Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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ढूंढिए, मिल जायेगा कोई न कोईशायद हो!!
ढूंढिए, मिल जायेगा कोई न कोईशायद हो!!
नजरों से ढूंढिएगा, तो पत्थर ही दिखेंगे।किसी अपना बनाए कोई इस काबिल नही मिलता, यहां पत्थर तो बहुत मिलते हैं मगर दिल नही मिलता
ख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है
कितनी वा बस्ता तिसकीन हैं तेरे नाम के साथख़मोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है
मशहूर हैं मेरे नाम बहुत,कितनी वा बस्ता तिसकीन हैं तेरे नाम के साथ
जिंदगी में बार बार सहारा नहीं मिलताबांध लिया हैं मैंने अपना सामान गालिब,
अब बता कहां रहते हैं वो लोग जो कहीं के नही रहते
एक दम सही कहा आपनेसच है यहां को अपना नही हो सकता