अचानक आधी रात को घर की बेल बजीं... बाहर आँधी तूफ़ान और तेज़ बारिश हो रहीं थी ....
पत्नी घबराकर उठी और पति को जगाया "उठो देखो आधी रात को कौन बेल बजा रहा है "
पति ने घबराते हुए दरवाज़ा खोला,
बाहर एक शराबी खड़ा था.. वो लड़खड़ाई आवाज़ में बोला .. "भाssssई साहब आऽऽपकी मदद चाहिये थी.. क्या आप धक्का लगा सकते है ?"
पति को गुस्सा आया और बोला "ख़बरदार जो दोबारा बेल बजायी " कह कर ज़ोर से दरवाज़ा बन्द कर बेड पर वापस आ गया....
पत्नी ने पूछा "कौन था ??"...
"था कोई शराबी साला.. गाड़ी ख़राब हो गयी थी धक्का लगाने को बोल रहा था "
"तो तुमने लगा दिया " पत्नी ने पूछा..
"तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है, बाहर इतना आँधी-तूफ़ान, बारिश और घनघोर अंधेरा है और तुम चाहती हो रात के तीन बजे मै एक शराबी की मदद करूँ"..
"शराबी भी इंसान होते है, बेचारे ने बड़ी उम्मीद से बेल बजायी होगी... उसे तुम्हारे रूप में भगवान नज़र आ रहे होंगे.. उसके बीवी बच्चे घर उसका इंतज़ार कर रहे होंगे, तुम्हें उसकी मदद करनी चाहिये" पत्नी ने समझाया..
पत्नी के समझाने पर पति दुब्बारा बाहर गया..
तबतक अंधेरा और गहरा हो गया था, बारिश और तेज़ हो चुकी थी, कुछ नज़र नहीं आ रहा था ..
" भाई तुम अभी भी यहाँ हो, तुम्हें अभी भी मदद चाहिये?" पति ने ज़ोर से आवाज़ लगायी..
दूसरी तरफ़ से शराबी ने भी ज़ोर से उम्मीद भरी आवाज़ में "हाँ" बोला ..
." पर तुम हो कहाँ, नज़र नही आ रहे".. पति फिर चिल्लाया ..
दूसरी तरफ़ आवाज़ आयी .." भाई इधर तुम्हारे गार्डन में झूले पे बैठा हूँ, प्लीज़ थोड़ा धक्का लगा दो " ।