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Romance Wo Lal Bag Wali (Completed)

Sorry for not completing Last Story

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    Votes: 13 81.3%
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Raanjhanaa

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Pahale To Sorry Dosto Mere Ek Kahani Ko Suru Kiya Par Complete Nahi Kar Saka Us Story Par Kam Cal Raha Hai Soon Hi Us Ko Start Kar Dunga Sabhi To App Logo Ke Liye Ek Yesi Story Jis Me Romance Hai Thriller Hai Hai Kuch Action Bhi Wait Kare Kal 9Pm Se Updates Dena Suru Karunga
 
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Raanjhanaa

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बारिश का मौसम पहाड़ो का सबसेसुहाना मौसम होता है, जब गर्मियां ममें सारे सैलानी
अपनी छुट्टियां बिता कर वापस अपनेघर चलेजातेहै, तब दुसरे मेहमान बादल तशरीफ़
लातेहै,
मानो कोई माली अपने लगाये बाग को सिचने आया हो | पहाड़ो कि हर ढलान झरना बन जाती है और हर झरना छोटी मोटी नदी का रुप ले लेता है जब बादल छंटतेहै
तो हरयाली पहाड़ो का नव स्र्न्गार उसे हरी चुनरी ओढाकर करती है |
इस सुन्दरता को नीहारने कम ही सैलानी इस मौसम में यहाँआतेहै, इसीलिए इस समय
मसूरी का बस स्टेशन पूरी तरह से सुनसान पड़ा था, चाय की चचुस्कियां लेते ही उसने अपने
मोबाइल में समय देखा 6:15 हुये थे, देहरादून से मसूरी आनेवाली आखरी बस के आने में
कुछ ही देर बाकी थी और वो रोज की तरह वह अपने गाहक के इंतजार में बैठा था, यु तो
पहाड़ो पर बादल अकसर राहगीर के साथ होली खेलते थे और ऐसे सनन्ना करवा कर रफूचक्कर हो जाते थे जैसे कोई बच्चा होली के दिन रंग डाल कर भाग गया हो, पर उस
दिन बादल कुछ और ही योजना बना कर आयेथेकुछ शायद ही पानी भर कर लाये थे,
पछले एक घंटे से हो रही बारिश रश थमने का नाम नही ले रही थी और वो दोनो उस बस स्टेशन
पर सबसे आशावादी व्यापारी की तरह आखरी बस का इंतजार कर रहे थे कि शायद इस
बस में कोई गाहक आ जाये तो हम अपने अपने घर चले उनमे एक चाय वाला था और
दूसरा मयूर था जो यही पैदा हूआ और पला बढ़ा
वो एक 25-26 साल का दिलचस्प रूप से खुबसुरत नौजवान था, दिलचस्प इसलिए क़्योकी वो पहाड़ी और अन्ग्रेजी जीन्स का मिक्स था, उसके पिता पहाड़ी और
माँ एक अन्ग्रेज थी उसने अपने माँ के लंबाई पाई थी और अपने पिता से गठीला बदन, उसका स्क्रीन कलर माँ पे गया था तो चेहरे के तीखे नाक नश्क
पिता पे , और उसके सिक्स पैक अप्स इन पहाड़ो की देन थे जिन पर वो रोज चढ़ता था और उतरता था, उस
इलाके का कोई ऐसा पहाड़ नही था जिस पर उसने फतह नही पाई हो |
उसकी माँ , अपनी जवानी के दिन में अपने लिए एक इंडियन लड़का ढूंढते हुये
लगभग 30 साल पहले इंग्लेंड से यहा आई थी, उसकी माँ निस्चय किया था कि किसी
इंडियन लडके सेही शादि करेगी, क़्युकी जब उसका जन्म होने वाला था उसके पिता
उसको और उसकी माँ को छोड़ कर चले गये थे, और उनका परिवार तितर बितर हो गया
था, वो अपने लिए ऐसा लड़का ढूंढ रही थी जो परिवार शब्द के मह्त्व को समझता हो,
उसने कही पढ़ा था की इंडियन लडके लॉयल होते है और अपनी फैमिली वेल्यू को अधिक महत्त्व देते है| जिसने भी वो लिखा था वो किताब लिखनेवाला नही जानता था की
मयूर के भारत में जन्म लेने का कारण उसकी किताब थी। जिससे पर्भ्वित होकर उसकी माँ
भारत आई थी, ये देखने की संयुक्त परिवार आखिर होता क्या है, कैसे लोग आपस मिलजुल कर रहते है और वो सबसे पहले उदयपुर पहुची वहाँ के एक गेस्ट हाउस में अपने पहले स्टे मे ही पर्भ्वित हो गई ये देख कर की न सिर्फ पति पन्ति और bachache बल्कि दादा दादी भी साथ में मिल कर रहते है और एक दुसरे को प्यार ,सहारा देते है
 

Raanjhanaa

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Updated 2
पहले स्टे में ही प्रभावित हो गई ये देख कर कि न सिर्फ पति पत्नी और उनके बच्चे बल्कि दादा दादी भी साथ में मिलकर रहते है और एक दुसरे को प्यार सहारा देते है और जब वो मसूरी आई तो उसकी मुलाकात मयूर के पिता से हुई जिनका पहाड़ो पर एक 8 रूम का होटल था अपने लम्बे निवास के लिए वो सस्ता स्टे ढूंढते हुए उसके पिता के गेस्ट हाउस तक पहुची पर पहले उसे मसूरी कि सुन्दरता, पहाड़ो, झरने, जंगल से प्यार हुआ और पहाड़ो में जड़ी बूटियों का नॉलेज लेते लेते वो उसके पिता के प्यार में ही पड़ गयी और बिना किराया दिए हमेशा के लिए उस होटल में ही रह गयी। उसके पिता की मृत्यु तक उनमे प्रेम बना रहा और जब वो जीवित थे, उसकी माँ के पास उसके पिता कि दी हुई वो होटल रूम के किराए कि पहली रसीद सम्भाल के रखी थी जो उन्होंने उसको उसके पहेली बार आने पर दी थी, और उसके पिता तब वो रसीद मिलने पर मजाक में उसकी माँ से पिछले 30 साल का बकाया किराया मांगते है और उसकी माँ उसके पिता पर फ्लाइंग किस उछाल कर अपना किराया भर देती थी शुरुआत में सब कुछ ठीक था परन्तु जैसे जैसे मसूरी में आने वाले पर्यटकों कि संख्या बढ़ने लगी कई नई और अत्याधुनिक होटले खुलती गई. परन्तु मयूर के पिता अपनी होटल का मूल स्वरूप बदलने को तैयार नहीं थे और ऑनलाइन बुकिंग और बड़ी बड़ी होटलों के बिच उनकी होटल दब सी गयी थी सीजन में तो कोई दिक्कत नही थी पर बारिश के मौसम में वो शाम को एक आध चक्कर बस स्टैंड का लगा लिया करता था, और कई बार उसे अपने होटल के लिए ग्राहक मिल जाते थे, और आज भी कुछ ऐसा ही दिन था, परन्तु उसे कुछ खास उम्मीद नहीं थी कि कोई पर्यटक उसे यहाँ मिलेगा, फिर भी उसने सोचा एक ट्राय मरने में क्या हर्ज है। बस के चिर परिचित हॉर्न कि आवाज ने उसकी तन्द्रा भंग कर दी उसने देखा बस मोड़ काटकर अपने स्टॉपेज पर रुक गयी थी वो उठा लेकिन आगे नहीं बढ़ा क्योकि उसने सोचा बारिश में भीगने से अच्छा है कुछ देर यही रुक जाता हूँ. अगर कोई टूरिस्ट होगा तो ही आगे

जाऊंगा। उतरने वाले पेसेंजर में सभी उसके जाने पहचाने लोग थे जिनसे उसको कुछ खास लेना देना नही था वो तो ऐसे चेहरे तलाशता था जिनको उसने पहले कभी नही देखा हो, एक एक करके बस में से उतरती सवारी में से सभी स्कूल जाने वाले स्टूडेंट. दून से नौकरी करके आने वाले अंकल आंटीस और लोकल रहवासी ही थे, मतलब आज कोई सैलानी नही आया था वो मुड़ा और उसने अपने पर्स में से पैसे निकाल कर चाय वाले को दिए और उसकी नजर वापिस बस कि तरफ कि और तभी बस के पायदान पर कुछ हलचल हुई

पहले एक लाल बेग आया और बस के दरवाजे पर स्थित पायदान कि पहली और आखरी पंक्ति के बिच में फंस गया एक बड़ा लाल बेग मतलब निश्चित ही कोई सैलानी है, उस समय बस स्टैंड किसी और होटल का कोई और एजेंट नही था उसने सोचा चलकर देखना चाहिए शायद कोई ग्राहक मिल जाये वो आगे बढ़ा और बस कि उतरने कि सीढियों तक पहुचा, बादल अपने प्लान को अंजाम देने कि पुरजोर कोशिश में लगे थे और उनका क्या प्लान था ये वो ही जानते थे..
 

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बारिश का मौसम पहाड़ो का सबसेसुहाना मौसम होता है, जब गर्मियां ममें सारे सैलानी
अपनी छुट्टियां बिता कर वापस अपनेघर चलेजातेहै, तब दुसरे मेहमान बादल तशरीफ़
लातेहै,
मानो कोई माली अपने लगाये बाग को सिचने आया हो | पहाड़ो कि हर ढलान झरना बन जाती है और हर झरना छोटी मोटी नदी का रुप ले लेता है जब बादल छंटतेहै
तो हरयाली पहाड़ो का नव स्र्न्गार उसे हरी चुनरी ओढाकर करती है |
इस सुन्दरता को नीहारने कम ही सैलानी इस मौसम में यहाँआतेहै, इसीलिए इस समय
मसूरी का बस स्टेशन पूरी तरह से सुनसान पड़ा था, चाय की चचुस्कियां लेते ही उसने अपने
मोबाइल में समय देखा 6:15 हुये थे, देहरादून से मसूरी आनेवाली आखरी बस के आने में
कुछ ही देर बाकी थी और वो रोज की तरह वह अपने गाहक के इंतजार में बैठा था, यु तो
पहाड़ो पर बादल अकसर राहगीर के साथ होली खेलते थे और ऐसे सनन्ना करवा कर रफूचक्कर हो जाते थे जैसे कोई बच्चा होली के दिन रंग डाल कर भाग गया हो, पर उस
दिन बादल कुछ और ही योजना बना कर आयेथेकुछ शायद ही पानी भर कर लाये थे,
पछले एक घंटे से हो रही बारिश रश थमने का नाम नही ले रही थी और वो दोनो उस बस स्टेशन
पर सबसे आशावादी व्यापारी की तरह आखरी बस का इंतजार कर रहे थे कि शायद इस
बस में कोई गाहक आ जाये तो हम अपने अपने घर चले उनमे एक चाय वाला था और
दूसरा मयूर था जो यही पैदा हूआ और पला बढ़ा
वो एक 25-26 साल का दिलचस्प रूप से खुबसुरत नौजवान था, दिलचस्प इसलिए क़्योकी वो पहाड़ी और अन्ग्रेजी जीन्स का मिक्स था, उसके पिता पहाड़ी और
माँ एक अन्ग्रेज थी उसने अपने माँ के लंबाई पाई थी और अपने पिता से गठीला बदन, उसका स्क्रीन कलर माँ पे गया था तो चेहरे के तीखे नाक नश्क
पिता पे , और उसके सिक्स पैक अप्स इन पहाड़ो की देन थे जिन पर वो रोज चढ़ता था और उतरता था, उस
इलाके का कोई ऐसा पहाड़ नही था जिस पर उसने फतह नही पाई हो |
उसकी माँ , अपनी जवानी के दिन में अपने लिए एक इंडियन लड़का ढूंढते हुये
लगभग 30 साल पहले इंग्लेंड से यहा आई थी, उसकी माँ निस्चय किया था कि किसी
इंडियन लडके सेही शादि करेगी, क़्युकी जब उसका जन्म होने वाला था उसके पिता
उसको और उसकी माँ को छोड़ कर चले गये थे, और उनका परिवार तितर बितर हो गया
था, वो अपने लिए ऐसा लड़का ढूंढ रही थी जो परिवार शब्द के मह्त्व को समझता हो,
उसने कही पढ़ा था की इंडियन लडके लॉयल होते है और अपनी फैमिली वेल्यू को अधिक महत्त्व देते है| जिसने भी वो लिखा था वो किताब लिखनेवाला नही जानता था की
मयूर के भारत में जन्म लेने का कारण उसकी किताब थी। जिससे पर्भ्वित होकर उसकी माँ
भारत आई थी, ये देखने की संयुक्त परिवार आखिर होता क्या है, कैसे लोग आपस मिलजुल कर रहते है और वो सबसे पहले उदयपुर पहुची वहाँ के एक गेस्ट हाउस में अपने पहले स्टे मे ही पर्भ्वित हो गई ये देख कर की न सिर्फ पति पन्ति और bachache बल्कि दादा दादी भी साथ में मिल कर रहते है और एक दुसरे को प्यार ,सहारा देते है
:congrats: for your 1st story
1st Update is interesting :reading:
 
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जाऊंगा। उतरने वाले पेसेंजर में सभी उसके जाने पहचाने लोग थे जिनसे उसको कुछ खास लेना देना नही था वो तो ऐसे चेहरे तलाशता था जिनको उसने पहले कभी नही देखा हो, एक एक करके बस में से उतरती सवारी में से सभी स्कूल जाने वाले स्टूडेंट. दून से नौकरी करके आने वाले अंकल आंटीस और लोकल रहवासी ही थे, मतलब आज कोई सैलानी नही आया था वो मुड़ा और उसने अपने पर्स में से पैसे निकाल कर चाय वाले को दिए और उसकी नजर वापिस बस कि तरफ कि और तभी बस के पायदान पर कुछ हलचल हुई

पहले एक लाल बेग आया और बस के दरवाजे पर स्थित पायदान कि पहली और आखरी पंक्ति के बिच में फंस गया एक बड़ा लाल बेग मतलब निश्चित ही कोई सैलानी है, उस समय बस स्टैंड किसी और होटल का कोई और एजेंट नही था उसने सोचा चलकर देखना चाहिए शायद कोई ग्राहक मिल जाये वो आगे बढ़ा और बस कि उतरने कि सीढियों तक पहुचा, बादल अपने प्लान को अंजाम देने कि पुरजोर कोशिश में लगे थे और उनका क्या प्लान था ये वो ही जानते थे..
Gajab ki love story he Mayur ke maa baba ki :good:
Intejar he uss laal Bag wali ka
 
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