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Fantasy WO BHAYANAK RAAT

gauravrani

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तभी राहुल ने पूछा “क्या हुआ पापा? गाड़ी चालू करके अब आप किसका इंतज़ार कर रहे हैं? चलिए गाड़ी निकलिये यहाँ से.” “कोशिश तो कर रहा हूँ बेटा, पर न जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि कार आगे नही बढ़ पा रही है. ऐसा लग रहा है जैसे ये गाड़ी आगे बढ़ना नहीं चाहती. कुछ समझ नहीं आ रहा मैं पूरी कोशिश तो कर रहा हूँ, गेयर डाला हुआ है, एक्सिलरेटर भी दबा रहा हूँ पर...अभी तो सब ठीक लग ही रहा था अब देखो तो सही अचानक...” “मुझे तो लगता है कार में कोई गड़बड़ी हो गयी होगी पापा. अरे इतने जोर से पेड़ से जो टकराई थी. आप रुकिए मैं बाहर जाके देखता हूँ...शायद कोई प्रॉबलम हो.” राहुल ने कहा और उसने कार का दरवाजा खोला, पर अर्चना ने मुड़कर उसका हाथ पकड़ लिया. “नहीं बेटा! कार से मत उतरना. जाने क्यों मेरा दिल जोर-जोर से घबरा रहा है...ऐसा लग रहा है जैसे कोई अनहोनी होने वाली है. कुछ भी ठीक नहीं लग रहा...ऐ जी...आप कोशिश करिये कार चल जाएगी.” अर्चना सहमी हुई थी. वह किसी भी तरह की मुसीबत को नहीं बुलाना चाहती थी और शायद जंगल को महसूस भी कर रही थी. कभी-कभी वहम सच भी हो जाता है. आगे
 

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क्या होगा कौन जानता है! “क्या मम्मी! आप भी न...अगर गाड़ी चल सकती तो अब तक हम आगे निकल भी चुके होते. चेक तो करना ही पड़ेगा नहीं तो वाकई हम यहाँ फंस जायेंगे...और आप इतना क्यों डर रही हो? मैंने कहा न कुछ नही होगा...आप चिंता मत कीजिये...मैं देखता हूँ...पापा जरा वो टॉर्च देना. आप लोग गाड़ी में ही बैठिये मैं देख कर आता हूँ.” फिर राहुल टॉर्च लेकर बाहर आ गया और कार का बोनट उठाकर चेक करने लगा. अर्चना और गीता का ध्यान कार के शीशे से बाहर की तरफ ही था जैसे वो कुछ खतरे को भांपने की कोशिश में थे और संग्राम सिंह कार को चालू करने की कोशिश में थे. क्यूंकि उन्हें किसी खतरे से डर नहीं लगता था. तभी अचानक कार के बाहर से राहुल की एक जोरदार चीख सुनाई दी. एक ऐसी जोरदार आवाज़ जिसने किसी डर को छू लिया हो. “आआआआआआआआआअ...पापा...मम्मी … जल्दी यहाँ आईये...” ***** कार में बैठे संग्राम सिंह, अर्चना और गीता चीख सुन कर जल्दी से कार से निकल के राहुल की तरफ़ भागे...जैसे
 

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कोई भूत देखने के बाद भागता है ये सोचकर कि ‘जाने क्या अनहोनी हुई थी जो राहुल इस तरह चीख रहा था.’ “क्या हुआ राहुल...” संग्राम सिंह ने बाहर आते ही पूछा “पापा.... वो....” सकपकाई आवाज़ में राहुल ने कुछ इशारा किया। “क्या हुआ? तुम चिल्लाये क्यों?” अर्चना और गीता भी संग्राम सिंह के पीछे ही थे. राहुल ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उसका हाथ कांपतें हुए कार की हेडलाइट्स की तरफ इस तरह बढ़ाया जैसे किसी ने हाथ में डंक मारकर सुन्न कर दिया हो. राहुल ने कुछ इशारा किया. संग्राम सिंह और उसकी फॅमिली की नज़र राहुल के हाथ की दिशा में बढ़ी. तीन जोड़ी आँखे उस दिशा की ओर ताकने को हुई और अगले ही एक पल में वह नज़ारा देखकर...सभी को जैसे सांप सूंघ गया. संग्राम सिंह और उसका परिवार अब एक पल के लिए साँसे थामे खड़ा था उस भयावह नज़ारे के सामने.
 

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उनकी आँखों के सामने भयावह दृश्य था. कार की हेडलाइट्स पर ताजे खून के धब्बे नज़र आ रहे थे. “ओह माय गॉड!” गीता के मुँह से निकला. “अब ये क्या है...?” एक पल के चुभते सन्नाटे के बाद संग्राम सिंह ने धीमे स्वर में पूछा. “मैंने तो आप लोगो से पहले ही कहा था कोई न कोई कार से टकराया था वर्ना ये दुर्घटना नहीं होती...पापा अब तो आपको यकीन हो गया न ये सब देख कर?” राहुल ने लगभग चिल्लाते हुए कहा. “हे भगवान...” अर्चना चिल्लाई - “मैंने कहा था यहाँ कुछ गलत हो रहा है...कुछ तो गलत...ये खून के दाग कहाँ से आ गए? किसके है ये खून के दाग?” अर्चना ने जोर से संग्राम सिंह के बाजुओ को दबा कर कहा. “राहुल! पापा! ये सब क्या हो रहा है हमारे साथ?” गीता ने डरे हुए स्वर में कहा- “पापा! मम्मी ठीक कह रही है. कुछ तो गलत हो रहा है...अब तो मुझे भी बहुत डर लगने लगा है.” गीता ने थूक गटकते हुए कहा- “मगर ये
 

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किसी जानवर का खून भी तो हो सकता है पापा...” “जानवर! अच्छा तो कहाँ गया वो जानवर कार से टकराने के बाद?”' राहुल ने पूछा. “अरे हो सकता है तुमने उसे देखा ही न हो और वो गाड़ी के नीचे आ गया हो और जब हम उस पेड़ से टकराए तब तक वो उठकर जंगल में भाग गया हो जख्मी हालत में ही सही.” गीता ने अपना अनुमान लगाया. संग्राम सिंह अब भी खामोश थे. क्यूंकि वो शायद बातों में नहीं सबूतों में यकीन करने वालों में से थे. “हो सकता है...पर फिर सड़क पर कहीं खून गिरना चाहिए था.” अर्चना चारों तरफ देखती हुई बोली, “ये कोई मायाजाल लगता है जी. मुझे बहुत डर लग रहा है ये कोई काला जादू हो सकता है. कहते हैं कि अमावास की रात बड़ी जालिम होती है और काली और बुरी आत्माएं लोगो को ऐसे ही अपने जाल में फसांती हैं.” अर्चना के बातों ने राहुल और गीता को भी यकीन दिलवाना शुरू कर दिया था कि ये सब किसी कारण से उनके साथ घट रहा है. जंगल के बीचो - बीच खड़े चारो तरफ के घने और भयावह जंगल का नज़ारा अर्चना की बातों को सच बनाये जा रहा था.
 

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“पापा! मम्मी सही कह रही है. मैने भी आपको कहा था कार से कोई न कोई टकराया जरुर था लेकिन मुझे ठीक से नही दिखाई दिया.” राहुल ने अपनी बात कही. ऐसा लगा वाकई वो अपनी मम्मी की बातों से सहमत हो रहा था. “राहुल!” संग्राम सिंह झुंझलाये अब उनकी बारी थी बोलने की. “कम से कम तुम तो अपनी मम्मी का साथ मत दो इन फिजूल की बातों में...अरे! इसे तो भूत-प्रेत, तंत्र मंत्र की बाते बनाने का शौक है. पैंतीस सालों का तजुर्बा है मेरा इसके साथ...ये सब बकवास बाते मत करो प्लीज.” संग्राम सिंह गुस्से में बोले. “अगर ऐसी बात है तो आप ये बताइये कहाँ है वो जो इस कार से टकराया था?” अर्चना भी गुस्से में चीख उठी- “कहाँ गया? आसमान में चला गया या धरती में समा गया? बोलिए.” “तुम अब चुप हो जाओ थोड़ी देर के लिए! प्लीज....’’ संग्राम सिंह ने अर्चना को घूरते हुए कहा और गोल-मटोल आँखों से घूर कर भी उसे चुप करवाना चाहा और वो एकदम से चुप भी हो गयी. पर सड़क अब भी खाली था क्योंकि सच तो बस यही था कि सिवाए उनके उस जगह पर कोई था ही नहीं. कार
 

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की हेडलाइट्स से रौशनी बस उन पर आ रही थी. आसमान तो जैसे काली स्याही में नहाया हुआ था. संग्राम सिंह और राहुल उस जगह के आसपास आ गए जहाँ से कार बहक कर दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी और टॉर्च की रौशनी में इधर-उधर कुछ ढूंढने लगे. शायद अब वो उस खून के धब्बों और एक्सीडेंट के कारण को तलाश रहे थे. पर वहा ऐसा कोई भी निशान नही था जिससे ये कहा जा सके कि वहा कोई एक्सीडेंट हुआ हो या कार से कोई टकरा कर गिरा या ज़ख़्मी हुआ हो. बल्कि अब तो जंगल से अजीब सी आवाज़ भी आने लगी थी पर उन आवाज़ों को साफ़ सुन पाना मुमकिन नहीं था. अर्चना और गीता भी उन आवाज़ों से ध्यान हटाने की पूरी कोशिश कर रहे थे. “पापा यहाँ तो कोई निशान नहीं.” राहुल ने जंगल से आती हुई हल्की अजीब आवाज़ों को ध्यान ना देते हुए उस जगह के आस पास मुआयना करते हुए कहा. संग्राम सिंह अब भी आस-पास देखने में लगे हुए थे. “हो सकता है वो कार से टकराने के बाद उछलकर सड़क किनारे इस ढलान से लुढ़ककर नीचे झाड़ियो में चला गया हो, आखिर कार बहुत स्पीड में थी. वह ज़रूर बेहोश हो गया होगा, तभी हमारे इतना आवाज़ देने पर भी वो सुन नहीं पा रहा है.” संग्राम सिंह ने अपना एक और तर्क
 

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लगाया और फिर राहुल के हाथ से टॉर्च ली और ढलान की ओर रौशनी फैलाई. लेकिन उस तरफ झाड़ियों के सिवा और कुछ नहीं दिखा. “पापा!” गीता ने कहा, “आप अगर वाकई ऐसा है तो हमें उस व्यक्ति को ढूंढकर उसकी मदद करनी चाहिए. अगर वो वाकई जानवर नही था तो...” अर्चना ने घबरायी और लडखडाई आवाज़ में कहा, “तुम लोग मेरी बात समझ नही रहे हो.” अर्चना बडबडाने लगी – “और कितनी बार कहूं आप दोनों से? हम यहाँ फंस गए है. पहले ही कहा था- जल्दी घर निकल जाना चाहिए कुछ नहीं मिलेगा यहाँ. देखिये वही सब हो रहा है जिसका कि मुझे डर था. ये शैतानों का काम है, भला कार से टकराने के बाद कोई कैसे उठकर कही जा सकता है और अगर वो सच में कोई इंसान था तो कहाँ गया? और इतनी रात गए यहाँ जंगल में आखिर कौन होगा.” अर्चना सिंह की बातों से संग्राम सिंह आग-बबूला हो गए. “अर्चना! अब एक लफ्ज भी और कहा तो अच्छा नही होगा...अरे एक फौजी की बीवी होकर तुम्हें ऐसी कायरता भरी बाते करते शर्म नही आती? मुसीबत के समय बच्चो को साहस देने के बजाये ये पागलो जैसी बात करती हो.
 

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भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र उफ्फ क्या करूं अब मैं!” ***** “पापा!...आपको ये देखना चाहिए...” राहुल ने कार के नीचे इशारा कर के कुछ दिखाना चाहा. अब कार के उस तरफ सभी लोग आ चुके थे. उधर खून के निशान टायरों तक जा रहे थे. फिर सड़क के दाहिने तरफ थोड़ी दूर से मिट्टी पर घिसटने के निशान थे. “पापा इसका मतलब आपने ठीक अनुमान लगाया जो कोई भी हमारी कार से टकराया था...वो जरुर सड़क से उछलकर किनारे गिरा होगा. वैसे भी स्पीड इतनी ज्यादा थी की कि ऐसा होना स्वाभाविक है. पापा! हमें देखना होगा, मदद करनी होगी...” “मैं भगवान से दुआ करती हूँ राहुल कि तुम और तुम्हारे पापा जो कह रहे हो वो ही सच हो और मैं गलत. अगर ऐसा हुआ न बेटा तो हम जरुर यहाँ से निकल कर घर पहुँच पायेंगे.” अर्चना धीरज रखते हुए बोली. गीता ने इसी बात पर अर्चना का हाथ पकड़ हिम्मत दिलवाया कि सब ठीक है.
 

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“हेल्लो! …. “अरे कोई हमें सुन रहा है क्या?” “कोई है वहाँ...?” “कोई है...?” संग्राम सिंह ने जोरो से चिल्लाना शुरू कर दिया था. सडक के दोनों तरफ घने जंगलो की तरफ राहुल और संग्राम सिंह आवाज़ देने लगे. जंगल में उनकी आवाज़ गूँजने लगी और ऐसा लग रहा था जंगल अपनी ओर बुला रहा था उन्हें उन आवाजों से. “पापा! मुझे लगता है वो हमें सुन नही पा रहा. वैसे भी सड़क किनारे की ये ढलाने उन झाड़ियों में ख़त्म होती है और हो सकता है वो घायल हो और बेहोशी की हालत में हो...मुझे जाकर देखना होगा.” राहुल ने कहा, “पापा! मुझे वो टॉर्च दीजिये. आप लोग यहाँ कार के पास रुकिए मैं नीचे जाकर देखता हूँ.” राहुल और संग्राम सिंह का अनुमान कितना सही था ये बता पाना मुश्किल था पर उन्हें जो लग रहा था वो उस पर अमल करने में लगे थे. अर्चना ये बात जानती थी कि बाप बेटे मानने वाले नहीं हैं. “इतने अँधेरे में अकेले वहाँ मत जाओ बेटा, मुझे डर
 
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