जिंदगी भर दर्द से जीते रहे, दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे, कई बार सोचा कह दू हाल-ए-दिल उससे, पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे।
कहीं अब मुलाक़ात हो जाए हमसे,
बचा कर के नज़र गुज़र जाइएगा...
जो कोई कर जाए कभी ज़िक्र मेरा,
हंसकर फिर सारे इल्ज़ाम मुझे दे जाइएगा?
मिलना इतिफाक था बिछड़ना नसीब था,
वो इतना दूर चला गया जितना क़रीब था,
बस्ती क सारे लोग आतिश परस्त थे,
जलता रहा मेरा घर ओर समंदर क़रीब था!
mere dil ka haal ju suna raheजिंदगी भर दर्द से जीते रहे, दरिया पास था आंसुओं को पीते रहे, कई बार सोचा कह दू हाल-ए-दिल उससे, पर न जाने क्यूँ हम होंठो को सीते रहे।