकीन नहीं होगा अंकल कि कितनी स्वादिष्ट थी चूत। आहहहहह.... मजा आ गया आज।"
अपना नाम सुनते ही मैं साक्षी के गले दबाने लगी। पर फुर्ति से साक्षी हाथ हटा मेरे बाल पीछे से पकड़ी और सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत की तरफ गिरा दी और केहुनी मेरी पीठ पर गड़ा दी। मैं छटपटा के उसकी बुर पर मुँह रख पड़ी रही और गीली बुर की महक लेते हुए अंकल की बातों से मजे लेने की कोशिश करने लगी।
अंकल- "ओफ्फ भारती! छिनाल, कुतिया खुद मजे लेती है। हमें भी तो एक बार भारती की चूत दिला दे। आह! बर्दाश्त नहीं होती अब।"
मैं नीचे पड़ी बुर की गंध पा मदहोश होने लगी थी। अगले ही पल मैं सलवार के नाड़े खोलने की कोशिश करने लगी।
साक्षी मेरी स्थिति को समझते हुए तेजी से बोली, "अंकल, आप के लिए ही तो जुगाड़ कर रही हूँ। अच्छा ठीक है, मैं अभी फोन रखती हूँ, बाद में बात करूँगी।"
इतना कह साक्षी फोन काट दी और सलवार पूरी खोल दी और अपना बुर मेरे मुँह से चिपका दी। मैं भी उसकी बुर पर टूटते हुए जोरदार चुसाई शुरू कर दी। कुछ ही देर में साक्षी एक अंगड़ाई लेती चीखते हुए झड़ गई। उसकी चूत से निकली ढेर सारी पानी पूरे चेहरे पर आ गई थी। साक्षी लगभग बेहोश हो आँखें बंद कर चुकी थी। मैं जिंदगी में आज पहली बार चूत चूसी थी। कुछ अलग ही कामुक सा अनुभव था।
इसी तरह रोज साक्षी के साथ दिन भर हँसी मजाक, एक दूसरे से छेड़ छाड़, नोक झोक और फिर रात में प्रमोद से चुदाई चलती रही।
To be continued...